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कृंतक

सूची कृंतक

गिलहरी '''कैपीबारा''': सबसे बड़ा जीवित कृंतक प्राणी वर्तमान स्तनधारियों में सर्वाधिक सफल एवं समृद्ध गण कृंतक (Rodentia) का है, जिसमें १०१ जातियाँ जीवित प्राणियों की तथा ६१ जातियाँ अश्मीभूत (Fossilized) प्राणियों की रखी गई हैं। जहाँ तक जातियों का प्रश्न है, समस्त स्तनधारियों के वर्ग में लगभग ४,५०० जातियों के प्राणी आजकल जीवित पाए जाते हैं, जिनमें से आधे से भी अधिक (२,५०० के लगभग) जातियों के प्राणी कृंतकगण में ही आ जाते हैं। शेष २,००० जातियों के प्राणी अन्य २० गणों में आते हैं। इस गण में गिलहरियाँ, हिममूष (Marmots), उड़नेवाली गिलहरियाँ (Flyiug squirrels) श्वमूष, (Prairie dogs) छछूँदर (Musk rats), धानीमूष, (Pocket dogs) ऊद (Beavers), चूहे (Rats), मूषक (Mice), शाद्वलमूषक (Voles), जवितमूष (Gerbille), वेणमूषक (Bamboo rats), साही (Porcupines), बंटमूष (Guinea pigs), आदि स्तनधारी प्राणी आते हैं। पृथ्वी पर जहाँ भी प्राणियों का आवास संभव है वहाँ कृंतक अवश्य पाए जाते हैं। ये हिमालय पर्वत पर २०,००० फुट की ऊँचाई तक और नीचे समुद्र तल तक पाए जाते हैं। विस्तार में ये उष्णकटिबंध से लेकर लगभग ध्रुवीयप्रदेशों तक मिलते हैं। ये मरु स्थल उष्णप्रधान वर्षावन, दलदल और मीठे जलाशय-सभी स्थानों पर मिलते हैं: कोई समुद्री कृंतक अभी तक देखने में नहीं आया है। अधिकांश कृंतक स्थलचर हैं और प्राय: बिलों में रहते हैं, किंतु कुछेक जैसे गिलहरियाँ आदि, वृक्षाश्रयी हैं। कुछ कृंतक उड़ने का प्रयत्न भी कर रहे हैं, फलत: उड़नेवाली गिलहरियों का विकास हो चुका है। इसी प्रकार, यद्यपि अभी तक पूर्ण रूप से जलाश्रयी कृंतकों का विकास नहीं हो सका है, फिर भी ऊद तथा छछूँदर इस दिशा में पर्याप्त आगे बढ़ चुके हैं। .

सामग्री की तालिका

  1. 19 संबंधों: चूहा, नोंगखाइलेम वन्य जीवन अभयारण्य, फीया, बार्टेल उड़न गिलहरी, भारतीय सेही, मानव दाँत, मूषक, रंगबिरंगी उड़न गिलहरी, हायलोपीटीस, हंतावाइरस, हैम्स्टर, जेमीनेशन, खरगोश, गिलहरी, कश्मीर उड़न गिलहरी, कृन्तक दाँत, कीटनाशक, अफ़्गान उड़न गिलहरी, उड़न गिलहरी

चूहा

चूहा एक स्तनधारी प्राणी है। यह साधारणतः सभी देशों में विशेषकर उष्ण देशों में पाया जाता है। यह कपड़ा, सूटकेश आदि को काटकर बहुत हानि पहुँचाता है। शरीर बालों से आवृत एवं सिर, गर्दन, धड़ तथा पूँछ में विभक्त होता है। ऊपरी एवं निचली ओठ से घिरा रहता है। सिर में एक जोड़ा नेत्र, दो बाह्यकर्ण, धड़ में दो जोड़े पैर तथा स्तन होते हैं। नेत्र के ऊपर तथा किनारे में लंबे और कड़े बाल, जिन्हें मूँछ कहते हैं, ये स्पर्शेन्द्रिय का काम करते हैं। .

देखें कृंतक और चूहा

नोंगखाइलेम वन्य जीवन अभयारण्य

नोंगखाईलेम वन्य जीवन अभयारण्य मेघालय राज्य के री भोई जिले में लाईलाड ग्राम के निकट स्थित एक अभयारण्य है। यह पूर्वोत्तर भारत के सबसे सुन्दर एवं लोकप्रिय अभयारण्यों में से एक है। इसका विस्तार २९ किमी के क्षेत्र में है और यह यहां के पर्यटक गंतव्यों में अत्यन्त प्रसिद्ध स्थान है। यहां के वन्य जीवन में विविध प्रकार के पशु एवं पक्षी हैं जिनमें स्तनधारियों, एवियन, कृंतक, सरीसृप और कई अन्य प्रजातियां दिखाई देती हैं। वन्य जीवन के अलावा यहां का वन प्रदेश हरियाली एवं पादपों की ढेरों प्रजातियों से भी परिपूर्ण है। क्षेत्र के सबसे नीचे भूभाग लाइलाड ग्राम के निकट हैं जो सागर सतह से मात्र २०० मी पर स्थित हैं जबकि सबसे ऊंचे भाग पूर्वी एवं दक्षिणी हैं जिनकी अधिकतम ऊंचाई ९५० मी तक भी है। इस क्षेत्र को १९८१ मेंअभयारण्य घोषित किया गया था। .

देखें कृंतक और नोंगखाइलेम वन्य जीवन अभयारण्य

फीया

फीया या मारमोट (marmot) एक प्रकार की बड़ी गिलहरी होती है। इसकी १५ जातियाँ ज्ञात हैं जो सभी मारमोटा (marmota) जीववैज्ञानिक गण में आती हैं। कुछ जातियाँ पहाड़ी क्षेत्रों में रहती हैं, जैसे कि भारतीय उपमहाद्वीप के हिमालय, लद्दाख़ और देओसाई पठार; तिब्बत; यूरोप के ऐल्प्स पर्वत, कारपैथी पर्वत, पिरिनी पर्वत और अन्य क्षेत्र; उत्तर अमेरिका के रॉकी पर्वत, कास्केड पर्वत और अन्य क्षेत्र, इत्यादि। कुछ जातियाँ घासभूमि पसंद करती हैं और उत्तर अमेरिका की प्रेरी घासभूमि और एशिया व यूरोप की स्तेपी घासभूमि में निवास करती हैं। ध्यान दें कि उत्तर अमेरिका में मिलने वाला प्रेरी डॉग (prairie dog) देखने में इस से मिलता जुलता है लेकिन वह मारमोटा गण में शामिल नहीं और जीववैज्ञानिक दृष्टि से फीया नहीं माना जाता। .

देखें कृंतक और फीया

बार्टेल उड़न गिलहरी

बार्टेल उड़न गिलहरी (Bartel's flying squirrel), जिसका वैज्ञानिक नाम हायलोपीटीस बार्टेल्सी (Hylopetes bartelsi), एक प्रकार की उड़न गिलहरी है जो इण्डोनेशिया में पाई जाती है। जीववैज्ञानिक वर्गीकरण की दृष्टि से यह कृतंक (रोडेन्ट) गण के हायलोपीटीस वंश की सदस्य है। इसका प्राकृतिक पर्यावास उपोष्णकटिबन्ध और उष्णकटिबन्ध शुष्क वनों में होता है और इन वनों के कटने से इस जाति पर दबाव बन आया है। .

देखें कृंतक और बार्टेल उड़न गिलहरी

भारतीय सेही

भारतीय सेही एक कृंतक जानवर है। इसका फैलाव तुर्की, भूमध्य सागर से लेकर दक्षिण-पश्चिम तथा मध्य एशिया (अफ़गानिस्तान और तुर्कमेनिस्तान सहित) एवं दक्षिण एशिया (पाकिस्तान, भारत, नेपाल तथा श्रीलंका) और चीन तक में है। हिमालय में यह २,४०० मी.

देखें कृंतक और भारतीय सेही

मानव दाँत

दांत मुंह (या जबड़ों) में स्थित छोटे, सफेद रंग की संरचनाएं हैं जो बहुत से कशेरुक प्राणियों में पाया जाती है। दांत, भोजन को चीरने, चबाने आदि के काम आते हैं। कुछ पशु (विशेषत: मांसभक्षी) शिकार करने एवं रक्षा करने के लिये भी दांतों का उपयोग करते हैं। दांतों की जड़ें मसूड़ों से ढ़की होतीं हैं। दांत, अस्थियों (हड्डी) के नहीं बने होते बल्कि ये अलग-अलग घनत्व व कठोरता के ऊतकों से बने होते हैं। मानव मुखड़े की सुंदरता बहुत कुछ दंत या दाँत पंक्ति पर निर्भर रहती है। मुँह खोलते ही 'वरदंत की पंगति कुंद कली' सी खिल जाती है, मानो 'दामिनि दमक गई हो' या 'मोतिन माल अमोलन' की बिखर गई हो। दाड़िम सी दंतपक्तियाँ सौंदर्य का साधन मात्र नहीं बल्कि स्वास्थ्य के लिये भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। .

देखें कृंतक और मानव दाँत

मूषक

मूषक या मूष (mouse) एक छोटे आकार का कृंतक होता है जिसके नोकीला थूथन (मुँह), छोटे गोल कान और लगभग शरीर के जितनी लम्बी * श्रेणी:घुसपैठी स्तनधारी जातियाँ.

देखें कृंतक और मूषक

रंगबिरंगी उड़न गिलहरी

रंगबिरंगी उड़न गिलहरी (Particolored flying squirrel), जिसका वैज्ञानिक नाम हायलोपीटीस ऐल्बोनाइजर (Hylopetes alboniger), एक प्रकार की उड़न गिलहरी है जो भारत, भूटान, नेपाल, बंग्लादेश, बर्मा, युन्नान (चीन), थाइलैण्ड, वियतनाम और लाओस में पाई जाती है। जीववैज्ञानिक वर्गीकरण की दृष्टि से यह कृतंक (रोडेन्ट) गण के हायलोपीटीस वंश की सदस्य है। इसका प्राकृतिक पर्यावास उपोष्णकटिबन्ध और उष्णकटिबन्ध शुष्क वनों में होता है और इन वनों के कटने से इस जाति पर दबाव बन आया है। .

देखें कृंतक और रंगबिरंगी उड़न गिलहरी

हायलोपीटीस

हायलोपीटीस (Hylopetes) उड़न गिलहरियों का एक जीववैज्ञानिक वंश है। .

देखें कृंतक और हायलोपीटीस

हंतावाइरस

हंतावाइरस एक विषाणु है। हंटवायरस, बुन्याविरीडे परिवार में आरएनए वायरस हैं जो मनुष्य को मार सकते हैं। वे आम तौर पर कृन्तकों को संक्रमित करते हैं और इन मेजबानों में रोग का कारण नहीं बनते हैं। मानव कृन्तकों के मूत्र, लार, या मल के संपर्क के माध्यम से हांटावायरस से संक्रमित हो सकते हैं। श्रेणी:विषाणु.

देखें कृंतक और हंतावाइरस

हैम्स्टर

हैम्स्टर्स (Hamsters), क्रिसेटिना (Cricetinae) उपपरिवार से संबंधित कृंतक हैं। उपपरिवार में लगभग 25 प्रजातियां होती हैं जिन्हें छः या सात पीढ़ियों में वर्गीकृत किया गया है। फॉक्स, स्यू.

देखें कृंतक और हैम्स्टर

जेमीनेशन

जेमीनेशन दांतों की वह आसामान्यता है जिसमे २ दांत १ ही रोगाणु कोशिका से बनते है जिसके कारण रोगी के दांतों की संख्या भी ज्यादा हो जाती है! यह असामान्यता किसी भी प्राथमिक दांतों में या फिर पक्के दांतों में भी देखी जा सकती है! इस असामान्यता में १ विकसित होने वाली बड से २ दंत बन जाते है जो की १ ही कोशिका से जुड़े होते है! जिसके कारण दोनों दांतों की कोशीकाए जुड़ जाती है और अगर कभी भी दोनों में से एक भी दांत रोगिक होता है तो उस समय एक दांत के बदले दोनों ही दांतों को निकलने से ही उसका इलाज हो सकता है! जुड़े हुए दांतों के २ रूट कैनाल होते है और २ ही पल्प चैम्बर होते है! जेमीनेशन और फ्यूजन दोनों ही देखने में एक सामान लगते है पर दोनों में यह अंतर होता है की जेमीनेशन में १ रोगाणु कोशिका होती है परन्तु उससे २ दांत बनते है! जबकि फ्यूजन में रोगाणु कोशीकाए २ होती है और उनसे जुडके १ दांत बनता है! दोनों स्थितियों में कृंतक दांत ही ज्यादा प्रभावित होते है! .

देखें कृंतक और जेमीनेशन

खरगोश

ख़रघोश खरहारूपी गण के खरहादृष्ट कुल के, खरहा और पिका के साथ, छोटे स्तनधारी हैं। खनखरहा शशबिल में यूरोपीय ख़रगोश और उसके वंशज, पालतू ख़रगोश की दुनिया की ३०५ नस्ले शामिल हैं। सिल्वीखरहा में तेरह वन्य ख़रगोश शामिल हैं, जिनमें से सात कपासपुच्छ के प्रकार हैं। अंटार्कटिका को छोड़कर हर महाद्वीप पर परिचय में आया हुआ यूरोपीय ख़रगोश, दुनिया भर में एक जंगली शिकार प्राणी के रूप में और पशुधन और पालतू जानवर के पालतू रूप में परिचित है। पारिस्थितिकी और संस्कृतियों पर इसके व्यापक प्रभाव के साथ, खरगोश (या बनी) दुनिया के कई क्षेत्रों में, दैनिक जीवन का एक हिस्सा है- भोजन, कपड़ों और साथी के रूप में, और कलात्मक प्रेरणा के स्रोत के रूप में। वह लेपोरिडी परिवार का एक छोटा स्तनपायी है, जो विश्व के अनेक स्थानों में पाया जाता है। विश्व में खरगोश की आठ प्रजातियाँ पायी जाती हैं। खरगोश जंगलों, घास के मैदानों, मरुस्थलों तथा पानी वाले इलाकों में समूह में रहते हैं। अंगोरा ऊन खरगोश से प्राप्त होता है। ख़रगोश अपने दिमाग़ में हर जगह का नक़्शा बनाता है और उसको कोई चीज़ इधर से उधर होना पसंद नहीं होता है। .

देखें कृंतक और खरगोश

गिलहरी

गिलहरी की कई प्रजातियों में कालेपन की प्रावस्था पाई जाती है। संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा के बड़े हिस्से में शहरी क्षेत्रों में सर्वाधिक आसानी से देखी जा सकने वाली गिलहरियाँ पूर्वी ग्रे गिलहरियों का कालापन लिया हुआ एक रूप है। गिलहरियाँ छोटे व मध्यम आकार के कृन्तक प्राणियों की विशाल परिवार की सदस्य है जिन्हें स्कियुरिडे कहा जाता है। इस परिवार में वृक्षारोही गिलहरियाँ, भू गिलहरियाँ, चिम्पुंक, मार्मोट (जिसमे वुड्चक भी शामिल हैं), उड़न गिलहरी और प्रेइरी श्वान भी शामिल हैं। यह अमेरिका, यूरेशिया और अफ्रीका की मूल निवासी है और आस्ट्रेलिया में इन्हें दूसरी जगहों से लाया गया है। लगभग चालीस मिलियन साल पहले गिलहरियों को पहली बार, इयोसीन में साक्ष्यांकित किया गया था और यह जीवित प्रजातियों में से पर्वतीय ऊदबिलाव और डोरमाइस से निकट रूप से सम्बद्ध हैं। .

देखें कृंतक और गिलहरी

कश्मीर उड़न गिलहरी

कश्मीर उड़न गिलहरी (Kashmir flying squirrel), जिसका वैज्ञानिक नाम इओग्लाओकोमिस फ़िम्ब्रीऐटस (Eoglaucomys fimbriatus), एक प्रकार की उड़न गिलहरी है जो उत्तर भारत और पाकिस्तान में पाई जाती है। जीववैज्ञानिक वर्गीकरण की दृष्टि से यह कृतंक (रोडेन्ट) गण के स्क्यूरिडाए कुल की सदस्य है। इसका प्राकृतिक पर्यावास उपोष्णकटिबन्ध और उष्णकटिबन्ध शुष्क वनों में होता है और इन वनों के कटने से इस जाति पर दबाव बन आया है। .

देखें कृंतक और कश्मीर उड़न गिलहरी

कृन्तक दाँत

कृन्तक दाँत (incisor teeth) कई स्तनधारियों के मुँह में आगे की ओर उपस्थित दाँत होते हैं। मानवों में इनका प्रयोग आगे से खाने के टुकड़ों को पकड़ने व काटने के लिये करा जाता है। कुत्तों, बिल्लियों, बाघों में यह छोटे होते हैं और इनकी बजाए रदनक (canine) बड़े होते हैं। हाथियों में कृन्तक दाँत बहुत बड़े और चाप (आर्क) में मुड़े हुए होते हैं और हाथियों की एक बड़ी पहचान हैं। चूहों जैसे कृन्तक (rodent) प्राणियों में यह दाँत उभरे हुए होते हैं और कुतरने के काम आते हैं - इन प्राणियों के जीववैज्ञानिक गण का हिन्दी नाम ही इन्हीं दाँतों पर रखा गया है। .

देखें कृंतक और कृन्तक दाँत

कीटनाशक

क्रॉपडस्टर द्वारा कीटनाशक का छिड़काव कीटनाशक रासायनिक या जैविक पदार्थों का ऐसा मिश्रण होता है जो कीड़े मकोड़ों से होनेवाले दुष्प्रभावों को कम करने, उन्हें मारने या उनसे बचाने के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग कृषि के क्षेत्र में पेड़ पौधों को बचाने के लिए बहुतायत से किया जाता है। उर्वरक पौध की वृद्धि में मदद करते हैं जबकि कीटनाशक कीटों से रक्षा के उपाय के रूप में कार्य करते हैं। कीटनाशक कीट की क्षति को रोकने, नष्‍ट करने, दूर भगाने अथवा कम करने वाला पदार्थ अथवा पदार्थों का मिश्रण होता है। कीटनाशक रसायनिक पदार्थ (फासफैमीडोन, लिंडेन, फ्लोरोपाइरीफोस, हेप्‍टाक्‍लोर तथा मैलेथियान आदि) अथवा वाइरस, बैक्‍टीरिया, कीट भगाने वाले खर-पतवार तथा कीट खाने वाले कीटों, मछली, पछी तथा स्‍तनधारी जैसे जीव होते हैं। बहुत से कीटनाशक मानव के लिए जहरीले होते हैं। सरकार ने कुछ कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगा दिया है जबकि अन्‍य के इस्‍तेमाल को विनियमित (रेगुलेट) किया गया है। .

देखें कृंतक और कीटनाशक

अफ़्गान उड़न गिलहरी

अफ़्गान उड़न गिलहरी (Afghan flying squirrel), जिसका वैज्ञानिक नाम इओग्लाओकोमिस फ़िम्ब्रीऐटस बाबेरी (Eoglaucomys fimbriatus baberi), एक प्रकार की उड़न गिलहरी है जो अफ़्ग़ानिस्तान में पाई जाती है। यह भारत में मिलने वाली कश्मीर उड़न गिलहरी की उपजाति है। जीववैज्ञानिक वर्गीकरण की दृष्टि से यह कृतंक (रोडेन्ट) गण के स्क्यूरिडाए कुल की सदस्य है। यह अफ़्ग़ानिस्तान में बहुत स्थानों में मिलती है और इसे संकटमुक्त माना जाता है। .

देखें कृंतक और अफ़्गान उड़न गिलहरी

उड़न गिलहरी

उड़न गिलहरी (Flying squirrel), जो वैज्ञानिक भाषा में टेरोमायनी (Pteromyini) या पेटौरिस्टाइनी (Petauristini) कहलाये जाते हैं, कृंतक (रोडेंट, यानि कुतरने वाले जीव) के परिवार के जंतु हैं जो पाल-उड़ान (ग्लाइडिंग) की क्षमता रखते हैं। इनकी विश्व भर में ४४ जीववैज्ञानिक जातियाँ हैं जिनमें १२ जातियाँ भारत में पाई जाती हैं। .

देखें कृंतक और उड़न गिलहरी

कृन्तक के रूप में भी जाना जाता है।