पाकिस्तान आंदोलन के दौर में राजनेता विभिन्न समूहों में विभाजित थे। कुछ लोग अंग्रेज समर्थक थे। कुछ अंग्रेज दुश्मन लेकिन हिन्दू के मन से दोस्तो और सहयोगी थे। इमाम अहमद रजा बरेलवी और हम मसलक विद्वानों का धार्मिक और इस्लामी बिंदु दृष्टिकोण था कि अंग्रेज और हिंदू दोनों ही हमारे दुश्मन हैं। हिंदू और मुसलमान दो अलग राष्ट्र हैं। येही दो राष्ट्रीय दृष्टिकोण था। जिसे बाद में अल्लामा मुहम्मद इक़बाल और का़इद ए आज़म मोहम्मद अली जिन्नाह ने अपनाया और इसी कृरिए के आधार पर पाकिस्तान अस्तित्व में आया। 1946 में अखिल भारतीय सुनी सम्मेलन बनारस में ऐतिहासिक बैठक हुई जिसमें अहले सुन्नत व जमाअत (बरेली) के सभी विद्वानों ने भाग लिया और पाकिस्तान की भरपूर समर्थन की। श्रेणी:भारत का इतिहास श्रेणी:पाकिस्तान का इतिहास.