लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

उत्तरदायित्व

सूची उत्तरदायित्व

उत्तरदायित्व का निम्न अर्थ हो सकता हैं -.

7 संबंधों: दायित्व, न्यूज़ीलैण्ड, नैगमिक सामाजिक उत्तरदायित्व, जवाबदेही, वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली, कर्तव्य, उत्तरदायित्व का विसरण

दायित्व

अगर किसी के पास कोई अधिकार है, तो वह तब तक उसका उपभोग नहीं कर सकता जब तक दूसरा एक दायित्व (Obligation) के रूप में उस अधिकार का आदर न करे। इस लिहाज़ से अधिकार और दायित्व एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। व्यक्तिगत अधिकारों को तभी तक जारी रखा जा सकता है जब तक राज्य की संस्था उनकी सुरक्षा करने के गुरुतर दायित्व का पालन करने के लिए तैयार न हो। लेकिन अगर यह मान लिया जाए कि नागरिकों के हिस्से में केवल अधिकार आयेंगे और राज्य के हिस्से में केवल दायित्व, तो व्यवस्थित और शिष्ट नागरिक जीवन असम्भव हो जाएगा। इसीलिए नागरिकता की अवधारणा में दायित्वों और अधिकारों के मिश्रण की तजवीज़ की गयी है। इनमें सबसे ज़्यादा बुनियादी अवधारणा ‘राजनीतिक दायित्व’ की है जिसका संबंध नागरिक द्वारा राज्य के प्राधिकार को मानना और उसके कानूनों का पालन करने से है। अराजकतावादी चिंतक व्यक्ति की स्वायत्तता को किसी भी तरह के दायित्व के बंधन में नहीं बाँधना चाहते, पर उन्हें छोड़ कर बाकी सभी तरह के चिंतकों ने यह समझने में काफ़ी दिमाग़ खपाया है कि क्या व्यक्ति के राजनीतिक दायित्व होते हैं और अगर होते हैं तो उनका समुचित आधार क्या है। कुछ विद्वानों के मुताबिक ‘सामाजिक समझौते’ के तहत व्यक्ति को बुद्धिसंगत और नैतिक आधार पर राज्य के प्राधिकार का आदर करना चाहिए। कुछ अन्य विद्वान इससे भी आगे जा कर कहते हैं कि दायित्व, जिम्मेदारियाँ और कर्त्तव्य केवल किसी अनुबंध की देन न हो कर किसी भी स्थिर समाज के आत्यंतिक लक्षण होते हैं।  विद्वानों में इस बात पर ख़ासा मतभेद है कि राजनीतिक दायित्वों की हद क्या होनी चाहिए। आख़िर किस बिंदु पर एक कर्त्तव्यनिष्ठ नागरिक राज्य के प्राधिकार का आदर करने के दायित्व से मुक्त महसूस कर सकता है?  क्या ऐसा भी कोई बिंदु है जब वह सभी तरह के राजनीतिक दायित्वों को नज़रअंदाज़ करके विद्रोह करने के अधिकार का दावा कर सके? राजनीतिक सिद्धांत के इतिहास में झाँकने पर प्लेटो की कलम से उनके शिक्षक और मित्र सुकरात का प्रकरण सामने आता है। एथेंस के युवकों को भ्रष्ट करने का मुकदमा चलने के बाद लगभग निश्चित मृत्यु-दण्ड की प्रतीक्षा कर रहे सुकरात अपने पुराने दोस्त क्रिटो को बताते हैं कि वे कारागार से भागने के लिए तैयार क्यों नहीं हैं।  सुकरात की दलील है कि उन्होंने एथेंस में रहने का चुनाव किया और उसके नागरिक होने के नाते उपलब्ध  विशेष सुविधाएँ भोगीं। इसी लिहाज़ से वे एथेंस के कानून के प्रति निष्ठावान होने से भी बँधे हुए हैं और अपने इस आश्वासन को वे अपने प्राणों की कीमत पर भी पूरा करना चाहते हैं। सुकरात का प्रकरण बताता है कि किसी संगठित समुदाय में रहने के लाभों को भोगने के बदले राजनीतिक दायित्वों को निभाना पड़ता है। यहाँ सुकरात की राजनीतिक दायित्व संबंधी समझ उसके बिना शर्त पालन की है। यानी सुकरात संबंधित राज्य के चरित्र या उसकी प्रकृति की कोई जाँच नहीं करते। वे यह भी मान कर चलते हैं कि अगर कोई निवासी राज्य से असंतुष्ट है तो वह अपनी मर्ज़ी के मुताबिक किसी दूसरे राज्य में रहने के लिए जा सकता है। सुकरात का यह दृष्टिकोण कई तरह से समस्याग्रस्त है। मसलन, व्यावहारिक रूप से यह नागरिकों की इच्छा पर निर्भर नहीं होता कि वे किस राज्य में रहना पसंद करते हैं। पहली बात तो यह कि आर्थिक फँसाव उन्हें अपने राज्य को छोड़ने से रोकता है, दूसरे अगर राज्य न चाहे तो भी वे उसकी सीमा छोड़ कर नहीं जा सकते। दूसरे, जन्मना नागरिक राज्य से ऐसा कोई वायदा नहीं करता कि वह अमुक दायित्वों का पालन करेगा। हाँ, इस तरह का लिखित आश्वासन नागरिकता प्राप्त करने वाले को ज़रूर देना पड़ता है। हॉब्स और लॉक जैसे चिंतकों ने अपने-अपने तरीके से राज्य द्वारा शासन करने के अधिकार को शासितों की सहमति पर आधारित बताया है। चूँकि बुद्धिसंगत व्यक्ति ‘प्रकृत अवस्था’ की बर्बर स्थिति में नहीं रहना चाहेगा, इसलिए वह स्वेच्छा से सामाजिक समझौते जैसे अनुबंध में उतरता है और शांति-व्यवस्था के तहत जीने के लिए राज्य के प्राधिकार का अनुपालन करने के लिए तैयार होता है। इन दोनों विद्वानों में हॉब्स के मुकाबले लॉक का विचार अधिक संतुलित प्रतीत होता है। हॉब्स के मुताबिक व्यक्ति के सामने कोई चारा ही नहीं है: उसे या तो राज्य के सर्वसत्तावादी प्राधिकार की मातहती स्वीकार करनी होगी, या फिर व्यक्तिगत हितों की निरंतर चलने वाली गलाकाटू होड़ में फँस कर नष्ट हो जाना होगा। लॉक राजनीतिक दायित्व की अवधारणा को एक नहीं, बल्कि दो समझौतों के साथ जोड़ते हैं। पहला अनुबंध सामाजिक समझौता है जिसके तहत समाज की रचना करने का परस्पर समझौता करना अनिवार्य है। इसके लिए वे अपनी-अपनी स्वतंत्रता का एक-एक हिस्सा तक कुर्बान करने के लिए तैयार रहेंगे ताकि एक राजनीतिक समुदाय की अधीनता में मिल सकने वाली स्थिरता और सुरक्षा प्राप्त कर सकें। दूसरा अनुबंध समाज और सरकार के बीच एक ‘भरोसे’ के रूप में होगा जिसके तहत सरकार नागरिकों को उनके प्राकृतिक अधिकारों की सुरक्षा का भरोसा थमायेगी। लॉक कहते हैं कि अगर राज्य निरंकुश या सर्वसत्तावादी हो जाता है तो व्यक्ति को उसके कानूनों के पालन के दायित्व को नज़रअंदाज़ करके उसके ख़िलाफ़ बग़ावत करने का अधिकार है।  यहाँ लॉक स्पष्ट करते हैं कि विद्रोह का मतलब सरकार को ख़त्म करके ‘प्रकृत अवस्था’ की तरफ़ लौटना नहीं हो सकता, बल्कि बेहतर सरकार की स्थापना ही हो सकता है। सामाजिक समझौते के सिद्धांत की भिन्न व्याख्या करते हुए रूसो उसे अपने विख्यात सूत्रीकरण ‘जन-इच्छा’ के आईने में दिखाते हैं। अगर कोई नागरिक स्वेच्छा से किसी समाज का सदस्य है और वह उस समाज द्वारा प्रतिपादित जन-इच्छा का भी हिस्सा है तो उसके आधार पर उसे राजनीतिक दायित्व का पालन करना होगा। यहाँ जन-इच्छा का तात्पर्य है समाज के प्रत्येक सदस्य के वास्तविक हित का प्रतिनिधित्व। ज़ाहिर है कि रूसो की स्थापना दायित्व के सिद्धांत को सहमति आधारित शासन के आग्रह से दूर ले जाती है। राजनीतिक दायित्व के सामाजिक समझौते संबंधी सिद्धांत के दो विकल्प  भी सुझाये गये हैं। पहला विकल्प राजनीतिक दायित्व की प्रयोजनमूलक समझ पर टिका हुआ है। इसके मुताबिक नागरिक द्वारा राज्य के आदेशों का अनुपालन केवल उसी अनुपात में किया जा सकता है जिस अनुपात में राज्य उसे लाभ पहुँचा सकता हो या उसके प्रयोजन पूरे कर सकता हो।  उपयोगितावाद एक ऐसी ही प्रयोजनमूलक थियरी है जिसके अनुसार नागरिकों को सरकार का आज्ञापालन इसलिए करना चाहिए कि वह लोगों की ‘सर्वाधिक संख्या’ को ‘सर्वाधिक सुख’ प्रदान करने का प्रयास करती है।  दूसरा विकल्प यह मान कर चलता है कि व्यक्ति किसी समाज का ‘स्वाभाविक’ सदस्य होता है, इसलिए उसके राजनीतिक दायित्वों को भी ‘स्वाभाविक’ समझा जाना चाहिए। यह विचार कुछ-कुछ सुकरात की समझ से मिलता-जुलता है। अनुदारवादी चिंतकों ने इस विकल्प को ख़ास तौर पर पसंद किया है। अनुदारवादियों के अनुसार परिवार, चर्च और सरकार जैसी संस्थाएँ किसी व्यक्ति की इच्छा के आधार पर नहीं बल्कि समाज को नैरंतर्य देने की आवश्यकता के तहत रची गयी हैं। ये संस्थाएँ व्यक्ति को पालती-पोसती, शिक्षित करती और उसकी शख्सियत का निर्माण करती हैं। इसलिए व्यक्ति को उनके प्रति दायित्व, कर्त्तव्य और जिम्मेदारियाँ महसूस करनी चाहिए। इसके लिए केवल कानून का पालन करना और दूसरों की स्वतंत्रता का आदर करना ही काफ़ी नहीं है, बल्कि व्यक्ति को प्राधिकार का सम्मान करते हुए ज़रूरत के मुताबिक सार्वजनिक पदों का जिम्मा भी उठाना चाहिए। इस तरह अनुदारपंथी चिंतक व्यक्ति के राजनीतिक दायित्वों को माता-पिता के प्रति उनकी संतानों के दायित्व का दर्जा दे देते हैं। समाजवादियों और सामाजिक-जनवादियों ने दायित्वों के सामाजिक पहलू पर ज़ोर दिया है।  इस लिहाज़ से वे उदारतावादियों के मुकाबले नागरिक पर गुरुतर दायित्व डालना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि व्यक्ति समुदाय के लिए तो काम करे ही, उन लोगों के लिए  भी काम करे जो ख़ुद किसी वजह से काम नहीं कर सकते। केवल अधिकारसम्पन्न और दायित्वहीन व्यक्तियों के समाज में मत्स्य-न्याय की स्थितियाँ हावी हो जाएँगी। समुदायवादी अराजकतावादी चिंतकों को इस तरह की दलील काफ़ी पसंद है। प्रूधों, बकूनिन और क्रोपाटकिन जैसे क्सालिकल अराजकतावादी राजनीतिक प्राधिकार को तो ख़ारिज करते हैं, पर उम्मीद करते हैं कि एक स्वस्थ समाज में लोग सामाजिकता, परस्पर सहयोग और शिष्ट व्यवहार की ख़ूबियों लैस होंगे। मार्क्सवादियों ने राजनीतिक दायित्व की अवधारणा को पूरी तरह से ठुकरा दिया है, क्योंकि उनकी निगाह में राज्य की व्यक्ति के अधिकारों की सुरक्षा में कोई दिलचस्पी नहीं होती। वह तो वर्गीय शासन का औज़ार होता है। मार्क्सवादी सामाजिक समझौते के सिद्धांत को ‘विचारधारात्मक’ करार देते हैं। यानी उनके अनुसार इस सिद्धांत का मकसद नागरिकों को शासक वर्ग की मातहती में लाना है। लॉक की स्थापनाओं से स्पष्ट है कि राजनीतिक दायित्व की उनकी समझ से क्रांति का सिद्धांत भी निकलता है।  1776 की अमेरिकी क्रांति के दौरान 13 पूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों द्वारा की गयी बग़ावत में शामिल क्रांतिकारियों ने लॉक की 1690 में प्रकाशित रचना टू ट्रीटाइज़ ऑन सिविल गवर्नमेंट में व्यक्त विचारों का काफ़ी इस्तेमाल किया था। इसी आधार पर लॉक ने स्टुअर्ट राजाओं के शासन के ख़िलाफ़ इंग्लैण्ड की ‘ग्लोरियस रिवोल्यूशन’ का समर्थन किया जिसके परिणामस्वरूप संवैधानिक राजतंत्र की स्थापना हुई और संसदीय लोकतंत्र के विकास का रास्ता खुला। .

नई!!: उत्तरदायित्व और दायित्व · और देखें »

न्यूज़ीलैण्ड

न्यूज़ीलैंड प्रशान्त महासागर में ऑस्ट्रेलिया के पास स्थित देश है। ये दो बड़े द्वीपों से बना है। न्यूजीलैंड (माओरी भाषा में: Aotearoa आओटेआरोआ) दक्षिण पश्चिमि पेसिफ़िक ओशन में दो बड़े द्वीप और अन्य कई छोटे द्वीपों से बना एक देश है। न्यूजीलैंड के ४० लाख लोगों में से लगभग तीस लाख लोग उत्तरी द्वीप में रहते हैं और दस लाख लोग दक्षिणि द्वीप में। यह द्वीप दुनिया के सबसे बडे द्वीपों में गिने जाते हैं। अन्य द्वीपों में बहुत कम लोग रहतें हैं और वे बहुत छोटे हैं। इनमें मुख्य है.

नई!!: उत्तरदायित्व और न्यूज़ीलैण्ड · और देखें »

नैगमिक सामाजिक उत्तरदायित्व

कॉर्पोरेट की सामाजिक जिम्मेदारी - सभ्य भारत निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व (Corporate social responsibility या "CSR") व्यापारिक और औद्योगिक कंपनियों द्वारा अपनाया गया स्व-नियंत्रण है जिसके अन्तर्गत वे ऐसे व्यापारिक मॉडल के अनुसार काम करतीं हैं जो कानून, नैतिक मानकों, एवं अन्तरराष्ट्रीय रीति के अनुकूल हो। इसके अन्तर्गत कंपनी द्वारा कुछ ऐसे कार्य किये जाते हैं जो पर्यावरण, आम जनता, उपभोक्ता, कर्मचारी, तथा अंशधारियों पर सकारात्मक प्रभाव डाले। कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी कॉर्पोरेट आत्म नियमन एक व्यापार मॉडल में एकीकृत का एक रूप है। एक स्व नियामक तंत्र है जिसके तहत एक व्यापार पर नज़र रखता है और कानून, नैतिक मानकों और राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय मानदंडों की भावना के साथ अपनी सक्रिय अनुपालन सुनिश्चित करता है के रूप में सीएसआर नीति कार्य करता है। उद्देश्य सकारात्मक सार्वजनिक संबंध और उच्च नैतिक मानकों के माध्यम से लंबी अवधि के लाभ और शेयरधारक विश्वास बढ़ाने के लिए कॉर्पोरेट कार्यों के लिए जिम्मेदारी लेने के द्वारा व्यापार और कानूनी जोखिम को कम करने के लिए है। सीएसआर रणनीतियों पर्यावरण और उपभोक्ताओं, कर्मचारियों, निवेशकों, समुदायों, और अन्य लोगों सहित हितधारकों पर सकारात्मक प्रभाव बनाने के लिए कंपनी प्रोत्साहित करते हैं। निगमों एक सीएसआर के नजरिए के साथ काम करके लंबी अवधि के मुनाफे में वृद्धि होती है। सीएसआर एक संगठन के मिशन सहायता के रूप में अच्छी तरह से क्या कंपनी अपने उपभोक्ताओं के लिए प्रतिनिधित्व करने के लिए एक गाइड के रूप में सेवा करने के लिए शीर्षक है। शब्द "कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी" 1960 के दशक में लोकप्रिय हो गया और कई द्वारा अंधाधुंध तरीके से इस्तेमाल किया, कानूनी और नैतिक जिम्मेदारी अधिक बाल बाल लगाया कवर करने के लिए एक शब्द बनी हुई है। बिजनेस शब्दकोश "के रूप में समुदाय और पर्यावरण (दोनों पारिस्थितिकी और सामाजिक) में इसे संचालित प्रति जिम्मेदारी की कंपनी की भावना सीएसआर को परिभाषित करता है। कम्पनी (१) शैक्षिक और सामाजिक योगदान करके, उनकी बर्बादी और प्रदूषण में कमी प्रक्रियाओं के माध्यम से इस नागरिकता (२) एक्सप्रेस कार्यक्रमों और (३) कार्यरत संसाधनों पर पर्याप्त रिटर्न कमाई से। .

नई!!: उत्तरदायित्व और नैगमिक सामाजिक उत्तरदायित्व · और देखें »

जवाबदेही

उत्तरदायित्व, नैतिकता और शासन की एक ऐसी संकल्पना है, जिसके कई अर्थ हैं। इसका इस्तेमाल अक्सर जिम्मेदारी, जवाबदेही, दोषारोपण, दायित्व जैसी संकल्पनाओं तथा जवाबदेही से जुड़े अन्य शब्दों के पर्यावाची के तौर पर भी किया जाता है।जवाबदेही का अर्थ सरकारी अधिकारियों में निहित विवेकाधिकारो तथा प्राधिकारों की राज्य व्यवस्था के विभिन्न अंगों द्वारा बाह्य समीक्षा करना है| शासन के एक पहलू के तौर पर, यह सार्वजनिक क्षेत्र, गैर-लाभकारी और निजी क्षेत्रों की समस्याओं से जुड़ी बहस का केंद्र रहा है। नेतृत्व की भूमिका में जवाबदेही के अंतर्गत कार्यों, उत्पादों, फैसलों को स्वीकार करना और उनकी जिम्मेदारी लेने के साथ-साथ प्रशासन, शासन और उन्हें अपनी भूमिका के दायरे में लागू करने तथा उसकी परिणति के प्रति जवाबदेह होना भी शामिल है। प्रशासन से संबंधित शब्द के तौर पर जवाबदेही को परिभाषित करना मुश्किल है। अक्सर इसका वर्णन अलग-अलग व्यक्तियों के बीच जवाबदेह रिश्ते के तौर पर किया जाता है, जैसे, "ए बी के प्रति जवाबदेह है जहां ए बी को ए के (भूत और भविष्य के) कार्यों और फैसलों की सूचना देता है, उसे न्यायोचित करार देता है और अगर कोई गलती होती है, तो उसकी सजा भी भुगतता है".

नई!!: उत्तरदायित्व और जवाबदेही · और देखें »

वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली

वेस्टमिंस्टर महल, ब्रिटिश संसद का सभास्थल वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली, (सामान्य वर्तनी:वेस्टमिंस्टर प्रणाली) शासन की एक लोकतांत्रिक संसदीय प्रणाली है, जोकि सैकड़ों वर्षों के काल में, संयुक्त अधिराज्य में विकसित हुई थी। इस व्यवस्था का नाम, लंदन के पैलेस ऑफ़ वेस्टमिन्स्टर से आता है, जोकि ब्रिटिश संसद का सभास्थल है। वर्तमान समय में, विश्व के अन्य कई देशों में इस प्रणाली पर आधारित या इससे प्रभावित शासन-व्यवस्थाएँ स्थापित हैं। ब्रिटेन और राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमियों के अलावा, ऐसी व्यवस्थाओं को विशेषतः पूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों के शासन-व्यवस्था में देखा जा सकता है। वेस्टमिंस्टर प्रणाली की सरकारें, विशेष तौर पर राष्ट्रमंडल देशों में देखा जा सकता है। इसकी शुरुआत, सबसे पहले कनाडा (Canada) प्रान्त में हुई थी, और तत्पश्चात ऑस्ट्रेलिया ने भी अपनी सरकार को इस ही प्रणाली के आधार पर स्थापित किया। आज के समय, विश्व भर में कुल ३३ देशों में इस प्रणाली पर आधारित या इससे प्रभावित शासन-व्यवस्थाएँ हैं। एक समय ऐसा भी था जब तमाम राष्ट्रमंडल या पूर्व-राष्ट्रमण्डल देश और उसके उपराष्ट्रीय इकाइयों में वेस्टमिन्स्टर प्रणाली की सरकारें थीं। बाद में, अन्य कई देशों ने अपनी शासन प्रणाली को बदल लिया। .

नई!!: उत्तरदायित्व और वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली · और देखें »

कर्तव्य

सामान्यत: कर्तव्य शब्द का अभिप्राय उन कार्यों से होता है, जिन्हें करने के लिए व्यक्ति नैतिक रूप से प्रतिबद्ध होता है। इस शब्द से वह बोध होता है कि व्यक्ति किसी कार्य को अपनी इच्छा, अनिच्छा या केवल बाह्य दबाव के कारण नहीं करता है अपितु आंतरिक नैतिक प्ररेणा के ही कारण करता है। अत: कर्तव्य के पार्श्व में सिद्धांत या उद्देश्य के प्ररेणा है। उदहरणार्थ संतान और माता-पिता का परस्पर संबंध, पति-पत्नी का संबध, सत्यभाषण, अस्तेय (चोरी न करना) आदि के पीछे एक सूक्ष्म नैतिक बंधन मात्र है। कर्तव्य शब्द में "कर्म' और "दान' इन दो भावनाओं का सम्मिश्रण है। इस पर नि:स्वार्थता का अस्फुट छाप है। कर्तव्य मानव के किसी कार्य को करने या न करने के उत्तरदायित्व के लिए दूसरा शब्द है। कर्तव्य दो प्रकार के होते हैं- नैतिक तथा कानूनी। नैतिक कर्तव्य वे हैं जिनका संबंध मानवता की नैतिक भावना, अंत:करण की प्रेरणा या उचित कार्य की प्रवृत्ति से होता है। इस श्रेणी के कर्तव्यों का सरंक्षण राज्य द्वारा नहीं होता। यदि मानव इन कर्तव्यों का पालन नहीं करता तो स्वयं उसका अंत:करण उसको धिक्कार सकता है, या समाज उसकी निंदा कर सकता है किंतु राज्य उन्हें इन कर्तव्यों के पालन के लिए बाध्य नहीं कर सकता। सत्यभाषण, संतान संरक्षण, सद्व्यवहार, ये नैतिक कर्तव्य के उदाहरण हैं। कानूनी कर्तव्य वे हैं जिनका पालन न करने पर नागरिक राज्य द्वारा निर्धारित दंड का भागी हो जाता है। इन्हीं कर्तव्यों का अध्ययन राजनीतिक शास्त्र में होता है। हिंदू राजनीति शास्त्र में अधिकारों का वर्णन नहीं है। उसमें कर्तव्यों का ही उल्लेख हुआ है। कर्तव्य ही नीतिशास्त्र के केंद्र हैं। .

नई!!: उत्तरदायित्व और कर्तव्य · और देखें »

उत्तरदायित्व का विसरण

उत्तरदायित्व का विसरण (Diffusion of responsibility) एक सामाजिक-मनोवैज्ञानिक परिघटना है। प्रायः देखा जाता है कि दूसरे व्यक्तियों के सामने कोई व्यक्ति किसी कार्य के करने या न करने का उत्तरदायित्व लेने के लिये कम रुचि दिखाता है। इसे ही 'उत्तरदायित्व का विसरण' कहते हैं। वह व्यक्ति सोचता है कि उस काम को करने का की जिम्मेदारी दूसरों की है या दूसरे लोग उस काम को पहले ही कर चुके होंगे। श्रेणी:भीड़ का मनोविज्ञान.

नई!!: उत्तरदायित्व और उत्तरदायित्व का विसरण · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

उत्तरदायित्व (बहुविकल्पी)

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »