सामग्री की तालिका
20 संबंधों: दीपाली पंत जोशी, नेपाल की अर्थव्यवस्था, बेकर प्रजनन वक्र, भूमंडलीय ऊष्मीकरण का प्रभाव, मिलानो, राष्ट्रीय महिला कोष, लघु वित्त, समष्टि अर्थशास्त्र, सिंधु जल समझौता, संततिनिरोध, स्नेहलता श्रीवास्तव, सोवियत संघ का विघटन, जल संसाधन, आत्महत्या, आर्थिक शब्दावली, आर्थिक वृद्धि, आवश्यक वस्तु अधिनियम, क्षेत्रवाद, अदनसोनिया, उदारीकरण।
दीपाली पंत जोशी
डॉ॰ दीपाली पंत जोशी आर्थिक सलाहकार और लेखिका हैं। वे भारतीय रिज़र्व बैंक में कार्यपालक निदेशक हैं। उनके पास ग्राहक सेवा विभाग और ग्रामीण आयोजना व ऋण विभाग के दायित्व के साथ-साथ सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत वैकल्पिक अपीलीय अधिकारी का उत्तरदायित्व भी हैं। कार्यपालक निदेशक के रूप में अपनी नियुक्ति के पूर्व डॉ॰ जोशी राजस्थान की क्षेत्रीय निदेशक थी। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया 1975-1980 के विकास की राजनीतिक अर्थव्यवस्था में पीएचडी डिग्री प्राप्त की है। डॉ॰ जोशी ने प्रशासनिक विधि में विशेषता के साथ विधि में स्नातक डिग्री भी प्राप्त की है। उन्होंने ग्रामीण ऋण और वित्तीय समावेशन पर व्यापक रूप से लिखा है। "ग्रामीण और विकासोन्मुख बैंकिंग" और "सोशल बैंकिंग: प्रोमिस, परफ़ोर्मेंस एंड पोटेन्शियल" (अंग्रेजी) उनकी प्रमुख पुस्तकें है। .
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नेपाल की अर्थव्यवस्था
नेपाल का आर्थिक विकास एक जटिल विषय है जो शासनों के लगातार बदलते रहने से अत्यधिक प्रभावित हुआ है। यहाँ का शासन राजतन्त्र से लेकर वर्तमान वामपंथी सरकार तह विस्तृत है। नेपाली समाज २०वीं शताब्दी के मध्य तक एक कृषि-प्रधान समाज था। १९५१ में यह एक नयी व्यवस्था में कद्म रखा। उस समय विद्यालय, अस्पताल, सड़कें, संचार के साधन, बिजली, उद्योग आदि का नितान्त अभाव था। उसके बाद नेपाल ने सतत विकास किया है। नेपाल ने अपनी अर्थव्य्वस्था को आर्थिक उदारता के रास्ते पर चला दिया है। इस देश में बार-बार सरकारों का बदलना तथा भ्रष्टाचार दो मुख्य कारण हैं जो तीव्र आर्थिक विकास में बाधक हैं। .
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बेकर प्रजनन वक्र
बेकर प्रजनन वक्र (Becker's Fertility Curve) प्रजनन तथा आर्थिक विकास, जिसे प्रतिव्यक्ति आय के रूप में व्यक्त किया गया हो, के बीच संबंध को प्रदर्शित करने वाला प्रारूप है। राबर्ट बारो और गैरी बेकर द्वारा प्रतिपादित इस प्रारूप के अनुसार कुछ सीमा तक प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि प्रजननता में वृद्धि लाएगी, किंतु एक निश्चित सीमा के उपरांत प्रतिव्यक्ति आय की वृद्धि के साथ प्रजननता में कमी आएगी और वह भी घटती हुई दर में गिरेगी। प्रारूप के अनुसार यह वक्र उल्टे यू (inverted U) की भांति होगा। .
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भूमंडलीय ऊष्मीकरण का प्रभाव
extreme weather). (Third Assessment Report) इस के अंतर पैनल तौर पर जलवायु परिवर्तन (Intergovernmental Panel on Climate Change)। इस भविष्यवाणी की प्रभावों के ग्लोबल वार्मिंग इस पर पर्यावरण (environment) और के लिए मानव जीवन (human life) कई हैं और विविध.यह आम तौर पर लंबे समय तक कारणों के लिए विशिष्ट प्राकृतिक घटनाएं विशेषता है, लेकिन मुश्किल है के कुछ प्रभावों का हाल जलवायु परिवर्तन (climate change) पहले से ही होने जा सकता है।Raising sea levels (Raising sea levels), glacier retreat (glacier retreat), Arctic shrinkage (Arctic shrinkage), and altered patterns of agriculture (agriculture) are cited as direct consequences, but predictions for secondary and regional effects include extreme weather (extreme weather) events, an expansion of tropical diseases (tropical diseases), changes in the timing of seasonal patterns in ecosystems (changes in the timing of seasonal patterns in ecosystems), and drastic economic impact (economic impact)। चिंताओं का नेतृत्व करने के लिए हैं राजनीतिक (political) सक्रियता प्रस्तावों की वकालत करने के लिए कम (mitigate), समाप्त (eliminate), या अनुकूलित (adapt) यह करने के लिए। 2007 चौथी मूल्यांकन रिपोर्ट (Fourth Assessment Report) के द्वारा अंतर पैनल तौर पर जलवायु परिवर्तन (Intergovernmental Panel on Climate Change) (आईपीसीसी) ने उम्मीद प्रभावों का सार भी शामिल है। .
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मिलानो
मिलान (Milano,; पश्चिमी लोम्बार्ड: मिलान) इटली का एक शहर और लोम्बार्डी क्षेत्र और मिलान प्रान्त की राजधानी है। मूल शहर की जनसंख्या लगभग 1,300,000 है, जबकि शहरी क्षेत्र 4,300,000 की अनुमानित जनसंख्या के साथ यूरोपीय संघ में पांचवा सबसे बड़ा है। इटली में सबसे बड़े, मिलान महानगरीय क्षेत्र की आबादी, OECD द्वारा अनुमानित तौर पर 7,400,000 है। शहर की स्थापना मीडियोलेनम नाम के तहत केल्टिक लोग इनसबरेस द्वारा की गई थी। इसे बाद में ई.पू.
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राष्ट्रीय महिला कोष
गरीब महिलाओं की ऋण सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूरा करने के उद्देश्य से सन् 1993 में राष्ट्रीय महिला कोष का गठन किया गया। स्वयं सहायता समूहों के द्वारा सहायता प्रदान कर महिलाओं की आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त करने में इस कोष की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। .
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लघु वित्त
कंबोडिया में समुदाय-आधारित बचत बैंक. ग़रीबों की सेवा करने वाले विविध वित्तीय संस्थान हैं। व्यष्टि-वित्त का मतलब है, उपभोक्ताओं तथा स्व-नियोजित व्यक्तियों सहित निम्न आय वर्ग के ग्राहकों को वित्तीय सेवाएं मुहैया कराना.
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समष्टि अर्थशास्त्र
समष्टि अर्थशास्त्र में चक्रण (सर्कुलेशन) समष्टि अर्थशास्त्र (मैक्रो इकनॉमिक्स) आर्थिक विश्लेषण की वह शाखा है जिसमें समुच्चय का विश्लेषण सम्पूर्ण अर्थशास्त्र के सन्दर्भ में किया जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र में समस्त आर्थिक क्रियाओं का संपूर्ण रूप से अध्ययन किया जाता है। राष्ट्रीय आय, उत्पादन, रोजगार/बेरोजगारी, व्यापार चक्र, सामान्य कीमत स्तर, मुद्रा संकुचन, आर्थिक विकास, अंतरराष्ट्रीय व्यापार, आदि इसकी आर्थिक क्रियाएँ हैं जिनका विश्लेषण इसके अंतर्गत किया जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र, विश्लेषण प्रकृति में योगात्मक है। यह एक व्यक्तिगत इकाई के रूप में राष्ट्र के व्यवहार का अध्ययन करता है। सबसे महत्वपूर्ण मैक्रोइकॉनॉमिक्स चर हैं राष्ट्रीय आय, राष्ट्रीय निवेशमुद्रा की क्रय शक्ति में बदल, मुद्रास्फीति और संकुचन, अर्थव्यवस्था में रोजगार का स्तर, बजटीय सरकार की नीति और देश के भुगतान संतुलन और विदेशी मुद्रा। मैक्रोइकॉनॉमिक्स अर्थव्यवस्था एक पूरे रूप में संचालन का विश्लेषण करती है। यह अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन में सुधार करने के लिए नीतियों की सिफारिश करती है। .
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सिंधु जल समझौता
सिंधु जल संधि पानी के वितरण लिए भारत और पाकिस्तान के बीच हुई एक संधि है। इस सन्धि में विश्व बैंक (तत्कालीन पुनर्निर्माण और विकास हेतु अंतरराष्ट्रीय बैंक) ने मध्यस्थता की। द गार्डियन, Monday 3 June 2002 01.06 BST इस संधि पर कराची में 19 सितंबर, 1960 को भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के अनुसार, तीन "पूर्वी" नदियों — ब्यास, रावी और सतलुज — का नियंत्रण भारत को, तथा तीन "पश्चिमी" नदियों — सिंधु, चिनाब और झेलम — का नियंत्रण पाकिस्तान को दिया गया। हालाँकि अधिक विवादास्पद वे प्रावधान थे जनके अनुसार जल का वितरण किस प्रकार किया जाएगा, यह निश्चित होना था। क्योंकि पाकिस्तान के नियंतरण वाली नदियों का प्रवाह पहले भारत से होकर आता है, संधि के अनुसार भारत को उनका उपयोग सिंचाई, परिवहन और बिजली उत्पादन हेतु करने की अनुमति है। इस दौरान इन नदियों पर भारत द्वारा परियोजनाओं के निर्माण के लिए सटीक नियम निश्चित किए गए। यह संधि पाकिस्तान के डर का परिणाम थी कि नदियों का आधार (बेसिन) भारत में होने के कारण कहीं युद्ध आदि की स्थिति में उसे सूखे और अकाल आदि का सामना न करना पड़े। 1960 में हुए संधि के अनुसमर्थन के बाद से भारत और पाकिस्तान में कभी भी "जलयुद्ध" नहीं हुआ। हर प्रकार के असहमति और विवादों का निपटारा संधि के ढांचे के भीतर प्रदत्त कानूनी प्रक्रियाओं के माध्यम से किया गया है। Strategic Foresight Group, --> इस संधि के प्रावधानों के अनुसार सिंधु नदी के कुल पानी का केवल 20% का उपयोग भारत द्वारा किया जा सकता है। .
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संततिनिरोध
जन्म नियंत्रण को गर्भनिरोध और प्रजनन क्षमता नियंत्रण के नाम से भी जाना है ये गर्भधारण को रोकने के लिए विधियां या उपकरण हैं। जन्म नियंत्रण की योजना, प्रावधान और उपयोग को परिवार नियोजन कहा जाता है। सुरक्षित यौन संबंध, जैसे पुरुष या महिला निरोध का उपयोग भीयौन संचरित संक्रमण को रोकने में भी मदद कर सकता है। जन्म नियंत्रण विधियों का इस्तेमाल प्राचीन काल से किया जा रहा है, लेकिन प्रभावी और सुरक्षित तरीके केवल 20 वीं शताब्दी में उपलब्ध हुए। कुछ संस्कृतियां जान-बूझकर गर्भनिरोधक का उपयोग सीमित कर देती हैं क्योंकि वे इसे नैतिक या राजनीतिक रूप से अनुपयुक्त मानती हैं। जन्म नियंत्रण की प्रभावशाली विधियां पुरूषों मेंपुरूष नसबंदी के माध्यम से नसबंदी और महिलाओं में ट्यूबल लिंगेशन, अंतर्गर्भाशयी युक्ति (आईयूडी) और प्रत्यारोपण योग्य गर्भ निरोधकहैं। -->इसे मौखिक गोलियों, पैचों, योनिक रिंग और इंजेक्शनों सहित अनेकोंहार्मोनल गर्भनिरोधकोंद्वारा इसे अपनाया जाता है। --> कम प्रभावी विधियों में बाधा जैसे कि निरोध, डायाफ्रामऔर गर्भनिरोधक स्पंज और प्रजनन जागरूकता विधियां शामिल हैं। --> बहुत कम प्रभावी विधियां स्पर्मीसाइडऔर स्खलन से पहले निकासी। --> नसबंदी के अत्यधिक प्रभावी होने पर भी यह आम तौर पर प्रतिवर्ती नहीं है; बाकी सभी तरीके प्रतिवर्ती हैं, उन्हें जल्दी से रोका जा सकता हैं। आपातकालीन जन्म नियंत्रण असुरक्षित यौन संबंधों के कुछ दिन बाद की गर्भावस्था से बचा सकता है। नए मामलों में जन्म नियंत्रण के रूप में यौन संबंध से परहेज लेकिन जब इसे गर्भनिरोध शिक्षा के बिना दिया जाता है तो यहकेवल-परहेज़ यौन शिक्षा किशोरियों में गर्भावस्थाएँ बढ़ा सकती है। किशोरोंमें गर्भावस्था में खराब नतीजों के खतरे होते हैं। --> व्यापक यौन शिक्षा और जन्म नियंत्रण विधियों का प्रयोग इस आयु समूह में अनचाही गर्भावस्थाओं को कम करता है। जबकि जन्म नियंत्रण के सभी रूपों युवा लोगों द्वारा प्रयोग किया जा सकता है, दीर्घकालीन क्रियाशील प्रतिवर्ती जन्म नियंत्रण जैसे प्रत्यारोपण, आईयूडी, या योनि रिंग्स का किशोर गर्भावस्था की दरों को कम करने में विशेष रूप से फायदा मिलता हैं। प्रसव के बाद, एक औरत जो विशेष रूप से स्तनपान नहीं करवा रही है, वह चार से छह सप्ताह के भीतर दोबारा गर्भवती हो सकती है।--> जन्म नियंत्रण की कुछ विधियों को जन्म के तुरंत बाद शुरू किया जा सकता है, जबकि अन्य के लिए छह महीनों तक की देरी जरूरी होती है।--> केवल स्तनपान करवाने वाली प्रोजैस्टिन महिलाओं में ही संयुक्त मौखिक गर्भनिरोधकों के प्रयोग को ज्यादा पसंद किया जाता हैं।--> वे सहिलाएं जिन्हे रजोनिवृत्ति हो गई है, उन्हे अंतिम मासिक धर्म से लगातार एक साल तक जन्म नियंत्रण विधियां अपनाने की सिफारिश की जाती है। विकासशील देशों में लगभग 222 मिलियन महिलाएं ऐसी हैं जो गर्भावस्था से बचना चाहती हैं लेकिन आधुनिक जन्म नियंत्रण विधि का प्रयोग नहीं कर रही हैं। विकासशील देशों में गर्भनिरोध के प्रयोग से मातृत्व मृत्यु में 40% (2008 में लगभग 270,000 लोगों को मौत से बचाया गया) की कमी आयी है और यदि गर्भनिरोध की मांग को पूरा किया जाए तो 70% तक मौतों को रोका जा सकता है। गर्भधारण के बीच लम्बी अवधि से जन्म नियंत्रण व्यस्क महिलाओं के प्रसव के परिणामों और उनके बच्चों उत्तरजीविता में सुधार करेगा। जन्म नियंत्रण के ज्यादा से ज्यादा उपयोग से विकासशील देशों में महिलाओं की आय, संपत्तियों, वजन और उनके बच्चों की स्कूली शिक्षा और स्वास्थ्य सभी में सुधार होगा। कम आश्रित बच्चों, कार्य में महिलाओं की ज्यादा भागीदारी और दुर्लभ संसाधनों की कम खपत के कारण जन्म नियंत्रण, आर्थिक विकास को बढ़ाता है। .
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स्नेहलता श्रीवास्तव
श्रीमति स्नेहलता श्रीवास्तव (जन्म 18 सितंबर 1957) लोकसभा की पहली महिला महासचिव हैं। वे 29 नवंबर, 2017 को लोकसभा की पहली महिला महासचिव नियुक्त हुईं। इस पद पर उनका कार्यकाल 1 दिसंबर, 2017 से 30 नवंबर, 2018 तक है। इसके पूर्व वे भारत के राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक की अध्यक्ष रह चुकी हैं। वे मध्य प्रदेश कैडर के 1982 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं और वित्तीय सेवा विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार में अपर सचिव के पद पर हैं। वे आईडीबीआई बैंक लिमिटेड, आईडीएफसी लिमिटेड और भारतीय साधारण बीमा निगम के निदेशक मंडल में एक निदेशक भी हैं। ०१ दिसंबर २०१७ को भारत के लोकसभा की प्रथम महिला महासचिव पद पर उनकी नियुक्ति हुयी है। .
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सोवियत संघ का विघटन
सोवियत संघ के विघटन को दिखाने वाला चल-मानचित्र सोवियत संघ, 26 दिसम्बर 1991 को विघटित घोषित हुआ। इस घोषणा में सोवियत संघ के भूतपूर्व गणतन्त्रों को स्वतन्त्रत मान लिया गया। विघटन के पूर्व मिखाइल गोर्वाचेव, सोवियत संघ के राष्ट्रपति थे। विघटन की घोषणा के एक दिन पूर्व उन्होने पदत्याग दिया था। विघटन की इस प्रक्रिया आरम्भ आम तौर पर गोर्वाचेव के सत्ता ग्रहण करने के साथ जोड़ा जाता है। वास्तव में सोवियत संघ के विघटन की प्रक्रिया बहुत पहले शुरू हो चुकी थी। सोवियत संघ के निपात के अनेक बुनियादी एवं ऐतिहासिक कारण हैं जो सतही नजर डालने पर नहीं दिखते। .
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जल संसाधन
जल संसाधन पानी के वह स्रोत हैं जो मानव के लिए उपयोगी हों या जिनके उपयोग की संभावना हो। पानी के उपयोगों में शामिल हैं कृषि, औद्योगिक, घरेलू, मनोरंजन हेतु और पर्यावरणीय गतिविधियों में। वस्तुतः इन सभी मानवीय उपयोगों में से ज्यादातर में ताजे जल की आवश्यकता होती है। पृथ्वी पर पानी की कुल उपलब्ध मात्रा अथवा भण्डार को जलमण्डल कहते हैं। पृथ्वी के इस जलमण्डल का ९७.५% भाग समुद्रों में खारे जल के रूप में है और केवल २.५% ही मीठा पानी है, उसका भी दो तिहाई हिस्सा हिमनद और ध्रुवीय क्षेत्रों में हिम चादरों और हिम टोपियों के रूप में जमा है। शेष पिघला हुआ मीठा पानी मुख्यतः जल के रूप में पाया जाता है, जिस का केवल एक छोटा सा भाग भूमि के ऊपर धरातलीय जल के रूप में या हवा में वायुमण्डलीय जल के रूप में है। मीठा पानी एक नवीकरणीय संसाधन है क्योंकि जल चक्र में प्राकृतिक रूप से इसका शुद्धीकरण होता रहता है, फिर भी विश्व के स्वच्छ पानी की पर्याप्तता लगातार गिर रही है दुनिया के कई हिस्सों में पानी की मांग पहले से ही आपूर्ति से अधिक है और जैसे-जैसे विश्व में जनसंख्या में अभूतपूर्व दर से वृद्धि हो रही हैं, निकट भविष्य मैं इस असंतुलन का अनुभव बढ़ने की उम्मीद है। पानी के प्रयोक्ताओं के लिए जल संसाधनों के आवंटन के लिए फ्रेमवर्क (जहाँ इस तरह की एक फ्रेमवर्क मौजूद है) जल अधिकार के रूप में जाना जाता है। आज जल संसाधन की कमी, इसके अवनयन और इससे संबंधित तनाव और संघर्ष विश्वराजनीति और राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। जल विवाद राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर महत्वपूर्ण विषय बन चुके हैं। .
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आत्महत्या
आत्महत्या (लैटिन suicidium, sui caedere से, जिसका अर्थ है "स्वयं को मारना") जानबूझ कर अपनी मृत्यु का कारण बनने के लिए कार्य करना है। आत्महत्या अक्सर निराशा के चलते की जाती है, जिसके लिए अवसाद, द्विध्रुवीय विकार, मनोभाजन, शराब की लत या मादक दवाओं का सेवनजैसे मानसिक विकारों को जिम्मेदार ठहराया जाता है। तनाव के कारक जैसे वित्तीय कठिनाइयां या पारस्परिक संबंधों में परेशानियों की भी अक्सर एक भूमिका होती है। आत्महत्या को रोकने के प्रयासों में आग्नेयास्त्रों तक पहुंच को सीमित करना, मानसिक बीमारी का उपचार करना तथा नशीली दवाओं के उपयोग को रोकना तथा आर्थिक विकास को बेहतर करना शामिल हैं। आत्महत्या करने के लिए उपयोग की जाने वाली सबसे आम विधि, देशों के अनुसार भिन्न-भिन्न होती है और आंशिक रूप से उपलब्धता से संबंधित है। आम विधियों में निम्नलिखित शामिल हैं: लटकना, कीटनाशक ज़हर पीना और बंदूकें। लगभग 8,00,000 से 10,00,000 लोग हर वर्ष आत्महत्या करते हैं, जिस कारण से यह दुनिया का दसवे नंबर का मानव मृत्यु का कारण है। पुरुषों से महिलाओं में इसकी दर अधिक है, पुरुषों में महिलाओं की तुलना में इसके होने का समभावना तीन से चार गुना तक अधिक है। अनुमानतः प्रत्येक वर्ष 10 से 20 मिलियन गैर-घातक आत्महत्या प्रयास होते हैं। युवाओं तथा महिलाओं में प्रयास अधिक आम हैं। इतिहास सम्मान और जीवन का अर्थ जैसे व्यापक अस्तित्व विषयों द्वारा आत्महत्या के विचारों पर प्रभाव पड़ता है। अब्राहमिक धर्म पारम्परिक रूप से आत्महत्या को ईश्वर के समक्ष किया जाने वाला पाप मानते हैं क्योंकि वे जीवन की पवित्रतामें विश्वास करते हैं। जापान में सामुराई युग में, सेप्पुकू को विफलता का प्रायश्चित या विरोध का एक रूप माना जाता था। सती, जो अब कानूनन निषिद्ध है हिंदू दाह संस्कार है, जो पति की चिता पर विधवा द्वारा खुद को बलिदान करने से संबंधित है, यह अपनी इच्छा या परिवार व समाज के दबाव में किया जाता था। आत्महत्या और आत्महत्या का प्रयास, पूर्व में आपराधिक रूप से दंडनीय था लेकिन पश्चिमी देशों में अब ऐसा नहीं है। बहुत से मुस्लिम देशों में यह आज भी दंडनीय अपराध है। 20वीं और 21 वीं शताब्दी में आत्मदाह के रूप में आत्महत्या विरोध का एक तरीका है और कामीकेज़ और आत्मघाती वम विस्फोट को फौजी या आतंकवादी युक्ति के रूप में उपयोग किया जाता है। .
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आर्थिक शब्दावली
; डिबेंचर यह एक ऋण का एक साधन है जिसके माध्यम से सरकार या कंपनियां धन जुटाती हैं। यह इक्विटी शेयरों से भिन्न होता है। डिबेंचर खरीदने वाला वास्तव में कर्जदाता होता है। डिबेंचर जारी करने वाली कंपनी या संस्थान गिरवी के तौर पर कुछ नहीं रखती, खरीदार उनकी साख और प्रतिष्ठा को देखते हुए डिबेंचर खरीदते हैं। डीबेंचर जारी करने वाली कंपनी या संस्थान कर्जदाताओं (डिबेंचर खरीदने वालों को) निश्चित ब्याज देते हैं। कंपनियां शेयरधारकों को भले ही लाभांश नहीं दे लेकिन उसे कर्जदाताओं (डिबेंचरधारकों) को ब्याज देना ही होता है। सरकार द्वारा जारी किया जाने वाला ट्रेजरी बॉन्ड या ट्रेजरी बिल आदि भी जोखिम रहित डिबेंचर ही होते हैं क्योंकि सरकार इस प्रकार के कर्ज चुकाने के लिए कर बढ़ा सकती है या अधिक नोटों का मुद्रण कर सकती है।; ऑफशोर फंड (Offshore Fund) जिस फंड के अंतर्गत म्युचुअल फंड कंपनियां विदेश से धन जुटा कर देश के भीतर विनियोजित करती हैं उसे ऑफशोर फंड कहते हैं।; वेंचर कैपिटल (Venture Capital) नये व्यवसाय की शुरुआत के लिए जुटाई जाने वाली पूंजी को वेंचर कैपिटल या साहस पूंजी या दायित्व पूंजी कहते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो निवेशकों द्वारा शुरु हो रही छोटी कंपनियों, भविष्य में जिनके विकास की प्रबल संभावना होती है, को उपलब्ध कराई जाने वाली पूंजी को वेंचर कैपिटल कहते हैं। कंपनियां ऐसी पूंजी जुटाने के लिए इक्विटी शेयर जारी करती हैं।; फॉरवर्ड सौदा (Forward Contract) नकदी बाजार (शेयरों के मामले में) या हाजिर बाजार (कमोडिटी के मामले में) में किया जाने वाला सौदा जिसका निपटारा भविष्य की एक निश्चित तारीख को सुपुर्दगी के साथ निपटाया जाता है।; डेरिवेटिव (Derivative) वैसी प्रतिभूति जिसका मूल्य उसके अंतर्गत एक या एक से अधिक परिसंपत्तियों के ऊपर निर्भर करता है या उनसे प्राप्त किया जाता है। डेरिवेटिव दो या दो से अधिक पक्षों के बीच किया जाने वाला करार है। इसका मूल्य निर्धारण उन परिसंपत्तियों के मूल्यों में होने वाले उतार-चढ़ाव के आधार पर किया जाता है। आमतौर पर ऐसी परिसंपत्तियों में स्टॉक, बॉन्ड, जिन्स, मुद्राएं, ब्याज-दर और बाजार सूचकांक शामिल होते हैं। डेरिवेटिव का इस्तेमाल साधारणत: जोखिमों की हेजिंग के लिए किया जाता है लेकिन इसका प्रयोग सट्टेबाजी के उद्देश्य से भी किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर एक यूरोपियन निवेशक अमेरिकन कंपनी के शेयरों की खरीदारी अमेरिकन एक्सचेंज से (डॉलर का इस्तेमाल करते हुए) करता है। शेयर अपने पास रखते हुए उसे विनिमय दर का जोखिम बना रहता है। इस जोखिम की हेजिंग के लिए वह निवेशक विशेष विनिमय दर के मुताबिक डॉलर को यूरो में परिवर्तित करना चाहेगा। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए वह मुद्रा की वायदा खरीद सकता है ताकि जब कभी वह अपना शेयर बेचे और मुद्रा को यूरो में परिवर्तित करे तो उसे विनिमय दर संबंधी हानि नहीं हो।;ओपेन एन्डेड फण्ड (Open Ended Fund) सतत खुली योजनाएंम्युचुअल फंडों की वैसी योजनाएं जिनकी कोई लॉक इन अवधि (वह पूर्व-निर्धारित अवधि जिससे पहले निवेश किए गए पैसों की निकासी की अनुमति नहीं होती है) नहीं होती है। इनके यूनिटों की खरीद-बिक्री तत्कालीन शुध्द परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी) पर कभी भी की जा सकती है।; प्रतिभूतियां (Securities) प्रतिभूतियां लिखित प्रमाणपत्र होती हैं जो ऋण लेने के बदले दी जाती है। इनमें जारी करने के शर्र्तों एवं मूल्यों का उल्लेख होता है तथा इनका क्रय-विक्रय भी किया जाता है। सरकार द्वारा जारी किया जाने वाला बॉन्ड, तरजीही शेयर, ऋण पत्र आदि प्रतिभूतियों की श्रेणी में आते हैं। प्रतिभूति शब्द का इस्तेमाल व्यापक तौर पर किया जाता है।; शेयर विभाजन (Stock Split) कोई कंपनी अपने महंगे शेयर को छोटे निवेशकों के लिए वहनीय बनाने और उसे आकर्षक बनाने के लिए शेयरों का विभाजन करती है। अगर कोई कंपनी अपने शेयरों का विभाजन 2:1 में करती है तो उसका मतलब होता है कि शेयरों की संख्या दोगुनी कर दी गई है और उसका मूल्य आधा कर दिया गया है।; मुद्रा का विनिमय मूल्य (Exchange Value of Money): जब देश की प्रचलित मुद्रा का मूल्य किसी विदेशी मुद्रा के साथ निर्धारित किया जाता है ताकि मुद्रा की अदला-बदली की जा सके तो इस मूल्य को मुद्रा का विनिमय मूल्य कहा जाता है। वह मूल्य दोनों देशों की मुद्राओं की आंतरिक क्रय शक्ति पर निर्भर करता है।; मुद्रास्फीति (Inflation): मुद्रास्फीति वह स्थिति है जिसमें मुद्रा का आंतरिक मूल्य गिरता है और वस्तुओं के मूल्य बढ़ते हैं। यानी मुद्रा तथा साख की पूर्ति और उसका प्रसार अधिक हो जाता है। इसे मुद्रा प्रसार या मुद्रा का फैलाव भी कहा जाता है।; मुदा अवमूल्यन (Money Devaluation): यह कार्य सरकार द्वारा किया जाता है। इस क्रिया से मुद्रा का केवल बाह्य मूल्य कम होता है। जब देशी मुद्रा की विनिमय दर विदेशी मुद्रा के अनुपात में अपेक्षाकृत कम कर दी जाती है, तो इस स्थिति को मुद्रा का अवमूल्यन कहा जाता है।; रेंगती हुई मुद्रास्फीति (Creeping Inflation): मुद्रास्फीति का यह नर्म रूप है। यदि अर्थव्यवस्था में मूल्यों में अत्यंत धीमी गति से वृद्धि होती है तो इसे रेंगती हुई स्फीति कहते हैं। अर्थशास्त्री इस श्रेणी में एक फीसदी से तीन फीसदी तक सालाना की वृद्धि को रखते हैं। यह स्फीति अर्थव्यवस्था को जड़ता से बचाती है।; रिकॉर्ड तारीख (Record List): बोनस शेयर, राइट शेयर या लाभांश आदि घोषित करने के लिए कंपनी एक ऐसी तारीख की घोषणा करती है जिस तारीख से रजिस्टर बंद हो जाएंगे। इस घोषित तारीख तक कंपनी के रजिस्टर में अंकित प्रतिभूति धारक ही वास्तव में धारक माने जाते हैं। इस तारीख को ही रेकॉर्ड तारीख माना जाता है।; रिफंड ऑर्डर (Refun Order): यदि किसी शेयर आवेदन पत्र पर शेयर आवंटन की कार्यवाही नहीं होती तो कंपनी को आवेदन पत्र के साथ संपूर्ण रकम वापस करनी होती है। रकम वापसी के लिए कंपनी जो प्रपत्र भेजती है उसे रिफंड ऑर्डर कहा जाता है। रिफंड ऑर्डर चेक, ड्राफ्ट या बैंकर चेक के रूप में होता है तथा जारीकर्ता बैंक की स्थानीय शाखा में सामान्यत: सममूल्य पर भुनाए जाते हैं।;लाभांश (Dividend): विभाजन योग्य लाभों का वह हिस्सा जो शेयरधारकों के बीच वितरित किया जाता है, लाभांश कहा जाता है। यह करयुक्त और करमुक्त दोनों हो सकता है। यह शेयरधारकों की आय है।;लाभांश दर (Dividend Rate): कंपनी के एक शेयर पर दी जाने वाली लाभांश की राशि को यदि शेयर के अंकित मूल्य के साथ व्यक्त किया जाए तो इसे लाभांश दर कहा जाता है। इसे अमूमन फीसदी में व्यक्त किया जाता है।;लाभांश प्रतिभूतियां (Dividend Securities): जिन प्रतिभूतियों पर प्रतिफल के रूप में निवेशक को लाभांश मिलता है, उन्हें लाभांश वाली प्रतिभूतियां कहा जाता है। जैसे समता शेयर, पूर्वाधिकारी शेयर।;शून्य ब्याज ऋणपत्र (Zero Rated Deventure) इस श्रेणी के डिबेंचरों या बॉन्डों पर सीधे ब्याज नहीं दिया जाता, बल्कि इन्हें जारी करते वक्त कटौती मूल्य पर बेचा जाता है और परिपक्व होने पर पूर्ण मूल्य पर शोधित किया जाता है। जारी करने के लिए निर्धारित कटौती मूल्य के अंतर को ही ब्याज मान लिया जाता है।.
देखें आर्थिक विकास और आर्थिक शब्दावली
आर्थिक वृद्धि
विश्व के प्रमुख देशों का सन् 1990-1998 तथा 1990-2006 में आर्थिक वृद्धि किसी देश की प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में वृद्धि आर्थिक वृद्धि (Economic growth) कहलाती है। आर्थिक वृद्धि केवल उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं का परिमाण बताती है। .
देखें आर्थिक विकास और आर्थिक वृद्धि
आवश्यक वस्तु अधिनियम
आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 को उपभोक्ताओं को अनिवार्य वस्तुओं की सहजता से उपलब्धता सुनिश्चित कराने तथा कपटी व्यापारियों के शोषण से उनकी रक्षा के लिए बनाया गया है। अधिनियम में उन वस्तुओं के उत्पादन वितरण और मूल्य निर्धारण को विनियमित एवं नियंत्रित करने की व्यवस्था की गई है, जिनकी आपूर्ति बनाए रखने या बढ़ाने तथा उनका समान वितरण प्राप्त करने और उचित मूल्य पर उनकी उपलब्धता के लिए अनिवार्य घोषित किया गया है। अधिनियम के तहत अधिकांश शक्तियां राज्य सरकारों को दी गई हैं। अनिवार्य घोषित की गई वस्तुओं की सूची की आर्थिक परिस्थितियों में, परिवर्तनों विशेषतया उनके उत्पादन मांग और आपूर्ति के संबंध में, के आलोक में समय-समय पर समीक्षा की जाती है। 15 फरवरी, 2002 से सरकार ने पहले घोषित अनिवार्य वस्तुओं की सूची से 12 वस्तुओं को पूरी तरह और एक को आंशिक रूप से हटा दिया है। आर्थिक विकास त्वरित करने और उपभोक्ताओं को लाभ पहुँचाने के लिए 31 मार्च 2004 से और दो वस्तुओं को सूची से हटा दिया गया है। वर्तमान में अनिवार्य वस्तुओं की सूची में 16 नाम ही शामिल हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के संदर्भ में यह निर्णय लिया गया कि अनिवार्य वस्तु अधिनियम 1944 केंद्र और राज्य के लिए छत्र विधान के रूप में जारी रहे, जब आवश्यक हो इसका उपयोग तथापि प्रगतिशील नियंत्रण और प्रतिषेध के लिए किया जाए। तदनुसार केंद्र सरकार ने लाइसेंसिंग की आवश्यकता हटाने, स्टॉक सीमा और विनिर्दिष्ट खाद्य वस्तुओं की आवाजाही प्रतिबद्ध करने का आदेश 2002, 15 फरवरी, 2002 अनिवार्य वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत जारी कर दिया है जिसमें गेहूँ, धान, चावल, मोटे अनाज, शर्करा, खाद्य तिलहन और खाद्य तेलों के संबंध में जिसके लिए किसी लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है या अनुमति की आवश्यकता अधिनियम के तहत जारी किसी आदेश के अधीन नहीं है। किसी भी मात्रा में व्यापारी को मुक्त खरीददारी करने, भण्डारण बिक्री, परिवहन, वितरण, बिक्री करने की अनुमति दी गई है।.
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क्षेत्रवाद
क्षेत्रवाद से अभिप्राय किसी देश के उस छोटे से क्षेत्र से है जो आर्थिक,सामाजिक आदि कारणों से अपने पृथक् अस्तित्व के लिए जागृत है। .
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अदनसोनिया
अदनसोनिया वृक्षों की आठ प्रजातियों का एक वंश (जीनस) है, जिनमें से, छह मेडागास्कर, एक अफ्रीका की मुख्य भूमि और अरब प्रायद्वीप तथा एक ऑस्ट्रेलिया की मूल प्रजाति है। अफ्रीकी मुख्य भूमि की प्रजाति के वृक्ष मेडागास्कर में भी पाये जाते हैं, लेकिन यह इस द्वीप की मूल प्रजाति नहीं है। इसे आम तौर पर गोरक्षी (हिन्दी नाम) या बाओबाब के नाम से जाना जाता है। इसके अन्य आम नामों में बोआब, बोआबोआ, बोतल वृक्ष, उल्टा पेड़ तथा बंदर रोटी पेड़ आदि नाम शामिल हैं। अरबी में इसे 'बु-हिबाब' कहा जाता है जिसका अर्थ है 'कई बीजों वाला पेड़', शायद इसी बु-हिबाब शब्द का अपभ्रंश रूप है बाओबाब। बाओबाब का अफ्रीका के आर्थिक विकास में काफ़ी योगदान होने की वजह से अफ्रीका ने इसे 'द वर्ल्ड ट्री' की उपाधि भी प्रदान की है और इसे एक संरक्षित वृक्ष भी घोषित किया है। इसका अनुवांशिक नाम मिशेल एडनसन, जो कि एक फ्रांसीसी प्रकृतिवादी और अन्वेषक थे और जिन्होने पहले पहल इस वृक्ष का वर्णन किया था, के सम्मान में अदनसोनिया डिजिटाटा रखा गया है। .
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उदारीकरण
उदारीकरण सरकार के नियमों के ढलान को संदर्भित करता है भारत में आर्थिक उदारीकरण लगातार जारी होने वाले वित्तीय सुधारों को दर्शाता है जो 24 जुलाई, 1991 के बाद से शुरू हुआ था।उदारीकरण का अर्थ ऐसे नियंत्रण में ढील देना या उन्हें हटा लेना है, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिले। उदारीकरण में वे सारी क्रियाएँ सम्मिलित हैं, जिसके द्वारा किसी देश के आर्थिक विकास में बाधा पहुँचाने वाली आर्थिक नीतियों, नियमों, प्रशासनिक नियंत्रणों, प्रक्रियाओं आदि को समाप्त किया जाता है या उनमे शिथिलता दी जाती है। इस प्रक्रिया में विश्व के साथ व्यापार की शर्तो को उदार बनाया जाता है जिससे ना केवल अर्थव्यवस्था का विकास सुनिश्चित होता है बल्कि देश का व्यापक विकास तथा बहुमुखी उन्नति होती है। श्रेणी:विश्व अर्थव्यवस्था.
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