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प्रज्वलन प्रणाली

सूची प्रज्वलन प्रणाली

यांत्रिक रीति से उपयुक्त समय पर प्रवलन पैदा करने वाली प्रणाली; एलेक्ट्रॉनिक प्रज्वलन प्रणाली के आ जाने से अब यह पुरानी पड़ गयी है। प्रज्वलन प्रणाली (ignition system) वह तंत्र है जो ईंधन तथा वायु के मिश्रण में चिनगारी लगाकर उसे जलने की क्रिया शुरू करती है। अन्तर्दहन इंजनों में में यह प्रमुख भाग है किन्तु इसके अलावा भी यह कई जगह प्रयोग में ली जाती है, जैसे- तेल से चलने वाले बॉयलर या गैस से चलने वाले बायलर। पहले पहल बने अन्तर्दहन इंजन, प्रज्वलन के लिये ज्वाला या गरम की गयी नलिका का प्रयोग करते थे किन्तु शीघ्र ही इनके स्थान पर स्पार्क प्लग प्रयोग करने वाली ज्वलन प्रणालियाँ आ गयीं। .

6 संबंधों: मिश्रण, स्पार्क प्लग, ईन्धन, वायु, इंजन स्टार्टर, अन्तर्दहन इंजन

मिश्रण

'मिश्रण द्रवों, ठोस और गैसों के आपसे में मिलाने की क्रिया तथा इस प्रकार उत्पन्न पदार्थों को कहते हैं। या अलग-अलग पदार्थों का आपस में मिलना परन्तु उनके मूल गुणों में कोई परिवर्तन ना होना। .

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स्पार्क प्लग

सिंगल-ग्राउंड इलेक्ट्रोड वाला स्पार्क प्लग. स्पार्क प्लग (आजकल बहुत कम प्रयुक्त, ब्रिटिश अंग्रेज़ी में: स्पार्किंग प्लग भी) एक विद्युतीय उपकरण है जिसे किसी आंतरिक दहन इंजन के सिलेंडर हेड पर लगाया जाता है और जो संपीडित ईंधन, जैसे एयरोसोल, पेट्रोल, इथेनॉल और तरलीकृत पेट्रोलियम को एक विद्युतीय चिंगारी के माध्यम से सुलगाता है। स्पार्क प्लग में एक विद्युत-रोधित केंद्रीय इलेक्ट्रोड होता है जो बाहर की तरफ एक अत्यंत विद्युत-रोधित तार द्वारा एक प्रज्वलन कुंडली या चुंबकीय सर्किट से जुड़ा होता है, जिससे वह प्लग के आधार में स्थापित एक टर्मिनल के साथ सिलेंडर के अन्दर एक चिंगारी उत्पन्न करता है। (दाएं तरफ चित्र देखें) एटीएन लेनोइर ने पहले से ही 1860 में अपने प्रथम आंतरिक दहन इंजन में एक विद्युत् स्पार्क प्लग का प्रयोग किया था और स्पार्क प्लग के आविष्कार का श्रेय आम तौर पर उन्हें दिया जाता है। स्पार्क प्लग के लिए आरंभिक पेटेंट में शामिल है निकोला टेस्ला द्वारा (में एक प्रज्वलन समय प्रणाली के लिए, 1898), फ्रेडरिक रिचर्ड सिम्स (जीबी 24859/1898, 1898) और रॉबर्ट बॉश (जीबी 26907/1898)। लेकिन 1902 में रॉबर्ट बॉश के इंजीनियर गोटलोब होनोल्ड द्वारा चुंबक आधारित प्रज्वलन प्रणाली के एक हिस्से के रूप में व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य प्रथम उच्च वोल्टेज स्पार्क प्लग के आविष्कार ने ही आंतरिक दहन इंजन के विकास को संभव बनाया। निर्माण में किये गए बाद के सुधारों का श्रेय एल्बर्ट चैंपियन, सर ओलिवर जोसेफ लॉज के पुत्र लॉज बंधुओं को भी दिया जा सकता है जिन्होंने अपने पिता की योजनाओं को विकसित और निर्मित किया, और साथ में गिनीज ब्रुइंग परिवार के केनेल्म ली गिनीज का नाम भी लिया जाता है जिन्होंने KLG ब्रांड विकसित किया। पश्चाग्र आंतरिक दहन इंजन को दो रूपों में विभाजित किया जा सकता है, स्पार्क प्रज्वलन इंजन जिसे दहन शुरू करने के लिए स्पार्क प्लग की आवश्यकता होती है और संपीड़न प्रज्वलन इंजन (डीजल इंजन) जो हवा को संपीड़ित करता है और फिर डीजल ईंधन को गर्म संपीड़ित वायु मिश्रण में डालता है जहां वह स्वचालित रूप से सुलग जाती है। कम्प्रेशन-प्रज्वलन इंजनों में ठंडी शुरुआत वाली विशेषताओं के सुधार के लिए ग्लो प्लग का उपयोग हो सकता है। स्पार्क प्लग का उपयोग अन्य अनुप्रयोगों में भी किया जा सकता है जैसे कि भट्ठी में, जहां एक दहनशील मिश्रण को प्रज्वलित किया जाना चाहिए। इस मामले में, उन्हें कभी-कभी फ्लेम इग्नाइटर्स भी कहा जाता है। .

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ईन्धन

जलती हुई प्राकृतिक गैस ईधंन (Fuel) ऐसे पदार्थ हैं, जो आक्सीजन के साथ संयोग कर काफी ऊष्मा उत्पन्न करते हैं। 'ईंधन' संस्कृत की इन्ध्‌ धातु से निकला है जिसका अर्थ है - 'जलाना'। ठोस ईंधनों में काष्ठ (लकड़ी), पीट, लिग्नाइट एवं कोयला प्रमुख हैं। पेट्रोलियम, मिट्टी का तेल तथा गैसोलीन द्रव ईधंन हैं। कोलगैस, भाप-अंगार-गैस, द्रवीकृत पेट्रोलियम गैस और प्राकृतिक गैस आदि गैसीय ईंधनों में प्रमुख हैं। आजकल परमाणु ऊर्जा भी शक्ति के स्रोत के रूप में उपयोग की जाती है, इसलिए विखंडनीय पदार्थों (fissile materials) को भी अब ईंधन माना जाता है। वैज्ञानिक और सैनिक कार्यों के लिए उपयोग में लाए जानेवाले राकेटों में, एल्कोहाल, अमोनिया एवं हाइड्रोजन जैसे अनेक रासायनिक यौगिक भी ईंधन के रूप में प्रयुक्त होते हैं। इन पदार्थों से ऊर्जा की प्राप्ति तीव्र गति से होती है। विद्युत्‌ ऊर्जा का प्रयोग भी ऊष्मा की प्राप्ति के लिए किया जाता है इसलिए इसे भी कभी-कभी ईंधनों में सम्मिलित कर लिया जाता है। .

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वायु

वायु पंचमहाभूतों मे एक हैं| अन्य है पृथिवी, जल, अग्नि व आकाश वायु वस्तुत: गैसो का मिश्रण है, जिसमे अनेक प्रकार की गैस जैसे जारक, प्रांगार द्विजारेय, नाट्रोजन, उदजन ईत्यादि शामिल है।.

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इंजन स्टार्टर

गाड़ियों को स्टार्ट करने वाला मोटर सभी प्रकार के अन्तर्दहन इंजनों को स्टार्ट करने के लिये किसी वाह्य ऊर्जा-स्रोत का उपयोग करके उन्हें कुछ चक्कर घुमाना पड़ता है क्योंकि वे अचालित अवस्था में (अर्थात् शून्य RPM पर) अन्तर्दहन इंजन बलाघूर्ण नहीं पैदा करता।। इस कार्य के लिये प्रयुक्त होने वाली युक्ति को इंजन प्रवर्तक या इंजन स्टार्टर कहते हैं। मोटर स्टार्टर द्वारा कुछ चक्कर घुमाने के बाद इंजन स्वयं अपनी शक्ति से घूमने लगता है और स्टार्टर को तुरन्त बन्द कर दिया जाता है। इंजन स्टार्टर कई प्रकार के होते हैं जैसे - वैद्युत मोटर, वायुचालित मोटर (pneumatic motor), द्रवचालित मोटर (hydraulic motor) आदि। किन्तु आजकल अधिकांशतः बैटरी-चालित डीसी मोटर ही इस काम के लिए सबसे अधिक प्रयुक्त होता है। .

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अन्तर्दहन इंजन

42-सिलिण्डर वाला JSC Zvezda M503 डीजल इंजन, 2940 kW अन्तर्दहन इंजन (अन्तः दहन इंजन या आन्तरिक दहन इंजन या internal combustion engine) ऐसा इंजन है जिसमें ईंधन एवं आक्सीकारक सभी तरफ से बन्द एक बेलानाकार दहन कक्ष में जलते हैं। दहन की इस क्रिया में प्रायः हवा ही आक्सीकारक का काम करती है। जिस बन्द कक्ष में दहन होता है उसे दहन कक्ष (कम्बशन चैम्बर) कहते हैं। दहन की यह अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी (exothermic reaction) होती है जो उच्च ताप एवं दाब वाली गैसें उत्पन्न करती है। ये गैसें दहन कक्ष में लगे हुए एक पिस्टन को धकेलती हुए फैलतीं है। पिस्टन एक कनेक्टिंग रॉड के माध्यम से एक क्रेंक शाफ्ट(घुमने वाली छड़) से जुड़ा होता है, इस प्रकार जब पिस्टन नीचे की तरफ जाता है तो कनेक्टिंग रॉड से जुड़ी क्रेंक शाफ्ट घुमने लगती है, इस प्रकार ईंधन की रासायनिक ऊर्जा पहले ऊष्मीय ऊर्जा में बदलती है और फिर ऊष्मीय ऊर्जा यांत्रिक उर्जा में बदल जाती है। अन्तर्दहन इंजन के विपरीत बहिर्दहन इंजन, (जैसे, वाष्प इंजन) में कार्य करने वाला तरल (जैसे वाष्प) किसी अन्य कक्ष में किसी तरल को गरम करके प्राप्त किया जाता है। प्रायः पिस्टनयुक्त प्रत्यागामी इंजन, जिसमें कुछ-कुछ समयान्तराल के बाद दहन होता है (लगातार नहीं), को ही अन्तर्दहन इंजन कहा जाता है किन्तु जेट इंजन, अधिकांश रॉकेट एवं अनेक गैस टर्बाइनें भी अन्तर्दहन इंजन की श्रेणी में आती हैं जिनमें दहन की क्रिया अनवरत रूप से चलती रहती है। .

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