सामग्री की तालिका
15 संबंधों: पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश, भारत के मुख्य न्यायाधीश, भारत के उच्च न्यायालयों की सूची, मंजुला चेल्लूर, राधाविनोद पाल, रूमा पाल, सी एस कर्णन, हमूदुर रहमान, जॉब चार्नक, आशुतोष मुखर्जी, कालेकौए का विश्वभ्रमण, कोलकाता, कोलकाता में पर्यटकों के आकर्षण की सूची, अमल कुमार सरकार, अरुण कुमार मिश्रा।
पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश
पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश(उर्दू:,;मुन्शिफ़-ए आज़म पाकिस्तान),, पाकिस्तान की न्यायपालिका के प्रमुख एवं पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश होते हैं। पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट 1947 से 1960 तक संघीय अदालत के नाम से जानी जाती थी। मुख्य न्यायाधीश पाकिस्तान की उच्चतम न्यायालय के 16 न्यायाधीशों में वरिष्ठतम होते हैं। मुख्य न्यायाधीश पाकिस्तान की न्यायिक प्रणाली के प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी है एवं यह पाकिस्तान का उच्चतम न्यायालय पद है जो संघीय न्यायपालिका की नीति निर्धारण वह उच्चतम न्यायालय में न्यायिक कार्यों का कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार है। इस पद पर नियुक्ति के लिए नामांकन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री द्वारा एवं नियुक्ति अंततः पाकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। अदालत की सुनवाई पर अध्यक्षता करते हुए मुख्य न्यायाधीश के पास न्यायालय की नीति निर्धारण के लिए अत्यंत ताकत है। साथ ही आधुनिक परंपरा अनुसार मुख्य न्यायाधीश के कार्य क्षेत्र के अंतर्गत राष्ट्रपति को शपथ दिलाने का भी महत्वपूर्ण संवैधानिक कार्य है पाकिस्तान के सर्वप्रथम मुख्य न्यायाधीश सर अब्दुल राशिद थे। .
देखें कलकत्ता उच्च न्यायालय और पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश
भारत के मुख्य न्यायाधीश
भारत गणराज्य में अब तक कुल 45 (वर्तमान मुख्य न्यायाधीश सहित) न्यायाधीशों ने मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवा की है। न्यायमूर्ति श्री एच जे कनिया भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश थे तथा वर्तमान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री दीपक मिश्र हैं। .
देखें कलकत्ता उच्च न्यायालय और भारत के मुख्य न्यायाधीश
भारत के उच्च न्यायालयों की सूची
भारतीय उच्च न्यायालय भारत के उच्च न्यायालय हैं। भारत में कुल २४ उच्च न्यायालय है जिनका अधिकार क्षेत्र कोई राज्य विशेष या राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के एक समूह होता हैं। उदाहरण के लिए, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय, पंजाब और हरियाणा राज्यों के साथ केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को भी अपने अधिकार क्षेत्र में रखता हैं। उच्च न्यायालय भारतीय संविधान के अनुच्छेद २१४, अध्याय ५ भाग ६ के अंतर्गत स्थापित किए गए हैं। न्यायिक प्रणाली के भाग के रूप में, उच्च न्यायालय राज्य विधायिकाओं और अधिकारी के संस्था से स्वतंत्र हैं .
देखें कलकत्ता उच्च न्यायालय और भारत के उच्च न्यायालयों की सूची
मंजुला चेल्लूर
माननीया न्यायमूर्ति मंजुला चेल्लूर न्यायमूर्ति मंजुला चेल्लूर (जन्म: 5 दिसंबर 1955) मुंबई उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश हैं। वे मुंबई उच्च न्यायालय की दूसरी महिला मुख्य न्यायाधीश हुयी हैं। उल्लेखनीय है कि इनसे पूर्व वर्ष, 1994 में सुजाता मनोहर बॉम्बे हाईकोर्ट की पहली महिला न्यायाधीश नियुक्त की गयी थीं। इसके पूर्व वे कलकत्ता उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश के पद पर कार्यरत थी। वे यह पद ग्रहण करने वाली प्रथम महिला न्यायाधीश हैं। उन्हें 5 अगस्त, 2014 को मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई गयी। वे कलकत्ता उच्च न्यायालय की 37वीं न्यायाधीश बनीं हैं और इन्होंने न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा का स्थान ग्रहण किया, जो सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त हुये हैं। .
देखें कलकत्ता उच्च न्यायालय और मंजुला चेल्लूर
राधाविनोद पाल
न्यायमूर्ति राधाबिनोद पाल राधाबिनोद पाल (27 जनवरी 1886 – 10 जनवरी 1967) भारत के अंतरराष्ट्रीय ख्याति के विधिवेत्ता और न्यायाधीश थे। उन्होंने द्वितीय महायुद्ध के बाद जापान द्वारा सुदूर पूर्व में किए गये युद्धापराधों के विरुद्ध चलाए गए अंतरराष्ट्रीय मुकदमे में वे भारतीय जज थे। ११ जजों में वे अकेले थे जिन्होने निर्णय दिया कि सभी निर्दोष हैं। उन्होंने युद्धबंदियों पर मुकदमा चलाने को विजेता की जबर्दस्ती बताते हुए सभी युद्धबंदियों को छोड़ने का फैसला दिया था। जापान के राष्ट्रवादी लोग राधाबिनोद पाल को बहुत चाहते हैं जबकि बहुत से भारतीय इतिहासविदों की राय है कि उनका रवैया वास्तव में उपनिवेशवाद के खिलाफ था, उन्हें जापान के युद्ध अपराधियों से कोई खास सरोकार नहीं था। जापान के यशुकुनी देवालय तथा क्योतो के र्योजेन गोकोकु देवालय में न्यायमूर्ति राधाबिनोद के लिए विशेष स्मारक निर्मित किए गये हैं। .
देखें कलकत्ता उच्च न्यायालय और राधाविनोद पाल
रूमा पाल
न्यायमूर्ति रूमा पाल (जन्म: 3 जून 1941) सुप्रीम कोर्ट के पूरे इतिहास में न्यायाधीश बनने वाली तीसरी महिला हैं, जो 3 जून 2006 को सेवानिवृत हुई हैं। .
देखें कलकत्ता उच्च न्यायालय और रूमा पाल
सी एस कर्णन
चिन्नास्वामी स्वामीनाथन कर्णन एक भारतीय न्यायाधीश तथा पूर्व कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं। वे मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रह चुके हैं। .
देखें कलकत्ता उच्च न्यायालय और सी एस कर्णन
हमूदुर रहमान
न्यायमूर्ति हमोद रहमान, पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश थे, जोकी पाकिस्तान का उच्चतम् न्यायिक पद है। उन्होंने न्यायमूर्ति फजल अकबर की सेवानिवृत्ति के बाद यह पद संभाला था। सर्वोच्च न्यायालय में, बतौर न्यायाधीश नियुक्त होने से पूर्व, वे कलकत्ता उच्च न्यायालय में न्यायाधीश थे। .
देखें कलकत्ता उच्च न्यायालय और हमूदुर रहमान
जॉब चार्नक
जॉब चार्नक (अंग्रेजी: Job Charnock; जीवनकाल: 1630-1692) अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी का एक कर्मचारी और प्रशासक था। जॉब चार्नक को पारंपरिक रूप से कलकत्ता शहर जिसे अब कोलकाता कहा जाता है का संस्थापक माना जाता है। हालांकि, 16 मई 2003 के कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक फैसले के बाद उसका नाम उन सभी सरकारी दस्तावेजों से हटा दिया गया है जिनमें उसे कोलकाता के संस्थापक के रूप में दर्ज किया गया था। .
देखें कलकत्ता उच्च न्यायालय और जॉब चार्नक
आशुतोष मुखर्जी
बांग्ला साहित्यकार के लिये आशुतोष मुखोपाध्याय देखें। ---- सर आशुतोष मुखर्जी आशुतोष मुखोपाध्याय (1864-1924), बंगाल के ख्यातिलब्ध बैरिस्टर तथा शिक्षाविद थे। वे सन् १९०६ से १९१४ तक कोलकाता विश्वविद्यालय के उपकुलपति रहे। उन्होंने बंगला तथा भारतीय भाषाओं को एम.ए.
देखें कलकत्ता उच्च न्यायालय और आशुतोष मुखर्जी
कालेकौए का विश्वभ्रमण
महाराजा कालाकौआ १८८१ में हवाई राज्य के महाराज कालाकौआ धरती का परिमार्जन करने वाले प्रथम शासक बने। श्री कालाकौआ की इस २८१ दिवसीय विश्वयात्रा का उद्देश्य एशिया-प्रशांत राष्ट्रों से श्रम शक्ति का आयत करना था, ताकि हवाई संस्कृति और आबादी को विलुप्त होने से बचाया जा सके। उनके आलाचकों का मानना था कि यह दुनिया देखने के लिए उनका बहाना था। इस विश्वयात्रा के दौरान महाराज कालेकौए ने भारतवर्ष की पावन भूमि पर अपने पदचिन्ह छोड़कर पुण्य कमाया। २८ मई १८८१ को वे रंगून से कलकत्ता पहुंचे, जहां पर उन्होंने अलीपुर वन्य प्राणी उद्यान का दौरा किया। न्यायभूमि भारत की कानूनी प्रक्रिया को देखने के लिए उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक पूरा दिन व्यतीत किया। कलकत्ता से उन्होंने बंबई के लिए प्रस्थान किया। इस यात्रा के दौरान उन्होंने एलोरा गुफाओं जैसे पर्यटक स्थलों का दर्शन किया। बंबई पहुँच कर उन्होंने थोड़ी-बहुत खरीदारी की और प्रसिद्ध व्यवसायी श्री जमशेतजी जीजाभाई से भेंट की। इसके अलावा उन्होंने पारसी दख्मों और अरब स्टैलियन अस्तबल की यात्रा की। ७ जून को वे जहाज़ से मिस्र के लिए रवाना हो गए। श्री कालाकौआ भारत से बँधुआ मज़दूर आयत करना चाहते परन्तु उन्हें पता चला कि ऐसा करने के लिए उन्हें लन्दन में बर्तानिया हुकूमत से समझौता करना पड़ेगा। .
देखें कलकत्ता उच्च न्यायालय और कालेकौए का विश्वभ्रमण
कोलकाता
बंगाल की खाड़ी के शीर्ष तट से १८० किलोमीटर दूर हुगली नदी के बायें किनारे पर स्थित कोलकाता (बंगाली: কলকাতা, पूर्व नाम: कलकत्ता) पश्चिम बंगाल की राजधानी है। यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर तथा पाँचवा सबसे बड़ा बन्दरगाह है। यहाँ की जनसंख्या २ करोड २९ लाख है। इस शहर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। इसके आधुनिक स्वरूप का विकास अंग्रेजो एवं फ्रांस के उपनिवेशवाद के इतिहास से जुड़ा है। आज का कोलकाता आधुनिक भारत के इतिहास की कई गाथाएँ अपने आप में समेटे हुए है। शहर को जहाँ भारत के शैक्षिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तनों के प्रारम्भिक केन्द्र बिन्दु के रूप में पहचान मिली है वहीं दूसरी ओर इसे भारत में साम्यवाद आंदोलन के गढ़ के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। महलों के इस शहर को 'सिटी ऑफ़ जॉय' के नाम से भी जाना जाता है। अपनी उत्तम अवस्थिति के कारण कोलकाता को 'पूर्वी भारत का प्रवेश द्वार' भी कहा जाता है। यह रेलमार्गों, वायुमार्गों तथा सड़क मार्गों द्वारा देश के विभिन्न भागों से जुड़ा हुआ है। यह प्रमुख यातायात का केन्द्र, विस्तृत बाजार वितरण केन्द्र, शिक्षा केन्द्र, औद्योगिक केन्द्र तथा व्यापार का केन्द्र है। अजायबघर, चिड़ियाखाना, बिरला तारमंडल, हावड़ा पुल, कालीघाट, फोर्ट विलियम, विक्टोरिया मेमोरियल, विज्ञान नगरी आदि मुख्य दर्शनीय स्थान हैं। कोलकाता के निकट हुगली नदी के दोनों किनारों पर भारतवर्ष के प्रायः अधिकांश जूट के कारखाने अवस्थित हैं। इसके अलावा मोटरगाड़ी तैयार करने का कारखाना, सूती-वस्त्र उद्योग, कागज-उद्योग, विभिन्न प्रकार के इंजीनियरिंग उद्योग, जूता तैयार करने का कारखाना, होजरी उद्योग एवं चाय विक्रय केन्द्र आदि अवस्थित हैं। पूर्वांचल एवं सम्पूर्ण भारतवर्ष का प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र के रूप में कोलकाता का महत्त्व अधिक है। .
देखें कलकत्ता उच्च न्यायालय और कोलकाता
कोलकाता में पर्यटकों के आकर्षण की सूची
कोलकाता वर्तमान में दिल्ली और मुंबई के बाद भारत भारत का तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला शहर है। ब्रिटिश औपनिवेशिक युग के दौरान 1700 से 1912 तक कोलकाता (तब कलकत्ता के नाम से जाना जाता था) ब्रिटिश भारत की राजधानी थी। कोलकाता की वास्तुकला काफी हद तक यूरोपियन शैली पर आधारित हैंएवं यहाँ पर कुछ पुर्तगाली और फ़्रेंच सरंचनाएं भी है। आज इनमें से कई संरचनाएं अपने अवसान के विभिन्न चरणों में हैं। इस अवधि में निर्मित कुछ प्रमुख भवनों को काफी अच्छी तरह से रखा गया एवं इनमे से कई इमारतों को विरासत संरचनाओं के रूप में घोषित किया गया है। लेकिन संरक्षण के प्रयासों में भी बहुत कमियाँ पाई जाती हैं और ये अक्सर मुकदमेबाजी, किरायेदार से सम्बन्धित परेशानियों, स्वामित्व विवादों, पुराने किरायेदार कानूनों और धन की कमी से प्रभावित होते हैं। .
देखें कलकत्ता उच्च न्यायालय और कोलकाता में पर्यटकों के आकर्षण की सूची
अमल कुमार सरकार
अमल कुमार सरकार या ए॰ के॰ सरकार (बंगाली: অমল কুমার সরকার) (जन्म: 29 जून 1901) भारत के सर्वोच्च न्यायालय के आठवें मुख्य न्यायाधीश थे। उनका कार्यकाल 16 मार्च 1966 से 29 जून 1966 तक रहा। .
देखें कलकत्ता उच्च न्यायालय और अमल कुमार सरकार
अरुण कुमार मिश्रा
अरुण कुमार मिश्रा एक भारतीय न्यायाधीश तथा वर्तमान भारत का उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश हैं। वे पूर्व कलकत्ता उच्च न्यायालय तथा राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। .