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एक्स-किरण क्रिस्टलिकी

सूची एक्स-किरण क्रिस्टलिकी

एक्स-किरण क्रिस्टलिकी द्वारा किसी अणु की संरचना ज्ञात करने की प्रक्रिया एक्स-किरण क्रिस्टलिकी (X-ray crystallography) क्रिस्टल की परमाणविक एवं आणविक संरचना जानने का एक औजार है। इस विधि में क्रिस्टलीय परमाणु आपतित एक्स-किरण को विभिन्न दिशाओं में विवर्तित कर देते हैं। इन विवर्तित एक्स-किर्णों की दिशा और उनकी तीव्रता क्रिस्टल की संरचना से सम्बन्धित है। अतः विवर्तित किरणों की दिशा और तीव्रता के ज्ञान से इन क्रिस्टलों की त्रिबीमीय छबि बनायी जा सकती है। .

सामग्री की तालिका

  1. 7 संबंधों: एक्स-किरण प्रकीर्णन तकनीकें, एक्स-किरण स्पेक्ट्रमिकी, तेज पी० सिंह, पाल निगली, कण त्वरक, क्रिस्टलता, क्रिस्टलकी

एक्स-किरण प्रकीर्णन तकनीकें

एक्स-किरण प्रकीर्णन तकनीकें (X-ray scattering techniques) अविनाशी (non-destructive) वैश्लेषिक तकनीकों का ऐसा समूह है जो बहुत सी जानकारियाँ प्रदान करती है, जैसे- क्रिस्टल की संरचना, रासायनिक संरचना, पदार्थों एवं पतली फिल्मों के भौतिक गुण आदि। इन सभी तकनीकों में किसी परीक्षण नमूने के ऊपर एक्स-क्रणें डाली जातीं हैं और प्रकीर्णित एक्स-रे की तीव्रता को मापकर विश्लेषण किया जाता है। विभिन्न कोणों पर आपतित, भिन्न-भिन्न ध्रुवता वाली, तरंगदैर्घ्य वाली एक्स-किरणे लेकर विकीर्ण एक्स-रे का अध्ययन किया जाता है। .

देखें एक्स-किरण क्रिस्टलिकी और एक्स-किरण प्रकीर्णन तकनीकें

एक्स-किरण स्पेक्ट्रमिकी

एक क्रिस्ट्रल पर एक्स-किरण के विवर्तन (डिफ्रैक्शन) से प्राप्त विवर्तन-पैटर्न। इसकी सहायता से क्रिस्टल की संरचना निकाली जा सकती है। स्पेक्ट्रमिकी के इस विभाग में एक्स किरणों के स्पेक्ट्रम का अध्ययन किया जाता है। इससे परमाणुओं की संरचना का ज्ञान प्राप्त करने में सहायता मिलती है। एक्स किरणों की खोज डब्ल्यू॰के॰ रुटगेन (W.

देखें एक्स-किरण क्रिस्टलिकी और एक्स-किरण स्पेक्ट्रमिकी

तेज पी० सिंह

तेज पी सिंह (जन्म: १९४४) भारत के जैवभौतिकविज्ञानी हैं जो रेशनल स्ट्रक्चर पर आधारित दवाओं के निर्माण, प्रोटीन संरचना जीवविज्ञान, तथा एक्स-किरण क्रिस्टलिकी पर किये गये अपने कार्यों के लिये प्रसिद्ध हैं। .

देखें एक्स-किरण क्रिस्टलिकी और तेज पी० सिंह

पाल निगली

पाल निगली (Paul Niggli; १८८२ - १९५३) स्विट्जरलैण्ड के क्रिस्टलवैज्ञानिक थे। वे एक्स-किरण क्रिस्टलिकी में अग्रणी थे। इंजीनियरी की शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् इन्होंने खनिज (mineralogy) एवं प्रस्तरविज्ञान (petrology) का अध्ययन किया। इनका कार्यक्षेत्र क्रिस्टलिकी (crystallography) या खनिज एवं प्रस्तरविज्ञान ही रहा है। इन्होंने खनिज की रचना तथा उद्गम ज्ञात करने के लिए भौतिक रसायन के सिद्धान्तों का उपयोग किया। इन्होंने रासायनिक विश्लेषणों की गणना द्वारा नए मान उपलब्ध किए, जिन्हें इन्हीं के नाम पर निगली मान (Niggly values) कहते हैं। शिलाओं के रासायनिक संघटन प्रदर्शित करने के लिए इन्होंने लेखाचित्रीय विधियों का निर्माण किया। यूरोप के कई विश्वविद्यालयों ने इन्हें डॉक्टरेट को सम्मानित उपाधि से विभूषित किया। अमरीका तथा रीओ डे जानेरो की खनिज संस्थानों ने आपको पदक देकर सम्मानित किया। श्रेणी:वैज्ञानिक.

देखें एक्स-किरण क्रिस्टलिकी और पाल निगली

कण त्वरक

'''इन्डस-२''': भारत (इन्दौर) का 2.5GeV सिन्क्रोट्रान विकिरण स्रोत (SRS) कण-त्वरक एसी मशीन है जिसके द्वारा आवेशित कणों की गतिज ऊर्जा बढाई जाती हैं। यह एक ऐसी युक्ति है, जो किसी आवेशित कण (जैसे इलेक्ट्रान, प्रोटान, अल्फा कण आदि) का वेग बढ़ाने (या त्वरित करने) के काम में आती हैं। वेग बढ़ाने (और इस प्रकार ऊर्जा बढाने) के लिये वैद्युत क्षेत्र का प्रयोग किया जाता है, जबकि आवेशित कणों को मोड़ने एवं फोकस करने के लिये चुम्बकीय क्षेत्र का प्रयोग किया जाता है। त्वरित किये जाने वाले आवेशित कणों के समूह या किरण-पुंज (बीम) धातु या सिरैमिक के एक पाइप से होकर गुजरती है, जिसमे निर्वात बनाकर रखना पड़ता है ताकि आवेशित कण किसी अन्य अणु से टकराकर नष्ट न हो जायें। टीवी आदि में प्रयुक्त कैथोड किरण ट्यूब (CRT) भी एक अति साधारण कण-त्वरक ही है। जबकि लार्ज हैड्रान कोलाइडर विश्व का सबसे विशाल और शक्तिशाली कण त्वरक है। कण त्वरकों का महत्व इतना है कि उन्हें 'अनुसंधान का यंत्र' (इंजन्स ऑफ डिस्कवरी) कहा जाता है। .

देखें एक्स-किरण क्रिस्टलिकी और कण त्वरक

क्रिस्टलता

क्रिस्टलता (crystallinity) किसी ठोस पदार्थ में ढांचे की सुव्यवस्था के माप को कहते हैं। क्रिस्टलों में परमाणु या अणु एक नियत व आवर्ती क्रम में सज्जित होते हैं। क्रिस्टलता काष्ठा (degree of crystallinity) का पदार्थ की कठोरता, घनत्व, पारदर्शिता और विसरण के गुणों पर भारी प्रभाव पड़ता है। .

देखें एक्स-किरण क्रिस्टलिकी और क्रिस्टलता

क्रिस्टलकी

क्रिस्टलकी (Crystallography) या मणिविज्ञान एक प्रायोगिक विज्ञान है जिसमें ठोसों में परमाणों के विन्यास (arrangement) का अध्ययन किया जाता है। पहले क्रिस्टलिकी से तात्पर्य उस विज्ञान से था जिसमें क्रिस्टलों का अध्ययन किया जाता है। एक्स-किरण के डिफ्रैक्सन द्वारा क्रिस्टलोंके अध्ययनके पहले क्रिस्टलोंका अध्ययन केवल उनकी ज्यामिति (आकार-प्रकार) देखकर की जाती थी। किन्तु आजकल विविध-प्रकार के किरण-पुंजों (एक्स-किरण, एलेक्ट्रान, न्यूट्रान, सिन्क्रोट्रान आदि) के डिफ्रैक्सन से किया जाता है। .

देखें एक्स-किरण क्रिस्टलिकी और क्रिस्टलकी