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कैनेडी स्पेस सेंटर

सूची कैनेडी स्पेस सेंटर

जॉन एफ.

7 संबंधों: बोइंग एक्स-37, लूनर फ्लैशलाइट, स्पेस लांच सिस्टम, व्हीकल असेंबली बिल्डिंग, इनसैट-1बी, कैनेडी स्पेस सेंटर प्रक्षेपण परिसर 39, अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन

बोइंग एक्स-37

बोइंग एक्स-37 (Boeing X-37) जिसे ऑर्बिटल टेस्ट व्हेकल (ओटीवी) के रूप में भी जाना जाता है, एक पुन: प्रयोज्य मानवरहित अंतरिक्ष यान है। इसे एक प्रक्षेपण वाहन द्वारा अंतरिक्ष में भेजा जाता है तथा फिर यह पृथ्वी के वायुमंडल में दोबारा से प्रवेश करता है। और जमीन पर एक विमान की तरह लैंड होता है। एक्स-37, संयुक्त राज्य अमेरिका वायुसेना द्वारा पुन: प्रयोज्य अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करने के लिए कक्षीय अंतरिक्ष उड़ान मिशनों के लिए संचालित होता है। यह पहले के बोइंग एक्स-40 से 120% बड़ा है। 2004 में एक्स-37 अमेरिकी रक्षा विभाग में स्थानांतरित होने से पहले, 1999 में यह नासा परियोजना के रूप में शुरू हुआ था। इसकी पहली उड़ान 2006 में एक ड्रॉप टेस्ट के दौरान थी। अभी तक पाँच एक्स-37 कक्षीय मिशन किए गए है। अंतरिक्षयान का पहला मिशन यूएसए-212 अप्रैल 2010 में लॉन्च किया गया था और यह दिसंबर 2010 में पृथ्वी पर लौट आया था। दूसरा मिशन यूएसए-226 मार्च 2011 में लॉन्च किया गया था और यह जून 2012 में पृथ्वी पर लौट आया था। तीसरा मिशन, यूएसए-240 दिसंबर 2012 में लॉन्च हुआ और अक्टूबर 2014 में लौट आया। चौथा मिशन यूएसए-261 मई 2015 में लॉन्च हुआ और मई 2017 में लौट आया। पांचवीं और नवीनतम एक्स-37 मिशन को 7 सितंबर 2017 में लॉन्च किया गया था। .

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लूनर फ्लैशलाइट

लूनर फ्लैशलाइट (Lunar Flashlight) कम लागत वाली क्यूबसैट चन्द्र आर्बिटर मिशन है। इसे जेट प्रोपल्सन प्रयोगशाला, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय और मार्शल स्पेस फ्लाइट सेंटर की एक टीम द्वारा विकसित किया जा रहा है। यह नवंबर 2018 में प्रक्षेपण के लिए नासा उन्नत एक्सप्लोरेशन सिस्टम्स (एईएस) द्वारा 2015 में चुना गया था। .

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स्पेस लांच सिस्टम

स्पेस लांच सिस्टम (Space Launch System or SLS) एक अमेरिकी विकासाधीन प्रक्षेपण यान है। इसका प्रयोग अंतरिक्ष यात्रियों को चांद तथा मंगल की सतह पर उतारने में किया जायेगा। .

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व्हीकल असेंबली बिल्डिंग

व्हीकल असेंबली बिल्डिंग या उर्ध्वाधर असेंबली बिल्डिंग (Vehicle Assembly Building या VAB) नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर (KSC) में स्थित एक बड़ी इमारत है जो सैटर्न V और स्पेस शटल जैसे बड़े वाहनों को जोड़ने में प्रयोग की जाती हैं। भविष्य में इस इमारत में स्पेस लांच सिस्टम राकेट को भी जोड़ा जायेगा। इसका आयतन 36,64,883 घन मीटर (12,94,28,000 घन फीट) है जो इसे दुनिया की सबसे बड़ी इमारतों में से एक बनाता है। व्हीकल असेंबली बिल्डिंग दुनिया में सबसे बड़ी एकल मंजिला इमारत है और यह 1974 तक फ्लोरिडा में सबसे ऊंची इमारत (160.3 मीटर (526 फीट) थी और अब भी एक शहरी क्षेत्र के बाहर संयुक्त राज्य में सबसे ऊंची इमारत है। .

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इनसैट-1बी

इनसैट-1बी (INSAT-1B) एक भारतीय संचार उपग्रह था जो भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली का हिस्सा था। इसे 1983 में लॉंच किया गया था और 74 डिग्री पूर्व के रेखांश पर भूस्तरण कक्षा में संचालित किया गया था। इसे फोर्ड एयरोस्पेस द्वारा निर्मित किया गया था और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा संचालित किया गया था। इनसैट-1बी इनसैट-1 श्रृंखला के उपग्रहों के लिए विकसित कस्टम उपग्रह बस पर आधारित था। इसका लॉंच के समय 1,152 किलोग्राम (2,540 पाउंड) वजन था और इसकी सात साल तक काम करने की उम्मीद थी। अंतरिक्ष यान में सौर सरणी के द्वारा संचालित बारह सी बैंड और तीन एस बैंड ट्रांसपोंडर्स थे। स्थिरीकरण बूम का उपयोग उपग्रह के विषम डिजाइन से विकिरण टॉर्कों को संतुलित करने के लिए किया गया था। अंतरिक्षयान को आर-4 डी-11 एपोजी मोटर द्वारा चालित किया गया था। .

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कैनेडी स्पेस सेंटर प्रक्षेपण परिसर 39

प्रक्षेपण परिसर 39 (Launch Complex 39) कैनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा में स्थित राकेट प्रक्षेपण स्थल है। इसका प्रयोग सैटर्न V और स्पेस शटल जैसे राकेट लांच करने में हुआ था। इस प्रक्षेपण परिसर से ही मानव को चाँद पे भेजा गया था। तथा भविष्य में इस प्रक्षेपण परिसर का प्रयोग स्पेस लांच सिस्टम को लांच करने में होगा। .

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अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन

अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन या केन्द्र (संक्षेप में आईएसएस, अंग्रेज़ी: International Space Station इंटर्नॅशनल् स्पेस् स्टेशन्, ISS) बाहरी अन्तरिक्ष में अनुसंधान सुविधा या शोध स्थल है जिसे पृथ्वी की निकटवर्ती कक्षा में स्थापित किया है। इस परियोजना का आरंभ १९९८ में हुआ था और यह २०११ तक बन कर तैयार होगा। वर्तमान समय तक आईएसएस अब तक बनाया गया सबसे बड़ा मानव निर्मित उपग्रह होगा। आईएसएस कार्यक्रम विश्व की कई स्पेस एजेंसियों का संयुक्त उपक्रम है। इसे बनाने में संयुक्त राज्य की नासा के साथ रूस की रशियन फेडरल स्पेस एजेंसी (आरकेए), जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जेएएक्सए), कनाडा की कनेडियन स्पेस एजेंसी (सीएसए) और यूरोपीय देशों की संयुक्त यूरोपीयन स्पेस एजेंसी (ईएसए) काम कर रही हैं। इनके अतिरिक्त ब्राजीलियन स्पेस एजेंसी (एईबी) भी कुछ अनुबंधों के साथ नासा के साथ कार्यरत है। इसी तरह इटालियन स्पेस एजेंसी (एएसआई) भी कुछ अलग अनुबंधों के साथ कार्यरत है। पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित होने के बाद आईएसएस को नंगी आंखों से देखा जा सकेगा। यह पृथ्वी से करीब ३५० किलोमीटर ऊपर औसतन २७,७२४ किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से परिक्रमा करेगा और प्रतिदिन १५.७ चक्कर पूरे करेगा। पिछले आईएसएस में, जिसे नवंबर २००० में कक्षा में स्थापित किया गया था, के बाद से उसमें लगातार मानवीय उपस्थिति बनी हुई है। वर्तमान समय में इसमें तीन व्यक्तियों का स्थान है। भविष्य में इसमें छह व्यक्तियों के रहने लायक जगह बनेगी। अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष में स्थित एक वेधशाला के तौर पर कार्य करता है। अन्य अंतरिक्ष यानों के मुकाबले इसके कई फायदे हैं जिसमें इसमें रहने वाले एस्ट्रोनॉट्स को अधिक समय तक अंतरिक्ष में रहकर काम करने का मौका मिलता है। चित्र:ISS after STS-116 in December 2006.jpg|अन्तरराष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन खींचने अन्तरिक्ष यान डिस्कवरी से, 19 दिसम्बर, 2006 पर File:ISS_on_20_August_2001.jpg|२००१ में आई। एस.एस File:MLM_-_ISS_module.jpg|बहु-उद्देशीय मॉड्यूल File:Good Morning From the International Space Station.jpg|अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन से अमरीका पर चन्द्रोदय का दृश्य। .

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