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कौसानी

सूची कौसानी

कौसानी से दृश्यमान हिमालय पर्वतशृंखला कौसानी, गरुङ तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के बागेश्वर जिले का एक गाँव है। भारत का खूबसूरत पर्वतीय पर्यटक स्‍थल कौसानी उत्तराखंड राज्‍य के अल्‍मोड़ा जिले से 53 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। यह बागेश्वर जिला में आता है। हिमालय की खूबसूरती के दर्शन कराता कौसानी पिंगनाथ चोटी पर बसा है। यहां से बर्फ से ढ़के नंदा देवी पर्वत की चोटी का नजारा बडा भव्‍य दिखाई देता हैं। कोसी और गोमती नदियों के बीच बसा कौसानी भारत का स्विट्जरलैंड कहलाता है। यहां के खूबसूरत प्राकृतिक नजारे, खेल और धार्मिक स्‍थल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। .

15 संबंधों: त्रिशूल पर्वत, नन्दा देवी पर्वत, नैनी सैनी विमानक्षेत्र, बागेश्वर जिला, रानीखेत, सानिउडियार, कांडा तहसील, सुमित्रानन्दन पन्त, सुकुंडा, सोमेश्वर, उत्तराखण्ड, गरुड़, उत्तराखण्ड, कुमाऊँ मोटर ओनर्स यूनियन लिमिटेड, कोशी नदी (उत्तराखण्ड), उत्तरायणी मेला, बागेश्वर, उत्तराखण्ड, उत्तराखण्ड में पर्यटन और तीर्थाटन

त्रिशूल पर्वत

त्रिशूल हिमालय की तीन चोटियों के समूह का नाम है, जो पश्चिमी कुमाऊं में स्थित हैं। यह उत्तराखंड राज्य के मध्य में बागेश्वर जिला के निकट हैं। ये नंदा देवी पर्वत से पश्चिम दक्षिण-पश्चिम दिशा में १५ कि॰मी॰ (९ मील) दूर नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान को घेरते हुए शिखरों के समूह का दक्षिण-पूर्वी भाग हैं। इन तीन शिखरों के कारण ही इनका नाम हिन्दू भगवान शिव के अस्त्र त्रिशूल का नाम दिया गया है। मुख्य शिखर त्रिशूल-१ की ऊंचाई ७००० मीटर (२२९७० फीट) है। यह शिखर ७००० मी.

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नन्दा देवी पर्वत

नन्दा देवी पर्वत भारत की दूसरी एवं विश्व की २३वीं सर्वोच्च चोटी है।। हिन्दुस्तान लाइव। १४ अक्टूबर २००९ इससे ऊंची व देश में सर्वोच्च चोटी कंचनजंघा है। नन्दा देवी शिखर हिमालय पर्वत शृंखला में भारत के उत्तरांचल राज्य में पूर्व में गौरीगंगा तथा पश्चिम में ऋषिगंगा घाटियों के बीच स्थित है। इसकी ऊंचाई ७८१६ मीटर (२५,६४३ फीट) है। इस चोटी को उत्तरांचल राज्य में मुख्य देवी के रूप में पूजा जाता है।। नवभारत टाइम्स। हरेन्द्र सिंह रावत इन्हें नन्दा देवी कहते हैं। नन्दादेवी मैसिफ के दो छोर हैं। इनमें दूसरा छोर नन्दादेवी ईस्ट कहलाता है। इन दोनों के मध्य दो किलोमीटर लम्बा रिज क्षेत्र है। इस शिखर पर प्रथम विजय अभियान में १९३६ में नोयल ऑडेल तथा बिल तिलमेन को सफलता मिली थी। पर्वतारोही के अनुसार नन्दादेवी शिखर के आसपास का क्षेत्र अत्यंत सुंदर है। यह शिखर २१००० फुट से ऊंची कई चोटियों के मध्य स्थित है। यह पूरा क्षेत्र नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया जा चुका है। इस नेशनल पार्क को १९८८ में यूनेस्को द्वारा प्राकृतिक महत्व की विश्व धरोहर का सम्मान भी दिया जा चुका है। .

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नैनी सैनी विमानक्षेत्र

नैनी सैनी विमानक्षेत्र उत्तराखण्ड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में स्थित है। इस हवाई अड्डे का निर्माण डौरनियर 228 नामक विमानों के लिए सन् 1991 में हुआ था। कुछ वर्षों पूर्व से उत्तराखण्ड सरकार इस हवाई अड्डे के आधुनिकीकरण की ओर अग्रसर है। .

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बागेश्वर जिला

बागेश्वर भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक जिला है, जिसके मुख्यालय बागेश्वर नगर में स्थित हैं। इस जिले के उत्तर तथा पूर्व में पिथौरागढ़ जिला, पश्चिम में चमोली जिला, तथा दक्षिण में अल्मोड़ा जिला है। बागेश्वर जिले की स्थापना १५ सितंबर १९९७ को अल्मोड़ा के उत्तरी क्षेत्रों से की गयी थी। २०११ की जनगणना के अनुसार रुद्रप्रयाग तथा चम्पावत के बाद यह उत्तराखण्ड का तीसरा सबसे कम जनसंख्या वाला जिला है। यह जिला धार्मिक गाथाओं, पर्व आयोजनों और अत्याकर्षक प्राकृतिक दृश्यों के कारण प्रसिद्ध है। प्राचीन प्रमाणों के आधार पर बागेश्वर शब्द को ब्याघ्रेश्वर से विकसित माना गया है। यह शब्द प्राचीन भारतीय साहित्य में अधिक प्रसिद्ध है। बागनाथ मंदिर, कौसानी, बैजनाथ, विजयपुर आदि जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। जिले में ही स्थित पिण्डारी, काफनी, सुन्दरढूंगा इत्यादि हिमनदों से पिण्डर तथा सरयू नदियों का उद्गम होता है। .

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रानीखेत

रानीखेत भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख पहाड़ी पर्यटन स्थल है। यह राज्य के अल्मोड़ा जनपद के अंतर्गत स्थित एक फौजी छावनी है। देवदार और बलूत के वृक्षों से घिरा रानीखेत बहुत ही रमणीक हिल स्टेशन है। इस स्थान से हिमाच्छादित मध्य हिमालयी श्रेणियाँ स्पष्ट देखी जा सकती हैं। रानीखेत से सुविधापूर्वक भ्रमण के लिए पिण्डारी ग्लेशियर, कौसानी, चौबटिया और कालिका पहुँचा जा सकता है। चौबटिया में प्रदेश सरकार के फलों के उद्यान हैं। इस पर्वतीय नगरी का मुख्य आकर्षण यहाँ विराजती नैसर्गिक शान्ति है। रानीखेत में फ़ौजी छावनी भी है और गोल्फ़ प्रेमियों के लिए एक सुन्दर पार्क भी है। १८६९ में ब्रिटिश सरकार ने कुमाऊं रेजिमेंट के मुख्यालय की स्थापना रानीखेत में की, और भारतीय गर्मियों से बचने के लिए हिल स्टेशन के रूप में इस नगर का प्रयोग किया जाने लगा। ब्रिटिश राज के दौरान एक समय में, यह शिमला के स्थान पर भारत सरकार के ग्रीष्मकालीन मुख्यालय के रूप में भी प्रस्तावित किया गया था। १९०० में इसकी गर्मियों की ७,७०५ जनसंख्या थी, और उसी साल की सर्दियों की जनसंख्या १९०१ में ३,१५३ मापी गई थी। स्वच्छ सर्वेक्षण २०१८ के अनुसार रानीखेत दिल्ली और अल्मोड़ा छावनियों के बाद भारत की तीसरी सबसे स्वच्छ छावनी है। .

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सानिउडियार, कांडा तहसील

सानिउडियार, कांडा तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के बागेश्वर जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

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सुमित्रानन्दन पन्त

सुमित्रानंदन पंत (२० मई १९०० - २९ दिसम्बर १९७७) हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। इस युग को जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' और रामकुमार वर्मा जैसे कवियों का युग कहा जाता है। उनका जन्म कौसानी बागेश्वर में हुआ था। झरना, बर्फ, पुष्प, लता, भ्रमर-गुंजन, उषा-किरण, शीतल पवन, तारों की चुनरी ओढ़े गगन से उतरती संध्या ये सब तो सहज रूप से काव्य का उपादान बने। निसर्ग के उपादानों का प्रतीक व बिम्ब के रूप में प्रयोग उनके काव्य की विशेषता रही। उनका व्यक्तित्व भी आकर्षण का केंद्र बिंदु था। गौर वर्ण, सुंदर सौम्य मुखाकृति, लंबे घुंघराले बाल, सुगठित शारीरिक सौष्ठव उन्हें सभी से अलग मुखरित करता था। .

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सुकुंडा

चारों ओर से बांज, बुरांश, काफल इत्यादि के वृक्षों से घिरा एक कुण्ड जो सुकुण्ड या सुकुण्डा नाम से जाना जाता है; उत्तराखंड के बागेश्वर जिले से लगभग 38 किलोमीटर उत्तर में पोथिंग नामक गाँव के समीप स्थित है। यह सुकुण्डा ताल इस गाँव के उत्तर पश्चिम में लगभग 5000 फीट की ऊंचाई पर एक पर्वत की चोटी पर स्थित है। सुकुण्ड या सुकुण्डा अपने आप ही अपने नाम का अर्थ बता देता है फिर भी मैं अल्प शब्दों में सुकुण्डा के बारे में बताना चाहूँगा। सुकुण्ड दो शब्दों 'सु' और 'कुण्ड' से मिलकर बना है। जिसका अर्थ होता है एक 'सुन्दर कुण्ड'। वास्तव में यह एक सुन्दर कुण्ड ही है। लोगों में मान्यता है कि हिमालय में निवास करने वाले सभी देवी-देवता यहाँ हर रोज प्रातःकाल स्नान हेतु आते हैं। चारों तरफ से जंगलों से घिरा होने पर भी इस कुण्ड में कहीं गन्दगी नहीं दिखाई देती। लोग कहते हैं कि जब इस कुण्ड में पेड़ों की कोई भी सूखी पत्ती गिर जाती है तो यहाँ पर निवास करने वाली पक्षियां इन पत्तियों को अपनी चोंच द्वारा बाहर निकाल देती हैं। जन-श्रुतियों के अनुसार इस कुण्ड का निर्माण महाभारत काल में बलशाली भीम द्वारा किया गया था। कहते हैं जब पांडव अज्ञातवास के समय यहाँ से गुजर रहे थे तो उन्हें यहाँ काफी प्यास लग गयी, दूर तक कहीं भी पानी का नामोनिशान नहीं था। तभी भीम ने अपनी गदा से इस चोटी पर प्रहार किया और एक कुण्ड (जलाशय) का निर्माण कर डाला। इसी कुण्ड से प्यासे पाण्डवों ने अपनी प्यास बुझाई थी। इसी कारण आज भी इस कुण्ड को धार्मिक दृष्टि से देखा जाता है। इस कुण्ड में स्नान करना, कुछ छेड़-छाड़ करना सख्त मना है। जहाँ यह कुण्ड स्थित है वहां का सम्पूर्ण क्षेत्र सुकुण्डा कहलाता है। सुकुण्डा एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित होने के कारण यहाँ से हिमालय की सम्पूर्ण पर्वत श्रृंखलाओं के दर्शन किये जा सकते हैं। भारत का स्विट्जर्लैंड कहा जाने वाला प्रसिद्द पर्यटक स्थल कौसानी और सुकुण्डा की ऊंचाई लगभग बराबर है। सुकुण्डा अभी तो शैलानियों की पहुँच से तो दूर है लेकिन वर्तमान में सुकुण्डा को एक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने भरपूर कोशिश की जा रही है। कपकोट और पोथिंग गाँव से सुकुण्डा को सड़क मार्ग द्वारा जोड़ने की योजना है। सरकार इस स्थल को विकसित करने का भरसक प्रयास करे तो निश्चित ही सुकुण्डा एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल के रूप में उभरकर विश्व पटल पर अपनी पहचान बनाएगा। श्रेणी:कपकोट तहसील, बागेश्वर जिला श्रेणी:उत्तराखण्ड के पर्यटन स्थल श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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सोमेश्वर, उत्तराखण्ड

सोमेश्वर उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोड़ा जनपद में स्थित एक कस्बा है। कोसी और साई नदियों के संगम पर स्थित सोमेश्वर अल्मोड़ा का एक प्रमुख कस्बा है, तथा इसी नाम की एक तहसील का मुख्यालय भी है। सोमेश्वर अल्मोड़ा के उत्तरी क्षेत्र के दर्जनों गांवों का प्रमुख बाजार है, और यहां करीब ३५० दुकानें हैं। यहां से होकर बागेश्वर, अल्मोड़ा, रानीखेत, द्वाराहाट तथा कौसानी आदि स्थानों को प्रतिदिन सैकड़ों वाहन आते जाते हैं। यहां एक ऐतिहासिक शिव मंदिर भी है। .

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गरुड़, उत्तराखण्ड

गरुड़ उत्तराखण्ड राज्य के बागेश्वर जनपद में स्थित एक कस्बा तथा बाजार है। यह गरुड़ तहसील का मुख्यालय भी है, जिसके अंतर्गत जनपद के कुल १९० ग्राम आते हैं। अल्मोड़ा-बैजनाथ-कर्णप्रयाग मार्ग पर स्थित गरुड़ बैजनाथ से लगभग १-१.५ किलोमीटर, कौसानी से १५ किलोमीटर, और बागेश्वर से लगभग २० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गरुड़ कस्बा एक घाटी के मध्य में गरुड़ गंगा के तट पर बसा है। गरुड़ में ही लतोलिया गधेरा गरुड़ गंगा में गिरता है। भूगर्भीय रूप से, क्षेत्र को कम हिमालयी टेक्टोनिक जोन द्वारा दर्शाया जाता है। .

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कुमाऊँ मोटर ओनर्स यूनियन लिमिटेड

हल्द्वानी के केमू स्टेशन में खड़ी बसें। कुमाऊँ मोटर ओनर्स यूनियन लिमिटेड (Kumaon Motor Owners Union Limited), जो अपने संक्षिप्त नाम के॰एम॰ओ॰यू॰ (K.M.O.U) या केमू से अधिक प्रसिद्ध है, उत्तराखण्ड के कुमाऊँ क्षेत्र में बस सेवा प्रदान करने वाली एक निजी कम्पनी है। १९३९ में १३ निजी कम्पनियों के विलय द्वारा अस्तित्व में आयी यह मोटर कम्पनी स्वतन्त्रता पूर्व कुमाऊँ क्षेत्र में बसें चलाने वाली एकमात्र बस कम्पनी थी। १९८७ तक यह इस क्षेत्र की सबसे बड़ी बस कम्पनी थी। .

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कोशी नदी (उत्तराखण्ड)

कोशी नदी उत्तर भारत की प्रमुख तथा पवित्र नदियों में से एक हैं। स्कंदपुराण के मानसखण्ड में इस नदी का उल्लेख कौशिकी के नाम से हुआ है। यह उत्तराखण्ड के कुमांऊॅं क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण नदी है। यह रामगंगा की सहायक नदी है। नदी के तट पर कैर तथा शीशम के जंगल पाए जाते हैं। कोशी नदी की लम्बाई १६८ किलोमीटर है तथा इसका अपवाह क्षेत्र लगभग ३४६ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। .

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उत्तरायणी मेला, बागेश्वर

उत्तरायणी मेला उत्तरांचल राज्य के बागेश्वर शहर में आयोजित होता है। तहसील व जनपद बागेश्वर के अन्तर्गत सरयू गोमती व सुष्प्त भागीरथी नदियों के पावन सगंम पर उत्तरायणी मेला बागेश्वर का भव्य आयोजन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन सगंम में स्नान करने से पाप कट जाते है बागेश्वर दो पर्वत शिखरों की उपत्यका में स्थित है इसके एक ओर नीलेश्वर तथा दूसरी ओर भीलेश्वर शिखर विद्यमान हैं बागेश्वर समुद्र तट से लगभग 960 मीटर की ऊचांई पर स्थित है। .

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उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड (पूर्व नाम उत्तरांचल), उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है जिसका निर्माण ९ नवम्बर २००० को कई वर्षों के आन्दोलन के पश्चात भारत गणराज्य के सत्ताइसवें राज्य के रूप में किया गया था। सन २००० से २००६ तक यह उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था। जनवरी २००७ में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया। राज्य की सीमाएँ उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी हैं। पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसकी सीमा से लगे राज्य हैं। सन २००० में अपने गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था। पारम्परिक हिन्दू ग्रन्थों और प्राचीन साहित्य में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखण्ड के रूप में किया गया है। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। राज्य में हिन्दू धर्म की पवित्रतम और भारत की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना के उद्गम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। देहरादून, उत्तराखण्ड की अन्तरिम राजधानी होने के साथ इस राज्य का सबसे बड़ा नगर है। गैरसैण नामक एक छोटे से कस्बे को इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है किन्तु विवादों और संसाधनों के अभाव के चलते अभी भी देहरादून अस्थाई राजधानी बना हुआ है। राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है। राज्य सरकार ने हाल ही में हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये कुछ पहल की हैं। साथ ही बढ़ते पर्यटन व्यापार तथा उच्च तकनीकी वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए आकर्षक कर योजनायें प्रस्तुत की हैं। राज्य में कुछ विवादास्पद किन्तु वृहत बाँध परियोजनाएँ भी हैं जिनकी पूरे देश में कई बार आलोचनाएँ भी की जाती रही हैं, जिनमें विशेष है भागीरथी-भीलांगना नदियों पर बनने वाली टिहरी बाँध परियोजना। इस परियोजना की कल्पना १९५३ मे की गई थी और यह अन्ततः २००७ में बनकर तैयार हुआ। उत्तराखण्ड, चिपको आन्दोलन के जन्मस्थान के नाम से भी जाना जाता है। .

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उत्तराखण्ड में पर्यटन और तीर्थाटन

उत्तराखण्ड में पर्यटन और तीर्थाटन इस राज्य में आय का प्रमुख स्रोत और यहाँ की अर्थव्यवस्था के सबसे महत्वपूर्ण घटकों में से एक है। उत्तराखण्ड में भारत के कुछ सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं जैसे नैनीताल, मसूरी, देहरादून, कौसानी इत्यादि। इसके अतिरिक्त यहाँ कुछ प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान भी हैं जैसे फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान, जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान, राजाजी राष्ट्रीय अभयारण्य, नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान इत्यादि। यह सब स्थल भी देश-विदेश के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। उत्तराखण्ड को देव भूमि के नाम से भी जाना जाता है। इसका कारण है कि यहाँ वैदिक संस्कृति के कुछ अति महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। उत्तराखण्ड के लगभग हर कोने में किसी ना किसी देवता या देवी का मन्दिर है। इस राज्य में भारत के सबसे प्रमुख धार्मिक नगरों में से एक हरिद्वार में प्रति वर्ष लाखों पर्यटक आते है। हरिद्वार के निकट स्थित ऋषिकेश भारत में योग क एक प्रमुख स्थल है और जो हरिद्वार के साथ मिलकर एक पवित्र हिन्दू तीर्थ स्थल है। इसके अतिरिक्त छोटा चारधाम भी इसी राज्य में स्थित हैं: केदारनाथ, गंगोत्री, बद्रीनाथ, यमुनोत्री तथा दूनागिरी। इन धामों की यात्रा के लिए भी प्रति वर्ष लाखों लोग देशभर से आते हैं। श्रेणी:उत्तराखण्ड में पर्यटन श्रेणी:उत्तराखण्ड के पर्यटन स्थल श्रेणी:उत्तराखण्ड में हिन्दू धर्म.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

कौसानी, गरुङ तहसील

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