सामग्री की तालिका
22 संबंधों: एमाइड, ऐजो यौगिक, पण्य रसायन, रासायनिक सूत्र, लिथियम एसीटेट, सर्वाइकल कैंसर, सिरका, सूक्ष्मजीव, हाइड्रोजन पेरॉक्साइड, जल (अणु), जैविक अम्ल, जेलीफ़िश, विष प्रतिकारक, खाद्य परिरक्षण, आनुभविक सूत्र, आइसोसायनिक अम्ल, आक्सिम, इथेनॉल, कार्बोक्सिलिक अम्ल, अभिकर्मकों की सूची, अम्ल, अम्ल-क्षार अभिक्रिया।
एमाइड
एमाइड क्रियात्मक समूह ऐमाइड (Amide) अमोनिया के हाइड्रोजन को वसीय या सौरभिक अम्ल मूलक द्वारा प्रतिस्थापित यौगिक है। इसमें अम्ल से कार्बोक्सिल मूलक का हाइड्रॉक्सिल मूलक ऐमिडोमूलक NH2 जैसे (R.CO.NH2)। ये तीन वर्ग के हैं: प्राथमिक R.CO...N H2, द्वितीयक (R.CO)2 तथा त्रितीयक (RCO)3 N* इनमें से केवल प्राथमिक ऐमाइड ही प्रमुख हैं। इन्हें 'ऐसिड ऐमाइड' भी कहते हैं। इनके नाम अम्ल के अंग्रेजी नाम से "-इक ऐसिड" निकालकर उसके बदले "ऐमाइड" लगा देने से प्राप्त होते हैं, जैसे फ़ॉर्मिक ऐसिड से फॉर्मऐमाइड (H.CO NH2), ऐसीटिक एसिड से ऐसीटेमाइड CH3। CO.NH2 इत्यादि। ऐमिनो मूलक के हाइड्रोजन के प्रतिस्थापित यौगिक को नाम के पहले एन (N) लिखकर व्यक्त करते हैं, जैसे एन-मेथिल ऐसीटैमाइड। प्रकृति में ये प्रोटीन में पेप्टाइड बंधन के रूप में पाए जाते हैं। .
देखें एसिटिक अम्ल और एमाइड
ऐजो यौगिक
एजो यौगिकों का सामान्य सूत्र ऐज़ो यौगिक (Azo compounds) ऐसे कार्बनिक यौगिक को कहते हैं जिसमें R-N.
देखें एसिटिक अम्ल और ऐजो यौगिक
पण्य रसायन
केमिकल एवं कई अन्य प्रकार के उत्पादों और संपादन के प्रकार। पण्य रसायन (Commodity chemicals या bulk commodities या bulk chemicals) रासायनिक पदार्थों के उस समूह को कहते हैं जिसना उत्पादन बहुत बड़े पैमाने पर किया जाता है ताकि वैश्विक मांग को पूरा किया जा सके। इन रसायनों के औसत मूल्य नियमित रूप से रासायनिक आंकड़े प्रकाशित करने वाले पत्र-पत्रिकाओं में छपते रहते हैं, जैसे और में। पण्य रसायन, रासायनिक उद्योग का एक उपक्षेत्र (सब-सेक्तर) है (अन्य क्षेत्र हैं- फाइन रसायन (fine chemical), विशिष्ट रसायन (speciality chemicals), अकार्बनिक रसायन (inorganic chemicals), शैल-रसायन (petrochemicals), औषध रसायन (pharmaceuticals), नवीकरणीय ऊर्जा (जैसे जैवैईंधन) आदि)। .
देखें एसिटिक अम्ल और पण्य रसायन
रासायनिक सूत्र
रासायनिक सूत्र (chemical formula) किसी रासायनिक यौगिक को इस प्रकार निरूपित करता है जिससे पता चलता है कि वह यौगिक किन-किन तत्वों के कितने-कितने परमाणुओं से मिलकर बना है। सामान्य प्रयोग में प्रायः अणुसूत्र (molecular formula) के लिये भी 'रासायनिक सूत्र' का ही प्रयोग कर दिया जाता है। उदाहरण: मिथेन का अणुसूत्र प्रा.उ4 (CH4) है जो इंगित करता है कि मिथेन का अणु कार्बन एवं हाइड्रोजन के परमाणुओं से मिलकर बना है तथा मिथेन के एक अणु में कार्बन का एक परमाणु व हाइड्रोजन के चार परमाणु होते हैं। परन्तु इस सूत्र से यह पता नहीं चलता कि कार्बन का एक परमाणु व हाइड्रोजन के ये चार परमाणु किस प्रकार व्यवस्थित हैं। अर्थात ये एक ही समतल में हैं या त्रिबिम में हैं; इनके बंधों के बीच कितना कोण है; बन्धों की लम्बाई कितनी है, आदि का अणुसूत्र से कुछ भी ज्ञान नहीं होता। कई प्रकार के रासायनिक सूत्र उपयोग किये जाते हैं जिनकी अलग-अलग उपयोगिता है और अलग-अलग जटिलता भी। बढ़ते हुए जटिलता के क्रम में ये हैं - आनुभविक सूत्र, अणुसूत्र, संरचना सूत्र। .
देखें एसिटिक अम्ल और रासायनिक सूत्र
लिथियम एसीटेट
लिथियम एसीटेट (CH3COOLi) लिथियम का नमक और एसिटिक अम्ल है। .
देखें एसिटिक अम्ल और लिथियम एसीटेट
सर्वाइकल कैंसर
इस बड़े घातक नासूर ने (चित्र का निचला भाग) ग्रीवा को काट दिया है और निचले गर्भाशय खंड में घुस गया है। गर्भाशय में ऊपर एक गोल आरेखीपेशी-अर्बुद भी है। गर्भाशय-ग्रीवा कर्कटरोग (कैंसर), गर्भाशय ग्रीवा या गर्भाशय ग्रीवा क्षेत्र की घातक रसौली है। यह योनि रक्त-स्राव के साथ मौजूद हो सकती है, लेकिन इसके लक्षण, कैंसर के उन्नत चरण पर होने तक अनुपस्थित हो सकते हैं। इसके उपचार में शामिल हैं, प्रारंभिक चरण में शल्य-चिकित्सा (स्थानीय उच्छेदन सहित) तथा रसायन-चिकित्सा व रोग के उन्नत चरणों में विकिरण चिकित्सा.
देखें एसिटिक अम्ल और सर्वाइकल कैंसर
सिरका
विभिन्न आकार वाली सिरके की बोतलें सिरका या चुक्र (Vinagar) भोजन का भाग है जो पाश्चात्य, यूरोपीय एवं एशियायी देशों के भोजन में प्राचीन काल से ही प्रयुक्त होता आया है। किसी भी शर्करायुक्त विलयन के मदिराकरण के अनंतर ऐसीटिक (अम्लीयامیر) किण्वन (acetic fermentation) से सिरका या चुक्र (Vinegar, विनिगर) प्राप्त होता है। इसका मूल भाग ऐसीटिक अम्ल का तनु विलयन है पर साथ ही यह जिन पदार्थों से बनाया जाता है उनके लवण तथा अन्य तत्व भी उसमें रहते हैं। प्रायः भोजन के लिये प्रयुक्त सिरके में ४% से ८% तक एसेटिक अम्ल होता है। विशेष प्रकार का सिरका उसके नाम से जाना जाता है, जैसे मदिरा सिरका (Wine Vinegar), मॉल्ट (यव्य या यवरस) सिरका (Malt Vinegar), अंगूर का सिरका, सेब का सिरका (Cider Vinegar), जामुन का सिरका और कृत्रिम सिरका इत्यादि। .
देखें एसिटिक अम्ल और सिरका
सूक्ष्मजीव
जीवाणुओं का एक झुंड वे जीव जिन्हें मनुष्य नंगी आंखों से नही देख सकता तथा जिन्हें देखने के लिए सूक्ष्मदर्शी यंत्र की आवश्यकता पड़ता है, उन्हें सूक्ष्मजीव (माइक्रोऑर्गैनिज्म) कहते हैं। सूक्ष्मजैविकी (microbiology) में सूक्ष्मजीवों का अध्ययन किया जाता है। सूक्ष्मजीवों का संसार अत्यन्त विविधता से बह्रा हुआ है। सूक्ष्मजीवों के अन्तर्गत सभी जीवाणु (बैक्टीरिया) और आर्किया तथा लगभग सभी प्रोटोजोआ के अलावा कुछ कवक (फंगी), शैवाल (एल्गी), और चक्रधर (रॉटिफर) आदि जीव आते हैं। बहुत से अन्य जीवों तथा पादपों के शिशु भी सूक्ष्मजीव ही होते हैं। कुछ सूक्ष्मजीवविज्ञानी विषाणुओं को भी सूक्ष्मजीव के अन्दर रखते हैं किन्तु अन्य लोग इन्हें 'निर्जीव' मानते हैं। सूक्ष्मजीव सर्वव्यापी होते हैं। यह मृदा, जल, वायु, हमारे शरीर के अंदर तथा अन्य प्रकार के प्राणियों तथा पादपों में पाए जाते हैं। जहाँ किसी प्रकार जीवन संभव नहीं है जैसे गीज़र के भीतर गहराई तक, (तापीय चिमनी) जहाँ ताप 100 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा हुआ रहता है, मृदा में गहराई तक, बर्फ की पर्तों के कई मीटर नीचे तथा उच्च अम्लीय पर्यावरण जैसे स्थानों पर भी पाए जाते हैं। जीवाणु तथा अधिकांश कवकों के समान सूक्ष्मजीवियों को पोषक मीडिया (माध्यमों) पर उगाया जा सकता है, ताकि वृद्धि कर यह कालोनी का रूप ले लें और इन्हें नग्न नेत्रों से देखा जा सके। ऐसे संवर्धनजन सूक्ष्मजीवियों पर अध्ययन के दौरान काफी लाभदायक होते हैं। .
देखें एसिटिक अम्ल और सूक्ष्मजीव
हाइड्रोजन पेरॉक्साइड
'हाइड्रोजन परॉक्साइड (H2O2) एक बहुत हल्का नीला, पानी से जरा सा अधिक गाढ़ा द्रव है जो पतले घोल में रंगहीन दिखता है। इसमें आक्सीकरण के प्रबल गुण होते हैं और यह एक शक्तिशाली विरंजक है। इसका इस्तेमाल एक विसंक्रामक, रोगाणुरोधक, आक्सीकारक और रॉकेट्री में प्रणोदक के रूप में किया जाता है। हाइड्रोजन परॉक्साइड की आक्सीकरण क्षमता इतनी प्रबल होती है कि इसे आक्सीजन की उच्च प्रतिक्रिया वाली जाति समझा जाता है। हाइड्रोजन परॉक्साइड जीवों में आक्सीकरण चयापचय के उपोत्पाद के रूप में प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होता है। लगभग सभी जीवित वस्तुओं (विशेषकर, सभी आब्लिगेटिव और फेकल्टेटिव वातापेक्षी जीव) में परॉक्सिडेज नामक एन्ज़ाइम होते हैं जो बिना हानि पहुंचाए और उत्प्रेरण द्वारा उदजन परूजारक की छोटी मात्राओं को पानी और आक्सीजन में विघटित करते हैं। .
देखें एसिटिक अम्ल और हाइड्रोजन पेरॉक्साइड
जल (अणु)
जल पृथ्वी की सतह पर सर्वाधिक मात्रा में पाया जाने वाला अणु है, जो इस ग्रह की सतह के 70% का गठन करता है। प्रकृति में यह तरल, ठोस और गैसीय अवस्था में मौजूद है। मानक दबावों और तापमान पर यह तरल और गैस अवस्थाओं के बीच गतिशील संतुलन में रहता है। घरेलू तापमान पर, यह तरल रूप में हल्की नीली छटा वाला बेरंग, बेस्वाद और बिना गंध का होता है। कई पदार्थ, जल में घुल जाते हैं और इसे सामान्यतः सार्वभौमिक विलायक के रूप में सन्दर्भित किया जाता है। इस वजह से, प्रकृति में मौजूद जल और प्रयोग में आने वाला जल शायद ही कभी शुद्ध होता है और उसके कुछ गुण, शुद्ध पदार्थ से थोड़ा भिन्न हो सकते हैं। हालांकि, ऐसे कई यौगिक हैं जो कि अनिवार्य रूप से, अगर पूरी तरह नहीं, जल में अघुलनशील है। जल ही ऐसी एकमात्र चीज़ है जो पदार्थ की सामान्य तीन अवस्थाओं में स्वाभाविक रूप से पाया जाता है - अन्य चीज़ों के लिए रासायनिक गुण देखें.
देखें एसिटिक अम्ल और जल (अणु)
जैविक अम्ल
कुछ प्रमुख कार्बनिक अम्लों की सामान्य संरचना: (बायें) कार्बोक्सिलिक अम्ल, (दायें) सम्फोनिक अम्ल; अणु में अम्लीय हाइड्रोजन को लाल रंग में दिखाया गया है। कार्बनिक अम्ल (organic acid) वे कार्बनिक यौगिक हैं जिनमें अम्लीय गुण होते हैं। इनमें से कार्बोक्सिलिक अम्ल सर्वाधिक आम हैं। सल्फोनिक अम्ल, अल्कोहल आदि अन्य कार्बनिक अम्ल हैं। कार्बनिक अम्ल प्रायः फलों के रसों में पाये जाते हैं। कार्बनिक अम्लों के कुछ उदाहरण ये हैं-.
देखें एसिटिक अम्ल और जैविक अम्ल
जेलीफ़िश
जेलीफ़िश या जेली या समुद्री जेली या मेड्युसोज़ोआ, या गिजगिजिया नाइडेरिया संघ का मुक्त-तैराक़ सदस्य है। जेलीफ़िश के कई अलग रूप हैं जो स्काइफ़ोज़ोआ (200 से अधिक प्रजातियां), स्टॉरोज़ोआ (लगभग 50 प्रजातियां), क्यूबोज़ोआ (लगभग 20 प्रजातियां) और हाइड्रोज़ोआ (लगभग 1000-1500 प्रजातियाँ जिसमें जेलीफ़िश और कई अनेक शामिल हैं) सहित विभिन्न नाइडेरियाई वर्गों का प्रतिनिधित्व करती हैं। इन समूहों में जेलीफ़िश को, क्रमशः, स्काइफ़ोमेड्युसे, स्टॉरोमेड्युसे, क्यूबोमेड्युसे और हाइड्रोमेड्युसे भी कहा जाता है। सभी जेलीफ़िश उपसंघ मेड्युसोज़ोआ में सन्निहित हैं। मेड्युसा जेलीफ़िश के लिए एक और शब्द है और इसलिए जीवन-चक्र के वयस्क चरण के लिए विशेष रूप से प्रयुक्त होता है। जेलीफ़िश हर समुद्र में, सतह से समुद्र की गहराई तक पाए जाते हैं। कुछ हाइड्रोज़ोआई जेलीफ़िश, या हाइड्रोमेड्युसे ताज़ा पानी में भी पाए जाते हैं; मीठे पानी की प्रजातियां व्यास में एक इंच (25 मि.मी.), बेरंग होती हैं और डंक नहीं मारती हैं। ऑरेलिया जैसे कई सुविख्यात जेलीफ़िश, स्काइफ़ोमेड्युसे हैं। ये बड़े, अक्सर रंगीन जेलीफ़िश हैं, जो विश्व भर में सामान्यतः तटीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं। अपने व्यापक अर्थ में, शब्द जेलीफ़िश आम तौर पर संघ टीनोफ़ोरा के सदस्यों को निर्दिष्ट करता है। हालांकि नाइडेरियन जेलीफ़िश से कोई निकट संबंध नहीं है, टीनोफ़ोर मुक्त-तैराक़ प्लैंक्टोनिक मांसभक्षी हैं, जो सामान्यतः पारदर्शी या पारभासी और विश्व के सभी महासागरों के उथले से गहरे भागों में मौजूद होते हैं। शेर अयाल जेलीफ़िश सर्वाधिक विख्यात जेलीफ़िश हैं और विवादास्पद तौर पर दुनिया का सबसे लंबा जानवर है। .
देखें एसिटिक अम्ल और जेलीफ़िश
विष प्रतिकारक
विष कष्टकारक और घातक होते हैं। इनके प्रभाव के निराकरण के लिए कुछ औषधियाँ और उपचार प्रयुक्त होते हैं। इन्हें विषप्रतिकारक (Antidote) कहते हैं। विष के खाने के अनेक कारण हो सकते हैं। कुछ लोग आत्महत्या के लिए विष खाते हैं। कुछ लोग दूसरे का धनमाल हड़पने के लिए विष खिलाकर बेहोश कर, धनमाल लेकर चंपत हो जाना चाहते हैं। ऐसी बातें रेलयात्रियों के संबंध में बहुधा सुनी जाती हैं। कुछ लोग अनजान में विष खा लेते हैं और उसके अहितकर प्रभाव का शिकार बनते हैं। विषों के लाभकारी उपयोग भी हैं। कष्टकारक कीड़ों मकोड़ों, जैसे मच्छर और खटमल और रोगोत्पादक जंतुओं, जैसे चूहों आदि, के नाश करने में विषों का प्रयोग होता है। .
देखें एसिटिक अम्ल और विष प्रतिकारक
खाद्य परिरक्षण
विभिन्न संरक्षित खाद्य पदार्थ कनाडा का विश्व युद्ध प्रथम के समय का पोस्टर जो लोगों को सर्दियों के लिए भोजन संरक्षित करने के लिए प्रोत्साहित करता है। खाद्य परिरक्षण खाद्य को उपचारित करने और संभालने की एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे उसके खराब होने (गुणवत्ता, खाद्यता या पौष्टिक मूल्य में कमी) की उस प्रक्रिया को रोकता है या बहुत कम कर देता है, जो सूक्ष्म जीवाणुओं द्वारा होती या तेज कर दी जाती है। यद्दपि कुछ तरीकों में, सौम्य बैक्टीरिया, जैसे खमीर या कवक का प्रयोग किया जाता है ताकि विशेष गुण बढ़ाए जा सके और खाद्य पदार्थों को संरक्षित किया जा सके (उदाहरण के तौर पर पनीर और शराब).
देखें एसिटिक अम्ल और खाद्य परिरक्षण
आनुभविक सूत्र
रसायन विज्ञान में किसी यौगिक का आनुभविक सूत्र (प्रयोगाधारित सूत्र / मूलानुपाती सूत्र / empirical formula) वह सूत्र है जो बताता है कि उस यौगिक के अणु में कौन-कौन से परमाणु हैं तथा उन परमाणुओं की संख्या का सरलतम अनुपात क्या है। उदाहरण के लिये हेक्सेन का प्रयोगाधारित सूत्र C3H7 है जबकि उसका अणुसूत्र C6H14 है। प्रयोगाधारित सूत्र या 'इम्पिरिकल फॉर्मूला' नाम इसलिये पड़ा है कि जिस विधि से ये सूत्र ज्ञात किये जाते हैं वह प्रयोग पर आधारित है और इसमें अणु में परमाणुओं का सापेक्षिक अनुपात ही पता चल पाता है, परमाणुओं की वास्तविक संख्या का पता नहीं चलता (जिसे किसी अन्य विधि द्वारा प्राप्त किया जाता है)। बेंजीन अणु का '''आनुभविक सूत्र''' (1), आणविक सूत्र (2) तथा अन्य निरूपण: (3) केकुले संरचना (अनुनादी समावयी); (4) समतल षटकोणीय संरचना, जिसमें आबन्ध की लम्बाई और कोण भी लिखे गये हैं; (5) sp2 संकर ऑर्बिटल के बीच सिगमा आबन्ध; (6) परमाणविक कक्षक; (7) Molecular orbital delocalized pi; (8) बेंजीन रिंग .
देखें एसिटिक अम्ल और आनुभविक सूत्र
आइसोसायनिक अम्ल
आइसोसायनिक अम्ल (Isocyanic acid) एक कार्बनिक यौगिक है जिसका रासायनिक सूत्र HNCO है। इसको सन् १८३० में वोलर (Wohler) और लीबिग ने ज्ञात किया था। यह रंगहीन, वाष्पशील तथा विषैला पदार्थ है। इसका क्वथनांक 23.5 °C होता है। इसके निर्माण की सबसे सरल विधि इसके बहुलकीकृत रूप सायन्यूरिक अम्ल (cyanuric acid) को कार्बन डाईऑक्साइड की उपस्थिति में आसवन करके तथा इससे प्राप्त वाष्पों को हिमकारी मिश्रण (freezing mixture) में संघनित करके इकट्ठा करने की है। यह बहुत ही तीव्र वाष्पशील द्रव पदार्थ है जो ० डिग्री सेल्सियस से नीचे ही स्थायी रहता है तथा इसकी अम्लीय अभिक्रिया काफी तीव्र होती है। इसमें ऐसीटिक अम्ल की सी गंध होती है। ० डिग्री सेल्सियस पर यह बहुलकीकृत होकर सायन्यूरिक अम्ल (CNOH)2 बनाता है। हाइड्रोसायनिक अम्ल या मरक्यूरिक सायनाइड पर क्लोरीन की अभिक्रिया से सायनोजन क्लोराइड (CN Cl) बनता है जो वाष्पशील विषैला द्रव है और जहरीली गैस के रूप में प्रयुक्त होता है। HCNO के दो चलावयवीय (tautomeric) रूप होते हैं। सामान्य रूप का ऐस्टर नहीं मिलता परंतु आइसोसायनेट के ऐस्टर ऐल्किल हैलाइड पर सिलवर सायनेट की अभिक्रिया से प्राप्त होते हैं। R-X + AgN .
देखें एसिटिक अम्ल और आइसोसायनिक अम्ल
आक्सिम
300px ऐलडिहाइडों तथा कीटोनों पर हाइड्रॉक्सिल-ऐमिन की प्रतिक्रिया से जो यौगिक प्राप्त होते हैं उन्हें आक्सिम (Oximes) कहते हैं। ऐलडिहाडो से बने यौगिकों को ऐलडॉक्सिम तथा कीटोनों से बने यौगिक कीटॉक्सिम कहलाते हैं। इनके सूत्र सामने के चित्र में दर्शाए गये हैं। आक्सिम वे रासायनिक यौगिक हैं जिनका सामान्य सूत्र R1R2C.
देखें एसिटिक अम्ल और आक्सिम
इथेनॉल
एथेनॉल (Ethanol) एक प्रसिद्ध अल्कोहल है। इसे एथिल अल्कोहल भी कहते हैं। .
देखें एसिटिक अम्ल और इथेनॉल
कार्बोक्सिलिक अम्ल
कार्बोक्सिलिक अम्ल की संरचना जिन कार्बनिक यौगिकों में कार्बोक्सिल समूह (C(O)OH) उपस्थित होता है उन्हें कार्बोक्सिलिक अम्ल (carboxylic acid) कहते हैं। कार्बोक्सिलिक अम्लों का सामान्य सूत्र R-C(O)OH है जहाँ R अणु के शेष को भाग निरूपित करता है। अमिनो अम्ल तथा एसिटिक अम्ल आदि कार्बोक्सिलिक अम्ल हैं। .
देखें एसिटिक अम्ल और कार्बोक्सिलिक अम्ल
अभिकर्मकों की सूची
यहाँ रसायन विज्ञान में प्रायः उपयोग में आने वाले अकार्बनिक एवं कार्बनिक अभिकर्मकों की सूची दी गयी है। .
देखें एसिटिक अम्ल और अभिकर्मकों की सूची
अम्ल
अम्ल एक रासायनिक यौगिक है, जो जल में घुलकर हाइड्रोजन आयन (H+) देता है। इसका pH मान 7.0 से कम होता है। जोहान्स निकोलस ब्रोंसटेड और मार्टिन लॉरी द्वारा दी गई आधुनिक परिभाषा के अनुसार, अम्ल वह रासायनिक यौगिक है जो प्रतिकारक यौगिक (क्षार) को हाइड्रोजन आयन (H+) प्रदान करता है। जैसे- एसीटिक अम्ल (सिरका में) और सल्फ्यूरिक अम्ल (बैटरी में).
देखें एसिटिक अम्ल और अम्ल
अम्ल-क्षार अभिक्रिया
किसी अम्ल और किसी क्षार को आपस में मिलाने पर होने वाली रासायनिक अभिक्रिया को अम्ल-क्षार अभिक्रिया (acid–base reaction) कहते हैं।; उदाहरण- सोडियम बाईकार्बोनेट और एसिटिक अम्ल के बीच होने वाली अभिक्रिया अम्ल-क्षार अभिक्रिया का एक उदाहरण है। इसमें सोडियम एसिटेट बनता है। .
देखें एसिटिक अम्ल और अम्ल-क्षार अभिक्रिया