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कछारी राज्य

सूची कछारी राज्य

कछारी (असमिया: কছাৰী) मध्यकालीन असम का एक शक्तिशाली राज्य था। असम राज्य के उत्तरी असम-भूटान-सीमावर्ती कामरूप और दरंग जिले वर्तमान कछारी या 'बोड़ो' कबीले का मुख्य निवास स्थान हैं। .

5 संबंधों: ब्रिटिशकालीन भारत के रियासतों की सूची, हैजोंग लोग, हैजोंग जाति, कछारी भाषा, कछारी खंडहर

ब्रिटिशकालीन भारत के रियासतों की सूची

सन १९१९ में भारतीय उपमहाद्वीप की मानचित्र। ब्रितिश साशित क्षेत्र व स्वतन्त्र रियासतों के क्षेत्रों को दरशाया गया है सन १९४७ में स्वतंत्रता और विभाजन से पहले भारतवर्ष में ब्रिटिश शासित क्षेत्र के अलावा भी छोटे-बड़े कुल 565 स्वतन्त्र रियासत हुआ करते थे, जो ब्रिटिश भारत का हिस्सा नहीं थे। ये रियासतें भारतीय उपमहाद्वीप के वो क्षेत्र थे, जहाँ पर अंग्रेज़ों का प्रत्यक्ष रूप से शासन नहीं था, बल्कि ये रियासत सन्धि द्वारा ब्रिटिश राज के प्रभुत्व के अधीन थे। इन संधियों के शर्त, हर रियासत के लिये भिन्न थे, परन्तु मूल रूप से हर संधि के तहत रियासतों को विदेश मामले, अन्य रियासतों से रिश्ते व समझौते और सेना व सुरक्षा से संबंधित विषयों पर ब्रिटिशों की अनुमति लेनी होती थी, इन विषयों का प्रभार प्रत्यक्ष रूप से अंग्रेजी शासन पर था और बदले में ब्रिटिश सरकार, शासकों को स्वतन्त्र रूप से शासन करने की अनुमती देती थी। सन १९४७ में भारत की स्वतंत्रता व विभाजन के पश्चात सिक्किम के अलावा अन्य सभी रियासत या तो भारत या पाकिस्तान अधिराज्यों में से किसी एक में शामिल हो गए, या उन पर कब्जा कर लिया गया। नव स्वतंत्र भारत में ब्रिटिश भारत की एजेंसियों को "दूसरी श्रेणी" के राज्यों का दर्जा दिया गया (उदाहरणस्वरूप: "सेंट्रल इण्डिया एजेंसी", "मध्य भारत राज्य" बन गया)। इन राज्यों के मुखिया को राज्यपाल नहीं राजप्रमुख कहा जाता था। १९५६ तक "राज्य पुनर्गठन अयोग" के सुझाव पर अमल करते हुए भारत सरकार ने राज्यों को पुनर्गठित कर वर्तमान स्थिती में लाया। परिणामस्वरूप सभी रियासतों को स्वतंत्र भारत के राज्यों में विलीन कर लिया गया। इस तरह रियासतों का अंत हो गया। सन १९६२ में प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के शासनकाल के दौरान इन रियासतों के शासकों के निजी कोशों को एवं अन्य सभी ग़ैर-लोकतान्त्रिक रियायतों को भी रद्ध कर दिया गया .

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हैजोंग लोग

हैजोंग लोग उत्तर-पूर्वी भारत और बंगाल के जनजातीय लोग होते हैं। ये मेघालय की चौथी सबसे बडी जाति हैं।हैजोंग लोग पूर्वोत्तर भारत के पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में फ़ैले हुए हैं। अधिकांश हैजोंग लोग भारत में ही बसे हुए हैं। वर्तमाण में इनकी संख्या १,५०,००० भारत में और ५०,००० बांग्लादेश में है। The Joshua Project www.joshuaproject.net 2011 हैजोंग मुख्य रूप से चावल किसान होते हैं।Ahmad, S., A. Kim, S. Kim, and M. Sangma.

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हैजोंग जाति

हैजोंग लोग उत्तर-पूर्वी भारत और बंगाल के जनजातीय लोग होते हैं। ये मेघालय की चौथी सबसे बडी जाति हैं।हैजोंग लोग पूर्वोत्तर भारत के पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में फ़ैले हुए हैं। अधिकांश हैजोंग लोग भारत में ही बसे हुए हैं। वर्तमाण में इनकी संख्या १,५०,००० भारत में और ५०,००० बांग्लादेश में है। The Joshua Project www.joshuaproject.net 2011 हैजोंग मुख्य रूप से चावल किसान होते हैं।Ahmad, S., A. Kim, S. Kim, and M. Sangma.

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कछारी भाषा

कछारी (असमिया: কছাৰী, अंग्रेज़ी: Kachari या Cachari) भारत के असम राज्य के कुछ भागों में बोली जाने वाली एक ब्रह्मपुत्री भाषा है। मूल रूप से यह कछारी लोगों की मातृभाषा है लेकिन वर्तमानकाल में ३०% से कम कछारी लोग इसका दैनिक प्रयोग करते हैं, जबकि उनमें आजकल असमिया भाषा प्रचलित है। माना जाता है कि आधुनिक असमिया भाषा पर भी कछारी भाषा का गहरा प्रभाव रहा है।, pp.

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कछारी खंडहर

कछारी खंडहर नागालैण्ड के दीमापुर क्षेत्र में स्थित कुछ ऐतिहासिक निर्माणों के खंडहर हैं। यह १०वीं सदी ईसवी में कछारी राज्य के ज़माने में बनाए गए थे और इनमें मुख्य रूप से स्तम्भों की दो शृंखलाएँ देखने को मिलती है। इन स्तम्भों को बनाने का उद्देश्य क्या था, इस प्रश्न को लेकर इतिहासकारों में एकमत नहीं है। १३वीं शताब्दी में अहोम लोगों के इस क्षेत्र पर आक्रमण करके यहाँ पर कछारी राज को हमेशा के लिए नष्ट कर दिया।, DK Publishing, pp.

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