5 संबंधों: ब्रह्माण्ड किरण, सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक, सेयफ़र्ट गैलेक्सी, खगोलभौतिक फौवारा, खगोलशास्त्र से सम्बन्धित शब्दावली।
ब्रह्माण्ड किरण
ब्रह्माण्डीय किरण का उर्जा-स्पेक्ट्रम ब्रह्माण्ड किरणें (cosmic ray) अत्यधिक उर्जा वाले कण हैं जो बाहरी अंतरिक्ष में पैदा होते हैं और छिटक कर पृथ्वी पर आ जाते हैं। लगभग ९०% ब्रह्माण्ड किरण (कण) प्रोटॉन होते हैं; लगभग १०% हिलियम के नाभिक होते हैं; तथा १% से कम ही भारी तत्व तथा इलेक्ट्रॉन (बीटा मिनस कण) होते हैं। वस्तुत: इनको "किरण" कहना ठीक नहीं है क्योंकि धरती पर पहुँचने वाले ब्रह्माण्डीय कण अकेले होते हैं न कि किसी पुंज या किरण के रूप में। .
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सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक
सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक (active galactic nucleus) या स॰गै॰ना॰ (AGN) किसी गैलेक्सी के केन्द्र में ऐसा एक संकुचित क्षेत्र होता है जिसमें असाधारण तेजस्विता हो। यह विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम के पूर्ण या ऐसे भाग में हो सकता है जिस से स्पष्ट हो जाए कि इस तेजस्विता का स्रोत केवल तारे नहीं हो सकते। इस प्रकार का विकिरण रेडियो, सूक्ष्मतरंग (माइक्रोवेव), अवरक्त (इन्फ़्रारेड), प्रत्यक्ष (ओप्टीकल), पराबैंगनी (अल्ट्रावायोलेट), ऍक्स किरण और गामा किरण के तरंगदैर्घ्य में पाया गया है। सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक रखने वाली गैलेक्सी को सक्रीय गैलेक्सी (active galaxy) कहा जाता है। खगोलशास्त्रियों का मानना है कि सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक से उत्पन्न होने वाला विकिरण ऐसी गैलेक्सियों के केन्द्र में उपस्थित विशालकाय ब्लैक होल के इर्द-गिर्द एकत्रित होने वाले पदार्थ से पैदा होता है। अक्सर ऐसे सक्रीय गैलेक्सीय नाभिकों से मलबे के विशालकाय खगोलभौतिक फौवारे निकलते हुए दिखते हैं, मसलन ऍम87 नामक सक्रीय गैलेक्सी के नाभिक से एक 5000 प्रकाशवर्ष लम्बा फौवारा निकलता हुआ देखा जा सकता है। बहुत ही भयंकर तेजस्विता रखने वाले सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक को क्वेसार (quasar) कहते हैं। .
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सेयफ़र्ट गैलेक्सी
खगोलशास्त्र में सेयफ़र्ट गैलेक्सी (Seyfert galaxy) सक्रीय गैलेक्सियों के दो प्रमुख प्रकारों में से एक है। क्वेसार दूसरा प्रमुख प्रकार होता है। दोनों में सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक बहुत तेजस्विता से चमकता है, लेकिन जहाँ क्वेसार में गैलेक्सी का अन्य भाग इस केन्द्रीय तेजस्विता के सामने दिखता नहीं है, वहाँ सेयफ़र्ट गैलेक्सियों में गैलेक्सी के अन्य भाग को स्पष्टता से देखा जा सकता है। पूरे ब्रह्माण्ड में देखी गई गैलेक्सियों में से लगभग १०% सेयफ़र्ट गैलेक्सियाँ हैं। सेयफ़र्ट गैलेक्सियों के केन्द्र में विशालकाय काले छिद्र होते हैं और उनके इर्द-गिर्द उनमें गिर रहे मलबे के अभिवृद्धि चक्र होते हैं। इनमें देखा गया पराबैंगनी विकिरण इन्हीं चक्रों से उत्पन्न होता है और इस विकिरण के वर्णक्रम को परखकर मलबे में सम्मिलित पदार्थ की पहचान की जा सकती है। इन गैलेक्सियों का नाम कार्ल सेयफ़र्ट नामक खगोलशास्त्री पर रखा गया था जिन्होंने सन् १९४३ में इस श्रेणी का विवरण दिया था। .
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खगोलभौतिक फौवारा
खगोलभौतिक फौवारा (astrophysical jet) एक खगोलीय परिघटना होती है जिसमें किसी घूर्णन करती हुई खगोलीय वस्तु के घूर्णन अक्ष की ऊपरी और निचली दिशाओं में आयनीकृत पदार्थ फौवारों में तेज़ गति से फेंका जाता है। कभी-कभी इन फौवारों में पदार्थ की गति प्रकाश की गति के समीप आने लगती है और यह आपेक्षिक फौवारे (relativistic jets) बन जाते हैं, जिनमें विशिष्ट आपेक्षिकता के प्रभाव दिखने लगते हैं।Morabito, Linda A.; Meyer, David (2012).
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खगोलशास्त्र से सम्बन्धित शब्दावली
यह पृष्ठ खगोलशास्त्र की शब्दावली है। खगोलशास्त्र वह वैज्ञानिक अध्ययन है जिसका सबंध पृथ्वी के वातावरण के बाहर उत्पन्न होने वाले खगोलीय पिंडों और घटनाओं से होता है। .
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