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कृमिरोग

सूची कृमिरोग

कृमिरोग मनुष्य अथवा अन्य जानवरों के उदर में अथवा पेट में केंचुए जिसे कृमि भी कहते है से उत्पन्न रोग है। सामान्य हिन्दीभाषी लोग पेट में कीड़ी भी बोलते हैं। यह रोग मुख्यतः गंदगी से फैलता है गन्दी मृदा के संपर्क मे आने से भी यह रोग फैलता है। .

3 संबंधों: सुश्रुत संहिता, विपवारम, कृमिरोग (आयुर्वेद)

सुश्रुत संहिता

सुश्रुतसंहिता आयुर्वेद एवं शल्यचिकित्सा का प्राचीन संस्कृत ग्रन्थ है। सुश्रुतसंहिता आयुर्वेद के तीन मूलभूत ग्रन्थों में से एक है। आठवीं शताब्दी में इस ग्रन्थ का अरबी भाषा में 'किताब-ए-सुस्रुद' नाम से अनुवाद हुआ था। सुश्रुतसंहिता में १८४ अध्याय हैं जिनमें ११२० रोगों, ७०० औषधीय पौधों, खनिज-स्रोतों पर आधारित ६४ प्रक्रियाओं, जन्तु-स्रोतों पर आधारित ५७ प्रक्रियाओं, तथा आठ प्रकार की शल्य क्रियाओं का उल्लेख है। इसके रचयिता सुश्रुत हैं जो छठी शताब्दी ईसापूर्व काशी में जन्मे थे। सुश्रुतसंहिता बृहद्त्रयी का एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। यह संहिता आयुर्वेद साहित्य में शल्यतन्त्र की वृहद साहित्य मानी जाती है। सुश्रुतसंहिता के उपदेशक काशिराज धन्वन्तरि हैं, एवं श्रोता रूप में उनके शिष्य आचार्य सुश्रुत सम्पूर्ण संहिता की रचना की है। इस सम्पूर्ण ग्रंथ में रोगों की शल्यचिकित्सा एवं शालाक्य चिकित्सा ही मुख्य उद्देश्य है। शल्यशास्त्र को आचार्य धन्वन्तरि पृथ्वी पर लाने वाले पहले व्यक्ति थे। बाद में आचार्य सुश्रुत ने गुरू उपदेश को तंत्र रूप में लिपिबद्ध किया, एवं वृहद ग्रन्थ लिखा जो सुश्रुत संहिता के नाम से वर्तमान जगत में रवि की तरह प्रकाशमान है। आचार्य सुश्रुत त्वचा रोपण तन्त्र (Plastic-Surgery) में भी पारंगत थे। आंखों के मोतियाबिन्दु निकालने की सरल कला के विशेषज्ञ थे। सुश्रुत संहिता शल्यतंत्र का आदि ग्रंथ है। .

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विपवारम

The human whipworm (Trichuris trichiura or Trichocephalus trichiuris) is a round worm (a type of helminth) that causes trichuriasis (a type of helminthiasis which is one of the neglected tropical diseases) when it infects a human large intestine.

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कृमिरोग (आयुर्वेद)

आयुर्वेद में परजीवियों को 'कृमि' कहते हैं। आयुर्वेद में इनके तीन प्रकार कहे गये हैं-.

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