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आख्यान

सूची आख्यान

आख्यान या अनुश्रुति शब्द आरंभ से ही सामान्यत: कथा अथवा कहानी के अर्थ में प्रयुक्त होता रहा है। तारानाथकृत "वाचस्पत्यम्" नामक कोश के प्रथम भाग में, इसकी व्युत्पत्ति "आख्यायते अनेनेति आख्यानम्" दी है। साहित्यदर्पण में आख्यान को "पुरावृत कथन" (आख्यानं पूर्ववृतोक्ति) कहा गया है। डॉ॰ एस.के.

13 संबंधों: पञ्चतन्त्र, प्रेमानन्द भट्ट, भारत में इस्लाम, भविष्य पुराण, ललितविस्तर सूत्र, शुनःशेप, षड्यन्त्र का सिद्धान्त, सांता क्लॉज़, संवाद सूक्त, ईए स्पोर्ट्स, अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ, उपाख्यान, उर्वशी (महाकाव्य)

पञ्चतन्त्र

'''पंचतन्त्र''' का विश्व में प्रसार संस्कृत नीतिकथाओं में पंचतंत्र का पहला स्थान माना जाता है। यद्यपि यह पुस्तक अपने मूल रूप में नहीं रह गयी है, फिर भी उपलब्ध अनुवादों के आधार पर इसकी रचना तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के आस- पास निर्धारित की गई है। इस ग्रंथ के रचयिता पं॰ विष्णु शर्मा है। उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर कहा जा सकता है कि जब इस ग्रंथ की रचना पूरी हुई, तब उनकी उम्र लगभग ८० वर्ष थी। पंचतंत्र को पाँच तंत्रों (भागों) में बाँटा गया है.

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प्रेमानन्द भट्ट

प्रेमानन्द भट्ट (1649–1714) गुजराती के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। वे 'प्रेमानन्द' के नाम से अधिक प्रसिद्ध हैं। गुजराती साहित्य में वे 'आख्यान' के लिए प्रसिद्ध हैं जो काव्य का एक विशेष प्रकार है। प्रेमानंद के काव्य में गुजरात की आत्मा का पूर्णं प्रस्फुटन हुआ है। प्राचीन पौराणिक कथाओं और गुजराती जनता की रुचि के बीच जो कुछ व्यवधान शेष रह गया था उसे प्रेमानंद ने अपनी प्रतिभा एवं अद्वितीय आख्यान-रचना-कौशल द्वारा सर्वथा पूर दिया। मालण, नाकर आदि पूर्ववर्ती गुजराती आख्यानकारों ने जिस पथ का निर्माण किया था प्रेमानंद के कृतित्व में वह सर्वाधिक प्रशस्त अवस्था में दृष्टिगत होता है। वे निर्विवाद रूप से गुजराती के श्रेष्ठतम आख्यानकार हैं। .

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भारत में इस्लाम

भारतीय गणतंत्र में हिन्दू धर्म के बाद इस्लाम दूसरा सर्वाधिक प्रचलित धर्म है, जो देश की जनसंख्या का 14.2% है (2011 की जनगणना के अनुसार 17.2 करोड़)। भारत में इस्लाम का आगमन करीब 7वीं शताब्दी में अरब के व्यापारियों के आने से हुआ था (629 ईसवी सन्‌) और तब से यह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक अभिन्न अंग बन गया है। वर्षों से, सम्पूर्ण भारत में हिन्दू और मुस्लिम संस्कृतियों का एक अद्भुत मिलन होता आया है और भारत के आर्थिक उदय और सांस्कृतिक प्रभुत्व में मुसलमानों ने महती भूमिका निभाई है। हालांकि कुछ इतिहासकार ये दावा करते हैं कि मुसलमानों के शासनकाल में हिंदुओं पर क्रूरता किए गए। मंदिरों को तोड़ा गया। जबरन धर्मपरिवर्तन करा कर मुसलमान बनाया गया। ऐसा भी कहा जाता है कि एक मुसलमान शासक टीपू शुल्तान खुद ये दावा करता था कि उसने चार लाख हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करवाया था। न्यूयॉर्क टाइम्स, प्रकाशित: 11 दिसम्बर 1992 विश्व में भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां सरकार हज यात्रा के लिए विमान के किराया में सब्सिडी देती थी और २००७ के अनुसार प्रति यात्री 47454 खर्च करती थी। हालांकि 2018 से रियायत हटा ली गयी है। .

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भविष्य पुराण

भविष्य पुराण १८ प्रमुख पुराणों में से एक है। इसकी विषय-वस्तु एवं वर्णन-शैलीकी दृष्टि से अत्यन्त उच्च कोटि का है। इसमें धर्म, सदाचार, नीति, उपदेश, अनेकों आख्यान, व्रत, तीर्थ, दान, ज्योतिष एवं आयुर्वेद के विषयों का अद्भुत संग्रह है। वेताल-विक्रम-संवाद के रूप में कथा-प्रबन्ध इसमें अत्यन्त रमणीय है। इसके अतिरिक्त इसमें नित्यकर्म, संस्कार, सामुद्रिक लक्षण, शान्ति तथा पौष्टिक कर्म आराधना और अनेक व्रतोंका भी विस्तृत वर्णन है। भविष्य पुराण में भविष्य में होने वाली घटनाओं का वर्णन है। इससे पता चलता है ईसा और मुहम्मद साहब के जन्म से बहुत पहले ही भविष्य पुराण में महर्षि वेद व्यास ने पुराण ग्रंथ लिखते समय मुस्लिम धर्म के उद्भव और विकास तथा ईसा मसीह तथा उनके द्वारा प्रारंभ किए गए ईसाई धर्म के विषय में लिख दिया था। यह पुराण भारतवर्ष के वर्तमान समस्त आधुनिक इतिहास का आधार है। इसके प्रतिसर्गपर्व के तृतीय तथा चतुर्थ खण्ड में इतिहासकी महत्त्वपूर्ण सामग्री विद्यमान है। इतिहास लेखकों ने प्रायः इसी का आधार लिया है। इसमें मध्यकालीन हर्षवर्धन आदि हिन्दू राजाओं और अलाउद्दीन, मुहम्मद तुगलक, तैमूरलंग, बाबर तथा अकबर आदि का प्रामाणिक इतिहास निरूपित है। इसके मध्यमपर्व में समस्त कर्मकाण्ड का निरूपण है। इसमें वर्णित व्रत और दान से सम्बद्ध विषय भी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं। इतने विस्तार से व्रतों का वर्णन न किसी पुराण, धर्मशास्त्र में मिलता है और न किसी स्वतन्त्र व्रत-संग्रह के ग्रन्थ में। हेमाद्रि, व्रतकल्पद्रुम, व्रतरत्नाकर, व्रतराज आदि परवर्ती व्रत-साहित्य में मुख्यरूप से भविष्यपुराण का ही आश्रय लिया गया है। भविष्य पुराण के अनुसार, इसके श्लोकों की संख्या पचास हजार के लगभग होनी चाहिए, परन्तु वर्तमान में कुल १४,००० श्लोक ही उपलब्ध हैं। विषय-वस्तु, वर्णनशैली तथा काव्य-रचना की द्रष्टि से भविष्यपुराण उच्चकोटि का ग्रन्थ है। इसकी कथाएँ रोचक तथा प्रभावोत्कपादक हैं। भविष्य पुराण में भगवान सूर्य नारायण की महिमा, उनके स्वरूप, पूजा उपासना विधि का विस्तार से उल्लेख किया गया है। इसीलिए इसे ‘सौर-पुराण’ या ‘सौर ग्रन्थ’ भी कहा गया है। .

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ललितविस्तर सूत्र

सिद्धार्थ गौतम के रूप में जन्मने से पूर्व तुषितलोक में बोधिसत्व (बोरोबुदुर, इण्डोनेशिया) ललितविस्तर सूत्र, महायान बौद्ध सम्प्रदाय का ग्रन्थ है। इसमें भगवान बुद्ध की लीलाओं का वर्णन है। इसकी रचना किसी एक व्यक्ति ने नहीं की बल्कि इसकी रचना में कई व्यक्तियों का योगदान है। इसका रचना काल ईसा के पश्चात तीसरी शताब्दी माना गया है। इसमें २७ अध्याय हैं। .

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शुनःशेप

शुनःशेप ऐतरेय ब्राह्मण में स्थित एक आख्यान है। इसका सारांश यह है कि जब तक मृत्यु सामने न आये तब तक रूपान्तरण नहीं होता। यह आख्यान मानवीय लोभ, बेइमानी और उससे ऊपर उठने की क्षमता की कथा है। .

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षड्यन्त्र का सिद्धान्त

षड्यंत्र का सिद्धांत एक ऐसा शब्द है, जो मूलत: किसी नागरिक, आपराधिक या राजनीतिक षड्यंत्र के दावे के एक तटस्थ विवरणक के लिए उपयोग किया जाता है। हालांकि, यह बाद में काफी अपमानजनक हो गया और पूरी तरह सिर्फ हाशिये पर स्थित उस सिद्धांत के लिए प्रयुक्त होने लगा, जो किसी ऐतिहासिक या वर्तमान घटना को लगभग अतिमानवीय शक्ति प्राप्त और चालाक षड़यंत्रकारियों की गुप्त साजिश के परिणाम के रूप में व्याख्यायित करता है। षड्यंत्र के सिद्धांत को विद्वानों द्वारा संदेह के साथ देखा जाता है, क्योंकि वह शायद ही किसी निर्णायक सबूत द्वारा समर्थित होता है और संस्थागत विश्लेषण के विपरीत होता है, जो सार्वजनिक रूप से ज्ञात संस्थाओं में लोगों के सामूहिक व्यवहार पर केंद्रित होती है और जो ऐतिहासिक और वर्तमान घटनाओं की व्या‍ख्या के लिए विद्वतापूर्ण सामग्रियों और मुख्यधारा की मीडिया रपटों में दर्ज तथ्यों पर आधा‍रित होती है, न कि घटना के मकसद और व्यक्तियों की गुप्त सांठगांठ की कार्रवाइयों की अटकलों पर.

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सांता क्लॉज़

सांता क्लॉज़ को सेंट निकोलस, फादर क्रिसमस (क्रिसमस के जनक), क्रिस क्रिंगल, या सिर्फ "सांता " के नाम से जाना जाता है। पौराणिक और ऐतिहासिक दृष्टि से वे लोक कथाओं में प्रचलित एक व्यक्ति हैं। कई पश्चिमी संस्कृतियों में ऐसा माना जाता है कि सांता क्रिसमस की पूर्व संध्या, यानि 24 दिसम्बर की शाम या देर रात के समय के दौरान अच्छे बच्चों के घरों में आकर उन्हें उपहार देता है। सांता की आधुनिक आकृति की व्युत्पत्ति सिंटरक्लास की डच आकृति से हुई, जिसे संभवतया उपहार देने वाले सेंट निकोलस से सम्बंधित माना जाता है। सेंट निकोलस एक ऐसी ऐतिहासिक आकृति हैं, जो हेगिओग्राफिकल कहानियों में मिलती है। इसी से लगभग मिलती जुलती एक कहानी बीजान्टिन और यूनानी लोककथाओं में प्रचलित है, बेसिल ऑफ़ केसारिया (Basil of Caesarea).

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संवाद सूक्त

संवाद सूक्त अर्थात वे सूक्त, जिनमें दो या दो से अधिक देवताओं, ऋषियों या किन्हीं और के मध्य वार्तालाप की शैली में विषय को प्रस्तुत किया गया हो। वेदों में विभिन्न सूक्तों के माध्यम से विभिन्न देवताओं की स्तुति तथा विभिन्न विषयों को प्रस्तुत किया गया है उनमें कुछ सूक्त संवाद-सूक्त के नाम से जाने जाते हैं प्रमुख संवाद सूक्त ऋग्वेद में प्राप्त होते हैं । संवाद सूक्तों की व्याख्या और तात्पर्य वैदिक विद्वानों का एक विचारणीय विषय रहा है; क्योंकि वार्तालाप करने वालों को मात्र व्यक्ति मानना सम्भव नहीं है। इन आख्यानों और संवादों में निहित तत्त्वों से उत्तरकाल में साहित्य की कथा और नाटक विधाओं की उत्पत्ति हुर्इ है। .

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ईए स्पोर्ट्स

ईए स्पोर्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक आर्ट्स द्वारा स्पोर्ट्स पर आधारित खेलों को वितरित करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक ब्रांड नाम है। इसकी शुरुआत इलेक्ट्रॉनिक आर्ट्स स्पोर्ट्स गेम्स द्वारा मजाक के तौर पर वास्तविक स्पोर्ट्स नेटवर्कों की नकल के रूप में की गयी और नाम रखा गया "ईए स्पोर्ट्स नेटवर्क" (ईएएसएन)। पहले इसमें जॉन मैडेन जैसे वास्तविक कमेंटेटर की तस्वीरों तथा विज्ञापनों को दिखाया जाता था लेकिन जल्दी ही यह बढ़कर स्वयं का एक उप-लेबल बन गया और एनबीए लाइव, फीफा, एनएचएल, मैडेन एनएफएल तथा नासकार जैसी गेम सीरीज को रिलीज करने लगा। इस ब्रांड के तहत अधिकांश खेलों को इलेक्ट्रोनिक आर्ट्स के बुर्नाबी, ब्रिटिश कोलंबिया स्थित स्टूडियो ईए कनाडा, तथा वैंकूवर, ब्रिटिश कोलंबिया स्थित ईए ब्लैकबॉक्स एवं मेटलैंड, फ्लोरिडा स्थित ईए टिब्यूरोन में विकसित किया जाता है। ईए स्पोर्ट्स का शुरुआती मोटो था इफ इट्स इन दी गेम, इट्स इन दी गेम, जिसे बाद में बदलकर "इट्स इन दी गेम!" कर दिया गया। डॉन ट्रांसेथ द्वारा रचित, जेफ़ ओडिओर्न द्वारा लिखित और वॉईस ऑफ ईए स्पोर्ट्स, एंथोनी एंड्रयू द्वारा प्रदान की गयी यह टैग लाइन पूरे खेल जगत में एक अनुकरणीय सांस्कृतिक कथन बन चुकी है। कुछ अन्य कंपनियों के विपरीत, ईए स्पोर्ट्स का किसी एक प्लेटफोर्म से कोई विशेष संबंध नहीं है, जिसका अर्थ है सभी खेलों को कई बार अन्य कंपनियों द्वारा उन्हें छोड़ने के काफी समय बाद तक भी बेस्ट-सेलिंग सक्रिय प्लेटफार्मों के लिए जारी किया जाता है। उदाहरण के लिए, फीफा 98, मैडेन एनएफएल 98, एनबीए लाइव 98, और एनएचएल 98 को सेगा जेनेसिस तथा सुपर एनईएस के लिए पूरे 1997 में जारी किया गया था; 2004 में मैडेन एनएफएल 2005 और फीफा 2005 के प्लेस्टेशन संस्करण भी रिलीज किये गए थे (फीफा 2005 प्लेस्टेशन द्वारा रिलीज किया जाने वाला अंतिम शीर्षक था); और एनसीएए फुटबॉल 08 के एक एक्सबॉक्स संस्करण को 2007 में जारी किया गया था। मैडेन एनएफएल 08 को 2007 में एक्सबॉक्स तथा गेमक्यूब पर भी जारी किया गया था। यह गेमक्यूब द्वारा जारी किया गया अंतिम शीर्षक था, जबकि मैडेन एनएफएल 09 एक्सबॉक्स का अंतिम शीर्षक था। इसके अतिरिक्त, नासकार थंडर 2003 तथा नासकार थंडर 2004 को केवल प्लेस्टेशन 2 ही नहीं बल्कि मूल प्लेस्टेशन के लिए भी जारी किया गया था। ईए स्पोर्ट्स ब्रांड के नाम को 2009-10 सीजन में इंग्लिश फुटबॉल लीग की एक टीम स्विंडन टाउन के प्रचार के लिए इस्तेमाल किया गया है। .

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अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ

अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ, (उर्दू: اشفاق اُللہ خان, अंग्रेजी:Ashfaq Ulla Khan, जन्म:22 अक्तूबर १९००, मृत्यु:१९२७) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्होंने काकोरी काण्ड में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। ब्रिटिश शासन ने उनके ऊपर अभियोग चलाया और १९ दिसम्बर सन् १९२७ को उन्हें फैजाबाद जेल में फाँसी पर लटका कर मार दिया गया। राम प्रसाद बिस्मिल की भाँति अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ भी उर्दू भाषा के बेहतरीन शायर थे। उनका उर्दू तखल्लुस, जिसे हिन्दी में उपनाम कहते हैं, हसरत था। उर्दू के अतिरिक्त वे हिन्दी व अँग्रेजी में लेख एवं कवितायें भी लिखा करते थे। उनका पूरा नाम अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ वारसी हसरत था। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के सम्पूर्ण इतिहास में बिस्मिल और अशफ़ाक़ की भूमिका निर्विवाद रूप से हिन्दू-मुस्लिम एकता का अनुपम आख्यान है। .

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उपाख्यान

उपाख्यान (उप + आख्यान) किसी बड़ी कहानी के अन्दर लिखी गई छोटी कहानी को कहते हैं। उदाहरण के रूप में महाभारत जैसे आदि ग्रंथ में कई छोटी-छोटी कहानियाँ या उपाख्यान मौजूद हैं। .

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उर्वशी (महाकाव्य)

उर्वशी रामधारी सिंह 'दिनकर' द्वारा रचित काव्य नाटक है। १९६१ ई. में प्रकाशित इस काव्य में दिनकर ने उर्वशी और पुरुरवा के प्राचीन आख्यान को एक नये अर्थ से जोड़ना चाहा है। अन्य रचनाओं से इतर उर्वशी राष्ट्रवाद और वीर रस प्रधान रचना है। इसके लिए १९७२ में उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया। इस कृति में पुरुरवा और उर्वशी अलग-अलग तरह की प्यास लेकर आये हैं। पुरुरवा धरती पुत्र है और उर्वशी देवलोक से उतरी हुई नारी है। पुरुरवा के भीतर देवत्व की तृष्णा और उर्वशी सहज निश्चित भाव से पृथ्वी का सुख भोगना चाहती है। उर्वशी प्रेम और सौन्दर्य का काव्य है। प्रेम और सौन्दर्य की मूल धारा में जीवन दर्शन सम्बन्धी अन्य छोटी-छोटी धाराएँ आकर मिल जाती हैं। प्रेम और सुन्दर का विधान कवि ने बहुत व्यापक धरातल पर किया है। कवि ने प्रेम की छवियों को मनोवैज्ञानिक धरातल पर पहचाना है। दिनकर की भाषा में हमेशा एक प्रत्यक्षता और सादगी दिखी है, परन्तु उर्वशी में भाषा की सादगी अलंकृति और आभिजात्य की चमक पहन कर आयी है-शायद यह इस कृति को वस्तु की माँग रही हो। .

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