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औद्योगिक क्रांति

सूची औद्योगिक क्रांति

'''वाष्प इंजन''' औद्योगिक क्रांति का प्रतीक था। अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध तथा उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में कुछ पश्चिमी देशों के तकनीकी, सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक स्थिति में काफी बड़ा बदलाव आया। इसे ही औद्योगिक क्रान्ति (Industrial Revolution) के नाम से जाना जाता है। यह सिलसिला ब्रिटेन से आरम्भ होकर पूरे विश्व में फैल गया। "औद्योगिक क्रांति" शब्द का इस संदर्भ में उपयोग सबसे पहले आरनोल्ड टायनबी ने अपनी पुस्तक "लेक्चर्स ऑन दि इंड्स्ट्रियल रिवोल्यूशन इन इंग्लैंड" में सन् 1844 में किया। औद्योगिक क्रान्ति का सूत्रपात वस्त्र उद्योग के मशीनीकरण के साथ आरम्भ हुआ। इसके साथ ही लोहा बनाने की तकनीकें आयीं और शोधित कोयले का अधिकाधिक उपयोग होने लगा। कोयले को जलाकर बने वाष्प की शक्ति का उपयोग होने लगा। शक्ति-चालित मशीनों (विशेषकर वस्त्र उद्योग में) के आने से उत्पादन में जबरदस्त वृद्धि हुई। उन्नीसवी सदी के प्रथम् दो दशकों में पूरी तरह से धातु से बने औजारों का विकास हुआ। इसके परिणामस्वरूप दूसरे उद्योगों में काम आने वाली मशीनों के निर्माण को गति मिली। उन्नीसवी शताब्दी में यह पूरे पश्चिमी यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका में फैल गयी। अलग-अलग इतिहासकार औद्योगिक क्रान्ति की समयावधि अलग-अलग मानते नजर आते हैं जबकि कुछ इतिहासकार इसे क्रान्ति मानने को ही तैयार नहीं हैं। अनेक विचारकों का मत है कि गुलाम देशों के स्रोतों के शोषण और लूट के बिना औद्योगिक क्रान्ति सम्भव नही हुई होती, क्योंकि औद्योगिक विकास के लिये पूंजी अति आवश्यक चीज है और वह उस समय भारत आदि गुलाम देशों के संसाधनों के शोषण से प्राप्त की गयी थी। .

110 संबंधों: ऊर्जा, एडिनबर्ग, ढलवां लोहा, ताड़ का तेल, तकिया, थॉमस हार्डी, द वेल्थ ऑफ नेशन्स, दुग्धशाला, धन-निष्कासन सिद्धान्त, नियंत्रण प्रणाली, निगम, न्याय, न्यू इंग्लैंड, नॉटिंघम, नोदक, पथचारी आन्दोलन, परिवार, पर्यटन, पश्चिमी संस्कृति, पहला विश्व युद्ध, पालनौका, पुनर्जागरण, प्रबन्ध के सिद्धान्त, प्रौद्योगिकी, प्रौद्योगिकी का इतिहास, प्रौद्योगिकीय क्रांति, पृथ्वी का इतिहास, पूरब से उत्पन्न पश्चिमी सभ्यता, पूंजीवाद, फ्रैंकनस्टाइन, फ्रेडरिक एंगेल्स, बचपन, बाल-श्रम, बियर, ब्रिटिश काल में भारत की अर्थव्यवस्था, ब्रिटेन की कृषि क्रांति, बैंक, बेल्जियम, बेसेमर प्रक्रिया, भारत में इस्लाम, भारतीय गणित, भारतीय अर्थव्यवस्था की समयरेखा, भूदृश्य वास्तुकला, भूमंडलीय ऊष्मीकरण, भूमंडलीय ऊष्मीकरण का प्रभाव, मिलानो, यांत्रिक इंजीनियरी, यक्ष्मा, यूनाइटेड किंगडम, यूनाइटेड किंगडम का इतिहास, ..., यूरोप, यूरोप का इतिहास, यूरोपीय ज्ञानोदय, यूरोकेन्द्रीयता, योहान वुल्फगांग फान गेटे, रासायनिक इंजीनियरी का इतिहास, रासायनिक उद्योग, राजनीति विज्ञान, राजनीतिक दर्शन, रूसी क्रांति, लौह धातुकर्म का इतिहास, लीड्स, शेफ़ील्ड, समाजशास्त्र का इतिहास, सहकारी समिति, सामाजिक वर्ग, साम्राज्यवाद, सिलाई मशीन, सिकन्दरिया, स्वच्छन्दतावाद, सूचना युग, सूचना क्रांति, जनसंख्या, जनसंख्या वृद्धि, जल टरबाइन, जलवायु परिवर्तन, वाणिज्यिक क्रांति, वात्या भट्ठी, विलियम काबेट, विश्व शांति, विश्व का आर्थिक इतिहास, विश्व का इतिहास, विवाह, विऔद्योगीकरण, व्यावसायिक संरक्षा एवं स्वास्थ्य, वैज्ञानिक क्रांति, खाद्य प्रसंस्करण, गुन्नार म्यर्दल, ओल्ड टाउन, एडिनबर्ग, औद्योगिक युद्ध, औद्योगिक संबंध, औद्योगिक क्रांति के दौरान वस्त्र निर्माण, औद्योगीकरण, इंग्लैण्ड, कपास कताई के यन्त्र, कल्पनालोकीय समाजवाद, कारखाना, कारखानों में उत्पादन का इतिहास, कृषि, कृषि क्रांति, कैथोलिक गिरजाघर, केमिल बेंसो कावूर, अफ़्रीका, अर्नाल्ड ट्वानबी, अलेक्सांदर द्वितीय, उद्योग, उद्योग 4.0 (चौथी औद्योगिक क्रांति), उपनिवेश, उपनिवेशवाद, उपकरण सूचकांक विस्तार (60 अधिक) »

ऊर्जा

दीप्तिमान (प्रकाश) ऊर्जा छोड़ता हैं। भौतिकी में, ऊर्जा वस्तुओं का एक गुण है, जो अन्य वस्तुओं को स्थानांतरित किया जा सकता है या विभिन्न रूपों में रूपांतरित किया जा सकता हैं। किसी भी कार्यकर्ता के कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा (Energy) कहते हैं। ऊँचाई से गिरते हुए जल में ऊर्जा है क्योंकि उससे एक पहिये को घुमाया जा सकता है जिससे बिजली पैदा की जा सकती है। ऊर्जा की सरल परिभाषा देना कठिन है। ऊर्जा वस्तु नहीं है। इसको हम देख नहीं सकते, यह कोई जगह नहीं घेरती, न इसकी कोई छाया ही पड़ती है। संक्षेप में, अन्य वस्तुओं की भाँति यह द्रव्य नहीं है, यद्यापि बहुधा द्रव्य से इसका घनिष्ठ संबंध रहता है। फिर भी इसका अस्तित्व उतना ही वास्तविक है जितना किसी अन्य वस्तु का और इस कारण कि किसी पिंड समुदाय में, जिसके ऊपर किसी बाहरी बल का प्रभाव नहीं रहता, इसकी मात्रा में कमी बेशी नहीं होती। .

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एडिनबर्ग

एडिनबर्ग या एडिनबर (Edinburgh,अंग्रेजी उच्चारण: / ए॑डिन्बर / Dùn Èideann डुन एडिऽन्न), स्कॉटलैंड की राजधानी, एवं ग्लासगो के बाद, स्कॉटलैंड का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यह स्काॅटलैन्ड के लोथियन क्षेत्र में फ़ाॅर्थ के नदमुख के दक्षिणी तट पर स्थित है। वर्ष 2013 के हिसाब से,इस शहर की आबादी 5,00,000 के करीब है। 15वीं सदी से ही यह ऐतिहासिक शहर स्कॉटलैंड की राजधानी है। शुरुआत से ही स्काॅटियाई राजशाही के सारे महत्वपूर्ण प्रशासनिक भवन इसी शहर में ही स्थित हुआ करते थे, परंतू 1603 और 1707 के बीच, इंग्लैंड से विलय के पश्चात इस शहर की काफ़ी राजनैतिक ताकत लंदन चली गई। 1999 में स्कॉटिश संसद को स्वायत्त रूप से शाही धोषणा द्वारा स्थापित किया गया तब से यह शहर स्काॅटलैंड की संसद व स्काॅटलैंड में राजगद्दी का आसन है। स्कॉटलैंड का राष्ट्रीय संग्रहालय, स्कॉटलैंड का राष्ट्रीय पुस्तकालय और स्कॉटलैंड की अन्य महत्वपूर्ण सांस्कृतिक संस्थाओं के मुख्यालय व नेशनल गैलरी यहीं एडिनबर्ग में स्थित हैं। आर्थिक रूप से, यह यूके में लंदन के बाहर का सबसे बड़ा वित्तीय केंद्र है। एडिनबर्ग का इतिहास काफ़ी लम्बा है, एवं यहां कई ऐतिहासिक इमारतों को भी अच्छी तरह से संरक्षित देखे जा सकते हैं। एडिनबर्ग कासल, हाॅलीरूड पैलेस, सेंट जाइल्स कैथेड्रल और कई अन्य महत्वपूर्ण ऐतिहासिक इमारतें यहां स्थित हैं। एडिनबर्ग का ओल्ड टाउन और न्यू टाउन, यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं। 2004 में, एडिनबर्ग विश्व साहित्य में पहला शहर बन गया। साथी यह ऐतिहासिक रूप से शिक्षा का भी एक विकसित केन्द्र रहा है, यहाँ स्थित, एडिनबर्ग विश्वविद्यालय, ब्रिटेन के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक है, एवं यह अब भी दुनिया के शीर्ष सिक्षा संस्थानों में शामिल है। इसके अलावा एडिनबर्ग अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव और यहां आयोजित किये गए अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी विश्वविख्यात समारोहों में से एक है। लंडन के बाद ब्रिटेन में, एडिनबर्ग दूसरा सबसे बड़ा पर्यटन केन्द्र है। .

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ढलवां लोहा

आयरन-सेमेंटाईट मेटा-स्टेबल डायग्राम. ढलवां लोहा (कास्ट आयरन) आम तौर पर धूसर रंग के लोहे को कहा जाता है लेकिन इसके साथ-साथ यह एक बड़े पुंज में लौह अयस्कों का मिश्रण भी है, जो एक गलनक्रांतिक तरीके से ठोस बन जाता है। किसी भी धातु की खंडित सतह को देखकर उसके मिश्र धातु होने का पता लगाया जा सकता है। सफेद ढलवां लोहे का नामकरण इसकी खंडित सफ़ेद सतह के आधार पर किया गया है क्योंकि इसमें कार्बाइड सम्बन्धी अशुद्धियां पाई जाती हैं जिसकी वजह से इसमें सीधी दरार पड़ती है। धूसर ढलवां लोहे का नामकरण इसकी खंडित धूसर सतह के आधार पर किया गया है, इसके खंडित होने का कारण यह है कि ग्रेफाइट की परतें पदार्थ के टूटने के दौरान पड़ने वाली दरार को विक्षेपित कर देती हैं जिससे अनगिनत नई दरारें पड़ने लगती हैं। मिश्र (अयस्क) धातु में पाए जाने वाले पदार्थों के वजन (wt%) में से 95% से भी अधिक लोहा (Fe) होता है जबकि अन्य मुख्य तत्वों में कार्बन (C) और सिलिकॉन (Si) शामिल हैं। ढलवां लोहे में कार्बन की मात्रा 2.1 से 4 wt% होती है। ढलवां लोहे में सिलिकॉन की पर्याप्त राशि, सामान्य रूप से 1 से 3 wt% होती है और इसके फलस्वरूप इन धातुओं को त्रिगुट Fe-C-Si (लोहा-कार्बन-सिलिकन) धातु माना जाना चाहिए। तथापि ढलवां लोहा घनीकरण का सिद्धांत द्विआधारी लोहा-कार्बन चरण आरेख से समझ आता है, जहां गलनक्रांतिक बिंदु और 4.3 wt% कार्बन के 4.3 % वजन (4.3 wt%) पर है। चूंकि ढलवां लोहे की संरचना का अनुमान इस तथ्य से ही लग जता है कि, इसका गलनांक (पिघलने का तापमान) शुद्ध लोहे के गलनांक से लगभग कम है। पिटवां ढलवां लोहे को छोड़कर, बाकि ढलवां लोहे भंगुर होते है। निम्न गलनांक (कम पिघलने वाले तापमान), अच्छी द्रवता, आकार देने की योग्यता, इच्छित आकार देने की उत्कृष्ट योग्यता, विरूपण करने के लिए प्रतिरोध और जीर्ण होने के प्रतिरोध के साथ ढलवां लोहा अनुप्रयोगों की व्यापक श्रेणी के साथ इंजीनियरिंग सामग्री बन गए हैं, पाइप और मशीनों और मोटर वाहन उद्योग के कुछ हिस्सों, जैसे सिलेंडर हेड्स (उपयोग में गिरावट), सिलेंडर ब्लॉक और गियरबॉक्स के डब्बे (केसेज)(उपयोग में गिरावट) में इसका प्रयोग किया जाता है। यह ऑक्सीकरण (जंग) के द्वारा क्षय होने और कमजोर हो जाने में प्रतिरोधी है। .

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ताड़ का तेल

उबाल के परिणाम स्वरूप ताड़ के तेल का ब्लॉक हल्के रंग दिखा रहा है। ताड़ का तेल, नारियल तेल और ताड़ की गरी का तेल ताड़ के पेड़ों के फल से निकाले गये खाने योग्य वनस्पति तेल हैं। ताड़ का तेल आयल पाम एलएईस गुइनीन्सिस के फल की लुगदी से निकाला जाता है; ताड़ की गरी का तेल आयल पाम के फल की गरी (बीज) से निकाला जाता है और नारियल का तेल नारियल (कोकोस नुसिफेरा) की गरी से प्राप्त किया जाता है। ताड़ के तेल का रंग स्वाभाविक रूप से लाल होता है, क्योंकि इसमें बीटा कैरोटीन का एक उच्च परिमाण शामिल रहता है। ताड़ का तेल, ताड़ की गरी का तेल और नारियल तेल कुछ अत्यधिक संतृप्त वनस्पति वसाओं में से तीन हैं। ताड़ का तेल कमरे के तापमान पर अर्ध ठोस रहता है। ताड़ के तेल में कई संतृप्त और असंतृप्त वसाएं ग्लिसरिल ल्यूरेट (0.1%, संतृप्त), मिरिस्टेट (1%, संतृप्त), पामिटेट (44%, संतृप्त), स्टीयरेट (5%, संतृप्त), ओलेट (39%, एकलअसंतृप्त) लीनोलियेट (10%, बहुलअसंतृप्त और लिनोलेनेट (0.3%, बहुलअसंतृप्त) के रूप में शामिल हैं। ताड़ की गरी का तेल और नारियल तेल, ताड़ के तेल से अधिक उच्च संतृप्त तेल हैं। सभी वनस्पति तेलों की तरह ताड़ के तेल में कोलेस्ट्रॉल (अपरिष्कृत पशु वसा में पाया जाने वाला) नहीं होता, हालांकि संतृप्त वसा के सेवन से एलडीएल और एचडीएल कोलेस्ट्रॉल दोनों बढ़ जाते हैं। ताड़ का तेल अफ्रीका, दक्षिणपूर्व एशिया और ब्राजील के कुछ भागों की उष्णकटिबंधीय पट्टी में खाना पकाने का एक आम उपादान है। इसकी कम लागत और तलने में उपयोग के समय परिष्कृत उत्पाद की उच्च जारणकारी स्थिरता (संतृप्ति) दुनिया के अन्य भागों में व्यावसायिक भोजन उद्योग में इसके बढ़ते उपयोग को प्रोत्साहित कर रही है। .

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तकिया

एक सजावटी तकिया तकिया सिर के लिये एक गुदगुदा आलंब या सहारा होता है, जिसका प्रयोग आमतौर पर सोते समय किया जाता है, या फिर इसे एक सोफे या कुर्सी पर बैठते समय शरीर को आराम देने के लिए किया जाता है। .

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थॉमस हार्डी

---- थॉमस हार्डी (2 जून 1840 -- 11 जनवरी 1928) प्रकृतिवादी आंदोलन के अंग्रेजी उपन्यासकार और कवि थे।अपने जीवनकाल में वह अपने उपन्यासों के लिए अधिक प्रसिद्ध थे जबकि उन्होंने स्वंय को मुख्य रूप से कवि माना है। हार्डी की अंग्रेजी साहित्य को महत्वपूर्ण देन है। उन्होंने एक छोटे से क्षेत्र का विशेष अध्ययन किया और क्षेत्रीय साहित्य की सृष्टि की। हिन्दी में इस प्रकार के साहित्य को आंचलिक साहित्य कह रहे हैं। उन्होंने मानव जीवन के संबंध में अपने साहित्य में आधारभूत प्रश्न उठाए तथा जो मर्यादा पूर्वकाल में महाकाव्य और दु:खांत नाटक को प्राप्त थी, वह उपन्यास को प्रदान की। वे अनेक पात्रों के स्रष्टा और अद्भुत्‌ कहानीकार थे किंतु इनके पात्रों में सबसे अधिक सशक्त बेसेक्स है। इस पात्र ने काल का प्रवाह उदासीनताभरे नेत्रों से देखा है, जिनमें न्याय और उचित अनुचित की कोई अपेक्षा नहीं। टॉमस हार्डी का जन्म वेसेक्स प्रदेश में हुआ। यह प्रदेश प्राचीन काल में इंग्लैंड के नक्शे पर था, किंतु अब नहीं है। उनका सभी साहित्य वेसेक्स से संबंधित है। उनके उपन्यास 'वेसेक्स के उपन्यास' कहलाते हैं और उनकी कविता 'वेसेक्स की कविता'। .

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द वेल्थ ऑफ नेशन्स

द वेल्थ ऑफ नेशन्स (An Inquiry into the Nature and Causes of the Wealth of Nations) स्कॉटलैण्ड के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एडम स्मिथ की प्रसिद्ध कृति है। इसका प्रथम प्रकाशन 1776 में हुआ था। यह क्लासिअक्ल अर्थशास्त्र की मूलभूत ग्रन्थ है। औद्योगिक क्रान्ति के पूर्ववर्ती अर्थशास्त्रीय विचारों के साथ इस ग्रन्थ में कार्य विभाजन, उत्पादकता तथा मुक्त बाजार आदि विषयों पर विचार किया गया है। एड्म स्मिथ के अनुसार कम से कम सरकारी हस्तक्षेप होने पर ही पूंजी का व्यक्तिगत व देश की समृद्धि के लिए सर्वश्रेष्ठ उपयोग किया जा सकता है। उनका मानना था कि मुक्त बाजार में प्रतिस्पर्घा से व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ती हैं, जो किसी भी देश और उसके नागरिकों के लिए हर मायने में फादयेमंद होती है। श्रेणी:अर्थशास्त्र श्रेणी:अंग्रेजी पुस्तकें.

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दुग्धशाला

एक दुग्धशाला दुग्धशाला या डेरी में पशुओं का दूध निकालने तथा तत्सम्बधी अन्य व्यापारिक एवं औद्योगिक गतिविधियाँ की जाती हैं। इसमें प्रायः गाय और भैंस का दूध निकाला जाता है किन्तु बकरी, भेड़, ऊँट और घोड़ी आदि के भी दूध निकाले जाते हैं। .

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धन-निष्कासन सिद्धान्त

भारत में ब्रितानी शासन के समय, भारतीय उत्पाद का वह हिस्सा जो जनता के उपभोग के लिये उपलब्ध नहीं था तथा राजनीतिक कारणों से जिसका प्रवाह इंग्लैण्ड की ओर हो रहा था, जिसके बदले में भारत को कुछ नहीं प्राप्त होता था, उसे आर्थिक निकास या धन-निष्कासन (Drain of Wealth) की संज्ञा दी गयी। धन की निकासी की अवधारणा वाणिज्यवादी सोच के क्रम में विकसित हुई। धन-निष्कासन के सिद्धान्त पर उस समय के अनेक आर्थिक इतिहासकारों ने अपने मत व्यक्त किए। इनमें दादा भाई नौरोजी ने अपनी पुस्तक “पावर्टी ऐन्ड अनब्रिटिश रूल इन इन्डिया” (Poverty and Un-British Rule in India) में सर्वप्रथम आर्थिक निकास की अवधारणा प्रस्तुत की। उन्होने धन-निष्कासन को सभी बुराइयों की बुराई (एविल ऑफ एविल्स) कहा है। १९०५ में उन्होने कहा था, धन का बहिर्गमन समस्त बुराइयों की जड़ है और भारतीय निर्धनता का मूल कारण। रमेश चन्द्र दत्त, महादेव गोविन्द रानाडे तथा गोपाल कृष्ण गोखले जैसे राष्ट्रवादी विचारकों ने भी धन के निष्कासन के इस प्रक्रिया के ऊपर प्रकाश डाला है। इनके अनुसार सरकार सिंचाई योजनाओं पर खर्च करने के स्थान पर एक ऐसे मद में व्यय करती है जो प्रत्यक्ष रुप से साम्राज्यवादी सरकार के हितों से जुड़ा हुआ है। आर्थिक निकास के प्रमुख तत्व थे- अंग्रेज प्रशासनिक एवं सैनिक अधिकारियों के वेतन एवं भत्ते, भारत द्वारा विदेशों से लिये गये ऋणों के ब्याज, नागरिक एवं सैन्य विभाग के लिये ब्रिटेन के भंडारों से खरीदी गयी वस्तुएं, नौवहन कंपनियों को की गयी अदायगी तथा विदेशी बैंकों तथा बीमा लाभांश। भारतीय धन के निकलकर इंग्लैण्ड जाने से भारत में पूंजी का निर्माण एवं संग्रहण नहीं हो सका, जबकि इसी धन से इंग्लैण्ड में औद्योगिक विकास के साधन तथा गति बहुत बढ़ गयी। ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को इस धन से जो लाभांश प्राप्त होता था, उसे पुनः पूंजी के रूप में भारत में लगा दिया जाता था और इस प्रकार भारत का शोषण निरंतर बढ़ता जाता था। इस धन के निकास से भारत में रोजगार तथा आय की संभावनाओं पर अत्यधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। धन का यह अपार निष्कासन भारत को अन्दर-ही-अन्दर कमजोर बनाते जा रहा था। .

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नियंत्रण प्रणाली

एक सरल फीडबैक कन्ट्रोल लूप फीडबैक कन्ट्रोल लूप में प्रायः प्रयुक्त संकेत किसी तन्त्र के ऑउटपुट या अवस्था-चरों (स्टेट-वैरिएबल्स) को आवश्यकतानुसार बनाये रखने (या परिवर्तित करने) के लिये जो कुछ अतिरिक्त व्यवस्था की जाती है उसे नियन्त्रण प्रणाली (control system) कहते हैं। जिस मूल तन्त्र के ऑउटपुट को नियंत्रित करना होता है, उसे संयंत्र (प्लान्ट) या नियंत्रित तन्त्र कहते हैं। नियन्त्रण प्रणाली, संयंत्र के ऑउटपुट या स्टेट-चरों के मान पर लगातार नजर रखती है तथा संयंत्र के इन्पुट को इस प्रकार बदलती रहती है कि ऑउटपुट वैसा ही बने रहें या वैसे ही बदलें जैसा वांछित हो। .

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निगम

निगम एक विशेषाधिकार प्राप्त स्वतन्त्र कानूनी इकाई के रूप में पहचानी जाने वाली अलग संस्था है जिसके पास अपने सदस्यों से पृथक अपने अधिकार और दायित्व हैं। निगमों के कई प्रकार हैं, जिनमे से अधिकतर का उपयोग व्यापार करने के लिए किया जाता है। निगम कॉर्पोरेट कानून का एक उत्पाद हैं और इनके नियम उन प्रबंधकों के हितों को संतुलित करते हैं जो निगम, लेनदारों, शेयरधारकों तथा श्रम का योगदान करने वाले कर्मचारियों का संचालन करते हैं। आधुनिक समय में, निगम तेजी से आर्थिक जीवन का एक प्रमुख हिस्सा बन गए हैं। निगम की एक महत्वपूर्ण सुविधा सीमित देयता है। अगर एक निगम विफल होता है, तो शेयरधारक सामान्य रूप से केवल अपने निवेश को खोते हैं और कर्मचारी केवल अपनी नौकरी खो देंगे, किन्तु उन में से कोई भी निगम के लेनदारों के ऋणों के प्रति उत्तरदायी नहीं होगा.

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न्याय

यह तय करना मानव-जाति के लिए हमेशा से एक समस्या रहा है कि न्याय का ठीक-ठीक अर्थ क्या होना चाहिए और लगभग सदैव उसकी व्याख्या समय के संदर्भ में की गई है। मोटे तौर पर उसका अर्थ यह रहा है कि अच्छा क्या है इसी के अनुसार इससे संबंधित मान्यता में फेर-बदल होता रहा है। जैसा कि डी.डी.

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न्यू इंग्लैंड

न्यू इंग्लैंड क्षेत्र वाले राज्य न्यू इंग्लैंड (New England) संयुक्त राज्य अमेरिका का एक भौगोलिक क्षेत्र है जिसमें पूर्वोत्तर संयुक्त राज्य के छह राज्य शामिल हैं: मेन, वरमॉण्ट, न्यू हैम्पशायर, मैसाचुसेट्स, रोड आइलैंड और कनेक्टिकट। यह न्यूयॉर्क से पश्चिम और दक्षिण में सीमा रखता है और कनाडाई प्रान्तों न्यू ब्रंसविक और क्यूबेक से क्रमशः उत्तर-पूर्व और उत्तर में। मैसाचुसेट्स की राजधानी बोस्टन, न्यू इंग्लैंड का सबसे बड़ा शहर है। 1620 में पहले अंग्रेज लोग मैसाचुसेट्स में बसना शुरू हुए थे। 18वीं शताब्दी के अंत में, न्यू इंग्लैंड कॉलोनियों के राजनीतिक नेताओं ने नए कर लागू करने के ब्रिटेन के प्रयासों के प्रति प्रतिरोध शुरू किया। इस टकराव ने 1775 में अमेरिकी क्रांतिकारी युद्ध की पहली लड़ाई और वसंत 1776 में इस क्षेत्र से ब्रिटिश अधिकारियों के निष्कासन का नेतृत्व किया। संयुक्त राज्य अमेरिका में गुलामी को खत्म करने के लिए इस क्षेत्र ने आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई। यह अमेरिका का पहला क्षेत्र भी था जिसमें औद्योगिक क्रांति का बदलाव हुआ। न्यू इंग्लैंड की भौगोलिक भूगोल विविध है। दक्षिणपूर्व न्यू इंग्लैंड संकीर्ण तटीय मैदान है, जबकि पश्चिमी और उत्तरी क्षेत्रों में एपलाशियन पर्वतमाला के उत्तरी छोर के चोटियों का प्रभुत्व है। 2010 में, न्यू इंग्लैंड की आबादी 1,44,44,865 थी। मैसाचुसेट्स सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है, जबकि वरमोंट कम से कम आबादी वाले राज्य है। श्वेत अमेरिकी कुल जनसंख्या के 83.4% हैं। अंग्रेज़ी घर पर बोली जाने वाली सबसे आम भाषा है। 81.3% निवासी घर पर केवल अंग्रेज़ी ही बोलते हैं। 2015 तक, न्यू इंग्लैंड की जीडीपी 953.9 अरब डॉलर थी। .

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नॉटिंघम

नॉटिंघम, यूनाइटेड किंगडम के इस्ट मिडलैंड्स क्षेत्र में स्थित एक शहर और एकात्मक प्राधिकरण इलाका है। यह नॉटिंघमशायर के सेरेमोनियल काउंटी में स्थित है और आठ सदस्यों के इंग्लिश कोर सिटीज ग्रुप का एक सदस्य है। हालांकि ऐतिहासिक दृष्टि से नॉटिंघम शहर की सीमा काफी कम है जो अपेक्षाकृत 288,700 की कम जनसंख्या है, व्यापक नॉटिंघम शहरी क्षेत्र की आबादी 667,000 है और यह यूनाइटेड किंगडम शहरी क्षेत्र का सातवां सबसे बड़ा क्षेत्र है और लिवरपूल और शेफील्ड के बीच में इसकी रैंकिंग की जाती है। यथा 2004 यूरोस्टेट के लार्जर अर्बन ज़ोन ने इस क्षेत्र की आबादी 825,600 सूचीबद्ध की.

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नोदक

वायुयान का नोदक नोदक या प्रोपेलर (propeller) ऐसे यंत्र या मशीन को कहते हैं जो किसी वाहन पर लगा हो और उसे आगे धकेलने का काम करे। नोदकों के घूर्णन (रोटेशन) के द्वारा वायु या जल को पीछे फेंकने में मदद मिलती है जिससे यान पर आगे की ओर बल लगता है। समुद्री जहाज़ों और वायुयानों पर लगे पंखेनुमा नोदक जल या हवा को पीछे फेंककर यान को आगे की तरफ धकेलते हैं। नोदक शब्द से निम्नलिखित का तात्पर्य निकल सकता है.

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पथचारी आन्दोलन

भ्रमण की ओर मनुष्य का स्वाभाविक आकर्षण रहा है। इसके दो प्रत्यक्ष कारण हैं- (1) अनादि काल से उसकी यायावर प्रवृत्ति, तथा (2) ज्ञानोपार्जन की अभिलाषा। भारतीय आचारसंहिता में जीवन की चार अवस्थाएँ मानी गई हैं। इनमें तृतीय है वानप्रस्थ। इस अवस्था में भ्रमण ही वांछनीय है। हमारे मनीषियों में "चरैवेति, चरैवेति" तथा "चरन् वै मधु विंदति" का संदेश कदाचित् इसी कारण दिया था। .

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परिवार

सन् 1880 का एक मराठा परिवार परिवार (family) साधारणतया पति, पत्नी और बच्चों के समूह को कहते हैं, किंतु दुनिया के अधिकांश भागों में वह सम्मिलित वासवाले रक्त संबंधियों का समूह है जिसमें विवाह और दत्तक प्रथा द्वारा स्वीकृत व्यक्ति भी सम्मिलित हैं। .

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पर्यटन

Cairo), मिस्र. Granada) (स्पेन) में है, यूरोप के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। Parthenon) जो एथेंस, में है ग्रीस यूरोप में एक ऐसा प्राचीन स्मारक है जिसे लोग सबसे ज्यादा देखने आते हैं। America) में दूसरा सबसे बड़ा देश है जहाँ लोग सबसे अधिक घूमने आते हैं, दुनिया में इसका १० वां स्थान है। क्रमशः ऐसे स्थान रहें है जहाँ लोग सबसे ज्यादा घूमने जाते हैं। वेटिकन सिटी, दुनिया के ऐसे स्थानों में से एक है जहाँ लोग सबसे ज्यादा घूमने जाते हैं। Niagara Falls), संयुक्त राज्य अमेरिका-कनाडा सीमा, दुनिया के ऐसे स्थानों में से एक है जहाँ लोग सबसे ज्यादा घूमने जाते हैं। Disneyland), टोक्यो, जापान, घूमने के लिए दुनिया के सबसे आकर्षक स्थानों में से एक है। Statue of Liberty), घूमने के लिए दुनिया के सबसे आकर्षक स्थानों में से एक है। लंदन, युरोमोनिटर के अनुसार २००६ में एक ऐसा शहर था जहाँ लोग सबसे ज्यादा घूमने जाते थे। पर्यटन एक ऐसी यात्रा (travel) है जो मनोरंजन (recreational) या फुरसत के क्षणों का आनंद (leisure) उठाने के उद्देश्यों से की जाती है। विश्व पर्यटन संगठन (World Tourism Organization) के अनुसार पर्यटक वे लोग हैं जो "यात्रा करके अपने सामान्य वातावरण से बाहर के स्थानों में रहने जाते हैं, यह दौरा ज्यादा से ज्यादा एक साल के लिए मनोरंजन, व्यापार, अन्य उद्देश्यों से किया जाता है, यह उस स्थान पर किसी ख़ास क्रिया से सम्बंधित नहीं होता है। पर्यटन दुनिया भर में एक आरामपूर्ण गतिविधि के रूप में लोकप्रिय हो गया है। २००७ में, ९०३ मिलियन से अधिक अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के आगमन के साथ, २००६ की तुलना में ६.६ % की वृद्धि दर्ज की गई। २००७ में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक प्राप्तियां USD ८५६ अरब थी।खंड ६ नं २ विश्व अर्थव्यवस्था में अनिश्चितताओं के बावजूद, २००८ के पहले चार महीनों में आगमन में ५ % की वृद्धि हुई, यह २००७ में समान अवधि में हुई वृद्धि के लगभग समान थी। कई देशों जैसे इजिप्ट, थाईलैंड और कई द्वीप राष्ट्रों जैसे फिजी के लिए पर्यटन बहुत महत्वपूर्ण है, क्यों कि अपने माल और सेवाओं के व्यापार से ये देश बहुत अधिक मात्रा में धन प्राप्त करते हैं और सेवा उद्योग (service industries) में रोजगार के अवसर पर्यटन से जुड़े हैं। इन सेवा उद्योगों में परिवहन (transport) सेवाएँ जैसे क्रूज पोत और टैक्सियाँ, निवास स्थान जैसे होटल और मनोरंजन स्थल और अन्य आतिथ्य उद्योग (hospitality industry) सेवाएँ जैसे रिज़ोर्ट शामिल हैं। .

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पश्चिमी संस्कृति

पश्चिमी संस्कृति (जिसे कभी-कभी पश्चिमी सभ्यता या यूरोपीय सभ्यता के समान माना जाता है), यूरोपीय मूल की संस्कृतियों को सन्दर्भित करती है। यूनानियों के साथ शुरू होने वाली पश्चिमी संस्कृति का विस्तार और सुदृढ़ीकरण रोमनों द्वारा हुआ, पंद्रहवी सदी के पुनर्जागरण एवं सुधार के माध्यम से इसका सुधार और इसका आधुनिकीकरण हुआ और सोलहवीं सदी से लेकर बीसवीं सदी तक जीवन और शिक्षा के यूरोपीय तरीकों का प्रसार करने वाले उत्तरोत्तर यूरोपीय साम्राज्यों द्वारा इसका वैश्वीकरण हुआ। दर्शन, मध्ययुगीन मतवाद एवं रहस्यवाद, ईसाई एवं धर्मनिरपेक्ष मानवतावाद की एक जटिल श्रृंखला के साथ यूरोपीय संस्कृति का विकास हुआ। ज्ञानोदय, प्रकृतिवाद, स्वच्छंदतावाद (रोमेन्टिसिज्म), विज्ञान, लोकतंत्र और समाजवाद के प्रयोगों के साथ परिवर्तन एवं निर्माण के एक लंबे युग के माध्यम से तर्कसंगत विचारधारा विकसित हुई.

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पहला विश्व युद्ध

पहला विश्व युद्ध 1914 से 1918 तक मुख्य तौर पर यूरोप में व्याप्त महायुद्ध को कहते हैं। यह महायुद्ध यूरोप, एशिया व अफ़्रीका तीन महाद्वीपों और समुंदर, धरती और आकाश में लड़ा गया। इसमें भाग लेने वाले देशों की संख्या, इसका क्षेत्र (जिसमें यह लड़ा गया) तथा इससे हुई क्षति के अभूतपूर्व आंकड़ों के कारण ही इसे विश्व युद्ध कहते हैं। पहला विश्व युद्ध लगभग 52 माह तक चला और उस समय की पीढ़ी के लिए यह जीवन की दृष्टि बदल देने वाला अनुभव था। क़रीब आधी दुनिया हिंसा की चपेट में चली गई और इस दौरान अंदाज़न एक करोड़ लोगों की जान गई और इससे दोगुने घायल हो गए। इसके अलावा बीमारियों और कुपोषण जैसी घटनाओं से भी लाखों लोग मरे। विश्व युद्ध ख़त्म होते-होते चार बड़े साम्राज्य रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी (हैप्सबर्ग) और उस्मानिया ढह गए। यूरोप की सीमाएँ फिर से निर्धारित हुई और अमेरिका निश्चित तौर पर एक 'महाशक्ति ' बन कर उभरा। .

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पालनौका

बादबानी (sailboat), जिसे पालनौका (sail+boat) भी कहा जा सकता है, ऐसी नौका होती है जिसे गति देने का प्रमुख साधन एक या अनेक पाल (sail) होते हैं जो पवन पकड़कर नौका को आगे घकेलने का काम करते हैं। औद्योगिक युग से पहले नौकाओं को चलाने का यही प्रमुख साधन था। .

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पुनर्जागरण

फ्लोरेंस पुनर्जागरण का केन्द्र था पुनर्जागरण या रिनैंसा यूरोप में मध्यकाल में आये एक संस्कृतिक आन्दोलन को कहते हैं। यह आन्दोलन इटली से आरम्भ होकर पूरे यूरोप फैल गया। इस आन्दोलन का समय चौदहवीं शताब्दी से लेकर सत्रहवीं शताब्दी तक माना जाता है।.

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प्रबन्ध के सिद्धान्त

अनेक प्रबंध विषय के विचारक एवं लेखकों ने समय-समय पर प्रबंध के सिद्धांतों का अध्ययन किया है। वास्तव में प्रबंध विषय से संबंधित सोच का एक लंबा इतिहास है। प्रबंध के सिद्धांतों का विकास हुआ है एवं अभी भी यह प्रक्रिया जारी है। .

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प्रौद्योगिकी

२०वीं सदी के मध्य तक मनुष्य ने तकनीक के प्रयोग से पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर निकलना सीख लिया था। एकीकृत परिपथ (IC) के आविष्कार ने कम्प्यूटर क्रान्ति को जन्म दिया । प्रौद्योगिकी, व्यावहारिक और औद्योगिक कलाओं और प्रयुक्त विज्ञानों से संबंधित अध्ययन या विज्ञान का समूह है। कई लोग तकनीकी और अभियान्त्रिकी शब्द एक दूसरे के लिये प्रयुक्त करते हैं। जो लोग प्रौद्योगिकी को व्यवसाय रूप में अपनाते है उन्हे अभियन्ता कहा जाता है। आदिकाल से मानव तकनीक का प्रयोग करता आ रहा है। आधुनिक सभ्यता के विकास में तकनीकी का बहुत बड़ा योगदान है। जो समाज या राष्ट्र तकनीकी रूप से सक्षम हैं वे सामरिक रूप से भी सबल होते हैं और देर-सबेर आर्थिक रूप से भी सबल बन जाते हैं। ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिये कि अभियांत्रिकी का आरम्भ सैनिक अभियांत्रिकी से ही हुआ। इसके बाद सडकें, घर, दुर्ग, पुल आदि के निर्माण सम्बन्धी आवश्यकताओं और समस्याओं को हल करने के लिये सिविल अभियांत्रिकी का प्रादुर्भाव हुआ। औद्योगिक क्रान्ति के साथ-साथ यांत्रिक तकनीकी आयी। इसके बाद वैद्युत अभियांत्रिकी, रासायनिक प्रौद्योगिकी तथा अन्य प्रौद्योगिकियाँ आयीं। वर्तमान समय कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी का है। .

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प्रौद्योगिकी का इतिहास

चक्र (पहिया) का आविष्कार ४००० ईसा पूर्व हुआ। यह संसार का सबसे अधिक उपयोगी प्रौद्योगिकी सिद्ध हुई है प्रौद्योगिकी का इतिहास वस्तुत: उपयोगी वस्तुतों का निर्माण करने में प्रयुक्त उपकरणों एवं तकनीकों (tools and techniques) के खोज का इतिहास है। यह मानवता के इतिहास से कई अर्थों में समान है। प्रौद्योगिकी के इतिहास और विज्ञान के इतिहास में घनिष्ट सम्बन्ध है। प्रौद्योगिकी ने वैज्ञानिक शोधों (विशेषकर आधुनिक युग में) के लिये मार्ग बनाया है तो वैज्ञानिक जानकारियों ने नयी प्रौद्योगिकी के विकास का रास्ता साफ किया है। एक तरफ प्रौद्योगिकीय वस्तुएँ (Technological artifacts) अर्थव्यवस्था की उपज हैं तो दूसरी तरफ वे आर्थिक प्रगति के साधन (कारक) भी हैं। प्रौद्योगिक नवाचार समाज के सांस्कृतिक परम्पराओं से प्रभावित होता है और इसे प्रभावित भी करता है। वैज्ञानिक नवाचार से सैनिक शक्ति के विकास में मदद मिलती है। .

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प्रौद्योगिकीय क्रांति

इतिहास में, जब अपेक्षाकृत अल्प काल में ही कोई प्रौद्योगिकी किसी दूसरी प्रौद्योगिकी का स्थान ले लेती है तो इसे प्रौद्योगिकीय क्रांति (Technological revolution) कहते हैं। किन्तु प्रौद्योगिकीय क्रांति तथा प्रौद्योगिकीय परिवर्तन का अन्तर ठीक-ठीक परिभाषित नहीं है। .

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पृथ्वी का इतिहास

पृथ्वी के इतिहास के युगों की सापेक्ष लंबाइयां प्रदर्शित करने वाले, भूगर्भीय घड़ी नामक एक चित्र में डाला गया भूवैज्ञानिक समय. पृथ्वी का इतिहास 4.6 बिलियन वर्ष पूर्व पृथ्वी ग्रह के निर्माण से लेकर आज तक के इसके विकास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं और बुनियादी चरणों का वर्णन करता है। प्राकृतिक विज्ञान की लगभग सभी शाखाओं ने पृथ्वी के इतिहास की प्रमुख घटनाओं को स्पष्ट करने में अपना योगदान दिया है। पृथ्वी की आयु ब्रह्माण्ड की आयु की लगभग एक-तिहाई है। उस काल-खण्ड के दौरान व्यापक भूगर्भीय तथा जैविक परिवर्तन हुए हैं। .

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पूरब से उत्पन्न पश्चिमी सभ्यता

पूरब से उत्पन्न पश्चिमी सभ्यता (The Eastern Origins of Western Civilisation), जॉन एम हॉब्सन द्वारा सन २००४ में लिखित पुस्तक है जिसमें इस ऐतिहासिक सिद्धान्त के विरुद्ध तर्क दिया गया है कि पश्चिम का उदय सन १४९२ के बाद 'कुँवारी माँ' से हुआ। इस पुस्तक में यह दर्शाने का सफल प्रयत्न किया गया है कि पश्चिमी का उदय वस्तुतः उसके पूर्वी देशों के साथ अन्तःक्रिया (interactions) के कारण हुआ जो पश्चिम की तुलना में सामाजिक एवं प्रौद्योगिकीय दृष्टि से अधिक उन्नत थे। .

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पूंजीवाद

पूंजीवाद (Capitalism) सामन्यत: उस आर्थिक प्रणाली या तंत्र को कहते हैं जिसमें उत्पादन के साधन पर निजी स्वामित्व होता है। इसे कभी कभी "व्यक्तिगत स्वामित्व" के पर्यायवाची के तौर पर भी प्रयुक्त किया जाता है यद्यपि यहाँ "व्यक्तिगत" का अर्थ किसी एक व्यक्ति से भी हो सकता है और व्यक्तियों के समूह से भी। मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि सरकारी प्रणाली के अतिरिक्त निजी तौर पर स्वामित्व वाले किसी भी आर्थिक तंत्र को पूंजीवादी तंत्र के नाम से जाना जा सकता है। दूसरे रूप में ये कहा जा सकता है कि पूंजीवादी तंत्र लाभ के लिए चलाया जाता है, जिसमें निवेश, वितरण, आय उत्पादन मूल्य, बाजार मूल्य इत्यादि का निर्धारण मुक्त बाजार में प्रतिस्पर्धा द्वारा निर्धारित होता है। पूँजीवाद एक आर्थिक पद्धति है जिसमें पूँजी के निजी स्वामित्व, उत्पादन के साधनों पर व्यक्तिगत नियंत्रण, स्वतंत्र औद्योगिक प्रतियोगिता और उपभोक्ता द्रव्यों के अनियंत्रित वितरण की व्यवस्था होती है। पूँजीवाद की कभी कोई निश्चित परिभाषा स्थिर नहीं हुई; देश, काल और नैतिक मूल्यों के अनुसार इसके भिन्न-भिन्न रूप बनते रहे हैं। .

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फ्रैंकनस्टाइन

फ्रैंकनस्टाइन; ऑर, द मॉडर्न प्रोमिथियस, जो साधारणतः फ्रैंकनस्टाइन नाम से विख्यात है, मेरी शेली द्वारा लिखा गया एक उपन्यास है। शेली ने अट्ठारह साल की उम्र में इसे लिखना शुरू किया था और उपन्यास के प्रकाशन के समय वह बीस वर्ष की थीं। इसका पहला संस्करण 1818 में लंदन में अज्ञात रूप से प्रकाशित किया गया। शेली का नाम फ्रांस में प्रकाशित दूसरे संस्करण में अंकित था। उपन्यास का शीर्षक का संबंध एक वैज्ञानिक विक्टर फ्रैंकनस्टाइन से है, जो जीवन को उत्पन्न करने का तरीका सीख जाता है और मानव की तरह दिखने वाले एक प्राणी का सृजन करता है, जो औसत से कहीं ज़्यादा विशालकाय और शक्तिशाली होता है। लोकप्रिय संस्कृति में, "फ्रैंकनस्टाइन" को एक दैत्य समझा जाता है, जो गलत है। फ्रैंकनस्टाइन में गॉथिक उपन्यासों और रूमानी आंदोलन के कुछ पहलुओं का समावेश है। यह औद्योगिक क्रांति में आधुनिक मानव के विस्तार के खिलाफ भी एक चेतावनी देता है, जिसका संकेत उपन्यास के उपशीर्षक, द मॉर्डन प्रोमिथियस में मिलता है। इस उपन्यास का साहित्य और लोकप्रिय संस्कृति पर काफ़ी प्रभाव रहा है और यह कई डरावनी कहानियों और फिल्मों का आधार भी बना है। .

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फ्रेडरिक एंगेल्स

फ्रेडरिक एंगेल्स (२८ नवंबर, १८२० – ५ अगस्त, १८९५ एक जर्मन समाजशास्त्री एवं दार्शनिक थे1 एंगेल्स और उनके साथी साथी कार्ल मार्क्स मार्क्सवाद के सिद्धांत के प्रतिपादन का श्रेय प्राप्त है। एंगेल्स ने 1845 में इंग्लैंड के मजदूर वर्ग की स्थिति पर द कंडीशन ऑफ वर्किंग क्लास इन इंग्लैंड नामक पुस्तक लिखी। उन्होंने मार्क्स के साथ मिलकर 1848 में कम्युनिस्ट घोषणापत्र की रचना की और बाद में अभूतपूर्व पुस्तक "पूंजी" दास कैपिटल को लिखने के लिये मार्क्स की आर्थिक तौर पर मदद की। मार्क्स की मौत हो जाने के बाद एंगेल्स ने पूंजी के दूसरे और तीसरे खंड का संपादन भी किया। एंगेल्स ने अतिरिक्त पूंजी के नियम पर मार्क्स के लेखों को जमा करने की जिम्मेदारी भी बखूबी निभाई और अंत में इसे पूंजी के चौथे खंड के तौर पर प्रकाशित किया गया। .

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बचपन

बचपन, जन्म से लेकर किशोरावस्था तक के आयु काल को कहते है। विकासात्मक मनोविज्ञान में, बचपन को शैशवावस्था (चलना सीखना), प्रारंभिक बचपन (खेलने की उम्र), मध्य बचपन (स्कूली उम्र), तथा किशोरावस्था (वयः संधि) के विकासात्मक चरणों में विभाजित किया गया है। .

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बाल-श्रम

बाल-श्रम का मतलब ऐसे कार्य से है जिसमे की कार्य करने वाला व्यक्ति कानून द्वारा निर्धारित आयु सीमा से छोटा होता है। इस प्रथा को कई देशों और अंतर्राष्ट्रीय संघटनों ने शोषित करने वाली प्रथा माना है। अतीत में बाल श्रम का कई प्रकार से उपयोग किया जाता था, लेकिन सार्वभौमिक स्कूली शिक्षा के साथ औद्योगीकरण, काम करने की स्थिति में परिवर्तन तथा कामगारों श्रम अधिकार और बच्चों अधिकार की अवधारणाओं के चलते इसमे जनविवाद प्रवेश कर गया। बाल श्रम अभी भी कुछ देशों में आम है। .

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बियर

सीधे पीपा से 'श्लेंकेरला राउख़बियर' नामक बियर परोसी जा रही है​ बियर संसार का सबसे पुराना और सर्वाधिक व्यापक रूप से खुलकर सेवन किया जाने वाला मादक पेय है।Origin and History of Beer and Brewing: From Prehistoric Times to the Beginning of Brewing Science and Technology, John P Arnold, BeerBooks, Cleveland, Ohio, 2005, ISBN 0-9662084-1-2 सभी पेयों के बाद यह चाय और जल के बाद तीसरा सर्वाधिक लोकप्रिय पेय है।, European Beer Guide, Accessed 2006-10-17 क्योंकि बियर अधिकतर जौ के किण्वन (फ़र्मेन्टेशन​) से बनती है, इसलिए इसे भारतीय उपमहाद्वीप में जौ की शराब या आब-जौ के नाम से बुलाया जाता है। संस्कृत में जौ को 'यव' कहते हैं इसलिए बियर का एक अन्य नाम यवसुरा भी है। ध्यान दें कि जौ के अलावा बियर बनाने के लिए गेहूं, मक्का और चावल का भी व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। अधिकतर बियर को राज़क (हॉप्स) से सुवासित एवं स्वादिष्ट कर दिया जाता है, जिसमें कडवाहट बढ़ जाती है और जो प्राकृतिक संरक्षक के रूप में भी कार्य करता है, हालांकि दूसरी सुवासित जड़ी बूटियां अथवा फल भी यदाकदा मिला दिए जाते हैं।, Max Nelson, Routledge, Page 1, Pages 1, 2005, ISBN 0-415-31121-7, Accessed 2009-11-19 लिखित साक्ष्यों से यह पता चलता है कि मान्यता के आरंभ से बियर के उत्पादन एवं वितरण को कोड ऑफ़ हम्मुराबी के रूप में सन्दर्भित किया गया है जिसमें बियर और बियर पार्लर्स से संबंधित विनियमन कानून तथा "निन्कासी के स्रुति गीत", जो बियर की मेसोपोटेमिया देवी के लिए प्रार्थना एवं किंचित शिक्षित लोगों की संस्कृति के लिए नुस्खे के रूप में बियर का उपयोग किया जाता था। आज, किण्वासवन उद्योग एक वैश्विक व्यापार बन गया है, जिसमें कई प्रभावी बहुराष्ट्रीय कंपनियां और हजारों की संख्या में छोटे-छोटे किण्वन कर्म शालाओं से लेकर आंचलिक शराब की भट्टियां शामिल हैं। बियर के किण्वासन की मूल बातें राष्ट्रीय और सांस्कृतिक सीमाओं से परे भी एक साझे में हैं। आमतौर पर बियर को दो प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है - दुनिया भर में लोकप्रिय हल्का पीला यवसुरा और आंचलिक तौर पर अलग किस्म के बियर, जिन्हें और भी कई किस्मों जैसे कि हल्का पीला बियर, घने और भूरे बियर में वर्गीकृत किया गया है। आयतन के दृष्टीकोण से बियर में शराब की मात्रा (सामान्य) 4% से 6% तक रहती है हालांकि कुछ मामलों में यह सीमा 1% से भी कम से आरंभ कर 20% से भी अधिक हो सकती है। बियर पान करने वाले राष्ट्रों के लिए बियर उनकी संस्कृति का एक अंग है और यह उनकी सामजिक परंपराओं जैसे कि बियर त्योहारों, साथ ही साथ मदिरालयी सांस्कृतिक गतिविधियों जैसे कि मदिरालय रेंगना तथा मदिरालय में खेले जाने वाले खेल जैसे कि बार बिलियर्ड्स शामिल हैं। .

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ब्रिटिश काल में भारत की अर्थव्यवस्था

१८९० में मुम्बई के कल्बादेवी रोड का एक दृष्य १९०९ में भारतीय रेलवे का मानचित्र १९४५ में हुगली का दृष्य बहुत प्राचीन काल से भारतवर्ष का विदेशों से व्यापार हुआ करता था। यह व्यापार स्थल मार्ग और जल मार्ग दोनों से होता था। इन मार्गों पर एकाधिकार प्राप्त करने के लिए विविध राष्ट्रों में समय-समय पर संघर्ष हुआ करता था। जब इस्लाम का उदय हुआ और अरब, फारस मिस्र और मध्य एशिया के विविध देशों में इस्लाम का प्रसार हुआ, तब धीरे-धीरे इन मार्गों पर मुसलमानों का अधिकार हो गया और भारत का व्यापार अरब निवासियों के हाथ में चला गया। अफ्रीका के पूर्वी किनारे से लेकर चीन समुद्र तक समुद्र तट पर अरब व्यापारियों की कोठियां स्थापित हो गईं। यूरोप में भारत का जो माल जाता था वह इटली के दो नगर जिनोआ और वेनिस से जाता था। ये नगर भारतीय व्यापार से मालामाल हो गए। वे भारत का माल कुस्तुन्तुनिया की मंडी में खरीदते थे। इन नगरों की धन समृद्धि को देखकर यूरोप के अन्य राष्ट्रों को भारतीय व्यापार से लाभ उठाने की प्रबल इच्छा उत्पन्न इस इच्छा की पूर्ति में सफल न हो सके। बहुत प्राचीन काल से यूरोप के लोगों का अनुमान था कि अफ्रीका होकर भारतवर्ष तक समुद्र द्वारा पहुंचने का कोई न कोई मार्ग अवश्य है। चौदहवीं शताब्दी में यूरोप में एक नए युग का प्रारंभ हुआ। नए-नए भौगोलिक प्रदेशों की खोज आरंभ हुई। कोलम्बस ने सन् 1492 ईस्वी में अमेरिका का पता लगाया और यह प्रमाणित कर दिया कि अटलांटिक के उस पार भी भूमि है। पुर्तगाल की ओर से बहुत दिनों से भारतवर्ष के आने के मार्ग का पता लगाया जा रहा था। अंत में, अनेक वर्षों के प्रयास के अनंतर सन् 1498 ई. में वास्कोडिगामा शुभाशा अंतरीप (cape of good hope) को पार कर अफ्रीका के पूर्वी किनारे पर आया; और वहाँ से एक गुजराती नियामक को लेकर मालाबार में कालीकट पहुंचा। पुर्तगालवासियों ने धीरे-धीरे पूर्वी व्यापार को अरब के व्यापारियों से छीन लिया। इस व्यापार से पुर्तगाल की बहुत श्री-वृद्धि हुई। देखा -देखी, डच अंग्रेज और फ्रांसीसियों ने भी भारत से व्यापार करना शुरू किया। इन विदेशी व्यापारियों में भारत के लिए आपस में प्रतिद्वंद्विता चलती थी और इनमें से हर एक का यह इरादा था कि दूसरों को हटाकर अपना अक्षुण्य अधिकार स्थापित करें। व्यापार की रक्षा तथा वृद्धि के लिए इनको यह आवश्यक प्रतीत हुआ कि अपनी राजनीतिक सत्ता कायम करें। यह संघर्ष बहुत दिनों तक चलता रहा और अंग्रेजों ने अपने प्रतिद्वंद्वियों पर विजय प्राप्त की और सन् 1763 के बाद से उनका कोई प्रबल प्रतिद्वंदी नहीं रह गया। इस बीच में अंग्रेजों ने कुछ प्रदेश भी हस्तगत कर लिए थे और बंगाल, बिहार उड़ीसा और कर्नाटक में जो नवाब राज्य करते थे वे अंग्रेजों के हाथ की कठपुतली थे। उन पर यह बात अच्छी तरह जाहिर हो गई थी कि अंग्रेजों ने कुछ प्रदेश भी हस्तगत कर लिए थे और बंगाल, बिहार उड़ीसा और कर्नाटक में जो नवाब राज्य करते थे वे अंग्रेजों के हाथ की कठपुतली थे। उन पर यह बात अच्छी तरह जाहिर हो गई थी कि अंग्रेजों का विरोध करने से पदच्युत कर दिए जाएंगे। यह विदेशी व्यापारी भारत से मसाला, मोती, जवाहरात, हाथी दांत की बनी चीजें, ढाके की मलमल और आबेरवां, मुर्शीदाबाद का रेशम, लखनऊ की छींट, अहमदाबाद के दुपट्टे, नील आदि पदार्थ ले जाया करते थे और वहां से शीशे का सामान, मखमल साटन और लोहे के औजार भारतवर्ष में बेचने के लिए लाते थे। हमें इस ऐतिहासिक तथ्य को नहीं भूलना चाहिए कि भारत में ब्रिटिश सत्ता का आरंभ एक व्यापारिक कंपनी की स्थापना से हुआ। अंग्रेजों की राजनीतिक महत्वाकांक्षा तथा चेष्टा भी इसी व्यापार की रक्षा और वृद्धि के लिए हुई थी। उन्नीसवीं शताब्दी के पहले इंग्लैंड का भारत पर बहुत कम अधिकार था और पश्चिमी सभ्यता तथा संस्थाओं का प्रभाव यहां नहीं के बराबर था। सन् 1750 से पूर्व इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति भी नहीं आरंभ हुई थी। उसके पहले भारत वर्ष की तरह इंग्लैंड भी एक कृषिप्रधान देश था। उस समय इंग्लैंड को आज की तरह अपने माल के लिए विदेशों में बाजार की खोज नहीं करनी पड़ती थी। उस समय गमनागमन की सुविधाएं न होने के कारण सिर्फ हल्की-हल्की चीजें ही बाहर भेजी जा सकती थीं। भारतवर्ष से जो व्यापार उस समय विदेशों से होता था, उससे भारत को कोई आर्थिक क्षति भी नहीं थी। सन् 1765 में जब ईस्ट इंडिया कंपनी को मुगल बादशाह शाह आलम से बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी प्राप्त हुई, तब से वह इन प्रांतों में जमीन का बंदोबस्त और मालगुजारी वसूल करने लगी। इस प्रकार सबसे पहले अंग्रेजों ने यहां की मालगुजारी की प्रथा में हेर-फेर किया। इसको उस समय पत्र व्यवहार की भाषा फारसी थी। कंपनी के नौकर देशी राजाओं से फारसी में ही पत्र व्यवहार करते थे। फौजदारी अदालतों में काजी और मौलवी मुसलमानी कानून के अनुसार अपने निर्णय देते थे। दीवानी की अदालतों में धर्म शास्त्र और शहर अनुसार पंडितों और मौलवियों की सलाह से अंग्रेज कलेक्टर मुकदमों का फैसला करते थे। जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने शिक्षा पर कुछ व्यय करने का निश्चय किया, तो उनका पहला निर्णय अरबी, फारसी और संस्कृत शिक्षा के पक्ष में ही हुआ। बनारस में संस्कृत कालेज और कलकत्ते में कलकत्ता मदरसा की स्थापना की गई। पंडितों और मौलवियों को पुरस्कार देकर प्राचीन पुस्तकों के मुद्रित कराने और नवीन पुस्तकों के लिखने का आयोजन किया गया। उस समय ईसाइयों को कंपनी के राज में अपने धर्म के प्रचार करने किया गया। उस समय ईसाइयों को कंपनी के राज में अपने धर्म के प्रचार करने की स्वतंत्रता नहीं प्राप्त थी। बिना कंपनी से लाइसेंस प्राप्त किए कोई अंग्रेज न भारतवर्ष में आकर बस सकता था और न जायदाद खरीद सकता था। कंपनी के अफसरों का कहना था कि यदि यहां अंग्रेजों को बसने की आम इजाजत दे दी जाएगी तो उससे विद्रोह की आशंका है; क्योंकि विदेशियों के भारतीय धर्म और रस्म-रिवाज से भली -भांति परिचित न होने के कारण इस बात का बहुत भय है कि वे भारतीयों के भावों का उचित आदर न करेंगे। देशकी पुरानी प्रथा के अनुसार कंपनी अपने राज्य के हिंदू और मुसलमान धर्म स्थानों का प्रबंध और निरीक्षण करती थी। मंदिर, मस्जिद, इमामबाड़े और खानकाह के आय-व्यय का हिसाब रखना, इमारतों की मरम्मत कराना और पूजा का प्रबंध, यह सब कंपनी के जिम्मे था। अठारहवीं शताब्दी के अंत से इंग्लैंड के पादरियों ने इस व्यवस्था का विरोध करना शुरू किया। उनका कहना था कि ईसाई होने के नाते कंपनी विधर्मियों के धर्म स्थानों का प्रबंध अपने हाथ में नहीं ले सकती। वे इस बात की भी कोशिश कर रहे थे कि ईसाई धर्म के प्रचार में कंपनी की ओर से कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। उस समय देशी ईसाइयों की अवस्था बहुत शोचनीय थी। यदि कोई हिंदू या मुसलमान ईसाई हो जाता था तो उसका अपनी जायदाद और बीवी एवं बच्चों पर कोई हक नहीं रह जाता था। मद्रास के अहाते में देशी ईसाइयों को बड़ी-बड़ी नौकरियां नहीं मिल सकती थीं। इनको भी हिंदुओं के धार्मिक कृत्यों के लिए टैक्स देना पड़ता था। जगन्नाथ जी का रथ खींचने के लिए रथ यात्रा के अवसर पर जो लोग बेगार में पकड़े जाते थे उनमें कभी-कभी ईसाई भी होते थे। यदि वे इस बेगार से इनकार करते थे तो उनको बेंत लगाए जाते थे। इंग्लैंड के पादरियों का कहना था कि ईसाइयों को उनके धार्मिक विश्वास के प्रतिकूल किसी काम के करने के लिए विवश नहीं करना चाहिए और यदि उनके साथ कोई रियायत नहीं की जा सकती तो कम से कम उनके साथ वहीं व्यवहार होना चाहिए जो अन्य धर्माबलंबियों के साथ होता है। धीरे-धीरे इस दल का प्रभाव बढ़ने लगा और अंत में ईसाई पादरियों की मांग को बहुत कुछ अंश में पूरा करना पड़ा। उसके फलस्वरूप अपनी जायदाद से हाथ नहीं धोना पड़ेगा। ईसाइयों को धर्म प्रचार की भी स्वतंत्रता मिल गई। अब राज दरबार की भाषा अंग्रेजी हो गई और अंग्रेजी शिक्षा को प्रोत्साहन देने का निश्चय हुआ। धर्म-शास्त्र और शरह का अंग्रेजी में अनुवाद किया गया और एक ‘ला कमीश’ नियुक्त कर एक नया दंड़ विधान और अन्य नए कानून तैयार किए गए। सन् 1853 ई. में धर्म स्थानों का प्रबंध स्थानीय समितियां बनाकर उनके सुपुर्द कर दिया गया। सन् 1854 में अदालतों में जो थोड़े बहुत पंडित और मौलवी बच गए थे वे भी हटा दिए गए। इस प्रकार देश की पुरानी संस्थाएं नष्ट हो गईं और हिंदू और मुसलमानों की यह धारणा होने लगी कि अंग्रेज उन्हें ईसाई बनाना चाहते हैं। इन्हीं परिवर्तनों का और डलहौजी की हड़पने की नीति का यह फल हुआ कि सन् 1857 में एक बड़ी क्रांति हुई जिसे सिपाही विद्रोह कहते हैं। सन् 1857 के पहले ही यूरोप में औद्योगिक क्रांति हो चुकी थी। इस क्रांति में इंग्लैंड सबका अगुआ था; क्योंकि उसको बहुत-सी ऐसी सुविधाएं थीं जो अन्य देशों को प्राप्त नहीं थी। इंग्लैंड ने ही वाष्प यंत्र का आविष्कार किया। भारत के व्यापार से इंग्लैंड की पूंजी बहुत बढ़ गई थी। उसके पास लोहे और कोयले की इफरात थी। कुशल कारीगरों की भी कमी न थी। इस नानाविध कारणों से इंग्लैंड इस क्रांति में अग्रणी बना। इंग्लैंड के उत्तरी हिस्से में जहां लोहा तथा कोयला निकलता था वहां कल कारखाने स्थापित होने लगे। कारखानों के पास शहर बसने लगे। इंग्लैंड के घरेलू उद्योग-धंधे नष्ट हो गए। मशीनों से बड़े पैमाने पर माल तैयार होने लगा। इस माल की खपत यूरोप के अन्य देशों में होने लगी। देखा-देखी यूरोप के अन्य देशों में भी मशीन के युग का आरंभ हुआ। ज्यों-ज्यों यूरोप के अन्य देशों में नई प्रथा के अनुसार उद्योग व्यवसाय की वृद्धि होने लगी, त्यों-त्यों इंग्लैंड को अपने माल के लिए यूरोप के बाहर बाजार तलाश करने की आवश्यकता प्रतीत होने लगी। भारतवर्ष इंग्लैंड के अधीन था, इसलिए राजनीतिक शक्ति के सहारे भारतवर्ष को सुगमता के साथ अंग्रेजी माल का एक अच्छा-खासा बाजार बना दिया गया। अंग्रेजी शिक्षा के कारण धीरे-धीरे लोगों की अभिरुचि बदल रही थी। यूरोपीय वेशभूषा और यूरोपीय रहन-सहन अंग्रेजी शिक्षित वर्ग को प्रलोभित करने लगा। भारत एक सभ्य देश था, इसलिए यहां अंग्रेजी माल की खपत में वह कठिनाई नहीं प्रतीत हुई जो अफ्रीका के असभ्य या अर्द्धसभ्य प्रदेशों में अनुभूत हुई थी। सबसे पहले इस नवीन नीति का प्रभाव भारत के वस्त्र व्यापार पर पड़ा। मशीन से तैयार किए हुए माल का मुकाबला करना करघों पर तैयार किए हुए माल के लिए असंभव था। धीरे-धीरे भारत की विविध कलाएं और उद्योग नष्ट होने लगे। भारत के भीतरी प्रदेशों में दूर-दूर माल पहुंचाने के लिए जगह-जगह रेल की सड़कें निकाली गईं। भारत के प्रधान बंदरगाह कलकत्ता, बंबई और मद्रास भारत के बड़े-बड़े नगरों से संबद्ध कर दिए गए विदेशी व्यापार की सुविधा की दृष्टि से डलहौजी के समय में पहली रेल की सड़कें बनी थीं। इंगलैंड को भारत के कच्चे माल की आवश्यकता थी। जो कच्चा माल इन बंदरगाहों को रवाना किया जाता था, उस पर रेल का महसूल रियायती था। आंतरिक व्यापार की वृद्धि की सर्वथा उपेक्षा की जाती थी। इस नीति के अनुसार इंग्लैंड को यह अभीष्ट न था कि नए-नए आविष्कारों से लाभ उठाकर भारतवर्ष के उद्योग व्यवसाय का नवीन पद्धति से पुनः संगठन किया जाए। वह भारत को कृषि प्रधान देश ही बनाए रखना चाहता था, जिसमें भारत से उसे हर तरह का कच्चा माल मिले और उसका तैयार किया माल भारत खरीदे। जब कभी भारतीय सरकार ने देशी व्यवसाय को प्रोत्साहन देने का निश्चय किया, तब तब इंग्लैंड की सरकार ने उसके इस निश्चय का विरोध किया और उसको हर प्रकार से निरुत्साहित किया। जब भारत में कपड़े की मिलें खुलने लगीं और भारतीय सरकार को इंग्लैंड से आनेवाले कपड़े पर चुंगी लगाने की आवश्यकता हुई, तब इस चुंगी का लंकाशायर ने घोर विरोध किया और जब उन्होंने यह देखा कि हमारी वह बात मानी न जाएगी तो उन्होंने भारत सरकार को इस बात पर विवश किया कि भारतीय मिल में तैयार हुए कपड़े पर भी चुंगी लगाई जाए, जिसमें देशी मिलों के लिए प्रतिस्पर्द्धा करना संभव न हो। पब्लिक वर्क्स विभाग खोलकर बहुत-सी सड़के भी बनाई गईं जिसका फल यह हुआ कि विदेशी माल छोटे-छोटे कस्बों तथा गांवों के बाजारों में भी पहुंचने लगा। रेल और सड़कों के निर्माण से भारत के कच्चे माल के निर्यात में वृद्धि हो गई और चीजों की कीमत में जो अंतर पाया जाता था। वह कम होने लगा। खेती पर भी इसका प्रभाव पड़ा और लोग ज्यादातर ऐसी ही फसल बोने लगे जिनका विदेश में निर्यात था। यूरोपीय व्यापारी हिंदुस्तानी मजदूरों की सहायता से हिंदुस्तान में चाय, कहवा, जूट और नील की काश्त करने लगे। बीसवीं शताब्दी के पाँचवे दशक में भारतवर्ष में अग्रेजों की बहुत बड़ी पूँजी लगी हुई थी। पिछले पचास-साठ वर्षों में इस पूँजी में बहुत तेजी के साथ वृद्धि हुई। 634 विदेशी कंपनियां भारत में इस समय कारोबार कर रही थीं। इनकी वसूल हुई पूंजी लगभग साढ़े सात खरब रुपया थी और 5194 कंपनियां ऐसी थीं जिनकी रजिस्ट्री भारत में हुई थी और जिनकी पूंजी 3 खरब रुपया थी। इनमें से अधिकतर अंग्रेजी कंपनियां थीं। इंग्लैंड से जो विदेशों को जाता था उसका दशमांश प्रतिवर्ष भारत में आता था। वस्त्र और लोहे के व्यवसाय ही इंग्लैंड के प्रधान व्यवसाय थे और ब्रिटिश राजनीति में इनका प्रभाव सबसे अधिक था। भारत पर इंग्लैंड का अधिकार बनाए रखने में इन व्यवसायों का सबसे बड़ा स्वार्थ था; क्योंकि जो माल ये बाहर रवाना करते थे उसके लगभग पंचमांश की खपत भारतवर्ष में होती थी। भारत का जो माल विलायत जाता था उसकी कीमत भी कुछ कम नहीं थी। इंग्लैंड प्रतिवर्ष चाय, जूट, रुई, तिलहन, ऊन और चमड़ा भारत से खरीदता था। यदि केवल चाय का विचार किया जाए तो 36 करोड़ रुपया होगा। इन बातों पर विचार करने से यह स्पष्ट है कि ज्यों-ज्यों इंग्लैंड का भारत में आर्थिक लाभ बढ़ता गया त्यों-त्यों उसका राजनीतिक स्वार्थ भी बढ़ता गया। .

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ब्रिटेन की कृषि क्रांति

ब्रिटेन में औद्योगिक क्रांति के पूर्व कृषि क्रांति हुई थी। ब्रिटेन की इस कृषि आधारित व्यवस्था ने उसे दुनिया का पहला देश बनाया था जहाँ अकाल से मौत नहीं हुआ करती थी और ना होने दी जाती थी। ब्रिटेन की औद्योगिक क्रांति को कृषि क्रांति के प्रभावों का ही परिणाम मानें तो कुछ भी गलत नहीं कहा जा सकता। शायद 16वीं सदी में कृषि के आधार पर विकास और औद्योगिक क्रांति के बाद व्यापार से ब्रिटेन ने अगली शताब्दियों में दुनिया के अधिकांश हिस्से में राज किया। अनुसांधानों में यह बात सामने आई है कि वैश्विक स्तर पर विकास की शुरूआत कृषि के जरिए ही हुई थी। ब्रिटेन के 17वीं और 18वीं सदी के इतिहास पर हाल में हुए शोध से यह बात सामने आई है कि वहाँ पर आर्थिक विकास के बाद सामाजिक सुरक्षा वाली संस्थाओं का विकास नहीं हुआ था बल्कि ये व्यवस्थायें वहाँ औद्योगिक क्रांति के कई शताब्दी पहले से ही मौजूद थीं। .

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बैंक

जर्मनी के फ्रैंकफुर्त में डश-बैंक बैंक (Bank) उस वित्तीय संस्था को कहते हैं जो जनता से धनराशि जमा करने तथा जनता को ऋण देने का काम करती है। लोग अपनी अपनी बचत राशि को सुरक्षा की दृष्टि से अथवा ब्याज कमाने के हेतु इन संस्थाओं में जमा करते और आवश्यकतानुसार समय समय पर निकालते रहते हैं। बैंक इस प्रकार जमा से प्राप्त राशि को व्यापारियों एवं व्यवसायियों को ऋण देकर ब्याज कमाते हैं। आर्थिक आयोजन के वर्तमान युग में कृषि, उद्योग एवं व्यापार के विकास के लिए बैंक एवं बैंकिंग व्यवस्था एक अनिवार्य आवश्यकता मानी जाती है। राशि जमा रखने तथा ऋण प्रदान करने के अतिरिक्त बैंक अन्य काम भी करते हैं जैसे, सुरक्षा के लिए लोगों से उनके आभूषणादि बहुमूल्य वस्तुएँ जमा रखना, अपने ग्राहकों के लिए उनके चेकों का संग्रहण करना, व्यापारिक बिलों की कटौती करना, एजेंसी का काम करना, गुप्त रीति से ग्राहकों की आर्थिक स्थिति की जानकारी लेना देना। अत: बैंक केवल मुद्रा का लेन देन ही नहीं करते वरन् साख का व्यवहार भी करते हैं। इसीलिए बैंक को साख का सृजनकर्ता भी कहा जाता है। बैंक देश की बिखरी और निठल्ली संपत्ति को केंद्रित करके देश में उत्पादन के कार्यों में लगाते हैं जिससे पूँजी निर्माण को प्रोत्साहन मिलता है और उत्पादन की प्रगति में सहायता मिलती है। भारतीय बैंकिग कंपनी कानून, १९४९ के अंतर्गत बैंक की परिभाषा निम्न शब्दों में दी गई हैं: एक ही बैंक के लिए व्यापार, वाणिज्य, उद्योग तथा कृषि की समुचित वित्तव्यवस्था करना असंभव नहीं तो कठिन अवश्य होता है। अतएव विशिष्ट कार्यों के लिए अलग अलग बैंक स्थापित किए जाते हैं जैसे व्यापारिक बैंक, कृषि बैंक, औद्योगिक बैंक, विदेशी विनिमय बैंक तथा बचत बैंक। इन सब प्रकार के बैंकों को नियमपूर्वक चलाने तथा उनमें पारस्परिक तालमेल बनाए रखने के लिए केंद्रीय बैंक होता है जो देश भर की बैंकिंग व्यवस्था का संचालन करता है। समय के साथ कई अन्य वित्तीय गतिविधियाँ जुड़ गईं। उदाहरण के लिए बैंक वित्तीय बाजारों में महत्वपूर्ण खिलाडी हैं और निवेश फंड जैसे वित्तीय सेवाओं की पेशकश कर रहे हैं। कुछ देशों (जैसे जर्मनी) में बैंक औद्योगिक निगमों के प्राथमिक मालिक हैं, जबकि अन्य देशों (जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका) में बैंक गैर वित्तीय कंपनियों स्वक्मित्व से निषिद्ध रहे हैं। जापान में बैंक को आमतौर पर पार शेयर होल्डिंग इकाई (ज़ाइबत्सू) के रूप में पहचाना जाता है। फ़्रांस में अधिकांश बैंक अपने ग्राहकों को बिमा सेवा प्रदान करते हैं। .

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बेल्जियम

किंगडम ऑफ़ बेल्जियम उत्तर-पश्चिमी यूरोप में एक देश है। यह यूरोपीय संघ का संस्थापक सदस्य है और उसके मुख्यालय का मेज़बान है, साथ ही, अन्य प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठनों का, जिसमें NATO भी शामिल है। 10.7 मीलियन की जनसंख्या वाले बेल्जियम का क्षेत्रफल है। जर्मनिक और लैटिन यूरोप के मध्य अपनी सांस्कृतिक सीमा को विस्तृत किये हुए बेल्जियम, दो मुख्य भाषाई समूहों, फ्लेमिश और फ्रेंच-भाषी, मुख्यतः वलून्स सहित जर्मन भाषियों के एक छोटे समूह का आवास है। बेल्जियम के दो सबसे बड़े क्षेत्र हैं, उत्तर में 59% जनसंख्या सहित फ्लेंडर्स का डच भाषी क्षेत्र और वालोनिया का फ्रेंच भाषी दक्षिणी क्षेत्र, जहाँ 31% लोग बसे हैं। ब्रुसेल्स-राजधानी क्षेत्र, जो आधिकारिक तौर पर द्विभाषी है, मुख्यतः फ्लेमिश क्षेत्र के अंतर्गत एक फ्रेंच भाषी एन्क्लेव है और यहाँ 10% जनसंख्या बसी है। * * * * पूर्वी वालोनिया में एक छोटा जर्मन भाषी समुदाय मौजूद है। मूल (पहले ही) 71,500 निवासियों के बजाय 73,000 का उल्लेख करता है। बेल्जियम की भाषाई विविधता और संबंधित राजनीतिक तथा सांस्कृतिक संघर्ष, राजनीतिक इतिहास और एक जटिल शासन प्रणाली में प्रतिबिंबित होता है। बेल्जियम नाम, गॉल के उत्तरी भाग में एक रोमन प्रान्त, गैलिया बेल्जिका से लिया गया है, जो केल्टिक और जर्मन लोगों के एक मिश्रण बेल्जी का निवास स्थान था। ऐतिहासिक रूप से, बेल्जियम, नीदरलैंड और लक्ज़मबर्ग, निचले देश के रूप में जाने जाते थे, जो राज्यों के मौजूदा बेनेलक्स समूह की तुलना में अपेक्षाकृत कुछ बड़े क्षेत्र को आवृत किया करते थे। मध्य युग की समाप्ति से लेकर 17 वीं सदी तक, यह वाणिज्य और संस्कृति का एक समृद्ध केन्द्र था। 16वीं शताब्दी से लेकर 1830 में बेल्जियम की क्रांति तक, यूरोपीय शक्तियों के बीच बेल्जियम के क्षेत्र में कई लड़ाइयाँ लड़ी गईं, जिससे इसे यूरोप के युद्ध मैदान का तमगा मिला - एक छवि जिसे दोनों विश्व युद्ध ने और पुष्ट किया। अपनी स्वतंत्रता पर, बेल्जियम ने उत्सुकता के साथ औद्योगिक क्रांति में भाग लिया और उन्नीसवीं सदी के अंत में, अफ्रीका में कई उपनिवेशों पर अधिकार जमाया। 20वीं सदी के उत्तरार्ध को फ्लेमिंग्स और फ्रैंकोफ़ोन के बीच साँप्रदायिक संघर्ष की वृद्धि के लिए जाना जाता है, जिसे एक तरफ तो सांस्कृतिक मतभेद ने भड़काया, तो दूसरी तरफ फ्लेनडर्स और वालोनिया के विषम आर्थिक विकास ने. अब भी सक्रिय इन संघर्षों ने पूर्व में एक एकात्मक राज्य बेल्जियम को संघीय राज्य बनाने के दूरगामी सुधारों को प्रेरित किया। .

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बेसेमर प्रक्रिया

बेसेमर प्रक्रिया, पिघले हुए ढलवां लोहे (पिग आयरन) से बड़े पैमाने पर स्टील के उत्पादन के लिए पहली सस्ती औद्योगिक प्रक्रिया थी। इस प्रक्रिया का नाम इसके अविष्कारक हेनरी बेसेमर के नाम पर रखा गया जिन्होंने 1855 में इस प्रक्रिया का पेटेंट करवाया.

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भारत में इस्लाम

भारतीय गणतंत्र में हिन्दू धर्म के बाद इस्लाम दूसरा सर्वाधिक प्रचलित धर्म है, जो देश की जनसंख्या का 14.2% है (2011 की जनगणना के अनुसार 17.2 करोड़)। भारत में इस्लाम का आगमन करीब 7वीं शताब्दी में अरब के व्यापारियों के आने से हुआ था (629 ईसवी सन्‌) और तब से यह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक अभिन्न अंग बन गया है। वर्षों से, सम्पूर्ण भारत में हिन्दू और मुस्लिम संस्कृतियों का एक अद्भुत मिलन होता आया है और भारत के आर्थिक उदय और सांस्कृतिक प्रभुत्व में मुसलमानों ने महती भूमिका निभाई है। हालांकि कुछ इतिहासकार ये दावा करते हैं कि मुसलमानों के शासनकाल में हिंदुओं पर क्रूरता किए गए। मंदिरों को तोड़ा गया। जबरन धर्मपरिवर्तन करा कर मुसलमान बनाया गया। ऐसा भी कहा जाता है कि एक मुसलमान शासक टीपू शुल्तान खुद ये दावा करता था कि उसने चार लाख हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करवाया था। न्यूयॉर्क टाइम्स, प्रकाशित: 11 दिसम्बर 1992 विश्व में भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां सरकार हज यात्रा के लिए विमान के किराया में सब्सिडी देती थी और २००७ के अनुसार प्रति यात्री 47454 खर्च करती थी। हालांकि 2018 से रियायत हटा ली गयी है। .

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भारतीय गणित

गणितीय गवेषणा का महत्वपूर्ण भाग भारतीय उपमहाद्वीप में उत्पन्न हुआ है। संख्या, शून्य, स्थानीय मान, अंकगणित, ज्यामिति, बीजगणित, कैलकुलस आदि का प्रारम्भिक कार्य भारत में सम्पन्न हुआ। गणित-विज्ञान न केवल औद्योगिक क्रांति का बल्कि परवर्ती काल में हुई वैज्ञानिक उन्नति का भी केंद्र बिन्दु रहा है। बिना गणित के विज्ञान की कोई भी शाखा पूर्ण नहीं हो सकती। भारत ने औद्योगिक क्रांति के लिए न केवल आर्थिक पूँजी प्रदान की वरन् विज्ञान की नींव के जीवंत तत्व भी प्रदान किये जिसके बिना मानवता विज्ञान और उच्च तकनीकी के इस आधुनिक दौर में प्रवेश नहीं कर पाती। विदेशी विद्वानों ने भी गणित के क्षेत्र में भारत के योगदान की मुक्तकंठ से सराहना की है। .

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भारतीय अर्थव्यवस्था की समयरेखा

यहाँ भारतीय उपमहाद्वीप के आर्थिक इतिहास की प्रमुख घटनाएँ संक्षेप में दी गई हैं। .

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भूदृश्य वास्तुकला

भूदृष्य वास्तुकला का एक उदाहरण - न्यूयार्क का केन्द्रीय पार्क भूदृश्य वास्तुकला (Landscape Architecture) स्थल को मानव उपयोग और आमोद के लिये सुव्यस्थित करने और उपयुक्त बनाने की सृजनात्मक कला है। इसका उद्देश्य संपूर्ण विन्यास के फलस्वरूप, मानव मस्तिष्क को अत्यधिक प्रभावित करना और स्थल या संरचना से संबद्ध भावनात्मक प्रेरणाओं को संतुष्ट करना है, ताकि लोग अत्यधिक प्रशंसा करें। इसके अतिरिक्त भूदृश्य वस्तुकला के अंतर्गत भूदृश्य इंजीनियरी, भूदृश्य उद्यानकर्म और भलीभाँति आकल्पित चित्र विचित्र पार्क भी भूदृश्य वास्तुकला में सम्मिलित हैं। .

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भूमंडलीय ऊष्मीकरण

वैश्‍विक माध्‍य सतह का ताप 1961-1990 के सापेक्ष से भिन्‍न है 1995 से 2004 के दौरान औसत धरातलीय तापमान 1940 से 1980 तक के औसत तापमान से भिन्‍न है भूमंडलीय ऊष्मीकरण (या ग्‍लोबल वॉर्मिंग) का अर्थ पृथ्वी की निकटस्‍थ-सतह वायु और महासागर के औसत तापमान में 20वीं शताब्‍दी से हो रही वृद्धि और उसकी अनुमानित निरंतरता है। पृथ्‍वी की सतह के निकट विश्व की वायु के औसत तापमान में 2005 तक 100 वर्षों के दौरान 0.74 ± 0.18 °C (1.33 ± 0.32 °F) की वृद्धि हुई है। जलवायु परिवर्तन पर बैठे अंतर-सरकार पैनल ने निष्कर्ष निकाला है कि "२० वीं शताब्दी के मध्य से संसार के औसत तापमान में जो वृद्धि हुई है उसका मुख्य कारण मनुष्य द्वारा निर्मित ग्रीनहाउस गैसें हैं। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, धरती के वातावरण के तापमान में लगातार हो रही विश्वव्यापी बढ़ोतरी को 'ग्लोबल वार्मिंग' कहा जा रहा है। हमारी धरती सूर्य की किरणों से उष्मा प्राप्त करती है। ये किरणें वायुमंडल से गुजरती हुईं धरती की सतह से टकराती हैं और फिर वहीं से परावर्तित होकर पुन: लौट जाती हैं। धरती का वायुमंडल कई गैसों से मिलकर बना है जिनमें कुछ ग्रीनहाउस गैसें भी शामिल हैं। इनमें से अधिकांश धरती के ऊपर एक प्रकार से एक प्राकृतिक आवरण बना लेती हैं जो लौटती किरणों के एक हिस्से को रोक लेता है और इस प्रकार धरती के वातावरण को गर्म बनाए रखता है। गौरतलब है कि मनुष्यों, प्राणियों और पौधों के जीवित रहने के लिए कम से कम 16 डिग्री सेल्शियस तापमान आवश्यक होता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्रीनहाउस गैसों में बढ़ोतरी होने पर यह आवरण और भी सघन या मोटा होता जाता है। ऐसे में यह आवरण सूर्य की अधिक किरणों को रोकने लगता है और फिर यहीं से शुरू हो जाते हैं ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव। आईपीसीसी द्वारा दिये गये जलवायु परिवर्तन के मॉडल इंगित करते हैं कि धरातल का औसत ग्लोबल तापमान 21वीं शताब्दी के दौरान और अधिक बढ़ सकता है। सारे संसार के तापमान में होने वाली इस वृद्धि से समुद्र के स्तर में वृद्धि, चरम मौसम (extreme weather) में वृद्धि तथा वर्षा की मात्रा और रचना में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है। ग्लोबल वार्मिंग के अन्य प्रभावों में कृषि उपज में परिवर्तन, व्यापार मार्गों में संशोधन, ग्लेशियर का पीछे हटना, प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा आदि शामिल हैं। .

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भूमंडलीय ऊष्मीकरण का प्रभाव

extreme weather). (Third Assessment Report) इस के अंतर पैनल तौर पर जलवायु परिवर्तन (Intergovernmental Panel on Climate Change)। इस भविष्यवाणी की प्रभावों के ग्लोबल वार्मिंग इस पर पर्यावरण (environment) और के लिए मानव जीवन (human life) कई हैं और विविध.यह आम तौर पर लंबे समय तक कारणों के लिए विशिष्ट प्राकृतिक घटनाएं विशेषता है, लेकिन मुश्किल है के कुछ प्रभावों का हाल जलवायु परिवर्तन (climate change) पहले से ही होने जा सकता है।Raising sea levels (Raising sea levels), glacier retreat (glacier retreat), Arctic shrinkage (Arctic shrinkage), and altered patterns of agriculture (agriculture) are cited as direct consequences, but predictions for secondary and regional effects include extreme weather (extreme weather) events, an expansion of tropical diseases (tropical diseases), changes in the timing of seasonal patterns in ecosystems (changes in the timing of seasonal patterns in ecosystems), and drastic economic impact (economic impact)। चिंताओं का नेतृत्व करने के लिए हैं राजनीतिक (political) सक्रियता प्रस्तावों की वकालत करने के लिए कम (mitigate), समाप्त (eliminate), या अनुकूलित (adapt) यह करने के लिए। 2007 चौथी मूल्यांकन रिपोर्ट (Fourth Assessment Report) के द्वारा अंतर पैनल तौर पर जलवायु परिवर्तन (Intergovernmental Panel on Climate Change) (आईपीसीसी) ने उम्मीद प्रभावों का सार भी शामिल है। .

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मिलानो

मिलान (Milano,; पश्चिमी लोम्बार्ड: मिलान) इटली का एक शहर और लोम्बार्डी क्षेत्र और मिलान प्रान्त की राजधानी है। मूल शहर की जनसंख्या लगभग 1,300,000 है, जबकि शहरी क्षेत्र 4,300,000 की अनुमानित जनसंख्या के साथ यूरोपीय संघ में पांचवा सबसे बड़ा है। इटली में सबसे बड़े, मिलान महानगरीय क्षेत्र की आबादी, OECD द्वारा अनुमानित तौर पर 7,400,000 है। शहर की स्थापना मीडियोलेनम नाम के तहत केल्टिक लोग इनसबरेस द्वारा की गई थी। इसे बाद में ई.पू.

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यांत्रिक इंजीनियरी

सिलाई मशीन (सन् 1900 के आसपास); मशीन के कार्य आज भी लगभग वही है जो पहले था। एक आधुनिक मशीन: फिलिंग और डोसिंग मशीन यांत्रिक इंजीनियर इंजन, शक्ति-संयंत्र आदि की डिजाइन करते हैं। Two involute gears, the left driving the right: Blue arrows show the contact forces between them. The force line (or Line of Action) runs along a tangent common to both base circles. यान्त्रिक अभियांत्रिकी (Mechanical engineering) तरह-तरह की मशीनों की बनावट, निर्माण, चालन आदि का सैद्धान्तिक और व्यावहारिक ज्ञान है। यान्त्रिक अभियांत्रिकी, अभियांत्रिकी की सबसे पुरानी और विस्तृत शाखाओं में से एक है। यान्त्रिक अभियांत्रिकी १८वीं शताब्दी में यूरोप में औद्योगिक क्रांति के दौरान एक क्षेत्र के रूप में उभरी है, लेकिन, इसका विकास दुनिया भर में कई हजार साल में हुआ है। १९वीं सदी में भौतिकी के क्षेत्र में विकास के एक परिणाम के रूप में यांत्रिक अभियांत्रिकी विज्ञान सामने आया। इसके आधआरभूत विषय हैं.

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यक्ष्मा

यक्ष्मा, तपेदिक, क्षयरोग, एमटीबी या टीबी (tubercle bacillus का लघु रूप) एक आम और कई मामलों में घातक संक्रामक बीमारी है जो माइक्रोबैक्टीरिया, आमतौर पर माइकोबैक्टीरियम तपेदिक के विभिन्न प्रकारों की वजह से होती है। क्षय रोग आम तौर पर फेफड़ों पर हमला करता है, लेकिन यह शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता हैं। यह हवा के माध्यम से तब फैलता है, जब वे लोग जो सक्रिय टीबी संक्रमण से ग्रसित हैं, खांसी, छींक, या किसी अन्य प्रकार से हवा के माध्यम से अपना लार संचारित कर देते हैं। ज्यादातर संक्रमण स्पर्शोन्मुख और भीतरी होते हैं, लेकिन दस में से एक भीतरी संक्रमण, अंततः सक्रिय रोग में बदल जाते हैं, जिनको अगर बिना उपचार किये छोड़ दिया जाये तो ऐसे संक्रमित लोगों में से 50% से अधिक की मृत्यु हो जाती है। सक्रिय टीबी संक्रमण के आदर्श लक्षण खून-वाली थूक के साथ पुरानी खांसी, बुखार, रात को पसीना आना और वजन घटना हैं (बाद का यह शब्द ही पहले इसे "खा जाने वाला/यक्ष्मा" कहा जाने के लिये जिम्मेदार है)। अन्य अंगों का संक्रमण, लक्षणों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रस्तुत करता है। सक्रिय टीबी का निदान रेडियोलोजी, (आम तौर पर छाती का एक्स-रे) के साथ-साथ माइक्रोस्कोपिक जांच तथा शरीर के तरलों की माइक्रोबायोलॉजिकल कल्चर पर निर्भर करता है। भीतरी या छिपी टीबी का निदान ट्यूबरक्यूलाइन त्वचा परीक्षण (TST) और/या रक्त परीक्षणों पर निर्भर करता है। उपचार मुश्किल है और इसके लिये, समय की एक लंबी अवधि में कई एंटीबायोटिक दवाओं के माध्यम से उपचार की आवश्यकता पड़ती है। यदि आवश्यक हो तो सामाजिक संपर्कों की भी जांच और उपचार किया जाता है। दवाओं के प्रतिरोधी तपेदिक (MDR-TB) संक्रमणों में एंटीबायोटिक प्रतिरोध एक बढ़ती हुई समस्या है। रोकथाम जांच कार्यक्रमों और बेसिलस काल्मेट-गुएरिन बैक्सीन द्वारा टीकाकरण पर निर्भर करती है। ऐसा माना जाता है कि दुनिया की आबादी का एक तिहाई एम.तपेदिक, से संक्रमित है, नये संक्रमण प्रति सेकंड एक व्यक्ति की दर से बढ़ रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार, 2007 में विश्व में, 13.7 मिलियन जटिल सक्रिय मामले थे, जबकि 2010 में लगभग 8.8 मिलियन नये मामले और 1.5 मिलियन संबंधित मौतें हुई जो कि अधिकतर विकासशील देशों में हुई थीं। 2006 के बाद से तपेदिक मामलों की कुल संख्या कम हुई है और 2002 के बाद से नये मामलों में कमी आई है। तपेदिक का वितरण दुनिया भर में एक समान नहीं है; कई एशियाई और अफ्रीकी देशों में जनसंख्या का 80% ट्यूबरक्यूलाइन परीक्षणों में सकारात्मक पायी गयी, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका की आबादी का 5-10% परीक्षणों के प्रति सकारात्मक रहा है। प्रतिरक्षा में समझौते के कारण, विकासशील दुनिया के अधिक लोग तपेदिक से पीड़ित होते हैं, जो कि मुख्य रूप से HIV संक्रमण की उच्च दर और उसके एड्स में विकास के कारण होता है। .

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यूनाइटेड किंगडम

वृहत् ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैण्ड का यूनाइटेड किंगडम (सामान्यतः यूनाइटेड किंगडम, यूके, बर्तानिया, UK, या ब्रिटेन के रूप में जाना जाने वाला) एक विकसित देश है जो महाद्वीपीय यूरोप के पश्चिमोत्तर तट पर स्थित है। यह एक द्वीपीय देश है, यह ब्रिटिश द्वीप समूह में फैला है जिसमें ग्रेट ब्रिटेन, आयरलैंड का पूर्वोत्तर भाग और कई छोटे द्वीप शामिल हैं।उत्तरी आयरलैंड, UK का एकमात्र ऐसा हिस्सा है जहां एक स्थल सीमा अन्य राष्ट्र से लगती है और यहां आयरलैण्ड यूके का पड़ोसी देश है। इस देश की सीमा के अलावा, UK अटलांटिक महासागर, उत्तरी सागर, इंग्लिश चैनल और आयरिश सागर से घिरा हुआ है। सबसे बड़ा द्वीप, ग्रेट ब्रिटेन, चैनल सुरंग द्वारा फ़्रांस से जुड़ा हुआ है। यूनाइटेड किंगडम एक संवैधानिक राजशाही और एकात्मक राज्य है जिसमें चार देश शामिल हैं: इंग्लैंड, उत्तरी आयरलैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स. यह एक संसदीय प्रणाली द्वारा संचालित है जिसकी राजधानी लंदन में सरकार बैठती है, लेकिन इसमें तीन न्यागत राष्ट्रीय प्रशासन हैं, बेलफ़ास्ट, कार्डिफ़ और एडिनबर्ग, क्रमशः उत्तरी आयरलैंड, वेल्स और स्कॉटलैंड की राजधानी.जर्सी और ग्वेर्नसे द्वीप समूह, जिन्हें सामूहिक रूप से चैनल द्वीप कहा जाता है और मैन द्वीप (आईल ऑफ मान), यू के की राजत्व निर्भरता हैं और UK का हिस्सा नहीं हैं। इसके इलावा, UK के चौदह समुद्रपार निर्भर क्षेत्र हैं, ब्रिटिश साम्राज्य, जो १९२२ में अपने चरम पर था, दुनिया के तकरीबन एक चौथाई क्षेत्रफ़ल को घेरता था और इतिहास का सबसे बड़ा साम्रज्य था। इसके पूर्व उपनिवेशों की भाषा, संस्कृति और कानूनी प्रणाली में ब्रिटिश प्रभाव अभी भी देखा जा सकता है। प्रतीकत्मक सकल घरेलू उत्पाद द्वारा दुनिया की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था और क्रय शक्ति समानता के हिसाब से सातवाँ बड़ा देश होने के साथ ही, यूके एक विकसित देश है। यह दुनिया का पहला औद्योगिक देश था और 19वीं और 20वीं शताब्दियों के दौरान विश्व की अग्रणी शक्ति था, लेकिन दो विश्व युद्धों की आर्थिक लागत और 20 वीं सदी के उत्तरार्ध में साम्राज्य के पतन ने वैश्विक मामलों में उसकी अग्रणी भूमिका को कम कर दिया फिर भी यूके अपने सुदृढ़ आर्थिक, सांस्कृतिक, सैन्य, वैज्ञानिक और राजनीतिक प्रभाव के कारण एक प्रमुख शक्ति बना हुआ है। यह एक परमाणु शक्ति है और दुनिया में चौथी सर्वाधिक रक्षा खर्चा करने वाला देश है। यह यूरोपीय संघ का सदस्य है, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक स्थायी सीट धारण करता है और राष्ट्र के राष्ट्रमंडल, जी8, OECD, नाटो और विश्व व्यापार संगठन का सदस्य है। .

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यूनाइटेड किंगडम का इतिहास

कुल ब्रिटेन आप्रवास निकालना।.

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यूरोप

यूरोप पृथ्वी पर स्थित सात महाद्वीपों में से एक महाद्वीप है। यूरोप, एशिया से पूरी तरह जुड़ा हुआ है। यूरोप और एशिया वस्तुतः यूरेशिया के खण्ड हैं और यूरोप यूरेशिया का सबसे पश्चिमी प्रायद्वीपीय खंड है। एशिया से यूरोप का विभाजन इसके पूर्व में स्थित यूराल पर्वत के जल विभाजक जैसे यूराल नदी, कैस्पियन सागर, कॉकस पर्वत शृंखला और दक्षिण पश्चिम में स्थित काले सागर के द्वारा होता है। यूरोप के उत्तर में आर्कटिक महासागर और अन्य जल निकाय, पश्चिम में अटलांटिक महासागर, दक्षिण में भूमध्य सागर और दक्षिण पश्चिम में काला सागर और इससे जुड़े जलमार्ग स्थित हैं। इस सबके बावजूद यूरोप की सीमायें बहुत हद तक काल्पनिक हैं और इसे एक महाद्वीप की संज्ञा देना भौगोलिक आधार पर कम, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक आधार पर अधिक है। ब्रिटेन, आयरलैंड और आइसलैंड जैसे देश एक द्वीप होते हुए भी यूरोप का हिस्सा हैं, पर ग्रीनलैंड उत्तरी अमरीका का हिस्सा है। रूस सांस्कृतिक दृष्टिकोण से यूरोप में ही माना जाता है, हालाँकि इसका सारा साइबेरियाई इलाका एशिया का हिस्सा है। आज ज़्यादातर यूरोपीय देशों के लोग दुनिया के सबसे ऊँचे जीवनस्तर का आनन्द लेते हैं। यूरोप पृष्ठ क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का दूसरा सबसे छोटा महाद्वीप है, इसका क्षेत्रफल के १०,१८०,००० वर्ग किलोमीटर (३,९३०,००० वर्ग मील) है जो पृथ्वी की सतह का २% और इसके भूमि क्षेत्र का लगभग ६.८% है। यूरोप के ५० देशों में, रूस क्षेत्रफल और आबादी दोनों में ही सबसे बड़ा है, जबकि वैटिकन नगर सबसे छोटा देश है। जनसंख्या के हिसाब से यूरोप एशिया और अफ्रीका के बाद तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला महाद्वीप है, ७३.१ करोड़ की जनसंख्या के साथ यह विश्व की जनसंख्या में लगभग ११% का योगदान करता है, तथापि, संयुक्त राष्ट्र के अनुसार (मध्यम अनुमान), २०५० तक विश्व जनसंख्या में यूरोप का योगदान घटकर ७% पर आ सकता है। १९०० में, विश्व की जनसंख्या में यूरोप का हिस्सा लगभग 25% था। पुरातन काल में यूरोप, विशेष रूप से यूनान पश्चिमी संस्कृति का जन्मस्थान है। मध्य काल में इसी ने ईसाईयत का पोषण किया है। यूरोप ने १६ वीं सदी के बाद से वैश्विक मामलों में एक प्रमुख भूमिका अदा की है, विशेष रूप से उपनिवेशवाद की शुरुआत के बाद.

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यूरोप का इतिहास

एक '''सामी''' परिवार यूरोप में मानव ईसापूर्व 35,000 के आसपास आया। इसके बाद ७००० इस्वी पूर्व से संगठित बसाव यानि बस्तियों के प्रमाण मिलते हैं। काँस्य युगीन सभ्यता (३००० ईसा पूर्व) के समय यहाँ कुछ अधिक बसाव नहीं हुआ - भ़ासकर मिस्र, इराक, चीन और भारतीय सभ्यता के मुकाबले। लेकिन ५०० ईसापूर्व से रोमन और यूनानी साम्राज्यों का उदय हुआ जिसने यूरोप की संस्कृति को बहुत प्रभावित किया। सैन्य, कला और चिंतन के मामले में यूनानियों ने यूरोप के एक कोने में होते हुए भी पूरे यूरोप और बाद में विश्वभर में अपना प्रभाव जमाया। आज यूरोप के देश यूरोपीय संघ के सदस्य हैं जो एक मुद्रा यूरो चलाता है। मध्यकाल में यूरोप छोटे राज्यों में विभक्त हो गया था। विज्ञान और शोध के मामले में धार्मिक मान्यताओं ने अपना प्रभाव बना रखा था। पंद्रहवीं सदी के बाद यह पुनः विकसित हुआ। सैनिक इतिहास का एक छोटा ब्यौरा नीचे लिखा है, कृपया वहाँ देखें। यूरोप के इतिहास को समझने के लिए दक्षिणी (रोम, यूनान और स्पेन), पूर्वी (यानि स्लाविक) और उत्तरी क्षेत्र जिसनें जर्मन मूल की नौर्ड और वाइकिंग तथा केल्ट और गॉल को समझना आवश्यक है। .

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यूरोपीय ज्ञानोदय

''जो कुछ आप जानते हैं उसका प्रसार कीजिये। आप जो नहीं जानते उसकी खोज कीजिये।'' - Encyclopédie के १७७२ के संस्करण में आंकित यूरोप में १६५० के दशक से लेकर १७८० के दशक तक की अवधि को प्रबोधन युग या ज्ञानोदय युग (Age of Enlightenment) कहते हैं। इस अवधि में पश्चिमी यूरोप के सांस्कृतिक एवं बौद्धिक वर्ग ने परम्परा से हटकर तर्क, विश्लेषण तथा वैयक्तिक स्वातंत्र्य पर जोर दिया। ज्ञानोदय ने कैथोलिक चर्च एवं समाज में गहरी पैठ बना चुकी अन्य संस्थाओं को चुनौती दी। .

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यूरोकेन्द्रीयता

विश्व का उल्टा मानचित्र: यह यूरोकेन्द्रीयता-रहित है। अधिकांश स्थानों पर यह बताया जाता है कि लोकतंत्र यूरोपीय संस्कृति के देन है। अन्य संस्कृतियों में लोकतंत्र बहुत पहले से पाया जाता है - यह बात कहीं कोनें में छोटे अक्षरों में लिख दी जाती है। कास्तुन्तुनिया पर तुर्कों के अधिकार ने यूरोकेन्द्रीयता को बहुत धक्का पहुँचाया। यूरोकेन्द्रीयता (Eurocentrism) वह पक्षपातपूर्ण विचारधारा है जिसमे यूरोप को सारी अच्छी चीजों की जन्मस्थली माना जाता है तथा हर चीज को यूरोप के नजरिये से देखने की कोशिश की जाती है। .

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योहान वुल्फगांग फान गेटे

गेटे योहान वुल्फगांग फान गेटे (Johann Wolfgang von Goethe) (२८ अगस्त १७४९ - २२ मार्च १८३२) जर्मनी के लेखक, दार्शनिक‎ और विचारक थे। उन्होने कविता, नाटक, धर्म, मानवता और विज्ञान जैसे विविध क्षेत्रों में कार्य किया। उनका लिखा नाटक फ़ाउस्ट (Faust) विश्व साहित्य में उच्च स्थान रखता है। गोथे की दूसरी रचनाओं में "सोरॉ ऑफ यंग वर्टर" शामिल है। गोथे जर्मनी के महानतम साहित्यिक हस्तियों में से एक माने जाते हैं, जिन्होंने अठारहवीं और उन्नीसवीं सदी में विमर क्लासिसिज्म (Weimar Classicism) नाम से विख्यात आंदोलन की शुरुआत की। वेमर आंदोलन बोध, संवेदना और रोमांटिज्म का मिलाजुला रूप है। जोहान वुल्फगांग गेटे उन्होने कालिदास के अभिज्ञान शाकुन्तलम् का जर्मन भाषा में अनुवाद किया। गेटे ने अभिज्ञान शाकुन्तलम् के बारे में कहा था- .

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रासायनिक इंजीनियरी का इतिहास

रासायनिक इंजीनियरी की विधा अभी एक स वर्ष से कुछ अधिक पुरानी हो गयी है। इस विधा का विकास उन्नीसवीं शताब्दी के अन्तिम वर्षों में यांत्रिक इंजीनियरी से हुआ। औद्योगिक क्रान्ति के पूर्व काल में औद्योगिक रसायनों का निर्माण "बैच प्रक्रिया" (batch processing) के द्वारा होता था। बैच प्रक्रिया भोजन बनाने (कुकिंग) जैसी प्रक्रिया है - कुछ व्यक्ति एक पात्र में कुछ सामग्री मिलाते हैं, मिश्रण को गरम करते या दाबित करते हैं, इसका परीक्षण करते हैं और इसका शुद्धीकरण करते हैं तालि बिक्री-योग्य उत्पाद बन जाये। आज भी कुछ मूल्यवान रसायनों का निर्माण बैच प्रक्रिया द्वारा किया जाता है किन्तु अब अधिकांश औद्योगिक रसायनों का निर्माण सतत प्रक्रिया (continuous process) द्वारा ही किया जाता है क्योंकि बैच प्रक्रिया धीमी एवं कम दक्ष प्रक्रिया है। .

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रासायनिक उद्योग

रासायन उत्पादक कारखाना रासायनिक उद्योग (chemical industry) में वे सब उद्योग आते हैं जो औद्योगिक रसायनों का उत्पादन करते हैं। रासायनिक उद्योग संसार की वर्तमान अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। ये उद्योग कच्चे माल (जैसे तेल, प्राकृतिक गैस, वायु, जल, धातुएं, खनिज आदि) को ७०,००० से भी अधिक विभिन्न उत्पादों में परिवर्तित करते हैं। .

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राजनीति विज्ञान

राजनीति विज्ञान एक सामाजिक विज्ञान है जो सरकार और राजनीति के अध्ययन से सम्बन्धित है। राजनीति विज्ञान अध्ययन का एक विस्तृत विषय या क्षेत्र है। राजनीति विज्ञान में ये तमाम बातें शामिल हैं: राजनीतिक चिंतन, राजनीतिक सिद्धान्त, राजनीतिक दर्शन, राजनीतिक विचारधारा, संस्थागत या संरचनागत ढांचा, तुलनात्मक राजनीति, लोक प्रशासन, अंतर्राष्ट्रीय कानून और संगठन आदि। .

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राजनीतिक दर्शन

राजनीतिक दर्शन (Political philosophy) के अन्तर्गत राजनीति, स्वतंत्रता, न्याय, सम्पत्ति, अधिकार, कानून तथा सत्ता द्वारा कानून को लागू करने आदि विषयों से सम्बन्धित प्रश्नों पर चिन्तन किया जाता है: ये क्या हैं, उनकी आवश्यकता क्यों हैं, कौन सी वस्तु सरकार को 'वैध' बनाती है, किन अधिकारों और स्वतंत्रताओं की रक्षा करना सरकार का कर्तव्य है, विधि क्या है, किसी वैध सरकार के प्रति नागरिकों के क्या कर्त्तव्य हैं, कब किसी सरकार को उकाड़ फेंकना वैध है आदि। प्राचीन काल में सारा व्यवस्थित चिंतन दर्शन के अंतर्गत होता था, अतः सारी विद्याएं दर्शन के विचार क्षेत्र में आती थी। राजनीति सिद्धान्त के अन्तर्गत राजनीति के भिन्न भिन्न पक्षों का अध्ययन किया जाता हैं। राजनीति का संबंध मनुष्यों के सार्वजनिक जीवन से हैं। परम्परागत अध्ययन में चिन्तन मूलक पद्धति की प्रधानता थी जिसमें सभी तत्वों का निरीक्षण तो नहीं किया जाता हैं, परन्तु तर्क शक्ति के आधार पर उसके सारे संभावित पक्षों, परस्पर संबंधों प्रभावों और परिणामों पर विचार किया जाता हैं। .

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रूसी क्रांति

सन १९१७ की रूस की क्रांति विश्व इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। इसके परिणामस्वरूप रूस से ज़ार के स्वेच्छाचारी शासन का अन्त हुआ तथा रूसी सोवियत संघात्मक समाजवादी गणराज्य (Russian Soviet Federative Socialist Republic) की स्थापना हुई। यह क्रान्ति दो भागों में हुई थी - मार्च १९१७ में, तथा अक्टूबर १९१७ में। पहली क्रांति के फलस्वरूप सम्राट को पद-त्याग के लिये विवश होना पड़ा तथा एक अस्थायी सरकार बनी। अक्टूबर की क्रान्ति के फलस्वरूप अस्थायी सरकार को हटाकर बोलसेविक सरकार (कम्युनिस्ट सरकार) की स्थापना की गयी। 1917 की रूसी क्रांति बीसवीं सदी के विश्व इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना रही। 1789 ई. में फ्रांस की राज्यक्रांति ने स्वतंत्रता, समानता और भ्रातृत्व की भावना का प्रचार कर यूरोप के जनजीवन को गहरे स्तर पर प्रभावित किया। रूसी क्रांति की व्यापकता अब तक की सभी राजनीतिक घटनाओं की तुलना में बहुत विस्तृत थी। इसने केवल निरंकुश, एकतंत्री, स्वेच्छाचारी, ज़ारशाही शासन का ही अंत नहीं किया बल्कि कुलीन जमींदारों, सामंतों, पूंजीपतियों आदि की आर्थिक और सामाजिक सत्ता को समाप्त करते हुए विश्व में मजदूर और किसानों की प्रथम सत्ता स्थापित की। मार्क्स द्वारा प्रतिपादित वैज्ञानिक समाजवाद की विचारधारा को मूर्त रूप पहली बार रूसी क्रांति ने प्रदान किया। इस क्रांति ने समाजवादी व्यवस्था को स्थापित कर स्वयं को इस व्यवस्था के जनक के रूप में स्थापित किया। यह विचारधारा 1917 के पश्चात इतनी शक्तिशाली हो गई कि 1950 तक लगभग आधा विश्व इसके अंतर्गत आ चुका था।क्रांति के बाद का विश्व इतिहास कुछ इस तरीके से गतिशील हुआ कि या तो वह इसके प्रसार के पक्ष में था अथवा इसके प्रसार के विरूद्ध। .

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लौह धातुकर्म का इतिहास

दिल्ली का लौह स्तम्भदिल्ली का लोह स्तम्भ भारत के लोहे तथा इस्पात की कई विशेषतायें थी। वह पू्र्णतया ज़ंग मुक्त थे। इस का प्रत्यक्षप्रमाण पच्चीस फुट ऊंचा कुतुब मीनार के स्मीप दिल्ली स्थित लोह स्तम्भ है जो लग भग 1600 वर्ष पूर्व गुप्त वँश के सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के काल का है और धातु ज्ञान का आश्चर्य जनक कीर्तिमान है। इस लोह स्तम्भ का व्यास 16.4 इन्च है तथा वज़न साढे छः टन है। 16 शताब्दियों तक मौसम के उतार चढाव झेलने के पश्चात भी इसे आज तक ज़ंग नहीं लगा। कुछ प्रमाणों के अनुसार यह स्तम्भ पहले विष्णु मन्दिर का गरूड़ स्तम्भ था। मुस्लिमशासकों ने मन्दिर को लूट कर ध्वस्त कर दिया था और स्तम्भ को उखाड कर उसे विजय चिन्ह स्वरूप ‘कुव्वतुल-इसलाम मसजिद’ के समीप दिल्ली में गाड़ दिया था। हाल ही में ईन्डियन इन्टीच्यूट ऑफ टेकनोलोजीकानपुर के विशेषज्ंयों नें स्तम्भ का निरीक्षण कर के अपना मत प्रगट किया है कि स्तम्भ को जंग से सुरक्षितरखने के लिये उस पर मिसाविट नाम के रसायन की ऐक पतली सी परतचढाई गयी थी जो लोह, आक्सीजन तथा हाईड्रोजन के मिश्रण से तैय्यार की गयी थी। यही परिक्रिया आजकल अणुशक्ति के प्रयाग में लाये जाने वाले पदार्थों को सुरक्षित रखने के लिये डिब्बे बनाने में प्रयोग की जाती है। सुरक्षा परत को बनाने में उच्च कोटि का पदार्थ प्रयोग किया गया था जिस में फासफोरस की मात्रा लोहे की तुलना में एक प्रतिशतके लगभग थी। आज कल यह अनुपात आधे प्रतिशत तक भी नहीं होता। फासफोरस का अधिक प्रयोग प्राचीन भारतीय धातु ज्ञान तथा तकनीक का प्रमाण है जो धातु वैज्ंयिानिकों को आश्चर्य चकित कर रही है। आजकल विकसित देश टेक्नोलोजी ट्राँसफर को हथियार बना कर अविकसित देशों पर आर्थिक दबाव बढाते हैं। जो लोग पाश्चात्य तकनीक की नकल करने की वकालत करते हैं उन्हें स्वदेशी तकनीक पर शोध करना चाहिये ताकि हम आत्म निर्भर हो सकें लौह धातुकर्म (Ferrous Metallurgy) का आरम्भ प्रागैतिहासिक काल में ही हो गया था। इस्पात निर्माण (steelmaking) का ज्ञान भी प्रागैतिहासिक काल से ही है। .

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लीड्स

लीड्स इंग्लैंड के वेस्ट यॉर्कशायर का एक शहर और महानगरीय प्रशासनिक प्रभाग है। 2001 में लीड्स के मुख्य शहरी उपखंड की आबादी 443,247 थी जबकि पूरे शहर की जनसंख्या थी। लीड्स वेस्ट यॉर्कशायर शहरी क्षेत्र का सांस्कृतिक, आर्थिक और व्यावसायिक केंद्र है जिसकी जनसंख्या 2001 की जनगणना में 1.5 मिलियन थी और लीड्स का शहरी क्षेत्र जिसके महत्वपूर्ण भाग में लीड्स का एक आर्थिक क्षेत्र शामिल है, इसकी जनसंख्या 2.9 मिलियन थी। लीड्स व्यवसाय, कानूनी एवं वित्तीय सेवाओं के लिए लंदन के बाहर ब्रिटेन का सबसे बड़ा केंद्र है। ऐतिहासिक रूप से लीड्स यॉर्कशायर की वेस्ट राइडिंग का एक भाग है जिसके इतिहास का विवरण पांचवीं सदी में दर्ज पाया जा सकता है जब एल्मेट का साम्राज्य "लोइडिस" के वनों से घिरा हुआ था, जिससे लीड्स नाम की उत्पत्ति हुई है। इस नाम का प्रयोग सदियों से कई प्रशासनिक संस्थाओं के लिए किया जा रहा है। इसका नाम 13वीं सदी में एक छोटे से जागीर संबंधी नगर से कई स्वरूपों में बदलते हुए वर्तमान महानगरीय प्रशासनिक प्रभाग से जुड़े नाम के रूप में रूपांतरित हुआ है। 17वीं और 18वीं सदियों में लीड्स ऊन के उत्पादन और व्यापार का एक प्रमुख केंद्र बन गया था। फिर औद्योगिक क्रांति के दौरान लीड्स एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित हुआ; ऊन अभी भी एक प्रमुख उद्योग था लेकिन पटसन, इंजीनियरिंग, लोहे की ढलाई, छपाई और अन्य उद्योग महत्वपूर्ण थे। 16वीं सदी में आयरे नदी की घाटी में एक संक्षिप्त बाजार शहर से लीड्स का विस्तार आसपास के गांवों को अपने अंदर समाहित करते हुए 20वीं सदी के मध्य तक एक घनी आबादी वाले शहरी केंद्र के रूप में हो गया। इस क्षेत्र में सार्वजनिक परिवहन, रेल और सड़क के संचार नेटवर्क लीड्स को केंद्रित कर बनाए गए हैं और अन्य देशों के नगरों एवं शहरों के साथ जोड़ने की कई व्यवस्थाएं की गयी हैं। लीड्स के शहरी क्षेत्र की भागीदारी में इसकी सौंपी गयी भूमिका क्षेत्रीय आर्थिक विकास के लिए शहर के महत्त्व को पहचान दिलाती है। .

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शेफ़ील्ड

शेफ़ील्ड साउथ यॉर्कशायर, इंग्लैंड का एक महानगरीय क्षेत्र और एक शहर है। इसका नाम शेफ़ नदी से व्युत्पन्न है, जो इस शहर से होकर बहती है। ऐतिहासिक रूप से यह यॉर्कशायर के वेस्ट राइडिंग का एक भाग था, अब यह शहर अपनी अधिकांशतः औद्योगिक जड़ों से विकसित होकर और अधिक विस्तृत आर्थिक आधार को समावेशित करता है। शेफ़ील्ड शहर की जनसंख्या है और यह आठ विशाल स्थानीय अंग्रेजी शहरों में से एक है जो इंग्लिश कोर सिटीज़ ग्रुप के निर्माण में योगदान करता है। 19वीं शताब्दी के दौरान, शेफ़ील्ड को स्टील उत्पादन हेतु अंतर्राष्ट्रीय ख्याति मिली.

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समाजशास्त्र का इतिहास

समाजशास्त्र का उदय, फ्रांसीसी क्रान्ति के थोड़े ही समय हुआ। .

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सहकारी समिति

अंगूठाकार सहकारी समिति (cooperative) लोगों का ऐसा संघ है जो अपने पारस्परिक लाभ (सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक) के लिए स्वेच्छापूर्वक सहयोग करते हैं।मराठीत लिहा .

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सामाजिक वर्ग

सामाजिक वर्ग समाज में आर्थिक और सांस्कृतिक व्यवस्थाओं का समूह है। समाजशास्त्रियों के लिये विश्लेषण, राजनीतिक वैज्ञानिकों, अर्थशास्त्रियों, मानवविज्ञानियों और सामाजिक इतिहासकारों आदि के लिये वर्ग एक आवश्यक वस्तु है। सामाजिक विज्ञान में, सामाजिक वर्ग की अक्सर 'सामाजिक स्तरीकरण' के संदर्भ में चर्चा की जाती है। आधुनिक पश्चिमी संदर्भ में, स्तरीकरण आमतौर पर तीन परतों: उच्च वर्ग, मध्यम वर्ग, निम्न वर्ग से बना है। प्रत्येक वर्ग और आगे छोटे वर्गों (जैसे वृत्तिक) में उपविभाजित हो सकता है। शक्तिशाली और शक्तिहीन के बीच ही सबसे बुनियादी वर्ग भेद है। महान शक्तियों वाले सामाजिक वर्गों को अक्सर अपने समाजों के अंदर ही कुलीन वर्ग के रूप में देखा जाता है। विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक सिद्धांतों का कहना है कि भारी शक्तियों वाला सामाजिक वर्ग कुल मिलाकर समाज को नुकसान पहुंचाने के लिये अपने स्वयं के स्थान को अनुक्रम में निम्न वर्गों के ऊपर मज़बूत बनाने का प्रयास करता है। इसके विपरीत, परंपरावादियों और संरचनात्मक व्यावहारिकतावादियों ने वर्ग भेद को किसी भी समाज की संरचना के लिए स्वाभाविक तथा उस हद तक अनुन्मूलनीय रूप में प्रस्तुत किया है। मार्क्सवाधी सिद्धांत में, दो मूलभूत वर्ग विभाजन कार्य और संपत्ति की बुनियादी आर्थिक संरचना की देन हैं: बुर्जुआ और सर्वहारा.

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साम्राज्यवाद

सन १४९२ से अब तक के उपनिवेशी साम्राज्य विश्व के वे क्षेत्र जो किसी न किसी समय ब्रितानी साम्राज्य के भाग थे। साम्राज्यवाद (Imperialism) वह दृष्टिकोण है जिसके अनुसार कोई महत्त्वाकांक्षी राष्ट्र अपनी शक्ति और गौरव को बढ़ाने के लिए अन्य देशों के प्राकृतिक और मानवीय संसाधनों पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लेता है। यह हस्तक्षेप राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक या अन्य किसी भी प्रकार का हो सकता है। इसका सबसे प्रत्यक्ष रूप किसी क्षेत्र को अपने राजनीतिक अधिकार में ले लेना एवं उस क्षेत्र के निवासियों को विविध अधिकारों से वंचित करना है। देश के नियंत्रित क्षेत्रों को साम्राज्य कहा जाता है। साम्राज्यवादी नीति के अन्तर्गत एक राष्ट्र-राज्य (Nation State) अपनी सीमाओं के बाहर जाकर दूसरे देशों और राज्यों में हस्तक्षेप करता है। साम्राज्यवाद का विज्ञानसम्मत सिद्धांत लेनिन ने विकसित किया था। लेनिन ने 1916 में अपनी पुस्तक "साम्राज्यवाद पूंजीवाद का अंतिम चरण" में लिखा कि साम्राज्यवाद एक निश्चित आर्थिक अवस्था है जो पूंजीवाद के चरम विकास के समय उत्पन्न होती है। जिन राष्ट्रों में पूंजीवाद का चरमविकास नहीं हुआ वहाँ साम्राज्यवाद को ही लेनिन ने समाजवादी क्रांति की पूर्ववेला माना है। चार्ल्स ए-बेयर्ड के अनुसार "सभ्य राष्ट्रों की कमजोर एवं पिछड़े लोगों पर शासन करने की इच्छा व नीति ही साम्राज्यवाद कहलाती है।" .

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सिलाई मशीन

सन १८४५ में विकसित एलियास होवे की सिलाई मशीन सिलाई मशीन एक ऐसा यांत्रिक उपकरण है जो किसी वस्त्र या अन्य चीज को परस्पर एक धागे या तार से सिलने के काम आती है। इनका आविष्कार प्रथम औद्योगिक क्रांति के समय में हुआ था। सिलाई मशीनों से पहनने के सुंदर कपड़े छोटे-बड़े बैग, चादरें, पतली या मोटी रजाइयां सिली जाती हैं। सुंदर से सुंदर कढ़ाई की जाती है और इसी तरह बहुत कुछ किया जा सकता है। दो हजार से अधिक प्रकार की मशीनें भिन्न-भिन्न कार्यों के लिए प्रयुक्त होती हैं जैसे कपड़ा, चमड़ा, इत्यादि सीने की। अब तो बटन टाँकने, काज बनाने, कसीदा का सब प्रकार की मशीनें अलग-अलग बनने लगी हैं। अब मशीन बिजली द्वारा भी चलाई जाती है। Needle plate, foot and transporter of a sewing machine Singer sewing machine (detail 1) .

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सिकन्दरिया

सूर्यास्तकालीन सिकन्दरिया. सिकन्दरिया की सड़कें. सिकन्दरिया (अंग्रेजी:Alexandria; अरबी: الإسكندرية अल-इस्कंदरिया), मिस्र का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यहां की जनसंख्या 41 लाख है और यह देश का सबसे बड़ा समुद्री बंदरगाह है जहां मिस्र का लगभग 80% आयात और निर्यात कार्य संपन्न होता है। सिकन्दरिया एक महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल भी है। सिकन्दरिया, उत्तर-मध्य मिस्र में भूमध्य सागर के तट के किनारे लगभग दूर तक फैला हुआ है। यह बिब्लियोथेका अलेक्जेंड्रिना (नया पुस्तकालय) का घर है। एक अन्य शहर, स्वेज, से अपने प्राकृतिक गैस और तेल की पाइपलाइनों की वजह से यह मिस्र का एक महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र बन गया है। प्राचीन काल में, सिकन्दरिया दुनिया के सबसे प्रसिद्ध शहरों में से एक था। इसकी स्थापना सिकंदर महान (अलेक्जेंडर द ग्रेट) ने लगभग (c.) 331 ई.पू.

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स्वच्छन्दतावाद

स्वच्छन्दतावाद (Romanticism) कला, साहित्य तथा बौद्धिक क्षेत्र का एक आन्दोलन था जो यूरोप में अट्ठारहवीं शताब्दी के अन्त में आरम्भ हुआ। १८०० से १८५० तक के काल में यह आन्दोलन अपने चरमोत्कर्ष पर था। अट्ठारहवीं सदी से आज तक दर्शन, राजनीति, कला, साहित्य और संगीत को गहराई से प्रभावित करने वाले वैचारिक रुझान स्वच्छंदतावाद को एक या दो पंक्तियों में परिभाषित करना मुश्किल है। कुछ मानवीय प्रवृत्तियों का पूरी तरह से निषेध और कुछ को बेहद प्राथमिकता देने वाला यह विचार निर्गुण के ऊपर सगुण, अमूर्त के ऊपर मूर्त, सीमित के ऊपर असीमित, समरूपता के ऊपर विविधता, संस्कृति के ऊपर प्रकृति, यांत्रिक के ऊपर आंगिक, भौतिक और स्पष्ट के ऊपर आध्यात्मिक और रहस्यमय, वस्तुनिष्ठता के ऊपर आत्मनिष्ठता, बंधन के ऊपर स्वतंत्रता, औसत के ऊपर विलक्षण, दुनियादार किस्म की नेकी के ऊपर उन्मुक्त सृजनशील प्रतिभा और समग्र मानवता के ऊपर विशिष्ट समुदाय या राष्ट्र को तरजीह देता है। सामंती जकड़बंदी का मूलोच्छेद कर देने वाले फ़्रांसीसी क्रांति जैसे घटनाक्रम के पीछे भी स्वच्छंदतावादी प्रेरणाएँ ही थीं। फ़्रांसीसी क्रांति का युगप्रवर्तक नारा ‘समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व’ लम्बे अरसे तक स्वच्छंदतावादियों का प्रेरणा-स्रोत बना रहा। इस क्रांति के बौद्धिक नायक ज्याँ-ज़ाक रूसो को स्वच्छंदतावादी चिंतन की शुरुआत का श्रेय दिया जाता है। रूसो ने अपने ज़माने की सभ्यतामूलक उपलब्धियों पर आरोप लगाया था कि उनकी वज़ह से मानवता भ्रष्ट हो रही है। उनका विचार था कि अगर नेकी की दुनिया में लौटना है और भ्रष्टाचार से मुक्त जीवन की खोज करनी है तो प्रकृत- अवस्था की शरण में जाना होगा। 1761 में प्रकाशित रूसो की दीर्घ औपन्यासिक कृति ज़्यूली ऑर द न्यू हेलोइस और अपने ही जीवन का अनूठा अन्वेषण करने वाली उनकी आत्मकथा कनफ़ेशंस इस महान विचारक के स्वच्छंदतावादी नज़रिये का उदाहरण है। प्रेम संबंधों पर आधारित भावनाप्रवण कहानी ज़्यूली ने युरोपीय साहित्य में स्वच्छंदतावाद के परवर्ती विकास के लिए आधार का काम किया। अंग्रेज़ी भाषा में स्वच्छंदतावाद का साहित्यिक आंदोलन विकसित हुआ जिसके प्रमुख हस्ताक्षरों के रूप में ब्लैक, वर्ड्सवर्थ, कोलरिज, बायरन, शैली और कीट्स के नाम उल्लेखनीय हैं। स्वच्छंदतावाद के ही प्रभाव में जर्मन दार्शनिक हर्डर ने अपने विशिष्ट रोमांटिक नैशनलिज़म की संकल्पना की। यही प्रेरणाएँ हर्डर को ग़ैर-युरोपीय संस्कृतियों की तरफ़ ले गयीं और उन्होंने उन्हें युरोपीय सभ्यता की आदिम प्राक्-अवस्थाओं के बजाय अपनी विशिष्ट निजता, वैधता और तात्पर्यों से सम्पन्न संरचनाओं के रूप में देखा। जर्मन दार्शनिकों में आर्थर शॉपेनहॉर को स्वच्छंदतावाद की श्रेणी में रखा जाता है। उन्होंने कांट के बुद्धिवादी नीतिशास्त्र को नज़रअंदाज़ करते हुए उनकी ज्ञान-मीमांसा और सौंदर्यशास्त्र संबंधी विमर्श की पुनर्व्याख्या की। शॉपेनहाउर का लेखन जगत के प्रति निरुत्साह और हताशा से भरा हुआ है, पर उन्हें अभिलाषाओं के संसार में राहत मिलती है। शॉपेनहॉर का लेखन दर्शन रिचर्ड वागनर की संगीत-रचनाओं के लिए प्रेरक साबित हुआ। भारत में स्वच्छंदतावाद की पहली साहित्यिक अनुगूँज बांग्ला में सुनायी पड़ी। आधुनिक हिंदी साहित्य में स्वच्छंदतावाद की पहली सुसंगत अभिव्यक्ति छायावाद के रूप में मानी जाती है।  अपने प्रभावशाली राजनीतिक और दार्शनिक तात्पर्यों के अलावा स्वच्छंदतावाद की एक बहुत बड़ी उपलब्धि क्लासिकल भाषाओं को रचनाशीलता के केंद्र से विस्थापित करके जनप्रिय भाषाओं में लेखन की शुरुआत करने से जुड़ी है। एक ज़माने में केवल लैटिन में ही लेखन होता था, उसी के पाठक और प्रकाशक थे। लेकिन स्वच्छंदतावाद ने इस परम्परा का उल्लंघन करने की ज़मीन बनायी और पहले फ़्रांसीसी और फिर अंग्रेज़ी में लेखन करने का आग्रह बलवती हुआ। स्वच्छंदतावादी रचनाकारों ने मनोभावों पर नये सिरे से ज़ोर दे कर रचनाशीलता में क्लासिकीय अभिजनोन्मुखता को झटक दिया। इसका नतीजा केवल रोमानी प्रेम पर आधारित विषय-वस्तुओं में ही नहीं निकला, बल्कि साहित्य और कला ने मन के अँधेरों में छिपे भयों और दुखों की अनुभूति को भी स्पर्श करना शुरू कर दिया। स्वच्छंदतावाद की दूसरी महत्त्वपूर्ण उपलब्धि युरोपीय ज्ञानोदय द्वारा आरोपित बुद्धिवाद के ख़िलाफ़ विद्रोह के रूप में देखी जाती है। ज्ञानोदय के विचारक प्रकृति को तर्क-बुद्धि और व्यवस्थामूलक क्रम के उद्गम के तौर पर देखते थे। न्यूटन द्वारा प्रवर्तित मैकेनिक्स इसी की चरम अभिव्यक्ति है। लेकिन स्वच्छंदतावादियों ने प्रकृति को आंगिक विकास और विविधता के स्रोत के रूप में ग्रहण किया। वे प्राकृतिक और अलौकिक को अलग-अलग मानने के लिए तैयार नहीं थे। पार्थिव और अपार्थिव के द्विभाजन को नकारते हुए उन्होंने-उसे एक- दूसरे से गुँथे हुए की संज्ञा दी। ज्ञानोदय के विचार के लिए स्वच्छंदतावादियों का यह रवैया काफ़ी समस्याग्रस्त था। वे प्रकृति को भावप्रवण और आध्यात्मिक शक्ति के आदिम प्रवाह के रूप में देखने के लिए तैयार नहीं हो सकते थे। स्वच्छंदतावादियों ने क्लासिकल द्वारा रोमन और यूनानी मिथकों पर ज़ोर को नकारते हुए मध्ययुगीन और पागान सांस्कृतिक प्रवृत्तियों को अपनाया। इसका नतीजा गोथिक स्थापत्य के पुनरुद्धार में निकला। स्वच्छंदतावाद ने युरोपीय लोक-संस्कृति और कला के महत्त्व को स्वीकारा। फ़िनलैण्ड के महाकाव्यात्मक ग्रंथ कालेवाला का सृजन इसी रुझान की देन है। स्वच्छंदतावाद के विकास में फ़्रेड्रिख़ और ऑगस्त विल्हेम वॉन श्लेगल की भूमिका उल्लेखनीय है। अट्ठारहवीं और उन्नीसवीं सदी के संधिकाल पर सक्रिय इन विचारकों का कहना था कि रोमानी साहित्य और कला का स्वभाव तरल और खण्डित है। इसलिए सुसंगित और सम्पूर्णता प्राप्त करने की वह महत्त्वाकांक्षा उसमें नहीं होती जो क्लासिकल साहित्य और कला का मुख्य लक्षण है। जो रोमानी है वह व्याख्या की समस्याओं से ग्रस्त रहेगा ही। श्लेगल के अनुसार कला-कृतियाँ इसीलिए समझ के धरातल पर सौ फ़ीसदी बोधगम्य होने से इनकार करती हैं। ऑगस्त श्लेगल ने रोमानी विडम्बना की थीसिस का प्रतिपादन करते हुए कविता की विरोधाभासी प्रकृति को रेखांकित किया। इसका मतलब यह था कि किसी वस्तुनिष्ठ या सुनिश्चित तात्पर्य की उपलब्धि न कराना कविता का स्वभाव है। स्वच्छंदतावादियों ने शेक्सपियर की सराहना इसलिए की कि उनमें अपने नाटकों के पात्रों के प्रति एक विडम्बनात्मक विरक्ति है। इसीलिए वे अंतर्विरोधी स्थितियों और मुद्राओं के सफल चितेरे बन पाये हैं और इसीलिए उनके नाटक किसी एक दृष्टिकोण के पक्ष में उपसंहार नहीं करते। हिंदी में स्वच्छंदतावाद का प्रभाव बीसवीं सदी के दूसरे दशक में छायावादी कविता के रूप में सामने आया। हिंदी आलोचना की पारिभाषिक शब्दावली के रचनाकार डॉ॰ अमरनाथ के अनुसार हिंदी में स्वच्छंदतावाद का ज़िक्र सबसे पहले रामचंद्र शुक्ल के विख्यात ग्रंथ हिंदी साहित्य का इतिहास में मिलता है जहाँ उन्होंने श्रीधर पाठक को स्वच्छंदतावाद का प्रवर्त्तक करार दिया है। अमरनाथ के अनुसार छायावाद और स्वच्छंदतावाद में गहरा साम्य है। दोनों में प्रकृति-प्रेम, मानवीय दृष्टिकोण, आत्माभिव्यंजना, रहस्यभावना, वैयक्तिक प्रेमाभिव्यक्ति, प्राचीन संस्कृति के प्रति व्यामोह, प्रतीक-योजना, निराशा, पलायन, अहं के उदात्तीकरण आदि के दर्शन होते हैं। .

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सूचना युग

सूचना युग (Information Age), जो क्म्प्यूटर युग और डीजिटल युग भी कहलाता है, मानव इतिहास का एक काल है जिसमें औद्योगिक क्रांति के बाद हुए औद्योगीकरण द्वारा स्थापित आर्थिक व्यवस्था धीरे-धीरे सूचना क्रांति द्वारा स्थापित कम्प्यूटर-आधारित अर्थव्यवस्था में परिवर्तित हो रही है। सूचना युग में डीजिटल उद्योग एक विश्वव्यापी ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था का निर्माण कर रहा है जिसमें सेवाएँ व निर्माण नागरिकों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार उपलब्ध किये जाते हैं।Hilbert, M. (2015).

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सूचना क्रांति

सूचना क्रांति (information revolution) वर्तमान समय के आर्थिक, सामाजिक एवं तकनीकी प्रगति को इंगित करता है जो औद्योगिक क्रांति के अतिरिक्त है। .

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जनसंख्या

1994 में विश्व की जनसंख्या का वितरण. विश्व की कुल जनसँख्या में एक अरब लोगों के जुड़ने में लगने वाला समय. (जिसमें भविष्य की गणना भी शामिल है) वैकल्पिक चार्ट भी देखें. जीव विज्ञान में, विशेष प्रजाति के अंत: जीव प्रजनन के संग्रह को जनसंख्या कहते हैं; समाजशास्त्र में इसे मनुष्यों का संग्रह कहते हैं। जनसँख्या के अन्दर आने वाला प्रत्येक व्यक्ति कुछ पहलू एक दुसरे से बांटते हैं जो कि सांख्यिकीय रूप से अलग हो सकता है, लेकिन अगर आमतौर पर देखें तो ये अंतर इतने अस्पष्ट होते हैं कि इनके आधार पर कोई निर्धारण नहीं किया जा सकता.

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जनसंख्या वृद्धि

जनसंख्या वृद्धि किसी भी क्षेत्र में लोगों की संख्या बढ़ने को कहा जाता है। पूरे दुनिया में मनुष्य की जनसंख्या हर साल लगभग 8.3 करोड़ या 1.1% की दर से बढ़ती जा रही है। वर्ष 1800 को पूरे विश्व की जनसंख्या लगभग एक अरब थी, जो 2017 तक बढ़ कर 7.6 अरब हो गई है। आगे भी इसकी संख्या में बढ़ाव की ही उम्मीद है और ये अंदाजा लगाया गया है कि 2030 के मध्य तक ये आबादी 8.6 अरब हो जाएगी और 2050 तक 9.8 अरब तक हो जाएगी। 2100 तक इसकी आबादी 11.2 अरब तक हो सकती है। .

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जल टरबाइन

पेल्टन टरबाइन तथा उससे जुड़े विद्युत जनित्र की काट का चित्र जलचक्र या जल टरबाइन (water turbines) वे घूर्णी इंजन हैं जो बहती हुई जलराशि में निहित गतिज ऊर्जा को यांत्रिक कार्य में परिवर्तित कर देते हैं। इनका आधुनिक विकास १९वीं शताब्दी में हुआ तथा विद्युत ग्रिड के आने के पहले तक वे औद्योगिक शक्ति के लिए बहुतायत में प्रयोग की जातीं थी। वर्तमान समय में इनका उपयोग मुख्यतः बिजली पैदा करने के लिए होता है। पनचक्कियाँ विभिन्न प्रकार से बनाई जाने पर भी बड़ी ही सरल प्रकार की युक्तियाँ (devices) हैं जिनका प्रयोग प्रागैतिहासिक काल से ही शक्ति उत्पादन करने के लिए होता चला आया है। समय समय पर आवश्यकताओं तथा परिस्थितियों से प्रेरित होकर लोगों ने इनमें अनेक सुधार किए, अत: जल टरबाइन भी पनचक्की का ही विकसित रूप है। बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध से तो इनका इतना उपयोग बढ़ गया है कि इनके द्वारा लगभग सभी सभ्य देशों में जगह जगह, छोटे बड़े अनेक जल-विद्युत शक्ति-गृह बनाए जाने लगे। इस कारण सुदूर जलहीन देहातों में भी बड़े सस्ते भाव पर बिजली प्राप्त होने लगी और नाना प्रकार के उद्योग धंधों के विकास को प्रत्साहन मिला। .

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जलवायु परिवर्तन

जलवायु परिवर्तन औसत मौसमी दशाओं के पैटर्न में ऐतिहासिक रूप से बदलाव आने को कहते हैं। सामान्यतः इन बदलावों का अध्ययन पृथ्वी के इतिहास को दीर्घ अवधियों में बाँट कर किया जाता है। जलवायु की दशाओं में यह बदलाव प्राकृतिक भी हो सकता है और मानव के क्रियाकलापों का परिणाम भी। ग्रीनहाउस प्रभाव और वैश्विक तापन को मनुष्य की क्रियाओं का परिणाम माना जा रहा है जो औद्योगिक क्रांति के बाद मनुष्य द्वारा उद्योगों से निःसृत कार्बन डाई आक्साइड आदि गैसों के वायुमण्डल में अधिक मात्रा में बढ़ जाने का परिणाम है। जलवायु परिवर्तन के खतरों के बारे में वैज्ञानिक लगातार आगाह करते आ रहे हैं .

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वाणिज्यिक क्रांति

विश्व के आर्थिक इतिहास में वाणिज्यिक क्रांति (Commercial Revolution) उस अवधि को कहते हैं जिसमें आर्थिक प्रसार, उपनिवेशवाद और व्यापारवाद (mercantilism) का जोर रहा। यह अवधि लगभग सोलहवीं शती से आरम्भ होकर अट्ठारहवीं शती के आरम्भ तक मानी जाती है। इसके बाद की अवधि में औद्योगिक क्रान्ति हुई। .

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वात्या भट्ठी

Rahul Kushwahaसेस्टाओ, स्पेन में ब्लास्ट फर्नेस. वास्तविक भट्टी केन्द्रीय गिर्डरवर्क के अंदर है। वात्या भट्ठी या ब्लास्ट फर्नेस (Blast furnace) एक प्रकार की धातु-वैज्ञानिक भट्टी (मेटलर्जिकल फर्नेस) है जिसका इस्तेमाल आम तौर पर लोहे जैसी औद्योगिक धातुओं का निर्माण करने हेतु धातुओं को पिघलाने के लिए किया जाता है। वात्या भट्ठी में भट्ठी के ऊपर से लगातार ईंधन और अयस्क की आपूर्ति की जाती है जबकि चैंबर के निचले तल में हवा (कभी-कभी ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा वाली हवा) भरी जाती है ताकि पदार्थों के नीचे की तरफ आने के दौरान पूरे फर्नेस में रासायनिक प्रतिक्रिया हो सके। अंतिम उत्पाद के रूप में आम तौर पर नीचे की तरफ से पिघली हुई धातु और धातुमल तथा फर्नेस के ऊपर से धुआं युक्त गैसें निकलती हैं। वात्या भट्ठी को आम तौर पर चिमनी के निकास मार्ग में गर्म गैसों के संवहन के माध्यम से स्वाभाविक रूप से चूषण युक्त एयर फर्नेसों (जैसे रिवर्बरेटरी फर्नेस) के साथ निरूपित किया जाता है। इस व्यापक परिभाषा के अनुसार लोहे की ब्लूमरी, टिन के ब्लोइंग हाउस और सीसे को गलाने वाली मिलों को ब्लास्ट फर्नेस के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। हालांकि इस शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर उन्ही कारखानों तक सीमित है जहां लौह अयस्क को पिघलाकर कच्चे लोहे (पिग आयरन) का उत्पादन किया जाता है, जो वाणिज्यिक लौह एवं इस्पात के उत्पादन में इस्तेमाल की जाने वाली एक मध्यवर्ती सामग्री है। .

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विलियम काबेट

विलियम काबेट (William Cobbett; १७६२ - १८३५) इंग्लैण्ड के कृषक, पत्रकार और पम्फलेटिअर (pamphleteer) थे। 'रूरल राइड्स' उनकी प्रसिद्ध पुस्तक है। विलियम कॉबेट का संघर्षमय जीवन ऐसे काल में व्यतीत हुआ था, जो इंग्लैंड ही नहीं, समस्त पाश्चात्य श्वेत जाति के इतिहास में क्रांतिपूर्ण युग माना जाता है। इसी काल में अमरीका का स्वातंत्र्य संग्राम हुआ और फ्रांस में राजनीतिक क्रांति का विस्फोट; इसके बाद ही नेपोलियन का उदय हुआ और समस्त यूरोप में उसकी विजयवाहिनी ने आतंकपूर्ण वातावरण पैदा कर दिया। इन विप्लवात्मक परिवर्तनों का इंग्लैंड के राजनीतिक तथा सामाजिक जीवन पर गहरा असर पड़ा और इसके फलस्वरूप पार्लियामेंट संबंधी सुधारों का क्रम आरंभ हुआ। परंतु इससे अधिक महत्वपूर्ण वह आर्थिक तथा औद्योगिक क्रांति थी जो इंग्लैंड की परंपरागत ग्राम तथा कृषि व्यवस्था का कलेवर ही ध्वस्त करने पर उतारू थी। पूँजीपतियों की लोलुपता तथा कुचक्रों के फलस्वरूप भूस्वामियों, कृषकों तथा भूमिहीन श्रमिकों का ह्रास और औद्योगिक जमींदारियों का विस्तार हो रहा था। विलियम काबेट ने अपने लंबे जीवनकाल में इन घातक परिवर्तनों का भरपूर विरोध किया क्योंकि इससे राष्ट्रीय शक्ति के मूल स्रोतों का ही शोषण हो रहा था। वे स्वयं कृषक वर्ग के प्रतिनिधि थे। उनका जन्म सन् १७६२ में फार्नहैम गाँव के एक कृषक परिवार में हुआ था और उनका बचपन कृषि संबंधी परिश्रमों तथा मनोरंजनों के बीच व्यतीत हुआ। इसी समय उनके हृदय में प्रकृतिप्रेम का भी बीजारोपण हुआ जो उत्तरोत्तर बढ़ता हुआ उनके लेखों में काव्यमय होकर प्रस्फुटित हुआ। इनकी शिक्षा सुव्यवस्थित रूप से नहीं हो पाई परंतु विद्याप्रेम इनका जन्मजात गुण था और बचपन ही में अपने जेब की समस्त पूँजी स्विफ़्ट के प्रसिद्ध ग्रंथ 'ए टेल ऑव ए टब' पर लगाकार इन्होंने इसका आश्चर्यजनक परिचय दिया। स्वच्छंद स्वभाव का यह नवयुवक गाँव के संकीर्ण दायरे में बँधकर रहना पसंद न कर सका; इसलिए घर से भागकर यह सेना में भर्ती हुआ और कालांतर में अमरीका के संघर्षपूर्ण वातावरण का अंग बन गया। आठ वर्षों तक काबेट ने अमरीका में उदार तथा प्रगतिशील सिद्धांतों का निर्बाध रूप से प्रतिपादन किया, फलस्वरूप उन्हें 'पीटर पारक्युपाइन' का सार्थक उपनाम दिया गया। परंतु इसके साथ ही साथ वे अपने देश की राजनीतिक संस्थाओं का भी जोरदार समर्थन करते रहे। स्वदेश लौटने पर टोरी दल ने उनकी प्रतिभा को क्रय करने का भगीरथ प्रयत्न किया परंतु काबेट किसी भी मूल्य पर बिकने के लिए तैयार नहीं हुए। सन् १८०२ ई. में उन्होंने 'द पोलिटिकल रजिस्टर' नामक प्रसिद्ध पत्रिका का संपादन आरंभ किया और वैधानिक सुधारों के पक्ष में अपनी भावपूर्ण लेखनी को सर्वदा के लिए समर्पित कर दिया। सन् १८३२ में ओल्ढम क्षेत्र से वे पार्लियामेंट के सदस्य चुने गए और वहाँ के कृषकों तथा श्रमिकों का आजीवन समर्थन करते रहे। कई बार सरकार से लोहा लेकर वे उसके कोपभाजन भी बने पंरतु उनका उत्साह अदम्य था और कंटकाकीर्ण मार्ग पर चलने में वे काफी अभ्यस्त थे। सन् १८३५ में वे अस्वस्थ हुए परंतु मृत्यु काल तक लिखते तथा काम करते रहे। विलियम काबेट के लेखों का संग्रह ५० मोटी जिल्दों में हुआ है, जिनमें 'काटेज इकानोमी', 'ऐडवाइस टु यंग मेन', 'रूरल राइड्स' तथा 'लिगेसी टु वर्कर्स' विशेष उल्लेखनीय हैं। इन लेखों में विविध विषयों का समावेश है परंतु इनके दो केंद्रबिंदु हैं—राजनीति तथा ग्राम्य जीवन संबंधी प्रकृतिसौंदर्य। राजनीतिक लेखों में उन्होंने अन्याय तथा कुरीतियों के प्रति विदग्ध लेखनी का संचालन कर अपनी स्वाभाविक उग्रता तथा संघर्षप्रियता का परिचय दिया, परंतु 'रूरल राइड्स' के पृष्ठों में उनके प्रकृतिप्रेम तथा काव्यमयी प्रतिभा की सुखद अभिव्यक्ति हुई है। उनकी ख्याति का स्थायी आधारस्तंभ इन्हीं साहित्यिक लेखों में क्योंकि उनके राजनीतिक तथा सामजिक विचार ऐतिहासिक महत्व के ही रह गए हैं। समाजसुधारक के रूप में उनका दृष्टिकोण प्रगतिशील नहीं था। रस्किन तथा मारिस के समान वे मध्यकालीन समाजव्यवस्था के समर्थक थे, जिसमें समस्त गाँव एक कुटुंब के समान रहता था और पारिवारिक जीवन परिश्रमजन्य सुखसाधनों से संपन्न था। .

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विश्व शांति

विश्व शांति सभी देशों और/या लोगों के बीच और उनके भीतर स्वतंत्रता, शांति और खुशी का एक आदर्श है। विश्व शांति पूरी पृथ्वी में अहिंसा स्थापित करने का एक माध्यम है, जिसके तहत देश या तो स्वेच्छा से या शासन की एक प्रणाली के जरिये इच्छा से सहयोग करते हैं, ताकि युद्ध को रोका जा सके। हालांकि कभी-कभी इस शब्द का प्रयोग विश्व शांति के लिए सभी व्यक्तियों के बीच सभी तरह की दुश्मनी के खात्मे के सन्दर्भ में किया जाता है। .

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विश्व का आर्थिक इतिहास

सन १००० से सन २००० के बीच महाद्वीपों के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के वितरण का परिवर्तन विश्व के विभिन्न भागों का सकल घरेलू उत्पाद (सन् 2014 में) बीसवीं शताब्दी में विश्व का सकल घरेलू उत्पाद .

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विश्व का इतिहास

अंकोरवाट मंदिर विश्व के इतिहास से आशय अतीत से लेकर आजतक पृथ्वी के सभी स्थानों की मानवजाति के इतिहास से है। इसमें गैरमानव इतिहास जैसे प्राकृतिक इतिहास और भूवैज्ञानिक इतिहास शामिल नहीं हैं। .

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विवाह

हिन्दू विवाह का सांकेतिक चित्रण विवाह, जिसे शादी भी कहा जाता है, दो लोगों के बीच एक सामाजिक या धार्मिक मान्यता प्राप्त मिलन है जो उन लोगों के बीच, साथ ही उनके और किसी भी परिणामी जैविक या दत्तक बच्चों तथा समधियों के बीच अधिकारों और दायित्वों को स्थापित करता है। विवाह की परिभाषा न केवल संस्कृतियों और धर्मों के बीच, बल्कि किसी भी संस्कृति और धर्म के इतिहास में भी दुनिया भर में बदलती है। आमतौर पर, यह मुख्य रूप से एक संस्थान है जिसमें पारस्परिक संबंध, आमतौर पर यौन, स्वीकार किए जाते हैं या संस्वीकृत होते हैं। एक विवाह के समारोह को विवाह उत्सव (वेडिंग) कहते है। विवाह मानव-समाज की अत्यंत महत्वपूर्ण प्रथा या समाजशास्त्रीय संस्था है। यह समाज का निर्माण करने वाली सबसे छोटी इकाई- परिवार-का मूल है। यह मानव प्रजाति के सातत्य को बनाए रखने का प्रधान जीवशास्त्री माध्यम भी है। .

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विऔद्योगीकरण

विऔद्योगीकरण (Deindustrialization) का अर्थ है - किसी देश या क्षेत्र में औद्योगिक क्रियाकलापों का क्रमशः कम होना तथा उससे सम्बन्धित सामाजिक एवं आर्थिक परिवर्तन। यह औद्योगीकरण की उलटी प्रक्रिया है। विऔद्योगीकरण में विशेषतः भारी उद्योगों या निर्माण उद्योगों (manufacturing industry) में कमी आती है। विऔद्योगीकरण बाजार पर आधारित अर्थव्यवस्था की एक विशेष प्रक्रिया है। इसमें उत्पादन क्रमशः गिरता है, आर्थिक संकट को जन्म देता है और अन्ततः एक बिलकुल नयी अर्थव्यवस्था जन्म लेती है। विऔद्योगीकरण के बारे में निम्नलिखित बातें कही जा सकतीं है-.

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व्यावसायिक संरक्षा एवं स्वास्थ्य

द्वितीय विश्वयुद्ध के समय १९४३ में लेथ पर कार्य करती हुई एक ब्रिटेन की लड़की अपने कार्य का निरीक्षण कर रही है, किन्तु उसकी आंखों पर सुरक्षा के लिये कुछ नहीं है। वर्तमान समय में इस तरह कार्य करने की अनुमति नहीं दी जा सकती व्यावसायिक संरक्षा एवं स्वास्थ्य (Occupational safety and health (OSH)) के अन्तर्गत किसी व्यवसाय या रोजगार में लगे हुए लोगों की संरक्षा, स्वास्थ्य एवं कल्याण पर विचार किया जाता है। .

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वैज्ञानिक क्रांति

न्यूटन के दूरदर्शी की प्रतिकृति। वैज्ञानिक क्रान्ति के समय प्रेक्षण और आंकड़ों पर आधारित विज्ञान पर बल दिया गया। प्रेक्षणों के लिये नयी तकनीकें विकसित की गयीं। दूरदर्शी, ऐसी ही एक तकनीक थी। वैज्ञानिक क्रांति उस अमयावधि को इंगित करती है जब भौतिकी, खगोलशास्त्र, जीवविज्ञान, मानव शरीररचना, रसायन विज्ञान एवं अन्य विज्ञानों की प्रगति ने पुराने सिद्धन्तों को अस्वीकर कर दिया। इस प्रकार आधुनिक विज्ञान की नींव पड़ी। वैज्ञानिक क्रान्ति की धारणा को मानने वालों का विचार है कि यूरोप के पुनर्जागरण का अन्तिम काल से वैज्ञानिक क्रांति आरम्भ हुई और १८वीं शताब्दी के अन्तिम चरण तक चली। इस प्रकार वैज्ञानिक क्रान्ति ने यूरोपीय ज्ञानोदय को प्रभावित किया। किन्तु सातत्य सिद्धान्त में विश्वास करने वाले बहुत से लोगों का विश्वास है कि इस प्रकार की कोई क्रान्ति नहीं हुई बल्कि प्राचीन और मध्य काल से वैज्ञानिक विकास की जो धारा चली थी वही अपनी सहज गति से आगे बढती रही। .

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खाद्य प्रसंस्करण

खाद्य प्रसंस्करण घर या खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में मानव या पशुओं के उपभोग के लिए कच्चे संघटकों को खाद्य पदार्थ में बदलने या खाद्य पदार्थों को अन्य रूपों में बदलने के लिए प्रयुक्त विधियों और तकनीकों का सेट है। आम तौर पर खाद्य प्रसंस्करण में साफ़ फसल या कसाई द्वारा काटे गए पशु उत्पादों को लिया जाता है और इनका उपयोग आकर्षक, विपणन योग्य और अक्सर दीर्घ शेल्फ़-जीवन वाले खाद्य उत्पादों के उत्पादन के लिए किया जाता है। पशु चारे के उत्पादन के लिए भी इसी तरह की प्रक्रियाओं का इस्तेमाल किया जाता है। खाद्य प्रसंस्करण के चरम उदाहरणों में शामिल हैं शून्य गुरुत्वाकर्षण के तहत खपत के लिए घातक फुगु मछली का बढ़िया व्यंजन या आकाशीय आहार तैयार करना। .

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गुन्नार म्यर्दल

गुन्नार म्यर्दल कार्ल गुन्नार म्यदाल (Karl Gunnar Myrdal; स्विडी भाषा:; ६ दिसम्बर १८९८ - १७ मई १९८७) एक स्वीडिश अर्थशास्त्री, राजनेता और नोबेल विजेता थे। १९७४ में, फ्रेडरिक हायेक के साथ अर्थशास्त्र के क्षेत्र में मुद्रा और आर्थिक विचलन के सिद्धांत के क्षेत्र में अग्रणी काम और आर्थिक, सामाजिक और संस्थागत के लिए घटना के तीक्ष्ण विश्लेषण के लिए नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। इन्हें वर्ष १९८१ में इनकी पत्नी अल्वा म्यर्दल के साथ जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार प्रदान किया गया था। .

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ओल्ड टाउन, एडिनबर्ग

चट्टान की ऊंचाइयों पर स्थित एडिनबर्ग कासल एडिनबर्ग का ओल्ड टिउन(Auld Toun; पुराना शहर) प्रचलित तौर पर एडिनबर्ग के सबसे पुरातन क्षेत्र को कहा जाता है। इस मध्यकालीन शहर ने आज भी अपनी प्राथमिक मध्यकालीन आभा व नक़शे को बर्करार रखा है। यहां कई मध्यकालीन एवं रीफ़ाॅरमेशन-कालीन(धर्मसुधार कालीन) इमारतों को बेहद अच्छी हालत में संरक्षि देखा जा सकता है। इसका एक सिरा ऊंचाई पर स्थित, मध्यकालीन एडिनबर्ग कासल पर बंद होता है, जहां से शहर की मुख्य धमनी, राॅयल माइल(शाही सड़क) नीचे उतरती है। इस मुख्य सड़क से कई छोटी सड़कें, जिन्हें व़िंड(wynd) या क्लोज़ेज़्(closes) कहा जाता है, सड़क के दोनो पक्षों से चट्टानी दीवारों के बराबर निकलती हैं। इसमें कई बड़े चौराहें स्थित हैं जो बज़ारों के स्थानों को चिह्नित करते हैं, या महत्वपूर्ण भवन इन चौराहों के सामने स्थित देखे जा सकते हैं जैसे की: सेऽन्ट ग्लीऽस् कैथेड्रल और विधी न्यायालयें। यहां स्थित महत्वपूर्ण भवनों में स्काॅटलैंड का शाही संग्रहालय, सर्जन्स्एज़ हाॅल और मैकईवन हाॅल भी शामिल हैं। रास्तों का अभिन्यास किसी ठेठ मध्यकालीन उत्तरी युरोपीय शहर का है, जहाँ शहर का मुख्य दुर्ग(कासल) किसी पहाड़ी या चट्टान के ऊपर हुआ करता था और उसपर से मुख्य सड़क(राॅयल माइल) नीचे आती थी, जिसके किनारे पूरा शहर बसा होता था। ओल्ड टाउन की मुख्य सड़क, राॅयल माइल की तस्वीर, अपरैल 2014 पहाड़ी पर बसे इस शहर में उपलब्ध सीमित जगह के बावजूद इसकी बड़ी आबादी कुछ सबसे पुरानी, ऊंची महुमंजिला रिहाइशी इमारतों में रहती थी। ऐसी आवासीय भवनें, जिन्हें काउंट्री(country) कहा जाता था, 16वीं सदी से यहां काफी आम हो गई थीं। ऐसी एनेकों इमारतें अभी भी यहाँ संरक्षित, देखी जा सकती हैं। यह आम तौर पर दस या ग्यारह मंजिला हुआ करती थीं, परन्तु एक ऐसी भी है जोकी चौदह मंजिला है। इनके अलावा, ओल्ड टाउन की एक विशेश वस्तु हैं, गलियों और सड़कों के ऊपर बने अनेक मेहराब, जिनमें कभी लोग रहा करते थें। औद्योगिक क्रांति के दौरान यहां मुख्यरूप से आइरिश अप्रवासी बसा करते थे। यहां कई तहख़ाने भी अभी तक संरक्षित हें, जिन्हें आज भी एडिनबर्ग का भूमिगत शहर बुलाया जा सकता है। न्यू टाउन के साथ एडिनबर्ग का यह क्षेत्र युनेस्को के विष्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल है। .

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औद्योगिक युद्ध

औद्योगिक युद्ध (Industrial warfare), युद्ध के इतिहास के उस काल को इंगित करता है जिसमें राष्ट्र-राज्यों का उदय हुआ जो बड़ी-बड़ी थलसेनाएँ, जलसेनाएं तथा वायुसेनाएँ बनाने और रखने में सक्षम थे। यह काल १९वीं शताब्दी के आरम्भिक दिनों में हुए औद्योगिक क्रांति से लेकर परमाणु युग के आरम्भ तक का काल है। .

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औद्योगिक संबंध

औद्योगिक संबंध एक बहु-विषयक कार्य क्षेत्र है जो रोजगार संबंध का अध्ययन करता है। औद्योगिक संबंधों को तेजी से रोजगार संबंध कहा जाने लगा है, ऐसा गैर-औद्योगिक रोजगार संबंधों के महत्व के कारण हुआ है। कई बाहरी लोग औद्योगिक संबंधों को श्रम संबंधों के बराबर भी मानते हैं और समझते हैं कि औद्योगिक संबंध केवल संगठित रोजगार स्थितियों का ही अध्ययन करते हैं, मगर यह एक अत्यधिक सरलीकरण है। स्वामी और श्रमिक के निजी उद्देश्यों की भिन्नता ने औद्योगिक संबंधों की समस्या को जन्म दिया। मानव कल्याण के प्रसाधन के रूप में अब उद्योगों के समाजिक उद्देश्य भली भाँति स्वीकार कर लिया गया है। इसका अर्थ है, काम करने के लिए अधिक अनुकूल ऐसी अवस्थाओं का सृजन जिनके अंतर्गत उत्पादन को सुव्यवस्थित किया जा सके और उत्पादन के दो मुख्य प्रसाधनों, पूँजी और श्रम, के बीच होनेवाली क्रिया प्रतिक्रिया को सुविभाजित करने के लिए एक उपयुक्त सिद्धांत बन सके। कारखानों की पुरानी व्यवस्था के अंतर्गत पूँजीपति श्रमिकों के साथ एक विक्रेय वस्तु की भाँति व्यवहार करते थे और वे पारश्रमिक, काम के घंटों और नौकरी के प्रतिबंधों के लिए माँग एवं पूर्ति के नियम के अनुसार अनुशासित होते थे। आरंभ में तो श्रमिकों ने इसे टल जानेवाली विपत्ति समझा, किंतु बाद में उन्हें यह भान हुआ कि उनके ये दु:ख प्राय: स्थायी से हो चले हैं। स्वामी के अधिकारक्षेत्र में उनके सामाजिक एवं भौतिक अभाव दिन दूने रात चौगुने होते गए और इस प्रकार दोनों के संबंध इस ढंग के न रहे जिन्हें किसी भी प्राकर सद्भावनापूर्ण कहा जा सके। समस्या दिनों-दिन उग्र रूप धारण करती गई। अब औद्योगिक संबंधों का अर्थ केवल स्वामी श्रमिक का संबंध ही नहीं रहा, अपितु वैयक्तिक संबंध, सह परामर्श, समितियों के संयुक्त लेन-देन तथा इन संबंधों के निर्वाह कार्य में सरकार की भूमिका आदि सब कुछ है। मध्ययुग में व्यापारों का क्षेत्र छोटा था तथा स्वामी एवं श्रमिक अधिक निकट संपर्क में थे। श्रमिक स्वामियों से पृथक अपनी एक भिन्न जाति ही समझते थे। धीरे-धीरे उन्हें बोध हुआ कि उनकी व्यक्तिगत शक्ति कितनी अल्प थी। फिर उनकी स्थिति में और भी पतन हुआ जिससे वे क्रीतदास के समान हो गए और अंतत: स्वामी श्रमिक का संबंध इसी आधार पर स्थिर हुआ। उत्पादन कार्य में कारखानों की पद्धति प्रारंभ होने पर श्रमिक वर्ग ने अपना संघ स्थापित करना आरंभ किया। इस दिशा में सर्वप्रथम ब्रिटेन के श्रमिक १९वीं सदी में अग्रगामी सिद्ध हुए, यद्यपि उनके संघ १८२४ ई. तक गैरकानूनी प्रतिबंध लगा ही रहा। फिर भी, औद्योगिक संघटनों (ट्रेड यूनियन) के आंदोलन के विकास के साथ-साथ संयुक्त मोल भाव (कलेक्टिव बार्गेनिंग) की प्रणाली शक्तिशाली बनती गई, और आज यह प्रणाली न केवल ब्रिटेन में, वरन् विश्व भर के देशों में, औद्योगिक संबंधों को सुनिश्चित करने की मुख्य प्रणाली के रूप में व्यवहृत हो रही है। इन संघटनों (यूनियन) का महत्व इतने से ही समझा जा सकता है कि १९०० ई. से इन्होंने कुछ देशों की राजनीति पर भी अपना प्रभाव डालना आरंभ कर दिया और उनके वर्तमान एवं भविष्य को अधिकाधिक प्रभावित करने लगे। औद्योगिक-श्रम-संघटनों का अंतर्राष्ट्रीय संघ १९१९ ई. में स्थापित हुआ जिसमें ६० देशों के मालिकों, श्रमिकों एवं सरकारों के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए। कुछ यूरोपीय देशों में मालिकों एवं श्रमिकों के संघटन सरकारी नियंत्रण में ले लिए गए। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान और उसके बाद भी अधिकांश देशों की सरकारों ने अपने मामलों में मालिकों एवं श्रमिकों के प्रतिनिधियों से परामर्श ग्रहण किया। अब सामान्यत: सभी श्रमिक देश के लिए अपना महत्व समझने लगे हैं और यह भी जान गए हैं कि उनकी सुखसुविधा अंतत: उत्पादन को विकसित करने पर ही अवलंबित है। .

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औद्योगिक क्रांति के दौरान वस्त्र निर्माण

विदेशों में बहुत विशाल औपनिवेशिक साम्राज्य स्थापित होने के साथ ही १७ वीं शताब्दी के अंत/१८ वीं शताब्दी के आरंभ में ब्रिटिश साम्राज्य के पास कच्चे माल का बहुत विशाल भण्डार और निर्मित वस्तुओं के लिए बहुत बड़ा औपनिवेशिक बाज़ार उपलब्ध था। माल का निर्माण सीमित पैमाने पर वैयक्तिक कर्मियों द्वारा किया जाता था - जिसका निर्माण वे आमतौर पर अपने परिसरों में (जैसे बुनाई कुटीर में) करते थे - और फ़िर उसे घोड़ों और छ्कड़ों, या नावों द्वारा देश के विभिन्न भागों में ले जया जाता था। कृषि और ढुलाई के लिए ऊर्जा की आपूर्ति खींचने वाले पशुओं द्वारा दी जाती थी। सैवाओं के लिए बाज़ार तो था, लेकिन उद्योगों का पैमाना; ऊर्जा के स्रोत; और अंतर्देशीय संचार व्यस्था की अवसंरचना की कमी कुछ ऐसी बाधाएँ थी जिनसे पार पाना कठिन था। इस परिदृश्य में, ब्रिट्श साम्राज्य के लिए औद्योगिक क्रांति के दौरान वस्त्र विनिर्माण को विकसित करने के लिए सेज तैयार हुई। श्रेणी:औद्योगिक क्रांति श्रेणी:यूरोप का इतिहास श्रेणी:ब्रिटेन का इतिहास.

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औद्योगीकरण

सन् १८६० के आस-पास जर्मनी के एक औद्योगिक कारखाने का दृष्य औद्योगीकरण एक सामाजिक तथा आर्थिक प्रक्रिया का नाम है। इसमें मानव-समूह की सामाजिक-आर्थिक स्थिति बदल जाती है जिसमें उद्योग-धन्धों का बोलबाला होता है। वस्तुत: यह आधुनीकीकरण का एक अंग है। बड़े-पैमाने की उर्जा-खपत, बड़े पैमाने पर उत्पादन, धातुकर्म की अधिकता आदि औद्योगीकरण के लक्षण हैं। एक प्रकार से यह निर्माण कार्यों को बढ़ावा देने के हिसाब से अर्थप्रणाली का बड़े पैमाने पर संगठन है। .

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इंग्लैण्ड

इंग्लैण्ड (अंग्रेज़ी: England), ग्रेट ब्रिटेन नामक टापू के दक्षिणी भाग में स्थित एक देश है। इसका क्षेत्रफल 50,331 वर्ग मील है। यह यूनाइटेड किंगडम का सबसे बड़ा निर्वाचक देश है। इंग्लैंड के अलावा स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तर आयरलैंड भी यूनाइटेड किंगडम में शामिल हैं। यह यूरोप के उत्तर पश्चिम में अवस्थित है जो मुख्य भूमि से इंग्लिश चैनल द्वारा पृथकीकृत द्वीप का अंग है। इसकी राजभाषा अंग्रेज़ी है और यह विश्व के सबसे संपन्न तथा शक्तिशाली देशों में से एक है। इंग्लैंड के इतिहास में सबसे स्वर्णिम काल उसका औपनिवेशिक युग है। अठारहवीं सदी से लेकर बीसवीं सदी के मध्य तक ब्रिटिश साम्राज्य विश्व का सबसे बड़ा और शकितशाली साम्राज्य हुआ करता था जो कई महाद्वीपों में फैला हुआ था और कहा जाता था कि ब्रिटिश साम्राज्य में सूर्य कभी अस्त नहीं होता। उसी समय पूरे विश्व में अंग्रेज़ी भाषा ने अपनी छाप छोड़ी जिसकी वज़ह से यह आज भी विश्व के सबसे अधिक लोगों द्वारा बोले व समझे जाने वाली भाषा है। .

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कपास कताई के यन्त्र

कपास कताई यंत्र से आशय उन मशीनों से है जो तैयार कपास को लेते हैं और उसकी कताई करके तैयार सूत (यार्न) देते हैं। इस काम के लिए कई शताब्दियों से यन्त्रों का प्रयोग किया जा रहा है। अट्ठारहवीं और उन्नीसवीं शताब्दी में औद्योगिक क्रान्ति के दौरान कपास-कताई के यंत्रों का विकास हुआ जिससे वस्त्र-उद्योग में वृहत-उत्पादन (मास-प्रोडक्सन) होने लगा। .

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कल्पनालोकीय समाजवाद

आधुनिक समाजवाद के प्रारम्भिक धाराओं को कल्पनालोकीय समाजवाद (Utopian socialism) कहा गया है। इनमें साँ सीमों (Saint-Simon), चार्ल्स फुरिये (Charles Fourier), और रॉबर्ट ओवेन आदि के समाजवादी विचार सम्मिलित किया गया है। .

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कारखाना

right right १९४० के दशक में कारखाने का एक श्रमिक कारखाना (factory; पहले manufactory कहते थे) या 'निर्माण इकाई' (manufacturing plant) उस औद्योगिक भवन को कहते हैं जहाँ कर्मचारी कोई सामान बनाते हैं या उन मशीनों का संचालन करते हैं जो किसी एक वस्तु को संस्कारित करके दूसरी उपयोगी वस्तु में परिवर्तित करती हैं। .

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कारखानों में उत्पादन का इतिहास

कारखान .

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कृषि

कॉफी की खेती कृषि खेती और वानिकी के माध्यम से खाद्य और अन्य सामान के उत्पादन से संबंधित है। कृषि एक मुख्य विकास था, जो सभ्यताओं के उदय का कारण बना, इसमें पालतू जानवरों का पालन किया गया और पौधों (फसलों) को उगाया गया, जिससे अतिरिक्त खाद्य का उत्पादन हुआ। इसने अधिक घनी आबादी और स्तरीकृत समाज के विकास को सक्षम बनाया। कृषि का अध्ययन कृषि विज्ञान के रूप में जाना जाता है तथा इसी से संबंधित विषय बागवानी का अध्ययन बागवानी (हॉर्टिकल्चर) में किया जाता है। तकनीकों और विशेषताओं की बहुत सी किस्में कृषि के अन्तर्गत आती है, इसमें वे तरीके शामिल हैं जिनसे पौधे उगाने के लिए उपयुक्त भूमि का विस्तार किया जाता है, इसके लिए पानी के चैनल खोदे जाते हैं और सिंचाई के अन्य रूपों का उपयोग किया जाता है। कृषि योग्य भूमि पर फसलों को उगाना और चारागाहों और रेंजलैंड पर पशुधन को गड़रियों के द्वारा चराया जाना, मुख्यतः कृषि से सम्बंधित रहा है। कृषि के भिन्न रूपों की पहचान करना व उनकी मात्रात्मक वृद्धि, पिछली शताब्दी में विचार के मुख्य मुद्दे बन गए। विकसित दुनिया में यह क्षेत्र जैविक खेती (उदाहरण पर्माकल्चर या कार्बनिक कृषि) से लेकर गहन कृषि (उदाहरण औद्योगिक कृषि) तक फैली है। आधुनिक एग्रोनोमी, पौधों में संकरण, कीटनाशकों और उर्वरकों और तकनीकी सुधारों ने फसलों से होने वाले उत्पादन को तेजी से बढ़ाया है और साथ ही यह व्यापक रूप से पारिस्थितिक क्षति का कारण भी बना है और इसने मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। चयनात्मक प्रजनन और पशुपालन की आधुनिक प्रथाओं जैसे गहन सूअर खेती (और इसी प्रकार के अभ्यासों को मुर्गी पर भी लागू किया जाता है) ने मांस के उत्पादन में वृद्धि की है, लेकिन इससे पशु क्रूरता, प्रतिजैविक (एंटीबायोटिक) दवाओं के स्वास्थ्य प्रभाव, वृद्धि हॉर्मोन और मांस के औद्योगिक उत्पादन में सामान्य रूप से काम में लिए जाने वाले रसायनों के बारे में मुद्दे सामने आये हैं। प्रमुख कृषि उत्पादों को मोटे तौर पर भोजन, रेशा, ईंधन, कच्चा माल, फार्मास्यूटिकल्स और उद्दीपकों में समूहित किया जा सकता है। साथ ही सजावटी या विदेशी उत्पादों की भी एक श्रेणी है। वर्ष 2000 से पौधों का उपयोग जैविक ईंधन, जैवफार्मास्यूटिकल्स, जैवप्लास्टिक, और फार्मास्यूटिकल्स के उत्पादन में किया जा रहा है। विशेष खाद्यों में शामिल हैं अनाज, सब्जियां, फल और मांस। रेशे में कपास, ऊन, सन, रेशम और सन (फ्लैक्स) शामिल हैं। कच्चे माल में लकड़ी और बाँस शामिल हैं। उद्दीपकों में तम्बाकू, शराब, अफ़ीम, कोकीन और डिजिटेलिस शामिल हैं। पौधों से अन्य उपयोगी पदार्थ भी उत्पन्न होते हैं, जैसे रेजिन। जैव ईंधनों में शामिल हैं मिथेन, जैवभार (बायोमास), इथेनॉल और बायोडीजल। कटे हुए फूल, नर्सरी के पौधे, उष्णकटिबंधीय मछलियाँ और व्यापार के लिए पालतू पक्षी, कुछ सजावटी उत्पाद हैं। 2007 में, दुनिया के लगभग एक तिहाई श्रमिक कृषि क्षेत्र में कार्यरत थे। हालांकि, औद्योगिकीकरण की शुरुआत के बाद से कृषि से सम्बंधित महत्त्व कम हो गया है और 2003 में-इतिहास में पहली बार-सेवा क्षेत्र ने एक आर्थिक क्षेत्र के रूप में कृषि को पछाड़ दिया क्योंकि इसने दुनिया भर में अधिकतम लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया। इस तथ्य के बावजूद कि कृषि दुनिया के आबादी के एक तिहाई से अधिक लोगों की रोजगार उपलब्ध कराती है, कृषि उत्पादन, सकल विश्व उत्पाद (सकल घरेलू उत्पाद का एक समुच्चय) का पांच प्रतिशत से भी कम हिस्सा बनता है। .

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कृषि क्रांति

कृषि के क्षेत्र में अलग-अलग युगों में और अलग-अलग देशों में क्रान्तियाँ हुईं। इनमें से मुख्य निम्नलिखित हैं-.

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कैथोलिक गिरजाघर

कैथोलिक गिरजाघर, जिसे रोमन कैथोलिक गिरजाघर के रूप में भी जाना जाता है, दुनिया का सबसे बड़ा ईसाई गिरजाघर है, दावे के अनुसार इसके सौ करोड़ से अधिक सदस्य हैं।.

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केमिल बेंसो कावूर

इटली के प्रथम प्रधानमंत्री: केमिल बेंसो कावूर केमिल बेंसो कावूर (इतालवी: Camillo Benso Conte di Cavour; अंग्रेजी: Camillo Paolo Filippo Giulio Benso, Count of Cavour, of Isolabella and of Leri; १८१०-१८६१) इटली का राजमर्मज्ञ (स्टेट्समैन)ञ तथा इटली के एकीकरण आन्दोलन का प्रमुख नेता था। वह मूल लिबरल पार्टी का संस्थापक था। इटली के एकीकरण के बाद वह इटली का प्रधानमन्त्री बना किन्तु केवल तीन माह पश्चात उसकी मृत्यु हो गयी। .

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अफ़्रीका

अफ़्रीका वा कालद्वीप, एशिया के बाद विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है। यह 37°14' उत्तरी अक्षांश से 34°50' दक्षिणी अक्षांश एवं 17°33' पश्चिमी देशान्तर से 51°23' पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है। अफ्रीका के उत्तर में भूमध्यसागर एवं यूरोप महाद्वीप, पश्चिम में अंध महासागर, दक्षिण में दक्षिण महासागर तथा पूर्व में अरब सागर एवं हिन्द महासागर हैं। पूर्व में स्वेज भूडमरूमध्य इसे एशिया से जोड़ता है तथा स्वेज नहर इसे एशिया से अलग करती है। जिब्राल्टर जलडमरूमध्य इसे उत्तर में यूरोप महाद्वीप से अलग करता है। इस महाद्वीप में विशाल मरुस्थल, अत्यन्त घने वन, विस्तृत घास के मैदान, बड़ी-बड़ी नदियाँ व झीलें तथा विचित्र जंगली जानवर हैं। मुख्य मध्याह्न रेखा (0°) अफ्रीका महाद्वीप के घाना देश की राजधानी अक्रा शहर से होकर गुजरती है। यहाँ सेरेनगेती और क्रुजर राष्‍ट्रीय उद्यान है तो जलप्रपात और वर्षावन भी हैं। एक ओर सहारा मरुस्‍थल है तो दूसरी ओर किलिमंजारो पर्वत भी है और सुषुप्‍त ज्वालामुखी भी है। युगांडा, तंजानिया और केन्या की सीमा पर स्थित विक्टोरिया झील अफ्रीका की सबसे बड़ी तथा सम्पूर्ण पृथ्वी पर मीठे पानी की दूसरी सबसे बड़ी झीलहै। यह झील दुनिया की सबसे लम्बी नदी नील के पानी का स्रोत भी है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इसी महाद्वीप में सबसे पहले मानव का जन्म व विकास हुआ और यहीं से जाकर वे दूसरे महाद्वीपों में बसे, इसलिए इसे मानव सभ्‍यता की जन्‍मभूमि माना जाता है। यहाँ विश्व की दो प्राचीन सभ्यताओं (मिस्र एवं कार्थेज) का भी विकास हुआ था। अफ्रीका के बहुत से देश द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्वतंत्र हुए हैं एवं सभी अपने आर्थिक विकास में लगे हुए हैं। अफ़्रीका अपनी बहुरंगी संस्कृति और जमीन से जुड़े साहित्य के कारण भी विश्व में जाना जाता है। .

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अर्नाल्ड ट्वानबी

प्रसिद्ध इतिहासकार और अर्नाल्ड ट्वानबी के भतीजे के लिये देखें - जोज़फ अर्नाल्ड ट्वानबी ---- अर्नाल्ड ट्वानबी अर्नाल्ड ट्वानबी (1852-1883) इंग्लैंड के आर्थिक इतिहासकार और सहृदय समाजसेवी थे। वे प्रसिद्ध शल्यचिकित्सक जोजफ ट्वानबी के द्वितीय पुत्र थे। .

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अलेक्सांदर द्वितीय

रूस का ज़ार अलेक्सान्दर द्वितीय अलेक्सांदर द्वितीय (रूसी: Алекса́ндр II Никола́евич; १८१२ - १८८१) रूस का ज़ार (१८५५ से ८१) था। वह निकोलस प्रथम का ज्येष्ठ पुत्र था। .

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उद्योग

एक औद्योगिक क्षेत्र का दृश्य किसी विशेष क्षेत्र में भारी मात्रा में सामान का निर्माण/उत्पादन या वृहद रूप से सेवा प्रदान करने के मानवीय कर्म को उद्योग (industry) कहते हैं। उद्योगों के कारण गुणवत्ता वाले उत्पाद सस्ते दामों पर प्राप्त होते है जिससे लोगों का रहन-सहन के स्तर में सुधार होता है और जीवन सुविधाजनक होता चला जाता है। औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप यूरोप एवं उत्तरी अमेरिका में नये-नये उद्योग-धन्धे आरम्भ हुए। इसके बाद आधुनिक औद्योगीकरण ने पैर पसारना अरम्भ किया। इस काल में नयी-नयी तकनीकें एवं उर्जा के नये साधनों के आगमन ने उद्योगों को जबर्दस्त बढावा दिया। उद्योगों के दो मुख्य पक्ष हैं: १) भारी मात्रा में उत्पादन (मॉस प्रोडक्सन) उद्योगों में मानक डिजाइन के उत्पाद भारी मात्रा में उत्पन्न किये जाते हैं। इसके लिये स्वतः-चालित मशीनें एवं असेम्बली-लाइन आदि का प्रयोग किया जाता है। २) कार्य का विभाजन (डिविजन ऑफ् लेबर) उद्योगों में डिजाइन, उत्पादन, मार्कटिंग, प्रबन्धन आदि कार्य अलग-अलग लोगों या समूहों द्वारा किये जाते हैं जबकि परम्परागत कारीगर द्वारा निर्माण में एक ही व्यक्ति सब कुछ करता था/है। इतना ही नहीं, एक ही काम (जैसे उत्पादन) को छोटे-छोटे अनेक कार्यों में बांट दिया जाता है। सकल घरेलू उत्पाद (Gross domestic product/GDP) हरा - कृषि, लाल - उद्योग, नीला - सेवा क्षेत्र .

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उद्योग 4.0 (चौथी औद्योगिक क्रांति)

उद्योग 4.0, इंडस्ट्री 4.0 अथवा चौथी औद्योगिक क्रांति एक सामूहिक शब्द है, जो बहुत सारे समकालीन स्वचालन, डाटा एक्सचेंज तथा विनिर्माण प्रौद्योगिकियों को समाविष्ट करता है। यह उन प्रौद्योगिकियों और मूल्य शृंखला संगठन की अवधारणाओं के लिए परिभाषित एक सामूहिक शब्द है जो साइबर भौतिक प्रणालियों, इंटरनेट ऑफ थिंग्स तथा इंटरनेट ऑफ सर्विसेज को एक साथ लाते हैं।  उद्योग 4.0 "स्मार्ट फैक्टरी" के निष्पादन और दृष्टिकोण को सुगम बनाता है। उद्योग 4.0 की मॉड्यूलर संरचित स्मार्ट फैक्ट्री के तहत, साइबर भौतिक प्रणालियां भौतिक प्रक्रियाओं की निगरानी, भौतिक दुनिया के एक आभासी प्रतिलिपि का सृजन और विकेन्द्रीकृत निर्णय लेती हैं। इंटरनेट ऑफ थिंग्स के संदर्भ में, साइबर भौतिक प्रणालियां वास्तविक समय में एक दूसरे के साथ और मनुष्य के साथ संवाद और सहयोग करती हैं, जबकि इंटरनेट ऑफ सर्विसेज के माध्यम से, मूल्य श्रृंखला के प्रतिभागियों द्वारा आंतरिक और पार-संगठनात्मक सेवाओं की पेशकश और इनका उपयोग किया जाता है। .

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उपनिवेश

उपनिवेश (कालोनी) किसी राज्य के बाहर की उस दूरस्थ बस्ती को कहते हैं जहाँ उस राज्य की जनता निवास करती है। किसी पूर्ण प्रभुसत्ता संपन्न राज्य (सावरेन स्टेट) के लोगों के अन्य देश की सीमा में जाकर बसने के स्थान के लिए भी इस शब्द का प्रयोग होता है। इस अर्थ में अधिकतर यूरोपीय देशों के "उपनिवेश" लंदन में स्थित हैं। परंतु साधारणत: अधिक संकुचित अर्थ में ही इस शब्द का प्रयोग होता है, विशेषकर निम्नलिखित दशाओं में: (क) एक राज्य के निवासियों की अपने राज्य को भौगोलिक सीमाओं के बाहर अन्य स्थान पर बसी बस्ती को तब तक उपनिवेश कहते हैं, जब तक वह स्थान उस राज्य के ही प्रशासकीय क्षेत्र में आता हो, अथवा (ख) कोई स्वतंत्र राष्ट्र, जो किसी अन्य (प्रधान) राष्ट्र की राष्ट्रीयता, प्रशासन, तथा आर्थिक एकता से घनिष्ट संबंध रखता हो। उदाहरणार्थ, प्रथम श्रेणी के अंतर्गत त्यूतनिक उपनिवेश हैं जो बाल्टिक प्रांतों में स्थित हैं तथा इसी प्रकार के उपनिवेश बालकन प्रायद्वीप में भी हैं। दूसरी श्रेणी के उपनिवेश-और यही अधिक प्रचलित प्रयोग है-अफ्रीका अथवा आस्ट्रेलिया में अंग्रेजों के हैं। सन १९४५ में उपनिवेश .

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उपनिवेशवाद

उपनिवेशवाद के विरुद्ध संघर्ष के महान योद्धा '''महात्मा गाँधी''' किसी एक भौगोलिक क्षेत्र के लोगों द्वारा किसी दूसरे भौगोलिक क्षेत्र में उपनिवेश (कॉलोनी) स्थापित करना और यह मान्यता रखना कि यह एक अच्छा काम है, उपनिवेशवाद (Colonialism) कहलाता है। इतिहास में प्राय: पन्द्रहवीं शताब्दी से लेकर बीसवीं शताब्दी तक उपनिवेशवाद का काल रहा। इस काल में यूरोप के लोगों ने विश्व के विभिन्न भागों में उपनिवेश बनाये। इस काल में उपनिवेशवाद में विश्वास के मुख्य कारण थे -.

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उपकरण

हथौड़ा उपकरण या औजार (tool) उन युक्तियों को कहते हैं जो किसी कार्य को करने में सुविधा या सरलता या आसानी प्रदान करते हैं। कुछ उपकरण उन कार्यों को भी सम्पादित कर सकते हैं जो उनके बिना सम्भव ही नहीं होता। सरल मशीनें सबसे मौलिक उपकरण कही जा सकती हैं। हथौड़ा एक औजार है; इसी तरह टेलीफोन भी एक औजार है। पहले ऐसी मान्यता थी कि केवल मानव ही उपकरणों का प्रयोग करता है एवं उपकरणों के उपयोग करने के फलस्वरूप ही मानव इतना विकास कर पाया। किन्तु बाद में पता चला कि कुछ चिड़ियां एवं बन्दर आदि भी औजारों का प्रयोग करते हैं। औद्योगिक क्रांति के समय मशीन उपकरणों (Machine tools) के कारण नये औजारों के उत्पादन अचानक बहुत बढ़ गया था। नैनोतकनीकी के समर्थकों का विचार है कि जैसे ही औजार सूक्ष्म (microscopic) हो जायेंगे, ऐसी ही तीव्र वृद्धि पुनः देखने को मिलेगी। कुछ उपकरण .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

रूस की औद्योगिक क्रांति, औद्योगिक युग, औद्योगिक क्रान्ति

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