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आध्यात्मिकता

सूची आध्यात्मिकता

हेलिक्स नेब्युला, कभी-कभी इसे "भगवान की आंख" कहा जाता है आध्यात्मिकता, मूर्तिपूजा शब्द के समान ही कई अलग मान्यताओं और पद्धतियों के लिए प्रयुक्त शब्द है, यद्यपि यह उन लोगों के साथ विश्वासों को साझा नहीं करती है जो मूर्तिपूजक हैं अथवा अनिवार्यतः आत्मा के अस्तित्व में विश्वास या अविश्वास से निर्मित नहीं है। आध्यात्मिकता की एक सामान्य परिभाषा यह हो सकती है कि यह ईश्वरीय उद्दीपन की अनुभूति प्राप्त करने का एक दृष्टिकोण है, जो धर्म से अलग है। आध्यात्मिकता को, ऐसी परिस्थितियों में अक्सर धर्म की अवधारणा के विरोध में रखा जाता है, जहां धर्म को संहिताबद्ध, प्रामाणिक, कठोर, दमनकारी, या स्थिर के रूप में ग्रहण किया जाता है, जबकि अध्यात्म एक विरोधी स्वर है, जो आम बोलचाल की भाषा में स्वयं आविष्कृत प्रथाओं या विश्वासों को दर्शाता है, अथवा उन प्रथाओं और विश्वासों को, जिन्हें बिना किसी औपचारिक निर्देशन के विकसित किया गया है। इसे एक अभौतिक वास्तविकता के अभिगम के रूप में उल्लिखित किया गया है; एक आंतरिक मार्ग जो एक व्यक्ति को उसके अस्तित्व के सार की खोज में सक्षम बनाता है; या फिर "गहनतम मूल्य और अर्थ जिसके साथ लोग जीते हैं।" आध्यात्मिक व्यवहार, जिसमें ध्यान, प्रार्थना और चिंतन शामिल हैं, एक व्यक्ति के आतंरिक जीवन के विकास के लिए अभिप्रेत है; ऐसे व्यवहार अक्सर एक बृहद सत्य से जुड़ने की अनुभूति में फलित होती है, जिससे अन्य व्यक्तियों या मानव समुदाय के साथ जुड़े एक व्यापक स्व की उत्पत्ति होती है; प्रकृति या ब्रह्मांड के साथ; या दैवीय प्रभुता के साथ.

20 संबंधों: चीनी जनवादी गणराज्य, एनी बेसेन्ट, पराप्राकृतिक संवाद, पुदुच्चेरी, बनगाँव (बिहार ), मानव कामुकता, संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी, स्वामी विवेकानन्द, सूर्य देवता, गाँधीजी के आर्थिक विचार, गांधीवाद, आचार्य महाप्रज्ञ, आधुनिकतावाद, आध्यात्मिक पर धार्मिक नहीं, आध्यात्मिकतावाद, क्रिस कॉर्नेल, अरस्तु, अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ, छठ पूजा, छद्म विज्ञान

चीनी जनवादी गणराज्य

चीनी जनवादी गणराज्य (चीनी: 中华人民共和国) जिसे प्रायः चीन नाम से भी सम्बोधित किया जाता है, पूर्वी एशिया में स्थित एक देश है। १.३ अरब निवासियों के साथ यह विश्व का सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है और ९६,४१,१४४ वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ यह रूस और कनाडा के बाद विश्व का तीसरा सबसे बड़ा क्षेत्रफल वाला देश है। इतना विशाल क्षेत्रफल होने के कारण इसकी सीमा से लगते देशों की संख्या भी विश्व में सर्वाधिक (रूस के बराबर) है जो इस प्रकार है (उत्तर से दक्षिणावर्त्त): रूस, मंगोलिया, उत्तर कोरिया, वियतनाम, लाओस, म्यान्मार, भारत, भूटान, नेपाल, तिबत देश,पाकिस्तान, अफ़्गानिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान और कज़ाख़िस्तान। उत्तर पूर्व में जापान और दक्षिण कोरिया मुख्य भूमि से दूरी पर स्थित हैं। चीनी जनवादी गणराज्य की स्थापना १ अक्टूबर, १९४९ को हुई थी, जब साम्यवादियों ने गृहयुद्ध में कुओमिन्तांग पर जीत प्राप्त की। कुओमिन्तांग की हार के बाद वे लोग ताइवान या चीनी गणराज्य को चले गए और मुख्यभूमि चीन पर साम्यवादी दल ने साम्यवादी गणराज्य की स्थापना की। लेकिन चीन, ताईवान को अपना स्वायत्त क्षेत्र कहता है जबकि ताइवान का प्रशासन स्वयं को स्वतन्त्र राष्ट्र कहता है। चीनी जनवादी गणराज्य और ताइवान दोनों अपने-अपने को चीन का वैध प्रतिनिधि कहते हैं। चीन विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक है जो अभी भी अस्तित्व में है। इसकी सभ्यता ५,००० वर्षों से अधिक भी पुरानी है। वर्तमान में यह एक "समाजवादी गणराज्य" है, जिसका नेतृत्व एक दल के हाथों में है, जिसका देश के २२ प्रान्तों, ५ स्वायत्तशासी क्षेत्रों, ४ नगरपालिकाओं और २ विशेष प्रशासनिक क्षेत्रों पर नियन्त्रण है। चीन विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य भी है। यह विश्व का सबसे बड़ा निर्यातक और दूसरा सबसे बड़ा आयातक है और एक मान्यता प्राप्त नाभिकीय महाशक्ति है। चीनी साम्यवादी दल के अधीन रहकर चीन में "समाजवादी बाज़ार अर्थव्यवस्था" को अपनाया जिसके अधीन पूंजीवाद और अधिकारवादी राजनैतिक नियन्त्रण सम्मित्लित है। विश्व के राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक ढाँचे में चीन को २१वीं सदी की अपरिहार्य महाशक्ति के रूप में माना और स्वीकृत किया जाता है। यहाँ की मुख्य भाषा चीनी है जिसका पाम्परिक तथा आधुनिक रूप दोनों रूपों में उपयोग किया जाता है। प्रमुख नगरों में बीजिंग (राजधानी), शंघाई (प्रमुख वित्तीय केन्द्र), हांगकांग, शेन्ज़ेन, ग्वांगझोउ इत्यादी हैं। .

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एनी बेसेन्ट

डॉ एनी बेसेन्ट (१ अक्टूबर १८४७ - २० सितम्बर १९३३) अग्रणी आध्यात्मिक, थियोसोफिस्ट, महिला अधिकारों की समर्थक, लेखक, वक्ता एवं भारत-प्रेमी महिला थीं। सन १९१७ में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्षा भी बनीं। .

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पराप्राकृतिक संवाद

पराप्राकृतिक संवाद व्यक्ति का स्वयं, या किसी माध्यम द्वारा, चेतना की विशेष अवस्था में पराप्राकृतिक तत्वों, जैसे देवी-देवता, से मानसिक संपर्क में होने वाला अनुभव है, और इसका परिणाम ज्ञान प्राप्ति, समस्या समाधान या कोई विशेष अनुभूति देखा गया है। यह इलहाम या श्रुति का आधार है, और दुनिया के अनेक धर्मों में देखे गए हैं। इस अतार्किक (प्रतिभा या प्रज्ञामूलक) आयाम (देखें भारतीय दर्शन) को हिंदुओं में ज्ञान, इसाईयों में नौसिस, बौद्धों में प्रज्ञा, तथा इस्लाम में मारिफ नाम से जानते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि पराप्राकृतिक तत्वों से संवाद की परम्परा लम्बे समय से रही है। मान्यता है कि यह संवाद, चेतना की विशेष अवस्थाओं, में संभव हैं, और चेतना की इन ऊँचाइयों में जाने की लालसा का प्रमाण तपस्या की अनेकों पद्धतियाँ हैं। पराप्राकृतिक संवाद का लोकहित में प्रसार करना देवकार्य माना गया। मनोवैज्ञानिक पिंकर सहज या अतार्किक मानसिक अनुभव को कोरा रूढ़ीवाद समझते हैं। पर ऐसे वैज्ञानिक भी हैं जिनके लिए यह मानसिक अनुभव चुनौती हैं। मन में ऐसे बदलाव का आधार संज्ञान की दो प्रणालियों, तार्किक और अतार्किक, में देखा जा सकता है। .

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पुदुच्चेरी

पुदुच्चेरी, (पहले पॉन्डिचेरी), भारत गणराज्य का एक केन्द्र शासित प्रदेश है। पहले पुदुच्चेरी एक फ्रांसीसी उपनिवेश था जिसमे ४ पृथक जिलों का समावेश था। पुदुच्चेरी का नाम पॉन्डिचरी इसके सबसे बड़े जिले पुदुच्चेरी के नाम पर पड़ा था। सितम्बर २००६ में पॉन्डिचरी का नाम आधिकारिक रूप से बदलकर पुदुच्चेरी कर दिया गया जिसका कि स्थानीय तमिल में अर्थ नया गाँव होता है। भारत का यह क्षेत्र लगभग ३०० वर्षों तक फ्रांसीसी अधिकार में रहा है और आज भी यहां फ्रांसीसी वास्तुशिल्प और संस्कृति देखने को मिल जाती है। पुराने समय में यह फ्रांस के साथ होने वाले व्यापार का मुख्य केंद्र था। आज अनेक पर्यटक इसके सुंदर समुद्र तटों और तत्कालीन सभ्यता की झलक पाने के लिए यहां आते हैं। केवल पर्यटन की दृष्टि से ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से भी यह स्थान बहुत महत्वपूर्ण है। इस कारण प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में पर्यटक यहां आते हैं। .

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बनगाँव (बिहार )

बनगाँव भारत के बिहार राज्य के सहरसा जिले के पश्चिम मे अवस्थित एक गाँव है जिसकी पहचान सदियों से रही है। जनसँख्या और क्षेत्रफल के हिसाब से ये गाँव ना सिर्फ राज्य के बल्कि देश के सबसे बड़े गांवों मे एक हैं। २००१ की जनगणना के मुताबिक़ इस गाँव की आबादी ६०००० है हालांकि पिछले दशक जनसख्या मे बढोत्तरी को ध्यान मे रखते हुए ये संख्या वर्तमान मे ७००००-७५००० के मध्य मे हो सकती है। यह गाँव कोसी प्रमंडल के कहरा प्रखंड के अंतर्गत आता है। इस गाँव से तीन किलोमीटर पूर्व मे बरियाही बाजार, आठ किलोमीटर पश्चिम मे माँ उग्रतारा की पावन भूमि महिषी और उत्तर मे बिहरा गाँव अवस्थित है। इस गाँव मे तीन पंचायतें हैं। हर पंचायत के एक मुखिया हैं। सरकार द्वारा समय समय पर पंचायती चुनाव कराये जातें है। इन्ही चुनावों से हर पंचायत के सदस्यों का चुनाव किया जाता है। वक्त के हर पड़ाव पर इस गाँव का योगदान अपनी आंचलिक सीमा के पार राज्य, देश और दुनिया को मिलता रहा है। इन योगदानों मे लोक शासन, समाज सेवा, साहित्य, पत्रकारिता, राजनीति, देशसेवा और भक्ति मे योगदान प्रमुख हैं। भक्ति और समाजसेवा के ऐसे की एक स्तंभ, संत लक्ष्मीनाथ गोसाईं, जिन्होंने इस गाँव को अपनी कर्मभूमि बनाई, को लोग भगवान की तरह पूजते है। उनका मंदिर गाँव के प्रमुख दार्शनिक स्थलों मे से एक है। गाँव के बोलचाल की भाषा मैथिली है और यहाँ हिंदू तथा इस्लाम धर्मों को माननेवाले सदियों से आपसी सामंजस्य और धार्मिक सहिष्णुता से साथ रहते हैं। .

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मानव कामुकता

मानव कामुकता वह तरीका है जिससे लोग कामुक रूप से अपने आप को अनुभव और अभिव्यक्त करते हैं। इसमें जैविक, कामुक, शारीरिक, भावनात्मक, सामाजिक या आध्यात्मिक भावनाएँ और व्यवहार शामिल हैं। चूंकि यह व्यापक शब्द है, जो समय के साथ बदला हुआ है, इसकी कोई एक सटीक परिभाषा नहीं है। कामुकता के जैविक और शारीरिक पहलू मानव प्रजनन कार्यों से मुख्य रूप से सम्बन्धित हैं, जिसमें मानव कामुक अनुक्रिया चक्र शामिल है। किसी का यौन अभिविन्यास (सेक्सुअल ओरिएंटेशन) उस व्यक्ति के दूसरे व्यक्ति के लिए यौन रुचि और आकर्षण को प्रभावित कर सकता हैं। कामुकता के शारीरिक और भावनात्मक पहलुओं में व्यक्तियों के बीच बन्धन (बॉण्ड) होता हैं जो गहरी भावनाओं या प्रेम, विश्वास और देखभाल की शारीरिक अभिव्यक्तियों के माध्यम से व्यक्त किया जाता है। सामाजिक पहलुओं को किसी के कामुकता पर मानव समाज के प्रभाव से निपटना पड़ता है, जबकि अध्यात्म का संदर्भ एक व्यक्ति के दूसरे के साथ आध्यात्मिक संबंध से है। कामुकता जीवन के सांस्कृतिक, राजनीतिक, कानूनी, दार्शनिक, नैतिक, नीतिशास्त्रीय और धार्मिक पहलुओं को प्रभावित करती है और उनसे प्रभावित भी होती हैं। यौन गतिविधि में रुचि आमतौर पर बढ़ जाती है जब कोई व्यक्ति यौवनारम्भ (प्यूबर्टी) तक पहुंचता है। किसी व्यक्ति के यौन अभिविन्यास और यौन व्यवहार की उत्पत्ति पर राय भिन्न हैं। कुछ लोग तर्क देते हैं कि कामुकता आनुवांशिकी द्वारा निर्धारित होती है, जबकि दूसरों का मानना है कि यह पर्यावरण द्वारा ढाली जाती है, या ये दोनों कारक व्यक्तिगत यौन अभिविन्यास बनाने के लिए परस्पर क्रिया करते हैं। यह प्रकृति बनाम पोषण विवाद से संबंधित हैं। .

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संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी

संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी संस्कृत, हिंदी, ब्रजभाषा के प्रकाण्ड विद्वान तथा आध्यात्म के पुरोधा थे। ब्रह्मचारी जी साधना, समाज सेवा, संस्कृति, साहित्य, स्वाधीनता, शिक्षा के समर्पित पोषक एवं प्रेरणा-स्रोत थे। बलदेव, बरसाना, खुर्जा, नरवर एवं वाराणसी में उन्होंने संस्कृत का अध्ययन किया। स्वामी करपात्रीजी एवं साहित्यकार कन्हैया लाल मिश्र 'प्रभाकर' उनके सहपाठी थे। वे ' श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव ' मंत्र के द्रष्टा थे। उनके जीवन के चार संकल्प थे - दिल्ली में हनुमान जी की ४० फुट ऊंची प्रतिमा की स्थापना, राजधानी स्थित पांडवों के किले (इन्द्रप्रस्थ) में भगवान विष्णु की ६० फुट ऊंची प्रतिमा की स्थापना, गोहत्या पर प्रतिबंध तथा श्रीराम जन्मभूमि की मुक्ति। वे इस सदी के महान संत थे। उन्होंने सतत्‌ नाम संकीर्तन की ज्योति जलाकर सदैव देश और समाज की समृद्धि की कामना की थी। गोरक्षा, गंगा की पवित्रता, हिन्दी भाषा, भारतीय संस्कृति और हिन्दू धर्म की सेवा उनके जीवन के लक्ष्य थे। उन्होंने गोरक्षा के मुद्दे पर अनशन, आन्दोलन तथा यात्राएं भी कीं। .

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स्वामी विवेकानन्द

स्वामी विवेकानन्द(স্বামী বিবেকানন্দ) (जन्म: १२ जनवरी,१८६३ - मृत्यु: ४ जुलाई,१९०२) वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् १८९३ में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्द की वक्तृता के कारण ही पहुँचा। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है। वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। उन्हें प्रमुख रूप से उनके भाषण की शुरुआत "मेरे अमरीकी भाइयो एवं बहनों" के साथ करने के लिये जाना जाता है। उनके संबोधन के इस प्रथम वाक्य ने सबका दिल जीत लिया था। कलकत्ता के एक कुलीन बंगाली परिवार में जन्मे विवेकानंद आध्यात्मिकता की ओर झुके हुए थे। वे अपने गुरु रामकृष्ण देव से काफी प्रभावित थे जिनसे उन्होंने सीखा कि सारे जीव स्वयं परमात्मा का ही एक अवतार हैं; इसलिए मानव जाति की सेवा द्वारा परमात्मा की भी सेवा की जा सकती है। रामकृष्ण की मृत्यु के बाद विवेकानंद ने बड़े पैमाने पर भारतीय उपमहाद्वीप का दौरा किया और ब्रिटिश भारत में मौजूदा स्थितियों का पहले हाथ ज्ञान हासिल किया। बाद में विश्व धर्म संसद 1893 में भारत का प्रतिनिधित्व करने, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए कूच की। विवेकानंद के संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोप में हिंदू दर्शन के सिद्धांतों का प्रसार किया, सैकड़ों सार्वजनिक और निजी व्याख्यानों का आयोजन किया। भारत में, विवेकानंद को एक देशभक्त संत के रूप में माना जाता है और इनके जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। .

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सूर्य देवता

कोई विवरण नहीं।

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गाँधीजी के आर्थिक विचार

गांधीजी के आर्थिक विचार अहिंसात्मक मानवीय समाज की अवधारणा से ओत-प्रोत हैं। उनके आर्थिक विचार आध्यात्मिक विकास को प्रोत्साहित करने वाले एवं भौतिकवाद के विरोधी हैं। ' गांधीवादी अर्थशास्त्र ' (Gandhian economics) नामक यह शब्द सबसे पहले उनके प्रसिद्ध अनुयायी जे.सी. कुमारप्पा ने प्रयोग किया था। .

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गांधीवाद

गांधीवाद मोहनदास करमचंद गांधी (जिन्हे ज्यादातर महात्मा गांधी के नाम से जाना जाता है) के आदर्शों, विश्वासों एवं दर्शन से उदभूत विचारों के संग्रह को कहा जाता है, जो स्वतंत्रता संग्राम के सबसे बड़े राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेताओं में से थे। यह ऐसे उन सभी विचारों का एक समेकित रूप है जो गांधीजी ने जीवन पर्यंत जिया एवं किया था। जब किसी व्यक्ति या संस्थान को गांधीवादी कहकर संबोधित करते हैं तो उसका तात्पर्य होता है गांधीजी द्वारा स्थापित मूल्यों एवं आदर्शों का अनुपालन करनेवाला होता है। .

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आचार्य महाप्रज्ञ

आचार्य श्री महाप्रज्ञ (14 जून 1920 – 9 मई 2010) जैन धर्म के श्वेतांबर तेरापंथ के दसवें संत थे। महाप्रज्ञ एक संत, योगी, आध्यात्मिक, दार्शनिक, अधिनायक, लेखक, वक्ता और कवि थे। उनकी बहुत पुस्तकें और लेख उनके पूर्व नाम मुनि नथमल के नाम से प्रकाशित हुई। उन्होंने दस वर्ष की आयु में जैन संन्यासी के रूप में विकास और धार्मिक प्रतिबिंब का जीवन आरम्भ किया। महाप्रज्ञ ने अनुव्रत आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाई जो गुरु आचार्य तुलसी ने 1949 में आरम्भ किया था और 1995 के आंदोलन में स्वीकृत अधिनायक बन गए। आचार्य महाप्रज्ञ ने 1970 के दशक में अच्छी तरह से नियमबद्ध प्रेक्षा ध्यान तैयार किया और शिक्षा प्रणाली में "जीवन विज्ञान" का विकास किया जो छात्रों के संतुलित विकास और उसका चरित्र निर्माण के लिए प्रयोगिक पहुँच है। .

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आधुनिकतावाद

हंस होफ्मन, "द गेट", 1959–1960, संग्रह: सोलोमन आर. गुगेन्हीम म्यूज़ियम होफ्मन केवल एक कलाकार के रूप में ही नहीं, बल्कि एक कला शिक्षक के रूप में भी मशहूर थे और वे अपने स्वदेश जर्मनी के साथ-साथ बाद में अमेरिका के भी एक आधुनिकतावादी सिद्धांतकार थे। 1930 के दशक के दौरान न्यूयॉर्क एवं कैलिफोर्निया में उन्होंने अमेरिकी कलाकारों की एक नई पीढ़ी के लिए आधुनिकतावाद एवं आधुनिकतावादी सिद्धांतों की शुरुआत की.ग्रीनविच गांव एवं मैसाचुसेट्स के प्रोविंसटाउन में स्थित अपने कला विद्यालयों में अपने शिक्षण एवं व्याख्यान के माध्यम से उन्होंने अमेरिका में आधुनिकतावाद के क्षेत्र का विस्तार किया।हंस होफ्मन की जीवनी, 30 जनवरी 2009 को उद्धृत आधुनिकतावाद, अपनी व्यापक परिभाषा में, आधुनिक सोच, चरित्र, या प्रथा है अधिक विशेष रूप से, यह शब्द उन्नीसवीं सदी के अंत और बीसवीं सदी के आरम्भ में मूल रूप से पश्चिमी समाज में व्यापक पैमाने पर और सुदूर परिवर्तनों से उत्पन्न होने वाली सांस्कृतिक प्रवृत्तियों के एक समूह एवं सम्बद्ध सांस्कृतिक आन्दोलनों की एक सरणी दोनों का वर्णन करता है। यह शब्द अपने भीतर उन लोगों की गतिविधियों और उत्पादन को समाहित करता है जो एक उभरते सम्पूर्ण औद्योगीकृत विश्व की नवीन आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक स्थितियों में पुराने होते जा रहे कला, वास्तुकला, साहित्य, धार्मिक विश्वास, सामाजिक संगठन और दैनिक जीवन के "पारंपरिक" रूपों को महसूस करते थे। आधुनिकतावाद ने ज्ञानोदय की सोच की विलंबकारी निश्चितता को और एक करुणामय, सर्वशक्तिशाली निर्माता के अस्तित्व को भी मानने से अस्वीकार कर दिया.

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आध्यात्मिक पर धार्मिक नहीं

आध्यात्मिक पर धार्मिक नहीं (आपधान) एक लोकप्रिय वाक्य और प्रथमाक्षर हैं जो आध्यात्मिकता के जीवन रवैये से स्वयं तादात्म्य स्थापित करने के रूप में उपयुक्त होता हैं, और इस बात से मुद्दा उठाता हैं कि संगठित धर्म ही आध्यात्मिक उन्नति का इकलौता और सबसे मूल्यवान तरीका है। आध्यात्मिकता "मन-शरीर-आत्मा" के हित पर ध्यान देती हैं, अतः आपधान आंदोलन में ताइ ची, रेकी, और योग जैसी "समग्र" क्रियाएँ आम हैं। .

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आध्यात्मिकतावाद

आध्यात्मिकतावाद (Spiritualism) यह तत्वमीमांसिक आस्था होती है कि वास्तविकता में दो मूल चीज़ें हैं: भौतिक पदार्थ और अलौकिक आत्माएँ या चेतनाएँ। इसके आधार पर आध्यात्मिकता (spirituality) में विश्वास रखने वाले लोगों में अन्य कई धारणाएँ पाई जाती हैं, जैसे कि मरणोपरांत आत्मा का अस्तित्व में रहना, पूर्वजों की आत्माओं का विश्व में हस्तक्षेप, देवी-देवताओं का अस्तित्व, सर्वात्मवाद (animism, भौतिक वस्तुओं व जीवों में आत्माओं का अस्तित्व), इत्यादि। माना जाता है कि आध्यात्मिकतावाद के कई अवधारणाओं का जन्म ओझाप्रथा (shamanism) में हुआ था और यह धर्म का सबसे प्राचीन रूप है। .

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क्रिस कॉर्नेल

क्रिस कॉर्नेल (जन्म का नाम क्रिस्टोफर जॉन बॉयल; 20 जुलाई 1964), एक अमेरिकी रॉक संगीतकार है जो कि प्रमुख रूप से साउंडगार्डन (Soundgarden) के मुख्य गायक के रूप में जाने जाते हैं। वे ऑडियोस्लेव (Audioslave) के पूर्व प्रमुख गायक और 1998 से ही अपने कई एकल गानों तथा संगीत के प्रति योगदान के लिए भी जाने जाते हैं। उन्हें अपने ऊंचे सप्तक स्वर की गायन रेंज तथा शक्तिशाली आवाज़ पर नियंत्रण की तकनीक के लिए जाना जाता है। वे टेम्पल ऑफ़ द डॉग (Temple of the Dog) के संस्थापक तथा मुखिया थे, एक ऐसा बैंड जो उनके भूतपूर्व कक्ष सहयोगी (रूम मेट) एंड्रयू वुड को समर्पित था। उन्होनें तीन एकल एल्बम जारी किये हैं, यूफोरिया मोर्निंग (Euphoria Morning)(1999), कैरी ऑन (Carry On) (2007) तथा स्क्रीम (Scream) (2009).

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अरस्तु

अरस्तु अरस्तु (384 ईपू – 322 ईपू) यूनानी दार्शनिक थे। वे प्लेटो के शिष्य व सिकंदर के गुरु थे। उनका जन्म स्टेगेरिया नामक नगर में हुआ था ।  अरस्तु ने भौतिकी, आध्यात्म, कविता, नाटक, संगीत, तर्कशास्त्र, राजनीति शास्त्र, नीतिशास्त्र, जीव विज्ञान सहित कई विषयों पर रचना की। अरस्तु ने अपने गुरु प्लेटो के कार्य को आगे बढ़ाया। प्लेटो, सुकरात और अरस्तु पश्चिमी दर्शनशास्त्र के सबसे महान दार्शनिकों में एक थे।  उन्होंने पश्चिमी दर्शनशास्त्र पर पहली व्यापक रचना की, जिसमें नीति, तर्क, विज्ञान, राजनीति और आध्यात्म का मेलजोल था।  भौतिक विज्ञान पर अरस्तु के विचार ने मध्ययुगीन शिक्षा पर व्यापक प्रभाव डाला और इसका प्रभाव पुनर्जागरण पर भी पड़ा।  अंतिम रूप से न्यूटन के भौतिकवाद ने इसकी जगह ले लिया। जीव विज्ञान उनके कुछ संकल्पनाओं की पुष्टि उन्नीसवीं सदी में हुई।  उनके तर्कशास्त्र आज भी प्रासांगिक हैं।  उनकी आध्यात्मिक रचनाओं ने मध्ययुग में इस्लामिक और यहूदी विचारधारा को प्रभावित किया और वे आज भी क्रिश्चियन, खासकर रोमन कैथोलिक चर्च को प्रभावित कर रही हैं।  उनके दर्शन आज भी उच्च कक्षाओं में पढ़ाये जाते हैं।  अरस्तु ने अनेक रचनाएं की थी, जिसमें कई नष्ट हो गई। अरस्तु का राजनीति पर प्रसिद्ध ग्रंथ पोलिटिक्स है। .

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अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ

भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ या इस्कॉन(International Society for Krishna Consciousness - ISKCON; उच्चारण: इंटर्नैशनल् सोसाईटी फ़ॉर क्रिश्ना कॉनशियस्नेस् -इस्कॉन), को "हरे कृष्ण आन्दोलन" के नाम से भी जाना जाता है। इसे १९६६ में न्यूयॉर्क नगर में भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने प्रारंभ किया था। देश-विदेश में इसके अनेक मंदिर और विद्यालय है। .

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छठ पूजा

छठ पर्व या छठ कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है। सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। प्रायः हिन्दुओं द्वारा मनाये जाने वाले इस पर्व को इस्लाम सहित अन्य धर्मावलम्बी भी मनाते देखे गये हैं। धीरे-धीरे यह त्योहार प्रवासी भारतीयों के साथ-साथ विश्वभर में प्रचलित हो गया है। छठ पूजा सूर्य और उनकी पत्नी उषा को समर्पित है ताकि उन्हें पृथ्वी पर जीवन की देवतायों को बहाल करने के लिए धन्यवाद और कुछ शुभकामनाएं देने का अनुरोध किया जाए। छठ में कोई मूर्तिपूजा शामिल नहीं है। यह त्यौहार नेपाली और भारतीय लोगों द्वारा अपने डायस्पोरा के साथ मनाया जाता है। .

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छद्म विज्ञान

छद्म विज्ञान एक ऐसे दावे, आस्था या प्रथा को कहते हैं जिसे विज्ञान की तरह प्रस्तुत किया जाता है, पर जो वैज्ञानिक विधि का पालन नहीं करता है। अध्ययन के किसी विषय को अगर वैज्ञानिक विधि के मानदण्डों के संगत प्रस्तुत किया जाए, पर वो इन मानदण्डों का पालन नहीं करे तो उसे छद्म विज्ञान कहा जा सकता है। छद्म विज्ञान के ये लक्षण हैं: अस्पष्ट, असंगत, अतिरंजित या अप्रमाण्‍य दावों का प्रयोग; दावे का खंडन करने के कठोर प्रयास की जगह पुष्टि पूर्वाग्रह रखना, विषय के विशेषज्ञों द्वारा जांच का विरोध; और सिद्धांत विकसित करते समय व्यवस्थित कार्यविधि का अभाव। छद्म विज्ञान शब्द को अपमानजनक माना जाता है, क्योंकि ये सुझाव देता है किसी चीज को गलत या भ्रामक ढ़ंग से विज्ञान दर्शाया जा रहा है। इसलिए, जिन्हें छद्म विज्ञान का प्रचार या वकालत करते चित्रित किया जाता है, वे इस चित्रण का विरोध करते हैं। विज्ञान एम्पिरिकल अनुसन्धान से प्राकृतिक जगत में अंतर्दृष्टि देता है। इसलिए ये देव श्रुति, धर्मशास्त्र और अध्यात्म से बिलकुल अलग है। श्रेणी:विज्ञान.

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