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कुकुरमुत्ता (कवक)

सूची कुकुरमुत्ता (कवक)

कुकुरमुत्ता कुकुरमुत्ता (मशरूम) एक प्रकार का कवक है, जो बरसात के दिनों में सड़े-गले कार्बनिक पदार्थ पर अनायास ही दिखने लगता है। इसे या खुम्ब, 'खुंबी' या मशरूम भी कहते हैं। यह एक मृतोपजीवी जीव है जो हरित लवक के अभाव के कारण अपना भोजन स्वयं संश्लेषित नहीं कर सकता है। इसका शरीर थैलसनुमा होता है जिसको जड़, तना और पत्ती में नहीं बाँटा जा सकता है। खाने योग्य कुकुरमुत्तों को खुंबी कहा जाता है। 'कुकुरमुत्ता' दो शब्दों कुकुर (कुत्ता) और मुत्ता (मूत्रत्याग) के मेल से बना है, यानि यह कुत्तों के मूत्रत्याग के परिणामस्वरूप उत्पन्न होता है। ऐसी मान्यता भारत के कुछ इलाकों में प्रचलित है, किन्तु यह बिलकुल गलत धारणा है। .

16 संबंधों: डंठल (कवक-विज्ञान), पिज़्ज़ा, पुआल मशरूम, फफूंद, मेघालय, यकृत शोथ, रिशी खुम्ब, सब्ज़ी, जाति (जीवविज्ञान), विषाक्त पादप, खाद्य खुम्ब, गैनोडर्मा, इन्फेक्टेड मशरूम, कवक-विज्ञान, कुकुरमुत्ता, छत्रक (कवक-विज्ञान)

डंठल (कवक-विज्ञान)

कवक-विज्ञान में डंठल या छत्रिकावृंत किसी कुकुरमुत्ते का वह भाग होता है जो उसके छत्रक को सहारा देता है। .

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पिज़्ज़ा

पिज़्ज़ा (इतालवी Pizza) भट्टी में बनाए जानी वाली चपटी ब्रेड होती है, जीसे मुख्यतः टमाटर की चटनी, चीज़ और अन्य विविध टॉपिंग के साथ परोसा जाता है। इसकी उत्पत्ती इटली में हुई और अब यह विश्वभर में लोकप्रिय है। .

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पुआल मशरूम

पुआल मशरूम पुआल मशरूम (वैज्ञानिक नाम: Volvariella volvacea) एक प्रकार का खाद्य मशरूम है। पूर्वी एशिया तथा दक्षिण पूर्व एशिया में इसकी खेती की जाती है। भारत में इसे 'चीनी मशरूम' भी कहा जाता है। .

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फफूंद

"आर्मिलेरिया ओस्टोयी" नामक कवक फफूंद या कवक एक प्रकार के पौधे हैं जो अपना भोजन सड़े गले म्रृत कार्बनिक पदार्थों से प्राप्त करते हैं। ये संसार के प्रारंभ से ही जगत में उपस्थित हैं। इनका सबसे बड़ा लाभ इनका संसार में अपमार्जक के रूप में कार्य करना है। इनके द्वारा जगत में से कचरा हटा दिया जाता है। कवक (फंगस, Fungus) जीवों का एक विशाल समुदाय है जिसे साधारणतया वनस्पतियों में वर्गीकृत किया जाता है। इस वर्ग के सदस्य पर्णहरिम (chlorophyll) रहित होते हैं और इनमें प्रजनन बीजाणुओं (spore) द्वारा होता है। ये सभी सूकाय (thalloid) वनस्पतियाँ हैं, अर्थात् इनके शरीर के ऊतकों (tissues) में कोई भेदकरण नहीं होता; दूसरे शब्दों में, इनमें जड़, तना और पत्तियाँ नहीं होतीं तथा इनमें अधिक प्रगतिशील पौधों की भाँति संवहनीयतंत्र (vascular system) नहीं होता। पहले इस प्रकार के सभी जीव एक ही वर्ग कवक के अंतर्गत परिगाणित होते थे, परंतु अब वनस्पति विज्ञानविदों ने कवक वर्ग के अतिरिक्त दो अन्य वर्गों की स्थापना की है जिनमें क्रमानुसार जीवाणु (bacteria) और श्लेष्मोर्णिका (slime mold) हैं। जीवाणु एककोशीय होते हैं जिनमें प्रारूपिक नाभिक (typical nucleus) नहीं होता तथा श्लेष्मोर्णिक की बनावट और पोषाहार (nutrition) जंतुओं की भाँति होता है। कवक अध्ययन के विज्ञान को कवक विज्ञान (mycology) कहते हैं। कुछ लोगों का मत है कि कवक की उत्पत्ति शैवाल (algae) में पर्णहरिम की हानि होने से हुई है। यदि वास्तव में ऐसा हुआ है तो कवक को पादप सृष्टि (Plant kingdom) में रखना उचित ही है। दूसरे लोगों का विश्वास है कि इनकी उत्पत्ति रंगहीन कशाभ (flagellata) या प्रजीवा (protozoa) से हुई है जो सदा से ही पर्णहरिम रहित थे। इस विचारधारा के अनुसार इन्हें वानस्पतिक सृष्टि में न रखकर एक पृथक सृष्टि में वर्गीकृत किया जाना चाहिए। वास्तविक कवक के अंतर्गत कुछ ऐसी परिचित वस्तुएँ आती हैं, जैसे गुँधे हुए आटे (dough) से पावरोटी बनाने में सहायक एककोशीय खमीर (yeast), बासी रोटियों पर रूई की भाँति उगा फफूँद, चर्म को मलिन करनेवाले दाद के कीटाणु, फसल के नाशकारी रतुआ तथा कंडुवा (rust and smut) और खाने योग्य एव विषैली कुकुरमुत्ते या खुंभियाँ (mushrooms)। .

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मेघालय

मेघालय पूर्वोत्तर भारत का एक राज्य है। इसका अर्थ है बादलों का घर। २०१६ के अनुसार यहां की जनसंख्या ३२,११,४७४ है। मेघालय का विस्तार २२,४३० वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में है, जिसका लम्बाई से चौडाई अनुपात लगभग ३:१ का है। IBEF, India (2013) राज्य का दक्षिणी छोर मयमनसिंह एवं सिलहट बांग्लादेशी विभागों से लगता है, पश्चिमी ओर रंगपुर बांग्लादेशी भाग तथा उत्तर एवं पूर्वी ओर भारतीय राज्य असम से घिरा हुआ है। राज्य की राजधानी शिलांग है। भारत में ब्रिटिश राज के समय तत्कालीन ब्रिटिश शाही अधिकारियों द्वारा इसे "पूर्व का स्काटलैण्ड" की संज्ञा दी थी।Arnold P. Kaminsky and Roger D. Long (2011), India Today: An Encyclopedia of Life in the Republic,, pp.

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यकृत शोथ

हेपाटाइटिस या यकृत शोथ यकृत को हानि पहुंचाने वाला एक गंभीर और खतरनाक रोग होता है। इसका शाब्दिक अर्थ ही यकृत को आघात पहुंचना है। यह नाम प्राचीन ग्रीक शब्द हेपार (ἧπαρ), मूल शब्द हेपैट - (ἡπατ-) जिसका अर्थ यकृत और प्रत्यय -आइटिस जिसका अर्थ सूज़न है, से व्युत्पन्न है। इसके प्रमुख लक्षणों में अंगो के उत्तकों में सूजी हुई कोशिकाओं की उपस्थिति आता है, जो आगे चलकर पीलिया का रूप ले लेता है। यह स्थिति स्वतः नियंत्रण वाली हो सकती है, यह स्वयं ठीक हो सकता है, या यकृत में घाव के चिह्न रूप में विकसित हो सकता है। हैपेटाइटिस अतिपाती हो सकता है, यदि यह छः महीने से कम समय में ठीक हो जाये। अधिक समय तक जारी रहने पर चिरकालिक हो जाता है और बढ़ने पर प्राणघातक भी हो सकता है।। हिन्दुस्तान लाइव। १८ मई २०१० हेपाटाइटिस विषाणुओं के रूप में जाना जाने वाला विषाणुओं का एक समूह विश्व भर में यकृत को आघात पहुंचने के अधिकांश मामलों के लिए उत्तरदायी होता है। हेपाटाइटिस जीवविषों (विशेष रूप से शराब (एल्कोहोल)), अन्य संक्रमणों या स्व-प्रतिरक्षी प्रक्रिया से भी हो सकता है। जब प्रभावित व्यक्ति बीमार महसूस नहीं करता है तो यह उप-नैदानिक क्रम विकसित कर सकता है। यकृत यानी लिवर शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। वह भोजन पचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शरीर में जो भी रासायनिक क्रियाएं एवं परिवर्तन यानि उपापचय होते हैं, उनमें यकृत विशेष सहायता करता है। यदि यकृत सही ढंग से अपना काम नहीं करता या किसी कारण वे काम करना बंद कर देता है तो व्यक्ति को विभिन्न प्रकार के रोग हो सकते हैं। जब रोग अन्य लक्षणों के साथ-साथ यकृत से हानिकारक पदार्थों के निष्कासन, रक्त की संरचना के नियंत्रण और पाचन-सहायक पित्त के निर्माण में संलग्न यकृत के कार्यों में व्यवधान पहुंचाता है तो रोगी की तबीयत ख़राब हो जाती है और वह रोगसूचक हो जाता है। ये बढ़ने पर पीलिया का रूफ लेता है और अंतिम चरण में पहुंचने पर हेपेटाइटिस लिवर सिरोसिस और यकृत कैंसर का कारण भी बन सकता है। समय पर उपचार न होने पर इससे रोगी की मृत्यु तक हो सकती है। .

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रिशी खुम्ब

रिशी खुम्ब (reishi mushroom) गैनोडर्मा प्रजाति का एक खुम्ब है। .

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सब्ज़ी

तिब्बत के ल्हासा शहर में सब्ज़ियों की एक मंडी कुछ सब्ज़ियाँ सब्ज़ी किसी पौधे के खाए जाने वाले हिस्से को बोलते हैं, हालाँकि बीजों और मीठे फलों को आम-तौर से सब्ज़ी नहीं बुलाया जाता। खाए जाने वाले पत्ते, तने, डंठल और जड़े अक्सर सब्ज़ी बुलाए जाते हैं। सांस्कृतिक नज़रिए से 'सब्ज़ी' की परिभाषा स्थानीय प्रथा के हिसाब से बदलती है। उदाहरण के लिए बहुत से लोग कुकुरमुत्तों (मशरूमों) को सब्ज़ी मानते हैं (हालाँकि जीववैज्ञानिक दृष्टि से यह पौधे नहीं समझे जाते) जबकि अन्य लोगों के अनुसार यह सब्ज़ी नहीं बल्कि एक अन्य खाने की श्रेणी है। कुछ सब्ज़ियाँ कच्ची खाई जा सकती हैं जबकि अन्य सब्ज़ियों को पकाना पड़ता है। आम-तौर पर सब्ज़ियों को नमक या खट्टाई के साथ पकाया जाता है लेकिन कुछ सब्ज़ियाँ ऐसी भी हैं जिन्हें चीनी के साथ पकाकर उनकी मिठाई या हलवे बनाए जाते हैं (मसलन गाजर)। .

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जाति (जीवविज्ञान)

जाति (स्पीशीज़) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण की सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी है जाति (अंग्रेज़ी: species, स्पीशीज़) जीवों के जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी होती है। जीववैज्ञानिक नज़रिए से ऐसे जीवों के समूह को एक जाति बुलाया जाता है जो एक दुसरे के साथ संतान उत्पन्न करने की क्षमता रखते हो और जिनकी संतान स्वयं आगे संतान जनने की क्षमता रखती हो। उदाहरण के लिए एक भेड़िया और शेर आपस में बच्चा पैदा नहीं कर सकते इसलिए वे अलग जातियों के माने जाते हैं। एक घोड़ा और गधा आपस में बच्चा पैदा कर सकते हैं (जिसे खच्चर बुलाया जाता है), लेकिन क्योंकि खच्चर आगे बच्चा जनने में असमर्थ होते हैं, इसलिए घोड़े और गधे भी अलग जातियों के माने जाते हैं। इसके विपरीत कुत्ते बहुत अलग आकारों में मिलते हैं लेकिन किसी भी नर कुत्ते और मादा कुत्ते के आपस में बच्चे हो सकते हैं जो स्वयं आगे संतान पैदा करने में सक्षम हैं। इसलिए सभी कुत्ते, चाहे वे किसी नसल के ही क्यों न हों, जीववैज्ञानिक दृष्टि से एक ही जाति के सदस्य समझे जाते हैं।, Sahotra Sarkar, Anya Plutynski, John Wiley & Sons, 2010, ISBN 978-1-4443-3785-3,...

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विषाक्त पादप

एक विषाक्त खर-पतवार खाने के बाद ७०० पशु रातोरात मर गये साधारणत: विषाक्त पादप (Poisonous plant) ऐसे पौधे होते हैं जिनका समस्त अथवा थोड़ा अंश किसी भी दशा में खा लेने पर, किसी किसी में केवल स्पर्शमात्र से भी, हानिकारक परिस्थिति पैदा हो जाती है। इसके फलस्वरूप तत्काल मृत्यु हो सकती है। विषाक्त पौधों में निश्चित रूप से विषैले पदार्थ रहते हैं। विषैले पदार्थ कई रासायनिक तत्वों के सम्मिश्रण से बने होते हैं। ऐसे पदार्थ 1.

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खाद्य खुम्ब

श्वेत खुम्बी सबसे सामान्य खाने योग्य खुम्ब है। किन्तु इसके अलावे अनेकानेक प्रकार की खुम्बियाँ खाने योग्य होती हैं। खाद्य खुम्बी, वे खुम्बियाँ हैं जिन्हें भोजन के रूप में प्रयुक्त कर सकते हैं। इनमें से कुछ जमीन के नीचे रहतीं हैं जबकि कुछ जमीन के बाहर। 'खाने योग्य' का अर्थ यह है कि इनमें विषैले पदार्थ नहीं होते तथा आवश्यक स्वाद एवं गन्ध होती है। श्रेणी:खाद्य पदार्थ.

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गैनोडर्मा

रिशी या गैनोडर्मा (Ganoderma) खुम्ब की एक जाति है जो लकड़ी पर उगती है। इसके अन्तर्गत लगभग ८० प्रजातियाँ हैं जिसमें से अधिकांश उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में पैदा होतीं है। इनका उपयोग परम्परागत एशियायी चिकित्सा में होता है जिसके कारण ये आर्थिक रूप से अति महत्वपूर्ण हैं। .

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इन्फेक्टेड मशरूम

""इन्फेक्टेड मशरूम"" एक इजरायली इलेक्ट्रॉनिका की जोड़ी हे जिसमे.

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कवक-विज्ञान

मशरूम वास्तव में कवक (फंगस) के जनन की संरचना हैं। कवक विज्ञान (अँग्रेजी: Mycology) कवक प्रजाति का ज्ञान (विज्ञान) है, जिसमें उनकी जैव-रसायनीय विशेषताओं का, अनुवांशिक विशेषताओं आदि की एवं मानव के कल्याण हेतु आयुर्विज्ञान आदि हेतु अनुसन्धान किया जाता है।कवक पर्णहरिमरहित होते हैं| इनमें जड तना पत्ती नही होती है|ये परजीवी अथवा मृतजीवी होते हैं|और बीजाणुओं द्वारा जनन करते हैं|कुछ कवक सहजीवी भी होते हैं .

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कुकुरमुत्ता

यह एक बहुअर्थी शब्द है।.

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छत्रक (कवक-विज्ञान)

कवक-विज्ञान में किसी कुकुरमुत्ते का सबसे ऊपरी भाग जो किसी टोपी के समान होता है, उसे छत्रक (Pileus) कहते हैं। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

मशरूम, खुम्ब, कुकुरमुत्तों, छत्रक

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