सामग्री की तालिका
10 संबंधों: परेश रावल, माधुरी दीक्षित की फ़िल्में, युनुस परवेज़, रीमा राकेश नाथ, रीमा लागू, लॉरेंस डिसूज़ा, सैफ़ अली ख़ान, आरज़ू, अमरीश पुरी, अक्षय कुमार की फ़िल्में।
परेश रावल
परेश रावल (जन्म: 30 मई, 1950) हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता हैं। 2014 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया। यह 1994 में राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार सहायक किरदार के लिए से सम्मानित हुए। इसके बाद इन्हें सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता का फ़िल्मफेयर पुरस्कार भी मिल चुका है। यह केतन मेहता की फ़िल्म सरदार में स्वतंत्रता सेनानी वलभभाई पटेल की मुख्य किरदार में नजर आए थे। .
देखें आरज़ू (1999 फ़िल्म) और परेश रावल
माधुरी दीक्षित की फ़िल्में
माधुरी का 2012 का चित्र माधुरी दीक्षित भारतीय अभिनेत्री है जिन्हें बॉलीवुड की फिल्मों में उनके अभिनय के लिए जाना जाता है। 1984 की फिल्म अबोध में उन्होंने एक युवा दुल्हन की भूमिका के साथ अभिनय करियर की शुरुआत की थी। अगले चार वर्षों में माधुरी ने कई फिल्मों में काम किया, जिसमें आवारा बाप (1985), स्वाति (1986), उत्तर दक्षिण (1987) और दयावान (1988) शामिल थीं। हालांकि उनमें से कोई भी उन्हें ज्यादा पहचान नहीं दिला पाई। उनकी सफलता की शुरुआत 1988 में एन चन्द्रा की थ्रिलर तेज़ाब के साथ हुई, जो उस वर्ष की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी। उन्होंने व्यावसायिक रूप से सफल एक्शन-नाटकीय फ़िल्में राम लखन (1989), त्रिदेव (1989), और किशन कन्हैया (1990) में मुख्य भूमिका निभाई। 1990 की रूमानी नाटकीय फ़िल्म दिल में एक अमीर बिगड़ैल लड़की की भूमिका के लिये उन्होंने पहला सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार अर्जित किया। अगले वर्ष उन्होंने साजन में अभिनय किया जो 1991 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फ़िल्म थी। 1992 में बेटा में अपनी चालाक सास के खिलाफ विद्रोह करने वाली महिला का किरदार निभाने के लिये उन्होंने अपना दूसरा फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार जीता। माधुरी ने जैकी श्रॉफ और संजय दत्त के साथ एक्शन थ्रिलर खलनायक (1993) में अभिनय किया जो उस वर्ष की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में से एक थी। उसके बाद उन्होंने अंजाम (1994) में सकारात्मक समीक्षाओं के साथ प्रतिशोधी की भुमिका अदा की। माधुरी की अगली फ़िल्म सूरज बड़जात्या की परिवारिक नाटक हम आपके हैं कौन (1994) थी, जो उस बिंदु तक सबसे ज्यादा कमाई करने वाली बॉलीवुड फिल्म थी। उसने उन्हें बॉलीवुड की प्रमुख अभिनेत्री के रूप में स्थापित किया। अगले वर्ष उनकी राजा और याराना आई। दोनों फ़िल्में सफल रही। हालांकि 1996 की उनकी दोनों फ़िल्में, राजकुमार और प्रेम ग्रंथ वित्तीय विफलता थीं। यश चोपड़ा की 1997 की रोमांटिक फिल्म दिल तो पागल है, उनके लिए बड़ी सफलता थी। इस फिल्म में उनके अभिनय के लिये उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए चौथा फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। तीन साल बाद समीक्षकों द्वारा प्रशंसित फ़िल्म पुकार में, उन्हें अनिल कपूर के साथ देखा गया। जिसके बाद उन्होंने प्रयोगात्मक फिल्म गज गामिनी में पाँच भूमिकाएं चित्रित कीं। 2001 में महिलाओं के अधिकारों पर फ़िल्म, लज्जा में लिंग भेदभाव के खिलाफ लड़ने वाली महिला के रूप में उनकी सहायक भूमिका के लिए माधुरी की प्रशंसा की गई। वर्ष 2002 में दीक्षित ने दो रोमांटिक फ़िल्मों में अभिनय किया, जिसमें शाहरुख खान के विपरीत देवदास भी शामिल थी। इसमें उन्होंने चंद्रमुखी चरित्र निभाया था। जिसके लिये उन्होंने सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री श्रेणी में फिल्मफेयर पुरस्कार जीता था। फ़िल्मों से पांच साल की अनुपस्थिति के बाद, माधुरी ने नृत्य फिल्म आजा नचले (2007) में एक प्रमुख भूमिका निभाई। बॉक्स ऑफिस पर फिल्म की विफलता के बावजूद, उनके प्रदर्शन की सराहना की गई। अभिषेक चौबे की ब्लैक कॉमेडी फिल्म डेढ़ इश्किया (2014) में एक जालसाज महिला की भूमिका उनकी सात साल में पहली अभिनय भूमिका थी। उन्होंने आगे जूही चावला के साथ अपराध नाटकीय फ़िल्म गुलाब गैंग में एक नेता की भूमिका चित्रण की। उनके फिल्म के कार्य के अलावा, माधुरी ने नृत्य रियलिटी शो झलक दिखला जा के चार सत्रों के लिए प्रतिभा जज (judge) के रूप में कार्य किया है। .
देखें आरज़ू (1999 फ़िल्म) और माधुरी दीक्षित की फ़िल्में
युनुस परवेज़
युनुस परवेज़ (जन्म: 1931; निधन: 11 फरवरी, 2007) हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता हैं। .
देखें आरज़ू (1999 फ़िल्म) और युनुस परवेज़
रीमा राकेश नाथ
रीमा राकेश नाथ बॉलीवुड फिल्म लेखिका, निर्देशिका और निर्माता है जो साजन, आरज़ू और हम तुम्हारे हैं सनम जैसी फ़िल्मों की पटकथा लिखने के लिए जानी जाती हैं। .
देखें आरज़ू (1999 फ़िल्म) और रीमा राकेश नाथ
रीमा लागू
रीमा लागू (21 जून 1958 – 18 मई 2017) एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री थीं। इन्हें हिन्दी और मराठी सिनेमा में सहायक और माँ के कई किरदार निभाने के कारण जाना जाता है। यह लगभग चार दशक से मराठी मंच पर कार्य कर रही थीं। इन्होंने मराठी धारावाहिक "तुजा मजा जामेना" में मुख्य किरदार निभाया था, इसके अलावा हिन्दी धारावाहिक "श्रीमान श्रीमती" और "तू तू मैं मैं" में भी महत्वपूर्ण किरदार निभा चुकी हैं। इन्हें कई हिन्दी फिल्मों में माँ के किरदार निभाने के कारण जाना जाता है, जिसमें मैंने प्यार किया, आशिक़ी, साजन, हम आपके हैं कौन, रंगीला, वास्तव, कुछ कुछ होता है, कल हो ना हो और हम साथ साथ हैं आदि है। .
देखें आरज़ू (1999 फ़िल्म) और रीमा लागू
लॉरेंस डिसूज़ा
लॉरेंस डिसूज़ा एक भारतीय फ़िल्म निर्देशक हैं (पहले चलचित्रकार का कार्य कर चुके हैं) जिन्हें मुख्यतः १९९० के दशक की हिन्दी फ़िल्मों के लिए जाना जाता है। उन्होंने सपने साजन के, संग्राम, बलमा, साजन और दिल तेरा आशिक जैसी फ़िल्में निर्देशित की। नदीम श्रवण ने केवल दिल तेरा दिवाना फ़िल्म के अलावा इनकी सभी फ़िल्मों का संगीत स्वयं दिया। साजन उनके जीवन की सबसे सफल फ़िल्म रही। .
देखें आरज़ू (1999 फ़िल्म) और लॉरेंस डिसूज़ा
सैफ़ अली ख़ान
सैफ़ अली ख़ान (जन्म: 16 अगस्त, 1970) हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता हैं। उनके पिता मंसूर अली ख़ान पटौदी एक मशहूर क्रिकेट खिलाड़ी एवं माँ शर्मिला टैगोर हिन्दी फ़िल्मों की मशहूर अभिनेत्री हैं। उनके पूर्वज पटौदी रियासत के नवाब थे | उन्होंने अपना शालेय जीवन लॉरेंस स्कूल, सनावर और लाकर्स पार्क स्कूल, हेर्टफोर्डशिरे,इंग्लैंड में पूरा किया | जिसके बाद महाविद्यालीन पढाई के लिए वह विंचेस्टर कॉलेज इंडिपेंडेंट स्कूल फॉर बॉयज इन यूनाइटेड किंगडम चले गए | अपनी पढ़ाई पूरी कर लौटने के बाद उन्होंने २ महीनो तक दिल्ली स्थित एक एडवरटाइजिंग फर्म के लिए काम किया | उसके बाद उनके पारिवारिक मित्र के कहने पर उन्होंने कपड़ो के ब्रांड "ग्वालियर सुइटिंग्स" के लिए कुछ विज्ञापनों में काम किया | पर किसी कारणवश वह प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पाया और उन्हें मुंबई आना पड़ा | जहां से उन्होंने अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत की | उनकी पहली फिल्म "परंपरा" १९९२ में रिलीज़ हुई थी, जो बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं कर पायी। उन्होंने 2010 में पद्म श्री को चौथा सबसे बड़ा भारतीय नागरिक पुरस्कार प्राप्त किया। .
देखें आरज़ू (1999 फ़िल्म) और सैफ़ अली ख़ान
आरज़ू
आरज़ू का अर्थ अभिलाषा या तमन्ना है। यह शब्द संभवत दरी भाषा से आया है। इससे इनका उल्लेख होता हैं:-.
देखें आरज़ू (1999 फ़िल्म) और आरज़ू
अमरीश पुरी
अमरीश पुरी (जन्म:२२ जून १९३२ -मृत्यु:१२ जनवरी २००५) चरित्र अभिनेता मदन पुरी के छोटे भाई अमरीश पुरी हिन्दी फिल्मों की दुनिया का एक प्रमुख स्तंभ रहे हैं। अभिनेता के रूप निशांत, मंथन और भूमिका जैसी फ़िल्मों से अपनी पहचान बनाने वाले श्री पुरी ने बाद में खलनायक के रूप में काफी प्रसिद्धी पायी। उन्होंने १९८४ मे बनी स्टीवेन स्पीलबर्ग की फ़िल्म "इंडियाना जोन्स एंड द टेम्पल ऑफ़ डूम" (अंग्रेज़ी- Indiana Jones and the Temple of Doom) में मोलाराम की भूमिका निभाई जो काफ़ी चर्चित रही। इस भूमिका का ऐसा असर हुआ कि उन्होंने हमेशा अपना सिर मुँडा कर रहने का फ़ैसला किया। इस कारण खलनायक की भूमिका भी उन्हें काफ़ी मिली। व्यवसायिक फिल्मों में प्रमुखता से काम करने के बावज़ूद समांतर या अलग हट कर बनने वाली फ़िल्मों के प्रति उनका प्रेम बना रहा और वे इस तरह की फ़िल्मों से भी जुड़े रहे। फिर आया खलनायक की भूमिकाओं से हटकर चरित्र अभिनेता की भूमिकाओं वाले अमरीश पुरी का दौर। और इस दौर में भी उन्होंने अपनी अभिनय कला का जादू कम नहीं होने दिया .
देखें आरज़ू (1999 फ़िल्म) और अमरीश पुरी
अक्षय कुमार की फ़िल्में
अक्षय कुमार (जन्म ९ सितम्बर १९६७ को राजीव हरि ओम भाटिया) भारतीय अभिनेता फ़िल्म निर्माता और युद्ध कला का कलाकार हैं। उन्होंने अब तक १२५ से भी अधिक फ़िल्मों में अभिनय किया है। उन्हें कई बार फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कारों के लिए नामित किया गया और ३ बार उन्होंने ये पुरस्कार जीता। १९९० के दशक में जब उन्होंने अभिनय की दुनिया में कदम रखा तो शुरुआत में केवल एक्शन फ़िल्मों में अभिनय करते थे और उन्हें सामान्यतः "खिलाड़ी शृंखला" जिसमें खिलाड़ी (1992), मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी (1994), सबसे बड़ा खिलाड़ी (1995), खिलाड़ियों का खिलाड़ी (1996), मिस्टर एंड मिसेज़ खिलाड़ी (1997), इन्टरनेशनल खिलाड़ी (1999) और खिलाड़ी ४२० (2000), खिलाड़ी ७८६ (2012), शामिल हैं, सहित अन्य एक्शन फ़िल्मों जैसे वक्त हमारा है (1993), मोहरा (1994), एलान (1994), सुहाग (1994), सपूत (1996), अंगारे (1998), कीमत (1998) और संघर्ष (1999) में उनके अभिनय के लिए जाना जाता था। बाद में उन्होंने नाटकीय, रोमांस और हास्य अभिनयों में भी ख्याति प्राप्त की। उन्होंने रूमानी फ़िल्मों जैसे ये दिल्लगी (1994), दिल तो पागल है (1997), धड़कन (2000), हमको दीवाना कर गये (2006), जानेमन (2006) और नमस्ते लंदन (2007) आदि में अपनी प्रस्तुति से शोहरत प्राप्त की और इसी प्रकार नाटकीय फ़िल्मों जैसे जानवर (1999), दोस्ती (2005), वक़्त (2005) और पटियाला हाउस (2011) में भी प्रसिद्धि प्राप्त की। उन्होंने अपने हास्य फ़िल्मों हेरा फेरी (2000), मुझसे शादी करोगी (2004), गरम मसाला (2005), भूल भुलैया (2007), सिंह इज़ किंग (2008) और हाउसफुल २ (2012) में अपनी हास्य भूमिका से प्रशंसा प्राप्त की। उनकी सफलता में २००७ में तब चार चाँद लग गये जब उन्होंने लगातार चार वाणिज्यिक रूप से सफल फ़िल्में दी। २०१२ में उनकी सफलता में हाउसफुल २ (2012) और रावड़ी राठौर (2012) दोनों फ़िल्मों में ₹ 100 करोड़ (यूएस$18.2 मिलियन) और इसी तरह ओ माय गॉड जिसके वो निर्माता भी हैं, आदि फ़िल्में शामिल है। इसी तरह उन्होंने खिलाड़ी शृंखला की आठवीं फ़िल्म खिलाड़ी ७८६ भी बॉक्स-ऑफ़िस पर सफल रही। .