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कार्बनिक रसायन

सूची कार्बनिक रसायन

कार्बनिक रसायन रसायन विज्ञान की एक प्रमुख शाखा है, दूसरी प्रमुख शाखा है - अकार्बनिक रसायन। कार्बनिक रसायन का सम्बन्ध मुख्यतः कार्बन और हाइड्रोजन के अणुओं वाले रासायनिक यौगिकों के संरचना, गुणधर्म, रासायनिक अभिक्रियाओं एवं उनके निर्माण (संश्लेषण या सिन्थेसिस एवं अन्य प्रक्रिया द्वारा) आदि के वैज्ञानिक अध्ययन से है। कार्बनिक यौगिकों में कार्बन और हाइड्रोजन के अतिरिक्त अन्य अणु भी हो सकते हैं, जैसे- नाइट्रोजन (नत्रजन), ऑक्सीजन, हैलोजन, फॉस्फोरस, सिलिकॉन, गंधक (सल्फर) आदि।.

29 संबंधों: एल्कीन, एसिटल, ऐलिफ़ैटिक यौगिक, दूषण, पण्य रसायन, प्रकार्यात्मक समूह, पृथ्वी का इतिहास, फॉस्फेट, फीड्रिक आगस्ट केकुले, बहुलकीकरण, बाबा कर्तारसिंह, ब्रोमीन टेस्ट, भस्मीकरण, भौतिक रसायन, मर्सेलीन बर्टलो, यूरिया, रसायन विज्ञान, रसायन विज्ञान का इतिहास, रासायनिक उद्योग, संरचना सूत्र, हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी, जां वाप्तिस्ते आंद्रे ड्यूमा, ज्यामितीय समावयवता, जैकोबस हेनरीकस वांट हॉफ, जॉन कॉर्नफोर्थ, कार्बन, अडॉल्फ वॉन बेयर, असीमा चटर्जी, अकार्बनिक रसायन

एल्कीन

सरलतम एल्कीन इथाइलीन का एक त्रिआयामी निदर्श कार्बनिक रसायन में, एक एल्कीन, ओलेफिन, या ओलेफाइन एक असंतृप्त रासायनिक यौगिक होता है जिसमे कम से कम एक कार्बन-से-कार्बन का द्वि-बन्ध होता है। सरलतम अचक्रीय एल्कीन वह होते हैं जिसमे सिर्फ एक द्वि-बन्ध होता है तथा अन्य कोई क्रियाशील समूह नहीं होता, यह मिलकर एक समरूप हाइड्रोकार्बन श्रृंखला की रचना करते हैं जिसका साधारण सूत्र (फार्मूला) CnH2n होता है। सरलतम एल्कीन, इथाइलीन (C2H4) है जिसका (IUPAC: शुद्ध और अनुप्रयोगिक रसायन का अंतरराष्ट्रीय संघ) नाम इथीन (ethane) है। एल्कीनों को ओलेफिन भी कहा जाता है, (यह इसका एक पुराना पर्याय जो पैट्रोरसायन उद्योग में व्यापक रूप से प्रयुक्त होता है)। एरोमैटिक (सुरभित) यौगिकों को अक्सर चक्रीय एल्कीन का रूप माना जाता है, लेकिन उनकी संरचना और गुण इससे भिन्न होते हैं और वे एल्कीन नहीं होते। .

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एसिटल

कार्बनिक रसायन में एसिटल (acetal) एक प्रकार्यात्मक समूह (functional group) है जिसका अणुसूत्र R2C(OR')2 है जहाँ दोनों R' समूह कार्बनिक फ्रैगमेन्ट हैं। दोनों R'O समूह एक दूसरे के तुल्य ("सममित एसिटल") हो सकते हैं या भिन्न ("मिश्रित एसिटल")। श्रेणी:कार्बनिक रसायन.

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ऐलिफ़ैटिक यौगिक

कार्बनिक रसायन में ऐलिफ़ैटिक यौगिक (aliphatic compound) हाइड्रोकार्बन यौगिकों की दो श्रेणियों में से एक है। दूसरी श्रेणी एरोमैटिक यौगिक (aromatic compound) होते हैं। इन दोनों श्रेणियों में अंतर यह है कि एरोमैटिक यौगिकों (जैसे कि बेंज़ीन) में परमाणुओं की किसी शृंखला का एक स्थाई चक्र सम्मिलित होता है, जबकि ऐलिफ़ैटिक यौगिकों में या तो ऐसा कोई चक्र होता नहीं या वह उस यौगिक के मुख्य भाग का स्थाई हिस्सा नहीं होता। ब्यूटेन ऐलिफ़ैटिक यौगिकों का एक उदाहरण है क्योंकि इसमें बिना किसी चक्र वाली कार्बन परमाणुओं की शृंखला है। .

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दूषण

दूषण (fouling) किसी व्यवस्था में किसी सतह या स्थान पर अनचाही सामग्री के जमा होने को कहते हैं जिसके कारण उस व्यवस्था के निर्धारित कार्य में खलल पड़े। दूषण करने वाली सामग्री जीवों (विशेषकर सूक्ष्मजीव) की बनी हो सकती है या फिर उसमें अन्य (कार्बनिक या अकार्बनिक) पदार्थ हो सकते हैं। .

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पण्य रसायन

केमिकल एवं कई अन्य प्रकार के उत्पादों और संपादन के प्रकार। पण्य रसायन (Commodity chemicals या bulk commodities या bulk chemicals) रासायनिक पदार्थों के उस समूह को कहते हैं जिसना उत्पादन बहुत बड़े पैमाने पर किया जाता है ताकि वैश्विक मांग को पूरा किया जा सके। इन रसायनों के औसत मूल्य नियमित रूप से रासायनिक आंकड़े प्रकाशित करने वाले पत्र-पत्रिकाओं में छपते रहते हैं, जैसे और में। पण्य रसायन, रासायनिक उद्योग का एक उपक्षेत्र (सब-सेक्तर) है (अन्य क्षेत्र हैं- फाइन रसायन (fine chemical), विशिष्ट रसायन (speciality chemicals), अकार्बनिक रसायन (inorganic chemicals), शैल-रसायन (petrochemicals), औषध रसायन (pharmaceuticals), नवीकरणीय ऊर्जा (जैसे जैवैईंधन) आदि)। .

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प्रकार्यात्मक समूह

बेंजिल एसिटेट में इस्टर प्रकार्यात्मक समूह (केसरिया घेरे में) उपस्थित है। कार्बनिक रसायन में, किसी अणु में उपस्थित परमाणुओं या बन्धों का वह विशिष्ट समूह जो उस कार्बनिक यौगिक के रासायनिक गुणों का निर्धारण करता है, प्रकार्यात्मक समूह (फंक्शनल ग्रुप) कहलाता है। विभिन्न अणुओं में उपस्थित प्रकार्यात्मक समूह एक ही या समान रासायनिक अभिक्रिया प्रदर्शित करेगा, चाहे अणु का आकार छोटा हो या बड़ा। .

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पृथ्वी का इतिहास

पृथ्वी के इतिहास के युगों की सापेक्ष लंबाइयां प्रदर्शित करने वाले, भूगर्भीय घड़ी नामक एक चित्र में डाला गया भूवैज्ञानिक समय. पृथ्वी का इतिहास 4.6 बिलियन वर्ष पूर्व पृथ्वी ग्रह के निर्माण से लेकर आज तक के इसके विकास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं और बुनियादी चरणों का वर्णन करता है। प्राकृतिक विज्ञान की लगभग सभी शाखाओं ने पृथ्वी के इतिहास की प्रमुख घटनाओं को स्पष्ट करने में अपना योगदान दिया है। पृथ्वी की आयु ब्रह्माण्ड की आयु की लगभग एक-तिहाई है। उस काल-खण्ड के दौरान व्यापक भूगर्भीय तथा जैविक परिवर्तन हुए हैं। .

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फॉस्फेट

ट्रिपल सुपरफास्फेट के दाने अकार्बनिक रसायन में फ़ास्फ़ोरिक अम्ल तथा क्षारों की क्रिया से जो लवण बनते हैं, वे फ़ॉस्फ़ेट (Phosphate) कहलाते हैं। कार्बनिक रसायन में फास्फोरिक अम्ल के इस्टर को फॉस्फेट या आर्गैनोफास्फेट कहते हैं। कार्बनिक फास्फेटों का जैवरसायन और पर्यावरण में बहुत महत्व है। अकार्बनिक फास्फेट खानों से निकाले जाते हैं और उनसे फॉस्फोरस प्राप्त किया जाता है जो कृषि एवं उद्योगों में उपयोगी है। .

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फीड्रिक आगस्ट केकुले

फीड्रिक आगस्ट केकुले फीड्रिक आगस्ट केकुले (जर्मन: Friedrich August Kekule von Stradonitz; जर्मन उच्चारण:; 1829-1896 ई.) विख्यात रसायनशास्त्री। सन् १८५० से लेकर मृत्युपर्यन्त वे यूरोप के सबसे महान रसायनशास्त्री रहे। रासायनिक संरचना का सिद्धान्त मुख्यतः उनकी ही देन है। केकुले द्वारा प्रस्तुत बेंज़ीन संरचना संबंधी सिद्धांत कार्बनिक रसायन की महत्वपूर्ण कड़ी थी। .

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बहुलकीकरण

कार्बनिक रसायन में प्रारंभ से ही उस विधि को जिसमें यौगिक पदार्थ के दो या अधिक अणु मिलकर एक दूसरा ऐसा अणु या बहुलक (polymer) बनाएँ जिसका प्रतिशत संगठन वही हो जो मूल पदार्थ एकलक (monomer) का था, तथा उसका अणुभार एकलक के अणुभार का बहुगुण हो, बहुलकीकरण (Polymerisation) कहते हैं। .

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बाबा कर्तारसिंह

बाबा कर्तारसिंह (सन् 1886-1961) भारतीय रसायनज्ञ थे। विज्ञान के अतिरिक्त सामाजिक तथा धार्मिक क्षेत्र में भी आपने महत्व की सेवाएँ कीं। सन् 1936 से 41 तक आप सिख धर्म संस्थान, तख्त, हरमंदिर जी, पटना, की निरीक्षक समिति के अध्यक्ष रहे। .

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ब्रोमीन टेस्ट

कार्बनिक रसायन में ब्रोमीन परीक्षण (bromine test) असंतुलन (कार्बन-कार्बन द्विबन्ध अथवा access-date .

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भस्मीकरण

भस्मीकरण (incineration) एक रासायनिक अभिक्रिया है जिसमें किसी सामग्री, विषेशकर कार्बनिक रसायन वाली सामग्री, को जलाया जाता है और उसके बड़े भाग को राख व धूएँ में परिवर्तित किया जाता है। यह अपशिष्ट प्रबंधन (waste treatment) में बहुत उपयोगी है। .

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भौतिक रसायन

भौतिक रसायन भौतिक रसायान (Physical chemistry या physicochemistry) रसायन विज्ञान की वह शाखा है जो भौतिक अवधारणाओं के आधार पर रासायनिक प्रणालियों में घटित होने वाली परिघटनाओं (phenomenon) की व्याख्या करती है। द्रव्य की अविनाशिता के नियम के साथ ही साथ भौतिक रसायन की नींव पड़ी, यद्यपि १९वीं शती के अंत तक भौतिक रसायन को रसायन का पृथक्‌ अंग नहीं माना गया। वांट हॉफ, विल्हेल्म ऑस्टवाल्ड और आरिनियस के कार्यें ने भौतिक रसायन की रूपरेखा निर्धारित की। स्थिर अनुपात और गुणित अनुपात एवं परस्पर अनुपात के नियमों ने और बाद को आवोगाड्रो नियम, गेलुसैक नियम आदि ने परमाणु और अणु की कल्पना को प्रश्रय दिया। परमाणुभार और अणुभार निकालने की विविध पद्धतियों का विकास किया गया। गैस संबंधी बॉयल और चार्ल्स के नियमों ने और ग्राहम के विसरण नियमों ने इसमें सहायता दी। विलयनों की प्रकृति समझने में परासरण दाब संबंधी विचारों ने एक नवीन युग को जन्म दिया। पानी में घुलकर शक्कर के अणु उसी प्रकार अलग अलग हो जाते हैं जैसे शून्य स्थान में गैस के अणु। राउल्ट (Raoult) का वाष्पदाब संबंधी समीकरण विलयनों के संबंध में बड़े काम का सिद्ध हुआ। .

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मर्सेलीन बर्टलो

प्रसिद्ध रसायनज्ञ '''पीईएम बर्टेलो''' बर्टलो, पी.ई.एम.

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यूरिया

यूरिया (Urea या carbamide) एक कार्बनिक यौगिक है जिसका रासायनिक सूत्र (NH2)2CO होता है। कार्बनिक रसायन के क्षेत्र में इसे कार्बामाइड भी कहा जाता है। यह एक रंगहीन, गन्धहीन, सफेद, रवेदार जहरीला ठोस पदार्थ है। यह जल में अति विलेय है। यह स्तनपायी और सरीसृप प्राणियों के मूत्र में पाया जाता है। कृषि में नाइट्रोजनयुक्त रासायनिक खाद के रूप में इसका उपयोग होता है। यूरिया को सर्वप्रथम १७७३ में मूत्र में फ्रेंच वैज्ञानिक हिलेरी राउले ने खोजा था परन्तु कृत्रिम विधि से सबसे पहले यूरिया बनाने का श्रेय जर्मन वैज्ञानिक वोहलर को जाता है। इन्होंने सिल्वर आइसोसाइनेट से यूरिया का निर्माण किया तथा स्वीडेन के वैज्ञानिक बर्जेलियस के एक पत्र लिखा कि मैंने वृक्क (किडनी) की सहायता लिए बिना कृत्रिम विधि से यूरिया बना लिया है। उस समय पूरी दुनिया में बर्जेलियस का सिद्धान्त माना जाता था कि यूरिया जैसे कार्बनिक यौगिक सजीवों के शरीर के बाहर बन ही नहीं सकते तथा इनको बनाने के लिए प्राण शक्ति की आवश्यकता होती है। बड़े पैमाने पर यूरिया का उत्पादन द्रव अमोनिया तथा द्रव कार्बन डाई-आक्साइड की प्रतिक्रिया से होता है। यूरिया का उपयोग मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में होता है। इसका प्रयोग वाहनों के प्रदूषण नियंत्रक के रूप में भी किया जाता है। यूरिया-फार्मल्डिहाइड, रेंजिन, प्लास्टिक एवं हाइड्राजिन बनाने में इसका उपयोग किया जाता है। इससे यूरिया-स्टीबामिन नामक काला-जार की दवा बनती है। वेरोनल नामक नींद की दवा बनाने में उसका उपयोग किया जाता है। सेडेटिव के रूप में उपयोग होने वाली दवाओं के बनाने में भी इसका उपयोग किया जाता है। .

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रसायन विज्ञान

300pxरसायनशास्त्र विज्ञान की वह शाखा है जिसमें पदार्थों के संघटन, संरचना, गुणों और रासायनिक प्रतिक्रिया के दौरान इनमें हुए परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है। इसका शाब्दिक विन्यास रस+अयन है जिसका शाब्दिक अर्थ रसों (द्रवों) का अध्ययन है। यह एक भौतिक विज्ञान है जिसमें पदार्थों के परमाणुओं, अणुओं, क्रिस्टलों (रवों) और रासायनिक प्रक्रिया के दौरान मुक्त हुए या प्रयुक्त हुए ऊर्जा का अध्ययन किया जाता है। संक्षेप में रसायन विज्ञान रासायनिक पदार्थों का वैज्ञानिक अध्ययन है। पदार्थों का संघटन परमाणु या उप-परमाण्विक कणों जैसे इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से हुआ है। रसायन विज्ञान को केंद्रीय विज्ञान या आधारभूत विज्ञान भी कहा जाता है क्योंकि यह दूसरे विज्ञानों जैसे, खगोलविज्ञान, भौतिकी, पदार्थ विज्ञान, जीवविज्ञान और भूविज्ञान को जोड़ता है। .

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रसायन विज्ञान का इतिहास

रसायन विज्ञान का इतिहास बहुत पुराना है। १००० ईसापूर्व में प्राचीन सभ्यताओं के लोग ऐसी प्राविधियों काo.

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रासायनिक उद्योग

रासायन उत्पादक कारखाना रासायनिक उद्योग (chemical industry) में वे सब उद्योग आते हैं जो औद्योगिक रसायनों का उत्पादन करते हैं। रासायनिक उद्योग संसार की वर्तमान अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। ये उद्योग कच्चे माल (जैसे तेल, प्राकृतिक गैस, वायु, जल, धातुएं, खनिज आदि) को ७०,००० से भी अधिक विभिन्न उत्पादों में परिवर्तित करते हैं। .

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संरचना सूत्र

विटामिन बी१२ की ढांचागत संरचना; अनेकों कार्बनिक यौगिकों के अणु इतने जटिल हैं कि उनका रासायनिक सूत्र (अणुसूत्र) लिखना/बताना बहुत कठिन है। रासायनिक यौगिकों के अणुओं की संरचना के चित्रात्मक निरूपण (graphical representation) को संरचना सूत्र (structural formula) कहते है। इससे पता चलता है कि अणु में कौन-कौन से परमाणु किस प्रकार जुड़े हुए हैं। इसमें अणु के अन्दर परमाणुओं के बीच के रासायनिक बन्ध भी दिखाये जाते हैं। रसायनशास्त्री प्राय: रासायनिक अभिक्रियाओं एवं संश्लेषण को संरचना सूत्र से ही प्रदर्शित करते हैं, अणुसूत्र से नहीं। इसका कारण है कि संरचना सूत्र के प्रयोग से अभिक्रायाओं के दौरान संरचना में होने वाले परिवर्तन भी दृष्टिगोचर होते हैं जो केवल अणुसूत्र के प्रयोग में छिपे रह जाते हैं। संरचना सूत्र वहाँ विशेष रूप से उपयोगी है जहाँ यौगिक, समावयवता का गुण प्रदर्शित करते हों। किन्तु संरचनासूत्र लिखना (बनाना), अणुसूत्र से अधिक जटिल होता है। .

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हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी

हाइड्रोजन के उत्पादन एवं उपयोग से सम्बन्धित समस्त तकनीकें हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी के अन्तर्गत आतीं हैं। हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी का अनेकानेक क्षेत्रों में उपयोग हो रहा है या हो सकता है। कुछ हाइद्रोजन प्रौद्योगिकियाँ कार्बन न्यूट्रल हैं तथा इस कारण जलवायु परिवर्तन को रोकने तथा भविष्य की हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती हैं। .

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जां वाप्तिस्ते आंद्रे ड्यूमा

फ्रांसीसी रसायनज्ञ जां वाप्तिस्ते आंद्रे ड्यूमा जां वाप्तिस्ते आंद्रे ड्यूमा (Jean Baptiste Andre Dumas; 14 जुलाई 1800 – 10 अप्रैल 1884) फ्रांसीसी रसायनज्ञ था। कार्बनिक विश्लेषण एवं संश्लेषण पर उसने उल्लेखनीय कार्य किया। इसके अलावा उसने वाष्प घनत्व के मापन द्वारा परमाणु भार (आपेक्षिक परमाणु द्रव्यमान) तथा अणुभार निकालने की विधि विकसित की। इसके अलावा उसने यौगिकों में नाइट्रोजन का विश्लेषण करने की एक विधि विकसित की। .

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ज्यामितीय समावयवता

सिस-ट्रान्स समावयवता (Cis–trans isomerism), समावयवता का एक प्रकार है जो कार्बनिक रसायन में बहुत देखने को मिलता है। इसे ज्यामितीय समावयवता तथा विन्यासी समावयवता (configurational isomerism) भी कहते हैं। श्रेणी:समावयवता.

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जैकोबस हेनरीकस वांट हॉफ

जैकोबस हेनरीकस वांट हॉफ, जूनियर (30 अगस्त 1852 - 1 मार्च 1911) एक डच भौतिक और जैविक रसायनज्ञ और रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार के पहले विजेता थे। उन्हें रासायनिक गतिकी, रासायनिक साम्य, आसमाटिक दबाव और त्रिविम रसायन के क्षेत्रों में खोजों के लिए जाना जाता है। श्रेणी:रसायनशास्त्री श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक.

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जॉन कॉर्नफोर्थ

सर जॉन वारकप कॉर्नफोर्थ, जूनियर,, एनएनडीबी (7 सितम्बर 1917 – 14 दिसम्बर 2013), ऑस्ट्रेलियाईब्रितानी रसायनज्ञ थे जिन्होंने 1975 में प्रकिण्व-उत्प्रेरक अभिक्रिया की त्रिविम रसायन पर कार्य के लिए रसायन शास्त्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया।Encyclopædia Britannica.

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कार्बन

कार्बन का एक बहुरूप हीरा। कार्बन का एक अन्य बहुरूप ग्रेफाइट। पृथ्वी पर पाए जाने वाले तत्वों में कार्बन या प्रांगार एक प्रमुख एवं महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। इस रासायनिक तत्त्व का संकेत C तथा परमाणु संख्या ६, मात्रा संख्या १२ एवं परमाणु भार १२.००० है। कार्बन के तीन प्राकृतिक समस्थानिक 6C12, 6C13 एवं 6C14 होते हैं। कार्बन के समस्थानिकों के अनुपात को मापकर प्राचीन तथा पुरातात्विक अवशेषों की आयु मापी जाती है। कार्बन के परमाणुओं में कैटिनेशन नामक एक विशेष गुण पाया जाता है जिसके कारण कार्बन के बहुत से परमाणु आपस में संयोग करके एक लम्बी शृंखला का निर्माण कर लेते हैं। इसके इस गुण के कारण पृथ्वी पर कार्बनिक पदार्थों की संख्या सबसे अधिक है। यह मुक्त एवं संयुक्त दोनों ही अवस्थाओं में पाया जाता है। इसके विविध गुणों वाले कई बहुरूप हैं जिनमें हीरा, ग्रेफाइट काजल, कोयला प्रमुख हैं। इसका एक अपरूप हीरा जहाँ अत्यन्त कठोर होता है वहीं दूसरा अपरूप ग्रेफाइट इतना मुलायम होता है कि इससे कागज पर निशान तक बना सकते हैं। हीरा विद्युत का कुचालक होता है एवं ग्रेफाइट सुचालक होता है। इसके सभी अपरूप सामान्य तापमान पर ठोस होते हैं एवं वायु में जलकर कार्बन डाइ-आक्साइड गैस बनाते हैं। हाइड्रोजन, हीलियम एवं आक्सीजन के बाद विश्व में सबसे अधिक पाया जाने वाला यह तत्व विभिन्न रूपों में संसार के समस्त प्राणियों एवं पेड़-पौधों में उपस्थित है। यह सभी सजीवों का एक महत्त्वपूर्ण अवयव होता है, मनुष्य के शरीर में इसकी मात्रा १८.५ प्रतिशत होती है और इसको जीवन का रासायनिक आधार कहते हैं। कार्बन शब्द लैटिन भाषा के कार्बो शब्द से आया है जिसका अर्थ कोयला या चारकोल होता है। कार्बन की खोज प्रागैतिहासिक युग में हुई थी। कार्बन तत्व का ज्ञान विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं को भी था। चीन के लोग ५००० वर्षों पहले हीरे के बारे में जानते थे और रोम के लोग लकड़ी को मिट्टी के पिरामिड से ढककर चारकोल बनाते थे। लेवोजियर ने १७७२ में अपने प्रयोगो द्वारा यह प्रमाणित किया कि हीरा कार्बन का ही एक अपरूप है एवं कोयले की ही तरह यह जलकर कार्बन डाइ-आक्साइड गैस उत्पन्न करता है। कार्बन का बहुत ही उपयोगी बहुरूप फुलेरेन की खोज १९९५ ई. में राइस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आर इ स्मैली तथा उनके सहकर्मियों ने की। इस खोज के लिए उन्हें वर्ष १९९६ ई. का नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। .

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अडॉल्फ वॉन बेयर

जोहान फ्रेडरिक विल्हेम एडॉल्फ वॉन बेयर (31 अक्टूबर 1835 - 20 अगस्त 1917) एक जर्मन रसायनज्ञ थे जिन्होंने पहली बार इंडिगो का संश्लेषण किया। उन्हें 1905 में रसायन शास्त्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।Adolf von Baeyer: Winner of the Nobel Prize for Chemistry 1905 Armin de Meijere Angewandte Chemie International Edition Volume 44, Issue 48, Pages 7836 – 7840 2005 .

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असीमा चटर्जी

असीमा चटर्जी (Asima Chatterjee, অসীমা চট্টোপাধ্যায়)(२३ सितंबर १९१७- २२ नवंबर २००६) एक भारतीय रसायनशास्त्री थीं। उन्होंने जैव-रसायन विज्ञान और फाइटोमेडिसिन के क्षेत्र में काम किया।The Shaping of Indian Science.

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अकार्बनिक रसायन

प्रांगार को छोड़कर शेष सभी तत्वों और उनके योगिकों की मीमांसा करना अकार्बनिक रसायन (Inorganic chemistry) का क्षेत्र है। बोरॉन, सिलिकन, जर्मेनियम आदि तत्व भी लगभग उसी प्रकार के विविध यौगिक बनाते हैं, जैसे कार्बन। पर इस पार्थिव सृष्टि में उनका उतना महत्व नहीं है जितना कार्बन यौगिकों का, इसलिए कार्बनिक रसायन का अन्य तत्वों से पृथक्‌ रासायनिक क्षेत्र मान लिया गया है। मनुष्य एवं वनस्पतियों का जीवन कार्बन यौगिकों के चक्र पर निर्भर है, अत: कार्बनिक यौगिकों को एक अलग उपांग में रखना कुछ अनुचित नहीं है। यह कार्बन ही है जो पृथ्वी पर पाए जानेवाले सामान्य ताप (०° से ४०°) पर अनेक स्थायी समावयवी यौगिक दे सकता है। .

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