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उड़ानपट्टी

सूची उड़ानपट्टी

FAA विमानक्षेत्र का मानचित्र, ओ’हारे विमानक्षेत्र पर, बाएं से उड़ानपट्टी 14/32 ढाल नीचे, उड़ानपट्टी 4/22 ढाल ऊपर, एवं उड़ान पट्टी 9/27 तथा 10/28 क्षैतिज चेन्नई विमानक्षेत्र की हवाई चित्र उड़ानपट्टी (RWY या रनवे) विमानक्षेत्र में एक भूमी की पट्टी होती है, जिस पर विमान उड़ान भर (टेक ऑफ) और अवतरण (लैंडिंग) कर सकते हैं। इसके अलावा अनेकों युद्धाभ्यास भी करते हैं। रनवे मानव निर्मित भी हो सकती है और प्राकृतिक भी। मानव निर्मित रनवे की सतह प्रायः अस्फाल्ट या कांक्रीट से या दोनो के मिश्रण से बनी होती है। प्राकृतिक रनवे की सतह घास, पक्की मिट्टी इत्यादि की हो सकती है। .

16 संबंधों: चुशूल, एयर इंडिया एक्सप्रेस उड़ान ८१२, एरिया 51, ऐस्फाल्ट, दा नांग अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र, दोहा अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र, बहरीन अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र, भुज रुद्र माता वायुसेना बेस, लीलाबाड़ी विमानक्षेत्र, शिलांग विमानक्षेत्र, सैफ़ई, सैफ़ई हवाई पट्टी, विमानक्षेत्र, इंदिरा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र, करनाल फ्लाइंग क्लब, उपस्कर अवतरण प्रणाली

चुशूल

चुशूल (Chushul) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के लेह ज़िलेमें स्थित एक गाँव है। यह चुशूल घाटी में स्थित है। .

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एयर इंडिया एक्सप्रेस उड़ान ८१२

यह एक एयर इंडिया एक्सप्रेस का वायुयान दुर्घटना था। २२ मई ०६:३० को हुआ था। मैंगलूर विमानक्षेत्र पर पायलट उड़ानपट्टी पर देर उतरा। १७० का मौत हो गया। चार शिशुओं भी शामिल थे। दस साल मे यह भारत का सबसा बड़ा दुर्घटना है। दुबई से मैंगलूर जा रहा था। ६ लोग बच गये और अस्पताल मे है। बोइंग ७३७ का वायुयान था। .

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एरिया 51

एरिया 51 एक सैन्य अड्डे का उपनाम है जो पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका में नेवादा के दक्षिण में (लास वेगास शहर से 83 मील उत्तर-उत्तर पश्चिम में) स्थित है। ग्रूम झील के पश्चिमी तट पर इसके केंद्र में अवस्थित है एक विशाल गोपनीय सैन्य हवाई क्षेत्र.

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ऐस्फाल्ट

मृत सागर से प्राप्त प्राकृतिक ऐसफाल्ट सड़क निर्माण में अस्फाल्ट कंक्रीट की मूल पर्त ऐस्फाल्ट (अंग्रेजी: Asphalt) एक चिपचिपा, काला और गाढ़ा तरल या अर्ध-तरल पदार्थ होता है, जिसे कच्चे पैट्रोलियम से प्राप्त किया जाता है। यह प्राकृतिक रूप से भी मिलता है। पहले इसे अस्फाल्टम भी कहा जाता है। इसका प्रयोग सड़क निर्माण, उड़ान पट्टी निर्माण इत्यादि में होता है। 'अस्फाल्ट' शब्द एक यूनानी शब्द से निकला है जिसका अर्थ है दृढ़, अचल तथा सुरक्षित। पुरातन काल में अस्फाल्ट का प्रथम उपयोग विभिन्न प्रकार के दो पदार्थो को आपस में जोड़ने में, जैसे हाथीदाँत, सीप या रत्नों से बनी आँखों को मूर्तियों के चक्षु गह्वरों में बैठाने के लिए, किया जाता था। ज्ञात हुआ है कि संभवत: भारत में अस्फाल्ट का सर्वप्रथम उपयोग लगभग 3,000 वर्ष ई.पू.

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दा नांग अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र

दा नांग अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र (Sân bay Quốc tế Đà Nẵng) दा नांग, मध्य वियतनाम के समसे बड़े शहर में स्थित है। यह देश का तीसरा सबसे बड़ा अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र है। इसके पहले स्थान पर नोइ बाइ अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र (हनोई) एवं ताओ सोन न्हात अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र (हो ची मिन्ह सिटी) हैं। यह मध्य वियतनाम के लिये महत्त्वपूर्ण द्वार है। नागर विमानन के अलावा यहां की उड़ानपट्टी वियतनामीज़ पीपल्स एयरफ़ोर्स (VPAF, द Không Quân Nhân Dân Việt Nam) द्वारा भी प्रयोगनीय है, हालांकि सैन्य गतिविधियां अब काफ़ी हद तक सीमित हैं। विमानक्षेत्र ने २०११ में ३० लाख यात्री यातायात वहन की व यह संख्या २०१६ तक ६० लाक तक, यानि टर्मिनल की पूर्ण क्षमता तक पहुंचने की संभावना है। टर्मिनल भवन के विस्तार की योजना विचाराधीन है, जिससे इसकी क्षमता २०२० तक १ करोड़ यात्री प्रति वर्ष तक विस्तृत की जा सके। .

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दोहा अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र

दोहा अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र (مطار الدوحة الدولي) कतर का एकमात्र व्यापारिक/ वाणिज्यिक विमानक्षेत्र है। यहाँ 60 चेक-इन द्वार, 42 पार्किंग बे एवं 8 बैगेज बेल्ट हैं। इस विमानक्षेत्र के कई बार विस्तार के बाद भी अत्यधिक प्रयोग व भार दॄश्य होता है। यहां की वर्तमान क्षमता स्थिति 120 लाख यात्री प्रतिवर्ष है। यहां की उड़ानपट्टी नागर विमानक्षेत्र में विश्व की सबसे लंबी उड़ानपट्टियों में से एक है। यह विमानक्षेत्र कतर एयरवेज़ का मुख्य बेस भी है। कुछ समय पूर्व तक यह विमानक्षेत्र मुख्यतः कतर में तेल एवं गैस कंपनियों के कर्मचारियों द्वारा छुट्टी मनाने जाने व वापस आने के लिये ही प्रयोग किया जाता रहा था। आजकल इस विमानक्षेत्र पर छुट्टी मनाने आने वाले सैलानियों एवं ट्रांज़िट यात्रियों की भीड़ भी मिलती है। कतर एयरवेज़ के विस्तार के साथ-साथ भी यह विमानक्षेत्र बढ़ता जा रहा है। वर्ष २०१० में यह कार्गो ट्रैफ़िक के अनुसार विश्व का 27वां व्यस्ततम विमानक्षेत्र था। यहां का नियंत्रण टावर (कंट्रोल टावर) एवं सहायक भवन कुर्टिस डब्ल्यु. फ़ेन्ट्रेस, FAIA, RIBA, फ़ेन्ट्रेस आर्किटेक्ट्स द्वारा डिज़ाइन की गयी हैं। अभी इस विमानक्षेत्र के विस्तार की योजना २०१३ के मध्य तक की है जब निर्माणाधीन न्यू दोहा अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र आर्म्भ होना संभावित है। यह नया विमानक्षेत्र पुराने वाले से 4 कि.मी दूर स्थित है और इसका क्षेत्रफ़ल 5760 एकड़ (लगभग. 2200 हेक्टेयर) है। यह अपने प्रथम चरण के पूर्ण होने पर 1.5 करोड़ यात्री प्रतिवर्ष की क्षमता वहन कर सकेगा। .

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बहरीन अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र

बहरीन विमानक्षेत्र में बोर्डिंग एयर टर्मिनल बहरीन अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र (مطار البحرين الدولي) बहरीन के उत्तरी छोर पर राजधानी मनामा से उ.पूर्व दिशा में स्थित एक द्वीप अल मुहर्रक पर स्थित एक अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र है। यह गल्फ़ एयर एवं बहरीन एयर का प्राथमिक केन्द्र (हब) है। BD113m नामक एक ३० करोड़ का विमानक्षेत्र विकास एवं विस्तार कार्यक्रम २००६ के तीसरे तिमाही में आरंभ हुआ था। इसके अन्तर्गत्त यहां एक नया बहुमंजिलीय कार-पार्किंग भवन एवं रिटेल काम्प्लेक्स मुख्य टर्मिनल भवन के निकटस्थ निर्माण की योजना है। इस परियोजना के अन्तर्गत्त पूरी मुख्य उड़ानपट्टी की पुनर्सतहीकरण (रीसर्फ़ेसिंग), नयी चहारदीवारी की सुरक्षा बाड़ एवं अतिरिक्त विमान पार्किंग बे बनाने की योजना है। रनवे 12R/30L को अधिकांशतः टैक्सीमार्ग के रूप में ही प्रयोग किया जाता है। वर्ष २०१० में बहरीन विमानक्षेत्र को मध्य-पूर्व के सर्वश्रेष्ठ विमानक्षेत्र का पुरस्कार स्काईट्रैक्स २०१० वर्ल्ड एयरपोर्ट्स अवार्ड समारोह मिं दिया गया था। .

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भुज रुद्र माता वायुसेना बेस

भुज रुद्र माता वायु सेना बेस भारतीय वायुसेना का एक बेस है और गुजरात के भुज नामक शहर के भुज विमानक्षेत्र की उड़ानपट्टी का प्रयोग करता है। यह वायु सेना की दक्षिणी पश्चिम कमान का एक भाग है। .

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लीलाबाड़ी विमानक्षेत्र

लीलाबाड़ी विमानक्षेत्र अरुणाचल प्रदेश के निकटवर्ती असम राज्य के लखीमपुर जिले में स्थित अन्तर्देशीय हवाई-अड्डा है। इस विमानक्षेत्र द्वारा असम और अरुणाचल प्रदेश राज्यों को वायु सेवाएं उपलब्ध होती हैं। अरुणाचल प्रदेश में फिल्हाल कोई विमानक्षेत्र प्रचालन में नहीं है, अतः राज्य केवल असम स्थित विमानक्षेत्रों पर ही निर्भर है। अरुणाचल की राजधानी से निकटतम विमानक्षेत्र (५७ कि॰मी॰) लीलाबाड़ी ही है। यहां से लगभग २८ लाख वर्ग नॉटिकल मील के वायुक्षेत्र का संचालन नियंत्रित होता है।- एन.आई.सी असम राज्य के विमानक्षेत्रों में लीलाबाड़ी विमानक्षेत्र अरुणाचल प्रदेश से निकटतम है। इसके अलावा असम राज्य में अन्य कई अन्तर्देशीय विमानक्षेत्र हैं, जैसे डिब्रुगढ़, जोरहाट, सिल्चर और तेजपुर विमानक्षेत्र। साथ ही एक अन्तर्राष्ट्रीय गुवाहाटी विमानक्षेत्र भी है। लीलाबाड़ी विमानक्षेत्र की भौगोलिक स्थिति पर है। विमानक्षेत्र में एकमात्र उड़ान पट्टी है जिसकी लंबाई ५४८० फीट और सागर सतह से ऊंचाई ३३३ फीट है। विमानक्षेत्र उत्तर लखीमपुर शहर से मात्र ७ कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित है। शहर से यहां निजि वाहन द्वारा ५-१० मिनट में पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा सार्वजनिक वाहन में ऑटोरिक्शा भी चलते हैं। अन्य निकटवर्ती विमानक्षेत्रों में डपरिज़ो विमानक्षेत्र (७९ कि॰मी॰), ज़िरो (४० कि.मी), जोरहाट (६३ कि॰मी॰), डिब्रुगढ़ (९४ कि॰मी॰) और मोहनबाड़ी विमानक्षेत्र आते हैं। इन सभी में से मात्र डिब्रुगढ़ और जोरहाट ही प्रचालन में हैं। लीलाबाड़ी में एक ही अन्तर्देशिय टर्मिनल है। इस टर्मिनल में बैगेज ट्रॉली, बैठने का प्रबंध, पेय जल, टैक्सी सेवा, ग्राहक सुविधा/सहायता एवं सूचना केन्द्र, अल्पाहार सुविधा, दूरभाष काउन्टर आदि उपलब्ध हैं।-एकीक्रत.इन पर इस विमानक्षेत्र की नई टर्मिनल बिल्डिंग का उद्घाटन लेफ़्टि.जनरल एस.के.सिन्हा, असम के तत्कालीन राज्यपाल और पूर्वोत्तर परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष के कर कमलों द्वारा हुआ था। इस इमारत में ४०० यात्रियों की क्षमता है और इसकी कुल लागत ८.४५ करोड़ रुपये थी। के आधिकारिक जालस्थल पर लीलाबाड़ी विमानक्षेत्र से उत्तरी दिशा में हिमालय का दृश्य यहां सभी वातावरणीय स्थितियों में एयरबस-३२० के अवतरण की सुविधाएं उपलब्ध हैं। हवाई अड्डे का कुल क्षेत्रफल २२०.६१ एकड़ है जिसमें टर्मिनल बिल्डिंग ६२२५ वर्ग मीटर में बनी है। इस इमारत में २८२३ वर्ग मीटर का प्रस्थान लाउंज एवं ९६६ वर्ग मीटर का आगमन लाउंज है। एप्रन क्षेत्र ३५० X२५० फीट का है। विमान अवतरण हेतु नौवहन सेवाओं में डी.वी.ओ.आर/डी.एम.ई, एन.डी.बी.

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शिलांग विमानक्षेत्र

शिलांग विमानक्षेत्र जिसे उमरोई हवाई अड्डा या बड़ापानी विमानक्षेत्र भी कहा जाता है, उमरोई में स्थित एक नागरिक विमानक्षेत्र है। यह भारत के पूर्वोत्तर राज्य मेघालय की राजधानी शिलांग शहर को सेवा उपलब्ध कराता है और शहर से की दूरी पर उत्तर पूर्व दिशा में री भोई जिले में स्थित है। इस विमानक्षेत्र का निर्माण १९६० के दशक के मध्य में हुआ था और यहां प्रचालन १९७० के मध्य दशक तक चालू हुआ। वर्ष २००९ में २२४.१६ एकड भूमि अधिग्रहण कर विमानक्षेत्र के विस्तार हेतु दी गयी थी। जून २००९ में इसका विस्तार कार्य आरम्भ हुआ एवं मई २०१० तक यह पूर्ण हुआ। तब ३० करोड रुपये की लागत से तैयार नवनिर्मित टर्मिनल भवन का उद्घाटन जून २०११ में हुआ और यह प्रचालन में आया। विमानक्षेत्र के आगे विस्तार हेतु भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को पुनः भूमि आवंटित की गयी। वर्तमान ६००० फ़ीट की उडानपट्टी एटीआर-४२ के अवतरण लायक है और इसका विस्तार ८००० फ़ीट तक नियोजित है जिसके उपरान्त यहां बोइंग ७३७ एवं एयरबस ए३२० का अवतरण भी संभव हो सकेगा। इसके साथ ही दो ऐसे जेट विमानों के पार्किंग एवं ईंधनापूर्ति की सुविधा भी निर्मित होगी .

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सैफ़ई

सैफ़ई (अंग्रेजी: Saifai), उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में स्थित एक कस्बा है। यह इटावा जिले की एक तहसील और विकास खंड भी है। यह मुलायम सिंह यादव, समाजवादी पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष, निवर्तमान रक्षा मंत्री और निवर्तमान मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश का जन्मस्थान भी है। .

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सैफ़ई हवाई पट्टी

सैफ़ई हवाई पट्टी, सैफ़ई, उत्तर प्रदेश में एक हवाई पट्टी है। यहाँ से केवल चार्टर्ड उड़ानों का संचालन होता है। 2015 में भारतीय वायु सेना के मिराज 2000 विमान ने एक युद्ध की तरह आपात स्थिति के मामले में इस हवाई अड्डे के संभावित विकास के लिए आधार का परीक्षण किया था।.

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विमानक्षेत्र

दक्षिण कोरिया के इंचेयन अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र की टर्मिनल बिल्डिंग। यह एक बडआ विमानक्षेत्र माना जाता है। मेक्सिको का मेक्सिको सिटी अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र का टर्मिनल-२। यह दक्षिण अमरीका का सबसे बडआ विमानक्षेत्र है सुवर्णभूमि विमानक्षेत्र, बैंगकाक, का यात्री टर्मिनल, थाईलैंड बार्रा विमानक्षेत्र, स्कॉटलैंड विमानक्षेत्र, जो कि तटीय उड़ानपट्टी का प्रयोग रिगणित या अनुसूचित उड़ानों के लिए करता है। पारापारौमु विमानक्षेत्र, एक छोटा विमानक्षेत्र जेटब्लू एयरवेज़ का विमान चिबाओ अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र, सैन्टियागो, डोमिनिकन गणराज्य में विमानक्षेत्र या हवाई अड्डा वह स्थान होता है, जहां कोई भी वायु वाहन, जैसे वायुयान (ऐरोप्लेन), हैलीकॉप्टर, इत्यादि उड़ान भरते और उतरते हैं। विमानों को यहां भंडारण भी किया जा सकता है। एक विमानक्षेत्र में कम से कम एक उड़ान पट्टी अवश्य होती है, एक हैलीपैड और टर्मिनल इमारत भी होती हैं। इनके अलावा हैंगर भी हो सकते हैं। .

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इंदिरा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र

इंदिरा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र भारत की राजधानी एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली का प्रधान अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र है। यह नई दिल्ली नगर केन्द्र से लगभग १६ कि॰मी॰(10 मील) दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित है। भारत की पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गाँधी के नाम पर बना यह भारत का व्यस्ततम विमानक्षेत्र है। |वेबदुनिया। । नई दिल्ली। रविवार, 13 मार्च 2011(10:53IST। अभिगमन तिथि: २४ नवम्बर २०१२ हवाई अड्डे के नवीनतम टर्मिनल-३ के चालू हो जाने के बाद से ४ करोड़ ६० लाख यात्री क्षमता तथा वर्ष २०३० तक की अनुमानित यात्री क्षमता १० करोड़ के साथ यह भारत के साथ-साथ पूरे दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा और सबसे महत्त्वपूर्ण व्यापार संबंधी विमानन केन्द्र बन गया है। भारत की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई के छत्रपति शिवाजी अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र के साथ इसके आंकड़े मिलाकर देखें तो ये दोनों दक्षिण एशिया के आधे से अधिक विमान यातायात को वहन करते हैं। इस विमानक्षेत्र के संचालक दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डयल) इसे विश्व का अगला अन्तर्राष्ट्रीय ट्रांज़िट हब बनाने के प्रयास कर रहा है। लगभग ५,२२० एकड़ (२,११० हेक्टेयर) की भू-संपदा में विस्तृत, दिल्ली विमानक्षेत्र राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिये प्राथमिक नागर विमानन हब (केन्द्र) है। सर्वप्रथम इसका संचालन भारतीय वायु सेना के पास था, जिसके बाद उसने इसका प्रबंधन दायित्व भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को सौंप दिया। मई २००६ से हवाई अड्डे का प्रबंधन दिल्ली अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) के पास आया। डायल जीएमआर समूह के नेतृत्व में एक संयुक्त उद्यम (ज्वाइन्ट वेन्चर) है। डायल ही विमानक्षेत्र के आगे हो रहे विस्तार एवं आधुनिकीकरण के लिये भी उत्तरदायी है। इस निजीकरण का भरपूर विरोध भाविप्रा कर्मचारियों ने किया, किन्तु अन्ततः ३ मई २००६ को यह प्रबंधन स्थानांतरण संपन्न हो गया। वर्ष २००१-१२ में विमानक्षेत्र से ३५८.८ लाख यात्रियों की आवाजाही संपन्न हुई और यहां के विस्तार कार्यक्रम योजना के अनुसार इसकी क्षमता वर्ष २०३० तक १० करोड़ यात्री तक हो जायेगी। यहां के नये टर्मिनल भवन के २०१० के राष्ट्रमंडल खेलों से पूर्व निर्माण के बाद ही इसकी वार्षिक ३४० लाख यात्रियों की क्षमता है। यहां का टर्मिनल-३ विश्व का ८वां सबसे बड़ा यात्री टर्मिनल है। सितंबर २००८ में यहां ४.४३ कि.मी लंबी नयी उड़ानपट्टी (रनवे-३) का उद्घाटन हुआ था। इंदिरा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र को २०१० में एयरपोर्ट काउन्सिल इन्टरनेशनल द्वारा १५०-२५० लाख यात्री श्रेणी में विश्व का चौथा सर्वोत्तम विमानक्षेत्र, एवं एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सर्वाधिक प्रगति वाला विमानक्षेत्र होने का सम्मान मिला था। वर्ष २०११ में विमानक्षेत्र को इसी परिषद द्वारा पुनः २.५-४ करोड़ यात्री क्षमता श्रेणी में विश्व का दूसरा सर्वोत्तम विमानक्षेत्र होने का गौरव मिला था। यह स्थान कोरिया के इंचेयन अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र के बाद था। इसके अलावा वर्ष २०११ में ही यह विमानक्षेत्र विश्व का ३४वाँ व्यस्ततम विमानक्षेत्र बना जिसकी यात्री आवागमन संख्या ३,४७,२९,४६७ रही एवं पिछले वर्ष के मुकाबले यातायात में इसने १७.८% की बढ़ोत्तरी भी दर्ज की। .

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करनाल फ्लाइंग क्लब

करनाल फ्लाइंग क्लब, जिसे स्थानीय लोग करनाल हवाई अड्डा भी कहते हैं, भारत के हरियाणा राज्य स्थित करनाल शहर से लगभग ३ कि.मी पूर्व में स्थित एक हवाई पट्टी है। यह वही हवाई अड्डा है जहां प्रथम भारतीय-अमरीकी अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला ने विमानचालन आरंभ किया था। श्रेणी:एयरो क्लब श्रेणी:करनाल श्रेणी:भारत में विमानक्षेत्र श्रेणी:भारत के विमानन कॉलिज.

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उपस्कर अवतरण प्रणाली

जर्मनी के हैन्नोवर विमानक्षेत्र में उड़ानपट्टी 27R में लगा लोकलाइज़र उपस्कर उपस्कर अवतरण प्रणाली (Instrument landing system या ILS) एक भूमि पर स्थापित उपस्कर अप्रोच प्रणाली होती है, जो विमान को उड़ान पट्टी पर पहुंचते हुए और अवतरण के समय सटीक मार्गदर्शन उपलब्ध कराती है। इसमें रेडियो संकेतों के संयोजन एवं कई स्थानों पर उच्च-तीव्रता के प्रकाश एरेज़ का प्रयोग किया जाता है जिससे कि निम्न दृश्यता, खराब मौसम, हिमपात, उड़ान प्रतिबंधों आदि के रहते हुए भी विमान का सुरक्षित अवतरण सुनिश्चित हो सके। प्रत्येक आई.एल.एस एप्रोच के लिये इन्स्ट्रुमेन्ट अप्रोच प्रोसीजर चार्ट्स (अप्रोच प्लेट्स) उपलब्ध रहते हैं, जो विमानचालकों को आई.एफ़.आर (उपस्कर उड़ान नियम) प्रचालन के प्रयोग हेतु वांछित जानकारी, वहां से संबंधित प्रणाली के घटकों द्वारा प्रयोग की गयीं रेडियो आवृत्तियां एवं उस प्रणाली विशेष के प्रयोग हेतु निश्चित की गईं न्यूनतम सुरक्षित दॄश्यता आवश्यकताएं (मिनिमम विज़िबिलिटी रिक्वायरमेन्ट्स) आदि का पूर्ण ब्यौरा दिया गया होता है। रेडियो-नौवहन सहायताएं (एड्स) सीएएसटी/आइ सी ए ओ द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय मानकों हेतु निर्धारित की गईं सीमा के भीतर ही रहनी चाहिये। सुरक्षा कारणों से इन सीमाओं को सुनिश्चित करने हेतु निश्चित अवधि के भीतर समय समय पर कुछ उड़ान निरीक्षण संगठन इन उपस्करों की जाँच करते रहते हैं। ये निरीक्षण आइ.एल.एस उपस्करों की जांच एवं परिशुद्धता प्रमाणन हेतु सक्षम एवं संगत उपर्करों से सुसज्जित विमान द्वारा जांच कार्य सम्पन्न किया करते हैं। भारत में ये कार्य भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के अधीन एक इकाई द्वारा जाती है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

हवाई पट्टी, उड़ान पट्टी

निवर्तमानआने वाली
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