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करनाल

सूची करनाल

हरियाणा में स्थित करनाल इस नाम के जिले का मुख्यालय शहर है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग 1 पर चण्डीगढ़ से 126 कि॰मी॰ की दूरी पर यमुना नदी के किनारे स्थित है। घरौंड़ा, नीलोखेड़ी, असन्ध, इन्द्री और तरावड़ी इसके मुख्य दर्शनीय स्‍थल हैं। करनाल में अनेक फैक्ट्रियां हैं। इन फैक्ट्रियों में वनस्पति तेल, इत्र और शराब तैयार की जाती है। इसके अलावा यह अपने अनाज, कपास और नमक के बाजार के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है। यहां पर मुख्यत: धान की खेती की जाती है। यह धान उच्च गुणवत्ता वाला होता है और इसका निर्यात विदेशों में किया जाता है। इसकी उत्तर-पश्चिम दिशा में कुरूक्षेत्र, पश्चिम में जीन्द व कैथल, दक्षिण में पानीपत और पूर्व में उत्तर प्रदेश स्थित है। पर्यटक यहां पर अनेक पर्यटक स्थलों की यात्रा कर सकते हैं। इनमें कलन्दर शाह गुम्बद, छावनी चर्च और सीता माई मन्दिर आदि प्रमुख हैं। यह सभी बहुत खूबसूरत हैं और पर्यटकों को बहुत पसंद आते हैं। करनाल के एक छोटे से गाँव मदनपुर का एक लडका जिसका नाम कमल कशयप ह वह अपनी तीर्व बूद्धि के लिए पूरे हरियाणा में मशहूर है। .

49 संबंधों: चमार, चौदहवीं लोकसभा, डाटदार पुल, तराइन का युद्ध, तोमर वंश, दयाल सिंह कॉलेज, करनाल, दल्हेड़ी, दिल्ली मण्डल, दिल्ली जंक्शन रेलवे स्टेशन, दीया और बाती हम, धौथड़, नादिर शाह, नवदीप सैनी, प्रोतिमा बेदी, पेहवा, बाल पत्रकारिता, भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - प्रदेश अनुसार, भारत के शहरों की सूची, भारत के सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहरों की सूची, मनोहर लाल खट्टर, यमुना नदी, राष्ट्रीय डेरी अनुसन्धान संसथान, राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान, राष्ट्रीय राजमार्ग ४४ (भारत), रगंरूटी खेडा, लियाक़त अली ख़ान, शामली, शाहबाद मारकंडा, हरियाणा के सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहरों की सूची, हरियाणा के जिले, जय सिंह द्वितीय, घरौंडा, गुरदास मान, ग्रैंड ट्रंक रोड, करनाल फ्लाइंग क्लब, करनाल जिला, कर्ण, कर्ण झील, कल्पना चावला, कुरुक्षेत्र, कौटिल्य पण्डित, कैथल, कोस मीनार, अनीश भानवाला, अमृतसर, उत्तर प्रदेश के राज्य राजमार्गों की सूची, उत्तर भारत बाढ़ २०१३, छावनी चर्च टावर, १८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम

चमार

चमार अथवा चर्मकार भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाने वाली जाति समूह है। वर्तमान समय में यह जाति अनुसूचित जातियों की श्रेणी में आती है। यह जाति अस्पृश्यता की कुप्रथा का शिकार भी रही है। इस जाति के लोग परंपरागत रूप से चमड़े के व्यवसाय से जुड़े रहे हैं। संपूर्ण भारत में चमार जाति अनुसूचित जातियों में अधिक संख्या में पाई जाने वाली जाति है, जिनका मुख्य व्यवसाय, चमड़े की वस्‍तु बनाना था । संविधान बनने से पूर्व तक इनकोअछूतों की श्रेणी में रखा जाता था। अंग्रेजों के आने से पहले तक भारत में चमार जाति के लोगों को उपर बहुत यातनाएं तथा जु़ल्‍म किए गए। आजादी के बाद इनके उपर हो रहे ज़ुल्‍मों व यातनाओं को रोकने के लिए इनको भारत के संविधान में अनुसूचित जाति की श्रेणी में रखा गया तथा सभी तरह के ज़ुल्‍मों तथा यातनाओं को प्रतिबंधित कर दिया गया। इसके बावजूद भी देश में कुछ जगहों पर इन जातियों तथा अन्‍य अनुसूचित जातियों के साथ यातनाएं आज भी होती हैं। .

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चौदहवीं लोकसभा

भारत में चौदहवीं लोकसभा का गठन अप्रैल-मई 2004 में होनेवाले आमचुनावोंके बाद हुआ था। .

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डाटदार पुल

डाटदार पुल (Arc Bridge) डाटदार पुल या चाप सेतु (arch bridge) ऐसा पुल होता है जिसमें दोनो सिरों पर सहारा देने वाले स्तम्भों के उपर एक चापनुमा संरचना होती है। .

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तराइन का युद्ध

तराइन का युद्ध तराइन का युद्ध अथवा तरावड़ी का युद्ध युद्धों (1191 और 1192) की एक ऐसी शृंखला है, जिसने पूरे उत्तर भारत को मुस्लिम नियंत्रण के लिए खोल दिया। ये युद्ध मोहम्मद ग़ौरी (मूल नाम: मुईज़ुद्दीन मुहम्मद बिन साम) और अजमेर तथा दिल्ली के चौहान (चहमान) राजपूत शासक पृथ्वी राज तृतीय के बीच हुये। युद्ध क्षेत्र भारत के वर्तमान राज्य हरियाणा के करनाल जिले में करनाल और थानेश्वर (कुरुक्षेत्र) के बीच था, जो दिल्ली से 113 किमी उत्तर में स्थित है। .

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तोमर वंश

तोमर या तंवर उत्तर पश्चिम भारत का एक राजवन्श था। तोमरो का मानना है कि वे चन्द्रवन्शी है। इन्होंने वर्तमान दिल्ली की स्थापना दिहिलिका केनाम से की थी। .

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दयाल सिंह कॉलेज, करनाल

दयाल सिंह कॉलेज, करनाल, हरियाणा में एक स्नातकोत्तर महाविद्यालय है। यह सरदार दयाल सिंह मजीठिया द्वारा १९१० में स्थापित किया गया था, जिन्होंने दयाल सिंह कालेज, लाहौर और दयाल सिंह कॉलेज, दिल्ली की भी स्थापना की थी। यह दयाल सिंह कॉलेज ट्रस्ट सोसाइटी दिल्ली द्वारा प्रबंधित है। .

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दल्हेड़ी

दल्हेड़ी भारत के उत्तरप्रदेश राज्य के सहारनपुर ज़िले का एक गांव है। 2011 की जनगणना के अनुसार दल्हेड़ी की जनसंख्या ४८४० है। जानकारी के रूप में दल्हेड़ी गांव का पिनकोड २४७४५२ है। .

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दिल्ली मण्डल

दिल्ली मण्डल ब्रिटिश भारत में एक प्रशासनिक क्षेत्र था। इस क्षेत्र में दिल्ली के अतिरिक्त वर्तमान हरियाणा राज्य के गुड़गांव, रोहतक, हिसार, पानीपत और करनाल जिले भी शामिल थे। .

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दिल्ली जंक्शन रेलवे स्टेशन

दिल्ली जंक्शन रेलवे स्टेशन दिल्ली जंक्शन (पुरानी दिल्ली) दिल्ली शहर के सबसे बड़े और पुराने स्टेशनों में से एक है। ब्रिटिश हुक्मारानों ने इसे बनवाया था। यह देश के व्यस्ततम रेलवे स्टेशनों में से है। यहां दिल्ली मेट्रो यलो लाइनका भी स्टेशन है। यह चांदनी चौक की ओर है। यहां परिक्रमा सेवा का भी हॉल्ट होता है। .

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दीया और बाती हम

दीया और बाती हम स्टार प्लस चैनल पर प्रदर्शित होने वाला एक भारतीय धारावाहिक था। यह 29 अगस्त 2011 को शुरू हुआ था और अनस राशिद एवं दीपिका सिंह इसमें मुख्य पात्र की भूमिका निभाते थे। .

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धौथड़

धौथड़ एक जाट क़बीला है, जो गोजरानवाला जिला, पाकिस्तान में पाया जाता है। इस जाती का सिख शाखा भारत के विभाजन के समय भारत पंजाब और हरियाणा चली गई थी। पाकिस्तान में धौथड़ सियालकोट, गुजरात, हाफ़िज़ आबाद, मंडी बहाउालदीन और साहीवाल के जिलों में पाए जाते हैं। जबकि भारत में धौथड़ करनाल और कपरखला के जिलों में आबाद हैं। .

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नादिर शाह

नादिर शाह अफ़्शार (या नादिर क़ुली बेग़) (१६८८ - १७४७) फ़ारस का शाह था (१७३६ - १७४७) और उसने सदियों के बाद क्षेत्र में ईरानी प्रभुता स्थापित की थी। उसने अपना जीवन दासता से आरंभ किया था और फ़ारस का शाह ही नहीं बना बल्कि उसने उस समय ईरानी साम्राज्य के सबल शत्रु उस्मानी साम्राज्य और रूसी साम्राज्य को ईरानी क्षेत्रों से बाहर निकाला। उसने अफ़्शरी वंश की स्थापना की थी और उसका उदय उस समय हुआ जब ईरान में पश्चिम से उस्मानी साम्राज्य (ऑटोमन) का आक्रमण हो रहा था और पूरब से अफ़गानों ने सफ़ावी राजधानी इस्फ़हान पर अधिकार कर लिया था। उत्तर से रूस भी फ़ारस में साम्राज्य विस्तार की योजना बना रहा था। इस परिस्थिति में भी उसने अपनी सेना संगठित की और अपने सैन्य अभियानों की वज़ह से उसे फ़ारस का नेपोलियन या एशिया का अन्तिम महान सेनानायक जैसी उपाधियों से सम्मानित किया जाता है। वो भारत विजय के अभियान पर भी निकला था। दिल्ली की सत्ता पर आसीन मुग़ल बादशाह मुहम्मद शाह आलम को हराने के बाद उसने वहाँ से अपार सम्पत्ति अर्जित की जिसमें कोहिनूर हीरा भी शामिल था। इसके बाद वो अपार शक्तिशाली बन गया और उसका स्वास्थ्य भी बिगड़ता गया। अपने जीवन के उत्तरार्ध में वो बहुत अत्याचारी बन गया था। सन् १७४७ में उसकी हत्या के बाद उसका साम्राज्य जल्द ही तितर-बितर हो गया। .

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नवदीप सैनी

नवदीप सैनी (जन्म २३ नवंबर १९९२) एक भारतीय प्रथम श्रेणी क्रिकेट खिलाड़ी है और ये मुख्य रूप से गेंदबाजी के लिए जाने जाते है जो दिल्ली के लिए खेलता है। इन्होंने साल २०१५-१६ की सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में २ जनवरी २०१६ को अपने ट्वेन्टी-२० क्रिकेट की शुरुआत की। फरवरी २०१७ में, उन्हें १० लाख २०१७ इंडियन प्रीमियर लीग दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम ने खरीदा था। वहीं जनवरी २०१८ में, इन्हें रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की फ्रेंचाईजी ने २०१८ इंडियन प्रीमियर लीग के लिए ३ करोड़ में खरीदा। .

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प्रोतिमा बेदी

प्रोतिमा गौरी बेदी (12 अक्टूबर 1948 - 18 अगस्त 1998) एक भारतीय मॉडल थी जो बाद में भारतीय शास्त्रीय नृत्य, ओडिसी की व्याख्याता बनी, तथा जिन्होनें 1990 में बैंगलोर के पास एक नृत्य गांव 'नृत्यग्राम' की स्थापना की.

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पेहवा

पिहोवा (पेहवा, पेहोवा) हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले का एक नगर है। इसका पुराना नाम 'पृथूदक' है। यह एक प्रसिद्ध तीर्थ है। .

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बाल पत्रकारिता

बाल पत्रकारिता की सुदीर्घ परम्परा को एक आलेख में समेटना निश्चय ही अंजलि में समुद्र भर लेने के समान है। बाल साहित्य की अनेक पत्रिकाएँ विगत पचास वर्षों में प्रकाशित हुई हैं। इन प्रकात्रिओं का सही-सही विवरण दे पाना एक दुरूह कार्य है। बाल साहित्य की पत्रिकाओं में कुछ पत्रिकाएँ तो लम्बे समय से प्रकाशित हो रही हें, परन्तु अधिकतर पत्रिकाएँ काल-कविलत हो गईं। उनके पुराने अंक खोजना कठिन ही नहीं, असम्भव-सा कार्य है। फिर भी जिन पत्रिकाओं का विवरण उपलब्ध हो सका है, उन्हें इस आलेख में समाहित किया जा रहा है। .

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भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - प्रदेश अनुसार

भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों का संजाल भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची भारतीय राजमार्ग के क्षेत्र में एक व्यापक सूची देता है, द्वारा अनुरक्षित सड़कों के एक वर्ग भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण। ये लंबे मुख्य में दूरी roadways हैं भारत और के अत्यधिक उपयोग का मतलब है एक परिवहन भारत में। वे में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा भारतीय अर्थव्यवस्था। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 2 laned (प्रत्येक दिशा में एक), के बारे में 65,000 किमी की एक कुल, जिनमें से 5,840 किमी बदल सकता है गठन में "स्वर्ण Chathuspatha" या स्वर्णिम चतुर्भुज, एक प्रतिष्ठित परियोजना राजग सरकार द्वारा शुरू की श्री अटल बिहारी वाजपेयी.

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भारत के शहरों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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भारत के सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहरों की सूची

यह सूचियों भारत के सबसे बड़े शहरों पर है। .

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मनोहर लाल खट्टर

मनोहर लाल खट्टर (जन्म: 5 मई 1954) भारत के हरियाणा राज्य के मुख्यमंत्री निर्वाचित हुए हैं। 26 अक्टूबर 2014 को उन्होने हरियाणा के 10वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। मनोहर लाल खट्टर हरियाणा के पहले ऐसे मुख्यमंत्री है जो गैर जाट समुदाय से आते हैं, 18 वर्ष बाद वे इस पद पर विराजमान होने वाले पहले गैर जाट नेता हैं। वे भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रह चुके हैं। हरियाणा विधान सभा में वे करनाल का प्रतिनिधित्व करते हैं। 2014 के हरियाणा विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की विजय के पश्चात् विधायक दल द्वारा उन्हें नेता चुना गया तथा मुख्यमंत्री पद हेतु नामित किया गया। .

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यमुना नदी

आगरा में यमुना नदी यमुना त्रिवेणी संगम प्रयाग में वृंदावन के पवित्र केशीघाट पर यमुना सुबह के धुँधलके में यमुनातट पर ताज यमुना भारत की एक नदी है। यह गंगा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है जो यमुनोत्री (उत्तरकाशी से ३० किमी उत्तर, गढ़वाल में) नामक जगह से निकलती है और प्रयाग (इलाहाबाद) में गंगा से मिल जाती है। इसकी प्रमुख सहायक नदियों में चम्बल, सेंगर, छोटी सिन्ध, बतवा और केन उल्लेखनीय हैं। यमुना के तटवर्ती नगरों में दिल्ली और आगरा के अतिरिक्त इटावा, काल्पी, हमीरपुर और प्रयाग मुख्य है। प्रयाग में यमुना एक विशाल नदी के रूप में प्रस्तुत होती है और वहाँ के प्रसिद्ध ऐतिहासिक किले के नीचे गंगा में मिल जाती है। ब्रज की संस्कृति में यमुना का महत्वपूर्ण स्थान है। .

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राष्ट्रीय डेरी अनुसन्धान संसथान

राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (NDRI), करनाल भारत की प्रमुख डेयरी अनुसंधान संस्थान है.

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राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान

राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान (National Dairy Research Institute (NDRI)) करनाल में स्थित भारत का प्रमुख डेरी अनुसंधान संस्थान है। १९८९ में इसे समविश्वविद्यालय (डॅऍम्ड यूनिवर्सिटी) का दर्जा प्राप्त हुआ था। .

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राष्ट्रीय राजमार्ग ४४ (भारत)

राष्ट्रीय राजमार्ग ४४ (National Highway 44, NH 44) भारत का सबसे लम्बा राजमार्ग है। यह उत्तर में श्रीनगर से आरम्भ होकर दक्षिण में कन्याकुमारी में समाप्त होता है। .

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रगंरूटी खेडा

रगंरूटी खेडा एक गांव है। जो असंध तहसील करनाल जिला हरियाणा राज्य में पडता है। यह गांव असंध तहसील से 5 कि॰मी॰ दूर है।.

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लियाक़त अली ख़ान

नवबजादा लियाक़त अली ख़ान पाकिस्तान के प्रथम प्रधानमंत्री थे जिन्होंने पाकिस्तान आंदोलन के दौरान मुहम्मद अली जिन्ना के साथ कई दौरे किये। भारत के प्रथम वाणिज्य मंत्री भी थे (अंग्रेज़ो के अधीन भारत)। इनका परिवार अंग्रेजों से अच्छे संबंध रखता था। सन् १९५१ में रावलपिण्डी में इनका क़त्ल हो गया - जिसकी गुत्थी अभी तक नहीं सुलझी है। साद अकबर बाबरक नामक हत्यारा एक अफ़ग़ान था। यह पाकिस्तान के प्रथम रक्षा मंत्री भी रहे और पाकिस्तान के प्रथम विदेश मंत्री भी रहे | पाकिस्तान के प्रधान मन्त्री श्रेणी:पाकिस्तान के प्रधान मन्त्री श्रेणी:पाकिस्तानी राजनीतिज्ञ.

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शामली

शामली उत्तर प्रदेश का एक शहर है और यह नए बनाए गए जिले का मुख्यालय है। यह जाट, गुर्जर संस्कृति का केन्द्र हैं। शामली को सितम्बर २०११ में जिले का दर्जा मिला। यह दिल्ली-सहारनपुर राजमार्ग पर स्थित हैं। यह दिल्ली से ९८ कि.

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शाहबाद मारकंडा

शाहबाद मारकंडा हरियाणा का एक शहर है जो कि राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-१ पर अंबाला व कुरूक्षेत्र के मध्य स्थित है। भारतीय महिला हॉकी टीम की कई सदस्याएं इसी एक शहर से हैं। .

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हरियाणा के सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहरों की सूची

2011 की जनगणना के अनुसार फरीदाबाद शहर, जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का हिस्सा भी है, जनसंख्या के आधार पर हरियाणा का सबसे बड़ा नगर है। निम्न सूची हरियाणा के 1 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों या महानगरों की है: .

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हरियाणा के जिले

उत्तर भारत में स्थित हरियाणा जनसंख्या के हिसाब से भारत का १७वां सबसे बड़ा राज्य है। जनसामान्य को बेहतर प्रशासनिक सेवाएं देने के लिये राज्य को ६ मण्डलों तथा २२ जिलों में विभाजित किया गया है। १ नवंबर १९६६ को जब तत्कालीन पूर्वी पंजाब के विभाजन द्वारा हरियाणा राज्य की स्थापना हुई थी, तब राज्य में ७ जिले थे; रोहतक, जींद, हिसार, महेंद्रगढ़, गुडगाँव, करनाल तथा अम्बाला। २०१७ तक इन जिलों के पुनर्गठन के बाद १४ नए जिले जोड़े जा चुके हैं। निम्नलिखित सूची हरियाणा राज्य के जिलों की है: श्रेणी:हरियाणा के जिले श्रेणी:हरियाणा से सम्बन्धित सूचियाँ.

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जय सिंह द्वितीय

सवाई जयसिंह या द्वितीय जयसिंह (०३ नवम्बर १६८८ - २१ सितम्बर १७४३) अठारहवीं सदी में भारत में राजस्थान प्रान्त के नगर/राज्य आमेर के कछवाहा वंश के सर्वाधिक प्रतापी शासक थे। सन १७२७ में आमेर से दक्षिण छः मील दूर एक बेहद सुन्दर, सुव्यवस्थित, सुविधापूर्ण और शिल्पशास्त्र के सिद्धांतों के आधार पर आकल्पित नया शहर 'सवाई जयनगर', जयपुर बसाने वाले नगर-नियोजक के बतौर उनकी ख्याति भारतीय-इतिहास में अमर है। काशी, दिल्ली, उज्जैन, मथुरा और जयपुर में, अतुलनीय और अपने समय की सर्वाधिक सटीक गणनाओं के लिए जानी गयी वेधशालाओं के निर्माता, सवाई जयसिह एक नीति-कुशल महाराजा और वीर सेनापति ही नहीं, जाने-माने खगोल वैज्ञानिक और विद्याव्यसनी विद्वान भी थे। उनका संस्कृत, मराठी, तुर्की, फ़ारसी, अरबी, आदि कई भाषाओं पर गंभीर अधिकार था। भारतीय ग्रंथों के अलावा गणित, रेखागणित, खगोल और ज्योतिष में उन्होंने अनेकानेक विदेशी ग्रंथों में वर्णित वैज्ञानिक पद्धतियों का विधिपूर्वक अध्ययन किया था और स्वयं परीक्षण के बाद, कुछ को अपनाया भी था। देश-विदेश से उन्होंने बड़े बड़े विद्वानों और खगोलशास्त्र के विषय-विशेषज्ञों को जयपुर बुलाया, सम्मानित किया और यहाँ सम्मान दे कर बसाया। .

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घरौंडा

अक्षांश- 29.54°, देशांतर- 76.97°E.

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गुरदास मान

गुरदास मान पंजाब के मशहूर लोक गायक अभिनेता हैं। उन्हें पंजाबी गायकी का सम्राट कहा जाता है। .

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ग्रैंड ट्रंक रोड

ग्रैंड ट्रंक रोड, दक्षिण एशिया के सबसे पुराने एवं सबसे लम्बे मार्गों में से एक है। दो सदियों से अधिक काल के लिए इस मार्ग ने भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी एवं पश्चिमी भागों को जोड़ा है। यह हावड़ा के पश्चिम में स्थित बांगलादेश के चटगाँव से प्रारंभ होता है और लाहौर (पाकिस्तान) से होते हुए अफ़ग़ानिस्तान में काबुल तक जाता है। पुराने समय में इसे, उत्तरपथ,शाह राह-ए-आजम,सड़क-ए-आजम और बादशाही सड़क के नामों से भी जाना जाता था। यह मार्ग, मौर्य साम्राज्य के दौरान अस्तित्व में था और इसका फैलाव गंगा के मुँह से होकर साम्राज्य के उत्तर-पश्चिमी सीमा तक हुआ करता था। आधुनिक सड़क की पूर्ववर्ती का पुनःनिर्माण शेर शाह सूरी द्वारा किया गया था। सड़क का काफी हिस्सा १८३३-१८६० के बीच ब्रिटिशों द्वारा उन्नत बनाया गया था। .

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करनाल फ्लाइंग क्लब

करनाल फ्लाइंग क्लब, जिसे स्थानीय लोग करनाल हवाई अड्डा भी कहते हैं, भारत के हरियाणा राज्य स्थित करनाल शहर से लगभग ३ कि.मी पूर्व में स्थित एक हवाई पट्टी है। यह वही हवाई अड्डा है जहां प्रथम भारतीय-अमरीकी अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला ने विमानचालन आरंभ किया था। श्रेणी:एयरो क्लब श्रेणी:करनाल श्रेणी:भारत में विमानक्षेत्र श्रेणी:भारत के विमानन कॉलिज.

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करनाल जिला

करनाल हरियाणा का एक जिला है। इसका मुख्यालय है - करनाल। .

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कर्ण

जावानी रंगमंच में कर्ण। कर्ण महाभारत के सबसे प्रमुख पात्रों में से एक है। कर्ण की वास्तविक माँ कुन्ती थी। कर्ण का जन्म कुन्ती का पाण्डु के साथ विवाह होने से पूर्व हुआ था। कर्ण दुर्योधन का सबसे अच्छा मित्र था और महाभारत के युद्ध में वह अपने भाइयों के विरुद्ध लड़ा। वह सूर्य पुत्र था। कर्ण को एक आदर्श दानवीर माना जाता है क्योंकि कर्ण ने कभी भी किसी माँगने वाले को दान में कुछ भी देने से कभी भी मना नहीं किया भले ही इसके परिणामस्वरूप उसके अपने ही प्राण संकट में क्यों न पड़ गए हों। कर्ण की छवि आज भी भारतीय जनमानस में एक ऐसे महायोद्धा की है जो जीवनभर प्रतिकूल परिस्थितियों से लड़ता रहा। बहुत से लोगों का यह भी मानना है कि कर्ण को कभी भी वह सब नहीं मिला जिसका वह वास्तविक रूप से अधिकारी था। तर्कसंगत रूप से कहा जाए तो हस्तिनापुर के सिंहासन का वास्तविक अधिकारी कर्ण ही था क्योंकि वह कुरु राजपरिवार से ही था और युधिष्ठिर और दुर्योधन से ज्येष्ठ था, लेकिन उसकी वास्तविक पहचान उसकी मृत्यु तक अज्ञात ही रही। कर्ण की छवि द्रौपदी का अपमान किए जाने और अभिमन्यु वध में उसकी नकारात्मक भूमिका के कारण धूमिल भी हुई थी लेकिन कुल मिलाकर कर्ण को एक दानवीर और महान योद्धा माना जाता है। .

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कर्ण झील

कर्ण झील हरियाणा के करनाल शहर के पास स्थित है। यह राज्य की राजधानी चंडीगढ तथा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली दोनों से लगभग १२५ किमी की दूरी पर है। इस कारण से यह स्थान इन दो महत्वपूर्ण स्थानों के यात्रियों के लिये विश्राम स्थल का कार्य करता है। .

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कल्पना चावला

कल्पना चावला (17 मार्च 1962 - 1 फ़रवरी 2003), एक भारतीय अमरीकी अंतरिक्ष यात्री और अंतरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ थी और अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला थी। वे कोलंबिया अन्तरिक्ष यान आपदा में मारे गए सात यात्री दल सदस्यों में से एक थीं। .

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कुरुक्षेत्र

कुरुक्षेत्र(Kurukshetra) हरियाणा राज्य का एक प्रमुख जिला और उसका मुख्यालय है। यह हरियाणा के उत्तर में स्थित है तथा अम्बाला, यमुना नगर, करनाल और कैथल से घिरा हुआ है तथा दिल्ली और अमृतसर को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग और रेलमार्ग पर स्थित है। इसका शहरी इलाका एक अन्य एटिहासिक स्थल थानेसर से मिला हुआ है। यह एक महत्वपूर्ण हिन्दू तीर्थस्थल है। माना जाता है कि यहीं महाभारत की लड़ाई हुई थी और भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश यहीं ज्योतिसर नामक स्थान पर दिया था। यह क्षेत्र बासमती चावल के उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध है। .

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कौटिल्य पण्डित

कौटिल्य पण्डित (अंग्रेजी: Kautilya Pandit, जन्म: 24 दिसम्बर 2007) भारत में हरियाणा प्रान्त के करनाल जिले के कोहँड़ गाँव में जन्मा एक असाधारण प्रतिभासम्पन्न बच्चा है जिसने महज 5 वर्ष 10 महीने की आयु में ही विश्व भूगोल, प्रति व्यक्ति आय, घरेलू उत्पाद व राजनीति जैसे विभिन्न विषयों से सम्बन्धित प्रश्नों के चुटकी बजाते उत्तर देकर सबको आश्चर्यचकित कर दिया है। जहाँ इस उम्र में बच्चे एबीसी, कखग और नर्सरी कवितायें रटते है वहाँ इस बच्चे ने असाधारण रूप से अपने मानव मष्तिष्क की क्षमता में कम्प्यूटर को भी मात दे दी है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ मनोवैज्ञानिक उसकी स्मृति क्षमता (बुद्धि लब्धि) का अध्ययन कर रहे हैं। 4 अक्टूबर 2013 को हरियाणा के मुख्यमन्त्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने विलक्षण प्रतिभावान कौटिल्य को 10 लाख रुपये का चेक व प्रशस्ति पत्र प्रदान किया। 14 अक्टूबर 2013 को कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी) जैसे लोकप्रिय टीवी कार्यक्रम में अमिताभ बच्चन के सामने हॉटसीट पर पहुँचकर कौटिल्य ने अपनी तीक्ष्ण बुद्धि और हाजिरजवाबी का परिचय दिया। कौटिल्य अपने दादा जयकृष्ण शर्मा को अपना सर्वश्रेष्ठ मित्र व गुरु मानता है। उसके पिता सतीश शर्मा चाहते हैं कि कौटिल्य अपनी रुचि के विषय में दक्षता के साथ अपनी शिक्षा पूर्ण करे। विभिन्न टीवी चैनलों पर उसके कार्यक्रम देखकर लोगबाग उसे गूगल बॉय (गूगल बच्चा) तक कहने लगे हैं। .

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कैथल

कैथल हरियाणा प्रान्त का एक महाभारत कालीन ऐतिहासिक शहर है। इसकी सीमा करनाल, कुरुक्षेत्र, जीन्द और पंजाब के पटियाला जिले से मिली हुई है। पुराणों के अनुसार इसकी स्थापना युधिष्ठिर ने की थी। इसे वानर राज हनुमान का जन्म स्थान भी माना जाता है। इसीलिए पहले इसे कपिस्थल के नाम से जाना जाता था। आधुनिक कैथल पहले करनाल जिले का भाग था। लेकिन 1973 ई. में यह कुरूक्षेत्र में चला गया। बाद में हरियाणा सरकार ने इसे कुरूक्षेत्र से अलग कर 1 नवम्बर 1989 ई. को स्वतंत्र जिला घोषित कर दिया। यह राष्ट्रीय राजमार्ग 65 पर स्थित है। .

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कोस मीनार

कोस मीनार का प्रयोग शेर शाह सूरी के जमाने में सड़कों को नियमित अंतराल पर चिन्हित करने के लिए किया जाता था।। ग्रैंड ट्रंक रोड के किनारे हर कोस पर मीनारें बनवाई गई थीं। अधिकतर इन्हें १५५६-१७०७ के बीच बनाया गया था। कई मीनारें आज भी सुरक्षित हैं तथा इन्हें दिल्ली-अंबाला राजमार्ग पर देखा जा सकता है। पुरातत्व विभाग के अनुसार भारत के हरियाणा राज्य में कुल ४९ कोस मीनारे है जिनमें फरीदाबाद में १७, सोनीपत में ७, पानीपत में ५, करनाल में १०, कुरुक्षेत्र और अम्बाला में ९ एवं रोहतक में १ मीनार हैं। आजकल इन्हें सुरक्षित स्मारक घोषित किया गया है तथा पुरातत्व विभाग इनकी देखरेख करता है। File:Mughal milestone.jpg|उत्तर प्रदेश में स्थित एक कोस मीनार File:Mughal-era Kos Minar in the Delhi National Zoo.jpg | दिल्ली चिड़ियाघर स्थित कोस मीनार File:Kos minar,tirawadi,karnal.JPG|हरियाणा के तरावड़ी (जिला करनाल) स्थित कोस मीनार File:One Kos Minar, Lahore.JPG|लाहौर (वर्तमान पाकिस्तान) स्थित कोस मीनार .

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अनीश भानवाला

अनीश भानवाला (जन्म 26 सितम्बर 2002) एक भारतीय निशानेबाज हैं। वे करनाल, हरियाणा से हैं। वे 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल, 25 मीटर पिस्टल तथा 25 मीटर स्टैण्डर्ड पिस्टल स्पर्धाओं में भाग लेते हैं। अनीश 2017 से भारतीय निशानेबाजी टीम का हिस्सा हैं। .

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अमृतसर

अमृतसर (पंजाबी:ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ) भारत के पंजाब राज्य का एक शहर है।http://amritsar.nic.in अमृतसर की आधिकारिक वैबसाईट अमृतसर पंजाब का सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र शहर माना जाता है। पवित्र इसलिए माना जाता है क्योंकि सिक्खों का सबसे बड़ा गुरूद्वारा स्वर्ण मंदिर अमृतसर में ही है। ताजमहल के बाद सबसे ज्यादा पर्यटक अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को ही देखने आते हैं। स्वर्ण मंदिर अमृतसर का दिल माना जाता है। यह गुरू रामदास का डेरा हुआ करता था। अमृतसर का इतिहास गौरवमयी है। यह अपनी संस्कृति और लड़ाइयों के लिए बहुत प्रसिद्ध रहा है। अमृतसर अनेक त्रासदियों और दर्दनाक घटनाओं का गवाह रहा है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का सबसे बड़ा नरसंहार अमृतसर के जलियांवाला बाग में ही हुआ था। इसके बाद भारत पाकिस्तान के बीच जो बंटवारा हुआ उस समय भी अमृतसर में बड़ा हत्याकांड हुआ। यहीं नहीं अफगान और मुगल शासकों ने इसके ऊपर अनेक आक्रमण किए और इसको बर्बाद कर दिया। इसके बावजूद सिक्खों ने अपने दृढ संकल्प और मजबूत इच्छाशक्ति से दोबारा इसको बसाया। हालांकि अमृतसर में समय के साथ काफी बदलाव आए हैं लेकिन आज भी अमृतसर की गरिमा बरकरार है। .

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उत्तर प्रदेश के राज्य राजमार्गों की सूची

उत्तर प्रदेश राज्य में कुल ३५ राष्ट्रीय राजमार्ग हैं, जिनकी कुल लंबाई ४०६३५ किमी है; और ८३ राज्य राजमार्ग हैं, जिनकी कुल लंबाई ८४३२ किमी है। .

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उत्तर भारत बाढ़ २०१३

जून 2013 में, उत्तर भारत में भारी बारिश के कारण हिमाचल प्रदेश और उत्तराखण्ड में बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति पैदा हो गयी। इससे प्रभावित अन्य राज्य हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश हैं। बाढ़ के कारण जान-माल का भारी नुकसान हुआ और बहुत से लोग बाढ़ में बह गए और हजारों लोग बेघर हो गये। इस भयानक आपदा में 5000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं, .

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छावनी चर्च टावर

श्रेणी:गिरजाघर.

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१८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम

१८५७ के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों को समर्पित भारत का डाकटिकट। १८५७ का भारतीय विद्रोह, जिसे प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, सिपाही विद्रोह और भारतीय विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है इतिहास की पुस्तकें कहती हैं कि 1857 की क्रान्ति की शुरूआत '10 मई 1857' की संध्या को मेरठ मे हुई थी और इसको समस्त भारतवासी 10 मई को प्रत्येक वर्ष ”क्रान्ति दिवस“ के रूप में मनाते हैं, क्रान्ति की शुरूआत करने का श्रेय अमर शहीद कोतवाल धनसिंह गुर्जर को जाता है 10 मई 1857 को मेरठ में विद्रोही सैनिकों और पुलिस फोर्स ने अंग्रेजों के विरूद्ध साझा मोर्चा गठित कर क्रान्तिकारी घटनाओं को अंजाम दिया।1 सैनिकों के विद्रोह की खबर फैलते ही मेरठ की शहरी जनता और आस-पास के गांव विशेषकर पांचली, घाट, नंगला, गगोल इत्यादि के हजारों ग्रामीण मेरठ की सदर कोतवाली क्षेत्र में जमा हो गए। इसी कोतवाली में धन सिंह कोतवाल (प्रभारी) के पद पर कार्यरत थे।2 मेरठ की पुलिस बागी हो चुकी थी। धन सिंह कोतवाल क्रान्तिकारी भीड़ (सैनिक, मेरठ के शहरी, पुलिस और किसान) में एक प्राकृतिक नेता के रूप में उभरे। उनका आकर्षक व्यक्तित्व, उनका स्थानीय होना, (वह मेरठ के निकट स्थित गांव पांचली के रहने वाले थे), पुलिस में उच्च पद पर होना और स्थानीय क्रान्तिकारियों का उनको विश्वास प्राप्त होना कुछ ऐसे कारक थे जिन्होंने धन सिंह को 10 मई 1857 के दिन मेरठ की क्रान्तिकारी जनता के नेता के रूप में उभरने में मदद की। उन्होंने क्रान्तिकारी भीड़ का नेतृत्व किया और रात दो बजे मेरठ जेल पर हमला कर दिया। जेल तोड़कर 836 कैदियों को छुड़ा लिया और जेल में आग लगा दी।3 जेल से छुड़ाए कैदी भी क्रान्ति में शामिल हो गए। उससे पहले पुलिस फोर्स के नेतृत्व में क्रान्तिकारी भीड़ ने पूरे सदर बाजार और कैंट क्षेत्र में क्रान्तिकारी घटनाओं को अंजाम दिया। रात में ही विद्रोही सैनिक दिल्ली कूच कर गए और विद्रोह मेरठ के देहात में फैल गया। मंगल पाण्डे 8 अप्रैल, 1857 को बैरकपुर, बंगाल में शहीद हो गए थे। मंगल पाण्डे ने चर्बी वाले कारतूसों के विरोध में अपने एक अफसर को 29 मार्च, 1857 को बैरकपुर छावनी, बंगाल में गोली से उड़ा दिया था। जिसके पश्चात उन्हें गिरफ्तार कर बैरकपुर (बंगाल) में 8 अप्रैल को फासी दे दी गई थी। 10 मई, 1857 को मेरठ में हुए जनक्रान्ति के विस्फोट से उनका कोई सम्बन्ध नहीं है। क्रान्ति के दमन के पश्चात् ब्रिटिश सरकार ने 10 मई, 1857 को मेरठ मे हुई क्रान्तिकारी घटनाओं में पुलिस की भूमिका की जांच के लिए मेजर विलियम्स की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई।4 मेजर विलियम्स ने उस दिन की घटनाओं का भिन्न-भिन्न गवाहियों के आधार पर गहन विवेचन किया तथा इस सम्बन्ध में एक स्मरण-पत्र तैयार किया, जिसके अनुसार उन्होंने मेरठ में जनता की क्रान्तिकारी गतिविधियों के विस्फोट के लिए धन सिंह कोतवाल को मुख्य रूप से दोषी ठहराया, उसका मानना था कि यदि धन सिंह कोतवाल ने अपने कर्तव्य का निर्वाह ठीक प्रकार से किया होता तो संभवतः मेरठ में जनता को भड़कने से रोका जा सकता था।5 धन सिंह कोतवाल को पुलिस नियंत्रण के छिन्न-भिन्न हो जाने के लिए दोषी पाया गया। क्रान्तिकारी घटनाओं से दमित लोगों ने अपनी गवाहियों में सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि धन सिंह कोतवाल क्योंकि स्वयं गूजर है इसलिए उसने क्रान्तिकारियों, जिनमें गूजर बहुसंख्या में थे, को नहीं रोका। उन्होंने धन सिंह पर क्रान्तिकारियों को खुला संरक्षण देने का आरोप भी लगाया।6 एक गवाही के अनुसार क्रान्तिकरियों ने कहा कि धन सिंह कोतवाल ने उन्हें स्वयं आस-पास के गांव से बुलाया है 7 यदि मेजर विलियम्स द्वारा ली गई गवाहियों का स्वयं विवेचन किया जाये तो पता चलता है कि 10 मई, 1857 को मेरठ में क्रांति का विस्फोट काई स्वतः विस्फोट नहीं वरन् एक पूर्व योजना के तहत एक निश्चित कार्यवाही थी, जो परिस्थितिवश समय पूर्व ही घटित हो गई। नवम्बर 1858 में मेरठ के कमिश्नर एफ0 विलियम द्वारा इसी सिलसिले से एक रिपोर्ट नोर्थ - वैस्टर्न प्रान्त (आधुनिक उत्तर प्रदेश) सरकार के सचिव को भेजी गई। रिपोर्ट के अनुसार मेरठ की सैनिक छावनी में ”चर्बी वाले कारतूस और हड्डियों के चूर्ण वाले आटे की बात“ बड़ी सावधानी पूर्वक फैलाई गई थी। रिपोर्ट में अयोध्या से आये एक साधु की संदिग्ध भूमिका की ओर भी इशारा किया गया था।8 विद्रोही सैनिक, मेरठ शहर की पुलिस, तथा जनता और आस-पास के गांव के ग्रामीण इस साधु के सम्पर्क में थे। मेरठ के आर्य समाजी, इतिहासज्ञ एवं स्वतन्त्रता सेनानी आचार्य दीपांकर के अनुसार यह साधु स्वयं दयानन्द जी थे और वही मेरठ में 10 मई, 1857 की घटनाओं के सूत्रधार थे। मेजर विलियम्स को दो गयी गवाही के अनुसार कोतवाल स्वयं इस साधु से उसके सूरजकुण्ड स्थित ठिकाने पर मिले थे।9 हो सकता है ऊपरी तौर पर यह कोतवाल की सरकारी भेंट हो, परन्तु दोनों के आपस में सम्पर्क होने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता। वास्तव में कोतवाल सहित पूरी पुलिस फोर्स इस योजना में साधु (सम्भवतः स्वामी दयानन्द) के साथ देशव्यापी क्रान्तिकारी योजना में शामिल हो चुकी थी। 10 मई को जैसा कि इस रिपोर्ट में बताया गया कि सभी सैनिकों ने एक साथ मेरठ में सभी स्थानों पर विद्रोह कर दिया। ठीक उसी समय सदर बाजार की भीड़, जो पहले से ही हथियारों से लैस होकर इस घटना के लिए तैयार थी, ने भी अपनी क्रान्तिकारी गतिविधियां शुरू कर दीं। धन सिंह कोतवाल ने योजना के अनुसार बड़ी चतुराई से ब्रिटिश सरकार के प्रति वफादार पुलिस कर्मियों को कोतवाली के भीतर चले जाने और वहीं रहने का आदेश दिया।10 आदेश का पालन करते हुए अंग्रेजों के वफादार पिट्ठू पुलिसकर्मी क्रान्ति के दौरान कोतवाली में ही बैठे रहे। इस प्रकार अंग्रेजों के वफादारों की तरफ से क्रान्तिकारियों को रोकने का प्रयास नहीं हो सका, दूसरी तरफ उसने क्रान्तिकारी योजना से सहमत सिपाहियों को क्रान्ति में अग्रणी भूमिका निभाने का गुप्त आदेश दिया, फलस्वरूप उस दिन कई जगह पुलिस वालों को क्रान्तिकारियों की भीड़ का नेतृत्व करते देखा गया।11 धन सिंह कोतवाल अपने गांव पांचली और आस-पास के क्रान्तिकारी गूजर बाहुल्य गांव घाट, नंगला, गगोल आदि की जनता के सम्पर्क में थे, धन सिंह कोतवाल का संदेश मिलते ही हजारों की संख्या में गूजर क्रान्तिकारी रात में मेरठ पहुंच गये। मेरठ के आस-पास के गांवों में प्रचलित किवंदन्ती के अनुसार इस क्रान्तिकारी भीड़ ने धन सिंह कोतवाल के नेतृत्व में देर रात दो बजे जेल तोड़कर 836 कैदियों को छुड़ा लिया12 और जेल को आग लगा दी। मेरठ शहर और कैंट में जो कुछ भी अंग्रेजों से सम्बन्धित था उसे यह क्रान्तिकारियों की भीड़ पहले ही नष्ट कर चुकी थी। उपरोक्त वर्णन और विवेचना के आधार पर हम निःसन्देह कह सकते हैं कि धन सिंह कोतवाल ने 10 मई, 1857 के दिन मेरठ में मुख्य भूमिका का निर्वाह करते हुए क्रान्तिकारियों को नेतृत्व प्रदान किया था।1857 की क्रान्ति की औपनिवेशिक व्याख्या, (ब्रिटिश साम्राज्यवादी इतिहासकारों की व्याख्या), के अनुसार 1857 का गदर मात्र एक सैनिक विद्रोह था जिसका कारण मात्र सैनिक असंतोष था। इन इतिहासकारों का मानना है कि सैनिक विद्रोहियों को कहीं भी जनप्रिय समर्थन प्राप्त नहीं था। ऐसा कहकर वह यह जताना चाहते हैं कि ब्रिटिश शासन निर्दोष था और आम जनता उससे सन्तुष्ट थी। अंग्रेज इतिहासकारों, जिनमें जौन लोरेंस और सीले प्रमुख हैं ने भी 1857 के गदर को मात्र एक सैनिक विद्रोह माना है, इनका निष्कर्ष है कि 1857 के विद्रोह को कही भी जनप्रिय समर्थन प्राप्त नहीं था, इसलिए इसे स्वतन्त्रता संग्राम नहीं कहा जा सकता। राष्ट्रवादी इतिहासकार वी0 डी0 सावरकर और सब-आल्टरन इतिहासकार रंजीत गुहा ने 1857 की क्रान्ति की साम्राज्यवादी व्याख्या का खंडन करते हुए उन क्रान्तिकारी घटनाओं का वर्णन किया है, जिनमें कि जनता ने क्रान्ति में व्यापक स्तर पर भाग लिया था, इन घटनाओं का वर्णन मेरठ में जनता की सहभागिता से ही शुरू हो जाता है। समस्त पश्चिम उत्तर प्रदेश के बन्जारो, रांघड़ों और गूजर किसानों ने 1857 की क्रान्ति में व्यापक स्तर पर भाग लिया। पूर्वी उत्तर प्रदेश में ताल्लुकदारों ने अग्रणी भूमिका निभाई। बुनकरों और कारीगरों ने अनेक स्थानों पर क्रान्ति में भाग लिया। 1857 की क्रान्ति के व्यापक आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक कारण थे और विद्रोही जनता के हर वर्ग से आये थे, ऐसा अब आधुनिक इतिहासकार सिद्ध कर चुके हैं। अतः 1857 का गदर मात्र एक सैनिक विद्रोह नहीं वरन् जनसहभागिता से पूर्ण एक राष्ट्रीय स्वतन्त्रता संग्राम था। परन्तु 1857 में जनसहभागिता की शुरूआत कहाँ और किसके नेतृत्व में हुई ? इस जनसहभागिता की शुरूआत के स्थान और इसमें सहभागिता प्रदर्शित वाले लोगों को ही 1857 की क्रान्ति का जनक कहा जा सकता है। क्योंकि 1857 की क्रान्ति में जनता की सहभागिता की शुरूआत धन सिंह कोतवाल के नेतृत्व में मेरठ की जनता ने की थी। अतः ये ही 1857 की क्रान्ति के जनक कहे जाते हैं। 10, मई 1857 को मेरठ में जो महत्वपूर्ण भूमिका धन सिंह और उनके अपने ग्राम पांचली के भाई बन्धुओं ने निभाई उसकी पृष्ठभूमि में अंग्रेजों के जुल्म की दास्तान छुपी हुई है। ब्रिटिश साम्राज्य की औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था की कृषि नीति का मुख्य उद्देश्य सिर्फ अधिक से अधिक लगान वसूलना था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अंग्रेजों ने महलवाड़ी व्यवस्था लागू की थी, जिसके तहत समस्त ग्राम से इकट्ठा लगान तय किया जाता था और मुखिया अथवा लम्बरदार लगान वसूलकर सरकार को देता था। लगान की दरें बहुत ऊंची थी, और उसे बड़ी कठोरता से वसूला जाता था। कर न दे पाने पर किसानों को तरह-तरह से बेइज्जत करना, कोड़े मारना और उन्हें जमीनों से बेदखल करना एक आम बात थी, किसानों की हालत बद से बदतर हो गई थी। धन सिंह कोतवाल भी एक किसान परिवार से सम्बन्धित थे। किसानों के इन हालातों से वे बहुत दुखी थे। धन सिंह के पिता पांचली ग्राम के मुखिया थे, अतः अंग्रेज पांचली के उन ग्रामीणों को जो किसी कारणवश लगान नहीं दे पाते थे, उन्हें धन सिंह के अहाते में कठोर सजा दिया करते थे, बचपन से ही इन घटनाओं को देखकर धन सिंह के मन में आक्रोष जन्म लेने लगा।13 ग्रामीणों के दिलो दिमाग में ब्रिटिष विरोध लावे की तरह धधक रहा था। 1857 की क्रान्ति में धन सिंह और उनके ग्राम पांचली की भूमिका का विवेचन करते हुए हम यह नहीं भूल सकते कि धन सिंह गूजर जाति में जन्में थे, उनका गांव गूजर बहुल था। 1707 ई0 में औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात गूजरों ने पश्चिम उत्तर प्रदेश में अपनी राजनैतिक ताकत काफी बढ़ा ली थी।14 लढ़ौरा, मुण्डलाना, टिमली, परीक्षितगढ़, दादरी, समथर-लौहा गढ़, कुंजा बहादुरपुर इत्यादि रियासतें कायम कर वे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक गूजर राज्य बनाने के सपने देखने लगे थे।15 1803 में अंग्रेजों द्वारा दोआबा पर अधिकार करने के वाद गूजरों की शक्ति क्षीण हो गई थी, गूजर मन ही मन अपनी राजनैतिक शक्ति को पुनः पाने के लिये आतुर थे, इस दषा में प्रयास करते हुए गूजरों ने सर्वप्रथम 1824 में कुंजा बहादुरपुर के ताल्लुकदार विजय सिंह और कल्याण सिंह उर्फ कलवा गूजर के नेतृत्व में सहारनपुर में जोरदार विद्रोह किये।16 पश्चिमी उत्तर प्रदेष के गूजरों ने इस विद्रोह में प्रत्यक्ष रूप से भाग लिया परन्तु यह प्रयास सफल नहीं हो सका। 1857 के सैनिक विद्रोह ने उन्हें एक और अवसर प्रदान कर दिया। समस्त पश्चिमी उत्तर प्रदेष में देहरादून से लेकिन दिल्ली तक, मुरादाबाद, बिजनौर, आगरा, झांसी तक। पंजाब, राजस्थान से लेकर महाराष्ट्र तक के गूजर इस स्वतन्त्रता संग्राम में कूद पड़े। हजारों की संख्या में गूजर शहीद हुए और लाखों गूजरों को ब्रिटेन के दूसरे उपनिवेषों में कृषि मजदूर के रूप में निर्वासित कर दिया। इस प्रकार धन सिंह और पांचली, घाट, नंगला और गगोल ग्रामों के गूजरों का संघर्ष गूजरों के देशव्यापी ब्रिटिष विरोध का हिस्सा था। यह तो बस एक शुरूआत थी। 1857 की क्रान्ति के कुछ समय पूर्व की एक घटना ने भी धन सिंह और ग्रामवासियों को अंग्रेजी शासन को उखाड़ फेंकने के लिए प्रेरित किया। पांचली और उसके निकट के ग्रामों में प्रचलित किंवदन्ती के अनुसार घटना इस प्रकार है, ”अप्रैल का महीना था। किसान अपनी फसलों को उठाने में लगे हुए थे। एक दिन करीब 10 11 बजे के आस-पास बजे दो अंग्रेज तथा एक मेम पांचली खुर्द के आमों के बाग में थोड़ा आराम करने के लिए रूके। इसी बाग के समीप पांचली गांव के तीन किसान जिनके नाम मंगत सिंह, नरपत सिंह और झज्जड़ सिंह (अथवा भज्जड़ सिंह) थे, कृषि कार्यो में लगे थे। अंग्रेजों ने इन किसानों से पानी पिलाने का आग्रह किया। अज्ञात कारणों से इन किसानों और अंग्रेजों में संघर्ष हो गया। इन किसानों ने अंग्रेजों का वीरतापूर्वक सामना कर एक अंग्रेज और मेम को पकड़ दिया। एक अंग्रेज भागने में सफल रहा। पकड़े गए अंग्रेज सिपाही को इन्होंने हाथ-पैर बांधकर गर्म रेत में डाल दिया और मेम से बलपूर्वक दायं हंकवाई। दो घंटे बाद भागा हुआ सिपाही एक अंग्रेज अधिकारी और 25-30 सिपाहियों के साथ वापस लौटा। तब तक किसान अंग्रेज सैनिकों से छीने हुए हथियारों, जिनमें एक सोने की मूठ वाली तलवार भी थी, को लेकर भाग चुके थे। अंग्रेजों की दण्ड नीति बहुत कठोर थी, इस घटना की जांच करने और दोषियों को गिरफ्तार कर अंग्रेजों को सौंपने की जिम्मेदारी धन सिंह के पिता, जो कि गांव के मुखिया थे, को सौंपी गई। ऐलान किया गया कि यदि मुखिया ने तीनों बागियों को पकड़कर अंग्रेजों को नहीं सौपा तो सजा गांव वालों और मुखिया को भुगतनी पड़ेगी। बहुत से ग्रामवासी भयवश गाँव से पलायन कर गए। अन्ततः नरपत सिंह और झज्जड़ सिंह ने तो समर्पण कर दिया किन्तु मंगत सिंह फरार ही रहे। दोनों किसानों को 30-30 कोड़े और जमीन से बेदखली की सजा दी गई। फरार मंगत सिंह के परिवार के तीन सदस्यों के गांव के समीप ही फांसी पर लटका दिया गया। धन सिंह के पिता को मंगत सिंह को न ढूंढ पाने के कारण छः माह के कठोर कारावास की सजा दी गई। इस घटना ने धन सिंह सहित पांचली के बच्चे-बच्चे को विद्रोही बना दिया।17 जैसे ही 10 मई को मेरठ में सैनिक बगावत हुई धन सिंह और ने क्रान्ति में सहभागिता की शुरूआत कर इतिहास रच दिया। क्रान्ति मे अग्रणी भूमिका निभाने की सजा पांचली व अन्य ग्रामों के किसानों को मिली। मेरठ गजेटियर के वर्णन के अनुसार 4 जुलाई, 1857 को प्रातः चार बजे पांचली पर एक अंग्रेज रिसाले ने तोपों से हमला किया। रिसाले में 56 घुड़सवार, 38 पैदल सिपाही और 10 तोपची थे। पूरे ग्राम को तोप से उड़ा दिया गया। सैकड़ों किसान मारे गए, जो बच गए उनमें से 46 लोग कैद कर लिए गए और इनमें से 40 को बाद में फांसी की सजा दे दी गई।18 आचार्य दीपांकर द्वारा रचित पुस्तक स्वाधीनता आन्दोलन और मेरठ के अनुसार पांचली के 80 लोगों को फांसी की सजा दी गई थी। पूरे गांव को लगभग नष्ट ही कर दिया गया। ग्राम गगोल के भी 9 लोगों को दशहरे के दिन फाँसी की सजा दी गई और पूरे ग्राम को नष्ट कर दिया। आज भी इस ग्राम में दश्हरा नहीं मनाया जाता। संदर्भ एवं टिप्पणी 1.

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