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एम आर आई

सूची एम आर आई

एम आरा आई की मशीन (३ टेसला चुम्बकीय क्षेत्र) मानव के सिर एम आर आई द्वारा निर्मित छबियाँ चुम्बकीय अनुनाद प्रतिबिम्बन (Magnetic resonance imaging (MRI)) या नाभिकीय चुम्बकीय अनुनाद प्रतिबिम्बन (NMRI), एक चिकित्सा प्रतिबिम्बन की एक तकनीक है। एम आर आई द्वारा शरीर के अंगों का चित्र प्राप्त करने के लिये के लिये प्रबल चुम्बकीय क्षेत्र तथा रेडियो तरंगों का प्रयोग किया जाता है। इसे चुम्बकीय अनुनाद टोमोग्राफी (MRT) भी कहते हैं। श्रेणी:चिकित्सकीय परीक्षण.

6 संबंधों: चिकित्सा प्रतिबिम्बन, नाभिकीय चिकित्सा, पीटर मैन्सफील्ड, फुफ्फुस कर्कट रोग, गतिप्रेरक, अपस्मार

चिकित्सा प्रतिबिम्बन

छाती का एक्स-रे एक सी.टी. स्कैन जिसमें उदर महाधमनी में संविदार (रप्चर) दिख रहा है। चिकत्सीय विश्लेषण की सुविधा के लिये शरीर के आन्तरिक अंगों का बिम्ब लेना तथा उसका प्रसंस्करण चिकित्सा प्रतिबिम्बन (Medical imaging) कहलाता है। इससे कुछ अंगों या ऊतकों के कार्य करने के ढंग भी धृश्य रूप में प्रस्तुत हो जाता है। चिकित्सा प्रतिबिम्बन के द्वारा शरीर के अन्दर त्वचा एवं अस्थियों के कारण छिपे हुए अंगों का आन्तरिक संरचना सामने आ जाती है जिससे और रोगों का निदान करने में सुविधा होती है। चिकित्सा प्रतिबिम्बन, जीववैज्ञानिक प्रतिबिम्बन का एक अंग है। .

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नाभिकीय चिकित्सा

सामान्य पूर्ण शरीर स्कैन, कैंसरhttp://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/2641976.cms कैंसर के खिलाफ जंग में नई मशीन कारगर।हिन्दी चिह्न।नवभारत टाइम्स।२१ दिसंबर, २००७।लखनऊ आदि में उपयोगी नाभिकीय चिकित्सा (अंग्रेज़ी:न्यूक्लियर मेडिसिन) एक प्रकार की चिकित्सकीय जाँच तकनीक होती है। इसमें रोग चाहे आरंभिक अवस्था में हों या गंभीर अवस्था में, उनकी गहन जाँच और उपचार संभव है।। याहू जागरण।१४ मई, २००८ कोशिका की संरचना और जैविक रचना में हो रहे परिवर्तनों पर आधारित इस तकनीक से चिकित्सा की जाती है। इस पद्धति को न्यूक्लियर मेडिसिन भी कहा जाता है। वर्तमान प्रचलित चिकित्सा पद्धति में रोगों का मात्र अंदाजा या अनुमान ही लगाते हैं और उपचार करते हैं, जबकि नाभिकीय चिकित्सा में न केवल रोग को बहुत आरंभिक अवस्था में पकड़ा जाता है, वरन यह प्रभावशाली ईलाज और दवाइयों के बारे में भी स्पष्टता से बहुत कुछ बता पाने में सक्षम है। इससे किसी भी बीमारी की विस्तृत जानकारी, उसके प्रभाव और उसके उपचार निपटने के प्रभावशाली उपायों आदि के बारे में पता चलता है। इतना ही नहीं, इससे बीमारी के आगे बढ़ने के बारे में यानी भविष्य में इसके फैलने की गति, दिशा और तरीके का भी ज्ञान हो जाता है।।। हिन्दी मिलाप।६ अप्रैल, २००८ यह तकनीक सुरक्षित, कम खर्चीली और दर्द रहित चिकित्सा तकनीक है।।। याहू जागरण।१२ मार्च, २००८। डॉ॰मुकेश जैन:डी.एन.बी, न्यूक्लियर मेडिसिन) सामान्यतः किसी प्रकार का रोग होने के बाद ही सी. टी. स्कैन, एम.आर.आई और एक्स-रे आदि से परीक्षण करने से प्रभावित अंगो की स्थिति का पता चल पाता है। इस पद्धति में रोगी को एक रेडियोधर्मी समस्थानिक को दवाई के रूप में इंजेक्शन के रास्ते शरीर में दिया जाता है। फिर उसके रास्ते को स्कैनिंग के जरिये देख्कर पता लगाय़ा जाता है, कि शरीर के किस भाग में कौन सा रोग हो रहा है। इसके साथ ही इनकी स्कैनिंग के कुछ दुष्प्रभाव (साइड इफैक्ट) की भी संभावना होती है। हाइपरथायरॉएडिज़्म आकलन हेतु आयोडीन-१२३ स्कैन नाभिकीय चिकित्सा में रोगी के शरीर में इंजेक्शन द्वारा बहुत ही कम मात्रा में रेडियोधर्मी तत्व प्रविष्ट करा दिये जाते हैं, जिसे शरीर में संक्रमित या प्रभावित कोशिका इसे अवशोषित कर लेती है। इससे होने वाले विकिरण को एक विशेष प्रकार के गामा कैमरे में उतार कर रोग की सटीक और विस्तृत जाँच की जाती है। न्यूक्लियर मेडिसिन स्कैनिंग से मिले अलग फिल्म में प्रभावित अंग की विस्तृत जानकारी मिलती है। नाभिकीय चिकित्सा तकनीक में रेडियो धर्मी तत्व का प्रयोग इतनी कम मात्र में किया जाता है कि इससे होने वाले विकिरण का प्रभाव कोशिकाओं पर नहीं पड़ता है। नाभिकीय चिकित्सा द्वारा कैंसर।। छत्तीसगढ़ न्यूज़।, हृदय, मस्तिष्क, फेफड़ा, थायरॉइड अपटेक स्कैन और बोन स्कैन किए जाते हैं। इसके अलावा अन्य रोगों का ईलाज भी नाभिकीय चिकित्सा द्वारा किया जाता है। अवटु ग्रंथि में आई खराबी और हड्डी में लगातार हो रहे दर्द का इलाज इसी तकनीक से होता है। .

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पीटर मैन्सफील्ड

पीटर मैन्सफील्ड (Peter Mansfield; ९ अक्टूबर १९३३ – ८ फ़रवरी २०१७) एक अंग्रेज़ चिकित्सक थे। उन्हें एम॰आर॰आई॰ की खोज के लिए वर्ष २००३ में पॉल क्रिस्चियन लौटरबर के साथ चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार से सम्मनित किया गया था। मैंन्सफील्ड नॉटिंघम विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। .

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फुफ्फुस कर्कट रोग

फुफ्फुस कर्कट रोग (Lung Cancer) फुफ्फुस या फेफड़ें का कैंसर एक आक्रामक, व्यापक, कठोर, कुटिल और घातक रोग है जिसमें फेफड़े के ऊतकों की अनियंत्रित संवृद्धि होती है। 90%-95% फेफड़े के कैंसर छोटी और बड़ी श्वास नलिकाओं (bronchi and bronchioles) के इपिथीलियल कोशिकाओं से उत्पन्न होते हैं। इसीलिए इसे ब्रोंकोजेनिक कारसिनोमा भी कहते हैं। प्लुरा से उत्पन्न होने वाले कैंसर को मेसोथेलियोमा कहते हैं। फेफड़े के कैंसर का स्थलान्तर बहुत तेजी होता है यानि यह बहुत जल्दी फैलता है। हालांकि यह शरीर के किसी भी अंग में फैल सकता है। यह बहुत जानलेवा रोग माना जाता है। इसका उपचार भी बहुत मुश्किल है। .

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गतिप्रेरक

एक पेसमेकर, स्केल के संग आकार का अनुमान लगाने हेतु एक कृत्रिम पेसमेकर अन्तर्शिरा भेदन हेतु। गतिप्रेरक (अंग्रेज़ी:पेसमेकर) एक ऐसा छोटा उपकरण है, जो मानव हृदय के साथ ऑपरेशन कर लगाया जाता है और मुख्यतः ह्रदय गति को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके द्वारा किये गये प्रमुख कार्यों में ह्रदय गति को उस समय बढ़ाना, जब यह बहुत धीमी हो एवं उस समय धीमा करना, जब यह बहुत तेज़ हो आते हैं। इनके अलावा हृदय गति के अनियमित होने की दशा में ह्रदय को नियन्त्रित रूप से धड़कने में मदद भी करता है। पेसमेकर को सर्जरी के द्वारा छाती में रखा जाता है। लीड नामक तारों को ह्रदय की मांसपेशी में डाला जाता है। बैटरी वाला यह उपकरण कंधे के नीचे त्वचा के भीतर रखा जाता है।। हार्ट ऑनलाइन इसे लगाने के ऑपरेशन उपरांत रोगी को घर ले जाने के लिये परिवार का कोई वयस्क सदस्य या मित्र उसके साथ आना चाहिए। रोगी के लिये उस समय वाहन चलाना या अकेले वापस जाना सुरक्षित नहीं है। रोगी को अपनी शल्य-क्रिया के बाद पहले दिन किसी वयस्क को घर मे अपने साथ ठहराना चाहिये। इसकी सर्जरी में १-२ घंटे लगते हैं। एक ऐसा ही पेसमेकर उन लोगों के मस्तिष्क के लिए भी बनाया गया है, जिनके हाथ पैर ठीक से काम नहीं करते हैं। .

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अपस्मार

अपस्मार या मिर्गी (वैकल्पिक वर्तनी: मिरगी, अंग्रेजी: Epilepsy) एक तंत्रिकातंत्रीय विकार (न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर) है जिसमें रोगी को बार-बार दौरे पड़ते है। मस्तिष्क में किसी गड़बड़ी के कारण बार-बार दौरे पड़ने की समस्या हो जाती है।, हिन्दुस्तान लाइव, १८ नवम्बर २००९ दौरे के समय व्यक्ति का दिमागी संतुलन पूरी तरह से गड़बड़ा जाता है और उसका शरीर लड़खड़ाने लगता है। इसका प्रभाव शरीर के किसी एक हिस्से पर देखने को मिल सकता है, जैसे चेहरे, हाथ या पैर पर। इन दौरों में तरह-तरह के लक्षण होते हैं, जैसे कि बेहोशी आना, गिर पड़ना, हाथ-पांव में झटके आना। मिर्गी किसी एक बीमारी का नाम नहीं है। अनेक बीमारियों में मिर्गी जैसे दौरे आ सकते हैं। मिर्गी के सभी मरीज एक जैसे भी नहीं होते। किसी की बीमारी मध्यम होती है, किसी की तेज। यह एक आम बीमारी है जो लगभग सौ लोगों में से एक को होती है। इनमें से आधों के दौरे रूके होते हैं और शेष आधों में दौरे आते हैं, उपचार जारी रहता है। अधिकतर लोगों में भ्रम होता है कि ये रोग आनुवांशिक होता है पर सिर्फ एक प्रतिशत लोगों में ही ये रोग आनुवांशिक होता है। विश्व में पाँच करोड़ लोग और भारत में लगभग एक करोड़ लोग मिर्गी के रोगी हैं। विश्व की कुल जनसँख्या के ८-१० प्रतिशत लोगों को अपने जीवनकाल में एक बार इसका दौरा पड़ने की संभावना रहती है।, वेब दुनिया, डॉ॰ वोनोद गुप्ता। १७ नवम्बर को विश्व भर में विश्व मिरगी दिवस का आयोजन होता है। इस दिन तरह-तरह के जागरुकता अभियान और उपचार कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।।। द टाइम्स ऑफ इंडिया।, याहू जागरण, १७ नवम्बर २००९ .

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चुम्बकीय अनुनाद प्रतिबिम्बन

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