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आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰

सूची आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰

१० और १३ अंकों वाले आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ संख्यांक के अलग-अलग हिस्सों से किताब के बारे में अलग-अलग जानकारी मिलती है अंतर्राष्ट्रीय मानक पुस्तक संख्यांक, जिसे आम तौर पर आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ ("इन्टर्नैशनल स्टैन्डर्ड बुक नम्बर" या ISBN) संख्यांक कहा जाता है हर किताब को उसका अपना अनूठा संख्यांक (सीरियल नम्बर) देने की विधि है। इस संख्यांक के ज़रिये विश्व में छपी किसी भी किताब को खोजा जा सकता है और उसके बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। पहले यह केवल उत्तर अमेरिका, यूरोप और जापान में प्रचलित था, लेकिन अब धीरे-धीरे पूरे विश्व में फैल गया है। आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ संख्यांक में १० अंक हुआ करते थे, लेकिन २००७ के बाद से १३ अंक होते हैं। .

52 संबंधों: टू द फोर्थ ऑफ़ जुलाई, तत्त्व (जैन धर्म), तरुणसागर, तुर्की भाषा परिवार, दिगम्बर साधु, देशभूषण, धरसेन, नूर इनायत ख़ान, पट्टावली, प्रभाचन्द्र, प्रमाणसागर, प्रमात्रा क्षेत्र सिद्धान्त, प्रकाशानुपात, फ़ज़ी लॉजिक, बलभद्र, मरुदेवी, मानतुंग, माइकल ग्रेगर, माइकल क्लेपर, मेन्शंड इन डिस्पैचैस, मोटरसाइकिल, यपनिय, राबर्ट फिस्क, रविसेन, रेल, लम्बाघर, लाइब्रेरी ऑफ कॉंग्रेस नियंत्रण संख्या, सत्यभूषण वर्मा, सम्मिलन (भाषाविज्ञान), सलमा ज़ैदी, हरिसेन, हिन्दुओं का उत्पीड़न, जयसेन, ज्ञानमति, जैन आचार्य, जॉन ए मैकडगल, घटना क्षितिज, वट्टकेर, वान्केल इंजन, विद्यानंद, गुप्तिनंदी, गैस टर्बाइन, आचार्य विद्यानंद, आर्यिका, कुमुदेन्दु, कुंजंग चोदेन, कृष्ण कुमार यादव, अपराजित, अबू हनीफ़ा, अरिन्दम, ..., अवुकाना बुद्ध प्रतिमा, ISO मानकों की सूची सूचकांक विस्तार (2 अधिक) »

टू द फोर्थ ऑफ़ जुलाई

टू द फोर्थ ऑफ़ जुलाई (To the Fourth of July, चार जुलाई के लिए) एक अंग्रेजी कविता है जो भारतीय साधु और समाज सुधारक स्वामी विवेकानन्द द्वारा रचित है। विवेकानन्द ने यह कविता 4 जुलाई 1898 को अमेरिकी स्वतंत्रता की वर्षगाँठ पर रचित की। इस कविता में विवेकानन्द ने स्वतंत्रता की प्रशंसा और महिमा का गुणगान किया हौ और स्वतंत्रता के लिए अपनी प्रभावशाली लालसा को भावुक कथन के रूप में कविता के माध्यम से वर्णित किया। प्रसंगवश विवेकानन्द स्वयं का निधन 4 जुलाई 1902 को हुआ। .

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तत्त्व (जैन धर्म)

जैन तत्त्वमीमांसा सात (कभी-कभी नौ, उपश्रेणियाँ मिलाकर) सत्य अथवा मौलिक सिद्धांतों पर आधारित है, जिन्हें तत्त्व कहा जाता है। यह मानव दुर्गति की प्रकृति और उसका निदान करने का प्रयास है। प्रथम दो सत्यों के अनुसार, यह स्वयंसिद्ध है कि जीव और अजीव का अस्तित्व है। तीसरा सत्य है कि दो पदार्थों, जीव और अजीव के मेल से, जो योग कहलाता है, कर्म द्रव्य जीव में प्रवाहित होता है। यह जीव से चिपक जाता है और कर्म में बदल जाता है। चौथा सत्य बंध का कारक है, जो चेतना (जो जीव के स्वभाव में है) की अभिव्यक्ति को सीमित करता है। पांचवां सत्य बताता है कि नए कर्मों की रोक (संवर), सही चारित्र (सम्यकचारित्र), सही दर्शन (सम्यकदर्शन) एवं सही ज्ञान (सम्यकज्ञान) के पालन के माध्यम से आत्मसंयम द्वारा संभव है। गहन आत्मसंयम द्वारा मौजूदा कर्मों को भी जलाया जा सकता, इस छटवें सत्य को "निर्जरा" शब्द द्वारा व्यक्त किया गया है। अंतिम सत्य है कि जब जीव कर्मों के बंधन से मुक्त हो जाता है, तो मोक्ष या निर्वाण को प्राप्त हो जाता है, जो जैन शिक्षा का लक्ष्य है। .

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तरुणसागर

मुनि Tarunsagar एक Digambara भिक्षु और लेखक की एक पुस्तक श्रृंखला शीर्षक Kadve प्रवचन (कड़वे प्रवचन).

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तुर्की भाषा परिवार

विश्व के देश (गाढ़े नीले रंग में) और प्रदेश (हलके नीले रंग में) जहाँ तुर्की भाषाओँ को सरकारी मान्यता प्राप्त है सन् 735 के लगभग तराशे गए एक ओरख़ोन शिलालेख का हिस्सा यूरेशिया में तुर्की भाषाओँ का फैलाव तुर्की भाषाएँ पैंतीस से भी अधिक भाषाओँ का एक भाषा-परिवार है। तुर्की भाषाएँ पूर्वी यूरोप और भूमध्य सागर से लेकर साईबेरिया और पश्चिमी चीन तक बोली जाती हैं। कुछ भाषावैज्ञानिक इन्हें अल्ताई भाषा परिवार की एक शाखा मानते हैं। विश्व में लगभग 16.5 से 18 करोड़ लोग तुर्की भाषाएँ अपनी मातृभाषा के रूप में बोलते हैं और अगर सभी तुर्की भाषाओँ को बोल सकने वालों की गणना की जाए तो क़रीब 25 करोड़ लोग इन्हें बोल सकते हैं। सब से अधिक बोली जाने वाली तुर्की भाषा का नाम भी तुर्की है, हालाँकि कभी-कभी इसे अनातोल्वी भी कहा जाता है (क्योंकि यह अनातोलिया में बोली जाती है)। .

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दिगम्बर साधु

आचार्य विद्यासागर, एक प्रमुख दिगम्बर मुनि दिगम्बर साधु जिन्हें मुनि भी कहा जाता है सभी परिग्रहों का त्याग कर कठिन साधना करते है। दिगम्बर मुनि अगर विधि मिले तो दिन में एक बार भोजन और तरल पदार्थ ग्रहण करते है। वह केवल पिच्छि, कमण्डल और शास्त्र रखते है। इन्हें निर्ग्रंथ भी कहा जाता है जिसका अर्थ है " बिना किसी बंधन के"। .

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देशभूषण

आचार्य देशभूषण एक Digambara जैन आचार्य 20 वीं सदी के हैं, जो रचना का अनुवाद और कई कन्नड़ शास्त्रों करने के लिए हिंदी.

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धरसेन

आचार्य धरसेन प्रथम शताब्दी के दिगम्बर साधु थे। .

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नूर इनायत ख़ान

नूर-उन-निसा इनायत ख़ान (प्रचलित: नूर इनायत ख़ान; उर्दू: نور عنایت خان, अँग्रेजी: Noor Inayat Khan; 1 जनवरी 1914 – 13 सितम्बर 1944) भारतीय मूल की ब्रिटिश गुप्तचर थीं, जिन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान मित्र देशों के लिए जासूसी की। ब्रिटेन के स्पेशल ऑपरेशंस एक्जीक्यूटिव के रूप में प्रशिक्षित नूर द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान फ्रांस के नाज़ी अधिकार क्षेत्र में जाने वाली पहली महिला वायरलेस ऑपरेटर थीं। जर्मनी द्वारा गिरफ़्तार कर यातनायें दिए जाने और गोली मारकर उनकी हत्या किए जाने से पहले द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान वे फ्रांस में एक गुप्त अभियान के अंतर्गत नर्स का काम करती थीं। फ्रांस में उनके इस कार्यकाल तथा उसके बाद आगामी 10 महीनों तक उन्हें यातनायें दी गईं और पूछताछ की गयी, किन्तु पूछताछ करने वाली नाज़ी जर्मनी की ख़ुफिया पुलिस गेस्टापो द्वारा उनसे कोई राज़ नहीं उगलवाया जा सका। उनके बलिदान और साहस की गाथा युनाइटेड किंगडम और फ्रांस में प्रचलित है। उनकी सेवाओं के लिए उन्हें युनाइटेड किंगडम एवं अन्य राष्ट्रमंडल देशों के सर्वोच्च नागरिक सम्मान जॉर्ज क्रॉस से सम्मानित किया गया। उनकी स्मृति में लंदन के गॉर्डन स्क्वेयर में स्मारक बनाया गया है, जो इंग्लैण्ड में किसी मुसलमान को समर्पित और किसी एशियाई महिला के सम्मान में इस तरह का पहला स्मारक है। .

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पट्टावली

Digambara'' परंपरा एक पट्टावली (संस्कृत से पत्ता: सीट, avali: श्रृंखला) का एक रिकार्ड है एक आध्यात्मिक वंश के प्रमुखों के मठवासी आदेश.

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प्रभाचन्द्र

Prabhācandra (सी. 11 वीं शताब्दी)1 एक Digambara भिक्षु और लेखक के कई दार्शनिक पुस्तकों पर जैन धर्महै। 23 .

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प्रमाणसागर

मुनि प्रमाणसागर एक दिगम्बर साधु है। इन्होंने जैन दर्शन पर कई पुस्तकों का लेखन किया है। .

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प्रमात्रा क्षेत्र सिद्धान्त

क्वांटम क्षेत्र सिद्धान्त (QFT) या प्रमात्रा क्षेत्र सिद्धांत, क्वांटम यांत्रिकी के निर्माण के लिए एक सैद्धांतिक ढांचा प्रदान करता है जिसमें क्वांटम यांत्रिक प्रणालियों को अनंत स्वतंत्रता की डिग्री प्रदर्शित किया जाता है। प्रमात्रा क्षेत्र सिद्धान्त में कणों को आधारभूत भौतिक क्षेत्र की उत्तेजित अवस्था के रूप में काम में लिया जाता है अतः इसे क्षेत्र क्वांटा कहते हैं। उदाहरण के लिए प्रमात्रा विद्युतगतिकी में एक इलेक्ट्रॉन क्षेत्र एवं एक फोटोन क्षेत्र होते हैं; प्रमात्रा क्रोमोगतिकी में प्रत्येक क्वार्क के लिए एक क्षेत्र निर्धारित होता है और संघनित पदार्थ में परमाणवीय विस्थापन क्षेत्र से फोटोन कण की उत्पति होती है। एडवर्ड विटेन प्रमात्रा क्षेत्र सिद्धान्त को भौतिकी के "अब तक" के सबसे कठिन सिद्धान्तों में से एक मानते हैं। .

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प्रकाशानुपात

२००३-२००४ में पृथ्वी के भिन्न क्षेत्रों का औसत ऐल्बीडो - ऊपरी चित्र बिना बादलों के ऐल्बीडो दर्शाता है और निचला चित्र बादलों के साथ अपने ऊपर पड़ने वाले किसी सतह के प्रकाश या अन्य विद्युतचुंबकीय विकिरण (इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन) को प्रतिबिंबित करने की शक्ति की माप को प्रकाशानुपात (Albedo / ऐल्बीडो) या धवलता कहते हैं। अगर कोई वस्तु अपने ऊपर पड़ने वाले प्रकाश को पूरी तरह वापस चमका देती है तो उसका ऐल्बीडो १.० या प्रतिशत में १००% कहा जाता है। खगोलशास्त्र में अक्सर खगोलीय वस्तुओं का एल्बीडो जाँचा जाता है। पृथ्वी का ऐल्बीडो ३० से ३५% के बीच में है। पृथ्वी के वायुमंडल के बादल बहुत रोशनी वापस चमका देते हैं। अगर बादल न होते तो पृथ्वी का ऐल्बीडो कम होता। .

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फ़ज़ी लॉजिक

फ़ज़ी लॉजिक, मल्टी-वैल्यूड लॉजिक का एक रूप है जिसकी उत्पत्ति फ़ज़ी सेट थ्यौरी से हुई है और जिसका संबंध उस रिज़निंग के साथ होता है जो प्रिसाइज़ होने की अपेक्षा एप्रोक्सिमेट होता है। "क्रिस्प लॉजिक" के विपरीत, जहां बाइनरी सेट्स में बाइनरी लॉजिक होता है, फ़ज़ी लॉजिक के वेरिएबल्स में केवल 0 या 1 का मेम्बरशिप वैल्यू (सदस्यता मान) नहीं हो सकता है — अर्थात्, किसी स्टेटमेंट (वक्तव्य) के ट्रुथ (truth या सत्यता) की डिग्री का रेंज 0 और 1 के बीच हो सकता है और यह क्लासिक प्रोपोज़िशनल लॉजिक (साध्यात्मक तर्क) के दो ट्रुथ वैल्यूज़ के निरूद्ध नहीं होता है। इसके अलावा जब भाषाई (भाषाविद्) वेरिएबल्स का प्रयोग किया जाता है तब इन डिग्रियों का प्रबंधन स्पेसिफिक फंक्शंस (विशिष्ट कार्यों) के द्वारा किया जा सकता है। फ़ज़ी लॉजिक का उद्भव, लोत्फी ज़ादेह (Lotfi Zadeh) द्वारा फ़ज़ी सेट थ्योरी के सन् 1965 के प्रस्ताव के एक परिणामस्वरूप हुआ। यद्यपि फ़ज़ी लॉजिक का कार्यान्वयन कंट्रोल थ्यौरी (नियंत्रण का सिद्धांत) से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धि) तक कई क्षेत्रों में किया जाता रहा है लेकिन यह अभी भी बायेसियन लॉजिक (Bayesian logic) को पसंद करने वाले कई सांख्यिकीविद् और परंपरागत टू-वैल्यूड लॉजिक को पसंद करने वाले कुछ कंट्रोल इंजीनियरों के बीच विवादास्पद बना हुआ है। .

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बलभद्र

जैन धर्म, में बलभद्र उन तिरसठ शलाकापुरुष में से होते है जो हर कर्म भूमि के दुषमा-सुषमा काल में जन्म लेते हैं। इन तिरसठ शलाकापुरुषों में से चौबीस तीर्थंकर, बारह चक्रवर्ती, नौ बलभद्र, नौ नारायण, और नौ प्रतिनारायण1 उनके जीवन की कहानियाँ सबसे प्रेरणादायक होती है। के अनुसार जैन पुराणों, बलभद्र नेतृत्व एक आदर्श जैन जीवन है। .

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मरुदेवी

मरुदेवी, जिन्हें माता मरुदेवी भी कहा जाता है, प्रथम जैन तीर्थंकर ऋषभदेव की माता और नाभिराज की रानी थी। 1 .

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मानतुंग

आचार्य Manatunga (सी. सातवीं शताब्दी CE) था, संगीतकार के प्रसिद्ध जैन प्रार्थना, Bhaktamara स्तोत्रहै। आचार्य Manatunga के लिए कहा जाता है से बना है के Bhaktamara स्तोत्र जब वह आदेश दिया गया था के लिए जेल में रखा जाएगा पालन नहीं करने के लिए आदेश के राजा भोज में प्रदर्शित करने के लिए अपने शाही अदालत.

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माइकल ग्रेगर

Greger in 2007 माइकल हर्शेल ग्रेगर एक अमेरिकी चिकित्सक, लेखक और सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दों, वनस्पति-आधारित आहार के अधियाचित लाभों और पशु उत्पादों की अधियाचित हानियों पर पेशेवर वक्ता हैं। अंतर्वस्तु .

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माइकल क्लेपर

माइकल ए क्लेपर, एमडी, एक अमेरिकी चिकित्सक, लेखक, और शाकाहारी है। .

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मेन्शंड इन डिस्पैचैस

मेंसंड इन डिस्पैचिज एक प्रकार का सैन्य अभिलेख है, जो दुश्मन का सामना करने वाले वीर सैनिक के बारे में उल्लेखित होता है और उनके शौर्य तथा पराक्रम की गाथा वर्णित होती है। यह अभिलेख आलाकमान को एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी के द्वारा प्रेषित किया जाता है जो भेजे गए एक आधिकारिक रिपोर्ट में वर्णित होता है। इसे ब्रिटिश गैलेन्ट्री अवार्ड भी कहा जाता है। .

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मोटरसाइकिल

डुकाटी ८८८ मोटरसाइकलमोटरसाइकिल (या मोटरबाइक) आंतरिक दहन इंजन से उर्जा प्राप्त करने वाले एक दो चक्के का वाहन है। यह एक बहुउपयोगी वाहन है। यह मनोरंजन, माल एवम मनुष्यो को ढोने के कार्य में उपयोग में लिया जाता है। भारत में यह सर्वाधिक बिकने वाला वाहन है। विकासशील देशों में इन की बिक्री अन्य किसी भी वाहन से ज्यादा होती है। सन २००८-०९ में भारत में बिके सभी वाहनो में ७६.५% वाहन दो चक्के वाले थे। .

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यपनिय

यपनिय पश्चिमी कर्नाटक में एक जैन संप्रदाय था जो कि अब विलुप्त हो चुका है। उनके बारे में पहला वर्णन 475-490 ई॰ में पलासिका के, कदंब के राजा मृग्सवर्मन के शिलालेखों में मिलता है, जिन्होंने जैन मंदिर के लिए दान दिया था और यपनियों, निर्ग्रंथियों (दिगम्बरों के रूप में पहचान) तथा कुर्चकों को अनुदान दिया। शक 1316 (1394 ई॰पू॰) का अंतिम शिलालेख जिसमें यपनियों के बारे में वर्णन है, दक्षिण पश्चिम कर्नाटक के तुलुव इलाके में मिला है। दर्शन-सारा के अनुसार वे शेवताम्बर संप्रदाय की एक शाखा थे। हालाँकि श्वेताम्बर लेखकों द्वारा उनको दिगम्बर के तौर पर देखा गया है। यपनिय साधू नग्न रहते थे लेकिन साथ ही साथ कुछ श्वेताम्बर दृष्टिकोण को भी अनुसरण करते थे। उनके पास श्वेताम्बर रीतियों की अपनी खुद की व्याख्या थी। मलयगिर ने अपने ग्रन्थ नंदीसूत्र में लिखा है कि महान व्याकरणाचर्या श्कतायन, जो कि राष्ट्रकूट के राजा अमोघवर्ष नृपतुंग (817-877) के सम-सामयिक थे, एक यापनिय थे। .

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राबर्ट फिस्क

रॉबर्ट फिस्क (Robert Fisk जन्म: 12 जुलाई 1946) मेडस्टोन, केंट के रहने वाले एक ब्रिटिश पत्रकार एवं लेखक हैं, जो कि मध्य पूर्व में अपनी बहादुर पत्रकारी के लिए जाने जाते हैं। फिस्क १२ वर्षों से ज्यादा समय तक अंग्रेज़ी अख़बार द इंडिपेंडेंट के लिए मध्य पूर्व के मुख्यत: बेरुत में संवाददाता रह चुके हैं। किसी भी अन्य पत्रकार कि तुलना में फिस्क को पत्रकारिता से संबन्धित कहीं अधिक ब्रिटिश व अंतरराष्ट्रिय पुरस्कार मिल चुके हैं। उन्हें ७ बार ब्रिटेन का वार्षिक अंतरराष्ट्रिय पत्रकार पुरस्कार मिल चुका है। उन्होंने विभिन्न युद्धों व सैन्य टकरावटों पे किताबें प्रकाशित की हैं। अरबी भाषा बोलने वाले वे उन कुछेक ऐसे पश्चिमी पत्रकारों में हैं जिन्होने ओसामा बिन लादेन का साक्षात्कार किया है। १९९३ से १९९७ के बीच में उन्होने ऐसा ३ बार किया है। .

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रविसेन

आचार्य रविसेन था एक सातवीं सदी दिगम्बर जैन आचार्य, जो लिखा पद्म पुराण (जैन रामायण) में 678 विज्ञापन.

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रेल

रेल अमेरिका में कोलम्बिया नदी के किनारे पटरी पर रेलगाड़ी खींचते हुए चार इंजन पहाड़ों में रेल सुरंग और पुल रेल (Rail) परिवहन का एक ज़रिया है जिसमें यात्रियों और माल को पटरियों पर चलने वाले वाहनों पर एक स्थान से दुसरे स्थान ले जाया जाता है। पारम्परिक रूप से रेल वाहनों के नीचे पहियें होते हैं जो इस्पात (स्टील) की बनी दो पटरियों पर संतुलित रूप से चलते हैं, लेकिन आधुनिक काल में चुम्बकीय प्रभाव से पटरी के ऊपर लटककर चलने वाली 'मैगलेव' (maglev) और एक पटरी पर चलने वाली 'मोनोरेल' जैसी व्यवस्थाएँ भी रेल व्यवस्था में गिनी जाती हैं। रेल की पटरी पर चलने वाले वाहन अक्सर एक लम्बी पंक्ति में एक दुसरे से ज़ंजीरों से जुड़े हुए डब्बे होते हैं जिन्हें एक या एक से अधिक कोयले, डीज़ल, बिजली या अन्य ऊर्जा से चलने वाला इंजन (engine) खेंचता है। इस तरह से जुड़े हुए डब्बों और इंजनों को 'रेलगाड़ी' या 'ट्रेन' (train) बुलाया जाता है।, Dennis Hamley, Oxford University Press, 2001, ISBN 978-0-19-910653-0 .

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लम्बाघर

यूरोप के स्कैनडीनेव्या क्षेत्र का एक लम्बाघर उत्तर अमेरिका का एक इरक्वॉइ लम्बाघर जिसमें कई सौ लोग आते थे पुरातत्त्वशास्त्र और मानवशास्त्र में लम्बाघर ऐसे एक कमरे वाले घर को कहा जाता है जिसकी चौड़ाई कम हो लेकिन लम्बाई उसके मुकाबले में बहुत ज्यादा हो। एशिया, यूरोप और उत्तर अमेरिका के कई समुदायों में ऐसे लम्बेघर बनाने का रिवाज है। अक्सर ऐसे घर लकड़ी, सरकंडों या बांस के बने होते हैं। कई मनुष्य समाजों में देखा गया है के समाज के शुरुआत में किसी भी अन्य मक़ान बनाने से पहले लम्बेघर बनाये जाते हैं। इनका प्रयोग समुदाय के मुख्य व्यक्तियों की बैठकों से लेकर परिवारों के रहने के लिए हो सकता है। मिसाल के लिए उत्तर अमेरिका के इरक्वॉइ मूल अमेरिकी आदिवासी समुदाय के हर लम्बेघर में लगभग २० परिवार इकट्ठे रहते थे। हर घर की मुखिया उस घर की सब से बुज़ुर्ग औरत होती थी। .

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लाइब्रेरी ऑफ कॉंग्रेस नियंत्रण संख्या

लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस नियंत्रण संख्या (एलसीसीएन) संयुक्त राज्य अमेरिका में पुस्तकालय में कैटलॉगिंग रिकॉर्ड्स को क्रमांकित करने की क्रमिक आधार प्रणाली है। लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस वर्गीकरण एक अलग विषय है, जिससे भ्रमित होने की आवश्यकता नहीं है, साथ हीं किसी भी किताब की सामग्री के साथ इसका कोई लेना देना नहीं है। .

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सत्यभूषण वर्मा

डॉ॰ सत्यभूषण वर्मा (जन्म: 4 दिसम्बर 1932 रावलपिंडी मृत्यु:13 जनवरी 2005 दिल्ली), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली में जापानी भाषा के पहले प्रोफेसर थे। हिन्दी हाइकु का भारत में प्रचार-प्रसार करने में उनकी बड़ी भूमिका रही है। .

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सम्मिलन (भाषाविज्ञान)

भाषाविज्ञान में सम्मिलन उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें एक शब्द का अंत की ध्वनी दुसरे शब्द के आरम्भ की ध्वनी के साथ पूरी तरह जुड़ी हो, यानि बोलते समय उन दोनों शब्दों के बीच कोई ठहराव न हो। सम्मिलन की स्थिति में बोलने वाले का मुंह और स्वरग्रंथि एक शब्द ख़त्म करने से पहले ही दुसरे शब्द की आरंभिक ध्वनी को उच्चारित करने के लिए तैयार होने लगती है। उदहारण के लिए "दिल से दिल" तेज़ी से बोलते हुए हिंदी मातृभाषी अक्सर पहले "दिल" की अंतिम "ल" ध्वनी पूरी तरह उच्चारित नहीं करते और न ही "से" में "ए" की मात्रा पूरी तरह बोलते हैं, जिस से वास्तव में इन तीनो शब्दों का पूरा उच्चारण "दि' स' दिल" से मिलता हुआ होता है। .

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सलमा ज़ैदी

सलमा ज़ैदी (15 नवंबर 1950-30 मार्च 2015) एक भारतीय महिला पत्रकार और अनुवादक थीं। वे बीबीसी से लंबे समय तक जुड़ी रहीं हैं और हिंदी भाषा में डिजिटल दुनिया में काम कर रही चंद महिलाओं में शुमार थीं। उन्होंने बीबीसी में अपनी पारी की शुरुआत बीबीसी हिंदी रेडियो से की थी। बाद में वे बीबीसी हिंदी ऑनलाइन की प्रमुख बनीं। बीबीसी में उन्होंने महिलाओं, अल्पसंख्यकों और बच्चों से जुड़े विषयों पर विशेष काम किया। .

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हरिसेन

हरिसेन था एक दसवीं सदी दिगम्बर जैन साधुहै। उनके मूल का पता लगाया है उन लोगों के लिए जो भिक्षुओं में रहने लगा था के दौरान उत्तर की अपेक्षा अकाल और किया गया था पर हावी द्वारा अपने रखना अनुयायियों को कवर करने के लिए अपने निजी भागों के साथ कपड़े की एक पट्टी (ardhaphalaka) जबकि भिक्षा के लिए भीख माँग.

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हिन्दुओं का उत्पीड़न

हिन्दुओं का उत्पीडन हिन्दुओं के शोषण, जबरन धर्मपरिवर्तन, सामूहिक नरसहांर, गुलाम बनाने तथा उनके धर्मस्थलो, शिक्षणस्थलों के विनाश के सन्दर्भ में है। मुख्यतः भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान तथा मलेशिया आदि देशों में हिन्दुओं को उत्पीडन से गुजरना पड़ा था। आज भी भारतीय उपमहाद्वीप के कुछ हिस्सो में ये स्थिति देखने में आ रही है। .

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जयसेन

जयसेन बारहवीं सदी के दिगम्बर जैन आचार्य थे, जिन्होंने आचार्य कुन्दकुन्द स्वामी के प्रवचनसार पर एक टीका लिखी थी।1 .

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ज्ञानमति

माताजी मीडिया को संबोधित करते हुए ज्ञानमती माताजी एक प्रतिष्ठित जैन साध्वी हैं। इन्होंने उत्तर प्रदेश के हस्तिनापुर में जम्बूद्वीप जैन मंदिर और मांगी तुंगी मैं अहिंसा की प्रतिमा का निर्माण करवाया था। इनका जन्म उत्तर प्रदेश के टिकैत नगर में २२ अक्टूबर १९३४ को छोटेलाल जैन और मोहिनी देवी के यहाँ हुआ था। जैन समुदाय में इनके प्रवचनों का महत्वपूर्ण स्थान है। .

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जैन आचार्य

आचार्य कुन्दकुन्द की प्रतिमा जैन धर्म में आचार्य शब्द का अर्थ होता है मुनि संघ के नायक। दिगम्बर संघ के कुछ अति प्रसिद्ध आचार्य हैं- भद्रबाहु, कुन्दकुन्द स्वामी, आचार्य समन्तभद्र, आचार्य उमास्वामी.

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जॉन ए मैकडगल

जॉन ए मैकडगल (जन्म 17 मई, 1947) एक अमेरिकी डॉक्टर और लेखक हैं, जिन्होंने लिखा है, कि कम वसा वाले, साबुत खाद्य पदार्थ, वनस्पति-आधारित / वीगन आहार - विशेष रूप से स्टार्च आधारित, जिनमें से पशु आहार और अतिरिक्त वनस्पति तेलों को हटा दिया गया है - के द्वारा अपक्षयी रोगों को रोका और ठीक किया जा सकता है। मैकडगल के आहार- मैकडगल योजना – को एक सनकी आहार के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसके कुछ नुकसान हैं, उबाऊ खाना और भूख महसूस करने के जोखिम। .

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घटना क्षितिज

'''पहली स्थिति''': काले छिद्र के घटना चक्र से दूर दिक्-काल सामान्य है और कोई वस्तु किसी भी दिशा में जा सकती है '''दूसरी स्थिति''': घटना चक्र के पास गुरुत्वाकर्षण भयंकर है और सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत का पालन करते हुए दिक्-काल में मरोड़े पैदा हो चुकी हैं - अब अधिकतर दिशाएँ वस्तु को घटना चक्र की और खींच रहीं हैं '''तीसरी स्थिति''': वस्तु घटना चक्र के अन्दर है जहाँ दिक्-काल इतनी ज़बरदस्त तरीक़े से मुड़ी हुई है के सारी दिशाएँ केवल काले छिद्र के केंद्र की तरफ़ जाती हैं - वापसी असंभव है - घटना चक्र से बाहर बैठा कोई भी इस वस्तु को नहीं देख सकता और घटना चक्र के अन्दर पैदा हुआ कोई भी प्रकाश घटना चक्र को पार कर के बहार नहीं जा सकता भौतिकी के सामान्य सापेक्षता सिद्धांत में, घटना क्षितिज दिक्-काल में एक ऐसी सीमा होती है जिसके पार होने वाली घटनाएँ उसकी सीमा के बाहर के ब्रह्माण्ड पर कोई असर नहीं कर सकती और न ही उसकी सीमा के बाहर बैठे किसी दर्शक या श्रोता को यह कभी भी ज्ञात हो सकता है के इस क्षितिज के पार क्या हो रहा है। आम भाषा में इसे "वापसी असंभव" की सीमा कह सकते हैं, यानि इसके पार गुरुत्वाकर्षण इतना भयंकर हो जाता है के कोई भी चीज़, चाहे वस्तु हो या प्रकाश, यहाँ से बहार नहीं निकल सकता। इसकी सब से अधिक दी जाने वाली मिसाल "काला छिद्र" (ब्लैक होल) है। काले छिद्रों के घटना क्षितिजों के अन्दर अगर किसी वस्तु से प्रकाश उत्पन्न होता है तो वह हमेशा के लिए घटना क्षितिज सीमा के अन्दर ही रहता है - उस से बाहर वाला उसे कभी नहीं देख सकता। यही वजह है के काले छिद्र काले लगते हैं - उनसे कोई रोशनी नहीं निकलती। जब कोई चीज़ काले छिद्र की गुरुत्वाकर्षक चपेड़ में आकर उसकी तरफ़ गिरने लगती है तो जैसे-जैसे वह घटना क्षितिज की सीमा के क़रीब आने लगती है वैसे-वैसे गुरुत्वाकर्षण के भयंकर प्रकोप से सापेक्षता सिद्धांत के अद्भुत प्रभाव दिखने लगते हैं। दूर से देखने वालों को ऐसा लगता है के उस वस्तु की काले छिद्र के तरफ़ गिरने की गति धीमी होती जा रही है और उसकी छवि में लालिमा बढ़ती जा रही है। दर्शक कभी भी नहीं देख पाते की वस्तु घटना चक्र को पार ही कर जाए। लेकिन उस वस्तु को ऐसा कोई प्रभाव महसूस नहीं होता - उसे लगता है के वह तेज़ी से काले छिद्र की तरफ़ गिरकर घटना क्षितिज पार कर जाती है। सापेक्षता की वजह से देखने वाले और उस वस्तु की समय की गतियाँ बहुत ही भिन्न हो जाती हैं। .

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वट्टकेर

Vattakera था एक पहली सदी CE दिगम्बर जैन आचार्य लिखा था, जो मूलाचार 150 के आसपास CE.

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वान्केल इंजन

ड्यूश संग्रहालय, म्यूनिख जर्मनी में रखा एक वान्केल इंजन वान्केल इंजन एक प्रकार का आंतरिक दहन इंजन है, जो दबाव को घूर्णन गति में परिवर्तित करने के लिए प्रत्यागमनी पिस्टन के बजाय उत्केंद्रक शैफ्ट डिजाइन का प्रयोग करता है। वान्केल इंजन का दहन कक्ष, अंडाकार समान बहि:त्रिज्याज (epitrochoid) आकार का होता है। इसके घूर्णक का आकार Reuleaux त्रिभुज के समान होता है, पर इसकी भुजाएँ थोड़ी सीधी होतीं हैं। वान्केल इंजन में चतुर्घात चक्र दहन कक्ष के अन्दर के हिस्से और घूर्णक के बीच चलता है। इस इंजन का आविष्कार एक जर्मन वैज्ञानिक फेलिक्स वान्केल ने किया था। वान्केल ने १९२९ में इंजन के किये पहला पेटेंट प्राप्त किया और १९५७ में इसका पहला कार्यकारी आदिप्ररूप तैयार कर लिया। संहत डिजाइन के कारण वान्केल शैफ्ट इंजन, विविध प्रकार के वाहनों और उपकरणों जैसे मोटरवाहन,मोटरसाइकल, सांकल आरा, सहायक शक्ति ईकाई आदि में उपयोग किये जातें हैं। .

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विद्यानंद

आचार्य Vidyanand जी (हिंदी: आचार्य विद्यानंद) (जन्म 22 अप्रैल 1925) के एक वरिष्ठ सबसे प्रमुख विचारक, दार्शनिक, लेखक, संगीतकार, संपादक, क्यूरेटर और एक बहुमुखी जैन साधु समर्पित किया है, जो अपने पूरे जीवन में उपदेश और अभ्यास महान अवधारणा की अहिंसा (अहिंसा) के माध्यम से जैन धर्महै। वह है के शिष्य आचार्य Deshbhushan.

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गुप्तिनंदी

आचार्य Guptinandi जी एक Digambara भिक्षु द्वारा शुरू आचार्य Kunthusagar.

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गैस टर्बाइन

एक प्रकार की गैस टर्बाइन और उसके विभिन्न भाग: A-प्रोपेलर, B-गीयर, C-कंप्रेसर, D-ज्वालक (कंबस्टर), E-टर्बाइन, F-निकास गैस टर्बाइन (gas turbine) एक प्रकार का अंतर्दहन इंजन है जो घूमने के लिए आवश्यक ऊर्जा ज्वलनशील गैस के प्रवाह से प्राप्त करता है और इसी कारण इसे 'दहन टर्बाइन' (combustion turbine) भी कहा जाता है। चूंकि टरबाइन की गति घूर्णी (रोटरी) होती है, यह विद्युत जनित्र को घुमाने के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है। यूएसए की लगभग ९० प्रतिशत विद्युत ऊर्जा भाप टरबाइनों के सहारे ही पैदा की जाती है (१९९६)। भाप टरबाइन की दक्षता अन्य ऊष्मा इंजनों से अधिक होती है। अधिक दक्षता भाप के प्रसार के लिए कई चरणों का प्रयोग करने से प्राप्त होती है। 'गैस टरबाइन' की विभिन्न परिभाषाएँ दी जाती हैं। विस्तृत परिभाषा के अनुसार गैस टरबाइन वह मूल चालक (prime mover) है जिसके संपूर्ण उष्मीय चक्र में कार्यकारी तरल गैसीय अवस्था में ही बना रहता है एवं जिसके सभी यंत्रांगों की गति परिभ्रमी होती है। संकीर्ण परिभाषा के अनुसार इस शब्द का प्रयोग सिर्फ उस मुख्य टरबाइन अंग के लिये किया जाता है जिसका माध्यम गरम वायु होती है। कुछ विद्वानों के मतानुसार गैस टरबाइन वह यंत्र है जिसमें प्रवाह प्रक्रम अविरत रहता है एवं शक्ति टरबाइन द्वारा प्राप्त होती है। .

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आचार्य विद्यानंद

Vidyananda था एक 8 वीं सदी के भारतीय जैन भिक्षु। .

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आर्यिका

तीर्थंकर समवशरण में आर्यिकाएँ तीसरे हॉल में बैठती है। आर्यिका शब्द का प्रयोग जैन धर्म में साध्वियों के लिए किया जाता है। 1 .

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कुमुदेन्दु

कुमुदेन्दु मुनि (कन्नड़: ಕುಮುದೆಂದು ಮುನಿ) ऐक दिगम्बर साधु थे जिन्होने सिरिभूवलय कि रचना की थी। वे आचार्य वीरसेन व जिनसेन के शिष्य तथा राष्ट्रकूट राजा अमोघवर्ष के अध्यात्मिक गुरू थे। उन्होंने कहा है करने के लिए रहता है के आसपास के हजार साल पहले.

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कुंजंग चोदेन

कुंजंग चोदेन (अँग्रेजी: Kunzang Choden, जन्म: 1952) एक भूटानी लेखिका हैं और अँग्रेजी भाषा में उपन्यास लिखने वाली प्रथम भूटानी महिला हैं। उनका जन्म भूटान के बूमथंग जिला के एक सामंती परिवार में हुआ। मात्र नौ वर्ष की आयु में उनके पिता ने उन्हें अँग्रेजी भाषा की तालिम दिलाई और शिक्षा-दीक्षा हेतु भारत भेज दिया। उन्होने दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज से मनोविज्ञान में स्नातक प्रतिष्ठा की शिक्षा ली और संयुक्त राज्य अमेरिका के नेब्रास्का लिंकन विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र से स्नातक किया। 2005 में प्रकाशित अपने पहले अँग्रेजी उपन्यास 'दि सर्किल ऑफ कर्मा' से वे चर्चा में आयीं, जो 1950 के दशक में एक भूटानी महिला की परंपरिक प्रतिबंधात्मक विवशता पर आधारित है। इसमें मुख्य चरित्र के रूप में एक भूटानी महिला को रेखांकित किया गया है, जो पेशे से सड़क बिल्डर है और पुरुषों को प्राप्त आर्थिक स्वतन्त्रता तथा लिंग भिन्नता का शिकार हो जाती है। .

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कृष्ण कुमार यादव

कृष्ण कुमार यादव (अंग्रेज़ी: Krishna Kumar Yadav, जन्म:10 अगस्त 1977) 2001 बैच के भारतीय डाक सेवा के अधिकारी हैं। साथ हीं सामाजिक, साहित्यिक और समसामयिक मुद्दों से सम्बंधित विषयों पर प्रमुखता से लेखन करने वाले वे साहित्यकार, विचारक और ब्लॉगर भी हैं। उनकी विभिन्न विधाओं में सात पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। वर्तमान में वे राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर में निदेशक डाक सेवाएँ पद पर कार्यरत हैं। .

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अपराजित

अपराजिता था एक आठवीं सदी दिगम्बर साधु है। .

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अबू हनीफ़ा

नोमान इब्न साइत इब्न ज़ौता इब्न मरज़ुबान (फारसी : ابوحنیفه, अरबी : نعمان بن ثابت بن زوطا بن مرزبان), जो अबू हनीफ़ा (हनीफ़ा के पिता) के नाम से मशहूर हैं और इन्हें इसी नाम से भी जाना जाता है (जन्म: 699 ई. मृत्यु 767 ई / 80-150 हिजरी साल), अबू हनीफ़ा सुन्नी "हनफ़ी मसलक" (हनफ़ी स्कूल) इसलामी न्यायशास्त्र के संस्थापक थे। यह एक प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान थे। ज़ैदी शिया मुसलमानों में इन्हें प्रसिद्ध विद्वान के रूप में माना जाता है।  उन्हें अक्सर "महान इमाम" (ألإمام الأعظم, अल इमाम अल आज़म) कहा और माना जाता है। S. H. Nasr (1975), "The religious sciences", in R.N. Frye, The Cambridge History of Iran, Volume 4, Cambridge University Press.

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अरिन्दम

अरिन्दम संस्कृत भाषा का एक नाम है। 'अरि' शब्द का अर्थ 'शत्रु' होता है और 'अरिन्दम' का अर्थ है 'शत्रुओं का दमन करने वाला'। यह नाम पूर्व भारत में लोकप्रीय है। बंगाली भाषा बोलने वाले इसका उच्चारण अक्सर 'अरीन्दोम' से मिलता जुलता करते हैं।, वामन शिवराम आप्टे, पृ॰ १०८, मोतीलाल बनारसीदास पबलिशरज़, २००७, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ ९७८८१२०८२०९७५,...

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अवुकाना बुद्ध प्रतिमा

अवुकाना बुद्ध प्रतिमा (संस्कृतम्: अवुकाना प्रतिमा) मध्य श्रीलंका के केकीरवा विभाग में स्थित भगवान् बुद्ध की प्रतिमा है। ये प्रतिमा ४० फीट (१२ मी.) उन्नत (tall) है। विशाल ग्रेनाट् शिला में उत्कीर्ण ये प्रतिमा पाँचवी शतादी में बनाई गई, ऐसा अनुमान किया जाता है। अवुकाना प्रतिमा अभयमुद्रा के भिन्न स्वरूप को दर्शाती है। उस प्रतिमा में सुक्ष्म उत्कीर्णन किया गया है। मुख्यतया वस्त्र का सुष्ठु रूप से उत्कीर्णन करने में अधिक कार्य किया गया है ऐसा प्रत्यक्ष होता है। धातुसेन नामके राजा के समय में उत्कीर्ण ये प्रतिमा शिक्षक और विद्यार्थीओं में आयोजित स्पर्धा का फल है। सद्य वो स्थल पर्यटन के लिये उत्तम स्थल माना जाता है। .

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ISO मानकों की सूची

This is a list of ISO standards that are discussed in Wikipedia articles.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

ISBN, International Standard Book Number, आई एस बी एन

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