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कुमारजीव

सूची कुमारजीव

कुमारजीव (344 ई – 413 ई) एक भारतीय बौद्ध भिक्षु थे जो चीन में जाकर बस गये, जहाँ उन्होंने संस्कृत के बौद्ध ग्रन्थों का चीनी भाषा में अनुवाद किया। .

6 संबंधों: चीन में हिन्दू धर्म, दशभूमीश्वर, वृहद भारत, कूचा राज्य, अमिताभ बुद्ध, ५वीं शताब्दी ईसा

चीन में हिन्दू धर्म

हिन्दू उत्कीर्णन, च्वानजो संग्रहालय। ये चित्र होली के समारोह के लिए नरसिंह कथा वर्णन करता है। चीन में हिंदू धर्म का अभ्यास अल्पसंख्यक चीनी नागरिकों द्वारा होता है। आधुनिक चीनी मुख्यधारा में हिन्दू धर्म की उपस्थिति अपने आप में बहुत ही सीमित, परन्तु पुरातात्विक साक्ष्य से पता चलता है कि, मध्ययुगीन चीन के विभिन्न प्रांतों में हिंदू धर्म की उपस्थिति थी। Huang Xinchuan (1986), Hinduism and China, in Freedom, Progress, and Society (Editors: Balasubramanian et al. चीन के अपने इतिहास से अधिक बौद्ध धर्म के विस्तार से सम्पूर्ण देश में हिंदू प्रभाव अवशोषित हुआ। भारती की वैदिक काल से चली आ रही वास्तविक परम्परायें चीन में लोकप्रिय है, जैसे कि योग और ध्यान।  हिंदू समुदाय विशेष रूप से अय्यवोले और मनिग्रामम् के तमिल व्यापारी मंडली के माध्यम से, एक बार मध्यकालीन दक्षिण चीन में प्रतिष्ठित हुआ। इसका प्रमाण दक्षिण पूर्व चीन के च्वानजो और फ़ुज़ियान प्रांत के काई-यु-आन-मंदिर जैसे स्थानों में प्रात हो रहे हिन्दू रूपांकनों और मंदिरों से मिलता है।John Guy (2001), The Emporium of the World: Maritime Quanzhou 1000-1400 (Editor: Angela Schottenhammer), ISBN 978-9004117730, Brill Academic, pp. 294-308 हाँग काँग में हिन्दू आप्रवासीयों (immigrant) का छोटा समूदाय अस्तित्व में है। .

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दशभूमीश्वर

दशभूमीश्वर, महायान बौद्ध साहित्य का एक विशिष्ट पारिभाषिक शब्द जिसका आधार "दशभूमिक" नामक ग्रंथ है। यह महासांधिकों की लोकोत्तरवादी शाखा का ग्रंथ है जिसका सर्वप्रथम उल्लेख आचार्य नागार्जुन ने अपनी "प्रज्ञापारमिता शास्त्र" की व्याख्या में किया है। नागार्जुन द्वारा उल्लिखित यह ग्रंथ अपने जापानी रूपांतर "जुजि-क्यो" के रूप मे सुरक्षित रहा है जो वस्तुत: "अवतंशक साहित्य" (जापानी, ऊ के गान) के अंतर्गत है। जापानी में अवतंशक साहित्य की अवतारण आचार्य बुद्धभद्र (उत्तर भारत) ने पूर्वी शिन काल (418-520 ई.) में की थी। दशभूमिक के दो भाषांतर प्रसिद्ध हैं -.

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वृहद भारत

'''वृहद भारत''': केसरिया - भारतीय उपमहाद्वीप; हल्का केसरिया: वे क्षेत्र जहाँ हिन्दू धर्म फैला; पीला - वे क्षेत्र जिनमें बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ वृहद भारत (Greater India) से अभिप्राय भारत सहित उन अन्य देशों से है जिनमें ऐतिहासिक रूप से भारतीय संस्कृति का प्रभाव है। इसमें दक्षिणपूर्व एशिया के भारतीकृत राज्य मुख्य रूप से शामिल है जिनमें ५वीं से १५वीं सदी तक हिन्दू धर्म का प्रसार हुआ था। वृहद भारत में मध्य एशिया एवं चीन के वे वे भूभाग भी सम्मिलित किये जा सकते हैं जिनमे भारत में उद्भूत बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ था। इस प्रकार पश्चिम में वृहद भारत कीघा सीमा वृहद फारस की सीमा में हिन्दुकुश एवं पामीर पर्वतों तक जायेगी। भारत का सांस्कृतिक प्रभाव क्षेत्र .

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कूचा राज्य

कूचा (Kucha या Kuqa) या कूचे या कूचार या (संस्कृत में) कूचीन मध्य एशिया की तारिम द्रोणी में तकलामकान रेगिस्तान के उत्तरी छोर पर और मुज़ात नदी से दक्षिण में स्थित एक प्राचीन राज्य का नाम था जो ९वीं शताब्दी ईसवी तक चला। यह तुषारी लोगों का राज्य था जो बौद्ध धर्म के अनुयायी थे और हिन्द-यूरोपी भाषा-परिवार की तुषारी भाषाएँ बोलते थे। कूचा रेशम मार्ग की एक शाखा पर स्थित था जहाँ से इसपर भारत, सोग़्दा, बैक्ट्रिया, चीन, ईरान व अन्य क्षेत्रों का बहुत प्रभाव पड़ा। आगे चलकर यह क्षेत्र तुर्की-मूल की उईग़ुर ख़ागानत के क़ब्ज़े में आ गया और कूचा राज्य नष्ट हो गया। .

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अमिताभ बुद्ध

बौद्ध धर्म के महायान संप्रदाय के अनुसार अमिताभ बुद्ध वर्तमान जगत् के अभिभावक तथा अधीश्वर बुद्ध का नाम है। 'अमिताभ' मुख्य बुद्ध हैं जिनकी महायान की जापान और चीन में प्रचलित 'पवित्र भूमि' शाखा में मान्यता प्राप्त है। इन्हें तिब्बत में प्रचलित वज्रयान शाखा में भी माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार अमिताभ बुद्ध अपने अनगिनत पिछले जन्मों में 'धर्मकार' नामक बोधिसत्व थे जिन्होनें इतने अच्छे काम किये की इनके पुण्यों की पूँजी असीम है। 'अमिताभ' शब्द 'अमित' और 'आभ/आभा' को जोड़कर बना है और इसका अर्थ है 'अनंत प्रकाश'।, Kathy Zaun, Lorenz Educational Press, ISBN 978-0-7877-8193-4, Pages 26-27 इस संप्रदाय का यह मंतव्य है कि स्वयंभू आदिबुद्ध की ध्यानशक्ति की पाँच क्रियाओं के द्वारा पाँच ध्यानी बुद्धों की उत्पति होती है। उन्हीं में अन्यतम ध्यानी बुद्ध अमिताभ हैं। अन्य ध्यानी बुद्धों के नाम हैं- बेरोचन, अक्षोभ्य, रत्नसंभव तथा अमोघसिद्धि। आदिबुद्ध के समान इनके भी मंदिर नेपाल में उपलब्ध हैं। बौद्धों के अनुसार तीन जगत् तो नष्ट हो चुके हैं और आजकल चतुर्थ जगत् चल रहा है। अमिताभ ही इस वर्तमान जगत् के विशिष्ट बुद्ध हैं जो इसके अधिपति (नाथ) तथा विजेता (जित) माने गए हैं। .

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५वीं शताब्दी ईसा

ईसवी संवत के जूलियन कैलेंडर के अनुसार ४०१ से ५०० तक की अवधि के समय को ५वीं शताब्दी ईसा कहा जाता है। .

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