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उत्तर भारत

सूची उत्तर भारत

उत्तरी भारत में अनेक भौगोलिक क्षेत्र आते हैं। इसमें मैदान, पर्वत, मरुस्थल आदि सभी मिलते हैं। यह भारत का उत्तरी क्षेत्र है। प्रधान भौगोलिक अंगों में गंगा के मैदान और हिमालय पर्वतमाला आती है। यही पर्वतमाला भारत को तिब्बत और मध्य एशिया के भागों से पृथक करती है। उत्तरी भारत मौर्य, गुप्त, मुगल एवं ब्रिटिश साम्राज्यों का ऐतिहासिक केन्द्र रहा है। यहां बहुत से हिन्दू तीर्थ जैसे पर्वतों में गंगोत्री से लेकर मैदानों में वाराणासी तक हैं, तो मुस्लिम तीर्थ जैसे अजमेर.

193 संबंधों: चना मसाला, चश्म-ए-बद दूर, चाट, चिक्की, चंदन का शर्बत, चौपाल (सार्वजनिक स्थान), चौबोला, चौहान वंश, चेन्नई, टमाटर की रसम, झाऊ, ठर्रा, डबराल, तमग़ा, तारिम द्रोणी, तारिम द्रोणी/आलेख, तिरंगी बर्फ़ी, तिलकुट, तवी नदी, त्रिशंकु तारामंडल, तैमूरी राजवंश, तोपख़ाना, दस्ता (पकड़), दार्द लोग, दाल हलवा, दिल-ए-नादाँ, दिल्ली सल्तनत, दिगंबर तेरापंथ, दूदीपतसर, दूधराज, देवदार, दोआब, नारियल बर्फ़ी, नज़ीर अहमद देहलवी, नौटंकी, पण्डित, पतझड़ी, पराठे वाली गली, परांठा, परांठेवाली गली, पश्चिमी विक्षोभ, पश्तूनवाली, पहर, पाढ़ा, पानी पूरी, पाकिस्तान टेलिविज़न कॉरपोरेशन, पुथंडु, प्याज कचोरी, पूर्वोत्तर भारत, पेठा (मिठाई), ..., फ़सल, फ़ालसे का शर्बत, फ़िन की बया, फिणी (मिठाई), बदाम का शर्बत, बलाचौर, बादाम की बर्फ़ी, बारहसिंगा, बालूशाही, बाख़्त्री भाषा, बाकला, बाकू आतेशगाह, बुरानी, ब्रज (बहुविकल्पी), बूंदी का रायता, बेल का शर्बत, बेली डांस, भारत में धर्म, भारत में पर्यटन, भारत सारावली, भारत के प्रशासनिक विभाग, भारत की संस्कृति, भांड, भोटी भाषाएँ, भोजेश्वर मन्दिर, भीलांगना, महाराजा महाविद्यालय, मातृवंश समूह एच, मई 2015 नेपाल भूकम्प, मुशायरा, मुष्टियुद्ध, मुंबई की जनसांख्यिकी, मूँगिया मलाई, मूंग दाल हलुआ, मेहमान ख़ाना, मीनार-ए-जाम, यजुर्वेद, रस-मलाई, रसम पगड़ी, रसगुल्ला, राम प्रसाद 'बिस्मिल', रायता, राजपूत, राजस्थान की रूपरेखा, राजवंशी, रैबारी, रूमाली रोटी, लस्सी ते चा, लाल सिर वाला गिद्ध, शमा सिकंदर, शिवाजी, श्रीरामचरितमानस, शेर शाह सूरी, शीरमाल, सफ़ेद गिद्ध, सरसों का तेल, सांध्य सुंदरी, स्तॅपी, स्वर्गारोहिणी पर्वत शिखर, सूजी, सेब का शर्बत, सोनारगाँव, हफथाली लोग, हरियाणा, हरियाणा के मण्डल, हरियाणा के जिले, हरियाणवी सिनेमा, हिण्डन नदी, हिण्डौन, हिन्दुस्तान (समाचार पत्र), हिमालयी तहर, हव्यक, जम्मू, जमूरा, ज्वारासुर, जोगिन्दर जसवन्त सिंह, जोइया, घेवर, वड़ा, वाराणसी, वाराणसी/आलेख, विश्नोई समाज, विजित एवं सत्तांतरित प्रांत, व्यास, वैदिक सभ्यता, वैष्णो देवी, ख़ुदा, ख़ुबानी, ख़ुर्द और कलाँ, खजला, गणित का इतिहास, ग़रारा, ग़ज़ल, ग़ोरी राजवंश, गुझिया, गुर्जर, गुर्जर प्रतिहार राजवंश, गुलाब का शर्बत, ग्रैंड ट्रंक रोड, ग्वालियर, गोम्पा, गोजरी भाषा, आम मधुरिमा, आम का शर्बत, आषाढ़ का एक दिन, आगरा का पेठा, इलाहाबाद, इलाहाबाद/आलेख, इज़्ज़त, कनिष्क, कबड्डी, करुणानिधि, कलाकंद, कश्मीरी हंगुल, काशीपुर राज्य, कांजी, कुमार, कुल्चा, कुशवाहा (कोइरी ) बिहार, कुषाण कला, केला – अनार रायता, केसरी छेना, अझ़दहा, अनार का शर्बत, अनुजा चौहान, अपभ्रंश, अपवाह तन्त्र, अप्रैल 2015 नेपाल भूकम्प, अफ़शारी राजवंश, अभिषेक बच्चन, अस्कोट राज्य, अंगूरी, अकबर, उड़न खटोला, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों की सूची, उत्तर भारत बाढ़ २०१३, उत्तराखण्ड, उत्तराखण्ड के मुख्यमन्त्रियों की सूची, उत्तराखण्ड/आलेख, उप्रेती, २०१७ अमरनाथ यात्रा आक्रमण, २०१८ उत्तराखण्ड दावानल, 2017 हरियाणा दंगे सूचकांक विस्तार (143 अधिक) »

चना मसाला

छोले कुल्चे उत्तर भारत का एक प्रसिद्ध व्यंजन है। चना मसाला बनाने में प्रयुक्त सामग्री चना मसाला भारतीय खाने की एक प्रसिद्ध सब्जी है। इसमें मुख्य सामग्री काबुली चना है। यह तेज मसाले की चटपटी सब्जी होती है। यह दक्षिण एशिया पर्यन्त मिलती है, जिसमें यह उत्तर भारत में सबसे प्रचलित है। .

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चश्म-ए-बद दूर

चश्म-ए-बद दूर उत्तर भारत, पाकिस्तान और ईरान में कहा जाने वाले एक सूत्रवाक्य है जो इन क्षेत्रों की लोक-विश्वास में बुरी नज़र से बचने के लिए प्रयोग होता है। इसका अर्थ है "बुरी नज़र दूर हट"।, Phillott Douglas Craven, BiblioLife, 2009, ISBN 978-1-110-78714-2,...

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चाट

मसूरी भारत मे एक चाट का ठेला चाट भारत मे विशेष तौर पर उत्तर भारत मे खाये जाने वाला एक स्वादिष्ट नाश्ता है। चाट, हिन्दी शब्द चाट से लिया गया है जिसका अर्थ होता है स्वाद लेना। भारत मे चाट मुख्य रूप से सड़क किनारे खड़े ठेलों पर बेची जाती है और अमूमन हर उम्र का व्यक्ति इसे मज़े लेकर खाता है। चाट मे मुख्य रूप से आलू टिक्की, गोल गप्पे (महाराष्ट्र मे पानी पूरी), पापड़ी, भल्ले, सेव पूरी, दाल के लड्डू, राज कचौड़ी, लच्छा टोकरी, तले हुए आलू आदि आते हैं। इसके अतिरिक्त कटे हुए फलों को भी चाट के रूप मे खाया जाता है। चाट बनाने मे मुख्य रूप से आलू, बेसन, दाल, दही, मसालों, टमाटर, प्याज और चटनी आदि का प्रयोग होता है। पापड़ी चाट पापड़ी चाट बनाने की विधि- चाट इतिहास से पापड़ी, उबले आलू,टमाटर,प्याज, मटर, दही और धनिये की चटनी को मिलाकर बनाया जाता है.इसके बाद इसे चाट मसाला और सेव से सजाया जाता है.

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चिक्की

चिक्की आम तौर पर मूंगफली और गुड़ से बनी पारंपरिक भारतीय मिठाई (भंगुर) है। चिक्की कई प्रकार की होती है, जो महाराष्ट्र में बहुत प्रसिद्ध है। चिक्की एक स्नैक अर्थात अल्पाहार की श्रेणी में आती है जिसे मुख्य रूप से मूंगफली और गुड़ द्वारा बनाई जाती है। उत्तर भारत, विशेष रूप से बिहार और उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में, इस मिठाई को लयिया पट्टी कहते है। भारत के सिंध और सिंधी क्षेत्रों में, इसे लेई या लाई और बांग्लादेश में कोटकोटी के नाम से जानी जाती है। .

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चंदन का शर्बत

चंदन का शर्बत एक शर्बत है। श्रेणी:उत्तर भारत का खाना श्रेणी:शर्बत.

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चौपाल (सार्वजनिक स्थान)

चौपाल (چوپال) उत्तर भारत और पाकिस्तान में ग्रामीण क्षेत्रों में उस सामुदायिक भवन अथवा स्थान को कहा जाता है। यह ग्रामीणों, विशेष रूप से पुरुष निवासियों के लिए सामुदायिक जीवन का केन्द्र होता है। छोटे गाँवों में यह नीम, बरगद अथवा पीपल के पेड़ की छाया में साधारण चबुतरे पर ही होती है। बड़े गाँवों में सामुदायिक अतिथि गृह (अथवा मेहमान ख़ाना) के रूप में विस्तृत सरंचना भी हो सकती है। चौपाल का निर्माण और रखरखाव सामुदायिक कोष से किया जाता है जो कई बार गाँव के समुदायों से चन्दे के रूप में इकट्ठा किया जाता है। .

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चौबोला

'सुल्ताना डाकू' नामक मशहूर नौटंकी का एक प्रदर्शन - नौटंकियों में चौबोले बहुत प्रयोग होते हैं चौबोला या चौबोल उत्तर भारत और पाकिस्तान की काव्य परम्परा में प्रयोग होने वाली चार पंक्तियों की एक छंद शैली है, जो अक्सर लोक-गीत में प्रयोग की जाती है। .

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चौहान वंश

शाकम्भरी के चाहमान या चौहान वंश (संस्कृत: चौहानवंशः; आंग्ल: Chauhan dynasty) गुर्जर व राजपूतों के प्रसिद्ध वंशों में से अन्यतम है। 'चौहान' ये उत्तरभारत के आर्यों का कोई वंश है। चौहान गोत्र गुर्जर और राजपूतों में अन्तर्भूत होता है। शाकम्भरी में चौहान वंश के संस्थापक वासुदेव चौहान थे इतिहासविदों का मत है कि, चौहानवंशीय जयपुर के साम्भर तालाब के समीप में, पुष्कर-प्रदेश में और आमेर-नगर में निवास करते थे। सद्य वे उत्तरभारत में विस्तृत रूप से फैले हैं। उत्तरप्रदेशराज्य के मैनपुरी बिजनौर जिले में अथवा नीमराणा राजस्थान में बहुधा निवास करते हैं। श्रेणी:चौहान वंश श्रेणी:राजस्थान का इतिहास.

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चेन्नई

चेन्नई (पूर्व नाम मद्रास) भारतीय राज्य तमिलनाडु की राजधानी है। बंगाल की खाड़ी से कोरोमंडल तट पर स्थित यह दक्षिण भारत के सबसे बड़े सांस्कृतिक, आर्थिक और शैक्षिक केंद्रों में से एक है। 2011 की भारतीय जनगणना (चेन्नई शहर की नई सीमाओं के लिए समायोजित) के अनुसार, यह चौथा सबसे बड़ा शहर है और भारत में चौथा सबसे अधिक आबादी वाला शहरी ढांचा है। आस-पास के क्षेत्रों के साथ शहर चेन्नई मेट्रोपॉलिटन एरिया है, जो दुनिया की जनसंख्या के अनुसार 36 वां सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र है। चेन्नई विदेशी पर्यटकों द्वारा सबसे ज्यादा जाने-माने भारतीय शहरों में से एक है यह वर्ष 2015 के लिए दुनिया में 43 वें सबसे अधिक का दौरा किया गया था। लिविंग सर्वेक्षण की गुणवत्ता ने चेन्नई को भारत में सबसे सुरक्षित शहर के रूप में दर्जा दिया। चेन्नई भारत में आने वाले 45 प्रतिशत स्वास्थ्य पर्यटकों और 30 से 40 प्रतिशत घरेलू स्वास्थ्य पर्यटकों को आकर्षित करती है। जैसे, इसे "भारत का स्वास्थ्य पूंजी" कहा जाता है एक विकासशील देश में बढ़ते महानगरीय शहर के रूप में, चेन्नई पर्याप्त प्रदूषण और अन्य सैन्य और सामाजिक-आर्थिक समस्याओं का सामना करता है। चेन्नई में भारत में तीसरी सबसे बड़ी प्रवासी जनसंख्या 2009 में 35,000 थी, 2011 में 82,7 9 0 थी और 2016 तक 100,000 से अधिक का अनुमान है। 2015 में यात्रा करने के लिए पर्यटन गाइड प्रकाशक लोनली प्लैनेट ने चेन्नई को दुनिया के शीर्ष दस शहरों में से एक का नाम दिया है। चेन्नई को ग्लोबल सिटीज इंडेक्स में एक बीटा स्तरीय शहर के रूप में स्थान दिया गया है और भारत का 2014 का वार्षिक भारतीय सर्वेक्षण में भारत टुडे द्वारा भारत का सबसे अच्छा शहर रहा। 2015 में, चेन्नई को आधुनिक और पारंपरिक दोनों मूल्यों के मिश्रण का हवाला देते हुए, बीबीसी द्वारा "सबसे गर्म" शहर (मूल्य का दौरा किया, और दीर्घकालिक रहने के लिए) का नाम दिया गया। नेशनल ज्योग्राफिक ने चेन्नई के भोजन को दुनिया में दूसरा सबसे अच्छा स्थान दिया है; यह सूची में शामिल होने वाला एकमात्र भारतीय शहर था। लोनाली प्लैनेट द्वारा चेन्नई को दुनिया का नौवां सबसे अच्छा महानगरीय शहर भी नामित किया गया था। चेन्नई मेट्रोपॉलिटन एरिया भारत की सबसे बड़ी शहर अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। चेन्नई को "भारत का डेट्रोइट" नाम दिया गया है, जो शहर में स्थित भारत के ऑटोमोबाइल उद्योग का एक-तिहाई से भी अधिक है। जनवरी 2015 में, प्रति व्यक्ति जीडीपी के संदर्भ में यह तीसरा स्थान था। चेन्नई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्मार्ट सिटीज मिशन के तहत एक स्मार्ट शहर के रूप में विकसित किए जाने वाले 100 भारतीय शहरों में से एक के रूप में चुना गया है। विषय वस्तु 1 व्युत्पत्ति 2 इतिहास 3 पर्यावरण 3.1 भूगोल 3.2 भूविज्ञान 3.3 वनस्पति और जीव 3.4 पर्यावरण संरक्षण 3.5 जलवायु 4 प्रशासन 4.1 कानून और व्यवस्था 4.2 राजनीति 4.3 उपयोगिता सेवाएं 5 वास्तुकला 6 जनसांख्यिकी 7 आवास 8 कला और संस्कृति 8.1 संग्रहालय और कला दीर्घाओं 8.2 संगीत और कला प्रदर्शन 9 सिटीस्केप 9.1 पर्यटन और आतिथ्य 9.2 मनोरंजन 9.3 मनोरंजन 9.4 शॉपिंग 10 अर्थव्यवस्था 10.1 संचार 10.2 पावर 10.3 बैंकिंग 10.4 स्वास्थ्य देखभाल 10.5 अपशिष्ट प्रबंधन 11 परिवहन 11.1 एयर 11.2 रेल 11.3 मेट्रो रेल 11.4 रोड 11.5 सागर 12 मीडिया 13 शिक्षा 14 खेल और मनोरंजन 14.1 शहर आधारित टीम 15 अंतर्राष्ट्रीय संबंध 15.1 विदेशी मिशन 15.2 जुड़वां कस्बों - बहन शहरों 16 भी देखें 17 सन्दर्भ 18 बाहरी लिंक व्युत्पत्ति इन्हें भी देखें: विभिन्न भाषाओं में चेन्नई के नाम भारत में ब्रिटिश उपस्थिति स्थापित होने से पहले ही मद्रास का जन्म हुआ। माना जाता है कि मद्रास नामक पुर्तगाली वाक्यांश "मैए डी डीस" से उत्पन्न हुआ है, जिसका अर्थ है "भगवान की मां", बंदरगाह शहर पर पुर्तगाली प्रभाव के कारण। कुछ स्रोतों के अनुसार, मद्रास को फोर्ट सेंट जॉर्ज के उत्तर में एक मछली पकड़ने वाले गांव मद्रासपट्टिनम से लिया गया था। हालांकि, यह अनिश्चित है कि क्या नाम यूरोपियों के आने से पहले उपयोग में था। ब्रिटिश सैन्य मानचित्रकों का मानना ​​था कि मद्रास मूल रूप से मुंदिर-राज या मुंदिरराज थे। वर्ष 1367 में एक विजयनगर युग शिलालेख जो कि मादरसन पट्टणम बंदरगाह का उल्लेख करता है, पूर्व तट पर अन्य छोटे बंदरगाहों के साथ 2015 में खोजा गया था और यह अनुमान लगाया गया था कि उपरोक्त बंदरगाह रोयापुरम का मछली पकड़ने का बंदरगाह है। चेन्नई नाम की जन्मजात, तेलुगू मूल का होना स्पष्ट रूप से इतिहासकारों द्वारा साबित हुई है। यह एक तेलुगू शासक दमारला चेन्नाप्पा नायकुडू के नाम से प्राप्त हुआ था, जो कि नायक शासक एक दमनदार वेंकटपति नायक था, जो विजयनगर साम्राज्य के वेंकट III के तहत सामान्य रूप में काम करता था, जहां से ब्रिटिश ने शहर को 1639 में हासिल किया था। चेन्नई नाम का पहला आधिकारिक उपयोग, 8 अगस्त 1639 को, ईस्ट इंडिया कंपनी के फ्रांसिस डे से पहले, सेन्नेकेसु पेरुमल मंदिर 1646 में बनाया गया था। 1 99 6 में, तमिलनाडु सरकार ने आधिकारिक तौर पर मद्रास से चेन्नई का नाम बदल दिया। उस समय कई भारतीय शहरों में नाम बदल गया था। हालांकि, मद्रास का नाम शहर के लिए कभी-कभी उपयोग में जारी है, साथ ही साथ शहर के नाम पर स्थानों जैसे मद्रास विश्वविद्यालय, आईआईटी मद्रास, मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मद्रास मेडिकल कॉलेज, मद्रास पशु चिकित्सा कॉलेज, मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज। चेन्नई (तमिल: சென்னை), भारत में बंगाल की खाड़ी के कोरोमंडल तट पर स्थित तमिलनाडु की राजधानी, भारत का पाँचवा बड़ा नगर तथा तीसरा सबसे बड़ा बन्दरगाह है। इसकी जनसंख्या ४३ लाख ४० हजार है। यह शहर अपनी संस्कृति एवं परंपरा के लिए प्रसिद्ध है। ब्रिटिश लोगों ने १७वीं शताब्दी में एक छोटी-सी बस्ती मद्रासपट्ट्नम का विस्तार करके इस शहर का निर्माण किया था। उन्होंने इसे एक प्रधान शहर एवं नौसैनिक अड्डे के रूप में विकसित किया। बीसवीं शताब्दी तक यह मद्रास प्रेसिडेंसी की राजधानी एवं एक प्रमुख प्रशासनिक केन्द्र बन चुका था। चेन्नई में ऑटोमोबाइल, प्रौद्योगिकी, हार्डवेयर उत्पादन और स्वास्थ्य सम्बंधी उद्योग हैं। यह नगर सॉफ्टवेयर, सूचना प्रौद्योगिकी सम्बंधी उत्पादों में भारत का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक शहर है। चेन्नई एवं इसके उपनगरीय क्षेत्र में ऑटोमोबाइल उद्योग विकसित है। चेन्नई मंडल तमिलानाडु के जीडीपी का ३९% का और देश के ऑटोमोटिव निर्यात में ६०% का भागीदार है। इसी कारण इसे दक्षिण एशिया का डेट्रॉएट भी कहा जाता है। चेन्नई सांस्कृतिक रूप से समृद्ध है, यहाँ वार्षिक मद्रास म्यूज़िक सीज़न में सैंकड़ॊ कलाकार भाग लेते हैं। चेन्नई में रंगशाला संस्कृति भी अच्छे स्तर पर है और यह भरतनाट्यम का एक महत्त्वपूर्ण केन्द्र है। यहाँ का तमिल चलचित्र उद्योग, जिसे कॉलीवुड भी कहते हैं, भारत का द्वितीय सबसे बड़ा फिल्म उद्योग केन्द्र है। .

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टमाटर की रसम

टमाटर की रसम एक शर्बत है। श्रेणी:उत्तर भारत का खाना श्रेणी:शर्बत.

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झाऊ

झाऊ (tamarisk) सपुष्पक पौधों की ५०-६० जीववैज्ञानिक जातियों वाला एक जीववैज्ञानिक कुल है, जो औपचारिक रूप से टमैरिकेसिए (Tamaricaceae) कहलाता है। यह जातियाँ एशिया, यूरोप और अफ़्रीका के शुष्क इलाकों में पाई जाती हैं। उत्तर भारत में यह बहुत क्षेत्रों में फैला हुआ वृक्ष है। .

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ठर्रा

ठर्रा उत्तर भारत और पाकिस्तान में गन्ने या गेंहू से बनने वाली एक देसी शराब है जो अक्सर ग़ैर-क़ानूनी ढंग से बिना किसी पंजीकरण या अन्य प्रकार की सरकारी अनुमति के बनाई जाती है।, Intikhab Ali, 15 सितंबर 2005, Daily Times (Pakistan),...

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डबराल

डबराल मुख्यतः भारत के उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र में रहने वाले गढ़वाली समुदाय के सारस्वत ब्राह्मण हैं। इस समुदाय के लोग कुमाऊँ में भी पाए जाते हैं। अपनी परम्पराओं के अनुसार, वे ऋषि भारद्वाज के वंशज हैं जो कि शैव सम्प्रदाय के अनुयायी हैं, भगवान शिव को अपना ईष्ट आराध्य मानते हैं। पण्डित शिव प्रसाद डबराल की प्रसिद्ध पुस्तक उत्तराखण्ड का इतिहास के अनुसार डबराल मूल रूप से पश्चिमी भारत क्षेत्र के महाराष्ट्र राज्य के निवासी थे। जहाँ से वे १४ वीं शताब्दी में इस्लामी आक्रमण के परिणाम स्वरूप उत्तर में हिमालय की ओर पलायन कर गए। जैसा कि अन्य स्रोतों के में वर्णित है, सन् १३७६ ईस्वी में महाराष्ट्र से रघुनाथ एवं विश्वनाथ नामक दो ब्राह्मण भाई महाराष्ट्र से आकर सर्वप्रथम पौड़ी गढ़वाल ज़िले के पर्वतीय गाँव डाबर में बसे जो कि वर्तमान में उत्तराखण्ड के लैंसडाउन नगर के निकट है, इसी कारण इन्हें डबराल उपनाम मिला। आधुनिक डबराल इन्हीं के वंशज माने जाते हैं। .

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तमग़ा

तातारों का पारम्परिक तमग़ा भारत के कुषाण सम्राट कनिष्क का तमग़ा तमग़ा (मंगोल: Тамга, अंग्रेजी: Tamgha) मध्य एशिया, मंगोलिया और उसके आसपास के इलाक़ों में बसने वाले प्राचीन ख़ानाबदोश क़बीलों की संस्कृति में विशेष मोहरों और चिह्नों को कहा जाता था। यही शब्द इन लोगों से सम्पर्क रखने वाली बहुत सी अन्य संस्कृतियों में प्रवेश कर गया, जिनमें भारतीय उपमहाद्वीप, ईरान, तुर्की और कुछ अन्य देश शामिल हैं। हिन्दी में 'तमग़ा' शब्द का मतलब प्रमाण के रूप में दिए जाने वाले किसी भी विशेष चिह्न के लिए प्रयोग होता है, मसलन खेल में जीतने पर प्रमाण के रूप में मिलने वाले पदक (मेडल) को अक्सर 'तमग़ा' कहा जाता है। पारम्परिक रूप से सरकारी शुल्क अदा करने पर या अन्य सरकारी दस्तावेज़ों पर लगने वाली मोहर को भी उत्तर भारत में 'तमग़ा' कहा जाता था।, John Shakespear, Parbury, Allen & Co, 1834,...

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तारिम द्रोणी

तारिम द्रोणी अंतरिक्ष से तारिम द्रोणी की तस्वीर तारिम क्षेत्र में मिला खरोष्ठी में लिखा एक काग़ज़ का टुकड़ा (दूसरी से पाँचवी सदी ईसवी) तारिम द्रोणी या तारिम बेसिन मध्य एशिया में स्थित एक विशाल बंद जलसंभर इलाका है जिसका क्षेत्रफल ९०६,५०० वर्ग किमी है (यानि सम्पूर्ण भारत का लगभग एक-चौथाई क्षेत्रफल)। वर्तमान राजनैतिक व्यवस्था में तारिम द्रोणी चीनी जनवादी गणराज्य द्वारा नियंत्रित श़िंजियांग उइग़ुर स्वराजित प्रदेश नाम के राज्य में स्थित है। तारिम द्रोणी की उत्तरी सीमा तियाँ शान पर्वत श्रंखला है और दक्षिणी सीमा कुनलुन पर्वत श्रंखला है। कुनलुन पर्वत श्रंखला तारिम द्रोणी के इलाक़े को दक्षिण में स्थित तिब्बत के पठार से विभाजित करती है। तारिम द्रोणी का अधिकतर क्षेत्र रेगिस्तानी है और हलकी आबादी वाला है। यहाँ ज़्यादातर लोग उइग़ुर और अन्य तुर्की जातियों के हैं। .

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तारिम द्रोणी/आलेख

तारिम द्रोणी तारिम द्रोणी या तारिम बेसिन मध्य एशिया में स्थित एक विशाल बंद जलसंभर इलाका है जिसका क्षेत्रफल ९०६,५०० वर्ग किमी है (यानि सम्पूर्ण भारत का लगभग एक-चौथाई क्षेत्रफल)। वर्तमान राजनैतिक व्यवस्था में तारिम द्रोणी चीनी जनवादी गणराज्य द्वारा नियंत्रित श़िंजियांग उइग़ुर स्वराजित प्रदेश नाम के राज्य में स्थित है। तारिम द्रोणी की उत्तरी सीमा तियाँ शान पर्वत श्रंखला है और दक्षिणी सीमा कुनलुन पर्वत श्रंखला है। कुनलुन पर्वत श्रंखला तारिम द्रोणी के इलाक़े को दक्षिण में स्थित तिब्बत के पठार से विभाजित करती है। द्रोणी या जलसंभर उस भौगोलिक क्षेत्र को कहते हैं जहाँ वर्षा अथवा पिघलती बर्फ़ का पानी नदियों, नेहरों और नालों से बह कर एक ही स्थान पर एकत्रित हो जाता है। भारत में यमुना का जलसंभर वह क्षेत्र है जहाँ यमुना नदी में विलय हो जाने वाले सारे नदी नाले फैले हुए है और जिसके अंत से केवल यमुना नदी ही निकास करती है। बंद जलसंभर ऐसा जलसंभर होता है जिसमें वर्षा अथवा पिघलती बर्फ़ का पानी एकत्रित हो कर किसी नदी के ज़रिये समुद्र या महासागर में बहने की बजाय किसी सरोवर, दलदली क्षेत्र या शुष्क क्षेत्र में जाकर वहीँ रुक जाता है। अंग्रेज़ी में "द्रोणी" को "बेसिन" (basin), "जलसंभर" को "वॉटरशॅड" (watershed) या "कैचमेंट" (catchment) और बंद जलसंभर को "एनडोरहेइक बेसिन" (endorheic basin) कहा जाता है। तारिम द्रोणी का अधिकतर क्षेत्र रेगिस्तानी है और हलकी आबादी वाला है। यहाँ ज़्यादातर लोग उइग़ुर और अन्य तुर्की जातियों के हैं। इस क्षेत्र का उत्तर भारत और पाकिस्तान के साथ गहरा ऐतिहासिक और आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक) सम्बन्ध है। यहाँ पर पाई गई लगभग सारी प्राचीन लिखाई खरोष्ठी लिपि में है, बोले जाने वाली प्राचीन भाषाएँ तुषारी भाषाएँ थीं जो भाषावैज्ञानिक दृष्टि से हिन्द-आर्य भाषाओं की बहनें मानी जाती हैं और जितने भी प्राचीन शव मिले हैं उनमें हर पुरुष का आनुवंशिकी पितृवंश समूह आर१ए१ए है जो उत्तर भारत के ३०-५०% पुरुषों में भी पाया जाता है, लेकिन पूर्वी एशिया की चीनी, जापानी और कोरियाई आबादियों में और पश्चिमी एशिया की अरब आबादियों में लगभग अनुपस्थित है। .

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तिरंगी बर्फ़ी

तिरंगी बर्फ़ी एक भारतीय मिठाई है। श्रेणी:उत्तर भारत का खाना श्रेणी:भारतीय मिठाइयाँ.

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तिलकुट

तिलकुट या तिलकूट एक प्रकार का पकवान है जो तिल तथा चीनी या गुड़ से बनाया जाता है। इसे जाड़े के महीनों में बहुधा स्टेशनो तथा दुकानों में देखा जा सकता है। बिहार में यह लोकप्रिय पकवानों की श्रेणी में आता है। इसका प्रयोग मकर संक्रांति एवं सकट चौथ पर किया जाता है। .

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तवी नदी

जम्मु शहर से बहती हुई तवी नदी तवी नदी उत्तर भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य में बहने वाली एक नदी है, जिसे जम्मू प्रांत की जीवन रेखा समझी जाती है। यह नदी चिनाब नदी की सहायक नदी है। यह नदी का उद्गम कैलास कुंड ग्लेशियर के आसपास के इलाके से होता है और पाकिस्तान में जाकर चिनाब नदी में मिल जाती है। .

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त्रिशंकु तारामंडल

त्रिशंकु (क्रक्स) तारामंडल त्रिशंकु तारामंडल त्रिशंकु या क्रक्स (अंग्रेज़ी: Crux) तारामंडल अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची का सब से छोटा तारामंडल है। अंग्रेज़ी में इसे कभी-कभी "सदर्न क्रॉस" (Southern cross, दक्षिणी काँटा) के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत में सर्दियों और बसंत के मौसम में गुजरात से दक्षिणी क्षेत्रों में देखा जा सकता है, लेकिन उत्तर भारत से नहीं। पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध (हेमिसफ़ेयर) से यह किसी भी मौसम में देखा जा सकता है। .

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तैमूरी राजवंश

अपने चरम पर तैमूरी साम्राज्य तैमूरी राजवंश (फ़ारसी:, तैमूरियान), जो स्वयं को 'गुरकानी राजवंश' कहते थे, मध्य एशिया और उत्तरी भारतीय उपमहाद्वीप के विस्तृत इलाक़ों पर राज करने वाला तुर्की-मंगोल नस्ल का एक सुन्नी मुस्लिम वंश था। अपने चरम पर इसके साम्राज्य में समस्त ईरान, अफ़्ग़ानिस्तान और उज़बेकिस्तान के साथ-साथ पाकिस्तान, उत्तर भारत, आनातोलिया, कॉकस और मेसोपोटामिया के बड़े भूभाग शामिल थे। इस राजवंश की नीव १४वीं शताब्दी ईसवी में तैमूरलंग नामक आक्रामक और विजेता ने रखी थी।, Maria Subtelny, BRILL, 2007, ISBN 978-90-04-16031-6 १६वीं सदी में उज़बेकिस्तान की फ़रग़ना वादी से भारत पर आक्रमण करके मुग़ल सलतनत की स्थापना करने वाला बाबर भी इसी तैमूरी राजवंश का हिस्सा था। क्योंकि तैमूरलंग को अक्सर 'अमीर तैमूर' कहा जाता था इसलिए इस राजघराने के वंशज अपने नामों में अक्सर 'मिर्ज़ा' जोड़ लिया करते थे जो 'अमीरज़ादा' (यानि 'अमीर का पुत्र') का संक्षिप्त रूप है।, Mansura Haidar, Mukhtar Ahmad Ansari, Department of History, Jamia Millia Islamia (India), Aakar Books, 2003, ISBN 978-81-87879-11-4,...

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तोपख़ाना

२००९ में अफ़्ग़ानिस्तान में एक अमेरिकी तोपख़ाना (आर्टिलरी) दस्ता अपनी तोप चलाते हुए तोपख़ाना या आर्टिलरी (Artillery) किसी फ़ौज या युद्ध में सैनिकों के ऐसे गुट को बोलते हैं जिनके मुख्य हथियार प्रक्षेप्य प्रकृति के होते हैं, यानि जो शत्रु की तरफ़ विस्फोटक गोले या अन्य चीज़ें फेंकते हैं। पुराने ज़माने में तोपख़ानों का प्रयोग क़िले की दीवारों को तोड़कर आक्रामक फौजों को अन्दर ले जाना होता था लेकिन समय के साथ-साथ तोपें हलकी और अधिक शक्तिशाली होती चली गई और अब उन्हें युद्ध की बहुत सी स्थितियों में प्रयोग किया जाता है। आधुनिक युग में तोपख़ाने को ज़मीनी युद्ध का सबसे ख़तरनाक तत्व माना जाता है। प्रथम विश्वयुद्ध और द्वितीय विश्वयुद्ध दोनों में सब से अधिक सैनिकों की मृत्यु तोपख़ानों से ही हुई। १९४४ में सोवियेत तानाशाह जोसेफ़ स्टालिन ने एक भाषण में तोपख़ाने को 'युद्ध का भगवान' बताया।, Seweryn Bialer, Westview Press, 1984, ISBN 978-0-86531-610-2,...

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दस्ता (पकड़)

दस्ता या हत्था या हैंडल (अंग्रेज़ी: handle) किसी औज़ार या अन्य वस्तु से जुड़ा ऐसा हिस्सा होता है जिस से उस चीज़ को हाथ द्वारा पकड़ा जा सके। अक्सर दस्ता किसी ऐसी सामग्री से बना या ढका हुआ होता है जो पकड़ी जाने वाली वस्तु से अलग होता है ताकि दस्ता पकड़ने पर हाथ को चोट न लगे और कष्ट न हो।, Dick F. Plukker, R. Veldhuijzen van Zanten, pp.

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दार्द लोग

दार्द या दारद उन समुदायों को कहा जाता है जो दार्दी भाषाएँ बोलते हैं। यह हिन्द-आर्य लोगों की एक उपशाखा है। दार्द लोग मुख्य रूप से उत्तर भारत के कश्मीर व लद्दाख़ क्षेत्र, पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र, पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त और पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान के कुछ भागों में बसते हैं। अलग-अलग स्थनों के दार्द लोगों को 'ब्रोकपा', 'द्रोकपा' व 'शीन' जैसे नामों से भी जाना जाता है। .

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दाल हलवा

दाल हलवा राजस्थान और गुजरात का एक मीठा या मिठाई पकवान है। यह पके हुए गेहूं के साथ तैयार किया जाता है, जिसे दलिया भी कहा जाता है। .

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दिल-ए-नादाँ

दिल-ए-नादाँ या दिल-ए-नादान उर्दू-हिंदी का एक वाक्यांश है जो उत्तर भारत और पाकिस्तान की संस्कृति में बहुत सन्दर्भों में प्रयोग होता है। यह मूल रूप में फ़ारसी का वाक्यांश है और उसमें इस लिखा जाता है। इसका प्रयोग अक्सर उन स्थितियों में होता है जब कोई व्यक्ति अपनी भावनाओं की वजह से ऐसी चीज़ें करने पर मजबूर हो जाता है जो उसकी बुद्धि के निर्देशों के विपरीत हो या जिसमें अपनी किसी अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण उसके मन में उथल-पुथल होती है। .

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दिल्ली सल्तनत

सन् 1210 से 1526 तक भारत पर शासन करने वाले पाँच वंश के सुल्तानों के शासनकाल को दिल्ली सल्तनत (دلی سلطنت) या सल्तनत-ए-हिन्द/सल्तनत-ए-दिल्ली कहा जाता है। ये पाँच वंश ये थे- गुलाम वंश (1206 - 1290), ख़िलजी वंश (1290- 1320), तुग़लक़ वंश (1320 - 1414), सैयद वंश (1414 - 1451), तथा लोधी वंश (1451 - 1526)। इनमें से चार वंश मूलतः तुर्क थे जबकि अंतिम वंश अफगान था। मोहम्मद ग़ौरी का गुलाम कुतुब-उद-दीन ऐबक, गुलाम वंश का पहला सुल्तान था। ऐबक का साम्राज्य पूरे उत्तर भारत तक फैला था। इसके बाद ख़िलजी वंश ने मध्य भारत पर कब्ज़ा किया परन्तु भारतीय उपमहाद्वीप को संगठित करने में असफल रहा। इस सल्तनत ने न केवल बहुत से दक्षिण एशिया के मंदिरों का विनाश किया साथ ही अपवित्र भी किया,रिचर्ड ईटन (2000),, Journal of Islamic Studies, 11(3), pp 283-319 पर इसने भारतीय-इस्लामिक वास्तुकला के उदय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दिल्ली सल्तनत मुस्लिम इतिहास के कुछ कालखंडों में है जहां किसी महिला ने सत्ता संभाली। १५२६ में मुगल सल्तनत द्वारा इस इस साम्राज्य का अंत हुआ। .

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दिगंबर तेरापंथ

आचार्य Gyansagar'', एक आचार्य (सिर के मठवासी आदेश) के ''Digambara Terapanth'' Digambara Terapanth एक संप्रदायों के दिगम्बर जैन, दूसरे जा रहा है Bispanthi संप्रदाय है। इसे से बाहर का गठन मजबूत विपक्ष के लिए धार्मिक वर्चस्व के पारंपरिक धार्मिक नेताओं को बुलाया भट्टारक के दौरान 12-16 वीं सदी ए. डी, के लिए bhattarakas शुरू से हटने मूल/Mula जैन, सीमा शुल्क.

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दूदीपतसर

दूदीपतसर या दूदीपत झील पाकिस्तान के उत्तरी भाग में ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के मानसेहरा ज़िले की काग़ान घाटी में स्थित एक पर्वतीय झील है। यह एक ठंडी और गहरे नीले रंग की झील है। .

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दूधराज

दूधराज या सुल्ताना बुलबुल, जिसे अंग्रेज़ी में एशियाई दिव्यलोकी कीटमार (Asian Paradise Flycatcher) कहते हैं, पासरीफ़ोर्मीज़ जीववैज्ञानिक गण का मध्य आकार का एक पक्षी है। नरों की दुम पर लम्बे पंख होते हैं जो उत्तर भारत में अक्सर सफ़ेद रंग के, लेकिन अन्य जगहों पर आमतौर से काले या लाल-भूरे होते हैं। यह घनी टहनियों वाले पेड़ों के नीचे कीट पकड़कर खाते हैं।, Eugene William Oates, William Thomas Blanford, pp.

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देवदार

देवदार (वैज्ञानिक नाम:सेडरस डेओडारा, अंग्रेज़ी: डेओडार, उर्दु: ديودار देओदार; संस्कृत: देवदारु) एक सीधे तने वाला ऊँचा शंकुधारी पेड़ है, जिसके पत्ते लंबे और कुछ गोलाई लिये होते हैं तथा जिसकी लकड़ी मजबूत किन्तु हल्की और सुगंधित होती है। इनके शंकु का आकार सनोबर (फ़र) से काफी मिलता-जुलता होता है। इनका मूलस्थान पश्चिमी हिमालय के पर्वतों तथा भूमध्यसागरीय क्षेत्र में है, (१५००-३२०० मीटर तक हिमालय में तथा १०००-२००० मीटर तक भूमध्य सागरीय क्षेत्र में)।Farjon, A. (1990).

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दोआब

भारत का प्रसिद्ध दोआब: गंगा-यमुना का दोआब उत्तरी भारतीय उपमहाद्वीप के प्रसिद्ध दोआब दोआब दो नदियों के बीच के क्षेत्र को कहते हैं। यह 'दो' और 'आब' (यानि 'पानी') शब्दों के जोड़ से बना है, जैसे गंगा और यमुना के बीच की भूमि। दुनियाँ में इस प्रकार के अनेक दोआब हैं, जैसे दजला और फरात का दोआब आदि। पर भारत में दोआब विशेष रूप से गंगा और यमुना के मध्य की भूमि को ही कहते हैं, जो उत्तर प्रदेश में शिवालिक पहाड़ियों से लेकर इलाहाबाद में दोनों नदियों के संगमस्थल तक फैला हुआ है। निम्न दोआब, जो इटावा जिले से लेकर इलाहाबाद तक फैला है, अंतर्वेद कहलाता है। .

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नारियल बर्फ़ी

नारियल बर्फ़ी एक भारतीय मिठाई है। श्रेणी:उत्तर भारत का खाना श्रेणी:भारतीय मिठाइयाँ.

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नज़ीर अहमद देहलवी

नज़ीर अहमद देहलवी (१८३०-१९१२), जिन्हें औमतौर पर डिप्टी नज़ीर अहमद (उर्दू) बुलाया जाता था, १९वीं सदी के एक विख्यात भारतीय उर्दू-लेखक, विद्वान और सामाजिक व धार्मिक सुधारक थे। उनकी लिखी कुछ उपन्यास-शैली की किताबें, जैसे कि 'मिरात-उल-उरूस' और 'बिनात-उल-नाश' और बच्चों के लिए लिखी पुस्तकें, जैसे कि 'क़िस्से-कहानियाँ' और 'ज़ालिम भेड़िया', आज तक उत्तर भारत व पाकिस्तान में पढ़ी जाती हैं। .

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नौटंकी

'सुल्ताना डाकू' नामक मशहूर नौटंकी के एक प्रदर्शन में देवेन्द्र शर्मा और पलक जोशी एक और नौटंकी का नज़ारा नौटंकी (Nautanki) उत्तर भारत, पाकिस्तान और नेपाल के एक लोक नृत्य और नाटक शैली का नाम है। यह भारतीय उपमहाद्वीप में प्राचीनकाल से चली आ रही स्वांग परम्परा की वंशज है और इसका नाम मुल्तान (पाकिस्तानी पंजाब) की एक ऐतिहासिक 'नौटंकी' नामक राजकुमारी पर आधारित एक 'शहज़ादी नौटंकी' नाम के प्रसिद्ध नृत्य-नाटक पर पड़ा।, Don Rubin, Taylor & Francis, 2001, ISBN 978-0-415-26087-9,...

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पण्डित

एक कर्मकाण्डी पण्डित (ब्राह्मण) का चित्र पण्डित (पंडित), या पण्डा (पंडा), अंग्रेजी में Pandit का अर्थ है एक विद्वान, एक अध्यापक, विशेषकर जो संस्कृत और हिंदू विधि, धर्म, संगीत या दर्शनशास्त्र में दक्ष हो। अपने मूल अर्थ में 'पण्डित' शब्द का तात्पर्य हमेशा उस हिन्दू ब्राह्मण से लिया जाता है जिसने वेदों का कोई एक मुख्य भाग उसके उच्चारण और गायन के लय व ताल सहित कण्ठस्थ कर लिया हो। .

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पतझड़ी

शरद ऋतु में पत्ते खोने से पहले पीला होता भूर्ज का एक वृक्ष पतझड़ी या पर्णपाती (deciduous) ऐसे पौधों और वृक्षों को कहा जाता है जो हर वर्ष किसी मौसम में अपने पत्ते गिरा देते हैं। उत्तर भारत में तथा समशीतोष्ण (टेम्परेट) क्षेत्रों में यह शरद ऋतु में होता है, जिस कारण उस मौसम को 'पतझड़' भी कहा जाता है। अन्य क्षेत्रों में कुछ वृक्ष अपने पत्ते गर्मी के मौसम में खो देते हैं। अक्सर ये पत्ते गिरने से पहले सूखकर लाल, पीले या भूरे हो जाते हैं जो कई प्रदेशों में यह सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है और कला व साहित्य में अक्सर दर्शाया जाता है। शहतूत, अनार, आँवला, भूर्ज, शीशम, अंजीर, कुंबी, सेब और अमलतास पतझड़ी पेड़ों के कुछ उदहारण हैं।, Pradip Krishen, pp.

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पराठे वाली गली

'''पराठे''' वाली गली जो कि प्रसिद्ध है सिर्फ परांठा के लिये Dec 2006. पराठे वाली गली य़ा गली पराठे वाली, एक सकरी गली चाँदनी चौक नामक प्रसिद्ध बाज़ार मे जो की दिल्ली में स्थित है। वहां काफी पुरानी पराठे बनाने वाली दुकाने हैं। यह एक भारतीय रोटी का विशिष्ट रूप है। यह व्यंजन उत्तर भारत में जितना लोकप्रिय है, लगभग उतना ही दक्षिण भारत में भी है, बस मूल फर्क ये है, कि जहां उत्तर में आटे का बनता है, वहीं दक्षिण में मैदे का बनता है। माना जाता है यहाँ के दुकानदार मुगलों के समय से पराठे बेच रहे हैं। .

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परांठा

पुदीना परांठा परांठा (उर्दू: پراٹھا, तमिल: பராட்டா) भारतीय रोटी का विशिष्ट रूप है। यह उत्तर भारत में जितना लोकप्रिय है, लगभग उतना ही दक्षिण भारत में भी है, बस मूल फर्क ये हैं, कि जहां उत्तर में आटे का बनता है, वहीं दक्षिण में मैदे का बनता है। प्रतिदिन के उत्तरी भारतीय उपमहाद्वीपीय नाश्ते में सबसे लोकप्रिय पदार्थ अगर कोई है तो वह परांठा ही है। इसे बनाने की जितनी विधियां हैं वैसे ही हिन्दी में इसके कई रूप प्रचलित हैं जैसे पराठा, परौठा, परावठा, परांठा और परांवठा। उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक यह भारतीय रसोई का हिस्सा है और हर सुबह तवे पर सेंके जाते परांठे की लुभावनी खुशबू भूख बढ़ा देती है। हां स्वास्थ्य की दृष्टि से ये अवश्य वसा से भरपूर होने के कारण सीमित मात्रा में ही उपभोग किये जाने चाहिये। परांठा लगभग रोटी की तरह ही बनाया जाता है, फर्क सिर्फ इसकी सिंकाई का है। रोटी को जहां तवे पर सेंकने के बाद सीधे आंच पर भी फुलाया जाता है वहीं परांठा सिर्फ तवे पर ही सेंका जाता है। रोटी को बनाने के बाद ऊपर से शुद्ध घी लगाया जा सकता है, वहीं परांठे को तवे पर सेंकते समय ही घी या तेल लगा कर सेंका जाता है। भरवां परांठा बनाने के लिए आटा या मैदा मल कर उसकी लोई बेल कर उसमें भरावन भरें, फिर उसे बेल कर तवे पर सेंकें। परांठा शब्द बना है उपरि+आवर्त से। उपरि यानी ऊपर का और आवर्त यानी चारों और घुमाना। सिर्फ तवे पर बनाई जाने वाली रोटी या परांठे को सेंकने की विधि पर गौर करें। इसे समताप मिलता रहे इसके लिए इसे ऊपर से लगातार घुमा-फिरा कर सेंका जाता है। फुलके की तरह परांठे की दोनो पर्तें नहीं फूलतीं बल्कि सिर्फ ऊपरी परत ही फूलती है। इसका क्रम कुछ यूं रहा उपरि+आवर्त > उपरावटा > परांवठा > परांठा। वैसे सीधे शब्दों में पर्त वाला आटा का व्यंजन .

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परांठेवाली गली

गली परांठे वाली, चांदनी चौक, नई दिल्ली गली परांठे वाली, में परांठे बनाता हुआ कारीगर परांठेवाली गली पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक के पास स्थित एक जगह है। यहां तरह तरह के परांठों की दुकानें हैं। इसके अलावा यह अपनी खान पान की विभिन्न दुकानो के कारण काफ़ी प्रसिद्ध है। चांदनी चौक में शीशगंज गुरूद्वारे के आगे वाली गली ही कहलाती है परांठे वाली गली। वहां काफी पुराणी पराठे बनाने वाली दुकाने हैं। यह गली मुख्य चांदनी चौक से आरंभ होकर दूसरे छोर पर मालीवाड़ा में जाकर मिल जाती है। किसी समय पूरी गली में परांठे की ही दुकाने थी लेकिन अब बदलते वक्त के साथ चार रह गयी हैं। ये दुकाने करीब सौ से सवा सौ साल पुरानी हैं। परांठे बनाने वाले ये लोग मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं। स्वाद ऐसा है कि एक बार खा लें तो शायद जिंदगी भर भूला नहीं पायेंगें। इन को बनाने का तरीका भी अलग है परांठों को शुद्ध घी सेंकने की बजाय तला जाता है और शायद ये ही इसके स्वाद का राज भी हैं। परांठा एक भारतीय रोटी का विशिष्ट रूप है। यह उत्तर भारत में जितना लोकप्रिय है, लगभग उतना ही दक्षिण भारत में भी है, बस मूल फर्क ये है, कि जहां उत्तर में आटे का बनता है, वहीं दक्षिण में मैदे का बनता है। माना जाता है याहान कि दुकने मुगलो के समय से पराठे बेच रहि हैं। मुसाफ़िर-दुनियादेखो ब्लॉग्स्पॉट, ५ मार्च, २००८ .

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पश्चिमी विक्षोभ

पश्चिमी विक्षोभ या वेस्टर्न डिस्टर्बन्स (Western Disturbance) भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी इलाक़ों में सर्दियों के मौसम में आने वाले ऐसे तूफ़ान को कहते हैं जो वायुमंडल की ऊँची तहों में भूमध्य सागर, अन्ध महासागर और कुछ हद तक कैस्पियन सागर से नमी लाकर उसे अचानक वर्षा और बर्फ़ के रूप में उत्तर भारत, पाकिस्तान व नेपाल पर गिरा देता है।, J. S. Lall, A. D. Moddie, India International Centre, 1981,...

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पश्तूनवाली

ख़ोस्त प्रान्त में एक पठान आदमी अपनी बेटी के साथ पश्तूनवाली (पश्तो) या पख़्तूनवाली दक्षिण एशिया के पश्तून समुदाय (पठान समुदाय) की संस्कृति की अलिखित मर्यादा परम्परा है। इसके कुछ तत्व उत्तर भारत और पाकिस्तान की इज़्ज़त मर्यादा से मिलते-जुलते हैं।, Anne L. Clunan, Harold A. Trinkunas, Stanford University Press, 2010, ISBN 978-0-8047-7013-2,...

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पहर

सामय् पहर भारत, पाकिस्तान, नेपाल और बंगलादेश में इस्तेमाल होने वाली समय की एक ईकाई है। भारत में यह उत्तर भारत के क्षेत्र में अधिक प्रयोग होती है।, Amir Khusro, W.H. Allen, 1882,...

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पाढ़ा

पाढ़ा, जिसे अंग्रेज़ी में Hog Deer कहते हैं, एक छोटा सा हिरन है जिसका आवासीय क्षेत्र पाकिस्तान से लेकर उत्तरी भारत और मुख्य भूभागीय दक्षिण पूर्वी एशिया तक फैला है। इसकी दो उप-जातियाँ हैं:हायलाफ़स पॉरसिनस पॉरसिनस जो कि भारतीय प्रायद्वीप तथा चीन के दक्षिणी-पश्चिमी यूनान से लेकर पश्चिमी थाइलैंड तक के इलाके में पाया जाता है। हायलाफ़स पॉरसिनस अन्नॅमिटिकस जो कि थाइलैंड तथा इंडोचायना में पाया जाता है। प्रचलित की हुई आबादी अमेरिका, श्रीलंका तथा ऑस्ट्रेलिया में भी पायी जाती है। .

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पानी पूरी

पानी पूरी जिसे उत्तर भारत में गोलगप्पे, पूर्वी उत्तर प्रदेश में फुलकी, बंगाल में फुचका, मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में गुपचुप के नाम से संबोधित किया जाता है एक लोकप्रिय भारतीय नाश्ता हैं। पानी पूरी का सेवन जलजीरे के पानी के साथ किया जाता है। इसके अलावा भरवां गोलगप्पे भी काफी लोगों की पसन्द हैं जिसमें उबला हुआ आलू, बारीक कटा हुआ प्याज़, सौंठ की चटनी और दही के साथ भर के बनाया जाता है। .

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पाकिस्तान टेलिविज़न कॉरपोरेशन

अयूब ख़ान पाकिस्तान टेलिविज़न कॉरपोरेशन या पी॰टी॰वी॰ पाकिस्तान का सरकारी टेलिविज़न प्रसारक है। इसका सर्वप्रथम प्रसारण २६ नवम्बर १९६४ को लाहौर से किया गया था। सन् २००७ तक इसने छह चैनलों पर प्रसारण करना चालू कर दिया था। .

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पुथंडु

पुथंडु (तमिल: புத்தாண்டு), जिसे पुथुरूषम या तमिल नव वर्ष भी कहा जाता है, तमिल कैलेंडर पर वर्ष का पहला दिन है। तमिल तारीख को तमिल महीने चिधिराई के पहले दिन के रूप में, लन्नीसरोल हिंदू कैलेंडर के सौर चक्र के साथ स्थापित किया गया है। इसलिए यह हर साल ग्रेगोरियन कैलेंडर के 14 अप्रैल या उसके आस पास ही मनाया जाता हैं। यह दिन हिंदुओं के द्वारा पारंपरिक तौर पर नए साल के रूप में मनाया जाता है, लेकिन इसके नाम अलग अलग होते हैं जिसे केरल में विशु एवं मध्य और उत्तर भारत में वैसाखी जैसे अन्य नामों से जाना जाता है। इस दिन, तमिल लोग "पुट्टू वतुत्काका!" कहकर एक-दूसरे को बधाई देते हैं जो हिंदी के "नया साल मुबारक हो" के बराबर है। इस दिन ज्यादातर लोग अपने परिवार के साथ समय बिताते हैं एवं लोग अपने घर-द्वार की साफ सफाई करते हैं। एक थाली भी सजाते हैं जिसमे फलों, फूलों और अन्य शुभ वस्तुएं राखी जाती हैं। पुथंडु तमिलनाडु और पोंडिचेरी के बाहर रहने वाले तमिल हिंदुओं के द्वारा भी मनाया जाता है, जैसे श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर, रीयूनियन, मॉरीशस और अन्य देशों में भी जहाँ तमिल लोग प्रवासी के तौर पर रहते हैं। .

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प्याज कचोरी

प्याज कचौरी (राजस्थानी: कांदा कचोरी) एक तरह का राजस्थानी कचोरी है, जो मसालेदार प्याज के साथ बनाई जाती है। यह जोधपुर और आसपास के प्रसिद्ध मसालेदार स्नैक भोजन में से एक है। उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में इस प्याज की कचोरी को बहुत पसंद किया जाता है। .

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पूर्वोत्तर भारत

पूर्वोत्तर भारत से आशय भारत के सर्वाधिक पूर्वी क्षेत्रों से है जिसमें एक साथ जुड़े 'सात बहनों' के नाम से प्रसिद्ध राज्य, सिक्किम तथा उत्तरी बंगाल के कुछ भाग (दार्जीलिंग, जलपाईगुड़ी और कूच बिहार के जिले) शामिल हैं। पूर्वोत्तर भारत सांस्कृतिक दृष्टि से भारत के अन्य राज्यों से कुछ भिन्न है। भाषा की दृष्टि से यह क्षेत्र तिब्बती-बर्मी भाषाओँ के अधिक प्रचलन के कारण अलग से पहचाना जाता है। इस क्षेत्र में वह दृढ़ जातीय संस्कृति व्याप्त है जो संस्कृतीकरण के प्रभाव से बची रह गई थी। इसमें विशिष्ट श्रेणी के मान्यता प्राप्त आठ राज्य भी हैं। इन आठ राज्यों के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए 1971 में पूर्वोतर परिषद (नॉर्थ ईस्टर्न काउंसिल / NEC) का गठन एक केन्द्रीय संस्था के रूप में किया गया था। नॉर्थ ईस्टर्न डेवेलपमेंट फाइनेंस कारपोरेशन लिमिटेड (NEDFi) का गठन 9 अगस्त 1995 को किया गया था और उत्तरपूर्वीय क्षेत्र विकास मंत्रालय (DoNER) का गठन सितम्बर 2001 में किया गया था। उत्तरपूर्वीय राज्यों में सिक्किम 1947 में एक भारतीय संरक्षित राज्य और उसके बाद 1975 में एक पूर्ण राज्य बन गया। पश्चिम बंगाल में स्थित सिलीगुड़ी कॉरिडोर जिसकी औसत चौड़ाई 21 किलोमीटर से 40 किलोमीटर के बीच है, उत्तरपूर्वीय क्षेत्र को मुख्य भारतीय भू-भाग से जोड़ता है। इसकी सीमा का 2000 किलोमीटर से भी अधिक क्षेत्र अन्य देशों: नेपाल, चाइना, भूटान, बर्मा और बांग्लादेश के साथ लगती है। .

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पेठा (मिठाई)

पेठा एक प्रकार का पकवान है जो सफ़ेद कद्दू तथा चीनी से बनाया जाता है। माना जाता है कि पेठा मुगल सम्राट शाहजहां के राज काज के दौरान अस्तित्व में आया था। वहीं आगरा में निर्मित पेठा को अपनी उत्पत्ति प्रमाणित करने के लिए एक भौगोलिक संकेत लेबल द्वारा कवर किया गया है। .

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फ़सल

पंजाब राज्य के एक ग्रामीण घर में सूखती फ़सल फसल या सस्य किसी समय-चक्र के अनुसार वनस्पतियों या वृक्षों पर मानवों व पालतू पशुओं के उपभोग के लिए उगाकर काटी या तोड़ी जाने वाली पैदावार को कहते हैं।, pp.

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फ़ालसे का शर्बत

फ़ालसे का शर्बत एक शर्बत है। श्रेणी:उत्तर भारत का खाना श्रेणी:शर्बत.

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फ़िन की बया

फ़िन की बया एक छोटी बुनकर चिड़िया की जाति है जो भारत और नेपाल में गंगा तथा ब्रह्मपुत्र की घाटियों में पाई जाती है। इसकी दो उपजातियाँ पहचानी जाती हैं—प्लोसिअस मॅगरहिन्चस, जो कि कुमाऊँ में और प्लोसिअस सलीमअली जो कि पूर्वी तराई में पाई जाती हैं। जब ह्यूम को नैनीताल के पास कालाढूंगी से इस जाति का नमूना मिला तो उन्होंने इसका नामकरण किया। यह जाति फ़्रॅन्क फ़िन द्वारा कोलकाता के पास के तराई इलाके में दुबारा खोजी गई और इसे उनका नाम मिला। ओट्स ने सन् १८८९ में इसे पूर्वी बया नाम दिया जबकि स्टुअर्ट बेकर ने सन् १९२५ में इसे फ़िन की बया नाम दिया। .

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फिणी (मिठाई)

फिणी (मिठाई) एक उत्तर भारतीय व्यंजन है। श्रेणी:उत्तर भारत का खाना श्रेणी:भारतीय मिठाइयाँ.

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बदाम का शर्बत

बदाम का शर्बत एक शर्बत है। श्रेणी:उत्तर भारत का खाना श्रेणी:शर्बत.

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बलाचौर

बलाचौर उत्तर भारत के पंजाब राज्य मे नवांशहर शहर की एक तहसील है। बला चौर दोआबा क्षेत्र के अंदर आता है और काफ़ी सारे गाँव इसके अंदर आते है। बला चौर में चौधरी रहमत अली (जिन्होने पाकिस्तान शब्द की पहली बार घोषणा की) का ज्न्म हुआ था। .

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बादाम की बर्फ़ी

बादाम की बर्फ़ी एक भारतीय मिठाई है। श्रेणी:उत्तर भारत का खाना श्रेणी:भारतीय मिठाइयाँ.

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बारहसिंगा

बारहसिंगा या दलदल का मृग (Rucervus duvaucelii) हिरन, या हरिण, या हिरण की एक जाति है जो कि उत्तरी और मध्य भारत में, दक्षिणी-पश्चिम नेपाल में पाया जाता है। यह पाकिस्तान तथा बांग्लादेश में विलुप्त हो गया है। बारहसिंगा का सबसे विलक्षण अंग है उसके सींग। वयस्क नर में इसकी सींग की १०-१४ शाखाएँ होती हैं, हालांकि कुछ की तो २० तक की शाखाएँ पायी गई हैं। इसका नाम इन्ही शाखाओं की वजह से पड़ा है जिसका अर्थ होता है बारह सींग वाला।Prater, S. H. (1948) The book of Indian animals.

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बालूशाही

बालूशाही (उर्दू: بالوشاھی) एक प्रकार का पकवान है जो मैदा तथा चीनी से बनाया जाता है। बालूशाही मैदा आटे से बनती है और गहरे घी में तली जाती है। तत्पश्चात् उसे चीनी के सिरप में डुबाया जाता है। श्रेणी:भारतीय मिठाइयाँ.

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बाख़्त्री भाषा

कुषाण सम्राट कनिष्क का सन् १५० ईसवी के लगभग ज़र्ब किया गया सिक्का, जिसपर बाख़्त्री में लिखा है ' ϷΑΟΝΑΝΟϷΑΟ ΚΑΝΗϷΚΙ ΚΟϷΑΝΟ', शाओनानोशाओ कनिष्की कोशानो', यानि 'शहनशाह कनिष्क कुषाण' बाख़्त्री (फ़ारसी) या बैक्ट्रीयाई (अंग्रेज़ी: Bactrian) प्राचीनकाल में मध्य एशिया के बाख़्तर (बैक्ट्रीया) क्षेत्र में बोली जाने वाली एक पूर्वी ईरानी भाषा थी जो समय के साथ विलुप्त हो गई। भाषावैज्ञानिक नज़रिए से बाख़्त्री के पश्तो, यिदग़ा और मुंजी भाषाओँ के साथ गहरे सम्बन्ध हैं। यह प्राचीन सोग़दाई और पार्थी भाषाओं से भी मिलती-जुलती थी। बाख़्त्री को लिखने के लिया ज़्यादातर यूनानी लिपि इस्तेमाल की जाती थी, इसलिए इस कभी-कभी 'यूनानी-बाख़्त्री' (या 'ग्रेको-बाख़्त्री') भी कहा जाता है।, Vadim Mikhaĭlovich Masson, UNESCO, 1994, ISBN 978-92-3-102846-5,...

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बाकला

बाकला या कॉमन बीन, (वैज्ञानिक नाम: फैसेयोलस वल्गैरिस) एक वार्षिक पौधा है, जो कि मीज़ो अमरीका और एंडीज़ पर्वत पर मूलतः उगता था। अब यह विश्व भर में उगाया जाता है। इसकी खाद्य फलियां और बीज ही इसके उत्पाद होते हैं। इसकी पत्तियां कहीं कहीं हरी सब्जी के काम आती हैं और इसका भूसा मवेशियों के लिए काम में आता है। जैविक दृष्टि से यह एक द्विबीजपत्री पौधा है। इसकी फलियां लेग्यूम श्रेणी की होने से भूमि को नाइट्रोजन दायक होती हैं। यह प्रक्रिया र्हाइज़ोबिया नामक नाइट्रोजन दायक जीवाणु द्वारा होती है। .

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बाकू आतेशगाह

آتش) यानि अग्नि का ज़िक्र करती है। बाकू आतेशगाह का मंदिर और उसके इर्द-गिर्द का क्षेत्र अज़रबैजानी डाक टिकट बाकू आतेशगाह या ज्वाला मंदिर अज़रबेजान की राजधानी बाकू के पास के सुराख़ानी शहर में स्थित एक मध्यकालीन हिन्दू धार्मिक स्थल है। इसमें एक पंचभुजा (पेंटागोन) अकार के अहाते के बीच में एक मंदिर है। बाहरी दीवारों के साथ कमरे बने हुए हैं जिनमें कभी उपासक रहा करते थे। बाकू आतेशगाह का निर्माण १७वीं और १८वीं शताब्दियों में हुआ था और १८८३ के बाद इसका इस्तेमाल तब बंद हो गया जब इसके इर्द-गिर्द ज़मीन से पेट्रोल और प्राकृतिक गैस निकालने का काम शुरू किया गया। १९७५ में इसे एक संग्राहलय बना दिया गया और अब इसे देखने हर वर्ष १५,००० सैलानी आते हैं। २००७ में अज़रबेजान के राष्ट्रपति के आदेश से इसे एक राष्ट्रीय ऐतिहासिक-वास्तुशिल्पीय आरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया गया। .

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बुरानी

यह रायता दही आधारित एक भारतीय व्यंजन है। समान्यत: रायता बनाने के लिए दही को मथ कर इसमे प्याज, ककडी़, खीरा, टमाटर, या बेसन की बूंदी या अनन्नास आदि भोज्य सामग्री मिलाई जाती हैं। परन्तु बुरानी रायता में गाढी दही, लहसुन, नमक, लाल मिर्च का पाउडर एवं दूध का मिश्रण होता है। इसे बिरयानी, कबाब आदि व्यंजनों के साथ एक सहायक व्यंजन के तौर पर पेश किया जाता है। इन सबके अलावा इसमे भुना हुआ जीरा, हींग और कभी कभी पुदीना भी मिलाया जाता है। श्रेणी:भारतीय व्यंजन.

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ब्रज (बहुविकल्पी)

ब्रज उत्तर भारत का एक विशेष धार्मिक क्षेत्र है। ब्रज के आधार पर कई नामकरण हुए हैं।.

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बूंदी का रायता

श्रेणी:व्यंजन.

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बेल का शर्बत

बेल का शर्बत एक शर्बत है। श्रेणी:उत्तर भारत का खाना श्रेणी:शर्बत.

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बेली डांस

रक़्स शर्क़ी नर्तकी क्राईसैन्थी साहर शार्फ़, हाईडलबर्ग. माराकेच (मोरक्को) में एक बेली नर्तकी बेली डांस या बेलीडांस परंपरागत मध्य पूर्वी नृत्य, विशेषकर रक़्स शर्क़ी (رقص شرقي) का एक पश्चिम में गढ़ा हुआ नाम है। पश्चिम में इसे कभी-कभी मध्य पूर्वी नृत्य या अरबी नृत्य भी कहा जाता है या इसे ग्रीको-तुर्की शब्द çiftetelli (सिफ्टेटेली) (τσιφτετέλι.) के रूप में भी जाना जाता है। "बेली डांस" शब्द फ्रांसीसी "डेंस ड्यू वेंत्रे (danse du ventre)" का एक अनुवाद है जिसे विक्टोरियन युग में नृत्य के लिए प्रयोग किया गया था। यह कुछ हद तक एक मिथ्या नाम है क्योंकि इस नृत्य में शरीर का हर हिस्सा हरकत करता है; इसमें कूल्हे का उपयोग आमतौर पर सबसे अधिक किया जाता है। बेली नृत्य देश और क्षेत्र के आधार पर पोशाक और नृत्य शैली दोनों के मामले में कई अलग-अलग रूपों में होता है और क्योंकि इसकी लोकप्रियता दुनिया भर में फ़ैल गयी है, पश्चिम में इसकी नई शैलियां विकसित की गयी हैं। हालांकि इस नृत्य के समकालीन रूपों का प्रदर्शन आम तौर पर महिलाओं द्वारा किया जाता रहा है, केन डांस जैसे कुछ नृत्यों का मूल, प्रदर्शन के पुरुष स्वरूपों में निहित है।.

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भारत में धर्म

तवांग में गौतम बुद्ध की एक प्रतिमा. बैंगलोर में शिव की एक प्रतिमा. कर्नाटक में जैन ईश्वरदूत (या जिन) बाहुबली की एक प्रतिमा. 2 में स्थित, भारत, दिल्ली में एक लोकप्रिय पूजा के बहाई हॉउस. भारत एक ऐसा देश है जहां धार्मिक विविधता और धार्मिक सहिष्णुता को कानून तथा समाज, दोनों द्वारा मान्यता प्रदान की गयी है। भारत के पूर्ण इतिहास के दौरान धर्म का यहां की संस्कृति में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। भारत विश्व की चार प्रमुख धार्मिक परम्पराओं का जन्मस्थान है - हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म तथा सिक्ख धर्म.

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भारत में पर्यटन

हर साल, 3 मिलियन से अधिक पर्यटक आगरा में ताज महल देखने आते हैं। भारत में पर्यटन सबसे बड़ा सेवा उद्योग है, जहां इसका राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 6.23% और भारत के कुल रोज़गार में 8.78% योगदान है। भारत में वार्षिक तौर पर 5 मिलियन विदेशी पर्यटकों का आगमन और 562 मिलियन घरेलू पर्यटकों द्वारा भ्रमण परिलक्षित होता है। 2008 में भारत के पर्यटन उद्योग ने लगभग US$100 बिलियन जनित किया और 2018 तक 9.4% की वार्षिक वृद्धि दर के साथ, इसके US$275.5 बिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है। भारत में पर्यटन के विकास और उसे बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मंत्रालय नोडल एजेंसी है और "अतुल्य भारत" अभियान की देख-रेख करता है। विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद के अनुसार, भारत, सर्वाधिक 10 वर्षीय विकास क्षमता के साथ, 2009-2018 से पर्यटन का आकर्षण केंद्र बन जाएगा.

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भारत सारावली

भुवन में भारत भारतीय गणतंत्र दक्षिण एशिया में स्थित स्वतंत्र राष्ट्र है। यह विश्व का सातवाँ सबसे बड़ देश है। भारत की संस्कृति एवं सभ्यता विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति एवं सभ्यताओं में से है।भारत, चार विश्व धर्मों-हिंदू धर्म, सिख धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म के जन्मस्थान है और प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता का घर है। मध्य २० शताब्दी तक भारत अंग्रेजों के प्रशासन के अधीन एक औपनिवेशिक राज्य था। अहिंसा के माध्यम से महात्मा गांधी जैसे नेताओं ने भारत देश को १९४७ में स्वतंत्र राष्ट्र बनाया। भारत, १२० करोड़ लोगों के साथ दुनिया का दूसरे सबसे अधिक आबादी वाला देश और दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला लोकतंत्र है। .

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भारत के प्रशासनिक विभाग

प्रशासनिक दृष्टि से भारत राज्यों या प्रान्तों में विभक्त है; राज्य, जनपदों (या जिलों) में विभक्त हैं, जिले तहसील (तालुक या मण्डल) में विभक्त हैं। यह विभाजन और नीचे तक गया है। .

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भारत की संस्कृति

कृष्णा के रूप में नृत्य करते है भारत उपमहाद्वीप की क्षेत्रीय सांस्कृतिक सीमाओं और क्षेत्रों की स्थिरता और ऐतिहासिक स्थायित्व को प्रदर्शित करता हुआ मानचित्र भारत की संस्कृति बहुआयामी है जिसमें भारत का महान इतिहास, विलक्षण भूगोल और सिन्धु घाटी की सभ्यता के दौरान बनी और आगे चलकर वैदिक युग में विकसित हुई, बौद्ध धर्म एवं स्वर्ण युग की शुरुआत और उसके अस्तगमन के साथ फली-फूली अपनी खुद की प्राचीन विरासत शामिल हैं। इसके साथ ही पड़ोसी देशों के रिवाज़, परम्पराओं और विचारों का भी इसमें समावेश है। पिछली पाँच सहस्राब्दियों से अधिक समय से भारत के रीति-रिवाज़, भाषाएँ, प्रथाएँ और परंपराएँ इसके एक-दूसरे से परस्पर संबंधों में महान विविधताओं का एक अद्वितीय उदाहरण देती हैं। भारत कई धार्मिक प्रणालियों, जैसे कि हिन्दू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म जैसे धर्मों का जनक है। इस मिश्रण से भारत में उत्पन्न हुए विभिन्न धर्म और परम्पराओं ने विश्व के अलग-अलग हिस्सों को भी बहुत प्रभावित किया है। .

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भांड

भांड (उर्दू:, पंजाबी: ਭਾਂਡ, अंग्रेज़ी: Bhand) उत्तर भारत, पाकिस्तान, नेपाल और बंगलादेश के पारम्परिक समाजों में लोक-मनोरंजन करने वाले लोगों को कहा जाता है जो समय के साथ एक भिन्न जाति बन चुकी है। भांडों द्वारा किये प्रदर्शन को कभी-कभी स्वांग कहा जाता है।, Manohar Laxman Varadpande, Abhinav Publications, 1992, ISBN 978-81-7017-278-9,...

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भोटी भाषाएँ

भोटी भाषाएँ (Bodish languages), जिनका नाम तिब्बत के पारम्परिक नाम "बोड" या "भोट" पर आधारित है, तिब्बती भाषाओं का सामूहिक नाम है। यह तिब्बत के अलावा उत्तर भारत, नेपाल, भूटान और पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र में भी बोली जाती हैं। .

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भोजेश्वर मन्दिर

भोजेश्वर मन्दिर (जिसे भोजपुर मन्दिर भी कहते हैं) मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग ३० किलोमीटर दूर स्थित भोजपुर नामक गांव में बना एक मन्दिर है। यह मन्दिर बेतवा नदी के तट पर विन्ध्य पर्वतमालाओं के मध्य एक पहाड़ी पर स्थित है। --> मन्दिर का निर्माण एवं इसके शिवलिंग की स्थापना धार के प्रसिद्ध परमार राजा भोज (१०१० - १०५३ ई॰) ने करवायी थी। उनके नाम पर ही इसे भोजपुर मन्दिर या भोजेश्वर मन्दिर भी कहा जाता है, हालाँकि कुछ किंवदंतियों के अनुसार इस स्थल के मूल मन्दिर की स्थापना पाँडवों द्वारा की गई मानी जाती है। इसे "उत्तर भारत का सोमनाथ" भी कहा जाता है। यहाँ के शिलालेखों से ११वीं शताब्दी के हिन्दू मन्दिर निर्माण की स्थापत्य कला का ज्ञान होता है व पता चलता है कि गुम्बद का प्रयोग भारत में इस्लाम के आगमन से पूर्व भी होता रहा था। इस अपूर्ण मन्दिर की वृहत कार्य योजना को निकटवर्ती पाषाण शिलाओं पर उकेरा गया है। इन मानचित्र आरेखों के अनुसार यहाँ एक वृहत मन्दिर परिसर बनाने की योजना थी, जिसमें ढेरों अन्य मन्दिर भी बनाये जाने थे। इसके सफ़लतापूर्वक सम्पन्न हो जाने पर ये मन्दिर परिसर भारत के सबसे बड़े मन्दिर परिसरों में से एक होता। मन्दिर परिसर को भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा राष्ट्रीय महत्त्व का स्मारक चिह्नित किया गया है व इसका पुनरुद्धार कार्य कर इसे फिर से वही रूप देने का सफ़ल प्रयास किया है। मन्दिर के बाहर लगे पुरातत्त्व विभाग के शिलालेख अनुसार इस मंदिर का शिवलिंग भारत के मन्दिरों में सबसे ऊँचा एवं विशालतम शिवलिंग है। इस मन्दिर का प्रवेशद्वार भी किसी हिन्दू भवन के दरवाजों में सबसे बड़ा है। मन्दिर के निकट ही इस मन्दिर को समर्पित एक पुरातत्त्व संग्रहालय भी बना है। शिवरात्रि के अवसर पर राज्य सरकार द्वारा यहां प्रतिवर्ष भोजपुर उत्सव का आयोजन किया जाता है। .

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भीलांगना

भीलांगना उत्तर भारत के उत्तराखंड राज्य की एक नदी है। इसके और भागीरथी नदी के संगम पर टिहरी बाँध परियोजना बनायी गयी है। इस परियोजना की कल्पना १९५३ मे की गई थी और अंततः यह २००७ में पूरी हुई। श्रेणी:उत्तराखण्ड श्रेणी:भारत की नदी घाटी परियोजनाएं.

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महाराजा महाविद्यालय

महाराजा विश्वविद्यालय भारत में राजस्थान की राजधानी, जयपुर में एक कॉलिज है। .

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मातृवंश समूह एच

लगभग १०% पंजाबी लोग मातृवंश समूह एच के वंशज होते हैं मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में मातृवंश समूह एच या माइटोकांड्रिया-डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप H एक मातृवंश समूह है। यूरोप में यह सब से अधिक पाया जाने वाले मातृवंश है। यूरोप के ५०%, मध्य पूर्व और कॉकस के २०%, ईरान के १७% और पाकिस्तान, उत्तर भारत और मध्य एशिया के १०% से ज़रा कम लोग इस मातृवंश के वंशज हैं। फ़ारस की खाड़ी के इर्द-गिर्द के इलाक़ों में भी १०% से ज़रा कम लोग इसके वंशज हैं। वैज्ञानिकों की मान्यता है के जिस स्त्री के साथ इस मातृवंश की शुरुआत हुई वह आज से क़रीब २५,००० से ३०,००० साल पहले मध्य पूर्व में कहीं रहती थी। .

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मई 2015 नेपाल भूकम्प

१२ मई २०१५ को दिन में १२ बजकर ३९ मिनट पर एक बार फिर ७.४ के परिमाण का भूकम्प आया। बजकर 9 मिनट पर भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। इसके बाद दोपहर 1 बजकर 44 मिनट पर फिर भूकंप का झटका आया। इसकी तीव्रता 4.4 थी। भूकम्प के ३ अभिकेन्द्रों में से २ नेपाल व १ अफगानिस्तान में है। नेपाल में इसकी तीव्रता ज्यादा है। नेपाल में एक केंद्र की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 7.3 और दूसरे की 6.2 मापी गई है। नेपाल के कोदारी में भूकंप का केंद्र जमीन से 18 किलोमीटर नीचे था। वहीं, अफगानिस्तान में भूकंप की तीव्रता रिएक्टर पैमाने पर 6.9 मापी गई है। इन झटकों के बाद दिल्ली और कोलकाता में मेट्रो रेल सेवा रोक दी गई है। .

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मुशायरा

मुशायरा, (उर्दू: مشاعره) उर्दु भाषा की एक काव्य गोष्ठी है। मुशायरा शब्द हिन्दी में उर्दू से आया है और यह उस महफ़िल (محفل) की व्याख्या करता है जिसमें विभिन्न शायर शिरकत कर अपना अपना काव्य पाठ करते हैं। मुशायरा उत्तर भारत और पाकिस्तान की संस्कृति का अभिन्न अंग है और इसे प्रतिभागियों द्वारा मुक्त आत्म अभिव्यक्ति के एक माध्यम (मंच) के रूप में सराहा जाता है। .

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मुष्टियुद्ध

मुष्टियुद्ध उत्तर भारत के वाराणसी (बनारस) का एक निःशस्त्र मार्शल आर्ट है। दक्षिणपूर्वी एशियाई किकबॉक्सिंग की शैलियों की तरह इसमें पंच, किक, घटुने तथा कोहनी की स्ट्राइक का प्रयोग होता है हालाँकि पंचों की प्रमुखता होती है। पहले वाराणसी में इसके मुकाबले नियमित रूप से होते थे पर बाद में मुक्केबाजों के समर्थकों के बीच हो जाने वाली लड़ाइयों के कारण इन्हें प्रतिबन्धित कर दिया गया। काफी समय तक गैरकानूनी रूप से मुकाबले जारी रहे जो कि १९६० के दशक के आसपास से लगभग खत्म हो गये। .

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मुंबई की जनसांख्यिकी

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मूँगिया मलाई

मूँगिया मलाई एक शर्बत है। श्रेणी:उत्तर भारत का खाना श्रेणी:शर्बत.

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मूंग दाल हलुआ

मूंग दाल हलुआ एक उत्तर भारतीय व्यंजन है। श्रेणी:उत्तर भारत का खाना श्रेणी:राजस्थानी खाना श्रेणी:अवधी व्यंजन.

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मेहमान ख़ाना

मेहमान ख़ाना या बैठक उत्तर भारत, पाकिस्तान व बांग्लादेश के पारम्परिक घरों में वह कमरा होता है जहाँ अतिथियों को बैठाकर उनका सत्कार किया जाता है। इसे संस्कृत में अतिथि कक्ष कहा जाता था। पाकिस्तान व अफ़ग़ानिस्तान के पश्तून इलाक़ों में इसे हुजरा भी कहते हैं। इन कमरों में बैठने के लिए अक्सर मूढ़े और तख़्त / तख़्तपोश रखे होते हैं और व्यवस्था आधुनिक भारतीय शहरों के घरों के 'ड्राइंग रूम' से भिन्न होती है। .

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मीनार-ए-जाम

मीनार-ए-जाम मीनार-ए-जाम (फ़ारसी) या जाम की मीनार (अंग्रेज़ी: Minaret of Jam) पश्चिमी अफ़ग़ानिस्तान के ग़ोर प्रांत के शहरक ज़िले में हरी नदी (हरीरूद) के किनारे खड़ी एक प्रसिद्ध ईंटों की बनी मीनार है। यह ६५ मीटर ऊँची मीनार दिल्ली के क़ुतुब मीनार के बाद दुनिया की दूसरी सबसे ऊँची मीनार है, हालांकि क़ुतुब मीनार वास्तव में इसी मीनार से प्रेरित होकर बनवाया गया था। मीनार-ए-जाम जाम नदी और हरी नदी के संगम के पास है और चारों तरफ़ से २,४०० मीटर ऊँचे पहुँचने वाले पहाड़ों से घिरी हुई है। सन् ११९० के दशक में बनी इस मीनार पर ईंट, गच पलस्तर (स्टक्को) और टाइलें लगी हुई हैं जिनपर क़ुरान की आयतें और आकर्षक लकीरें व आकृतियाँ बनी हुई हैं। .

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यजुर्वेद

यजुर्वेद हिन्दू धर्म का एक महत्त्वपूर्ण श्रुति धर्मग्रन्थ और चार वेदों में से एक है। इसमें यज्ञ की असल प्रक्रिया के लिये गद्य और पद्य मन्त्र हैं। ये हिन्दू धर्म के चार पवित्रतम प्रमुख ग्रन्थों में से एक है और अक्सर ऋग्वेद के बाद दूसरा वेद माना जाता है - इसमें ऋग्वेद के ६६३ मंत्र पाए जाते हैं। फिर भी इसे ऋग्वेद से अलग माना जाता है क्योंकि यजुर्वेद मुख्य रूप से एक गद्यात्मक ग्रन्थ है। यज्ञ में कहे जाने वाले गद्यात्मक मन्त्रों को ‘'यजुस’' कहा जाता है। यजुर्वेद के पद्यात्मक मन्त्र ॠग्वेद या अथर्ववेद से लिये गये है।। भारत कोष पर देखें इनमें स्वतन्त्र पद्यात्मक मन्त्र बहुत कम हैं। यजुर्वेद में दो शाखा हैं: दक्षिण भारत में प्रचलित कृष्ण यजुर्वेद और उत्तर भारत में प्रचलित शुक्ल यजुर्वेद शाखा। जहां ॠग्वेद की रचना सप्त-सिन्धु क्षेत्र में हुई थी वहीं यजुर्वेद की रचना कुरुक्षेत्र के प्रदेश में हुई।। ब्रज डिस्कवरी कुछ लोगों के मतानुसार इसका रचनाकाल १४०० से १००० ई.पू.

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रस-मलाई

रस-मलाई उत्तरी एवं पूर्वी भारत की एक मिठाई है। इसका मूल भी भारतीय उपमहाद्वीप में ही है। इसमें छेना का एक रसहुल्ला जैसा आकार होता है जो मलाई के रस में डूबा रहता है। यह रस प्रायः केसर युक्त होने के कारण पीले रंग का रहता है। उसके ऊपर कतरी हुई मेवा पड़ी रहती है। श्री के.सी.दास के पड़पोतों के अनुसार ये मिठाई बंगाली मूल की है एवं इसका आविष्कार श्री दास ने ही किया था। रसमलाई एक प्रकार का पकवान है जो दूध, छेना तथा चीनी से बनाया जाता है। .

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रसम पगड़ी

रसम पगड़ी या रसम दस्तार (पंजाबी: ਰਸਮ ਪਗੜੀ, उर्दू) उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है जिसका पालन हिन्दू, सिख और मुस्लिम सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीक़े से पगड़ी (जिसे दस्तार भी कहते हैं) बाँधी जाती है। क्योंकि पगड़ी इस क्षेत्र के समाज में इज्ज़त का प्रतीक है इसलिए इस रस्म से दर्शाया जाता है के परिवार के मान-सम्मान और कल्याण की ज़िम्मेदारी अब इस पुरुष के कन्धों पर है। रसम पगड़ी का संस्कार या तो अंतिम संस्कार के चौथे दिन या फिर तेहरवीं को आयोजित किया जाता है। .

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रसगुल्ला

रसगुल्ला एक भारतीय पकवान है, जो छेना तथा चीनी से बनाया जाता है। यह मुख्य रूप से ओड़िसा और पश्चिम बंगाल में लोकप्रिय है। आवश्यक सामग्री - .

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राम प्रसाद 'बिस्मिल'

राम प्रसाद 'बिस्मिल' (११ जून १८९७-१९ दिसम्बर १९२७) भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की क्रान्तिकारी धारा के एक प्रमुख सेनानी थे, जिन्हें ३० वर्ष की आयु में ब्रिटिश सरकार ने फाँसी दे दी। वे मैनपुरी षड्यन्त्र व काकोरी-काण्ड जैसी कई घटनाओं में शामिल थे तथा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य भी थे। राम प्रसाद एक कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे। बिस्मिल उनका उर्दू तखल्लुस (उपनाम) था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है आत्मिक रूप से आहत। बिस्मिल के अतिरिक्त वे राम और अज्ञात के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे। ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी (निर्जला एकादशी) विक्रमी संवत् १९५४, शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में जन्मे राम प्रसाद ३० वर्ष की आयु में पौष कृष्ण एकादशी (सफला एकादशी), सोमवार, विक्रमी संवत् १९८४ को शहीद हुए। उन्होंने सन् १९१६ में १९ वर्ष की आयु में क्रान्तिकारी मार्ग में कदम रखा था। ११ वर्ष के क्रान्तिकारी जीवन में उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं और स्वयं ही उन्हें प्रकाशित किया। उन पुस्तकों को बेचकर जो पैसा मिला उससे उन्होंने हथियार खरीदे और उन हथियारों का उपयोग ब्रिटिश राज का विरोध करने के लिये किया। ११ पुस्तकें उनके जीवन काल में प्रकाशित हुईं, जिनमें से अधिकतर सरकार द्वारा ज़ब्त कर ली गयीं। --> बिस्मिल को तत्कालीन संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध की लखनऊ सेण्ट्रल जेल की ११ नम्बर बैरक--> में रखा गया था। इसी जेल में उनके दल के अन्य साथियोँ को एक साथ रखकर उन सभी पर ब्रिटिश राज के विरुद्ध साजिश रचने का ऐतिहासिक मुकदमा चलाया गया था। --> .

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रायता

रायता दही आधारित एक भारतीय व्यंजन है। रायता बनाने के लिए दही को मथ कर इसमे प्याज, ककडी़, खीरा, टमाटर, या बेसन की बूंदी या अनन्नास आदि भोज्य सामग्री मिलाई जाती हैं। इन सबके अलावा इसमे भुना हुआ जीरा, हींग और कभी कभी पुदीना भी मिलाया जाता है। इसे बिरयानी, कबाब आदि व्यंजनों के साथ एक सहायक व्यंजन के तौर पर पेश किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार दही के साथ खीरे का प्रयोग वर्जित है। .

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राजपूत

राजपूत उत्तर भारत का एक क्षत्रिय कुल माना जाता है।जो कि राजपुत्र का अपभ्रंश है। राजस्थान को ब्रिटिशकाल मे राजपूताना भी कहा गया है। पुराने समय में आर्य जाति में केवल चार वर्णों की व्यवस्था थी। राजपूत काल में प्राचीन वर्ण व्यवस्था समाप्त हो गयी थी तथा वर्ण के स्थान पर कई जातियाँ व उप जातियाँ बन गईं थीं। कवि चंदबरदाई के कथनानुसार राजपूतों की 36 जातियाँ थी। उस समय में क्षत्रिय वर्ण के अंतर्गत सूर्यवंश और चंद्रवंश के राजघरानों का बहुत विस्तार हुआ। .

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राजस्थान की रूपरेखा

यह रूपरेखा राजस्थान के बारे में एक सामयिक पथप्रदर्शक है। राजस्थान – क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत गणराज्य का सबसे बड़ा राज्य है। यह भारत के उत्तर-पश्चिम इलाके में स्थित है। इसमें थार रेगिस्तान नामक बहुत विशाल बंजर भूभाग शामिल है जिसे ग्रेट (great) भारतीय रेगिस्तान भी कहा जाता है जो पश्चिम में पाकिस्तान की सीमा तक सतलुज-सिंधु नदी घाटी तक फैला हुआ है। राजस्थान की सीमाएँ दक्षिण-पश्चिम में गुजरात उत्तर-पूर्व में हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश तथा उत्तर में पंजाब से लगती हैं। राजस्थान, भारत के 10.4% भूभाग में फैला हुआ है जिसका कुल क्षेत्रफल 342,239 वर्ग किलोमीटर है। .

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राजवंशी

राजवंशी भारत का एक प्राचीन राजवंशी (Rajvanshi) यह लोग प्राचीन काल मेंं शिवलिंग को कंधा पर रखा करते थे। नाग कुल के नाग राजाओं ने अपने धार्मिक अनुष्ठान के समय मेंं शिवलिंग को अपने कन्धोंं पर उठाकर शिव को सम्मानित करते थे| उत्तर भारत गंगा घाटी विंध्य क्षेत्र कान्तिपुर और मिर्ज़ापुर मेंं इनकी राजधानी थी। काशी (वाराणसी) मेंं गंगा तट पर दश अश्व मेघ यज्ञ किये जिसके कारण भार वहन करने से इनका नाम भारशिव पड़ा और काशी (वाराणसी मेंं) दशाश्वमेघ घाट आज भी प्रसिध्द एवं मौजूद है। साधारण जनता ने अज्ञानता एवं मूर्खता से इनको भर कहने लगी। कालान्तर युग में ये लोग राजभर क्षत्रिय नाम से प्रचलित हुये |.

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रैबारी

रबारी, रैबारी राईका, गोपालक एव देसाई के नाम से जानेवाली  यह एक अति प्राचीन क्षत्रिय जाती है। जिसके मूल सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़े हुए हैं खेती और पशुपालन भारतीय लोगो का मुख्य व्यवसाय रहा है।  इस जाती के लोग भी इसी  व्यवसाई से जुड़े हुए लोग है।  रैबारी उत्तर भारत की एक प्रमुख एव प्राचीन जनजाति है।  इन्हें अहीर जाति के एक शाखा माना जाता है.

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रूमाली रोटी

रुमाली रोटी (उर्दु: رومالی روٹی) भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भागों, विशेषकर उत्तर भारत एवं पाकिस्तान में प्रचलित एक बहुत पतली मैदा से बनी रोटी होती है। इसे प्रायः कबाब के संग खाया जाता है। यह मुगलई खानपान का अभिन्न अंग है। इसका नाम रुमाल से निकला है, क्योंकि ये रुमाल की तरह पतली होती है, व तह कर रखी जाती है। श्रेणी:उत्तर भारतीय खाना श्रेणी:भारतीय खाना.

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लस्सी ते चा

लस्सी ते चा (अर्थ: लस्सी और चाय) अनवर मसूद द्वारा रचित पंजाबी भाषा की एक प्रसिद्ध व्यंग्य कविता है जो भारतीय और पाकिस्तानी पंजाब दोनों में लोकप्रिय है। इस कविता में उत्तर भारत और पाकिस्तान के दोनों लोकप्रिय पेय, लस्सी और चाय का एक काल्पनिक विवाद व्यंग्यपूर्ण अंदाज़ में दर्शाया है। .

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लाल सिर वाला गिद्ध

लाल सिर वाला गिद्ध (Sarcogyps calvus) जिसे एशियाई राजा गिद्ध, भारतीय काला गिद्ध और पौण्डिचैरी गिद्ध भी कहते हैं, भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाने वाला गिद्ध है। .

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शमा सिकंदर

शमा सिकंदर गैसावत का जन्म राजस्थान के मकराना शहर में ४ अगस्त १९८१ को हुआ था। शमा एक भारतीय अभिनेत्री और फिल्म निर्माता हैं। शमा ने अंग्रेज़ी भाषा, हिन्दी भाषाओें के साथ उत्तर भारत और दक्षिण भारत की भाषाओं में कई फिल्मों, संगीत वीडियो और टेलीविजन कार्यक्रमों में काम किया है। अभिनय के अलावा, सिकंदर चॉकलेट बॉक्स फिल्म्स इंडिया प्राइवेट (लिमिटेड मुंबई भारत आधारित फिल्म निर्माण कंपन के प्रबंध निदेशक के रूप में कार्य करता है। .

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शिवाजी

छत्रपति शिवाजी महाराज या शिवाजी राजे भोसले (१६३० - १६८०) भारत के महान योद्धा एवं रणनीतिकार थे जिन्होंने १६७४ में पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी। उन्होंने कई वर्ष औरंगज़ेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया। सन १६७४ में रायगढ़ में उनका राज्याभिषेक हुआ और छत्रपति बने। शिवाजी महाराज ने अपनी अनुशासित सेना एवं सुसंगठित प्रशासनिक इकाइयों की सहायता से एक योग्य एवं प्रगतिशील प्रशासन प्रदान किया। उन्होंने समर-विद्या में अनेक नवाचार किये तथा छापामार युद्ध (Gorilla War) की नयी शैली (शिवसूत्र) विकसित की। उन्होंने प्राचीन हिन्दू राजनीतिक प्रथाओं तथा दरबारी शिष्टाचारों को पुनर्जीवित किया और फारसी के स्थान पर मराठी एवं संस्कृत को राजकाज की भाषा बनाया। भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में बहुत से लोगों ने शिवाजी के जीवनचरित से प्रेरणा लेकर भारत की स्वतन्त्रता के लिये अपना तन, मन धन न्यौछावर कर दिया। .

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श्रीरामचरितमानस

गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीरामचरितमानस का आवरण श्री राम चरित मानस अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा १६वीं सदी में रचित एक महाकाव्य है। इस ग्रन्थ को हिंदी साहित्य की एक महान कृति माना जाता है। इसे सामान्यतः 'तुलसी रामायण' या 'तुलसीकृत रामायण' भी कहा जाता है। रामचरितमानस भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है। उत्तर भारत में 'रामायण' के रूप में बहुत से लोगों द्वारा प्रतिदिन पढ़ा जाता है। शरद नवरात्रि में इसके सुन्दर काण्ड का पाठ पूरे नौ दिन किया जाता है। रामायण मण्डलों द्वारा शनिवार को इसके सुन्दरकाण्ड का पाठ किया जाता है। श्री रामचरित मानस के नायक राम हैं जिनको एक महाशक्ति के रूप में दर्शाया गया है जबकि महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण में श्री राम को एक मानव के रूप में दिखाया गया है। तुलसी के प्रभु राम सर्वशक्तिमान होते हुए भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। त्रेता युग में हुए ऐतिहासिक राम-रावण युद्ध पर आधारित और हिन्दी की ही एक लोकप्रिय भाषा अवधी में रचित रामचरितमानस को विश्व के १०० सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में ४६वाँ स्थान दिया गया। .

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शेर शाह सूरी

शेरशाह सूरी (1472-22 मई 1545) (फारसी/पश्तो: فريد خان شير شاہ سوري, जन्म का नाम फ़रीद खाँ) भारत में जन्मे पठान थे, जिन्होनें हुमायूँ को 1540 में हराकर उत्तर भारत में सूरी साम्राज्य स्थापित किया था। शेरशाह सूरी ने पहले बाबर के लिये एक सैनिक के रूप में काम किया था जिन्होनें उन्हे पदोन्नति कर सेनापति बनाया और फिर बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया। 1537 में, जब हुमायूँ कहीं सुदूर अभियान पर थे तब शेरशाह ने बंगाल पर कब्ज़ा कर सूरी वंश स्थापित किया था। सन् 1539 में, शेरशाह को चौसा की लड़ाई में हुमायूँ का सामना करना पड़ा जिसे शेरशाह ने जीत लिया। 1540 ई. में शेरशाह ने हुमायूँ को पुनः हराकर भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया और शेर खान की उपाधि लेकर सम्पूर्ण उत्तर भारत पर अपना साम्रज्य स्थापित कर दिया। एक शानदार रणनीतिकार, शेर शाह ने खुद को सक्षम सेनापति के साथ ही एक प्रतिभाशाली प्रशासक भी साबित किया। 1540-1545 के अपने पांच साल के शासन के दौरान उन्होंने नयी नगरीय और सैन्य प्रशासन की स्थापना की, पहला रुपया जारी किया है, भारत की डाक व्यवस्था को पुनः संगठित किया और अफ़गानिस्तान में काबुल से लेकर बांग्लादेश के चटगांव तक ग्रांड ट्रंक रोड को बढ़ाया। साम्राज्य के उसके पुनर्गठन ने बाद में मुगल सम्राटों के लिए एक मजबूत नीव रखी विशेषकर हुमायूँ के बेटे अकबर के लिये। .

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शीरमाल

शीरमाल (ﺸﻴر ماﻝ), केसर के स्वाद वाली मैदा व दूध से बनी अवधी खानपान व पाकिस्तानी खान्पान की एक रोटी होती है। .

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सफ़ेद गिद्ध

स्पेन के मैड्रिड स्थित एक चिड़ियाघर में सफ़ेद गिद्ध सफ़ेद गिद्ध (Egyptian Vulture) (Neophron percnopterus) पुरानी दुनिया (जिसमें दोनों अमरीकी महाद्वीप शामिल नहीं होते) का गिद्ध है जो पहले पश्चिमी अफ़्रीका से लेकर उत्तर भारत, पाकिस्तान और नेपाल में काफ़ी तादाद में पाया जाता था किन्तु अब इसकी आबादी में बहुत गिरावट आयी है और इसे अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ ने संकटग्रस्त घोषित कर दिया है। भारत में जो उपप्रजाति पाई जाती है उसका वैज्ञानिक नाम (Neophron percnopterus ginginianus) है। उत्तर भारत के अलावा भारत में अन्य जगह यह प्रवासी पक्षी है। .

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सरसों का तेल

सरसों का तेल सरसों के तेल शब्द का इस्तेमाल तीन भिन्न प्रकार के तेलों के लिए किया जाता है जो सरसों के बीज से बने होते हैं।.

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सांध्य सुंदरी

सांध्य सुंदरी एक शर्बत है। श्रेणी:उत्तर भारत का खाना श्रेणी:शर्बत.

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स्तॅपी

मंगोलिया में स्तॅपी पर लगे खेमे बसंत के मौसम में रूस के इलोवलिंसकी ज़िले में स्तॅपी की घास में खिले जंगली फूल मंगोलियाई स्तॅपी में अश्वधावन स्तॅप, स्तॅपी या स्टेपी (अंग्रेज़ी: steppe, रूसी: степь) यूरेशिया के समशीतोष्ण (यानि टॅम्प्रेट) क्षेत्र में स्थित विशाल घास के मैदानों को कहा जाता है। यहाँ पर वनस्पति जीवन घास, फूस और छोटी झाड़ों के रूप में अधिक और पेड़ों के रूप में कम देखने को मिलता है। यह पूर्वी यूरोप में युक्रेन से लेकर मध्य एशिया तक फैले हुए हैं। स्तॅपी क्षेत्र का भारत और यूरेशिया के अन्य देशों के इतिहास पर बहुत गहरा प्रभाव रहा है। ऐसे घासदार मैदान दुनिया में अन्य स्थानों में भी मिलते हैं: इन्हें यूरेशिया में "स्तॅपी", उत्तरी अमेरिका में "प्रेरी" (prairie), दक्षिण अमेरिका में "पाम्पा" (pampa) और दक्षिण अफ़्रीका में "वॅल्ड" (veld) कहा जाता है। स्तॅपी में तापमान ग्रीष्मऋतु में मध्यम से गरम और शीतऋतु में ठंडा रहता है। गर्मियों में दोपहर में तापमान ४० °सेंटीग्रेड और सर्दियों में रात को तापमान -४० °सेंटीग्रेड तक जा सकता है। कुछ क्षेत्रों में दिन और रात के तापमान में भी बहुत अंतर होता है: मंगोलिया में एक ही दिन में सुबह के समय ३० °सेंटीग्रेड और रात के समय शून्य °सेंटीग्रेड तक तापमान जा सकता है। अलग-अलग स्तॅपी इलाक़ों में भिन्न मात्राओं में बर्फ़ और बारिश पड़ती है। कुछ क्षेत्र बड़े शुष्क हैं जबकि अन्य भागों में सर्दियों में भारी बर्फ़ पड़ती है। .

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स्वर्गारोहिणी पर्वत शिखर

स्वर्गारोहिणी उत्तर भारत में हिमालय पर्वतमाला का एक पर्वत शिखर है। यह उत्तराखण्ड राज्य के उत्तरकाशी जिले में आता है। यह गढ़वाल हिमालय के सरस्वती रेन्ज (बन्दरपूंछ) का एक पर्वत पुंजक या समूह है जो गंगोत्री शिखर समूह के पश्चिमी ओर पड़ता है। इसमें चार पृथक शिखर आते हैं: स्वर्गारोहिणी मुख्य शिखर, जो इस लेख का केन्द्र है किन्तु हिमालयी मानकों के अनुसार तो विशेष ऊंचाई का है और न ही बन्दरपूछ शृंखला का सबसे ऊंचा पर्वत है। इसका उत्तर मुख २ किलोमीटर से भी कम में ही २००० मी॰ (६५६० फ़ी॰) तक आ जाता है एवं दक्षिणी मुख में इतना ही ऊंचा रह जाता है। कारण इसकी चढ़ाई खड़ी और चुनौतीपूर्ण जाती है। इसके पूर्वि शिखर की ऊंचाई है, जो पश्चिमि शिखर से कुछ कम है। हालांकि पश्चिमी शिखर के प्रथम आरोही दावा करते हैं कि यह अन्य दोनों शिखरों से ऊंचा है।Kamal K. Guha, "Swargarohini", American Alpine Journal, 1976, p. 527.

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सूजी

सूजी का चित्र दुरुम गेहूं के दानेदार, शुद्धिकृत गेहूं के टुकड़े को सूजी कहते हैं जिसका उपयोग पास्ता बनाने के लिये और नाश्ते के अनाज और हलवे के लिये भी किया जाता है। .

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सेब का शर्बत

सेब का शर्बत एक शर्बत है। श्रेणी:उत्तर भारत का खाना श्रेणी:शर्बत.

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सोनारगाँव

बड़ा सरदार बरी के खण्डहर, यह सोनारगाँव में एक भवन है। सोनारगाँव बंगाल में इसा खान के साम्राज्य की प्राचीन राजधानी है। यह वर्तमान नगर नारायणगंज, बांग्लादेश में स्थित है। महान मुस्लिम यात्री इब्न बतूता १४वीं सदी में यहाँ आया था। यह शेर शाह सूरी मार्ग का पूर्वी छोर है, जिसे शेर शाह सूरी द्वरा १६वीं सदी में बनवाया गया था और २,५०० किमी लम्बा यह मार्ग उत्तर भारत से होते हुए पाकिस्तान के उत्तर-पूर्वी सीमान्त प्रदेश के पेशावर में समाप्त होता है। .

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हफथाली लोग

५०० ईसवी के नक़्शे में हफथाली ख़ानत​ उद्यान के राजा लखन (लखन उदयादित्य) का सिक्का हफथाली (Hephthalites) मध्य एशिया में ५वीं और ६ठी सदी ईसवी में रहने वाली एक ख़ानाबदोश जाति थी। भारत में यह श्वेत हूण और तुरुष्क के नाम से भी जाने जाते थे। चीनी सूत्रों के हवाले से यह पहले चीन की महान दीवार से उत्तर में रहने वाले युएझ़ी लोग थे।, Encyclopaedia Britannica, 1973, ISBN 978-0-85229-173-3,...

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हरियाणा

हरियाणा उत्तर भारत का एक राज्य है जिसकी राजधानी चण्डीगढ़ है। इसकी सीमायें उत्तर में हिमाचल प्रदेश, दक्षिण एवं पश्चिम में राजस्थान से जुड़ी हुई हैं। यमुना नदी इसके उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश राज्यों के साथ पूर्वी सीमा को परिभाषित करती है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली हरियाणा से तीन ओर से घिरी हुई है और फलस्वरूप हरियाणा का दक्षिणी क्षेत्र नियोजित विकास के उद्देश्य से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शामिल है। यह राज्य वैदिक सभ्यता और सिंधु घाटी सभ्यता का मुख्य निवास स्थान है। इस क्षेत्र में विभिन्न निर्णायक लड़ाइयाँ भी हुई हैं जिसमें भारत का अधिकत्तर इतिहास समाहित है। इसमें महाभारत का महाकाव्य युद्ध भी शामिल है। हिन्दू मतों के अनुसार महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में हुआ (इसमें भगवान कृष्ण ने भागवत गीता का वादन किया)। इसके अलावा यहाँ तीन पानीपत की लड़ाइयाँ हुई। ब्रितानी भारत में हरियाणा पंजाब राज्य का अंग था जिसे १९६६ में भारत के १७वें राज्य के रूप में पहचान मिली। वर्तमान में खाद्यान और दुध उत्पादन में हरियाणा देश में प्रमुख राज्य है। इस राज्य के निवासियों का प्रमुख व्यवसाय कृषि है। समतल कृषि भूमि निमज्जक कुओं (समर्सिबल पंप) और नहर से सिंचित की जाती है। १९६० के दशक की हरित क्रान्ति में हरियाणा का भारी योगदान रहा जिससे देश खाद्यान सम्पन्न हुआ। हरियाणा, भारत के अमीर राज्यों में से एक है और प्रति व्यक्ति आय के आधार पर यह देश का दूसरा सबसे धनी राज्य है। वर्ष २०१२-१३ में देश में इसकी प्रति-व्यक्ति १,१९,१५८ (अर्थव्यवस्था के आकार के आधार पर भारत के राज्य देखें) और वर्ष २०१३-१४ में १,३२,०८९ रही। इसके अतिरिक्त भारत में सबसे अधिक ग्रामीण करोड़पति भी इसी राज्य में हैं। हरियाणा आर्थिक रूप से दक्षिण एशिया का सबसे विकसित क्षेत्र है और यहाँ कृषि एवं विनिर्माण उद्योग ने १९७० के दशक से निरंतर वृद्धि का प्राप्त की है। भारत में हरियाणा यात्रि कारों, द्विचक्र वाहनों और ट्रैक्टरों के निर्माण में सर्वोपरी राज्य है। भारत में प्रति व्यक्ति निवेश के आधार पर वर्ष २००० से राज्य सर्वोपरी स्थान पर रहा है। .

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हरियाणा के मण्डल

उत्तर भारत में स्थित हरियाणा जनसंख्या के हिसाब से भारत का १७वां सबसे बड़ा राज्य है। जनसामान्य को बेहतर प्रशासनिक सेवाएं देने के लिये राज्य को ६ मण्डलों तथा २२ जिलों में विभाजित किया गया है। निम्नलिखित सूची हरियाणा राज्य के मण्डलों की है: .

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हरियाणा के जिले

उत्तर भारत में स्थित हरियाणा जनसंख्या के हिसाब से भारत का १७वां सबसे बड़ा राज्य है। जनसामान्य को बेहतर प्रशासनिक सेवाएं देने के लिये राज्य को ६ मण्डलों तथा २२ जिलों में विभाजित किया गया है। १ नवंबर १९६६ को जब तत्कालीन पूर्वी पंजाब के विभाजन द्वारा हरियाणा राज्य की स्थापना हुई थी, तब राज्य में ७ जिले थे; रोहतक, जींद, हिसार, महेंद्रगढ़, गुडगाँव, करनाल तथा अम्बाला। २०१७ तक इन जिलों के पुनर्गठन के बाद १४ नए जिले जोड़े जा चुके हैं। निम्नलिखित सूची हरियाणा राज्य के जिलों की है: श्रेणी:हरियाणा के जिले श्रेणी:हरियाणा से सम्बन्धित सूचियाँ.

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हरियाणवी सिनेमा

हरियाणवी सिनेमा उत्तर भारत के राज्य हरियाणा का प्रमुख सिनेमा है जो हरियाणवी भाषा में फिल्मों को प्रस्तुत करता है। .

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हिण्डन नदी

हिण्डन नदी, उत्तरी भारत में यमुना नदी की एक सहायक नदी है। इसका पुरातन नाम हरनदी या हरनंदी भी था। इसका उद्गम सहारनपुर जिला में निचले हिमालय क्षेत्र के ऊपरी शिवालिक पर्वतमाला में स्थित है। यह पूर्णत: वर्षा-आश्रित नदी है और इसका बेसिन क्षेत्र ७,०८३ वर्ग कि॰ मी॰ है। यह गंगा और यमुना नदियों के बीच लगभग ४०० कि॰ मी॰ की लम्बाई में मुज़फ्फरनगर जिला, मेरठ जिला, बागपत जिला, गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा से निकलते हुए दिल्ली से कुछ दूरी पर यमुना मिल जाती है। कभी महानगर की पहचान मानी जाने वाली हिंडन नदी का अस्तित्व खतरे में है। इसका पानी पीने लायक तो कभी रहा नहीं, अब इस नदी में प्रदूषण इतना बढ़ चुका है कि जलीय प्राणियों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। ऐसे में हिंडन नदी अब केवल शोध करने तक ही सीमित रह गई है। इसमें ऑक्सीजन की मात्रा लगातार घटती जा रही है। वर्षा ऋतु में भी यह लगभग जलविहीन रहती है। नदी में लगातार औद्योगिक अपशिष्ट व पूजन सामग्री आदि डाले जाने से उसमें घुलित ऑक्सीजन की मात्रा दो से तीन मिलीग्राम प्रति लीटर रह गई है। शोधकर्ता डॉ॰ प्रसूम त्यागी के अनुसार प्रायः ऑक्सीजन का स्तर ६० लाख मिलीग्राम प्रति लीटर या ज्यादा होना चाहिए। यही कारण है कि नदी में मोहन नगर व छगारसी के पास ही जलीय जीवन के नाम पर केवल काइरोनॉस लार्वा ही बचा है, जो भारी जल प्रदूषण का संकेत है। यह सूक्ष्म जीव की श्रेणी में आता है। हिंडन नदी में मोहन नगर औद्योगिक क्षेत्र से डिस्टलरी का अपशिष्ट, वेस्ट डिस्चार्ज, धार्मिक पूजन सामग्री व मलमूत्र मिलते हैं। इसके बाद छगारसी ग्राम में पशुओं को नहलाना व खनन आदि होता है, जिसके कारण प्रदूषण में बढोत्तरी होती है। लगभग दस साल पहले तक नदी में अनेक कशेरुकी प्राणी, मछलियां व मेढ़क आदि मिलते थे, जो कि वर्तमान में मात्र सूक्ष्मजीव, काइरोनॉमस लार्वा, नेपिडी, ब्लास्टोनेटिडी, फाइसीडी, प्लैनेरोबिडी परिवार के सदस्य ही बचे हैं। .

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हिण्डौन

हिण्डौन राजस्थान राज्य का ऐतिहासिक व पौराणिक शहर है। यह शहर अरावली पहाड़ी के समीप स्थित है। प्राचीनकाल में हिण्डौन शहर मत्स्य के अंतर्गत आता था। मत्स्य शासन के दौरान बनाए गई प्राचीन इमारतें आज भी मौजूद हैं। भागवतपुराण के अनुसार हिण्डौन, भक्त प्रहलाद व हिरण्यकश्यप की कर्म भूमि रही है। महाभारतकाल की राक्षसी हिडिम्बा भी इसी शहर में रहा करती थी। हिण्डौन, ऐतिहासिक मंदिरों व इमारतों का गढ़ माना जाता है, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह एक प्रमुख औद्योगिक नगर है। यह नगर राजस्थान के पूर्व में हिण्डौन उपखण्ड में बसा हुआ है। प्रदेश की राजधानी जयपुर से 156 किलोमीटर पूर्व स्थित है। यह नगर देश में लाल पत्थरों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यताओं के बहुत मंदिर यहाँ स्थित है। यह शहर राजस्थान के करौली-धौलपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है एवं इस शहर का विधान सभा क्षेत्र हिण्डौन विधानसभा क्षेत्र(राजस्थान) लगता है। यहाँ का नक्कश की देवी - गोमती धाम का मंदिर तथा महावीर जी का मंदिर पूरे राजस्थान में प्रसिद्ध है ! हिण्डौन शहर अरावली पर्वत श़ृंखला की गोद में बसा हुआ क्षेत्र है !यहाँ की आबादी लगभग 1.35 लाख है। अमृत योजना में 151 करोड़ राजस्थान सरकार द्वारा स्वीक्रत किये गये हैं। .

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हिन्दुस्तान (समाचार पत्र)

दैनिक हिन्दुस्तान हिन्दी का दैनिक समाचार पत्र है। यह १९३२ में शुरु हुआ था। इसका उद्घाटन महात्मा गांधी ने किया था। १९४२ का भारत छोड़ो आन्दोलन छिड़ने पर `हिन्दुस्तान' लगभग ६ माह तक बन्द रहा। यह सेंसरशिप के विरोध में था। एक अग्रलेख पर ६ हजार रुपये की जमानत माँगी गई। देश के स्वाधीन होने तक `हिन्दुस्तान का मुख्य राष्ट्रीय आन्दोलन को बढ़ावा देना था। इसे महात्मा गाँधी व काँग्रेस का अनुयायी पत्र माना जाता था। गाँधी-सुभाष पत्र व्यवहार को हिन्दुस्तान' से अविकल रूप से प्रकाशित किया। हिन्दुस्तान' में क्रांतिकारी यशपाल की कहानी कई सप्ताह तक रोचक दर से प्रकाशित हुई। राजस्थान में राजशाही के विरुद्ध आंदोलनों के समाचार इस पत्र में प्रमुखता से प्रकाशित होते रहे। हैदराबाद सत्याग्रह का पूर्ण `हिन्दुस्तान' ने समर्थन किया। देवदास गाँधी के मार्गदर्शन में इस पत्र ने उच्च आदर्शों को अपने साथ रखा और पत्रकारिता की स्वस्थ परम्पराएँ स्थापितकी। गाँधीजी के प्रार्थना प्रवचन पं जवाहरलाल नेहरू व सरदार वल्लभ भाई पटेल के भाषण अविकल रूप से `हिन्दुस्तान' में छपते रहे। दैनिक `हिन्दुस्तान' का पटना (बिहार) से भी संस्करण प्रकाशित हो रहा है। .

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हिमालयी तहर

हिमालयी तहर Himalayan tahr (Hemitragus jemlahicus) जंगली बकरी से संबन्धित एक एशियाई समखुरीयगण प्राणी है। तहर प्रजाति के तीन बची हुई जातियाँ हैं और तीनों एशिया में ही पाई जाती हैं। यह हिमालय में दक्षिणी तिब्बत, उत्तरी भारत और नेपाल का मूल निवासी है। इसे न्यूजीलैंड, दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों और दक्षिण अफ्रीका में एक विदेशी प्रजाति के रूप में रोपित किया गया है। इन क्षेत्रों में इसकी आबादी को नियंत्रित करने और इन इलाकों के पारिस्थितिकी तंत्र पर इसके आने से पड़े प्रभाव को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। .

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हव्यक

हव्यक ब्राह्मण हिन्दु पंच द्राविड वैदिक ब्राह्मणों में एक है। इन्हे "हवीका", "हैगा" तथा "हवीगा" नाम से भी जाना जाता है। वर्तमान में अधिकांश हव्यक भारत का कर्नाटक राज्य के निवासी हैं। हव्यक, आदि शंकराचार्य द्वारा प्रतिपादित अद्वैत दर्शन को मान्ते हैं। .

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जम्मू

जम्मू (جموں, पंजाबी: ਜੰਮੂ), भारत के उत्तरतम राज्य जम्मू एवं कश्मीर में तीन में से एक प्रशासनिक खण्ड है। यह क्षेत्र अपने आप में एक राज्य नहीं वरन जम्मू एवं कश्मीर राज्य का एक भाग है। क्षेत्र के प्रमुख जिलों में डोडा, कठुआ, उधमपुर, राजौरी, रामबन, रियासी, सांबा, किश्तवार एवं पुंछ आते हैं। क्षेत्र की अधिकांश भूमि पहाड़ी या पथरीली है। इसमें ही पीर पंजाल रेंज भी आता है जो कश्मीर घाटी को वृहत हिमालय से पूर्वी जिलों डोडा और किश्तवार में पृथक करता है। यहाम की प्रधान नदी चेनाब (चंद्रभागा) है। जम्मू शहर, जिसे आधिकारिक रूप से जम्मू-तवी भी कहते हैं, इस प्रभाग का सबसे बड़ा नगर है और जम्मू एवं कश्मीर राज्य की शीतकालीन राजधानी भी है। नगर के बीच से तवी नदी निकलती है, जिसके कारण इस नगर को यह आधिकारिक नाम मिला है। जम्मू नगर को "मन्दिरों का शहर" भी कहा जाता है, क्योंकि यहां ढेरों मन्दिर एवं तीर्थ हैं जिनके चमकते शिखर एवं दमकते कलश नगर की क्षितिजरेखा पर सुवर्ण बिन्दुओं जैसे दिखाई देते हैं और एक पवित्र एवं शांतिपूर्ण हिन्दू नगर का वातावरण प्रस्तुत करते हैं। यहां कुछ प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ भी हैं, जैसे वैष्णो देवी, आदि जिनके कारण जम्मू हिन्दू तीर्थ नगरों में गिना जाता है। यहाम की अधिकांश जनसंख्या हिन्दू ही है। हालांकि दूसरे स्थान पर यहां सिख धर्म ही आता है। वृहत अवसंरचना के कारण जम्मू इस राज्य का प्रमुख आर्थिक केन्द्र बनकर उभरा है। .

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जमूरा

जमूरा प्रदर्शक-कलाकार ज़्यादादर उत्तर भारत और पाकिस्तान के कलओ में मौजूद होते है। जमूरा (Jamoora) एक प्रदर्शक-कलाकार होता है जो भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर भाग (विशेषकर उत्तर भारत और पाकिस्तान) के भांड, तमाशा और नौटंकी जैसी लोक-नाटक शैलियों में एक सहायक का काम करता है।, रामसिंह जाखड़, हरियाणा साहित्य मंडल, १९९१,...

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ज्वारासुर

हिंदू पौराणिक कथाओं अनुसार, ज्वारासुर बुखार के दानव और शीतला देवी का जीवनसाथी है। .

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जोगिन्दर जसवन्त सिंह

जनरल जोगिन्दर जसवन्त सिंह पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएसएम, एडीसी (जन्म: ११ सितम्बर १९४५) भारतीय थल सेना के बाईसवें सेनाध्यक्ष थे। वह ३१ जनवरी २००५ से ३० सितम्बर २००७ तक सेना प्रमुख के रूप में कार्यरत रहे। सिंह को २७ नवंबर २००४ को जनरल एन सी विज की सेवानिवृति के बाद सेनाध्यक्ष नियुक्त किया गया था, और ३१ जनवरी २००५ को सेवानिवृत्त होने तक वह इस पद पर रहे। उनके बाद जनरल दीपक कपूर थल सेना के अगले सेनाध्यक्ष बने। जोगिन्दर जसवन्त सिंह भारतीय सेना का नेतृत्व करने वाले पहले सिख सिपाही हैं, और चण्डीमन्दिर में स्थित पश्चिमी कमान से आने वाले ग्यारहवें सैन्य प्रमुख हैं। सेवानिवृत्ति के बाद वह २७ जनवरी २००८ को अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल बने। .

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जोइया

सन् 200 ई॰ (अनुमानित) में प्राचीन यौधेय परिसंघ द्वारा ज़र्ब किया गया सिक्का जोइया (उर्दू) या जोहिया उत्तर भारत और पाकिस्तान की एक चंद्रवंशी राजपूत उपजाति है। जोइया हिन्दू भी होते हैं और मुसलमान भी। भारत में यह हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में रहते हैं, जबकि पाकिस्तान में यह पंजाब प्रांत में मिलते हैं। माना जाता है के आधुनिक जोइया जाति प्राचीन यौधेय क़बाइली परिसंघ की संतति है जो सिन्धु और गंगा के दरम्यानी क्षेत्र में (ख़ासकर सतलुज नदी के पास) बसा करती थी। .

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घेवर

घेवर छप्पन भोग के अन्तर्गत प्रसिद्ध व्यंजन हॅ। यह मैदे से बना, मधुमक्खी के छत्ते की तरह दिखाई देने वाला एक ख़स्ता और मीठा पकवान है। सावन माह की बात हो और उसमें घेवर का नाम ना आए तो कुछ अटपटा लगेगा। घेवर, सावन का विशेष मिष्ठान माना जाता है। हालाँकि अब घेवर की माँग अन्य मिठाइयों के सामने कुछ कम हुई है लेकिन फिर भी आज कुछ लोग घेवर को ही महत्व देते हैं। सावन में तीज के अवसर पर बहन-बेटियों को सिंदारा देने की परंपरा काफी पुरानी है, इसमें चाहे कितना ही अन्य मिष्ठान रख दिया जाए लेकिन घेवर होना अवश्यक होता है। इसलिए साल के विशेष समय पर बनने वाली इस पारंपरिक मिठाई घेवर का वर्चस्व टूटना संभव नहीं है, भले ही आधुनिक मिठाइयों के सामने इसकी लोकप्रियता में कुछ कमी दिखाई देती हो। सावन में इस मिष्ठान की माँग को पूरा करने के लिए छोटे हलवाई से लेकर प्रतिष्ठित हलवाई महिनों पहले काम शुरु कर देते हैं। घेवर बनाने का काम प्रत्येक गली मौहल्ले में जोर-शोर से शुरू हो जाता है। पुराने लोग बताते हैं कि बगैर घेवर के न रक्षाबंधन का सगन पूरा माना जाता है और न ही तीज का। घेवर वैश्वीकरण के दौर में आज घेवर का रूप भी बदलने लगा है, ४० से लेकर २०० रूपये प्रति किलो का घेवर बाजार में उपलब्ध है, जो जैसा दाम लगाता है उसे उसी प्रकार का माल मिल जाता है, सादा घेवर सस्ता है जबकि पिस्ता, बादाम और मावे वाला घेवर मँहगा। पिस्ता बादाम और मावे वाला घेवर ज्यादा प्रचलित हैं, हालाँकि लोगों का कहना है कि जितना आनंद सादा घेवर के सेवन में आता है उतना मेवा-घेवर में कतई नहीं। फिर भी लोग मावा-घेवर को ही खरीदना पसंद करते हैं। कुल मिला कर सावन के महीने में घेवर की खुशबू पूरे बाजार को महका देती है और तीज व रक्षाबंधन के अवसर पर घेवर की दुकानों पर भीड़ देखते ही बनती है। घेवर दो तरह को होता है, फीका और मीठा। ताज़ा घेवर नर्म और ख़स्ता होता है पर यह रखा रखा थोड़ा सख़्त होने लगता है। इस समय फीके घेवर को बेसन में लपेटकर, तलकर मज़ेदार पकौड़े बनाए जाते हैं। मीठे घेवर की पुडिंग बढ़िया बनती है। .

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वड़ा

वड़ा (IAST: vaḍa, तमिल: வடை, వడ, टुलु: ವಡೆ, ವಡೆ, വട); दक्षिण भारत का एक प्रसिद्ध व्यंजन है। इसे सांभर के संघ सांभर वड़ा, या दही के संग दही वड़ा के रूप में परोसा जाता है। तायिर वड़ा, मिर्च पावडर, चाट मसाला और धनिया पत्ती के संग '''उझुन्नु वड़ा''' (बायें किनारे), इडली और नारियल चटनी तथा सांभर के संग .

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वाराणसी

वाराणसी (अंग्रेज़ी: Vārāṇasī) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का प्रसिद्ध नगर है। इसे 'बनारस' और 'काशी' भी कहते हैं। इसे हिन्दू धर्म में सर्वाधिक पवित्र नगरों में से एक माना जाता है और इसे अविमुक्त क्षेत्र कहा जाता है। इसके अलावा बौद्ध एवं जैन धर्म में भी इसे पवित्र माना जाता है। यह संसार के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक और भारत का प्राचीनतम बसा शहर है। काशी नरेश (काशी के महाराजा) वाराणसी शहर के मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी धार्मिक क्रिया-कलापों के अभिन्न अंग हैं। वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें कबीर, वल्लभाचार्य, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, शिवानन्द गोस्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां आदि कुछ हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का परम-पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन यहीं निकट ही सारनाथ में दिया था। वाराणसी में चार बड़े विश्वविद्यालय स्थित हैं: बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज़ और संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय। यहां के निवासी मुख्यतः काशिका भोजपुरी बोलते हैं, जो हिन्दी की ही एक बोली है। वाराणसी को प्रायः 'मंदिरों का शहर', 'भारत की धार्मिक राजधानी', 'भगवान शिव की नगरी', 'दीपों का शहर', 'ज्ञान नगरी' आदि विशेषणों से संबोधित किया जाता है। प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं: "बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों (लीजेन्ड्स) से भी प्राचीन है और जब इन सबको एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।" .

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वाराणसी/आलेख

वाराणसी (अंग्रेज़ी: Vārāṇasī), जिसे बनारस) और काशी) भी कहते हैं, गंगा नदी के तट पर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में बसा शहर है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार इसका नाम वाराणसीं वरुणा ओर असि नदियों के नाम के मिलाने से बना है !जो प्राचीन समय में यहा बहती थी !इसे हिन्दू धर्म में सर्वाधिक पवित्र शहर माना जाता है और इसे अविमुक्त क्षेत्र कहा जाता है। इसके अलावा बौद्ध एवं जैन धर्म में भी इसे पवित्र माना जाता है। ये संसार के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक और भारत का प्राचीनतम बसा शहर है। काशी नरेश (काशी के महाराजा) वाराणसी शहर के मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी धार्मिक क्रिया-कलापों के अभिन्न अंग हैं। वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें कबीर, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां कुछ हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का परम-पूज्य ग्रन्थ रामचरितमानस यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन यहीं निकट ही सारनाथ में दिया था। वाराणसी में चार बड़े विश्वविद्यालय स्थित हैं: बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज़ और संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय। यहां के निवासी मुख्यतः काशिका भोजपुरी बोलते हैं, जो हिन्दी की ही एक बोली है। वाराणसी को प्रायः मंदिरों का शहर, भारत की धार्मिक राजधानी, भगवान शिव की नगरी, दीपों का शहर, ज्ञान नगरी आदि विशेषणों से संबोधित किया जाता है। प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं: "बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, दंतकथाओं (लीजेन्ड्स) से भीप्राचीन है और जब इन सबकों एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से दोगुना प्राचीन है।" .

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विश्नोई समाज

बिश्नोई समाज उत्तर भारत का एक हिन्दू सम्प्रदाय (पंथ)है जिसमें शाकाहारी जाति के लोग है जो जम्भेश्वरजी के बताए २९ नियम पर चलते है । .

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विजित एवं सत्तांतरित प्रांत

विजित एवं सत्तान्तरित प्रान्त १८०५ से १८३४ तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा शासित उत्तर भारत का एक क्षेत्र था;इसकी सीमाएं वर्तमान उत्तर प्रदेश राज्य के समान थी, हालांकि अवध के लखनऊ और फ़ैज़ाबाद मण्डल इसमें शामिल नहीं थे; इसके अलावा, इसमें दिल्ली क्षेत्र और, १८१६ के बाद, वर्तमान उत्तराखंड राज्य के कुमाऊँ मण्डल और गढ़वाल मंडल का एक बड़ा हिस्सा भी शामिल था।  १८३६ में यह क्षेत्र एक लेफ्टिनेंट-गवर्नर द्वारा प्रशासित उत्तर-पश्चिमी प्रान्त बन गया, और १९०४ में संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध के भीतर आगरा प्रान्त बन गया.

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व्यास

कोई विवरण नहीं।

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वैदिक सभ्यता

प्राचीन भारत वैदिक सभ्यता प्राचीन भारत की सभ्यता है जिसमें वेदों की रचना हुई। भारतीय विद्वान् तो इस सभ्यता को अनादि परम्परा आया हुआ मानते हैं | पश्चिमी विद्वानो के अनुसार आर्यों का एक समुदाय भारत मे लगभग 1500 इस्वी ईसा पूर्व आया और उनके आगमन के साथ ही यह सभ्यता आरंभ हुई थी। आम तौर पर अधिकतर विद्वान वैदिक सभ्यता का काल 1500 इस्वी ईसा पूर्व से 500 इस्वी ईसा पूर्व के बीच मे मानते है, परन्तु नए पुरातत्त्व उत्खननो से मिले अवशेषों मे वैदिक सभ्यता के कई अवशेष मिले हैं जिससे आधुनिक विद्वान जैसे डेविड फ्राले, तेलगिरी, बी बी लाल, एस र राव, सुभाष काक, अरविन्दो यह मानने लगे है कि वैदिक सभ्यता भारत मे ही शुरु हुई थी और ऋग्वेद का रचना शुंग काल में हुयी, क्योंकि आर्यो के भारत मे आने का न तो कोई पुरातत्त्व उत्खननो से प्रमाण मिला है और न ही डी एन ए अनुसन्धानो से कोई प्रमाण मिला है इस काल में वर्तमान हिंदू धर्म के स्वरूप की नींव पड़ी थी जो आज भी अस्तित्व में है। वेदों के अतिरिक्त संस्कृत के अन्य कई ग्रंथो की रचना भी इसी काल में हुई थी। वेदांगसूत्रौं की रचना मन्त्र ब्राह्मणग्रंथ और उपनिषद इन वैदिकग्रन्थौं को व्यवस्थित करने मे हुआ है | अनन्तर रामायण, महाभारत,और पुराणौंकी रचना हुआ जो इस काल के ज्ञानप्रदायी स्रोत मानागया हैं। अनन्तर चार्वाक, तान्त्रिकौं,बौद्ध और जैन धर्म का उदय भी हुआ | इतिहासकारों का मानना है कि आर्य मुख्यतः उत्तरी भारत के मैदानी इलाकों में रहते थे इस कारण आर्य सभ्यता का केन्द्र मुख्यतः उत्तरी भारत था। इस काल में उत्तरी भारत (आधुनिक पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा नेपाल समेत) कई महाजनपदों में बंटा था। .

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वैष्णो देवी

वैष्णो देवी मंदिर (वैष्णोदेवी मन्दिर), शक्ति को समर्पित एक पवित्रतम हिंदू मंदिर है, जो भारत के जम्मू और कश्मीर में वैष्णो देवी की पहाड़ी पर स्थित है। हिंदू धर्म में वैष्णो देवी, जो माता रानी और वैष्णवी के रूप में भी जानी जाती हैं, देवी मां का अवतार हैं। मदिर, जम्मू और कश्मीर राज्य के जम्मू जिले में कटरा नगर के समीप अवस्थित है। यह उत्तरी भारत में सबसे पूजनीय पवित्र स्थलों में से एक है। मंदिर, 5,200 फ़ीट की ऊंचाई और कटरा से लगभग 12 किलोमीटर (7.45 मील) की दूरी पर स्थित है। हर साल मंदिर का दर्शन करते हैं और यह भारत में तिरूमला वेंकटेश्वर मंदिर के बाद दूसरा सर्वाधिक देखा जाने वाला धार्मिक तीर्थ-स्थल है। इस मंदिर की देख-रेख श्री माता वैष्णो देवी तीर्थ मंडल द्वारा की जाती है। तीर्थ-यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए उधमपुर से कटरा तक एक रेल संपर्क बनाया गया है। .

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ख़ुदा

ख़ुदा ख़ुदा (फ़ारसी) बहुत सी भाषाओं में पाया जाने वाला 'ईश्वर' के लिए एक शब्द है। इसका अर्थ कभी-कभी 'मालिक' और 'मार्गदर्शक' भी निकाला जाता है। ये शब्द फारसी या पश्तून भाषा का है। ये मुख्य तौर पर ईस्लाम ओर पारसी धर्म में भगवान के लिये उपयोग होता है। .

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ख़ुबानी

ख़ुबानी एक गुठलीदार फल है। वनस्पति-विज्ञान के नज़रिए से ख़ुबानी, आलू बुख़ारा और आड़ू तीनों एक ही "प्रूनस" नाम के वनस्पति परिवार के फल हैं। उत्तर भारत और पाकिस्तान में यह बहुत ही महत्वपूर्ण फल समझा जाता है और कुछ विशेषज्ञों के अनुसार यह भारत में पिछले ५,००० साल से उगाया जा रहा है।Huxley, A., ed.

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ख़ुर्द और कलाँ

ख़ुर्द और कलाँ फ़ारसी भाषा के शब्द हैं जो हिन्दी में और भारतीय उपमहाद्वीप में कई सन्दर्भों में पाए जाते हैं, विशेषकर जगहों के नामों में। "ख़ुर्द" का मतलब "छोटा" होता है और "कलाँ" का मतलब बड़ा होता है। इन नामों को मुग़लिया ज़माने से प्रयोग किया जा रहा है। छोटी आबादी वाले गांवों-कस्बों के पीछे खुर्द शब्द लगाया गया। फ़ारसी के इस शब्द का अर्थ होता है छोटा। यह खुर्द संस्कृत के क्षुद्र से ही बना है जिसमें लघु, छोटा या सूक्ष्मता का भाव है। देश भर में खुर्द धारी गांवों की तादाद हजारों में है। इसी तरह कई गांवों के साथ कलां शब्द जुड़ा मिलता है जैसे कोसी कलां , बामनियां कलां । जिस तरह खुर्द शब्द छोटे या लघु का पर्याय बना उसी तरह कलां शब्द बड़े या विशाल का पर्याय बना। कलां का प्रयोग लगभग उसी अर्थ में होता था जैसे भारत के लिए प्राचीनकाल में बृहत्तर भारत शब्द का प्रयोग होता था जिसमें बर्मा से लेकर ईरान तक का समूचा भूक्षेत्र आता था।  हालांकि किसी यात्रावृत्त में हिन्दुस्तान कलां जैसा शब्द नहीं मिलता।  ग्रेटर ब्रिटेन की बात चलती थी तो उसके उपनिवेशों का संदर्भ निहित होता था। इसी तरह कलां शब्द की अर्थवत्ता भी ग्रामीण आबादियों के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। कलां मूलतः फ़ारसी  का शब्द है जिसका मतलब होता है वरिष्ठ, बड़ा, दीर्घ या विशाल। वैसे इसकी व्युत्पत्ति अज्ञात है। कुछ संदर्भों में इसे सेमेटिक भाषा परिवार का बताया जाता है और इसे ईश्वर की महानता से जोड़ा जाता है। कलां की अर्थवत्ता के आधार पर यह ठीक है मगर इसकी पुष्टि किसी सेमेटिक धातु से नहीं होती। कलां शब्द का प्रयोग सिर्फ स्थानों का रुतबा बताने के लिए ही नहीं होता था बल्कि व्यक्तियों के नाम भी होते थे जैसे मिर्जा कलां या अमीर कलां अल बुखारी जिसका मतलब बुखारा का महान अमीर होता है। जाहिर है यहां कलां शब्द का अर्थ महान है।   मुस्लिम शासनकाल में बसाहटों के नामकरण की महिमा यहीं खत्म नहीं होती। कई गांवों के नामों के साथ बुजुर्ग शब्द लगा मिलता है जैसे सोनपिपरी बुजुर्ग । जाहिर है हमनाम गांव से फर्क करने के लिए एक बसाहट को वरिष्ठ मानते हुए उसके आगे बुजुर्ग लगा दिया गया और दूसरा हुआ सोनपिपरी खुर्द । ऐसी कई ग्रामीण बस्तियां हजारों की संख्या में हैं। इसी तरह किसी गांव के विशिष्ट दर्जे को देखते हुए उसके साथ जागीर शब्द लगा दिया जाता था। इसका अर्थ यह हुआ कि सालाना राजस्व वसूली से उस गांव का हिस्सा सरकारी ख़जाने में नहीं जाएगा अथवा उसे आंशिक छूट मिलेगी। मुग़लों के दौर में प्रभावी व्यक्तियों को अथवा पुरस्कार स्वरूप सामान्य वर्ग के लोगो को भी गांव जागीर में दिये जाते थे। मगर उसी नाम के अन्य गांवों से फ़र्क करने के लिए नए बने जागीरदार उसके आगे जागीर जोड़ देते थे जैसे हिनौतियाऔर हिनौतिया जागीर । .

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खजला

खजला एक उत्तर भारतीय व्यंजन है। यह मुस्लिम वर्ग में अधिक लोकप्रिय है। इसका अधिकतर प्रयोग रोज़ा-इफ़्तार में बहुत होता है। श्रेणी:उत्तर भारत का खाना श्रेणी:भारतीय मिठाइयाँ.

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गणित का इतिहास

ब्राह्मी अंक, पहली शताब्दी के आसपास अध्ययन का क्षेत्र जो गणित के इतिहास के रूप में जाना जाता है, प्रारंभिक रूप से गणित में अविष्कारों की उत्पत्ति में एक जांच है और कुछ हद तक, अतीत के अंकन और गणितीय विधियों की एक जांच है। आधुनिक युग और ज्ञान के विश्व स्तरीय प्रसार से पहले, कुछ ही स्थलों में नए गणितीय विकास के लिखित उदाहरण प्रकाश में आये हैं। सबसे प्राचीन उपलब्ध गणितीय ग्रन्थ हैं, प्लिमपटन ३२२ (Plimpton 322)(बेबीलोन का गणित (Babylonian mathematics) सी.१९०० ई.पू.) मास्को गणितीय पेपाइरस (Moscow Mathematical Papyrus)(इजिप्ट का गणित (Egyptian mathematics) सी.१८५० ई.पू.) रहिंद गणितीय पेपाइरस (Rhind Mathematical Papyrus)(इजिप्ट का गणित सी.१६५० ई.पू.) और शुल्बा के सूत्र (Shulba Sutras)(भारतीय गणित सी. ८०० ई.पू.)। ये सभी ग्रन्थ तथाकथित पाईथोगोरस की प्रमेय (Pythagorean theorem) से सम्बंधित हैं, जो मूल अंकगणितीय और ज्यामिति के बाद गणितीय विकास में सबसे प्राचीन और व्यापक प्रतीत होती है। बाद में ग्रीक और हेल्लेनिस्टिक गणित (Greek and Hellenistic mathematics) में इजिप्त और बेबीलोन के गणित का विकास हुआ, जिसने विधियों को परिष्कृत किया (विशेष रूप से प्रमाणों (mathematical rigor) में गणितीय निठरता (proofs) का परिचय) और गणित को विषय के रूप में विस्तृत किया। इसी क्रम में, इस्लामी गणित (Islamic mathematics) ने गणित का विकास और विस्तार किया जो इन प्राचीन सभ्यताओं में ज्ञात थी। फिर गणित पर कई ग्रीक और अरबी ग्रंथों कालैटिन में अनुवाद (translated into Latin) किया गया, जिसके परिणाम स्वरुप मध्यकालीन यूरोप (medieval Europe) में गणित का आगे विकास हुआ। प्राचीन काल से मध्य युग (Middle Ages) के दौरान, गणितीय रचनात्मकता के अचानक उत्पन्न होने के कारण सदियों में ठहराव आ गया। १६ वीं शताब्दी में, इटली में पुनर् जागरण की शुरुआत में, नए गणितीय विकास हुए.

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ग़रारा

लखनवी शादी ग़रारा उत्तरी भारत के हिन्दी बोलने वाले क्षेत्रों की मुसलमान औरतों द्वारा पहना जाने वाला एक रिवायती लखनवी लिबास है। यह लिबास कुर्ती, दुपट्टा और चौड़े पैंटों से बना हुआ है। घुटने के क्षेत्र, जिसे गोटा कहा जाता है, अक्सर ज़री और ज़रदोज़ी की कढ़ाई से सजाया जाता है। रिवायती ग़राराओं का प्रत्येक चरण 12 मीटर से अधिक कपड़ों, अक्सर रेशम ब्रोकैड, से बना हुआ है। उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र के नवाबों के ज़माने में ग़रारों की व्युत्पत्ति हुई। 19वीं सदी के उत्तरार्ध और 20वीं सदी की शुरुआत में, ग़रारा लिबास हिन्दी-उर्दू बोलने वाले क्षेत्रों की मुसलमान औरतों के दरम्यान रोज़मर्रा का लिबास था। हालांकि अब ये रोज़मर्रा पहनावे के रूप में नहीं पहने जाते हैं, फिर भी ये हिन्दी-उर्दू बोलने वाले क्षेत्रों की मुसलमान औरतों और पाकिस्तान और बांग्लादेश में उर्दू-भाषी आप्रवासियों के दरम्यान शादी के लिबास के रूप में लोकप्रिय हैं। .

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ग़ज़ल

यह अरबी साहित्य की प्रसिद्ध काव्य विधा है जो बाद में फ़ारसी, उर्दू, नेपाली और हिंदी साहित्य में भी बेहद लोकप्रिय हुइ। संगीत के क्षेत्र में इस विधा को गाने के लिए इरानी और भारतीय संगीत के मिश्रण से अलग शैली निर्मित हुई। .

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ग़ोरी राजवंश

ग़ोरी राजवंश या ग़ोरी सिलसिला (फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Ghurids), जो अपने-आप को शनसबानी राजवंश (Shansabānī) बुलाया करते थे, एक मध्यकालीन राजवंश था जिसने ईरान, अफ़ग़ानिस्तान, पश्चिमोत्तर भारत (दिल्ली तक), ख़ुरासान और आधुनिक पश्चिमी चीन के शिनजियांग क्षेत्र के कई भागों पर ११४८-१२१५ ईसवी काल में राज किया। यह राजवंश ग़ज़नवी राजवंश के पतन के बाद उठा था। यह राजवंश अफ़ग़ानिस्तान के ग़ोर प्रान्त में केन्द्रित था और इतिहासकारों का मानना है कि इसका राजपरिवार ताजिक मूल का था। ग़ोरी राजवंश की सर्वप्रथम राजधानी ग़ोर प्रान्त का फ़िरोज़कोह शहर था लेकिन बाद में हेरात बन गया। इसके अलावा ग़ज़नी और लाहौर को भी राजधानियों की तरह इस्तेमाल किया जाता था, विशेषकर सर्दियों में। दिल्ली का प्रसिद्द क़ुतुब मीनार इसी वंश के क़ुतुब-उद-दीन ऐबक का बनवाया हुआ है, जिसने दिल्ली सल्तनत की स्थापना भी की।, Nicholas Ostler, pp.

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गुझिया

गुझिया (अन्य नामः गुजिया, गुंजिया) एक प्रकार का पकवान है जो मैदे और खोए से बनाया जाता है। इसे छत्तीसगढ़ में कुसली, महाराष्ट्र में करंजी, बिहार में पिड़की, आंध्र प्रदेश में कज्जिकयालु, कहते हैं। उत्तर भारत में होली तथा दक्षिण भारत में दीपावली के अवसर पर घर में गुझिया बनाने की परंपरा है। गुझिया मुख्य रूप से दो तरह से बनाई जातीं है, एक- मावा भरी गुझिया, दूसरी रवा भरी गुझिया। मावा इलायची भरी गुझिया के ऊपर चीनी की एक परत चढ़ाकर वर्क लगाकर इसको एक नया रूप भी देते हैं। मावा के साथ कभी कभी हरा चना, मेवा या दूसरे खाद्य पदार्थ मिलाकर, जैसे अंजीर या खजूर की गुझिया भी बनाई जाती हैं। .

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गुर्जर

सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति:भारत उपवन, अक्षरधाम मन्दिर, नई दिल्ली गुर्जर समाज, प्राचीन एवं प्रतिष्ठित समाज में से एक है। यह समुदाय गुज्जर, गूजर, गोजर, गुर्जर, गूर्जर और वीर गुर्जर नाम से भी जाना जाता है। गुर्जर मुख्यत: उत्तर भारत, पाकिस्तान और अफ़्ग़ानिस्तान में बसे हैं। इस जाति का नाम अफ़्ग़ानिस्तान के राष्ट्रगान में भी आता है। गुर्जरों के ऐतिहासिक प्रभाव के कारण उत्तर भारत और पाकिस्तान के बहुत से स्थान गुर्जर जाति के नाम पर रखे गए हैं, जैसे कि भारत का गुजरात राज्य, पाकिस्तानी पंजाब का गुजरात ज़िला और गुजराँवाला ज़िला और रावलपिंडी ज़िले का गूजर ख़ान शहर।; आधुनिक स्थिति प्राचीन काल में युद्ध कला में निपुण रहे गुर्जर मुख्य रूप से खेती और पशुपालन के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। गुर्जर अच्छे योद्धा माने जाते थे और इसीलिए भारतीय सेना में अभी भी इनकी अच्छी ख़ासी संख्या है| गुर्जर महाराष्ट्र (जलगाँव जिला), दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर जैसे राज्यों में फैले हुए हैं। राजस्थान में सारे गुर्जर हिंदू हैं। सामान्यत: गुर्जर हिन्दू, सिख, मुस्लिम आदि सभी धर्मो में देखे जा सकते हैं। मुस्लिम तथा सिख गुर्जर, हिन्दू गुर्जरो से ही परिवर्तित हुए थे। पाकिस्तान में गुजरावालां, फैसलाबाद और लाहौर के आसपास इनकी अच्छी ख़ासी संख्या है। .

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गुर्जर प्रतिहार राजवंश

प्रतिहार वंश मध्यकाल के दौरान मध्य-उत्तर भारत के एक बड़े हिस्से में राज्य करने वाला राजवंश था, जिसकी स्थापना नागभट्ट नामक एक सामन्त ने ७२५ ई॰ में की थी। इस राजवंश के लोग स्वयं को राम के अनुज लक्ष्मण के वंशज मानते थे, जिसने अपने भाई राम को एक विशेष अवसर पर प्रतिहार की भाँति सेवा की। इस राजवंश की उत्पत्ति, प्राचीन कालीन ग्वालियर प्रशस्ति अभिलेख से ज्ञात होती है। अपने स्वर्णकाल में साम्राज्य पश्चिम में सतुलज नदी से उत्तर में हिमालय की तराई और पुर्व में बगांल असम से दक्षिण में सौराष्ट्र और नर्मदा नदी तक फैला हुआ था। सम्राट मिहिर भोज, इस राजवंश का सबसे प्रतापी और महान राजा थे। अरब लेखकों ने मिहिरभोज के काल को सम्पन्न काल बताते हैं। इतिहासकारों का मानना है कि गुर्जर प्रतिहार राजवंश ने भारत को अरब हमलों से लगभग ३०० वर्षों तक बचाये रखा था, इसलिए गुर्जर प्रतिहार (रक्षक) नाम पड़ा। गुर्जर प्रतिहारों ने उत्तर भारत में जो साम्राज्य बनाया, वह विस्तार में हर्षवर्धन के साम्राज्य से भी बड़ा और अधिक संगठित था। देश के राजनैतिक एकीकरण करके, शांति, समृद्धि और संस्कृति, साहित्य और कला आदि में वृद्धि तथा प्रगति का वातावरण तैयार करने का श्रेय प्रतिहारों को ही जाता हैं। गुर्जर प्रतिहारकालीन मंदिरो की विशेषता और मूर्तियों की कारीगरी से उस समय की प्रतिहार शैली की संपन्नता का बोध होता है। .

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गुलाब का शर्बत

गुलाब का शर्बत एक शर्बत है। श्रेणी:उत्तर भारत का खाना श्रेणी:शर्बत.

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ग्रैंड ट्रंक रोड

ग्रैंड ट्रंक रोड, दक्षिण एशिया के सबसे पुराने एवं सबसे लम्बे मार्गों में से एक है। दो सदियों से अधिक काल के लिए इस मार्ग ने भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी एवं पश्चिमी भागों को जोड़ा है। यह हावड़ा के पश्चिम में स्थित बांगलादेश के चटगाँव से प्रारंभ होता है और लाहौर (पाकिस्तान) से होते हुए अफ़ग़ानिस्तान में काबुल तक जाता है। पुराने समय में इसे, उत्तरपथ,शाह राह-ए-आजम,सड़क-ए-आजम और बादशाही सड़क के नामों से भी जाना जाता था। यह मार्ग, मौर्य साम्राज्य के दौरान अस्तित्व में था और इसका फैलाव गंगा के मुँह से होकर साम्राज्य के उत्तर-पश्चिमी सीमा तक हुआ करता था। आधुनिक सड़क की पूर्ववर्ती का पुनःनिर्माण शेर शाह सूरी द्वारा किया गया था। सड़क का काफी हिस्सा १८३३-१८६० के बीच ब्रिटिशों द्वारा उन्नत बनाया गया था। .

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ग्वालियर

ग्वालियर भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त का एक प्रमुख शहर है। भौगोलिक दृष्टि से ग्वालियर म.प्र.

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गोम्पा

लकिर दगोन पा (लद्दाख) गोम्पा या गोम्बा या गोन्पा (तिब्बती: དགོན་པ། / दगोन पा; अर्थ- 'एकान्त स्थान') तिब्बती शैली में बने एक प्रकार के बौद्ध-मठ के भवन या भवनों को कहते हैं। तिब्बत, भूटान, नेपाल और उत्तर भारत के लद्दाख़, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम व अरुणाचल प्रदेश क्षेत्रों में यह कई स्थानों में मिलते हैं। भिक्षुओं की सुरक्षा के लिए मज़बूत दिवारों और द्वारों से घिरे यह भवन साधना, पूजा, धार्मिक शिक्षा और भिक्षुओं के निवास के स्थान होते हैं। इनका निर्माण अक्सर एक ज्यामीतीय धार्मिक मण्डल के आधार पर होता है जिसके केन्द्र में बुद्ध की मूर्ति या उन्हें दर्शाने वाली थांका चित्रकला होती है।, Shridhar Kaul, Hriday Nath Kaul, pp.

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गोजरी भाषा

गोजरी या गूजरी एक हिन्द-आर्य भाषा है जो उत्तर भारत व पाकिस्तान में गुर्जर समुदाय के कई सदस्यों द्वारा बोली जाती है। भारत में यह भाषा राजस्थान,हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू व कश्मीर, उत्तराखण्ड और पंजाब राज्यों में बोली जाती है। पाकिस्तान में यह पाक-अधिकृत कश्मीर और पंजाब (पाकिस्तान) में बोली जाती है। इस भाषा का मूल ढांचा और गहरी शब्दावली दोनों राजस्थानी भाषा की है लेकिन स्थानानुसार इसमें कई पंजाबी, डोगरी, कश्मीरी, गुजराती, हिन्दको और पश्तो प्रभाव देखे जाते हैं। जम्मू-कश्मीर राज्य में इसे आधिकारिक दर्जा प्राप्त है। .

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आम मधुरिमा

आम मधुरिमा एक शर्बत है। श्रेणी:उत्तर भारत का खाना श्रेणी:शर्बत.

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आम का शर्बत

आम का शर्बत एक शर्बत है। श्रेणी:उत्तर भारत का खाना श्रेणी:शर्बत.

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आषाढ़ का एक दिन

नाटककार मोहन राकेश ने ''आषाढ़ का एक दिन'' १९५८ में प्रकाशित किया आषाढ़ का एक दिन सन १९५८ में प्रकाशित और नाटककार मोहन राकेश द्वारा रचित एक हिंदी नाटक है। इसे कभी-कभी हिंदी नाटक के आधुनिक युग का प्रथम नाटक कहा जाता है। १९५९ में इसे वर्ष का सर्वश्रेष्ठ नाटक होने के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया और कईं प्रसिद्ध निर्देशक इसे मंच पर ला चुकें हैं। १९७१ में निर्देशक मणि कौल ने इस पर आधारित एक फ़िल्म बनाई जिसने आगे जाकर साल की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीत लिया। आषाढ़ का एक दिन महाकवि कालिदास के निजी जीवन पर केन्द्रित है, जो १०० ई॰पू॰ से ५०० ईसवी के अनुमानित काल में व्यतीत हुआ। .

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आगरा का पेठा

पेठा उत्तर भारत की एक पारदर्शी नरम मिठाई है। आमतौर पर आयताकार या बेलनाकार आकृति का यह व्यंजन, एक विशेष सब्जी, सफ़ेद लौकी (या सफेद कद्दू, या बस पेठा) से बनाया गया है।.

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इलाहाबाद

इलाहाबाद उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित एक नगर एवं इलाहाबाद जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। इसका प्राचीन नाम प्रयाग है। इसे 'तीर्थराज' (तीर्थों का राजा) भी कहते हैं। इलाहाबाद भारत का दूसरा प्राचीनतम बसा नगर है। हिन्दू मान्यता अनुसार, यहां सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने सृष्टि कार्य पूर्ण होने के बाद प्रथम यज्ञ किया था। इसी प्रथम यज्ञ के प्र और याग अर्थात यज्ञ से मिलकर प्रयाग बना और उस स्थान का नाम प्रयाग पड़ा जहाँ भगवान श्री ब्रम्हा जी ने सृष्टि का सबसे पहला यज्ञ सम्पन्न किया था। इस पावन नगरी के अधिष्ठाता भगवान श्री विष्णु स्वयं हैं और वे यहाँ माधव रूप में विराजमान हैं। भगवान के यहाँ बारह स्वरूप विध्यमान हैं। जिन्हें द्वादश माधव कहा जाता है। सबसे बड़े हिन्दू सम्मेलन महाकुंभ की चार स्थलियों में से एक है, शेष तीन हरिद्वार, उज्जैन एवं नासिक हैं। हिन्दू धर्मग्रन्थों में वर्णित प्रयाग स्थल पवित्रतम नदी गंगा और यमुना के संगम पर स्थित है। यहीं सरस्वती नदी गुप्त रूप से संगम में मिलती है, अतः ये त्रिवेणी संगम कहलाता है, जहां प्रत्येक बारह वर्ष में कुंभ मेला लगता है। इलाहाबाद में कई महत्त्वपूर्ण राज्य सरकार के कार्यालय स्थित हैं, जैसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय, प्रधान महालेखाधिकारी (एजी ऑफ़िस), उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग (पी.एस.सी), राज्य पुलिस मुख्यालय, उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय एवं उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद कार्यालय। भारत सरकार द्वारा इलाहाबाद को जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण योजना के लिये मिशन शहर के रूप में चुना गया है। .

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इलाहाबाद/आलेख

इलाहाबाद (اللہآباد), जिसे प्रयाग (پریاگ) भी कहते हैं, उत्तर भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित एक शहर एवं इलाहाबाद जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। शहर का प्राचीन नाम अग्ग्र (संस्कृत) है, अर्थात त्याग स्थल। हिन्दू मान्यता अनुसार, यहां सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने सृष्टि कार्य पूर्ण होने के बाद प्रथम बलिदान दिया था। यही सबसे बड़े हिन्दी सम्मेलन महाकुंभ की चार स्थलियों में से एक है, शेष तीन हरिद्वार, उज्जैन एवं नासिक हैं। हिन्दू धर्मग्रन्थों में वर्णित प्रयाग स्थल पवित्रतम नदी गंगा और यमुना के संगम पर स्थित है। यहीं सरस्वती नदी गुप्त रूप से संगम में मिलती है, अतः ये त्रिवेणी संगम कहलाता है, जहां प्रत्येक बारह वर्ष में कुंभ मेला लगता है। शहर का वर्तमान नाम मुगल सम्राट अकबर द्वारा १५८३ में रखा गया था। हिन्दी नाम इलाहाबाद का अर्थ अरबी शब्द इलाह (अकबर द्वारा चलाये गए नये धर्म दीन-ए-इलाही के सन्दर्भ से, अल्लाह के लिये) एवं फारसी से आबाद (अर्थात बसाया हुआ) – यानि ईश्वर द्वारा बसाया गया, या ईश्वर का शहर है। शहर में कई महत्त्वपूर्ण राज्य सरकार के कार्यालय स्थित हैं, जैसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय, प्रधान महालेखाधिकारी (एजी ऑफ़िस), उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग (पी.एस.सी), राज्य पुलिस मुख्यालय, उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय एवं उत्तर प्रदेश राज्य हाईस्कूल एवं इंटरमीडियेट शिक्षा कार्यालय। इलाहाबाद भारत के १४ प्रधानमंत्रियों में से ७ से संबंधित रहा है: जवाहर लाल नेहरु, लालबहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, गुलजारी लाल नंदा, विश्वनाथ प्रताप सिंह एवं चंद्रशेखर; जो या तो यहां जन्में हैं, या इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़े हैं या इलाहाबाद निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए हैं। भारत सरकार द्वारा इलाहाबाद को जवाहरलाल नेहरु अर्बन रिन्यूअल मिशन(JNNURM) के लिये मिशन शहर के रूप में चुना गया है, जिसके अन्तर्गत शहरी अवसंरचना में सुधार, दक्ष प्रशासन एवं शहरी नागरिकों हेतु आधारभूत सुविधाओं का प्रयोजन करना है। इलाहाबाद में संगम स्थल का दृश्य इलाहाबाद शहर देश के बड़े शहरों से सड़क व रेल यातायात द्वारा जुड़ा हुआ है। शहर में आठ रेलवे-स्टेशन हैं:प्रयाग रेलवे स्टेशन, इलाहाबाद सिटी रेलवे स्टेशन, दारागंज रेलवे स्टेशन, इलाहाबाद जंक्शन रेलवे स्टेशन, नैनी जंक्शन रेलवे स्टेशन, प्रयाग घाट रेलवे स्टेशन, सूबेदारगंज रेलवे स्टेशन और बमरौली रेलवे स्टेशन। .

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इज़्ज़त

इज़्ज़त उत्तर भारत और पाकिस्तान की संस्कृति में मान, सम्मान और प्रतिष्ठा की मिश्रित संकल्पना (अर्थात कॅान्सेप्ट) है। यह उस क्षेत्र में रहने वाले सारे धर्मों (हिन्दू, मुस्लिम, सिख) और समुदायों पर लागू है। अपनी और अपने परिवार की (विशेषतः परिवार की स्त्रियों की) मान-प्रतिष्ठा बनाए रखना और अपनी इज्ज़त का उल्लंघन करने वालों से अनिवार्य रूप से बदला लेना इज्ज़त रखने के अभिन्न अंग माने जाते हैं। इज्ज़त की संकल्पना को कभी-कभी स्त्री-स्वतंत्रता के लिए सामाजिक अवरोधक बुलाया गया है, लेकिन हर सामाजिक वर्ग में इज्ज़त की एक ही परिभाषा होने से इसे समाज में समानता लाने का भी एक मूल समझा जाता है जिसमे "(दोस्ती की स्थिति में) लेन-देन की बराबरी भी है और (दुश्मनी की स्थिति में) बदला लेने की भी।" किसी भी रिश्ते में दोनों ओर से बराबर की दोस्ती या दुश्मनी जतलाने की परंपरा इज्ज़त की रिवायत से जुड़ी हुई है। अगर किसी ने पहले किसी परिस्थिति में सहायता की हो तो भविष्य में ज़रुरत पड़ने पर उसकी सहायता करना इस क्षेत्र के समाज में अपनी इज्ज़त रखने के लिए अनिवार्य माना जाता है। .

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कनिष्क

कनिष्क प्रथम (Κανηϸκι, Kaneshki; मध्य चीनी भाषा: 迦腻色伽 (Ka-ni-sak-ka > नवीन चीनी भाषा: Jianisejia)), या कनिष्क महान, द्वितीय शताब्दी (१२७ – १५० ई.) में कुषाण राजवंश का भारत का एक महान् सम्राट था। वह अपने सैन्य, राजनैतिक एवं आध्यात्मिक उपलब्धियों तथा कौशल हेतु प्रख्यात था। इस सम्राट को भारतीय इतिहास एवं मध्य एशिया के इतिहास में अपनी विजय, धार्मिक प्रवृत्ति, साहित्य तथा कला का प्रेमी होने के नाते विशेष स्थान मिलता है। कुषाण वंश के संस्थापक कुजुल कडफिसेस का ही एक वंशज, कनिष्क बख्त्रिया से इस साम्राज्य पर सत्तारूढ हुआ, जिसकी गणना एशिया के महानतम शासकों में की जाती है, क्योंकि इसका साम्राज्य तरीम बेसिन में तुर्फन से लेकर गांगेय मैदान में पाटलिपुत्र तक रहा था जिसमें मध्य एशिया के आधुनिक उजबेकिस्तान तजाकिस्तान, चीन के आधुनिक सिक्यांग एवं कांसू प्रान्त से लेकर अफगानिस्तान, पाकिस्तान और समस्त उत्तर भारत में बिहार एवं उड़ीसा तक आते हैं। पर कुषाण।अभिगमन तिथि: १५ फ़रवरी, २०१७ इस साम्राज्य की मुख्य राजधानी पेशावर (वर्तमान में पाकिस्तान, तत्कालीन भारत के) गाँधार प्रान्त के नगर पुरुषपुर में थी। इसके अलावा दो अन्य बड़ी राजधानियां प्राचीन कपिशा में भी थीं। उसकी विजय यात्राओं तथा बौद्ध धर्म के प्रति आस्था ने रेशम मार्ग के विकास तथा उस रास्ते गांधार से काराकोरम पर्वतमाला के पार होते हुए चीन तक महायान बौद्ध धर्म के विस्तार में विशेष भूमिका निभायी। पहले के इतिहासवेत्ताओं के अनुसार कनिष्क ने राजगद्दी ७८ ई० में प्राप्त की, एवं तभी इस वर्ष को शक संवत् के आरम्भ की तिथि माना जाता है। हालांकि बाद के इतिहासकारों के मतानुसार अब इस तिथि को कनिष्क के सत्तारूढ़ होने की तिथि नहीं माना जाता है। इनके अनुमानानुसार कनिष्क ने सत्ता १२७ ई० में प्राप्त की थी। .

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कबड्डी

कबड्डी एक खेल है, जो मुख्य रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में खेली जाती है। कबड्डी नाम का प्रयोग प्राय: उत्तर भारत में किया जाता है, इस खेल को दक्षिण में चेडुगुडु और पूरब में हु तू तू के नाम से भी जानते हैं। यह खेल भारत के पड़ोसी देश नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और पाकिस्तान में भी उतना ही लोकप्रिय है। तमिल, कन्नड और मलयालम में ये मूल शब्द, (கை-பிடி) "कै" (हाथ), "पिडि" (पकडना) का रूपान्तरण है, जिसका अनुवाद है 'हाथ पकडे रहना'। कबड्डी, बांग्लादेश का राष्ट्रीय खेल है। .

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करुणानिधि

मुत्तुवेल करुणानिधि (மு. கருணாநிதி.) (जन्म 3 जून 1924) एक भारतीय राजनेता और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री हैं। वे तमिलनाडु राज्य के एक द्रविड़ राजनीतिक दल द्रविड़ मुन्नेत्र कज़गम (डीएमके) के प्रमुख हैं। वे 1969 में डीएमके के संस्थापक सी. एन. अन्नादुरई की मौत के बाद से इसके नेता हैं और पांच बार (1969–71, 1971–76, 1989–91, 1996–2001 और 2006–2011) मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उन्होंने अपने 60 साल के राजनीतिक करियर में अपनी भागीदारी वाले हर चुनाव में अपनी सीट जीतने का रिकॉर्ड बनाया है। 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने तमिलनाडु और पुदुचेरी में डीएमके के नेतृत्व वाली डीपीए (यूपीए और वामपंथी दल) का नेतृत्व किया और लोकसभा की सभी 40 सीटों को जीत लिया। इसके बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने डीएमके द्वारा जीती गयी सीटों की संख्या को 16 से बढ़ाकर 18 कर दिया और तमिलनाडु और पुदुचेरी में यूपीए का नेतृत्व कर बहुत छोटे गठबंधन के बावजूद 28 सीटों पर विजय प्राप्त की। वे तमिल सिनेमा जगत के एक नाटककार और पटकथा लेखक भी हैं। उनके समर्थक उन्हें कलाईनार (கலைஞர்., "कला का विद्वान") कहकर बुलाते हैं। .

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कलाकंद

कलाकंद एक प्रकार का पकवान है जो दूध और छेने से बनाया जाता है। .

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कश्मीरी हंगुल

कश्मीरी हंगुल हंगुल एक उत्तर भारत और पाकिस्तान, ख़ासकर कश्मीर, में पायी जाने वाली लाल हिरण की नस्ल है। यह जम्मू और कश्मीर का राज्य पशु है। हंगुल का वैज्ञानिक नाम "सॅर्वस ऍलाफस हंगलु" (Cervus elaphus hanglu) है। .

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काशीपुर राज्य

काशीपुर राज्य (1777-1801), उत्तर भारत में स्थित एक राज्य था। इसकी स्थापना 1777 में कुमाऊं राज्य के एक अधिकारी, नंद राम ने की थी। वर्ष 1801 में काशीपुर को शिव लाल द्वारा कम्पनी को सौंप दिया गया था, जिसके बाद यह उत्तर-पश्चिमी प्रान्त में एक राजस्व विभाजन बन गया। .

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कांजी

कांजी उत्तर भारत का वसंत ऋतु का सर्वाधिक लोकप्रिय पेय है। यह एक किण्वित पेय है जो प्राय: गाजर (लाल या काली) और चुकन्दर से बनाया जाता है। यह स्वाद में चटपटा होता है और पेट के लिए स्वास्थ्यवर्धक समझा जाता है। यह उत्तर भारत में होली के अवसर पर बनाया जाने वाला एक विशेष व्यंजन है। कुछ लोग इसमें दाल के बड़े डालकर भी बनाते हैं। गाजर की कांजी बहुत ही स्वादिष्ट और पाचक होती है। यह खाने से पहले भूख को बढ़ा देती है। इसका उपयोग गर्मी और सर्दी दोनों मौसम में कर सकते हैं। कांजी कई रुपों में पी जाती है पर बनाने का ढंग एक सा ही है। इसका पानी तैयार करने के लिए पानी के अतिरिक्त राई, नमक और लाल मिर्च की आवश्यकता होती है। इसके अलावा आधा किलो धुली और छिली हुई काली या लाल गाजर के टुकड़े चाहिए होते हैं। इसको बनाने के लिए पानी को उबाल कर ठंडा कर लिया जाता है और एक बड़े मुँह के बर्तन में रखा जाता है। राई के दानों को सूखा पीस कर इसमें मिला दिया जाता है। स्वाद के लिए नमक और मिर्च भी मिलाए जाते हैं। फिर उसमें गाजर को छीलकर उसके टुकड़े काट कर डाल दिया जाता है। बर्तन का मुंह किसी महीन कपड़े से बंद करके उसे चार पाँच दिन के लिए धूप में रख दिया जाता है जिससे इस मिश्रण में हल्का खमीर आ जाता है। गाजर की कांजी का निकट दृश्य-राई के तैरते हुए टुकड़े देखेंइसका स्वाद हल्का खट्टा हो जाता है और गाजर नर्म हो जाती है। कांजी का तैयार होना बनना तब माना जाता है, जब उसका पानी बहुत ही स्वादिष्ट खट्टा हो जाये। इसके बन जाने के बाद उसे ठंडक (प्रशीतन) में रख सकते हैं, जिससे वह और अधिक खट्टी नहीं होगी। इसके बाद लगभग १५ दिनों तक यह चलेगी। गाजर की जगह चुकंदर, मूली या बड़े भी डाले जाते हैं, या लाल गाजर की कांजी में धुली मूँग की दाल के मगोड़े (पकौड़े) डालकर भी खाए जाते हैं, जिन्हें कांजी के बड़े/मगौड़े कहा जाता है। मानव शरीर में अच्छे और बुरे दोनो तरह के जीवाणु होते हैं। कांजी तथा अन्य किण्वित खाद्य पदार्थ शरीर में अच्छे जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि करते हैं। इससे पाचन शक्ति में लाभ होता है और साथ ही रोगों से लड़नें की क्षमता प्राप्त होती है। चुकन्दर की कांजी से यकृत को साफ रखनें में मदद मिलती है। १० ग्राम सौंफ का रस निकाल कर काँजी में मिलाकर पीने से गठिया यानी घुटनों का दर्द कम होता है। सुबह, शाम कांजी पीना अति लाभदायक बताया गया है। .

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कुमार

कुमार एक हिन्दू भारतीय उपनाम है।इसका प्रयोग किसी न किसी रूप में भारत के सभी हिस्सों में होता है। यह एक मध्यनाम का काम भी करता है और भारत के अलावा नेपाल और श्रीलंका में भी प्रयोग में लाया जाता है। यह उत्तर भारत में सामान्य और हरियाणा, दिल्ली, केरल, तमिलनाडू और पांडिचेरी सबसे सामान्य परिवार का नाम है।http://forebears.co.uk/surnames/kumar Kumar Surname at Forebears यह कोई गोत्र नहीं है इसे कोई भी प्राणी अपने नाम के आगे या पीछे लगा सकता है। .

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कुल्चा

कुल्चा (کلچه; पंजाबी ਕੁਲਚਾ) एक उत्तर भारतीय रोटी की किस्म है। भारत के साथ-साथ ये पाकिस्तान में भी लोकप्रिय हैं। प्रायः इसे छोले के संग खाया जाता है। यह मैदा को खमीर उठा कर आवे में बनाया जाता है। कुल्चा मुख्यतः एक पंजाबी व्यंजन है, जो पंजाब से उद्गम हुआ है। अमृतसर का खास कुल्चा अमृतसरी कुल्चा कहलाता हैं। मैदा को दही के साथ मल कर खमीर उठाया जाता है। उसके बाद उसमें उबले मसालेदार आलू और कटी प्याज आदि भर कर भरवां कुल्चे बनाये जाते हैं। इन्हें सुनहरे रंग का होने तक आवे या तंदूर में पकाया जाता है। उसके बाद इसके ऊपर मक्खन लगा कर छोले के साथ परोसते हैं। ये अमृतसरी कुल्चे होते हैं। बिना भरे हुए सादे कुल्चे बनते हैं। कुल्चे का उद्गम ईरान में माना जाता है। इसके लखनऊ के व्यंजन विशेषज्ञों ने प्रयोग कर अंतरण बनाये हैं। इनमें कुल्चा नाहरी भी एक है। इसके विशेषज्ञ कारीगर हाजी जुबैर अहमद के अनुसार कुलचा अवधी व्यंजनों में शामिल खास रोटी है, जिसका साथ नाहरी बिना अधूरा है। लखनऊ के गिलामी कुलचे यानी दो भाग वाले कुलचे उनके परदादा ने तैयार किये। कुलचे रिच डाइट में आते हैं और ऐसा माना जाता है, कि कि अच्छी खुराक वाला इंसान भी तीन से अधिक नहीं खा सकता है। कुलचे गर्म खाने में ही मजा है यानी तंदूर से निकले और परोसे जायें। .

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कुशवाहा (कोइरी ) बिहार

कुशवाहा (कोइरी) एक उत्तर भारतीय जाति है। यह भारतीय समाज की की सबसे प्राचीन वैदिक क्षेत्रीय कृषक जाति भी मानी जाती है। इसका निवास क्षेत्र बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखण्ड मध्यप्रदेश और झारखण्ड है। इस जाति का कई स्वतंत्र राज्यों व रियासतों पर शासन रहा हैं । कोईरी,काछी,मुराव और कछवाहा राजपूत जो राजपूत जाति में आते है राम के पुत्र कुश का वंशज मानते हैं जिनके अंदर ब्रिटिश काल में चार उपजातियां कोइरी,काछी, मुराव,कछवाहा को शामिल किया गया था। उसी समय इन चारो उपजाति ने एक उपनाम कुशवाहा पर जोर दिया लेकिन कालांतर में कछवाहा से इनकी दूरी बढ़ गयी क्योकि कछवाहा राजपूत का हिस्सा थे जबकि कुशवाहा एक जाति के रूप में थी। कोइली गणराज्य कोइरियो का था जो कुश्वंशी क्षत्रिय थे। इसके प्रमाणस्वरूप कुशवाहा क्षत्रिय उत्त्पत्ति मीमांसा जैसे ग्रंथो के अतिरिक्त इतिहासकार गंगा प्रसाद गुप्ता,जेम्स कर्नल टाड के आलावा कई आर्य समाजी विद्वानों के पाठ उपलब्ध हैं। .

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कुषाण कला

कुषाण कला कुषाण वंश के काल में लगभग पहली शताब्दी के अंत से तीसरी शताब्दी तक उस क्षेत्र में सृजित कला का नाम है, जो अब मध्य एशिया, उत्तरी भारत, पाकिस्तान और अफ़्गानिस्तान के कुछ भागों को समाहित करता है। कुषाणों ने एक मिश्रित संस्कृति को बढ़ावा दिया, जो उनके सिक्कों पर बने विभिन्न देवी देवताओं, यूनानी-रोमन, ईरानी और भारतीय, के द्वारा सबसे अच्छी तरह समझी जा सकती है। उस काल की कलाकृतियों के बीच कम से कम दो मुख्य शैलीगत विविधताएँ देखी जा सकती हैं: ईरानी उत्पत्ति की शाही कला और यूनानी रोमन तथा भारतीय स्ट्रोटोन से मिश्रित बौद्ध कला। ईरानी उत्पत्ति की शाही कला के सर्वश्रेष्ठ उदाहरण सात कुषाण राजाओं द्वारा जारी स्वर्ण मुद्राएं, शाही कुषाण प्रतिकृतियाँ (उदाहरण: कनिष्क की प्रतिमा) और अफगानिस्तान में सुर्ख कोतल में प्राप्त राजसी प्रतिकृतियाँ हैं। कुषाण कलाकृतियों की शैली कठिन, पुरोहितवादी और प्रत्यक्ष है और वह व्यक्ति की आंतरिक शक्ति व गुणों को रेखांकित करती है। इसमें मानव शरीर अथवा वस्त्रलंकार के यथार्थवादी चित्रण के प्रति कम अथवा लगभग कोई रुचि नहीं है। यह उस दूसरी शैली के विपरीत है जो कुषाण कला की गांधार व मथुरा शैलियों की विशेषता है। .

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केला – अनार रायता

यह रायता दही आधारित एक भारतीय व्यंजन है जिसमें दही में नमक, अनार दाने, मिर्च व जीरा डाल कर ठंडा करके केले के छोटे छोटे टुकड़े डाल कर परोसा जाता है। इन सबके अलावा इसमे भुना हुआ जीरा, हींग और कभी कभी पुदीना भी मिलाया जाता है। इसे बिरयानी, कबाब आदि व्यंजनों के साथ एक सहायक व्यंजन के तौर पर पेश किया जाता है।.

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केसरी छेना

केसरी छेना एक भारतीय मिठाई है। श्रेणी:उत्तर भारत का खाना श्रेणी:भारतीय मिठाइयाँ.

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अझ़दहा

ताइवान के लॉन्गशान मंदिर के ऊपर अझ़दहे की आकृति बीजिंग की "नौ अझ़दहों की दीवार" पर शाही अझ़दहों की आकृतियाँ (जिनके पंजों में पाँच नाखून होते हैं) इटली के रेजियो कालाब्रिया राष्ट्रीय संग्राहलय की दीवार पर पच्चीकारी से बनी एक अझ़दहे की आकृति भारत के मणिपुर राज्य में पोउबी लइ पफल की प्रतिमा, जो पाखंगबा नामक अझ़दहा-रूपी देवता का एक रूप हैं अझ़दहा, अज़दहा, अजदहा या ड्रैगन एक काल्पनिक जीव है जिसमें सर्प की प्रकृति के बहुत से तत्व थे और कुछ संस्कृतियों में उड़ने और मुंह से आग उगलने की क्षमता भी थी। यह दुनिया की कई संस्कृतियों के मिथकों में पाया जाता है। कभी-कभी इस जीव को अजगर भी बुलाया जाता है, हालांकि यह थोड़ा सा ग़लत है क्योंकि "अजगर" उस सर्प का हिंदी नाम है जिसे अंग्रेज़ी में "पायथन" (python) कहते हैं। .

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अनार का शर्बत

अनार का शर्बत एक शर्बत है। श्रेणी:उत्तर भारत का खाना श्रेणी:शर्बत श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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अनुजा चौहान

अनुजा चौहान (जन्म 1970; मेरठ, उत्तर प्रदेश) लेखिका व उपन्यासकार हैं और विज्ञापन लिखने में उन्होंने खूब नाम कमाया है। १९९३ में उन्होंने दुनिया की चौथी सबसे बड़ी एडवरटाइजिंग कंपनी जेडब्ल्यूटी ज्वाइन किया था, जिससे उन्होंने इसी साल इस्तीफा दे दिया। पेप्सी कोका कोला के लिए ‘ये दिल मांगे मोर’, ‘मेरा नंबर कब आएगा’, ‘नथिंग ऑफिशियल एबाउट इट’, ओए बब्ली, माउंटेन ड्यू के लिए ‘डर के आगे जीत है’, कुरकुरे के लिए ‘टेढ़ा है पर मेरा है’ जैसे शानदार स्लोगन उनके ही दिए हुए हैं। अनुजा चौहान ने द जोया फैक्टर और बैटिल फॉर बिटोरा जैसी बेस्टसेलर किताबें भी लिखी हैं। .

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अपभ्रंश

अपभ्रंश, आधुनिक भाषाओं के उदय से पहले उत्तर भारत में बोलचाल और साहित्य रचना की सबसे जीवंत और प्रमुख भाषा (समय लगभग छठी से १२वीं शताब्दी)। भाषावैज्ञानिक दृष्टि से अपभ्रंश भारतीय आर्यभाषा के मध्यकाल की अंतिम अवस्था है जो प्राकृत और आधुनिक भाषाओं के बीच की स्थिति है। अपभ्रंश के कवियों ने अपनी भाषा को केवल 'भासा', 'देसी भासा' अथवा 'गामेल्ल भासा' (ग्रामीण भाषा) कहा है, परंतु संस्कृत के व्याकरणों और अलंकारग्रंथों में उस भाषा के लिए प्रायः 'अपभ्रंश' तथा कहीं-कहीं 'अपभ्रष्ट' संज्ञा का प्रयोग किया गया है। इस प्रकार अपभ्रंश नाम संस्कृत के आचार्यों का दिया हुआ है, जो आपाततः तिरस्कारसूचक प्रतीत होता है। महाभाष्यकार पतंजलि ने जिस प्रकार 'अपभ्रंश' शब्द का प्रयोग किया है उससे पता चलता है कि संस्कृत या साधु शब्द के लोकप्रचलित विविध रूप अपभ्रंश या अपशब्द कहलाते थे। इस प्रकार प्रतिमान से च्युत, स्खलित, भ्रष्ट अथवा विकृत शब्दों को अपभ्रंश की संज्ञा दी गई और आगे चलकर यह संज्ञा पूरी भाषा के लिए स्वीकृत हो गई। दंडी (सातवीं शती) के कथन से इस तथ्य की पुष्टि होती है। उन्होंने स्पष्ट लिखा है कि शास्त्र अर्थात् व्याकरण शास्त्र में संस्कृत से इतर शब्दों को अपभ्रंश कहा जाता है; इस प्रकार पालि-प्राकृत-अपभ्रंश सभी के शब्द 'अपभ्रंश' संज्ञा के अंतर्गत आ जाते हैं, फिर भी पालि प्राकृत को 'अपभ्रंश' नाम नहीं दिया गया। .

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अपवाह तन्त्र

डेल्टाई भाग में अपवाह तंत्र अपवाह तन्त्र या प्रवाह प्रणाली (drainage system) किसी नदी तथा उसकी सहायक धाराओं द्वारा निर्मित जल प्रवाह की विशेष व्यवस्था है।सोनल गुप्ता - यह एक तरह का जालतन्त्र या नेटवर्क है जिसमें नदियाँ एक दूसरे से मिलकर जल के एक दिशीय प्रवाह का मार्ग बनती हैं। किसी नदी में मिलने वाली सारी सहायक नदियाँ और उस नदी बेसिन के अन्य लक्षण मिलकर उस नदी का अपवाह तन्त्र बनाते हैं। .

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अप्रैल 2015 नेपाल भूकम्प

2015 नेपाल भूकम्प क्षणिक परिमाण परिमाप पर 7.8 या 8.1 तीव्रता का भूकम्प था जो 25 अप्रैल 2015 सुबह 11:56 स्थानीय समय में घटित हुआ था। भूकम्प का अधिकेन्द्र लामजुंग, नेपाल से 38 कि॰मी॰ दूर था। भूकम्प के अधिकेन्द्र की गहराई लगभग 15 कि॰मी॰ नीचे थी। बचाव और राहत कार्य जारी हैं। भूकंप में कई महत्वपूर्ण प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर व अन्य इमारतें भी नष्ट हुईं हैं। 1934 के बाद पहली बार नेपाल में इतना प्रचंड तीव्रता वाला भूकम्प आया है जिससे 8000 से अधिक मौते हुई हैं और 2000 से अधिक घायल हुए हैं। भूकंप के झटके चीन, भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान में भी महसूस किये गये। नेपाल के साथ-साथ चीन, भारत और बांग्लादेश में भी लगभग 250 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। भूकम्प की वजह से एवरेस्ट पर्वत पर हिमस्खलन आ गया जिससे 17 पर्वतारोहियों के मृत्यु हो गई। काठमांडू घाटी में यूनेस्को विश्व धरोहर समेत कई प्राचीन एतिहासिक इमारतों को नुकसान पहुचाँ है। 18वीं सदी में निर्मित धरहरा मीनार पूरी तरह से नष्ट हो गयी, अकेले इस मीनार के मलबे से 200 से ज्यादा शव निकाले गये। भूकम्प के बाद के झटके 12 मई 2015 तक भारत, नेपाल, चीन, अफगानिस्तान, पाकिस्तान व पडोसी देशों में महसूस किये जाते रहे। .

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अफ़शारी राजवंश

अफ़शारी राजवंश (سلسله افشاریان, सिलसिला अफ़शारियान) १८वीं सदी ईसवी में तुर्क-मूल का ईरान में केन्द्रित राजवंश था। इसके शासक मध्य एशिया के ऐतिहासिक ख़ोरासान क्षेत्र से आये अफ़शार तुर्की क़बीले के सदस्य थे। अफ़शारी राजवंश की स्थापना सन् १७३६ ई में युद्ध में निपुण नादिर शाह ने करी जिसनें उस समय राज कर रहे सफ़वी राजवंश से सत्ता छीन ली और स्वयं को शहनशाह-ए-ईरान घोषित कर लिया हालांकि वह ईरानी मूल का नहीं था। उसके राज में ईरान सासानी साम्राज्य के बाद के अपने सबसे बड़े विस्तार पर पहुँचा। उसका राज उत्तर भारत से लेकर जॉर्जिया तक फैला हुआ था। .

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अभिषेक बच्चन

अभिषेक बच्चन (जन्म: ५ फ़रवरी १९७६, मुंबई), एक भारतीय हिन्दी फिल्मो के अभिनेता हैं। वह भारतीय अभिनेता अमिताभ बच्चन और जया बच्चन के बेटे हैं। उनकी पत्नी पूर्व मिस वर्ल्ड एवं अभिनेत्री ऐश्वर्या राय हैं। बच्चन ने अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत जे पि दत्ता की रिफ्यूजी (२०००) से की.

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अस्कोट राज्य

अस्कोट राज्य (1279-1967) उत्तर भारत में स्थित एक राज्य था। इसकी स्थापना 1279 में कत्यूरी राजवंश के वंशज, अभयपाल ने की थी। करीब 900 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले अस्कोट के शासकों को राजवार कहा जाता था और इसकी राजधानी वर्तमान अस्कोट शहर से ढाई किमी दूर लखनपुर में थी। राज्य के कुल देवता नारिंग देवल थे। कहा जाता था कि पूर्वकाल में खस राजाओं के 80 कोट (किले) होने की वजह से इस स्थान को अस्कोट कहा जाने लगा। वर्ष 1279 में इन खस राजाओं को पराजित कर अभयपाल ने लखनपुर कोट में अपनी राजधानी स्थापित की। 16 शताब्दी के मध्य तक अभयपाल के वंशजों ने निर्विघ्न अस्कोट पर राज किया। 1588 में राजवार रायपाल की मृत्यु के बाद अस्कोट पर अल्मोड़ा के राजा रुद्र चंद ने कब्जा कर लिया। उन्होंने 300 रुपये का वार्षिक कर लगाकर अस्कोट को अपना सामंती राज्य बना दिया। वर्ष 1615 में तत्कालीन राजा महेंद्र पाल प्रथम ने अस्कोट में राजमहल का निर्माण कराया। 1742 में गोरखाओं ने आक्रमण करके राज्य को अपने अधीन कर लिया। उन्होंने वार्षिक कर को बढ़ाकर 2000 रुपये कर दिया था। ब्रिटिश काल में अस्कोट को रियासत का दर्जा दिया गया। करीब 400 वर्ग किलोमीटर तक फैली इसकी सीमाओं के तहत 142 गांव थे। आजादी के 20 साल बाद, 11 नवंबर 1967 को भारत सरकार ने इस रियासत को अपने अधीन ले लिया। रियासत के अंतिम राजा टिकेंद्र पाल थे। .

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अंगूरी

अंगूरी एक लोकप्रिय भारतीय मिठाई है। मिठाई पनीर को चाशनी में भिगो कर बनाया जाता है, जो कि एक मीठा सिरप है और फिर ठीक से अंगूर के आकार की गेंदों को महीन चीनी में लुढ़का कर अंतिम रूप दिया जाता है। अंगूरी हिन्दी के अंगूर से व्युत्पन्न नाम है जो उसके आकार और रूप वाचक है और उसकी मिठास की ओर भी इशारा करता है। .

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अकबर

जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर (१५ अक्तूबर, १५४२-२७ अक्तूबर, १६०५) तैमूरी वंशावली के मुगल वंश का तीसरा शासक था। अकबर को अकबर-ऐ-आज़म (अर्थात अकबर महान), शहंशाह अकबर, महाबली शहंशाह के नाम से भी जाना जाता है। अंतरण करने वाले के अनुसार बादशाह अकबर की जन्म तिथि हुमायुंनामा के अनुसार, रज्जब के चौथे दिन, ९४९ हिज़री, तदनुसार १४ अक्टूबर १५४२ को थी। सम्राट अकबर मुगल साम्राज्य के संस्थापक जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर का पौत्र और नासिरुद्दीन हुमायूं एवं हमीदा बानो का पुत्र था। बाबर का वंश तैमूर और मंगोल नेता चंगेज खां से संबंधित था अर्थात उसके वंशज तैमूर लंग के खानदान से थे और मातृपक्ष का संबंध चंगेज खां से था। अकबर के शासन के अंत तक १६०५ में मुगल साम्राज्य में उत्तरी और मध्य भारत के अधिकाश भाग सम्मिलित थे और उस समय के सर्वाधिक शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक था। बादशाहों में अकबर ही एक ऐसा बादशाह था, जिसे हिन्दू मुस्लिम दोनों वर्गों का बराबर प्यार और सम्मान मिला। उसने हिन्दू-मुस्लिम संप्रदायों के बीच की दूरियां कम करने के लिए दीन-ए-इलाही नामक धर्म की स्थापना की। उसका दरबार सबके लिए हर समय खुला रहता था। उसके दरबार में मुस्लिम सरदारों की अपेक्षा हिन्दू सरदार अधिक थे। अकबर ने हिन्दुओं पर लगने वाला जज़िया ही नहीं समाप्त किया, बल्कि ऐसे अनेक कार्य किए जिनके कारण हिन्दू और मुस्लिम दोनों उसके प्रशंसक बने। अकबर मात्र तेरह वर्ष की आयु में अपने पिता नसीरुद्दीन मुहम्मद हुमायुं की मृत्यु उपरांत दिल्ली की राजगद्दी पर बैठा था। अपने शासन काल में उसने शक्तिशाली पश्तून वंशज शेरशाह सूरी के आक्रमण बिल्कुल बंद करवा दिये थे, साथ ही पानीपत के द्वितीय युद्ध में नवघोषित हिन्दू राजा हेमू को पराजित किया था। अपने साम्राज्य के गठन करने और उत्तरी और मध्य भारत के सभी क्षेत्रों को एकछत्र अधिकार में लाने में अकबर को दो दशक लग गये थे। उसका प्रभाव लगभग पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर था और इस क्षेत्र के एक बड़े भूभाग पर सम्राट के रूप में उसने शासन किया। सम्राट के रूप में अकबर ने शक्तिशाली और बहुल हिन्दू राजपूत राजाओं से राजनयिक संबंध बनाये और उनके यहाँ विवाह भी किये। अकबर के शासन का प्रभाव देश की कला एवं संस्कृति पर भी पड़ा। उसने चित्रकारी आदि ललित कलाओं में काफ़ी रुचि दिखाई और उसके प्रासाद की भित्तियाँ सुंदर चित्रों व नमूनों से भरी पड़ी थीं। मुगल चित्रकारी का विकास करने के साथ साथ ही उसने यूरोपीय शैली का भी स्वागत किया। उसे साहित्य में भी रुचि थी और उसने अनेक संस्कृत पाण्डुलिपियों व ग्रन्थों का फारसी में तथा फारसी ग्रन्थों का संस्कृत व हिन्दी में अनुवाद भी करवाया था। अनेक फारसी संस्कृति से जुड़े चित्रों को अपने दरबार की दीवारों पर भी बनवाया। अपने आरंभिक शासन काल में अकबर की हिन्दुओं के प्रति सहिष्णुता नहीं थी, किन्तु समय के साथ-साथ उसने अपने आप को बदला और हिन्दुओं सहित अन्य धर्मों में बहुत रुचि दिखायी। उसने हिन्दू राजपूत राजकुमारियों से वैवाहिक संबंध भी बनाये। अकबर के दरबार में अनेक हिन्दू दरबारी, सैन्य अधिकारी व सामंत थे। उसने धार्मिक चर्चाओं व वाद-विवाद कार्यक्रमों की अनोखी शृंखला आरंभ की थी, जिसमें मुस्लिम आलिम लोगों की जैन, सिख, हिन्दु, चार्वाक, नास्तिक, यहूदी, पुर्तगाली एवं कैथोलिक ईसाई धर्मशस्त्रियों से चर्चाएं हुआ करती थीं। उसके मन में इन धार्मिक नेताओं के प्रति आदर भाव था, जिसपर उसकी निजि धार्मिक भावनाओं का किंचित भी प्रभाव नहीं पड़ता था। उसने आगे चलकर एक नये धर्म दीन-ए-इलाही की भी स्थापना की, जिसमें विश्व के सभी प्रधान धर्मों की नीतियों व शिक्षाओं का समावेश था। दुर्भाग्यवश ये धर्म अकबर की मृत्यु के साथ ही समाप्त होता चला गया। इतने बड़े सम्राट की मृत्यु होने पर उसकी अंत्येष्टि बिना किसी संस्कार के जल्दी ही कर दी गयी। परम्परानुसार दुर्ग में दीवार तोड़कर एक मार्ग बनवाया गया तथा उसका शव चुपचाप सिकंदरा के मकबरे में दफना दिया गया। .

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उड़न खटोला

उड़न खटोला उत्तर भारत और पाकिस्तान की लोककथाओं में एक काल्पनिक उड़ने वाला वाहन होता है।, Thomas Craven, pp.

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों की सूची

उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री उत्तर भारत के राज्य उत्तर प्रदेश का प्रमुख होता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों की सूची यहाँ दी गई है। उत्तर प्रदेश में अब तक 20 व्यक्ति मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इन 20 व्यक्तियों के अतरिक्त, तीन व्यक्ति राज्य के कार्यकारी मुख्यमंत्री भी रहे हैं जिनका कार्यकाल बहुत छोटा है। वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी हैं जो कि 19 मार्च 2017 से इस पद पर आसीन हैं। .

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उत्तर भारत बाढ़ २०१३

जून 2013 में, उत्तर भारत में भारी बारिश के कारण हिमाचल प्रदेश और उत्तराखण्ड में बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति पैदा हो गयी। इससे प्रभावित अन्य राज्य हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश हैं। बाढ़ के कारण जान-माल का भारी नुकसान हुआ और बहुत से लोग बाढ़ में बह गए और हजारों लोग बेघर हो गये। इस भयानक आपदा में 5000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं, .

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उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड (पूर्व नाम उत्तरांचल), उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है जिसका निर्माण ९ नवम्बर २००० को कई वर्षों के आन्दोलन के पश्चात भारत गणराज्य के सत्ताइसवें राज्य के रूप में किया गया था। सन २००० से २००६ तक यह उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था। जनवरी २००७ में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया। राज्य की सीमाएँ उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी हैं। पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसकी सीमा से लगे राज्य हैं। सन २००० में अपने गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था। पारम्परिक हिन्दू ग्रन्थों और प्राचीन साहित्य में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखण्ड के रूप में किया गया है। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। राज्य में हिन्दू धर्म की पवित्रतम और भारत की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना के उद्गम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। देहरादून, उत्तराखण्ड की अन्तरिम राजधानी होने के साथ इस राज्य का सबसे बड़ा नगर है। गैरसैण नामक एक छोटे से कस्बे को इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है किन्तु विवादों और संसाधनों के अभाव के चलते अभी भी देहरादून अस्थाई राजधानी बना हुआ है। राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है। राज्य सरकार ने हाल ही में हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये कुछ पहल की हैं। साथ ही बढ़ते पर्यटन व्यापार तथा उच्च तकनीकी वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए आकर्षक कर योजनायें प्रस्तुत की हैं। राज्य में कुछ विवादास्पद किन्तु वृहत बाँध परियोजनाएँ भी हैं जिनकी पूरे देश में कई बार आलोचनाएँ भी की जाती रही हैं, जिनमें विशेष है भागीरथी-भीलांगना नदियों पर बनने वाली टिहरी बाँध परियोजना। इस परियोजना की कल्पना १९५३ मे की गई थी और यह अन्ततः २००७ में बनकर तैयार हुआ। उत्तराखण्ड, चिपको आन्दोलन के जन्मस्थान के नाम से भी जाना जाता है। .

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उत्तराखण्ड के मुख्यमन्त्रियों की सूची

उत्तराखण्ड का मुख्यमंत्री, उत्तर भारत के राज्य उत्तराखण्ड का प्रमुख होता होता है। यहाँ पर उत्तराखण्ड राज्य के मुख्यमंत्रियों की सूची दी गई है। सन 2000 में उत्तर प्रदेश पर्वतीय जिलों को अलग कर के उत्तराखण्ड राज्य बनाया गया था। इस राज्य में अब तक 7 मुख्यमंत्री रह चुके हैं, जिनमे से चार भारतीय जनता पार्टी से व शेष तीन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से हैं। नित्यानन्द स्वामी राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री थे। .

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उत्तराखण्ड/आलेख

उत्तराखण्ड (पूर्व नाम उत्तरांचल), उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है। २००० और २००६ के बीच यह उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था। ९ नवंबर २००० को उत्तराखण्ड भारत गणराज्य के २७ वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। राज्य का निर्माण कई वर्षों के आन्दोलन के पश्चात हुआ। इस राज्य में वैदिक संस्कृति के कुछ अति महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। राज्य की सीमाएँ उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी हैं तथा पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश (सन २००० में अपने गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था) इसके पड़ोसी हैं। पारंपरिक हिन्दू ग्रंथों और प्राचीन साहित्य में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखण्ड के रूप में किया गया है। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। जनवरी २००७ में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का नाम आधिकारिक तौर पर उत्तरांचल से बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया। देहरादून, उत्तराखण्ड की अंतरिम राजधानी होने के साथ इस क्षेत्र में सबसे बड़ा नगर है। गैरसैण नामक एक छोटे से कस्बे को इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है किन्तु विवादों और संसाधनों के अभाव के चलते अभी भी देहरादून अस्थाई राजधानी बना हुआ है। राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है। राज्य सरकार ने हाल ही में हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये कुछ पहल की हैं। साथ ही बढ़ते पर्यटन व्यापार तथा उच्च तकनीकी वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए आकर्षक कर योजनायें प्रस्तुत की हैं। राज्य में कुछ विवादास्पद किन्तु वृहत बांध परियोजनाएँ भी हैं जिनकी पूरे देश में प्रायः आलोचना की जाती रही है, जैसे कि भागीरथी-भीलांगना नदियों पर बनने वाली टिहरी बाँध परियोजना। इस परियोजना की कल्पना १९५३ में की गई थी और यह अंततः २००७ में बनकर तैयार हुआ। उत्तराखण्ड, चिपको आंदोलन के जन्मस्थान के नाम से भी जाना जाता है। .

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उप्रेती

उप्रेती मुख्यतः भारत के उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ क्षेत्र में रहने वाले कुमाऊँनी समुदाय के सारस्वत ब्राह्मण हैं। इस समुदाय के लोग नेपाल और सिक्किम में भी पाए जाते हैं। अपनी परम्पराओं के अनुसार, वे ऋषि भारद्वाज के वंशज हैं जो कि शैव सम्प्रदाय के अनुयायी हैं, भगवान शिव को अपना ईष्ट आराध्य मानते हैं। पण्डित बद्री दत्त पाण्डेय की प्रसिद्ध पुस्तक कुमाऊँ और गढ़वाल का इतिहास के अनुसार उप्रेती मूल रूप से पश्चिमी भारत क्षेत्र के महाराष्ट्र राज्य के निवासी थे। जहाँ से वे १२ वीं शताब्दी में इस्लामी आक्रमण के परिणाम स्वरूप उत्तर में हिमालय की ओर पलायन कर गए। वर्तमान उत्तराखण्ड का कुमाऊँ क्षेत्र, सन् १८१४ ईस्वी में ब्रिटिश इण्डिया और गोरखा साम्राज्य के मध्य हुई सुगौली संधि से पूर्व तक गोरखाओं के नियन्त्रण में था, जब वे हिन्दू राज्य के शाही संरक्षण में अल्मोड़ा ज़िले से अन्य ब्राह्मणों के साथ नेपाल की ओर प्रवास कर गए। .

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२०१७ अमरनाथ यात्रा आक्रमण

उत्तर भारत के जम्मू एवं कश्मीर राज्य में स्थित हिन्दू तीर्थ गुफ़ा अमरनाथ की श्रावण यात्रा को जा रहे श्रद्धालुओं के जत्थे पर १० जुलाई २०१७ को आतंकवादियों ने आक्रमण (हमला) किया था। इस्लामी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के द्वारा किये गये इस आतंकी आक्रमण (हमले) में ७ श्रद्धालुओं की मृत्यु हुई थी। भारत का आरोप है कि, इस आक्रमण में लश्कर ए तैयबा का आतंकी इस्माइल मुख्य आरोपी है। परन्तु पाकिस्तान में स्थित इस्लामिक आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा ने इस आक्रमण का दायित्व स्वीकार नहीं किया। १० जुलाई २०१७ दिनांक और तदनुसार श्रावण मास के प्रथम सोमवार को अनन्तनाग ज़िले में ये आक्रमण किया गया था। अमरनाथ भारत, नेपाल और दुनियाभर में निवास करने वालें हिन्दू धर्म के लोगों का प्रमुख यात्रा स्थल है। भारत में श्रावण मास के दिन और विशेषतः श्रावण के सोमवार के दिन हिन्दू धर्म में भगवान शिव जी के दर्शन करने का विशेष महत्त्व होता है। २०१७ में सोमवार के दिन ही श्रावण मास की शुरूआत हुई थी और प्रथम दिन ही यात्रियों पर ये आक्रमण किया गया था। .

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२०१८ उत्तराखण्ड दावानल

हाल के वर्षों की ही तरह २०१८ की गर्मियों में भी उत्तर भारत के उत्तराखण्ड राज्य में कई जगह पर वनों में आग के मामले सामने आये हैं। टिहरी से लेकर उत्तरकाशी और बागेश्वर तक के पहाड़ और वन भीषण आग से जूझ रहे हैं। अग्नि से सबसे ज्यादा प्रभावित पौड़ी गढ़वाल जिला रहा, जहाँ लगभग १००० हेक्टेयर वन भूमि पर आग की चपेट में आ चुकी है। उत्तराखण्ड वन विभाग के मुताबिक उन्हें १५ फ़रवरी से २१ मई तक कुल ७४१ ऐसी घटनाओं की सूचना मिली थी, जिसमें १२१३.७६६ हेक्टेयर वन क्षेत्र २१ लाख रुपये से ज्यादा का राजस्व नुकसान हुआ है। .

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2017 हरियाणा दंगे

2017 में गुरमीत राम रहीम सिंह को यौन उत्पीड़न का दोषी ठहराये जाने के बाद हरियाणा के पंचकुला में हिंसा शुरू हुई और बाद में उत्तरी भारत के अन्य राज्यों में फैलने लगी, जिसमें हरियाणा, पंजाब और राजधानी नई दिल्ली शामिल है। इस उपद्रव के कारण कम से कम 31 लोग मारे गए और 300 से अधिक लोग घायल हुए। प्रदेश सरकार निष्क्रिय साबित हुई .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

उत्तर भारतीय, उत्तरी भारत

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