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असमिया भाषा

सूची असमिया भाषा

आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं की शृंखला में पूर्वी सीमा पर अवस्थित असम की भाषा को असमी, असमिया अथवा आसामी कहा जाता है। असमिया भारत के असम प्रांत की आधिकारिक भाषा तथा असम में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है। इसको बोलने वालों की संख्या डेढ़ करोड़ से अधिक है। भाषाई परिवार की दृष्टि से इसका संबंध आर्य भाषा परिवार से है और बांग्ला, मैथिली, उड़िया और नेपाली से इसका निकट का संबंध है। गियर्सन के वर्गीकरण की दृष्टि से यह बाहरी उपशाखा के पूर्वी समुदाय की भाषा है, पर सुनीतिकुमार चटर्जी के वर्गीकरण में प्राच्य समुदाय में इसका स्थान है। उड़िया तथा बंगला की भांति असमी की भी उत्पत्ति प्राकृत तथा अपभ्रंश से भी हुई है। यद्यपि असमिया भाषा की उत्पत्ति सत्रहवीं शताब्दी से मानी जाती है किंतु साहित्यिक अभिरुचियों का प्रदर्शन तेरहवीं शताब्दी में रुद्र कंदलि के द्रोण पर्व (महाभारत) तथा माधव कंदलि के रामायण से प्रारंभ हुआ। वैष्णवी आंदोलन ने प्रांतीय साहित्य को बल दिया। शंकर देव (१४४९-१५६८) ने अपनी लंबी जीवन-यात्रा में इस आंदोलन को स्वरचित काव्य, नाट्य व गीतों से जीवित रखा। सीमा की दृष्टि से असमिया क्षेत्र के पश्चिम में बंगला है। अन्य दिशाओं में कई विभिन्न परिवारों की भाषाएँ बोली जाती हैं। इनमें से तिब्बती, बर्मी तथा खासी प्रमुख हैं। इन सीमावर्ती भाषाओं का गहरा प्रभाव असमिया की मूल प्रकृति में देखा जा सकता है। अपने प्रदेश में भी असमिया एकमात्र बोली नहीं हैं। यह प्रमुखतः मैदानों की भाषा है। .

270 संबंधों: चन्दना गोस्वामी, चर्यापद, ऊषा उत्थुप, चाय, चित्र चिंता, चिनेह जोरिर गांथी, चंद्रप्रसाद सइकीया, चंद्रकुमार अग्रवाल, एदिनर संबाद, एधानी माहीर हाँहि, एई अनुरागी एई उदास, एक शरण धर्म, ठाकुर रामसिंह, डिगबोई, तिनसुकिया, त्रैलोक्यनाथ गोस्वामी, तीर्थनाथ शर्मा, दही (योगहर्ट या योगर्ट), दिल से, दक्षिण एशिया, दक्षिण एशिया की पाक-प्रणाली में प्रयुक्त पादपों की सूची, दक्षिण एशियाई भोजन में प्रयुक्त पादप, दुलियाजान, दैनिक जनमभूमि, दैनिक जनसाधारण, दैनिक असम, दैनिक अग्रदूत, देशी भाषाओं में देशों और राजधानियों की सूची, देवनागरी अंक, देवेन्द्रनाथ आचार्य, देओ लाङ्खुइ, देओरी भाषा, दोआर, दीपावली, ध्रुव ज्योति बोरा, नलिनी बाला देवी, नाम की व्युत्पत्ति के आधार पर भारत के राज्य, नागामी भाषा, नियमीया बार्ता, निरुपमा बरगोहाइँ, निर्मलाप्रभा बारदोलोइ, निउज थार्टि, नगेन सइकीया, नीलमणि फूकन (कनिष्ठ), पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट, परवल, पाटकाईर ईपारे मोर देश, पाताल भैरवी (असमिया उपन्यास), पापोन, पाकड़, ..., पिता–पुत्र (असमिया उपन्यास), पुरवी बरमुदै, प्राजक्ता (फूल), प्रेम खान, पृथ्वीवीर असुख, पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी, शिलांग, पूर्वी नागरी लिपि, पेठा (सब्जी), फ़ारुख़ शेख़, बाणीकांत काकति, बाघे टापुर राति, बाङ्ला भाषा, बिन्तुरोंग, बिपन्न समय, बिरंचिकुमार बरुआ, बिहु त्योहार, बंगाली लिपि, बकुल बनर कविता, बुरंजी, ब्रह्मपुत्रप इत्यादि पद्य, ब्राह्मी परिवार की लिपियाँ, ब्रजबुलि, ब्लाइद ट्रॅगोपॅन, बेदनार उल्का, बोड़ो लोग, बीरेश्वर बरुआ, भट्टदेव, भारत, भारत में स्थानीय वक्ताओं की संख्यानुसार भाषाओं की सूची, भारत सारावली, भारत के पशुपक्षियों की बहुभाषीय सूची, भारत के भाषाई परिवार, भारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश, भारत की भाषाएँ, भारत की आधिकारिक भाषाओं में भारत गणराज्य के नाम, भारतीय पेड़ों पौधों तथा फूलों के नामों की बहुभाषी सूची, भारतीय रुपया, भारतीय सिनेमा, भारतीय सिनेमा के सौ वर्ष, भारतीय १० रुपये का नोट, भारतीय २००० हजार का नोट, भारतीय ५०० रुपये का नोट, भाषा सम्मान पुरस्कार, भवेन बरुआ, भवेन्द्रनाथ सइकीया, भुपेन हजारिका, भोजपुरी भाषा, भीम ऐप, मधुपुर–बहुदूर, मरियम आस्टिन अथबा हीरा बरुआ, महत ऐहिह्य, महात्मार परा रुपकोनारलोइ, महारथी, महिमा बरा, माधव कंदलि, माधवदेव, मानुह अनुकूले, मामरे धरा तरोवाल अरु दुखन उपन्यास, मंचलेखा, मौन होंठ मुखर हृदय, मैथिली भाषा, मैथिली साहित्य, मेदिनी शर्मा, मेघालय, मेखला, मोर जे किमान हेपाह, येसे दरजे थोंगछी, योग संदेश, राष्ट्रभाषा, राजबोंग्शी भाषा, रंग घर, रुपया, रोहिंग्या भाषा, रीता चौधुरी, लाचित बोड़फुकन, लाल जंगली मुर्गा, लाख, लक्ष्मीनाथ फूकन, लक्ष्मीनाथ बेजबरुवा, लक्ष्मीनंदन बोरा, लोहित जिला, लोकप्रिय गोपीनाथ बारदोलोई अन्तरराष्ट्रीय विमानक्षेत्र, शान्तनुकुलनन्दन, शिवसागर, शंकरदेव, शइचर पथार मानुह, शुतीया राजवंश, शुक्र (ज्योतिष), श्रृंखल, श्रेया घोषाल, शीलभद्र (राबती मोहन दत्त चौधुरी), सत्रीया नृत्य, सदिया, सप्तकाण्ड रामायण, सरस्वती सम्मान, सादिन, साहित्य अकादमी पुरस्कार असमिया, सिलचर, सिलेटी भाषा, सुदीर्घ दिन अरु ऋतु, सुनिधि चौहान, स्टेविया, स्नेह देवी, स्नेहदेवीर एकुकि गल्प, सौरभ कुमार चालिहा, सेमल, सोनाली जहाज, सोनकुत्ता, सोनू निगम, हफ़लौंग हिन्दी, हरिवर विप्र, हरेकृष्ण डेका, हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार, हिन्द-आर्य भाषाएँ, हिन्द-आर्य भाषाओं की सूची, हिन्दुस्तान समाचार, ह्रूसो लोग, हेम सरस्वती, हेमचन्द्र बरुआ, हेमचंद्र गोस्वामी, हेमकोष, होमेन बरगोहाइँ, हीरेन भट्टाचार्य, हीरेन गोहार्इं, हीरेन्द्र नाथ दत्त, जतीन्द्रनाथ दुवेरा, ज़, जंगम, जुबिन गर्ग, ज्ञान पुजारी, ज्ञानपीठ पुरस्कार, ज्योतिप्रसाद आगरवाला, जोगेश दास, ईद उल-फ़ित्र, विभिन्न भाषाओं में रामायण, विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, विवेकानन्द केन्द्र, विकासपीडिया, वेणुधर शर्मा, वीरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य, ख़, खासी भाषा, गण अधिकार, गोलाम, गीतरामायणम्, गीति रामायण, ओड़िया भाषा, आठवीं अनुसूची, आदिम हिन्द-ईरानी भाषा, आधुनिक गल्प साहित्य, आन एजन, आनंद चंद्र बरुआ, आमार असम, आशीर्वादर रंग, आजिर दैनिक बातरि, आंधारत निजरमुख, आकाशर छबि आरु अन्‍यान्‍य गल्‍प, इयारुइंगम, इस्की, इंदिरा मिरी, इंदिरा रायसम गोस्वामी, कथा रत्नामकर, कबिरत्न सरस्वती, कबीर फुकन, कायस्थ, कायाकल्प (लक्ष्मीनंदन बोरा), कार्बी भाषा, कार्बी लोग, कांग्रचर कांचियालिरदात, काका देउतार हार, किरण बाला बोरा, कछारी भाषा, कछारी राज्य, कुरमाली भाषा, कुल सेइकिया, कृष्णकांत हांदिकी, कृष्णकांत हांदिकी रचना संभार, केशदा महंत, केशव महंत, के॰एस॰ चित्रा, अतुलचंद्र हज़ारिका, अतुलानंद गोस्वामी, अनुस्वार, अनुवाद, अनेक मानुह अनेक ठाई आरु निर्जनता, अपूर्व शर्मा, अबोर की पहाड़ियाँ, अभिजात्री, अरण्डी, अरहर दाल, अरुण शर्मा (असमिया साहित्यकार), अरुणाचल प्रदेश, अर्णव गोस्वामी, अरूपा पतंगीया कलिता, असम, असम बानी, असम साहित्य सभा, असम के सूत्रधर, असमर लोक–संस्कृति, असमिया चलचित्र, असमिया भाषा के कवियों की सूची, असमिया भाषा की रोमियकरण, असमिया भाषा उन्नति साधिनी सभा, असमिया भाषियों की संख्या के आधार पर भारत के राज्यों की सूची, असमिया साहित्य, असमिया संस्कृति, असमिया जातीय जीवंत महापुरुषीय परंपरा, असमिया विकिपीडिया, असमीया प्रतिदिन, असमीया रामायणी साहित्य, असमीया खबर, अहोम, अजित बरुवा, अघरी आत्मार काहिनी, अगर (वृक्ष), अंबिकागिरि रायचौधुरी, अंगिका भाषा, अंगूरलता डेका, उत्तरी लखीमपुर, 65वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार सूचकांक विस्तार (220 अधिक) »

चन्दना गोस्वामी

चन्दना गोस्वामी असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास पाटकाईर ईपारे मोर देश के लिये उन्हें सन् 2012 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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चर्यापद

चर्यापद (.

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ऊषा उत्थुप

ऊषा उत्थुप (पूर्व में अय्यर) (உஷா உதுப், ঊষা উথুপ) (जन्म - 8 नवम्बर 1947) भारत की एक लोकप्रिय पॉप गायिका हैं। उन्हें 1960 के दशक के उतर्राध, 1970 और 1980 के दशक में अपने लोकप्रिय हिट के लिए जाना जाता है। उन्होंने करीब 16 भाषाओं में गाने गाएं हैं जिसमें बंगाली, हिंदी, पंजाबी, असमी, उड़िया, गुजराती, मराठी, कोंकणी, मलयालम, कन्नड़, तमिल, तुलु और तेलुगु शामिल हैं। वे कई विदेशी भाषाओं में भी गाना गा सकती हैं जिसमें अंग्रेजी, डच, फ्रेंच, जर्मन, इतालवी, सिंहली, स्वाहिली, रूसी, नेपाली, अरबी, क्रियोल, ज़ुलु और स्पेनिश शामिल हैं। .

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चाय

चाय एक लोकप्रिय पेय है। यह चाय के पौधों की पत्तियों से बनता है।भारतीय.

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चित्र चिंता

चित्र चिंता (চিত্ৰ চিন্তা) असमिया भाषा में गौहाटी चलचित्र क्लब द्वारा प्रकाशित होने वाली एक वार्षिक पत्रिका है। इसमें असमिया साहित्यकारों और फ़िल्म समीक्षकों के लेखों का संकलन होता है। .

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चिनेह जोरिर गांथी

चिनेह जोरिर गांथी असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार अतुलानंद गोस्वामी द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2006 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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चंद्रप्रसाद सइकीया

चंद्रप्रसाद सइकीया असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास महारथी के लिये उन्हें सन् 1995 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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चंद्रकुमार अग्रवाल

चन्द्रकुमार अग्रवाल (চন্দ্ৰকুমাৰ আগৰৱালা; 1867–1938) असमिया के प्रसिद्ध लेखक, कवि और पत्रकार थे। वे 'जोनाकी' काल के अग्रदूत थे असमिया साहित्य में उन्हें प्रतिमार खोनिकोर कहा जाता है। वे जोनाकी पत्रिका के प्रथम सम्पादक तथा वित्तपोषक थे। वे असमिया भाषा उन्नति साधिनी सभा के संस्थापक भी थे। लक्ष्मीनाथ बेजबरुवा, हेमचंद्र गोस्वामी तथा चन्द्रकुमार अग्रवाल को आसामी साहित्य की त्रिमूर्ति कहा जाता है। चन्द्रकुमार अग्रवाल के भाई आनन्द चन्द्र अग्रवाल भी लेखक एवं कवि थे। प्रसिद्ध कवि, नाटककार, असमिया फिल्मकार ज्योति प्रसाद अग्रवाल उनके भतीजे थे। .

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एदिनर संबाद

एदिनर संबाद भारत में प्रकाशित होने वाला असमीया भाषा का एक समाचार पत्र (अखबार) है। .

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एधानी माहीर हाँहि

एधानी माहीर हाँहि असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार महिमा बरा द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2001 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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एई अनुरागी एई उदास

एई अनुरागी एई उदास असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार कबीर फुकन द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2011 में असमिया भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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एक शरण धर्म

एक शरण धर्म (असमिया: এক শৰণ ধৰ্ম) शंकरदेव के वैष्णव संप्रदाय का एक पन्थ है। इस धर्म में मूर्तिपूजा की प्रधानता नहीं है। धार्मिक उत्सवों के समय केवल एक पवित्र ग्रंथ चौकी पर रख दिया जाता है, इसे ही नैवेद्य तथा भक्ति निवेदित की जाती है। इस संप्रदाय में दीक्षा की व्यवस्था नहीं है। इस मत के अधिकांश अनुयायी असम में निवास करते हैं। इस धर्म में श्रवण-कीर्तन का अधिक महत्व है। इस धर्म को 'नववैष्णव धर्म' और 'महापुरुषीय धर्म' भी कहते हैं। इस धर्म का मूल मंत्र है -एक देव, एक सेव, एक बिने नाइ केव। इस धर्म में कोई जाति-भेद ऊँच-नीच, धनी-दुखिया का भेद नहीं है। श्रेणी:हिन्दू धर्म श्रेणी:असम.

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ठाकुर रामसिंह

ठकुर राम सिंह ठाकुर रामसिंह (16 फ़रवरी 1915 - ०६ सितम्बर २०१०) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं इतिहास संकलन समिति के संस्थापक सदस्य थे। .

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डिगबोई

डिगबोई भारत के असम राज्य के तिनसुकिया जिले के उत्तर पूर्वी हिस्से में स्थित एक छोटा सा नगर है। 19वीं सदी के अंतिम वर्षों में यहाँ कच्चे तेल की खोज की गयी थी। डिगबोई असम के तेल नगरी के रूप में जाना जाता है। डिगबोई में एशिया में पहली बार तेल कुएँ का खनन हुआ था। 1901 में यहाँ एशिया की पहली रिफाइनरी को शुरू किया गया था। डिगबोई में अभी तक उत्पादन करने वाली कुछ सबसे पुराने तेल कुएँ हैं। भारत की स्वतंत्रता के दशकों बाद तक असम तेल कंपनी के लिए काम कर रहे ब्रिटिश पेशेवरों की एक महत्वपूर्ण संख्या थी। इसीलिए ब्रिटिश लोगों ने डिगबोई को अच्छी तरह से विकसित किया था तथा बुनियादी सुविधाओं से परिपूर्ण किया था। यहाँ मौजूद कुछ बंगले अभी तक ब्रिटिश काल की याद दिलाते हैं। यहाँ डिगबोई क्लब के भाग के रूप में अठारह होल्स का एक गोल्फ कोर्स है। .

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तिनसुकिया

तिनसुकिया भारत के असम प्रदेश का एक छोटा सा शहर, तिनसुकिया जिले का प्रशासनिक मुख्यालय तथा नगर निगम बोर्ड है। यह असम राज्य का एक प्रमुख क्षेत्रीय व्यापारिक केंद्र भी है। यह असम कि राजधानी गुवाहाटी से 486 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर-पूर्व में और अरुणाचल प्रदेश की सीमा से 84 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। असम के व्यापारिक राजधानी के रूप में प्रसिद्ध इस नगर में असमिया और अन्य भाषाई विशेषकर हिंदीभाषी, बंगाली, नेपाली और सिख लोग रहते हैं। कई नए मॉल और भवनों के निर्माण के साथ शहर एक आधुनिक शहर का रूप लेता जा रहा है। तिनसुकिया एक औद्योगिक और वाणिज्यिक केंद्र है जहाँ कृषि उत्पादों जैसे चाय, संतरे, अदरक और धान के भारी पैदावार के साथ साथ अनेक उद्यम भी प्रतिष्ठित हैं। तिनसुकिया में असम का सबसे बड़ा रेलवे जंक्शन है और यह जिले को देश के कई महत्वपूर्ण स्थलों से जोड़ता है। .

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त्रैलोक्यनाथ गोस्वामी

त्रैलोक्यनाथ गोस्वामी असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक समालोचना आधुनिक गल्प साहित्य के लिये उन्हें सन् 1967 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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तीर्थनाथ शर्मा

तीर्थनाथ शर्मा असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक जीवनी वेणुधर शर्मा के लिये उन्हें सन् 1986 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित(मरणोपरांत) किया गया। .

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दही (योगहर्ट या योगर्ट)

तुर्की दही एक तुर्की ठंडा भूख बढ़ाने वाला दही का किस्म दही (Yoghurt) एक दुग्ध-उत्पाद है जिसे दूध के जीवाण्विक किण्वन के द्वारा बनाया जाता है। लैक्टोज के किण्वन से लैक्टिक अम्ल बनता है, जो दूध के प्रोटीन पर कार्य करके इसे दही की बनावट और दही की लाक्षणिक खटास देता है। सोय दही, दही का एक गैर-डेयरी विकल्प है जिसे सोय दूध से बनाया जाता है। लोग कम से कम 4,500 साल से दही-बना रहे हैं-और खा रहे हैं। आज यह दुनिया भर में भोजन का एक आम घटक है। यह एक पोषक खाद्य है जो स्वास्थ्य के लिए अद्वितीय रूप से लाभकारी है। यह पोषण की दृष्टि से प्रोटीन, कैल्सियम, राइबोफ्लेविन, विटामिन B6 और विटामिन B12 में समृद्ध है। .

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दिल से

दिल से १९९८ में बनी रोमांटिक-थ्रिलर हिन्दी फ़िल्म है, जो आतंकवाद और उत्तर-पूर्वी राज्यों के तनावों पर आधारित है । फ़िल्म का निर्देशन मणिरत्नम ने किया है, वहीं निर्माता में रामगोपाल वर्मा तथा शेखर कपूर ने योगदान दिया है । इसे तमिल में उइरे तथा तेलगू में प्रेमा तू नाम से भी रिलीज़ किया गया था। इसके मुख्य कलाकार शाहरुख खान, मनीषा कोइराला तथा नवोदित अभिनेत्री प्रीति जिंटा थे। फ़िल्म की पटकथा मणिरत्नम ने तिगमांशु धुलिया के साथ लिखी तथा इस फिल्म का संगीत ए आर रहमान ने दिया है तथा गीत को गुलज़ार ने कलमबद्ध किया है । यह रोचक संयोग है कि मणिरत्नम की पिछली आतंकवाद विषय पर बनी रोजा और बाॅम्बे के बाद यह उनकी तीसरी प्रस्तुति है । फ़िल्म को दो राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार तथा छह फिल्मफ़ेयर पुरस्कार से मीटर नवाजा गया । संगीतकार ए आर रहमान को इसके लिए उस साल का फिल्मफ़ेयर पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था । .

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दक्षिण एशिया

thumb दक्षिण एशिया एक अनौपचारिक शब्दावली है जिसका प्रयोग एशिया महाद्वीप के दक्षिणी हिस्से के लिये किया जाता है। सामान्यतः इस शब्द से आशय हिमालय के दक्षिणवर्ती देशों से होता है जिनमें कुछ अन्य अगल-बगल के देश भी जोड़ लिये जाते हैं। भारत, पाकिस्तान, श्री लंका और बांग्लादेश को दक्षिण एशिया के देश या भारतीय उपमहाद्वीप के देश कहा जाता है जिसमें नेपाल और भूटान को भी शामिल कर लिया जाता है। कभी कभी इसमें अफगानिस्तान और म्याँमार को भी जोड़ लेते हैं। दक्षिण एशिया के देशों का एक संगठन सार्क भी है जिसके सदस्य देश निम्नवत हैं.

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दक्षिण एशिया की पाक-प्रणाली में प्रयुक्त पादपों की सूची

नीचे की दक्षिण एशिया के व्यंजनों में प्रयोग किए जाने वाले पादप या उनके अंगों के नाम हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में दिए गए हैं- .

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दक्षिण एशियाई भोजन में प्रयुक्त पादप

दक्षिण एशिया और विशेषतः भारतीय, भोजन अधिकांशतः शाकमय होता है जिसमें विभिन्न प्रकार के फल, सब्जियाँ, अन्न, तथा मसाले होते हैं। इस लेख में दणिण एशिया के देशों के भोजन में प्रयुक्त पौधों के नाम विभिन्न भाषाओं में दिए गये हैं। .

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दुलियाजान

दुलियाजान (असमिया:দুলীয়াজান) भारत के उत्तर पूर्वी राज्य असम के सुदूर पूर्व में बसा एक औद्योगिक नगरी है.

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दैनिक जनमभूमि

दैनिक जनमभूमि भारत में प्रकाशित होने वाला असमीया भाषा का एक समाचार पत्र (अखबार) है। .

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दैनिक जनसाधारण

दैनिक जनसाधारण भारत में प्रकाशित होने वाला असमीया भाषा का एक समाचार पत्र (अखबार) है। .

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दैनिक असम

दैनिक असम भारत में प्रकाशित होने वाला असमीया भाषा का एक समाचार पत्र (अखबार) है। .

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दैनिक अग्रदूत

दैनिक अग्रदूत भारत में प्रकाशित होने वाला असमीया भाषा का एक समाचार पत्र (अखबार) है। .

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देशी भाषाओं में देशों और राजधानियों की सूची

निम्न चार्ट विश्व के देशों को सूचीबद्ध करता है (जैसा की यहां परिभाषित किया गया है), इसमें उनके राजधानीयों के नाम भी शामिल है, यह अंग्रेजी के साथ साथ उस देश की मूल भाषा और/या सरकारी भाषा में दी गयी है। ज टी की कोण नॉन en .

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देवनागरी अंक

देवनागरी लिपि में गिनती के लिए दस अंकों वाली दशमलव आधारित गणना पद्धति का प्रयोग किया जाता है। ये दस अंक भारतीय अंकों के अंतर्राष्ट्रीय रूप के समानांतर प्रचलित हैं। देवनागरी लिपि का प्रयोग करने वाली विभिन्न भाषाओं में ये अंक आम तौर पर प्रयुक्त होते हैं। प्राचीन काल से ही प्रयुक्त इन अंकों को 19वीं सदी के उत्तरार्ध में आधिकारीक दर्जा दिलाने की कोशिश शुरु हुई। भारतीय संविधान ने अनुच्छेद 351 में देवनागरी लिपि में लिखी हिन्दी को तो संघ की राजभाषा घोषित कर दिया किंतु अंक अंतर्राष्ट्रीय ही रखा। 1954 में तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने अपने संविधान प्रदत्त अधिकार का प्रयोग करते हुए देवनागरी अंक के प्रयोग का अध्यादेश जारी किया। तब से देवनागरी लिपि अंतर्राष्ट्रीय एवं देवनागरी अंकों के साथ भी लिखी जाने लगी। .

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देवेन्द्रनाथ आचार्य

देवेन्द्रनाथ आचार्य असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास जंगम के लिये उन्हें सन् 1984 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित(मरणोपरांत) किया गया। .

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देओ लाङ्खुइ

देओ लांखुइ असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार रीता चौधुरी द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2008 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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देओरी भाषा

देओरी (Deori) या जिमोसाया (Jimosaya) पूर्वोत्तर भारत के असम और अरुणाचल प्रदेश के देओरी समुदाय द्वारा बोली जाने वाली ब्रह्मपुत्री भाषा-परिवार की एक भाषा है। देओरी समाज में केवल दिबोंगिया उपसमुदाय ही अब इस भाषा को बोलता है और अन्य सभी ने असमिया भाषा बोलना आरम्भ कर दिया है। .

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दोआर

दोआर या डूआर (बंगाली: ডুয়ার্স, नेपाली: डुवर्स) भूटान के आसपास पूर्वोत्तर भारत में बाढ़ के मैदान पूर्वी हिमालय की तलहटी को कहते हैं। दुआर का मतलब नेपाली, असमिया, मैथिली, भोजपुरी, मगही और बंगाली भाषाओं में दरवाज़ा होता है और यह क्षेत्र भारत से भूटान के लिए प्रवेश द्वार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। पुराने ज़माने में भूटान के लोग मैदानी इलाकों में रहने वाले लोगों के साथ १८ मार्ग या द्वार के माध्यम से संपर्क कर सकते थे। संकोश नदी द्वारा पूर्वी और पश्चिमी दोआर में विभाजित यह ८८०० वर्ग कि॰मी॰ का क्षेत्र है। पश्चिमी दोआर बंगाल दोआर और पूर्वी दोआर असम दोआर के रूप में जाना जाता है। श्रेणी:पश्चिम बंगाल श्रेणी:भारत के क्षेत्र.

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दीपावली

दीपावली या दीवाली अर्थात "रोशनी का त्योहार" शरद ऋतु (उत्तरी गोलार्द्ध) में हर वर्ष मनाया जाने वाला एक प्राचीन हिंदू त्योहार है।The New Oxford Dictionary of English (1998) ISBN 0-19-861263-X – p.540 "Diwali /dɪwɑːli/ (also Divali) noun a Hindu festival with lights...". दीवाली भारत के सबसे बड़े और प्रतिभाशाली त्योहारों में से एक है। यह त्योहार आध्यात्मिक रूप से अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है।Jean Mead, How and why Do Hindus Celebrate Divali?, ISBN 978-0-237-534-127 भारतवर्ष में मनाए जाने वाले सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात् ‘अंधेरे से ज्योति अर्थात प्रकाश की ओर जाइए’ यह उपनिषदों की आज्ञा है। इसे सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं। जैन धर्म के लोग इसे महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं तथा सिख समुदाय इसे बन्दी छोड़ दिवस के रूप में मनाता है। माना जाता है कि दीपावली के दिन अयोध्या के राजा राम अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात लौटे थे। अयोध्यावासियों का ह्रदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से प्रफुल्लित हो उठा था। श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए। कार्तिक मास की सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी। तब से आज तक भारतीय प्रति वर्ष यह प्रकाश-पर्व हर्ष व उल्लास से मनाते हैं। यह पर्व अधिकतर ग्रिगेरियन कैलन्डर के अनुसार अक्टूबर या नवंबर महीने में पड़ता है। दीपावली दीपों का त्योहार है। भारतीयों का विश्वास है कि सत्य की सदा जीत होती है झूठ का नाश होता है। दीवाली यही चरितार्थ करती है- असतो माऽ सद्गमय, तमसो माऽ ज्योतिर्गमय। दीपावली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है। कई सप्ताह पूर्व ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती हैं। लोग अपने घरों, दुकानों आदि की सफाई का कार्य आरंभ कर देते हैं। घरों में मरम्मत, रंग-रोगन, सफ़ेदी आदि का कार्य होने लगता है। लोग दुकानों को भी साफ़ सुथरा कर सजाते हैं। बाज़ारों में गलियों को भी सुनहरी झंडियों से सजाया जाता है। दीपावली से पहले ही घर-मोहल्ले, बाज़ार सब साफ-सुथरे व सजे-धजे नज़र आते हैं। दीवाली नेपाल, भारत, श्रीलंका, म्यांमार, मारीशस, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, सूरीनाम, मलेशिया, सिंगापुर, फिजी, पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया की बाहरी सीमा पर क्रिसमस द्वीप पर एक सरकारी अवकाश है। .

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ध्रुव ज्योति बोरा

ध्रुव ज्योति बोरा असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास कथा रत्नामकर के लिये उन्हें सन् 2009 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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नलिनी बाला देवी

नलिनी बाला देवी (२३ मार्च १८९८ – २४ दिसम्बर १९७७) असमिया भाषा की प्रसिद्ध कवयित्री थीं। वे अपनी राष्ट्रवादी तथा रहस्यवादी कविता के लिये प्रसिद्ध हैं।Das, p. 197 उनके साहित्यिक योगदान के लिये भारत सरकार ने १९५७ में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया तथा १९६८ में उनकी काव्यकृति अलकनन्दा के लिये उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार (असमिया) प्रदान किया गया। .

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नाम की व्युत्पत्ति के आधार पर भारत के राज्य

भारतीय गणराज्य का १९४७ में राज्यों के संघ के रूप में गठन हुआ। राज्य पुनर्गठन अधिनियम, १९५६ के अनुसार राज्यीय सीमाओं को भाषाई आधार पर पुनर्व्यवस्थित किया गया, इसलिए कई राज्यों के नाम उनकी भाषाओं के अनुसार हैं और आमतौर पर तमिल नाडु (तमिल) और कर्णाटक (कन्नड़) को छोड़कर, इन नामों की उत्पत्ति संस्कृत से होती है। तथापि अन्य राज्यों के नाम उनकी भौगोलिक स्थिति, विशेष इतिहास या जनसंख्याओं और औपनिवेशिक प्रभावों पर पड़े हैं। .

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नागामी भाषा

नागामी भाषा विभिन्न नागा बोलियों और असमी भाषा का मिश्रण है। यह भाषा स्कूलों और विधान सभा में समझाने और बहस के लिए प्रयोग में लाई जाती है। विभिन्न बोलियों के होने के कारण नागालैंड में अंग्रेज़ी को राज्य भाषा का दर्जा प्राप्त है। .

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नियमीया बार्ता

नियमीया बार्ता भारत में प्रकाशित होने वाला असमीया भाषा का एक समाचार पत्र (अखबार) है। .

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निरुपमा बरगोहाइँ

निरुपमा बरगोहाइँ असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास अभिजात्री के लिये उन्हें सन् 1996 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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निर्मलाप्रभा बारदोलोइ

निर्मलाप्रभा बारदोलोइ असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह सुदीर्घ दिन अरु ऋतु के लिये उन्हें सन् 1983 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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निउज थार्टि

निउज थार्टि भारत में प्रकाशित होने वाला असमीया भाषा का एक समाचार पत्र (अखबार) है। .

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नगेन सइकीया

नगेन सइकीया असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह आंधारत निजरमुख के लिये उन्हें सन् 1997 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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नीलमणि फूकन (कनिष्ठ)

नीलमणि फूकन (कनिष्ठ) असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह कविता के लिये उन्हें सन् 1981 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट

पतंजलि योगपीठ का मुख्य द्वार पतंजलि योगपीठ का मुख्य भवन पतंजलि योगपीठ भारत का सबसे बड़ा योग शिक्षा संस्थान है। इसकी स्थापना स्वामी रामदेव द्वारा योग का अधिकाधिक प्रचार करने एवं इसे सर्वसुलभ बनाने के उद्देश्य से की गयी थी। यह हरिद्वार में स्थित है। आचार्य बालकृष्ण इसके महासचिव हैं। .

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परवल

परवल या 'पटोल' एक प्रकार की सब्ज़ी है। इसकी लता जमीन पर पसरती है। इसकी खेती असम, बंगाल, ओड़िशा, बिहार एवं उत्तर प्रदेश में की जाती है। परवल को हिंदी में 'परवल', तमिल में 'कोवाककई' (Kovakkai), कन्नड़ में 'थोंड़े काई' (thonde kayi) और असमिया, संस्कृत, ओडिया और बंगाली में 'पोटोल' तथा भोजपुरी, उर्दू, और अवध भाषा में 'परोरा' के नाम से भी जाना जाता है। इनके आकर छोटे और बड़े से लेकर मोटे और लम्बे में - 2 से 6 इंच (5 से 15 सेंटीमीटर) तक भिन्न हो सकते हैं। यह अच्छी तरह से साधारणतया गर्म और आर्द्र जलवायु के अन्दर पनपती है। .

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पाटकाईर ईपारे मोर देश

पाटकाईर ईपारे मोर देश असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार चन्दना गोस्वामी द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2012 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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पाताल भैरवी (असमिया उपन्यास)

पाताल भैरवी असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार लक्ष्मीनंदन बोरा द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1988 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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पापोन

अंगराग महंत (असमिया: অংগৰাগ মহন্ত), जिन्हें मुख्यत: उनके उपनाम पापोन के नाम से जाना जाता है, भारत के राज्य असम से आने वाले एक गायक, संगीतकार और रिकार्ड निर्माता हैं। एनडीटीवी गुड टाइम्स के साथ हुए एक साक्षातकार में पापोन ने कहा था कि वो दुनिया भर की यात्रा करना और दुनिया के विभिन्न संगीत समारोहों में प्रस्तुति देना चाहते है। वह दुनिया भर के विभिन्न संगीतकारों से मिल कर दुनिया भर के विभिन्न इलाकों के संगीत को सीखना और इन प्रतिभावान संगीतकारों के साथ मिलकर अद्भुत और सुंदर संगीत रचना करना चाहते हैं। पापोन द्वारा रचित उनका अधिकांश शुरुआती संगीत प्रचलित संगीत से पूरी तरह से अलग था। यह पूर्वी लोक संगीत था और मुख्यत: असमिया भाषा में था। उनके द्वारा रचित पहला हिन्दी एलबम 'द स्टोरी सो फार' था। .

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पाकड़

पाकड़, पिलखन या पकड़िया भारतवर्ष में बहुतायत से पाया जाने वाला एक हराभरा वृक्ष है। इसे अंग्रेजी में Ficus virens, असमिया में पकोड़ी, बांग्ला में পাকুড় (पाकड़), गुजराती में પેપરી (पेपरी), उर्दू में پاکڙيا (पकड़िया), तमिल में சிற்றால் (चिर्रल), तेलुगू में జువ్వి (ज़ुब्बी), मलयालम में ചെറള (चेरल), कन्नड़ में ಬಸರಿಮರ (बसरीमारा), मराठी में लघुपिंपरी, पंजाबी में जंगली पीपली, उड़िया में जरी, नेपाली में सफेद काबरा, मणिपुरी में চিঙ হৈবোঙ (छिंग हेवोंग) तथा संस्कृत में पर्कटी, भिदुरः, दृढप्रारोहः, हृस्वपर्ण, मंगलछायः, प्लक्ष या रामअंजीर कहते हैं। .

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पिता–पुत्र (असमिया उपन्यास)

पिता–पुत्र (असमिया उपन्यास) असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार होमेन बरगोहाइँ द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1978 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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पुरवी बरमुदै

पुरवी बरमुदै असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास शान्तनुकुलनन्दन के लिये उन्हें सन् 2007 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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प्राजक्ता (फूल)

प्राजक्ता एक पुष्प देने वाला वृक्ष है। इसे हरसिंगार, शेफाली, शिउली आदि नामो से भी जाना जाता है। इसका वृक्ष 10 से 15 फीट ऊँचा होता है। इसका वानस्पतिक नाम 'निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस' है। पारिजात पर सुन्दर व सुगन्धित फूल लगते हैं। इसके फूल, पत्ते और छाल का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। यह सारे भारत में पैदा होता है। यह पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प है। .

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प्रेम खान

प्रेम खान (जन्म: 31 मई, 1996) में हिंदी, अंग्रेजी और असमिया भाषा फिल्म की दुनिया में, एक अभिनेता है.

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पृथ्वीवीर असुख

पृथ्वीवीर असुख असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार जोगेश दास द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1980 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी, शिलांग

पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी मेघालय की राजधानी शिलांग स्थित एक हिन्दीसेवी संस्था है। इसकी स्थापना 1990 में हुई थी। अकादमी वहाँ के अहिन्दी भाषी लोगो के मन में हिन्दी के प्रति लगाव की भावना जगा कर उन्हें हिन्दी से जोड़ने के लिए प्रयासरत है। यह संस्था पूर्वोत्तर की स्थानीय भाषाओं जैसे खासी, बोरो, असमी, मणिपुरी और बांग्ला के विकास और समन्वय के लिए भी काम कर रही है। भारतीयता के वृहद उद्देश्य से काम कर रही इस संस्था के उद्देश्यों में कला और संस्कृति का प्रचार भी शामिल है। अपने कार्यक्रमों के माध्यम से अकादमी उत्तर-पूर्व के राज्यों के साथ भारत के अन्य राज्यों में सांस्कृतिक आदान-प्रदान के द्वारा राष्ट्रीय एकता को भी विकसित कर रही है। .

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पूर्वी नागरी लिपि

पूर्वी नागरी लिपि ब्राह्मी परिवार की लिपि है। इसमें मुख्यतः बांग्ला, असमिया और विष्णुपुरिया मणिपुरी भाषाएँ लिखी जाती हैं। .

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पेठा (सब्जी)

पेठा या कुष्माण्ड (अंग्रेज़ी:winter melon; वानस्पतिक नाम: बेनिनकेसा हिस्पिडा (Benincasa hispida)), एक बेल पर लगने वाला फल है, जो सब्जी की तरह खाया जाता है। यह हल्के हरे वर्ण का होता है और बहुत बड़े आकार का हो सकता है। पूरा पकने पर यह सतही बालों को छोड़कर कुछ श्वेत धूल भरी सतह का हो जाता है। इसकी कुछ प्रजातियां १-२ मीटर तक के फल देती हैं। इसकी अधिकांश खेती भारत सहित दक्षिणी और दक्षिण-पूर्वी एशिया में होती है। इससे भारत में एक मिठाई भी बनती है, जिसे पेठा (मिठाई) ही कहते हैं। कुष्मांड या कूष्मांड का फल पेठा, भतुआ, कोंहड़ा आदि नामों से भी जाना जाता है। इसका लैटिन नाम 'बेनिनकेसा हिस्पिडा' (Benincasa hispida) है। यह लता वार्षिकी, कठिन श्वेत रोमों से आवृत 5-6 इंच व्यास के पत्तों वाली होती है। पुष्प के साथ अंडाकार फल लगते हैं। कच्चा फल हरा, पर पकने पर श्वेत, बृहदाकार होता है। यह वर्षा के प्रारंभ में बोया जाता है। शिशिर में फल पकता है। बीज चिपटे होते हैं। इसके एक भेद को क्षेत्रकुष्मांड, भतुआ या कोंहड़ा कहते हैं, जो कच्ची अवस्था में हरा, पर पकने पर पीला हो जाता है। कुष्मांड खेतों में बोया जाता अथवा छप्पर पर लता के रूप में चढ़ाया जाता है। कुष्मांड भारत में सर्वत्र उपजता है। .

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फ़ारुख़ शेख़

फ़ारुख़ शेख़ (२५ मार्च १९४८ - २७ दिसम्बर २०१३) एक भारतीय अभिनेता, समाज-सेवी और एक टेलीविजन प्रस्तोता थे। उन्हें ७० और ८० के दशक की फ़िल्मों में अभिनय के कारण प्रसिद्धि मिली। वो सामान्यतः एक कला सिनेमा में अपने कार्य के लिए प्रसिद्ध थे जिसे समानांतर सिनेमा भी कहा जाता है। उन्होंने सत्यजित राय और ऋषिकेश मुखर्जी के निर्देशन में भी काम किया। .

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बाणीकांत काकति

बाणीकांत काकति बाणीकांत काकति (असमिया: বাণীকান্ত কাকতি; 15 नवम्बर 1894 - 15 नवम्बर 1952) असमिया भाषा के प्रमुख साहित्यकार, आलोचक तथा विद्वान थे। उन्होने असमिया भाषा, साहित्य और संस्कृति की एकननिष्ठ सेवा की। साहित्यचर्चा इनके जीवन का एकमात्र व्रत थी। आधुनिक असमिया समालोचकों में काकति को सर्वोच्च स्थान दिया जा सकता है। साधारण असमिया शब्दों का प्रयोग इनकी शैली की विशेषता हैं; कहीं-कहीं इनकी भाषा, गद्यसुलभ काव्य में परिणत हो गई है और उसमें छंदों की झनकार सुनाई देती है। .

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बाघे टापुर राति

बाघे टापुर राति असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार अपूर्व शर्मा द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2000 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बाङ्ला भाषा

बाङ्ला भाषा अथवा बंगाली भाषा (बाङ्ला लिपि में: বাংলা ভাষা / बाङ्ला), बांग्लादेश और भारत के पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्वी भारत के त्रिपुरा तथा असम राज्यों के कुछ प्रान्तों में बोली जानेवाली एक प्रमुख भाषा है। भाषाई परिवार की दृष्टि से यह हिन्द यूरोपीय भाषा परिवार का सदस्य है। इस परिवार की अन्य प्रमुख भाषाओं में हिन्दी, नेपाली, पंजाबी, गुजराती, असमिया, ओड़िया, मैथिली इत्यादी भाषाएँ हैं। बंगाली बोलने वालों की सँख्या लगभग २३ करोड़ है और यह विश्व की छठी सबसे बड़ी भाषा है। इसके बोलने वाले बांग्लादेश और भारत के अलावा विश्व के बहुत से अन्य देशों में भी फ़ैले हैं। .

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बिन्तुरोंग

बिन्तुरोंग, जिसे भालूबिल्ली, एशियाई भालूबिल्ली या पालावान भालूबिल्ली भी कहते हैं, विवराइडे (Viverridae) परिवार का एक स्तनधारी जानवर है। इसके "भालूबिल्ली" बुलाए जाने के बावजूद यह न तो बिल्ली है और न ही भालू। इसका नाम ("बिन्तुरोंग") एक विलुप्त हो चुकी मलेशियाई भाषा से आया है और इस शब्द का अर्थ अज्ञात है। यह पशु वनों की ऊंची शाखों में रहना पसंद करता है और पूर्वोत्तर भारत के जंगलों में पाया जाता है। भारत से बाहर यह बंगलादेश, भूटान, बर्मा, कम्बोडिया, इंडोनीशिया, लाओस, मलेशिया, चीन, फ़िलीपीन्स, थाईलैंड और वियतनाम में मिलता है। यह एक निशाचरी जानवर है और रात को सक्रीय रहता है। बिन्तुरोंग अधिकतर फल खाते हैं, लेकिन अंडे, टहनियाँ, पत्ते, छोटे जानवर और चिड़ियाँ सभी इसकी ख़ुराक में सम्मिलित हैं। इसके प्राकृतिक वास-क्षेत्र में वनों के कट जाने से इसकी संख्या बहुत घाट गई है। अगर इसका पीछा करा जाए और इसे लगे की भागने का कोई उपाय नहीं है, तो बिन्तुरोंग बहुत ख़ुँख़ार तरह से लड़ सकता है। साधारण स्थितियों में यह हलकी हँसने जैसी आवाज़ करता है लेकिन क्रोध या डर में ऊँची और पतली चीखें निकालता है। चिड़ियाघरों में इसकी आयु २०-२५ साल तक देखी गई है। .

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बिपन्न समय

बिपन्न समय असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार मेदिनी शर्मा द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1999 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बिरंचिकुमार बरुआ

बिरंचिकुमार बरुआ असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक लोक–संस्कृति का अध्ययन असमर लोक–संस्कृति के लिये उन्हें सन् 1964 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित(मरणोपरांत) किया गया। .

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बिहु त्योहार

बिहु त्योहार बिहु (असमिया: বিহু) असम के तीन अलग सांस्कृतिक उत्सवों के एक समूह को दर्शाता है और दुनिया भर के असमी प्रवासी इसे धूमधाम से मनाते हैं। यद्यपि वे प्राचीन संस्कार और प्रथाओं को उनके मूल मानते है हालांकि उन लोगो ने निश्चित शहरी सुविधाओं को अपना लिया है और हाल की दशकों में शहरी और लोकप्रिय त्योहार बन गए हैं। उनमें से एक में अप्रैल में मनाये जाने वाले असमिया नव वर्ष भी शामिल है। बिहु शब्द बिहु नृत्य और बिहू लोक गीत दोनो की और संकेत करते है। रोंगाली बिहु या बोहाग बिहु असम का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। बिहु असम के सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो सभी असमियों द्वारा बहुतायत में मस्ती के साथ मनाया जाता है बिना उनके जाति, धर्म और विश्वास में भेद किये। बिहु शब्द दिमासा लोगों की भाषा से ली गई है जो की प्राचीन काल से एक कृषि समुदाय है। उनकी सर्वोच्च देवता ब्राई शिबराई या पिता शिबराई हैं। मौसम की पहली फसल अपनी शांति और समृद्धि की कामना करते हुए ब्राई शिबराई के नाम पर अर्पित किया जाता हैं। तो 'बि' मतलब 'पुछना' और 'शु' मतलब पृथ्वी में 'शांति और समृद्धि' हैं। अत: शब्दै बिशु धीरे-धीरे भाषाई तहजीह को समायोजित करने के लिये बिहु बन गया। अन्य सुझाव यह हैं कि 'बि' मतलब 'पुछ्ना' और 'हु' मतलब 'देना' और वही से बिहु नाम उत्पन्न हुआ। यह " कलागुरु " विष्णु प्रसाद राभा द्वारा कहा गया था। असम में रोंगाली बिहू बहुत सारे परंपराओं से ली जाती हैं जैसे की- बर्मी-चीन, ऑस्ट्रो - एशियाटिक, हिंद-आर्यन- और बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता हैं। त्योहार अप्रैल के मध्य में शुरू होता हैं और आम तौर पर एक महीने के लिए जारी रह्ता हैं। यह पारंपरिक नव वर्ष है। इसके अलावा दो और बिहु हैं: अक्टूबर में कोंगाली बिहु (सितम्बर विषुव के साथ जुड़े) और जनवरी में भोगाली बिहु (जनवरी संक्रांति से जुड़े)। अधिकांश अन्य भारतीय त्योहारों की तरह, बिहू (तीनों ही) खेती के साथ जुड़ा हुआ हैं, जैसे की पारंपरिक असमिया समाज मुख्य रूप से कृषि पर ही निर्भरीत हैं। वास्तव में, वैसा ही बहुत सारे उत्सब लगभग उसी वक्त पे पुरे भारतबर्श में मनाया जाता हैं। .

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बंगाली लिपि

'कॉ' पर मात्राएं लगाने पर स्वरूप बांग्ला लिपि (বাংলা লিপি) पूर्वी नागरी लिपि का एक परिमार्जित रूप है जिसे बांग्ला भाषा, असमिया या विष्णुप्रिया मणिपुरी लिखने के लिए प्रयोग किया जाता है। पूर्वी नागरी लिपि का संबंध ब्राम्ही लिपि के साथ है। आधुनिक बांग्ला लिपि को चार्ल्स विल्किंस द्वारा 1778 में आधार दिया गया जब उन्होंने इस लिपि के लिए पहली बार टाइपसेट का प्रयोग किया। असमिया एवं मणिपुरी लिखते समय कमोबेश इसी लिपि का प्रयोग थोड़े बहुत परिवर्तन के साथ किया जाता है। उदाहरण के तौर पर, र अक्षर (बांग्ला/मणिपुरी: র; असमिया: ৰ) एवं व (बांग्ला: अनुपलब्ध; असमिया/मणिपुरी: ৱ) में भाषानुसार अंतर दिखते हैं। .

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बकुल बनर कविता

बकुल बनर कविता असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार आनंद चंद्र बरुआ द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1977 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बुरंजी

प्राचीन हस्थलिखि - बुरंजी। बुरंजी, असमिया भाषा में लिखी हुईं ऐतिहासिक कृतियाँ हैं। अहोम राज्य सभा के पुरातत्व लेखों का संकलन बुरंजी में हुआ है। प्रथम बुरंजी की रचना असम के प्रथम राजा सुकफा के आदेश पर लिखी गयी जिन्होने सन् १२२८ ई में असम राज्य की स्थापना की। आरंभ में अहोम भाषा में इनकी रचना होती थी, कालांतर में असमिया भाषा इन ऐतिहासिक लेखों की माध्यम हुई। इसमें राज्य की प्रमुख घटनाओं, युद्ध, संधि, राज्यघोषणा, राजदूत तथा राज्यपालों के विविध कार्य, शिष्टमंडल का आदान प्रदान आदि का उल्लेख प्राप्त होता है - राजा तथा मंत्री के दैनिक कार्यों के विवरण भी प्रकाश डाला गया है। असम प्रदेश में इनके अनेक वृहदाकार खंड प्राप्त हुए हैं। राजा अथवा राज्य के उच्चपदस्थ अधिकारी के निर्देशानुसार शासनतंत्र से पूर्ण परिचित विद्वान् अथवा शासन के योग्य पदाधिकारी इनकी रचना करते थे। घटनाओं का चित्रण सरल एवं स्पष्ट भाषा में किया गया है; इन कृतियों की भाषा में अलंकारिकता का अभाव है। सोलहवीं शती के आरंभ से उन्नीसवीं शती के अंत तक इनका आलेखन होता रहा। बुरंजी राष्ट्रीय असमिया साहित्य का अभिन्न अंग हैं। गदाधर सिंह के राजत्वकाल में पुरनि असम बुरंजी का निर्माण हुआ जिसका संपादन हेमचंद्र गोस्वामी ने किया है। पूर्वी असम की भाषा में इन बुरंजियों की रचना हुई है। "बुरंजी" मूलत: एक टाइ शब्द है, जिसका अर्थ है "अज्ञात कथाओं का भांडार"। इन बुरंजियों के माध्यम से असम प्रदेश के मध्ययुग का काफी व्यवस्थित इतिहास उपलब्ध है। बुरंजी साहित्य के अंतर्गत कामरूप बुरंजी, कछारी बुरंजी, आहोम बुरंजी, जयंतीय बुंरजी, बेलियार बुरंजी के नाम अपेक्षाकृत अधिक प्रसिद्ध हैं। इन बुरंजी ग्रंथों के अतिरिक्त राजवंशों की विस्तृत वंशावलियाँ भी इस काल में हुई। आहोम राजाओं के असम में स्थापित हो जाने पर उनके आश्रय में रचित साहित्य की प्रेरक प्रवृत्ति धार्मिक न होकर लौकिक हो गई। राजाओं का यशवर्णन इस काल के कवियों का एक प्रमुख कर्तव्य हो गया। वैसे भी अहोम राजाओं में इतिहासलेखन की परंपरा पहले से ही चली आती थी। कवियों की यशवर्णन की प्रवृत्ति को आश्रयदाता राजाओं ने इस ओर मोड़ दिया। पहले तो अहोम भाषा के इतिहास ग्रंथों (बुरंजियों) का अनुवाद असमिया में किया गया और फिर मौलिक रूप से बुरंजियों का सृजन होने लगा। .

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ब्रह्मपुत्रप इत्यादि पद्य

ब्रह्मपुत्रप इत्यादि पद्य असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार अजित बरुआ द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1991 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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ब्राह्मी परिवार की लिपियाँ

ब्राह्मी परिवार उन लिपियों का परिवार हैं जिनकी पूर्वज ब्राह्मी लिपि है। इनका प्रयोग दक्षिण एशिया, दक्षिणपूर्व एशिया में होता है, तथा मध्य व पूर्व एशिया के कुछ भागों में भी होता है। इस परिवार की किसी लेखन प्रणाली को ब्राह्मी-आधारित लिपि या भारतीय लिपि कहा जा सकता है। इन लिपियों का प्रयोग कई भाषा परिवारों में होता था, उदाहरणार्थ इंडो-यूरोपियाई, चीनी-तिब्बती, मंगोलियाई, द्रविडीय, ऑस्ट्रो-एशियाई, ऑस्ट्रोनेशियाई, ताई और संभवतः कोरियाई में। इनका प्रभाव आधुनिक जापानी भाषा में प्रयुक्त अक्षर क्रमांकन पर भी दिखता है। .

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ब्रजबुलि

ब्रजबुलि उस काव्यभाषा का नाम है जिसका उपयोग उत्तर भारत के पूर्वी प्रदेशों अर्थात् मिथिला, बंगाल, आसाम तथा उड़ीसा के भक्त कवि प्रधान रूप से कृष्ण की लीलाओं के वर्णन के लिए करते रहे हैं। नेपाल में भी ब्रजबुलि में लिखे कुछ काव्य तथा नाटकग्रंथ मिले हैं। इस काव्यभाषा का उपयोग शताब्दियों तक होता रहा है। ईसवी सन् की 15वीं शताब्दी से लेकर 19वीं शताब्दी तक इस काव्यभाषा में लिखे पद मिलते हैं। यद्यपि "ब्रजबुलि साहित्य" की लंबी परंपरा रही हैं, फिर भी "ब्रजबुलि" शब्द का प्रयोग ईसवी सन् की 19वीं शताब्दी में मिलता है। इस शब्द का प्रयोग अभी तक केवल बंगाली कवि ईश्वरचंद्र गुप्त की रचना में ही मिला है। .

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ब्लाइद ट्रॅगोपॅन

ब्लाइद ट्रॅगोपॅन (Blyth’s tragopan) या (grey-bellied tragopan) (Tragopan blythii) फ़ीज़ॅन्ट कुल का पक्षी है जो ट्रॅगोपैन प्रजाति का सबसे बड़ा पक्षी है। .

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बेदनार उल्का

बेदनार उल्का असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार अंबिकागिरि रायचौधुरी द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1966 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बोड़ो लोग

बोड़ो (असमिया: বড়ো/बड़ो) पूर्वोत्तर भारत के असम राज्य के मूल निवासी हैं और भारत की एक महत्वपूर्ण जनजाति हैं। बोड़ो समुदाय स्वयं एक बृहत बोड़ो-कछारी समुदाय का हिस्सा माने जाते हैं। सन् २०११ की भारतीय राष्ट्रीय जनगणना में लगभग २० लाख भारतीयों ने स्वयं को बोड़ो बताया था जिसके अनुसार वे असम की कुल आबादी के ५.५% हैं। भारतीय संविधान की छठी धारा के तहत वे एक अनुसूचित जनजाति हैं। बोड़ो लोगों की मातृभाषा भी बोड़ो भाषा कहलाती है, जो एक ब्रह्मपुत्री भाषा है। ब्रह्मपुत्री भाषाएँ तिब्बती-बर्मी भाषा-परिवार की एक शाखा है। धार्मिक दृष्टि से २००१ की जनगणना में लगभग ९०% प्रतिशत बोड़ो हिन्दू थे।, pp.

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बीरेश्वर बरुआ

बीरेश्वर बरुआ असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह अनेक मानुह अनेक ठाई आरु निर्जनता के लिये उन्हें सन् 2003 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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भट्टदेव

भट्टदेव (1558-1638) असमिया गद्य साहित्य के जनक कहे जाते हैं। उनका वास्तविक नाम बैकुण्ठनाथ भागवत भट्टाचार्य था। श्रेणी:असमिया साहित्यकार.

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भारत में स्थानीय वक्ताओं की संख्यानुसार भाषाओं की सूची

भारत कई सौ भाषाओं का घर है। ज़्यादातर भारतीय इंडो-आर्यन परिवार (74%)की भाषा बोलते हैं जो इंडो-यूरोपियन की ही एक शाखा है। द्रविड़ (24%), ऑस्ट्रोएस्ट्रीएटिक मुंडा (1.2%) और साइनो-तिब्बतन (0.6%) भी बोली जाती हैं इसके अतिरिक्त हिमालय की कुछ भाषाएँ अभी भी वर्गीकृत नहीं हैं। एस आई एल एथनोलॉग की सूची अनुसार अनुसार भारत में 415 जीवित भाषाएँ हैं। .

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भारत सारावली

भुवन में भारत भारतीय गणतंत्र दक्षिण एशिया में स्थित स्वतंत्र राष्ट्र है। यह विश्व का सातवाँ सबसे बड़ देश है। भारत की संस्कृति एवं सभ्यता विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति एवं सभ्यताओं में से है।भारत, चार विश्व धर्मों-हिंदू धर्म, सिख धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म के जन्मस्थान है और प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता का घर है। मध्य २० शताब्दी तक भारत अंग्रेजों के प्रशासन के अधीन एक औपनिवेशिक राज्य था। अहिंसा के माध्यम से महात्मा गांधी जैसे नेताओं ने भारत देश को १९४७ में स्वतंत्र राष्ट्र बनाया। भारत, १२० करोड़ लोगों के साथ दुनिया का दूसरे सबसे अधिक आबादी वाला देश और दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला लोकतंत्र है। .

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भारत के पशुपक्षियों की बहुभाषीय सूची

भारत के पशुपक्षियों के नाम अलग-अलग भारतीय भाषाओं में भिन्न-भिन्न हैं। .

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भारत के भाषाई परिवार

वृहद भारत के भाषा परिवार भारत में विश्व के सबसे चार प्रमुख भाषा परिवारों की भाषाएँ बोली जाती है। सामान्यत: उत्तर भारत में बोली जाने वाली भारोपीय परि वार की भाषाओं को आर्य भाषा समूह, दक्षिण की भाषाओं को द्रविड़ भाषा समूह, ऑस्ट्रो-एशियाटिक परिवार की भाषाओं को भुंडारी भाषा समूह तथा पूर्वोत्तर में रहने वाले तिब्बती-बर्मी, नृजातीय भाषाओं को चीनी-तिब्बती (नाग भाषा समूह) के रूप में जाना जाता है। .

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भारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश

भारत राज्यों का एक संघ है। इसमें उन्तीस राज्य और सात केन्द्र शासित प्रदेश हैं। ये राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश पुनः जिलों और अन्य क्षेत्रों में बांटे गए हैं।.

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भारत की भाषाएँ

भारत बहुत सारी भाषाओं का देश है, लेकिन सरकारी कामकाज में व्यवहार में लायी जाने वाली दो भाषायें हैं, हिन्दी और अंग्रेज़ी। वृहद भारत के भाषा परिवार .

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भारत की आधिकारिक भाषाओं में भारत गणराज्य के नाम

निम्नलिखित सूची में भारत की सभी २३ आधिकारिक भाषाओं में भारत के नाम दिए गए है।.

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भारतीय पेड़ों पौधों तथा फूलों के नामों की बहुभाषी सूची

भारत एक विशाल देश है जिसमें बहुत सी भाषाएँ बोली जातीं हैं। भारत में पाए जाने वाले पेड़-पौधों एवं फूलों के नाम भी अलग-अलग भाषाओं एवं क्षेत्रों में अलग-अलग हैं। नीचे की सूची में भारत की प्रमुख भाषाओं में विभिन्न पेड़ों, पौधों एवं फूलों के नाम दिए गए हैं- .

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भारतीय रुपया

भारतीय रुपया (प्रतीक-चिह्न: 8px; कोड: INR) भारत की राष्ट्रीय मुद्रा है। इसका बाज़ार नियामक और जारीकर्ता भारतीय रिज़र्व बैंक है। नये प्रतीक चिह्न के आने से पहले रुपये को हिन्दी में दर्शाने के लिए 'रु' और अंग्रेजी में Re.

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भारतीय सिनेमा

भारतीय सिनेमा के अन्तर्गत भारत के विभिन्न भागों और भाषाओं में बनने वाली फिल्में आती हैं जिनमें आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, जम्मू एवं कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और बॉलीवुड शामिल हैं। भारतीय सिनेमा ने २०वीं सदी की शुरुआत से ही विश्व के चलचित्र जगत पर गहरा प्रभाव छोड़ा है।। भारतीय फिल्मों का अनुकरण पूरे दक्षिणी एशिया, ग्रेटर मध्य पूर्व, दक्षिण पूर्व एशिया और पूर्व सोवियत संघ में भी होता है। भारतीय प्रवासियों की बढ़ती संख्या की वजह से अब संयुक्त राज्य अमरीका और यूनाइटेड किंगडम भी भारतीय फिल्मों के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार बन गए हैं। एक माध्यम(परिवर्तन) के रूप में सिनेमा ने देश में अभूतपूर्व लोकप्रियता हासिल की और सिनेमा की लोकप्रियता का इसी से अन्दाजा लगाया जा सकता है कि यहाँ सभी भाषाओं में मिलाकर प्रति वर्ष 1,600 तक फिल्में बनी हैं। दादा साहेब फाल्के भारतीय सिनेमा के जनक के रूप में जाना जाते हैं। दादा साहब फाल्के के भारतीय सिनेमा में आजीवन योगदान के प्रतीक स्वरुप और 1969 में दादा साहब के जन्म शताब्दी वर्ष में भारत सरकार द्वारा दादा साहेब फाल्के पुरस्कार की स्थापना उनके सम्मान में की गयी। आज यह भारतीय सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित और वांछित पुरस्कार हो गया है। २०वीं सदी में भारतीय सिनेमा, संयुक्त राज्य अमरीका का सिनेमा हॉलीवुड तथा चीनी फिल्म उद्योग के साथ एक वैश्विक उद्योग बन गया।Khanna, 155 2013 में भारत वार्षिक फिल्म निर्माण में पहले स्थान पर था इसके बाद नाइजीरिया सिनेमा, हॉलीवुड और चीन के सिनेमा का स्थान आता है। वर्ष 2012 में भारत में 1602 फ़िल्मों का निर्माण हुआ जिसमें तमिल सिनेमा अग्रणी रहा जिसके बाद तेलुगु और बॉलीवुड का स्थान आता है। भारतीय फ़िल्म उद्योग की वर्ष 2011 में कुल आय $1.86 अरब (₹ 93 अरब) की रही। जिसके वर्ष 2016 तक $3 अरब (₹ 150 अरब) तक पहुँचने का अनुमान है। बढ़ती हुई तकनीक और ग्लोबल प्रभाव ने भारतीय सिनेमा का चेहरा बदला है। अब सुपर हीरो तथा विज्ञानं कल्प जैसी फ़िल्में न केवल बन रही हैं बल्कि ऐसी कई फिल्में एंथीरन, रा.वन, ईगा और कृष 3 ब्लॉकबस्टर फिल्मों के रूप में सफल हुई है। भारतीय सिनेमा ने 90 से ज़्यादा देशों में बाजार पाया है जहाँ भारतीय फिल्मे प्रदर्शित होती हैं। Khanna, 158 सत्यजीत रे, ऋत्विक घटक, मृणाल सेन, अडूर गोपालकृष्णन, बुद्धदेव दासगुप्ता, जी अरविंदन, अपर्णा सेन, शाजी एन करुण, और गिरीश कासरावल्ली जैसे निर्देशकों ने समानांतर सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और वैश्विक प्रशंसा जीती है। शेखर कपूर, मीरा नायर और दीपा मेहता सरीखे फिल्म निर्माताओं ने विदेशों में भी सफलता पाई है। 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रावधान से 20वीं सेंचुरी फॉक्स, सोनी पिक्चर्स, वॉल्ट डिज्नी पिक्चर्स और वार्नर ब्रदर्स आदि विदेशी उद्यमों के लिए भारतीय फिल्म बाजार को आकर्षक बना दिया है। Khanna, 156 एवीएम प्रोडक्शंस, प्रसाद समूह, सन पिक्चर्स, पीवीपी सिनेमा,जी, यूटीवी, सुरेश प्रोडक्शंस, इरोज फिल्म्स, अयनगर्न इंटरनेशनल, पिरामिड साइमिरा, आस्कार फिल्म्स पीवीआर सिनेमा यशराज फिल्म्स धर्मा प्रोडक्शन्स और एडलैब्स आदि भारतीय उद्यमों ने भी फिल्म उत्पादन और वितरण में सफलता पाई। मल्टीप्लेक्स के लिए कर में छूट से भारत में मल्टीप्लेक्सों की संख्या बढ़ी है और फिल्म दर्शकों के लिए सुविधा भी। 2003 तक फिल्म निर्माण / वितरण / प्रदर्शन से सम्बंधित 30 से ज़्यादा कम्पनियां भारत के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध की गयी थी जो फिल्म माध्यम के बढ़ते वाणिज्यिक प्रभाव और व्यसायिकरण का सबूत हैं। दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग दक्षिण भारत की चार फिल्म संस्कृतियों को एक इकाई के रूप में परिभाषित करता है। ये कन्नड़ सिनेमा, मलयालम सिनेमा, तेलुगू सिनेमा और तमिल सिनेमा हैं। हालाँकि ये स्वतंत्र रूप से विकसित हुए हैं लेकिन इनमे फिल्म कलाकारों और तकनीशियनों के आदान-प्रदान और वैष्वीकरण ने इस नई पहचान के जन्म में मदद की। भारत से बाहर निवास कर रहे प्रवासी भारतीय जिनकी संख्या आज लाखों में हैं, उनके लिए भारतीय फिल्में डीवीडी या व्यावसायिक रूप से संभव जगहों में स्क्रीनिंग के माध्यम से प्रदर्शित होती हैं। Potts, 74 इस विदेशी बाजार का भारतीय फिल्मों की आय में 12% तक का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। इसके अलावा भारतीय सिनेमा में संगीत भी राजस्व का एक साधन है। फिल्मों के संगीत अधिकार एक फिल्म की 4 -5 % शुद्ध आय का साधन हो सकते हैं। .

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भारतीय सिनेमा के सौ वर्ष

3 मई 2013 (शुक्रवार) को भारतीय सिनेमा पूरे सौ साल का हो गया। किसी भी देश में बनने वाली फिल्में वहां के सामाजिक जीवन और रीति-रिवाज का दर्पण होती हैं। भारतीय सिनेमा के सौ वर्षों के इतिहास में हम भारतीय समाज के विभिन्न चरणों का अक्स देख सकते हैं।उल्लेखनीय है कि इसी तिथि को भारत की पहली फीचर फ़िल्म “राजा हरिश्चंद्र” का रुपहले परदे पर पदार्पण हुआ था। इस फ़िल्म के निर्माता भारतीय सिनेमा के जनक दादासाहब फालके थे। एक सौ वर्षों की लम्बी यात्रा में हिन्दी सिनेमा ने न केवल बेशुमार कला प्रतिभाएं दीं बल्कि भारतीय समाज और चरित्र को गढ़ने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। .

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भारतीय १० रुपये का नोट

भारतीय १० रुपये का नोट (₹१०) भारतीय रुपये का एक सामान्य मूल्यवर्ग है। ₹१० का नोट महात्मा गाँधी श्रेणी का के सबसे पहले नोटों में से एक है, जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक के द्वारा जारी किया गया था। यह नोट वर्तमान में चलन में है। औपनिवेशिक काल में जारी व प्रचलित १० रुपये का नोट का १९२३ से ही लगातार मुद्रण हो रहा है, जब भारतीय रिज़र्व बैंक ने नोटों के मुद्रण का पदभार सम्भाला। .

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भारतीय २००० हजार का नोट

भारतीय 2000 रुपये का नोट (₹ 2000) भारतीय रुपये का मूल्य है। इसे 8 नवंबर 2016 को ₹ 500 और ₹ 1000 बैंकनोटों की बंदी के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी किया गया था और 10 नवंबर 2016 से परिसंचरण में रहा है। यह पूरी तरह से नए डिजाइन के साथ बैंकनोट्स की महात्मा गांधी नई श्रृंखला का हिस्सा है। भारतीय ₹ 2000 रुपये का नोट आरबीआई द्वारा मुद्रित उच्चतम मुद्रा नोट है जो सक्रिय परिसंचरण में है, इस नोट को नवंबर 2016 में 1,000 रुपये के नोट का विमुद्रीकरण के वाद लागू किया गया था।.

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भारतीय ५०० रुपये का नोट

भारतीय 500 रुपये का नोट (₹500) भारतीय रुपये का मूल्य है। मौजूदा ₹500 बैंकनोट, 10 नवंबर 2016 से परिसंचरण में, महात्मा गांधी नई श्रृंखला का हिस्सा है। महात्मा गांधी पुरानी सीरीज़ के पिछले ₹500 बैंकनोट्स,नवम्बर 2016 के विमुद्रीकरण के दौरान बंद कर दिए थे जिसकी स्थान पर नया बैंकनोट जारी किया था। .

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भाषा सम्मान पुरस्कार

भाषा सम्मान पुरस्कार एक भारतीय साहित्यिक पुरस्कार जो हर साल प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार के वितरण का प्रारंभ साहित्य अकादमी ने १९९६ से किया। साहित्य अकादमी मान्यता-प्राप्त २४ भारतीय भाषाओं में साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान करती है। इसलिए भाषा सम्मान पुरस्कार को गैर-मान्यता प्राप्त भाषाओं में साहित्यिक रचनात्मकता के साथ ही शैक्षिक अनुसंधान को स्वीकार और बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था। यह लेखकों, विद्वानों, संपादकों, संग्रहकर्ताओं, कलाकारों या अनुवादकों को प्रस्तुत किया जाता है जिन्होंने संबंधित भाषाओं के प्रचार, आधुनिकीकरण या संवर्धन में काफी योगदान दिया है। सन्मान में एक पुरस्कार पट्टिका के साथ १ लाख रुपये दिये जाते है। १९९६ में पुरस्कार की धनराशी रुपये २५,००० थी। ये सन २००१ में बढ कर रुपये ४०,०००, सन २००३ में रुपये ५०,०००, और सन २००९ में १ लाख रुपये हुई। यह सम्मन प्रत्येक वर्ष ३-४ व्यक्तियों को विभिन्न भाषाओं में दिए जाते हैं जो कि विशेषज्ञों की समितियों की सिफारिश के आधार पर होता है। .

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भवेन बरुआ

भवेन बरुआ असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह सोनाली जहाज के लिये उन्हें सन् 1979 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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भवेन्द्रनाथ सइकीया

भवेन्द्रनाथ सइकीया असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह श्रृंखल के लिये उन्हें सन् 1976 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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भुपेन हजारिका

भुपेन हजारिका (ভূপেন হাজৰিকা भूपेन हाजोरिका) (8 सितंबर, 1926- ५ नवम्बर २०११) भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम से एक बहुमुखी प्रतिभा के गीतकार, संगीतकार और गायक थे। इसके अलावा वे असमिया भाषा के कवि, फिल्म निर्माता, लेखक और असम की संस्कृति और संगीत के अच्छे जानकार भी रहे थे। वे भारत के ऐसे विलक्षण कलाकार थे जो अपने गीत खुद लिखते थे, संगीतबद्ध करते थे और गाते थे। उन्हें दक्षिण एशिया के श्रेष्ठतम जीवित सांस्कृतिक दूतों में से एक माना जाता है। उन्होंने कविता लेखन, पत्रकारिता, गायन, फिल्म निर्माण आदि अनेक क्षेत्रों में काम किया। भूपेन हजारिका के गीतों ने लाखों दिलों को छुआ। हजारिका की असरदार आवाज में जिस किसी ने उनके गीत "दिल हूम हूम करे" और "ओ गंगा तू बहती है क्यों" सुना वह इससे इंकार नहीं कर सकता कि उसके दिल पर भूपेन दा का जादू नहीं चला। अपनी मूल भाषा असमिया के अलावा भूपेन हजारिका हिंदी, बंगला समेत कई अन्य भारतीय भाषाओं में गाना गाते रहे थे। उनहोने फिल्म "गांधी टू हिटलर" में महात्मा गांधी का पसंदीदा भजन "वैष्णव जन" गाया था। उन्हें पद्मभूषण सम्मान से भी सम्मानित किया गया था। .

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भोजपुरी भाषा

भोजपुरी शब्द का निर्माण बिहार का प्राचीन जिला भोजपुर के आधार पर पड़ा। जहाँ के राजा "राजा भोज" ने इस जिले का नामकरण किया था।भाषाई परिवार के स्तर पर भोजपुरी एक आर्य भाषा है और मुख्य रूप से पश्चिम बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा उत्तरी झारखण्ड के क्षेत्र में बोली जाती है। आधिकारिक और व्यवहारिक रूप से भोजपुरी हिन्दी की एक उपभाषा या बोली है। भोजपुरी अपने शब्दावली के लिये मुख्यतः संस्कृत एवं हिन्दी पर निर्भर है कुछ शब्द इसने उर्दू से भी ग्रहण किये हैं। भोजपुरी जानने-समझने वालों का विस्तार विश्व के सभी महाद्वीपों पर है जिसका कारण ब्रिटिश राज के दौरान उत्तर भारत से अंग्रेजों द्वारा ले जाये गये मजदूर हैं जिनके वंशज अब जहाँ उनके पूर्वज गये थे वहीं बस गये हैं। इनमे सूरिनाम, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, फिजी आदि देश प्रमुख है। भारत के जनगणना (2001) आंकड़ों के अनुसार भारत में लगभग 3.3 करोड़ लोग भोजपुरी बोलते हैं। पूरे विश्व में भोजपुरी जानने वालों की संख्या लगभग ४ करोड़ है, हालांकि द टाइम्स ऑफ इंडिया के एक लेख के में ये बताया गया है कि पूरे विश्व में भोजपुरी के वक्ताओं की संख्या १६ करोड़ है, जिसमें बिहार में ८ करोड़ और उत्तर प्रदेश में ७ करोड़ तथा शेष विश्व में १ करोड़ है। उत्तर अमेरिकी भोजपुरी संगठन के अनुसार वक्ताओं की संख्या १८ करोड़ है। वक्ताओं के संख्या के आंकड़ों में ऐसे अंतर का संभावित कारण ये हो सकता है कि जनगणना के समय लोगों द्वारा भोजपुरी को अपनी मातृ भाषा नहीं बताई जाती है। .

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भीम ऐप

भीम ऐप (BHIM-Bharat Interface for Money) वित्तीय लेनदेन हेतु भारत सरकार के उपक्रम भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम द्वारा आरम्भ किया गया एक मोबाइल ऐप है। इस ऐप का तन्त्रांश बिना अंतरजाल के प्रयुक्त किया जा सकता है। अभी यह ऍप केवल हिन्दी व अंग्रेज़ी भाषा में एंड्रॉइड प्रचालन तंत्र के लिए उपलब्ध है, परंतु शीघ्र ही अन्य भारतीय भाषाओं एवं आईओएस के लिए इसका विमोचन किया जाएगा। भविष्य में दूरभाष या अंतरजाल संयोजकता के बिना भी इसका उपयोग लेनदेन के लिए किया जा सकेगा। .

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मधुपुर–बहुदूर

मधुपुर–बहुदूर असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार शीलभद्र (राबती मोहन दत्त चौधुरी) द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1994 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मरियम आस्टिन अथबा हीरा बरुआ

मरियम आस्टिन अथबा हीरा बरुआ असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार अरूपा पतंगीया कलिता द्वारा रचित एक कहानी है जिसके लिये उन्हें सन् 2014 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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महत ऐहिह्य

महत ऐहिह्य असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार नलिनीधर भट्टाचार्य द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 2002 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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महात्मार परा रुपकोनारलोइ

महात्मार परा रुपकोनारलोइ असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार लक्ष्मीनाथ फूकन द्वारा रचित एक संस्मरण है जिसके लिये उन्हें सन् 1970 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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महारथी

महारथी असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार चंद्रप्रसाद सइकीया द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1995 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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महिमा बरा

महिमा बरा असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास एधानी माहीर हाँहि के लिये उन्हें सन् 2001 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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माधव कंदलि

माधव कंदलि (असमिया:মাধৱ কন্দলী) असमी के प्रसिद्ध कवि थे। इनके कविताकाल के संबंध में इतिहासकारों तथा समालोचकों में अधिक मतभेद है। कनकलाल बरूवा के मतानुसार इनके आश्रयदाता वाराही नरेश कपिली उपत्यका के शासक थे और माधव कंदलि इन्हीं के राजकवि थे। इस प्रकार इनकी कविता का रचनाकाल 14वीं शती का उत्तरार्ध मालूम होता है। माधवचंद्र बरदलोई ने स्वसंपादित रामायण की भूमिका में इनकी कृति रामायण को 14वीं अथवा 15वीं शती की रचना और इन्हें नवगाँव का निवासी प्रमाणित किया है। शंकरदेव ने राम कथा के पदकर्ता माधव कंदलि की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उनकी तुलना गज से की है और कहा है कि वे स्वयं उनके सम्मुख शशक के समान लघु हैं। माधव कंदलि को लोग 'कविराज कंदलि' कहते थे। वर्तमान नवगाँव जिले के कंदलि नामक स्थान से अनेक प्रख्यात कंदलि ब्राह्मणों का संबंध था परंतु माधव कंदलि यहाँ के निवासी नहीं थे। 900px वाराहराज श्री महामणिक्य के अनुरोध पर माधव कंदलि ने सर्वसाधारण के लिये सुबोध शैली में रामायण का पयारबद्ध अनुवाद किया (रामायण सुपयार श्रीमहामणिक्य ये वाराह राजार अनुरोधे)। माधव कंदलि के रामायण की सभी प्रतियों में आदि तथा उत्तरकांड नहीं मिलते, यद्यपि उन्होंने लंकाकाड के अंत में रामायण के सात कांडों का उल्लेख किया है (सात कांडे रामायण पद बंधे निबंधिलो)। कंदलि ने वाल्मीकि कृत रामायण को वेदों के समकक्ष रखा है। मूल कथा को अधिक रोचक बनाने के लिये यत्रतत्र सुंदर काव्यकल्पना का सहारा लिया है। 'देवजित्‌' इनकी दूसरी रचना है किंतु प्रयोग एवं शैली की दृष्टि से यह किसी अन्य कवि की रचना प्रतीत होती है। .

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माधवदेव

माधवदेव असमिया भाषा के प्रसिद्ध कवि एवं शंकरदेव के शिष्य थे। .

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मानुह अनुकूले

मानुह अनुकूले असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हीरेन्द्र नाथ दत्त द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2004 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मामरे धरा तरोवाल अरु दुखन उपन्यास

मामरे धरा तरोवाल अरु दुखन उपन्यास असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार इन्दिरा गोस्वामी (मामनी रायसम गोस्वामी) द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1982 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मंचलेखा

मंचलेखा असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार अतुलचंद्र हज़ारिका द्वारा रचित एक असमिया रंगमंच का अध्ययन है जिसके लिये उन्हें सन् 1969 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मौन होंठ मुखर हृदय

मौन होंठ मुखर हृदय असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार येसे दरजे थोंगछी द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2005 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मैथिली भाषा

मैथिली भारत के उत्तरी बिहार और नेपाल के तराई क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा है। यह हिन्द आर्य परिवार की सदस्य है। इसका प्रमुख स्रोत संस्कृत भाषा है जिसके शब्द "तत्सम" वा "तद्भव" रूप में मैथिली में प्रयुक्त होते हैं। यह भाषा बोलने और सुनने में बहुत ही मोहक लगता है। मैथिली भारत में मुख्य रूप से दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज, शिवहर, भागलपुर, मधेपुरा, अररिया, सुपौल, वैशाली, सहरसा, रांची, बोकारो, जमशेदपुर, धनबाद और देवघर जिलों में बोली जाती है| नेपाल के आठ जिलों धनुषा,सिरहा,सुनसरी, सरलाही, सप्तरी, मोहतरी,मोरंग और रौतहट में भी यह बोली जाती है। बँगला, असमिया और ओड़िया के साथ साथ इसकी उत्पत्ति मागधी प्राकृत से हुई है। कुछ अंशों में ये बंगला और कुछ अंशों में हिंदी से मिलती जुलती है। वर्ष २००३ में मैथिली भाषा को भारतीय संविधान की ८वीं अनुसूची में सम्मिलित किया गया। सन २००७ में नेपाल के अन्तरिम संविधान में इसे एक क्षेत्रीय भाषा के रूप में स्थान दिया गया है। .

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मैथिली साहित्य

मैथिली मुख्यतः भारत के उत्तर-पूर्व बिहार एवम् नेपाल के तराई क्षेत्र की भाषा है।Yadava, Y. P. (2013).

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मेदिनी शर्मा

मेदिनी शर्मा असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास बिपन्न समय के लिये उन्हें सन् 1999 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मेघालय

मेघालय पूर्वोत्तर भारत का एक राज्य है। इसका अर्थ है बादलों का घर। २०१६ के अनुसार यहां की जनसंख्या ३२,११,४७४ है। मेघालय का विस्तार २२,४३० वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में है, जिसका लम्बाई से चौडाई अनुपात लगभग ३:१ का है। IBEF, India (2013) राज्य का दक्षिणी छोर मयमनसिंह एवं सिलहट बांग्लादेशी विभागों से लगता है, पश्चिमी ओर रंगपुर बांग्लादेशी भाग तथा उत्तर एवं पूर्वी ओर भारतीय राज्य असम से घिरा हुआ है। राज्य की राजधानी शिलांग है। भारत में ब्रिटिश राज के समय तत्कालीन ब्रिटिश शाही अधिकारियों द्वारा इसे "पूर्व का स्काटलैण्ड" की संज्ञा दी थी।Arnold P. Kaminsky and Roger D. Long (2011), India Today: An Encyclopedia of Life in the Republic,, pp.

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मेखला

मेखला शब्द हिन्दी भाषा का एक शब्द है जिसका प्रयोग कई प्रकार के वस्त्रों को इंगित करने के लिये किया जाता है। इसके अलावा भी यह एक बहुविकल्पी शब्द होता है.

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मोर जे किमान हेपाह

मोर जे किमान हेपाह असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार केशव महंत द्वारा रचित एक गीत–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1993 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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येसे दरजे थोंगछी

येसे दरजे थोंगछी असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास मौन होंठ मुखर हृदय के लिये उन्हें सन् 2005 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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योग संदेश

योग संदेश एक मासिक पत्रिका है। .

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राष्ट्रभाषा

राष्ट्रभाषा एक देश की संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है, जिसे सम्पूर्ण राष्ट्र में भाषा कार्यों में (जैसे लिखना, पढ़ना और वार्तालाप) के लिए प्रमुखता से प्रयोग में लाया जाता है। वह भाषा जिसमें राष्ट्र के काम किए जायें। राष्ट्र के काम-धाम या सरकारी कामकाज के लिये स्वीकृत भाषा। .

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राजबोंग्शी भाषा

राजबोंग्शी या कामता या रंगपुरी पूर्वोत्तर भारत, उत्तर बांग्लादेश, और नेपाल के पूर्वी भागों में राजबोंग्शी समुदाय द्वारा बोली जाने वाली एक हिन्द-आर्य भाषा है। इसे बोलने वाले कई लोग कोच भाषा भी बोलते हैं तथा अक्सर बंगाली या असमिया भाषाओं को भी बोल-समझ सकते हैं। इस भाषा के विभिन्न नाम हैं, जैसे राजवंशी, कामतापुरी, रंपुरी, गोवालपारीया, राजबोंग्शी, सृर्जापुरी, पोलिया और ताजपुरी।राजवंशी भाषा बांला और असमीया भाषा से मिलतती-जुलती भाषा है। राजवंशियों के भावैया गीत को 'बंगला गीत' भी कहा जाता है। भावैया गीत राजवंशियों की पहचान है। .

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रंग घर

रंग घर रंग घर (असमिया: ৰংঘৰ; अर्थ- मनोरंजन गृह) असम के शिवसागर में स्थित एक दोमंजिला भवन है जिसमें बैठकर आहोम साम्राज्य के राजा एवं सामन्त उस समय के प्रचलित खेल (जैसे भैंस की लड़ाई) आदि का आनन्द उठाते थे। .

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रुपया

रुपया (रु.) (हिंदी और उर्दू: रुपया, संस्कृत: रूप्यकम् से उत्प्रेरित जिसका अर्थ चांदी का सिक्का है) भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, मॉरीशस और सेशल्स में उपयोग मे आने वाली मुद्रा का नाम है। इंडोनेशिया की मुद्रा को रुपिया जबकि मालदीव की मुद्रा को रुफियाह, के नाम से जाना जाता है जो असल मे हिन्दी शब्द रुपया का ही बदला हुआ रूप है। भारतीय और पाकिस्तानी रुपये मे सौ पैसे होते हैं (एकवचन पैसा) में, श्रीलंकाई रुपये में 100 सेंट, तथा नेपाली रुपये को सौ पैसे या चार सूकों (एकवचन सूक) या दो मोहरों (एकवचन मोहर) मे विभाजित किया जा सकता है। .

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रोहिंग्या भाषा

रोहिंग्या (अथवा), या रुऐंग्गा, राखीन राज्य के रोहिंग्या लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है। रोहिंग्या बंगाली-असमिया भाषासमूह में से एक है। यह भाषा चटगाँवी भाषा से काफ़ी मिलती-जुलती है, जो पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में बोली जाती है। .

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रीता चौधुरी

रीता छौधुरी (असमीया भाषा मे ৰীতা চৌধুৰী (रिता सोउधुरि)) एक विख्यात असमीया कवियित्री, उपन्यासिक है। उन्हे साहित्य अकादेमी स्म्मान भी मिला है। वह वर्तमान भारत के नेशनल बुक ट्रस्ट के संचालक है। वह गुवाहाटी के कॉतॉन महाविद्यालय की प्रवक्ता है। .

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लाचित बोड़फुकन

लाचित बरफूकन (असमिया: লাচিত বৰফুকন), आहोम साम्राज्य के एक सेनापति और बरफूकन थे, जो कि सन 1671 में हुई सराईघाट की लड़ाई में अपनी नेतृत्व-क्षमता के लिए जाने जाते हैं, जिसमें कामरूप पर पुनः अधिकार प्राप्त करने के लिए रामसिंह प्रथम के नेतृत्व वाली मुग़ल सेनाओं का प्रयास विफल कर दिया गया था। लगभग एक वर्ष बाद बीमारी के कारण उनकी मृत्यु हो गई। .

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लाल जंगली मुर्गा

लाल जंगली मुर्गा (Red junglefowl) (Gallus gallus) फ़ीज़ेन्ट कुल का पक्षी है जो उष्णकटिबंध के इलाकों में पाया जाता है। .

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लाख

लाख (संस्कृत: लक्ष), (Lakh या lac), दक्षिण एशिया एवं कुछ अन्य देशों में प्रयुक्त एक संख्यात्मक इकाई है जो सौ हजार (१००,०००) के बराबर होती है। गणितीय पद्धति में इसे (105) भी लिखा जाता है। भारतीय संख्या पद्धति में इसे १,००,००० लिखा जाता है। आधिकारिक और अन्य प्रसंगों में लाख का प्रयोग भारत, बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान, म्यांमार तथा श्रीलंका आदि में बहुतायत में किया जाता है। .

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लक्ष्मीनाथ फूकन

लक्ष्मीनाथ फूकन असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक संस्मरण महात्मार परा रुपकोनारलोइ के लिये उन्हें सन् 1970 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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लक्ष्मीनाथ बेजबरुवा

लक्ष्मीनाथ बेजबरुवा (१८६४-१९३८) आधुनिक असमिया साहित्य के पथ-प्रदर्शक कहे जाते हैं। कविता, नाटक, गल्प, उपन्यास, निबन्ध, रम्यरचना, समालोचना, प्रहसन, जीवनी, आत्मजीवनी, शिशुसाहित्य, इतिहास अध्ययन, सांवादिकता आदि दृष्टियों से बेजबरुवा का योगदानदान अमूल्य है। उनका "असमिया साहित्येर चानेकी" नामक संकलन विशेष प्रसिद्ध है। असमिया साहित्य में उन्होंने कहानी तथा ललित निबंध के बीच के एक सहित्य रूप को अधिक प्रचलित किया। बेजबरुआ की हास्यरस की रचनाओं को काफी लोकप्रियता मिली। इसीलिए उसे "रसराज" की उपाधि दी गई। .

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लक्ष्मीनंदन बोरा

लक्ष्मीनंदन बोरा (जन्म १ मार्च १९३२) असमिया भाषा के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। भारत के असम राज्य में स्थित नौगाँव जिले के कुजिदह गाँव में जन्में लक्ष्मीनंदन बोरा जोरहाट के असम कृषि विश्वविद्यालय में कृषि एवं मौसम विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष हैं। उनकी कृति पाताल भैरवी को १९८८ में साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है। उन्हें बिरला फाउंडेशन द्वारा २००८ के सरस्वती सम्मान से भी सम्मानित किया गया है। यह सम्मान उन्हें २००२ में प्रकाशित उपन्यास कायाकल्प के लिए दिया गया। वे अब तक ५६ पुस्तकें लिख चुके हैं, जिसमें उपन्यास, कहानी संग्रह, एकांकी, यात्रा वृत्तांत और जीवनी शामिल है। सरस्वती सम्मान से अलंकृत होने वाले वे पहले असमिया साहित्यकार हैं। .

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लोहित जिला

लोहित भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय तेज़ू है। अरूणाचल प्रदेश में स्थित लोहित बहुत ही खूबसूरत स्‍थान है। यहां की सबसे बडी नदी लोहित के नाम पर इसका नाम रखा गया है। पुराणों में इसका नाम लोहित्य बताया गया है। इस जगह से अनेक पौराणिक और ऐतिहासिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। इसकी खूबसूरती से अभिभूत होकर अनेक पर्यटक यहां आते हैं। यहां पर पर्यटक बर्फ से ढ़की चोटियों, जगलों और नदियों के अनेक खूबसूरत दृश्य देख सकते हैं। इनके अलावा यहां के गांव भी बहुत खूबसूरत हैं। इन गांवों में घूमना पर्यटकों को बहुत पसंद आता है। यहां के अधिकतर गांवों में आदिवासी रहते हैं। पूरे वर्ष यहां पर अनेक उत्सव और त्योहार मनाए जाते हैं। इन उत्सवों और त्योहारों में पर्यटक आदिवासियों की संस्कृतियों के खूबसूरत दृश्य देख सकते हैं। गांवों में घूमने के बाद पर्यटक जंगलों की सैर पर जा सकते हैं। यहां के जंगलों में घूमना पर्यटकों को बहुत पसंद आता है। जंगलों की सैर के बाद पर्यटक हाथी की सवारी, राफ्टिंग और पर्वतारोहण का आनंद भी ले सकते हैं। यहां पर अनेक दर्शनीय स्थल भी हैं। इनमें परशुराम कुण्ड, तामरेश्वरी मन्दिर और शिवलिंग प्रमुख हैं। .

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लोकप्रिय गोपीनाथ बारदोलोई अन्तरराष्ट्रीय विमानक्षेत्र

लोकप्रिय गोपीनाथ बारदोलोई अन्तरराष्ट्रीय विमानक्षेत्र (असमिया:লোকপ্ৰিয় গোপীনাথ বৰদলৈ আন্তঃৰাষ্ট্ৰীয় বিমানবন্দৰ), जिसे गुवाहाटी अन्तरराष्ट्रीय विमानक्षेत्र भी कहते हैं, (पूर्व नाम बोरझार विमानक्षेत्र), भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के लिये प्रधान अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र है। यह असम की राजधानी गुवाहाटी में स्थित है। असम के स्वतंत्रता सेनानी एवं पूर्व मुख्य मंत्री गोपीनाथ बोरदोलोई के नाम पर बना यह विमानक्षेत्र भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा संचालित है तथा भारतीय वायुसेना का एक महत्त्वपूर्ण वायु बेस भी है। .

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शान्तनुकुलनन्दन

शान्तनुकुलनन्दन असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार पुरवी बरमुदै द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2007 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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शिवसागर

शिवसागर (असमिया: শিৱসাগৰ), भारत के राज्य असम के शिवसागर जिले का एक शहर और जिले का मुख्यालय है। यह असम की राजधानी गुवाहाटी के उत्तर पूर्व में 360 किलोमीटर (224 मील) की दूरी पर स्थित है। असम में शिवसागर एक धरोहर स्थल है क्योंकि यहां पूर्ववर्ती अहोम राष्ट्र के बहुत से स्मारक स्थित हैं। अब यह एक बहु-सांस्कृतिक शहर है। शिवसागर ब्रह्मपुत्र की सहायता दिखू नदी के किनारे स्थित है। जोरहाट से 50 किलोमीटर दूर पूर्व-पूर्वोत्तर में है। .

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शंकरदेव

श्रीमन्त शंकरदेव असमिया भाषा के अत्यंत प्रसिद्ध कवि, नाटककार तथा हिन्दू समाजसुधारक थे। .

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शइचर पथार मानुह

शइचर पथार मानुह असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हीरेन भट्टाचार्य द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1992 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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शुतीया राजवंश

शुतीया राज्य (असमिया: चुतीया राज्य) अनुमानतः ११८७ सन में स्थापित एक राज्य था जो ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तर सोबनशिरि और दिसां नदी के मध्यवर्ती अंचल में स्थित एक विशाल साम्राज्य था। ११८७ में वीरपाल ने शदिया को शुतीया राज्य की राजधानी बनाया। इसके बाद लगभग दश सम्राटों ने यहाँ राज किया। श्रेणी:असम का इतिहास श्रेणी:भारत के राज्य और साम्राज्य.

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शुक्र (ज्योतिष)

शुक्र (शुक्र, ശുക്രൻ, ಶುಕ್ರ, சுக்ரன், IAST Śukra), जिसका संस्कृत भाषा में एक अर्थ है शुद्ध, स्वच्छ, भृगु ऋषि के पुत्र एवं दैत्य-गुरु शुक्राचार्य का प्रतीक शुक्र ग्रह है। भारतीय ज्योतिष में इसकी नवग्रह में भी गिनती होती है। यह सप्तवारों में शुक्रवार का स्वामी होता है। यह श्वेत वर्णी, मध्यवयः, सहमति वाली मुखाकृति के होते हैं। इनको ऊंट, घोड़े या मगरमच्छ पर सवार दिखाया जाता है। ये हाथों में दण्ड, कमल, माला और कभी-कभार धनुष-बाण भी लिये रहते हैं। उषानस एक वैदिक ऋषि हुए हैं जिनका पारिवारिक उपनाम था काव्य (कवि के वंशज, अथर्व वेद अनुसार जिन्हें बाद में उषानस शुक्र कहा गया। .

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श्रृंखल

श्रृंखल असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार भवेन्द्रनाथ सइकीया द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1976 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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श्रेया घोषाल

श्रेया घोषाल (जन्म तारीख़: 12 मार्च 1984) एक भारतीय पार्श्व गायिका है। उन्होंने बॉलीवुड में, क्षेत्रीय फिल्मों बहुत सारे गाने गाए और कस्तूरी जैसे भारतीय धारावाहिकों के लिए भी गाया है। हिंदी के अलावा, उन्होंने असमिया, बंगाली, कन्नड़, मलयालम, मराठी, पंजाबी, तमिल और तेलुगु में भी गाने गाए हैं। .

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शीलभद्र (राबती मोहन दत्त चौधुरी)

शीलभद्र (राबती मोहन दत्त चौधुरी) असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह मधुपुर–बहुदूर के लिये उन्हें सन् 1994 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सत्रीया नृत्य

परम्परागत सत्रीया नृत्य के वस्त्रो एवं असमिया आभूषणों से सुसज्जित सत्रीया नृत्यांगना कृष्णाक्षी कश्यप सत्रीया नृत्य (असमिया: সত্ৰীয়া নৃত্য), आठ मुख्य भारतीय शास्त्रीय नृत्य परंपराओं में से एक है। यह नृत्य असम का शास्त्रीय नृत्य है। वर्ष 2000 में इस नृत्य को भारत के आठ शास्त्रीय नृत्यों में सम्मिलित होने क गौरव प्राप्त हुआ। इस नृत्य के संस्थापक महान संत श्रीमनता शंकरदेव हैं। सन्करदेव ने सत्त्रिया नृत्य को अंकिया नाट (सन्करदेव द्वारा तैयार किया एक असमिया अधिनियम नाटकों का एक रूप) के लिए एक संगत के रूप में बनाया था। यह नृत्य सत्त्र नामक असम के मठों में प्रदर्शन किया गया था। यह परंपरा विकसित हुइ और बढ़ी सत्त्रो के भीतर और यह नृत्य रूप सत्त्रिया नृत्य कहा जाने लगा। .

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सदिया

सदिया (असमिया: শদিয়া) भारत के असम राज्य के पूर्वोत्तरी भाग में तिनसुकिया ज़िले में अरुणाचल प्रदेश की सीमा के समीप स्थित एक ऐतिहासिक स्थान है। यह सुतीया राजवंश की तीसरी राजधानी थी और इसकी स्थापना सन् १२४८ में सुतीया वंश के दूसरे राजा, रत्नध्वजपाल, ने की थी। यह सन् १५२४ तक राजधानी रही। यहाँ उस काल के कई खण्डहर मिलते हैं। .

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सप्तकाण्ड रामायण

सप्तकाण्ड रामायण असमी भाषा का रामायण है। इसकी रचना १४वीं शताब्दी में असमी के भक्तकवि माधव कंदलि ने की थी। संस्कृत से किसी आधुनिक भारतीय भाषा में अनूदित यह प्रथम रामायण है। इसके साथ ही यह कृति असमी भाषा की सबसे प्राचीन रचनाओं में से एक है। सप्तकाण्ड रामायण की एक प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें राम, सीता तथा अन्य लोगों का चित्रण नायक के रूप में नहीं किया गया है। श्रेणी:रामायण श्रेणी:असमी साहित्य.

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सरस्वती सम्मान

Saraswathi samman 1.jpg सरस्वती सम्मान के.

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सादिन

सादिन भारत में प्रकाशित होने वाला असमीया भाषा का एक समाचार पत्र (अखबार) है। .

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साहित्य अकादमी पुरस्कार असमिया

साहित्य अकादमी पुरस्कार एक साहित्यिक सम्मान है जो कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं और असमिया भाषा इन में से एक भाषा हैं। .

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सिलचर

शिलचर (बंगाली:শিলচর; सिलेटी:শিলচর; असमिया:শিলচৰ) असम का एक प्रमुख शहर है। यह असम का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। सिलचर काछाड़ जिले में आता है। यह गुवाहाटी से ४२० किमी (२६१ मील) दूर स्थित है। यह मिजोरम और मणिपुर का अर्थनैतिक रास्ता है। इस शहर में भारत के दूर-दराज़ के इलाकों से व्यावसायिक लोग आकार बसते हैं। यहाँ की प्रमुख भाषा बंगाली और सिलेटी हैं। शिलचर बराक नदी के बाएँ किनारे पर स्थित है। भारी वर्षा (१२४ इंच) और अपेक्षाकृत उच्च औसत ताप के कारण वर्षा ऋतु में उमस रहती है। चाय, धान तथा कई जंगली उत्पादों का यह व्यवसायकेंद्र है। चूंकि यह जगह पूर्वोत्तर के शेष क्षेत्रों की अपेक्षा बहुत शांत है, इसीलिए भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने इस शहर "शांति का द्वीप" नाम दिया था। .

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सिलेटी भाषा

सिलेटी भाषा बांग्लादेश के सिलेट इलाके (जिसे सूरमा घाटी भी कहा जाता है) का भाषा है। सिलेटी भाषा सबसे ज्यादा बांग्लादेश और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के असम और त्रिपुरा में सबसे ज़्यादा बोली जाती है, इसके अलावा भारत के दूसरे उत्तरपूर्वी राज्यों के आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्से का भी मातृभाषा यही है। संयुक्त राजशाही, संयुक्त राज्य और खाड़ी के देशों में बसने वाले बंगलादेशी यह भाषा ज़्यादातर बोलते हैं। सिलेटी को अक्सर बंगाली का एक बोली माना जाता है और कभी कभी पारस्परिक स्पष्टता की कमी के कारण इसे कभी कभी एक अलग भाषा भी माना जाता है। सिलेट पहले कामरूप राज्य का हिस्सा था और असमिया भाषा के साथ सिलेटी बहुत मेल खाता है। पहले यह भाषा अपने लिपि में लिखी जाती थी, पर अब यह बंगाली लिपि में ही लिखी जाती है। .

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सुदीर्घ दिन अरु ऋतु

सुदीर्घ दिन अरु ऋतु असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार निर्मलाप्रभा बारदोलोइ द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1983 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सुनिधि चौहान

सुनिधि चौहान (जन्म निधी चौहान, १४ अगस्त १९८३) एक भारतीय पार्श्वगायिका है जो हिन्दी गीतों को गाने के लिए लोकप्रिय है। उन्होंने मराठी, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, बंगाली, असमिया और गुजराती फ़िल्मों में भी २००० से अधिक गीत गाए हैं। चौहान ने गायन की शुरुआत चार वर्ष की आयु से की और एक स्थानीय टीवी मेज़बान ने उनकी इस प्रतिभा को देखा। उन्हें प्रसिद्धी टेलिविज़न गायन प्रतियोगिता मेरी आवाज़ सुनो से मिली जिसमे जित के बाद उन्होंने पार्श्वगायन क्षेत्र में शस्त्र फ़िल्म से पदार्पण किया। उन्हें लोकप्रियता राम गोपाल वर्मा की फ़िल्म मस्त से मिली जिसमे उन्होंने "रुकी रुकी सी ज़िंदगी" गीत गाया जो एक हीट गीत साबित हुआ। उन्हें कुल चौदह फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कारों का नामांकन और तीन में जित हासिल हुई। उन्होंने दो स्टार स्क्रीन पुरस्कार, दो आइफा पुरस्कार और एक ज़ी सिने पुरस्कार जीते हैं। .

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स्टेविया

स्टेविया' माने मीठी तुलसी, सूरजमुखी परिवार (एस्टरेसिया) के झाड़ी और जड़ी बूटी के लगभग 240 प्रजातियों में पाया जाने वाला एक जीनस है, जो पश्चमी उत्तर अमेरिका से लेकर दक्षिण अमेरिका के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। स्टेविया रेबउडियाना प्रजातियां, जिन्हें आमतौर पर स्वीटलीफ, स्वीट लीफ, सुगरलीफ या सिर्फ स्टेविया के नाम से जाना जाता है, मीठी पत्तियों के लिए वृहत मात्रा में उगाया जाता है। स्वीटनर और चीनी स्थानापन्न के रूप में स्टेविया, चीनी की तुलना में धीरे-धीरे मिठास उत्पन्न करता है और ज्यादा देर तक रहता है, हालांकि उच्च सांद्रता में इसके कुछ सार का स्वाद कड़वापन या खाने के बाद मुलैठी के समान हो सकता है। इसके सार की मिठास चीनी की मिठास से 300 गुणा अधिक मीठी होती है, न्यून-कार्बोहाइड्रेट, न्यून-शर्करा के लिए एक विकल्प के रूप में बढ़ती मांग के साथ स्टेविया का संग्रह किया जा रहा है। चिकित्सा अनुसंधान ने भी मोटापे और उच्च रक्त चाप के इलाज में स्टेविया के संभव लाभ को दिखाया है। क्योंकि रक्त ग्लूकोज में स्टेविया का प्रभाव बहुत कम होता है, यह कार्बोहाइड्रेट-आहार नियंत्रण में लोगों को स्वाभाविक स्वीटनर के रूप में स्वाद प्रदान करता है। स्टेविया की उपलब्धता एक देश से दूसरे देश में भिन्न होती है। कुछ देशों में, यह दशकों या सदियों तक एक स्वीटनर के रूप में उपलब्ध रहा, उदाहरण के लिए, जापान में वृहद मात्रा में स्वीटनर के रूप में स्टेविया का प्रयोग किया जाता है और यहां यह दशकों से उपलब्ध है। कुछ देशों में, स्टेविया प्रतिबंधित या वर्जित है। अन्य देशों में, स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं और राजनीतिक विवादों के कारण इसकी उपलब्धता को सीमित कर दिया गया है, उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य में 1990 के दशक के प्रारंभ में स्टेविया को प्रतिबंधित कर दिया गया था, जब तक उसे एक पूरक के रूप में चिह्नित न किया गया हो, लेकिन 2008 में खाद्य योज्य के रूप में रिबाउडायोसाइड-A को मंजूरी दे दी गई है। कई वर्षों के दौरान, ऐसे देशों की संख्या में वृद्धि हुई है जहां स्टेविया स्वीटनर के रूप में उपलब्ध है। .

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स्नेह देवी

स्नेह देवी असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह स्नेहदेवीर एकुकि गल्प के लिये उन्हें सन् 1990 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित(मरणोपरांत) किया गया। .

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स्नेहदेवीर एकुकि गल्प

स्नेहदेवीर एकुकि गल्प असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार स्नेह देवी द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1990 में असमिया भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सौरभ कुमार चालिहा

सौरभ कुमार चालिहा असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह गोलाम के लिये उन्हें सन् 1974 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सेमल

सेमल (वैज्ञानिक नाम:बॉम्बैक्स सेइबा), इस जीन्स के अन्य पादपों की तरह सामान्यतः 'कॉटन ट्री' कहा जाता है। इस उष्णकटिबंधीय वृक्ष का तना सीधा, उर्ध्वाधर होता है। इसकी पत्तियां डेशिडुअस होतीं हैं। इसके लाल पुष्प की पाँच पंखुड़ियाँ होतीं हैं। ये वसंत ऋतु के पहले ही आ जातीं हैं। इसका फल एक कैप्सूल जैसा होता है। ये फल पकने पर श्वेत रंग के रेशे, कुछ कुछ कपास की तरह के निकलते हैं। इसके तने पर एक इंच तक के मजबूत कांटे भरे होते हैं। इसकी लकड़ी इमारती काम के उपयुक्त नहीं होती है। .

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सोनाली जहाज

सोनाली जहाज असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार भवेन बरुआ द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1979 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सोनकुत्ता

सोनकुत्ता या वनजुक्कुर (Cuon alpinus) कुत्तों के कुल का जंगली प्राणी है जो दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाता है। यह अपनी प्रजाति का इकलौता जीवित प्राणी है जो कि कुत्तों से दंतावली और स्तनाग्रों में अलग है। अब यह अंतर्राष्ट्रीय संगठन द्वारा विलुप्तप्राय प्रजाति घोषित हो गई है क्योंकि इनके आवासीय क्षेत्र में कमी, शिकार की कमी, अन्य शिकारियों से स्पर्धा और शायद घरेलू या जंगली कुत्तों से बीमारी सरने के कारण इनकी संख्या तेज़ी से घट रही है। यह एक निहायत सामाजिक प्राणी है जो कि बड़े कुटुम्बों में रहता है जो कि अक्सर शिकार के लिए छोटे टुकड़ों में बँट जाते हैं।Fox, M. W. (1984), The Whistling Hunters: Field Studies of the Indian Wild Dog (Cuon Alpinus), Steven Simpson Books, ISBN 0-9524390-6-9, p-85 अफ्री़की जंगली कुत्तों की भांति और अन्य कुत्तों के विपरीत ढोल शिकार के बाद अपने शावकों को पहले खाने देता है। हालाँकि ढोल मनुष्यों से डरता है, लेकिन इनके झुण्ड बड़े और खतरनाक प्राणियों, जैसे जंगली शूकर, जंगली भैंसा तथा बाघ पर भी आक्रमण करने से नहीं हिचकिचाते हैं। .

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सोनू निगम

सोनू निगम (जन्म: ३० जुलाई १९७३, फरीदाबाद, हरियाणा, भारत) हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध गायक हैँ। वे हिन्दी के अलावा कन्नड़, उड़िया, तमिल, असमिया, पंजाबी, बंगाली, मराठी और तेलुगु फ़िल्मों में भी गा चुके हैं। इन्होने बहुत से इन्डि-पॉप एलबम बनाए हैं और कुछ हिंदी फिल्मों में काम किया है। .

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हफ़लौंग हिन्दी

हफ़लौंग हिन्दी असम की उत्तर कचर पहाड़ी जिले की आम बोलचाल की भाषा है। यह एक मिश्रित भाषा है जो हिन्दी से उत्पन्न हुई है और इसने अन्य भाषाओं जैसे कि बंगाली, असमिया, दिमासा और ज़ेमे नागा भाषाओं के शब्दों को भी आत्मसात कर लिया है। इस मिश्रित भाषा का नाम हफ़लौंग के नाम पर पड़ा है जो उत्तरी कछर पहाड़ी जिले का मुख्यालय है। .

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हरिवर विप्र

हरिवर विप्र असमिया के सबसे प्राचीन साहित्यकारों में से हैं। वे कामतापुर के राजा दुर्लभ नारायण (१४वीं शताब्दी) के आश्रय में रहे। उन्होने बब्रुबहनर युध, ताम्रध्वजर युध, आदि ग्रन्थों की रचना की। श्रेणी:असमिया साहित्यकार.

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हरेकृष्ण डेका

हरेकृष्ण डेका असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह आन एजन के लिये उन्हें सन् 1987 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार

हिन्द - यूरोपीय भाषाओं देश बोल रही हूँ. गाढ़े हरे रंग के देश में जो बहुमत भाषा हिन्द - यूरोपीय परिवार हैं, लाइट ग्रीन एक देश वह जिसका आधिकारिक भाषा हिंद- यूरोपीय है, लेकिन अल्पसंख्यकों में है। हिन्द-यूरोपीय (या भारोपीय) भाषा-परिवार संसार का सबसे बड़ा भाषा परिवार (यानी कि सम्बंधित भाषाओं का समूह) हैं। हिन्द-यूरोपीय (या भारोपीय) भाषा परिवार में विश्व की सैंकड़ों भाषाएँ और बोलियाँ सम्मिलित हैं। आधुनिक हिन्द यूरोपीय भाषाओं में से कुछ हैं: हिन्दी, उर्दू, अंग्रेज़ी, फ़्रांसिसी, जर्मन, पुर्तगाली, स्पैनिश, डच, फ़ारसी, बांग्ला, पंजाबी, रूसी, इत्यादि। ये सभी भाषाएँ एक ही आदिम भाषा से निकली है, उसे आदिम-हिन्द-यूरोपीय भाषा का नाम दे सकता है। यह संस्कृत से बहुत मिलती-जुलती थी, जैसे कि वह सांस्कृत का ही आदिम रूप हो। .

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हिन्द-आर्य भाषाएँ

हिन्द-आर्य भाषाएँ हिन्द-यूरोपीय भाषाओं की हिन्द-ईरानी शाखा की एक उपशाखा हैं, जिसे 'भारतीय उपशाखा' भी कहा जाता है। इनमें से अधिकतर भाषाएँ संस्कृत से जन्मी हैं। हिन्द-आर्य भाषाओं में आदि-हिन्द-यूरोपीय भाषा के 'घ', 'ध' और 'फ' जैसे व्यंजन परिरक्षित हैं, जो अन्य शाखाओं में लुप्त हो गये हैं। इस समूह में यह भाषाएँ आती हैं: संस्कृत, हिन्दी, उर्दू, बांग्ला, कश्मीरी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, रोमानी, असमिया, गुजराती, मराठी, इत्यादि। .

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हिन्द-आर्य भाषाओं की सूची

हिन्द-आर्य भाषाओं में लगभग २१० (एसआईएल अनुमान) भाषाएँ और बोलियाँ आती हैं जो एशिया में बहुत से लोगों द्वारा बोली जाती हैं; यह भाषा परिवार हिंद-इरानी भाषा परिवार का भाग है। .

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हिन्दुस्तान समाचार

हिन्दुस्तान समाचार भारत की एक प्रमुख बहुभाषी समाचार संस्था है। इसकी स्थापना सन् १९४८ में दादा साहेब आप्टे ने की थी। इस समय यह भारत की प्रमुख समाचार संस्था बन चुकी है और हिन्दी, मराठी, गुजराती, असमिया, ओड़िया, कन्नड, बांग्ला, सिन्धी और नेपाली आदि कई भाषाओं में समाचार उपलब्ध कराती है। इस दृष्टि से यह संस्था भारतीय भाषाओं की आवाज है। १५० से अधिक समाचारपत्र इस संस्था के समाचार के ग्राहक हैं। सभी राज्यों की राजधानियों एवं भारत के प्रमुख शहरों में इसके ब्यूरों हैं। .

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ह्रूसो लोग

ह्रूसो (Hruso) या आका (Aka) भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य में बासने वाले एक समुदाय का नाम है। वे एक तिब्बती-बर्मी भाषा बोलते हैं। इनका निवास पश्चिम सिआंग ज़िले के थ्रिज़िनो, भालुकपोंग, बुरागाँव, जमीरी, पलीज़ी और कुप्पी क्षेत्रों में है, हलांकि वे पूर्व सिआंग ज़िले के कुछ भागों में भी बसे हुए हैं।, Col Ved Prakash, pp.

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हेम सरस्वती

हेम सरस्वती (१३वीं शताब्दी उत्तरार्ध) असमिया के प्राचीनतम साहित्यकारों में से हैं। उन्होने प्रह्लाद चरित नामक काव्य की रचना की। .

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हेमचन्द्र बरुआ

हेमचन्द्र बरुआ (असमिया: হেমচন্দ্ৰ বৰুৱা; हेमसोन्द्रो बोरुवा), 19 वीं सदी के, असमिया भाषा के एक प्रख्यात लेखक थे। संस्कृत वर्तनी पर आधारित शब्द-व्युत्पत्ति की जानकारी वाले प्रथम असमिया शब्दकोश ‘हेमकोष’ का संकलन बरुआ ने ही किया था। वास्तव में हेमकोष असमिया भाषा का दूसरा शब्दकोश था, प्रथम असमिया शब्दकोश का संकलन एक अमेरिकी बैपटिस्ट मिशनरी डा.

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हेमचंद्र गोस्वामी

हेमचन्द्र गोस्वामी (হেমচন্দ্ৰ গোস্বামী; 1872-1928), असमिया साहित्य के आधुनिक युग के आरम्भिक काल के प्रसिद्ध लेखक, कवि, इतिहासकार, शिक्षक, और भाषाशास्त्री थे। वे १९२० में तेजपुर में सम्पन्न असम साहित्य सभा के सभापति थे। वे अंग्रेजी राज में अतिरिक्त सहायक कमीशनर के पद से सेवानिवृत्त हुए। .

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हेमकोष

हेमकोष (असमिया: হেমকোষ), हेमचन्द्र बरुआ द्वारा संकलित असमिया भाषा का पहला शब्द-व्युत्पत्ति शब्दकोश है जो, संस्कृत की वर्तनियों पर आधारित है। इस शब्दकोश का पहला प्रकाशन सन 1900 में कैप्टन पी.आर.

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होमेन बरगोहाइँ

होमेन बरगोहाइँ असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास पिता–पुत्र (असमिया उपन्यास) के लिये उन्हें सन् 1978 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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हीरेन भट्टाचार्य

हीरेन भट्टाचार्य असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह शइचर पथार मानुह के लिये उन्हें सन् 1992 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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हीरेन गोहार्इं

हीरेन गोहार्इं असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक समालोचना असमिया जातीय जीवंत महापुरुषीय परंपरा के लिये उन्हें सन् 1989 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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हीरेन्द्र नाथ दत्त

हीरेन्द्र नाथ दत्त असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह मानुह अनुकूले के लिये उन्हें सन् 2004 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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जतीन्द्रनाथ दुवेरा

जतीन्द्रनाथ दुवेरा असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह बनफूल के लिये उन्हें सन् 1955 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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ज़

ज़ की ध्वनि सुनिए ज़ देवनागरी लिपि का एक वर्ण है। हिंदी-उर्दू के कई शब्दों में इसका प्रयोग होता है, जैसे की ज़रुरत, ज़माना, आज़माइश, ज़रा और ज़ंग। अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला में इसके उच्चारण को z के चिन्ह से लिखा जाता है और उर्दू में इसको ز लिखा जाता है, जिस अक्षर का नाम ज़े है। .

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जंगम

जंगम असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार देवेन्द्रनाथ आचार्य द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1984 में असमिया भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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जुबिन गर्ग

जुबिन गर्ग (জুবিন গাৰ্গ, জুবিন গার্গ) (born 18 November 1972) भारत के एक गायक, संगीतकार, गीतलेखक और अभिनेता हैं। जुबिन ने असमिया, हिन्दी, कन्नड़, उड़िया, तमिल, पंजाबी, बंगाली, मराठी और तेलुगु फ़िल्मों में भी गा चुके हैं। वे असम के जोरहाट से हैं। He has acquired a cult fame in Assam and East India over the last two-decades as an indigenous rockstar.

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ज्ञान पुजारी

ज्ञान पुजारी असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता मेघमालार भ्रमण के लिये उन्हें सन् २०१६ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (असमिया) से सम्मानित किया गया। .

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ज्ञानपीठ पुरस्कार

पुरस्कार-प्रतीकः वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। भारत का कोई भी नागरिक जो आठवीं अनुसूची में बताई गई २२ भाषाओं में से किसी भाषा में लिखता हो इस पुरस्कार के योग्य है। पुरस्कार में ग्यारह लाख रुपये की धनराशि, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है। १९६५ में १ लाख रुपये की पुरस्कार राशि से प्रारंभ हुए इस पुरस्कार को २००५ में ७ लाख रुपए कर दिया गया जो वर्तमान में ग्यारह लाख रुपये हो चुका है। २००५ के लिए चुने गये हिन्दी साहित्यकार कुंवर नारायण पहले व्यक्ति थे जिन्हें ७ लाख रुपए का ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ। प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार १९६५ में मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को प्रदान किया गया था। उस समय पुरस्कार की धनराशि १ लाख रुपए थी। १९८२ तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिये दिया जाता था। लेकिन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिये दिया जाने लगा। अब तक हिन्दी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक सात बार यह पुरस्कार पा चुके हैं। यह पुरस्कार बांग्ला को ५ बार, मलयालम को ४ बार, उड़िया, उर्दू और गुजराती को तीन-तीन बार, असमिया, मराठी, तेलुगू, पंजाबी और तमिल को दो-दो बार मिल चुका है। .

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ज्योतिप्रसाद आगरवाला

रूपकुंवर ज्योतिप्रसाद आगरवाला एक बहुआयामी और विलक्षण प्रतिभा संपन्न व्यक्ति थे। उनकी महानता, लोकप्रियता और व्यक्तित्व का विश्लेषण करते हुए राज्य की एक लोकप्रिय पत्रिका ने एक हजार साल के दस 'सर्वश्रेष्ठ असमिया' में उन्हें भी स्थान दिया है। ज्योतिप्रसाद का शुभ आगमन उस सन्धिक्षण में हुआ जब असमिया संस्कृ्ति तथा सभ्यता अपने मूल रूप से विछिन्न होती जा रही थी। प्रगतिशील विश्व की साहित्यिक और सांस्कृ्तिक धारा से असम का प्रत्यक्ष संपर्क नहीं रह गया था। यहां का बुद्धिजीवी वर्ग अपने को उपेक्षित समक्षकर किंकर्त्तव्यविमूढ़ हो रहा था। उन दिनों भारतीय साहित्य, संस्कृ्ति, कला और विज्ञान आदि क्षेत्रों में एक अभिनव परिवर्तन आने लगा था, परन्तु असम ऎसे परिवर्तन से लाभ उठाने में अक्षम हो रहा था। इसी काल में ज्योति प्रसाद ने अपनी प्रतिभा से, असम की जनता को नई दृष्टि देकर विश्व के मानचित्र पर असम के संस्कृ्ति को उजागर कर एक ऎसा कार्य कर दिखाया, जिसकी कल्पना भी उन दिनों कोई नहीं कर सकता था। जिन महानुभावों के अथक प्रयासों से असम ने आधुनिक शिल्प-कला, साहित्य आदि के क्षेत्र में प्रगति की है, उनमें सबसे पहले ज्योतिप्रसाद का ही नाम गिनाया जायेगा। सबसे दिलचस्प बात यह है कि मारवाड़ी समाज से कहीं ज्यादा असमिया समाज उन्हें अपना मानता है। "रूपकुंवर" के सम्बोधन से ऎसा मह्सूस होता है कि यह किसी नाम की संज्ञा हो, यह शब्द असमिया समाज की तरफ से दिया गया सबसे बड़ा सम्मान का सूचक है जो असम के अन्य किसी भी साहित्यकार को न तो मिला है और न ही अब मिलेगा। अठारहवीं शताब्दी में राजस्थान के जयपुर रियासत के अन्तर्गत "केड़" नामक छोटा सा गांव (वर्तमान में झूंझूंणू जिला) जहां से आकर इनके पूर्वज - केशराम, कपूरचंद, चानमल, घासीराम 'केडिया' किसी कारणवस राजस्थान के ही दूसरे गांव 'गट्टा' आकर बस गये, फिर वहां से 'टांई' में अपनी बुआ के पास बस गये और वाणिज्य-व्यापार करने लगे। सन् 1820-21 के आसपास यह परिवार चूरू आया। परिवार में कुल 4 प्राणी - 10 वर्ष का बालक नवरंगराम, माता व दो छोटे भाई, पिता का साया सर से उठ चुका था। बालक नवरंगराम की उम्र जब 15-16 साल की थी तब उन्हें परदेश जाकर कुछ कमाने की सूक्षी सन् 1827-28 में ये कलकत्ता, मुर्शिदाबाद, बंगाल होते हुये असम में विश्वनाथ चारिआली नामक स्थान पर बस गये और रतनगढ़ के एक फर्म 'नवरंगराम रामदयाल पोद्दार' के यहां बतौर मुनिम नौकरी की। सन् 1932-33 के आसपास नौकरी छोड़कर " गमीरी " नामक स्थान पर आ अपना निजी व्यवसाय आरंभ कर दिये और यहीं अपना घर-बार बसा कर स्थानिय असमिया परिवार में कुलुक राजखोवा की बहन सादरी से विवाह कर लिया। सादरी की अकाल मृ्त्यु हो जाने के पश्चात उन्होंने पुनः दूसरा विवाह कलंगपुर के चारखोलिया गांव के लक्ष्मीकांत सैकिया की बहन सोनपाही से किया। सादरी से दो पुत्र - हरिविलास (बीपीराम) एवं थानुराम तथा सोनपाही से काशीराम प्राप्त हुये। हरिविलास धार्मिक प्रवृ्ति के व्यक्ति थे। इन्होंने अपनी एक आत्मकथा भी लिखी थी जो असमिया साहित्य में एक मूल्यवान दस्तावेज के रूप में मौजूद है। उनके 5 पुत्र हुए- विष्णुप्रसाद, चंद्रकुमार, परमानंद, कृ्ष्णाप्रसाद तथा गोपालचंद्र। चंद्रकुमार अगरवाला असमीया साहित्य में ' जोनाकी" युग के प्रमुख तीन कवियों में से एक माने जाते हैं। काशीराम के पुत्र आनन्दचन्द्र अगरवाल भी असमिया साहित्य में अमर कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं। और "रूपकंवर" प्रसिद्ध संगीतज्ञ के पुत्र हैं। ज्योतिप्रसाद का जन्म 17 जून 1903 को डिब्रुगढ़ जिले में स्थित तामुलबारी चायबागान में हुआ। बहुमुखी प्रतिभा के धनी ज्योतिप्रसाद अगरवाल न सिर्फ एक नाटककार, कथाकार, गीतकार, पत्र संपादक, संगीतकार तथा गायक सभी कुछ थे। मात्र 14 वर्ष की उम्र में ही 'शोणित कुंवरी' नाटक की रचना कर आपने असमिया साहित्य को समृ्द्ध कर दिया। 1935 में असमिया साहित्यकार लक्ष्मीकांत बेजबरूआ के ऎतिहासिक नाटक ' ज्योमति कुंवारी' को आधार मानकर प्रथम असमिया फिल्म बनाई। वे इस फिल्म के निर्माता, निर्देशक, पटकथाकार, सेट डिजाइनर, संगीत तथा नृ्त्य निर्देशक सभी कुछ थे। ज्योति प्रसाद ने दो सहयोगियों बोडो कला गुरु विष्णु प्रसाद सभा (1909-69) और फणि शर्मा (1909-69) के साथ असमिया जन-संस्कृ्ति को नई चेतना दी। यह असमिया जातिय इतिहास का स्वर्ण युग है। ज्योतिप्रसाद की संपूर्ण रचनाएं असम की सरकारी प्रकाशन संस्था ने चार खंडों में प्रकाशित की है। उनमें 10 नाटक और लगभग अतनी ही कहानियां, एक उपन्यास,20 से ऊपर निबंध, तथा 359 गीतों का संकल्न है। जिनमें प्रायः सभी असमिया भाषा में लिखे गये हैं तीन-चार गीत हिन्दी और कुछ अंग्रेजी मे नाटक भी लिखे गये हैं। असम सरकार प्रत्येक वर्ष 17 जनवरी को ज्योतिप्रसाद की पुण्यतिथि को शिल्पी दिवश के रूप में मनाती है। इस दिन पूरे असम प्रदेश में सार्वजनिक छुट्टी रहती है। सरकारी प्रायोजनों के अतिरिक्त शिक्षण संस्थाओं में बड़े उत्साह से कार्यक्रम पेश किये जाते हैं। जगह- जगह प्रभात फेरियां निकाली जाती है, साहित्यिक गोष्ठियां आयोजित की जाती है। आजादी की लड़ाई में ज्योतिप्रसाद के योगदानों की चर्चा नहीं की जाय तो यह लेख अधुरा रह जायेगा इसके लिये सिर्फ इतना ही लिखना काफी होगा कि आजादी की लड़ाई में जमुनालाल बजाज के पहले इनके योगदानों को लिखा जाना चाहिये था। अपने जीवन के अंतिम दिनों तक आपने नाटक, गीत, कविता, जीवनी, शिशु कविता, चित्रनाट्य, कहानी, उपन्यास, निबंध आदि के माध्यम से असमिया भाषा- साहित्य और संस्कृ्ति में अतुलनीय योगदान देकर खुद तो अमर हो गये साथ ही मारवाड़ी समाज को भी अमर कर गये। असम के एक कवि शंकरलाल पारीक ने अपने शब्दों में इस प्रकार पिरोया है रूपकुंवर ज्योतिप्रसाद अग्रवाला को: असम मातृ के आंगन में, जन्म हुआ ध्रुव-तारे का; नाम था उसका 'ज्योतिप्रसाद' यथा नाम तथा गुण का, था उसमें सच्चा प्रकाश जान गया जग उसको सारा गीत रचे और गाये उसने, नाटक के पात्र बनाये उसने; जन-जन तक पहुंचाये उसने, स्वतंत्रता की लड़ी लड़ाई, घर-घर अलख जगाई असम की माटी की गंध में, फूलों की सुगंध में लोहित की बहती धारा की कल-कल में, रचा-बसा है नाम 'ज्योति' का असम संस्कृ्ति को महकाने वाला, आजादी का बिगुल बजाने वाला। श्रेणी:असम के लोग श्रेणी:असम के संगीतकार.

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जोगेश दास

जोगेश दास असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह पृथ्वीवीर असुख के लिये उन्हें सन् 1980 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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ईद उल-फ़ित्र

ईद उल-फ़ित्र या ईद उल-फितर (अरबी: عيد الفطر) मुस्लमान रमज़ान उल-मुबारक के महीने के बाद एक मज़हबी ख़ुशी का त्यौहार मनाते हैं जिसे ईद उल-फ़ित्र कहा जाता है। ये यक्म शवाल अल-मुकर्रम्म को मनाया जाता है। ईद उल-फ़ित्र इस्लामी कैलेण्डर के दसवें महीने शव्वाल के पहले दिन मनाया जाता है। इसलामी कैलंडर के सभी महीनों की तरह यह भी नए चाँद के दिखने पर शुरू होता है। मुसलमानों का त्योहार ईद मूल रूप से भाईचारे को बढ़ावा देने वाला त्योहार है। इस त्योहार को सभी आपस में मिल के मनाते है और खुदा से सुख-शांति और बरक्कत के लिए दुआएं मांगते हैं। पूरे विश्व में ईद की खुशी पूरे हर्षोल्लास से मनाई जाती है। .

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विभिन्न भाषाओं में रामायण

म्यांमार के रामायण (रामजात्तौ) पर आधारित नृत्य भिन्न-भिन्न प्रकार से गिनने पर रामायण तीन सौ से लेकर एक हजार तक की संख्या में विविध रूपों में मिलती हैं। इनमें से संस्कृत में रचित वाल्मीकि रामायण (आर्ष रामायण) सबसे प्राचीन मानी जाती है। साहित्यिक शोध के क्षेत्र में भगवान राम के बारे में आधिकारिक रूप से जानने का मूल स्रोत महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण है। इस गौरव ग्रंथ के कारण वाल्मीकि दुनिया के आदि कवि माने जाते हैं। श्रीराम-कथा केवल वाल्मीकीय रामायण तक सीमित न रही बल्कि मुनि व्यास रचित महाभारत में भी 'रामोपाख्यान' के रूप में आरण्यकपर्व (वन पर्व) में यह कथा वर्णित हुई है। इसके अतिरिक्त 'द्रोण पर्व' तथा 'शांतिपर्व' में रामकथा के सन्दर्भ उपलब्ध हैं। बौद्ध परंपरा में श्रीराम से संबंधित दशरथ जातक, अनामक जातक तथा दशरथ कथानक नामक तीन जातक कथाएँ उपलब्ध हैं। रामायण से थोड़ा भिन्न होते हुए भी ये ग्रन्थ इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठ हैं। जैन साहित्य में राम कथा संबंधी कई ग्रंथ लिखे गये, जिनमें मुख्य हैं- विमलसूरि कृत 'पउमचरियं' (प्राकृत), आचार्य रविषेण कृत 'पद्मपुराण' (संस्कृत), स्वयंभू कृत 'पउमचरिउ' (अपभ्रंश), रामचंद्र चरित्र पुराण तथा गुणभद्र कृत उत्तर पुराण (संस्कृत)। जैन परंपरा के अनुसार राम का मूल नाम 'पद्म' था। अन्य अनेक भारतीय भाषाओं में भी राम कथा लिखी गयीं। हिन्दी में कम से कम 11, मराठी में 8, बाङ्ला में 25, तमिल में 12, तेलुगु में 12 तथा उड़िया में 6 रामायणें मिलती हैं। हिंदी में लिखित गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरित मानस ने उत्तर भारत में विशेष स्थान पाया। इसके अतिरिक्त भी संस्कृत,गुजराती, मलयालम, कन्नड, असमिया, उर्दू, अरबी, फारसी आदि भाषाओं में राम कथा लिखी गयी। महाकवि कालिदास, भास, भट्ट, प्रवरसेन, क्षेमेन्द्र, भवभूति, राजशेखर, कुमारदास, विश्वनाथ, सोमदेव, गुणादत्त, नारद, लोमेश, मैथिलीशरण गुप्त, केशवदास, गुरु गोविंद सिंह, समर्थ रामदास, संत तुकडोजी महाराज आदि चार सौ से अधिक कवियों तथा संतों ने अलग-अलग भाषाओं में राम तथा रामायण के दूसरे पात्रों के बारे में काव्यों/कविताओं की रचना की है। धर्मसम्राट स्वामी करपात्री ने 'रामायण मीमांसा' की रचना करके उसमें रामगाथा को एक वैज्ञानिक आयामाधारित विवेचन दिया। वर्तमान में प्रचलित बहुत से राम-कथानकों में आर्ष रामायण, अद्भुत रामायण, कृत्तिवास रामायण, बिलंका रामायण, मैथिल रामायण, सर्वार्थ रामायण, तत्वार्थ रामायण, प्रेम रामायण, संजीवनी रामायण, उत्तर रामचरितम्, रघुवंशम्, प्रतिमानाटकम्, कम्ब रामायण, भुशुण्डि रामायण, अध्यात्म रामायण, राधेश्याम रामायण, श्रीराघवेंद्रचरितम्, मन्त्र रामायण, योगवाशिष्ठ रामायण, हनुमन्नाटकम्, आनंद रामायण, अभिषेकनाटकम्, जानकीहरणम् आदि मुख्य हैं। विदेशों में भी तिब्बती रामायण, पूर्वी तुर्किस्तानकी खोतानीरामायण, इंडोनेशिया की ककबिनरामायण, जावा का सेरतराम, सैरीराम, रामकेलिंग, पातानीरामकथा, इण्डोचायनाकी रामकेर्ति (रामकीर्ति), खमैररामायण, बर्मा (म्यांम्मार) की यूतोकी रामयागन, थाईलैंड की रामकियेनआदि रामचरित्र का बखूबी बखान करती है। इसके अलावा विद्वानों का ऐसा भी मानना है कि ग्रीस के कवि होमर का प्राचीन काव्य इलियड, रोम के कवि नोनस की कृति डायोनीशिया तथा रामायण की कथा में अद्भुत समानता है। विश्व साहित्य में इतने विशाल एवं विस्तृत रूप से विभिन्न देशों में विभिन्न कवियों/लेखकों द्वारा राम के अलावा किसी और चरित्र का इतनी श्रद्धा से वर्णन न किया गया। .

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विश्वनाथ प्रसाद तिवारी

डॉ॰ विश्वनाथ प्रसाद तिवारी (जन्म १९४०) प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार हैं और २०१३ से २०१७ तक की अवधि के लिए साहित्य अकादमी के अध्यक्ष हैं। वे गोरखपुर से प्रकाशित होने वाली 'दस्तावेज' नामक साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका के संस्थापक-संपादक हैं। यह पत्रिका रचना और आलोचना की विशिष्ट पत्रिका है, जो 1978 से नियमित प्रकाशित हो रही है। सन् २०११ में उन्हें व्यास सम्मान प्रदान किया गया। .

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विवेकानन्द केन्द्र

विवेकानन्द केंद्र, स्वामी विवेकानन्द के सिद्धान्तों को प्रसारित करने के उद्देश्य से स्थापित एक हिन्दू आध्यात्मिक संस्था है। महान विचारक स्वामी विवेकानंद को आदर्श मानकर उनके बताए गए मार्ग पर चलने का संकल्प लेकर संगठन की स्थापना की गयी। सन १९७२ में एकनाथ जी रानाडे ने इसकी स्थापना की। केन्द्र मानता है कि ईश्वर प्रत्येक मनुष्य में है और उसे जगाकर देश निर्माण में उपयोग किया जा सकता है। .

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विकासपीडिया

विकासपीडिया का प्रतीकचिह्न विकासपीडिया भारत सरकार द्वारा शुरू की गयी एक वेबसाइट है जो विभिन्न प्रकार की सूचनायें प्रदान करती है। यह फरवरी २०१४ में आरम्भ की गयी थी। इस पोर्टल का विकास 'भारत विकास प्रवेशद्वार-एक राष्ट्रीय पहल' के एक भाग के रूप में सामाजिक विकास के कार्यक्षेत्रों की सूचनाएं/ जानकारियां और सूचना एवं प्रौद्योगिकी पर आधारित उत्पाद व सेवाएं देने के लिए किया गया है। भारत विकास प्रवेशद्वार, भारत सरकार के संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डीईआइटीवाई), की एक पहल और प्रगत संगणन विकास केंद्र (सी-डैक), हैदराबाद के द्वारा कार्यान्वित है। यह वेबस्थल हिन्दी, अंग्रेजी, असमिया, मराठी, बांग्ला, तेलुगु, गुजराती, कन्नड, मलयालम, तमिल, मराठी आदि २३ भाषाओं में है। विकासपीडिया में 6 अलग-अलग विषय हैं, कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, समाज कल्याण, ऊर्जा, और ई-शासन। .

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वेणुधर शर्मा

वेणुधर शर्मा असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार तीर्थनाथ शर्मा द्वारा रचित एक जीवनी है जिसके लिये उन्हें सन् 1986 में असमिया भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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वीरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य

वीरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य (१ अप्रैल, १९२४ - ६ अगस्त, १९९७) असमिया साहित्यकार थे। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास इयारुइंगम के लिये उन्हें सन् १९६१ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (असमिया) से सम्मानित किया गया। इन्हें १९७९ में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। समाजवादी विचारों से प्रेरित श्री भट्टाचार्य कहानीकार, कवि, निबंधकार और पत्रकार थे। वे साहित्य अकादमी, दिल्ली और असम साहित्य सभा के अध्यक्ष रहे। उन्होंने १९५० में संपादित असमी पत्रिका रामधेनु का संपादन कर असमिया साहित्य को नया मोड़ दिया। इनके चर्चित उपन्यासों इयारूंगम, मृत्युंजय, राजपथे, रिंगियाई, आई, प्रितपद, शतघ्नी, कालर हुमुनियाहहैं। इनके दो कहानी संग्रह भी प्रकाशित हुए, कलंग आजियो बोइ और सातसरी। .

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ख़

ख़ की ध्वनि सुनिए ख़ देवनागरी लिपि का एक वर्ण है। हिंदी-उर्दू के कई शब्दों में इसका प्रयोग होता है, जैसे कि ख़रगोश, ख़ुश, ख़बर, ख़ैर और ख़ून। अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला में इसके उच्चारण को x के चिह्न से लिखा जाता है और उर्दू में इसे خ लिखा जाता है, जिस अक्षर का नाम ख़े है। .

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खासी भाषा

खसी (Khasi) या खासी पूर्वोत्तर भारत के मेघालय राज्य में खसी समुदाय द्वारा बोली जाने वाली एक भाषा है। यह ऑस्ट्रो-एशियाई भाषा-परिवार की सदस्य है। खासी (जिसे खसी, खसिया या क्यी भी कहते हैं) ऑस्ट्रो-एशियाई भाषाओं के मोन-ख्मेर परिवार की एक शाखा है। २००१ की भारतीय जनगणना के अनुसार खासी भाषा को बोलने वाले ११,२८,५७५ लोग मेघालय में रहते हैं। खासी भाषा के बहुत से शब्द की इण्डो-आर्य भाषाएं जैसे नेपाली, बांग्ला एवं असमिया से लिये गे हैं। इसके अलावा खासी भाषा की अपनी कोई लिपि नहीं है और यह भारत में अभी तक चल रही मोन-ख्मेर भाषाओ में से एक है। .

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गण अधिकार

गण अधिकार भारत में प्रकाशित होने वाला असमीया भाषा का एक समाचार पत्र (अखबार) है। .

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गोलाम

गोलाम असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार सौरभ कुमार चालिहा द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1974 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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गीतरामायणम्

गीतरामायणम् (२०११), शब्दार्थ: गीतों में रामायण, जगद्गुरु रामभद्राचार्य (१९५०-) द्वारा २००९ और २०१० ई में रचित गीतकाव्य शैली का एक संस्कृत महाकाव्य है। इसमें संस्कृत के १००८ गीत हैं जो कि सात कांडों में विभाजित हैं - प्रत्येक कांड एक अथवा अधिक सर्गों में पुनः विभाजित है। कुल मिलाकर काव्य में २८ सर्ग हैं और प्रत्येक सर्ग में ३६-३६ गीत हैं। इस महाकाव्य के गीत भारतीय लोक संगीत और शास्त्रीय संगीत के विभिन्न गीतों की ढाल, लय, धुन अथवा राग पर आधारित हैं। प्रत्येक गीत रामायण के एक या एकाधिक पात्र अथवा कवि द्वारा गाया गया है। गीत एकालाप और संवादों के माध्यम से क्रमानुसार रामायण की कथा सुनाते हैं। गीतों के बीच में कुछ संस्कृत छंद हैं, जो कथा को आगे ले जाते हैं। काव्य की एक प्रतिलिपि कवि की हिन्दी टीका के साथ जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश द्वारा प्रकाशित की गई थी। पुस्तक का विमोचन संस्कृत कवि अभिराज राजेंद्र मिश्र द्वारा जनवरी १४, २०११ को मकर संक्रांति के दिन किया गया था। .

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गीति रामायण

गीति रामायण असमिया भाषा का प्रसिद्ध रामकाव्य जिसकी रचना दुर्गाधर कायस्थ ने की है। इसकी विशेषता यह है कि इसमें राम और सीता दैवी न होकर पूर्णत: मानवीय हैं। मनुष्य के सामान्य विचार और विकार दोनों को कवि ने उनमें देखा है, इस कारण यह काफी लोकप्रिय हुआ है। इस रामायण को ओझापाली गीत परंपरा में लोग गाते हैं। इसमें एक प्रमुख गायक मुख्य कथागीत गाता है और शेष लोग पिछले पद को दुहराते हैं। असम में यह गान पद्धति विशेष प्रचलित है। .

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ओड़िया भाषा

ओड़िआ, उड़िया या ओडिया (ଓଡ଼ିଆ, ओड़िआ) भारत के ओड़िशा प्रान्त में बोली जाने वाली भाषा है। यह यहाँ के राज्य सरकार की राजभाषा भी है। भाषाई परिवार के तौर पर ओड़िआ एक आर्य भाषा है और नेपाली, बांग्ला, असमिया और मैथिली से इसका निकट संबंध है। ओड़िसा की भाषा और जाति दोनों ही अर्थो में उड़िया शब्द का प्रयोग होता है, किंतु वास्तव में ठीक रूप "ओड़िया" होना चाहिए। इसकी व्युत्पत्ति का विकासक्रम कुछ विद्वान् इस प्रकार मानते हैं: ओड्रविषय, ओड्रविष, ओडिष, आड़िषा या ओड़िशा। सबसे पहले भरत के नाट्यशास्त्र में उड्रविभाषा का उल्लेख मिलता है: "शबराभीरचांडाल सचलद्राविडोड्रजा:। हीना वनेचराणां च विभाषा नाटके स्मृता:।" भाषातात्विक दृष्टि से उड़िया भाषा में आर्य, द्राविड़ और मुंडारी भाषाओं के संमिश्रित रूपों का पता चलता है, किंतु आज की उड़िया भाषा का मुख्य आधार भारतीय आर्यभाषा है। साथ ही साथ इसमें संथाली, मुंडारी, शबरी, आदि मुंडारी वर्ग की भाषाओं के और औराँव, कुई (कंधी) तेलुगु आदि द्राविड़ वर्ग की भाषाओं के लक्षण भी पाए जाते हैं। .

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आठवीं अनुसूची

भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची भारत की भाषाओं से संबंधित है। इस अनुसूची में २२ भारतीय भाषाओं को शामिल किया गया है। इनमें से १४ भाषाओं को संविधान में शामिल किया गया था। सन १९६७ में, सिन्धी भाषा को अनुसूची में जोड़ा गया। इसके बाद, कोंकणी भाषा, मणिपुरी भाषा, और नेपाली भाषा को १९९२ में जोड़ा गया। हाल में २००४ में बोड़ो भाषा, डोगरी भाषा, मैथिली भाषा, और संथाली भाषा शामिल किए गए। .

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आदिम हिन्द-ईरानी भाषा

हिन्द-ईरानी भाषा आदिम हिन्द-ईरानी भाषा वह लुप्त भाषा थी जो हिन्द-ईरानी भाषा परिवार की सभी भाषाओँ की जननी थी, जिनमें संस्कृत, हिन्दी, कश्मीरी, सिन्धी, पंजाबी, असमिया, अवस्ताई, फ़ारसी, पश्तो, बलोची और कुर्दी भाषाएँ शामिल हैं। यह हिन्द-यूरोपी भाषा परिवार की एक भाषा थी और इस से ही हिन्द-ईरानी भाषा शाखा शुरू हुई। अनुमान किया जाता है के इसे बोलने वाले आदिम-हिन्दी-ईरानी लोग 2500 ईसा-पूर्व के आसपास के दौर में रहते थे। .

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आधुनिक गल्प साहित्य

आधुनिक गल्प साहित्य असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार त्रैलोक्यनाथ गोस्वामी द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 1967 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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आन एजन

आन एजन असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हरेकृष्ण डेका द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1987 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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आनंद चंद्र बरुआ

आनंद चंद्र बरुआ असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह बकुल बनर कविता के लिये उन्हें सन् 1977 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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आमार असम

आमार असम भारत में प्रकाशित होने वाला असमीया भाषा का एक समाचार पत्र (अखबार) है। .

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आशीर्वादर रंग

आशीर्वादर रंग असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार अरुण शर्मा द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1998 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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आजिर दैनिक बातरि

आजिर दैनिक बातरि भारत में प्रकाशित होने वाला असमीया भाषा का एक समाचार पत्र (अखबार) है। .

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आंधारत निजरमुख

आंधारत निजरमुख असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार नगेन सइकीया द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1997 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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आकाशर छबि आरु अन्‍यान्‍य गल्‍प

आकाशर छबि आरु अन्‍यान्‍य गल्‍प असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार कुल सेइकिया द्वारा रचित एक कहानी है जिसके लिये उन्हें सन् 2015 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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इयारुइंगम

इयारुइंगम असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार बीरेन्द्रकुमार भट्टाचार्य द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1961 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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इस्की

इस्की या 'सूचना अन्तरविनिमय के लिये भारतीय लिपि संहिता' (Indian Standard Code for Information Interchange (ISCII)) भारत में प्रचलिप्त विभिन्न लिपियों को कंप्यूटर पर (डिजिटल रूप में) निरूपित के लिये निर्मित एक मानक इनकोडिंग है। इसके द्वार समर्थित लिपियाँ हैं - असमिया, बांग्ला, देवनागरी, गुजराती, गुरुमुखी, कन्नड़, मलयालम, ओड़िया, तमिल तथा तेलुगू। .

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इंदिरा मिरी

इंदिरा मिरी, जिन्हें मेरंग नाम से जाना भी जाता है, असम की एक शिक्षाविद् थीं, जो उत्तर पूर्वी सीमांत एजेंसी में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये किये गये अपने प्रयासों के लिये जानी जाती हैं। इन्हें इनके कार्यों के लिए चौथे उच्चतम भारतीय नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया। .

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इंदिरा रायसम गोस्वामी

इंदिरा गोस्वामी (१४ नवम्बर १९४२ - नवम्बर, २०१०) असमिया साहित्य की सशक्त हस्ताक्षर थीं। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित श्रीमती गोस्वामी असम की चरमपंथी संगठन उल्फा यानि युनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम और भारत सरकार के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाने की राजनैतिक पहल करने में अहम भूमिका निभाई। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास मामरे धरा तरोवाल अरु दुखन उपन्यास के लिये उन्हें सन् १९८२ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (असमिया) से सम्मानित किया गया। .

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कथा रत्नामकर

कथा रत्नामकर असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार ध्रुव ज्योति बोरा द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2009 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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कबिरत्न सरस्वती

कविरत्न सरस्वती असमिया कवि थे जिन्होने जयद्रथ वध नामक काव्य ग्रन्थ लिखा। श्रेणी:असमिया साहित्यकार.

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कबीर फुकन

कबीर फुकन असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह एई अनुरागी एई उदास के लिये उन्हें सन् 2011 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित(मरणोपरांत) किया गया। .

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कायस्थ

कायस्थ भारत में रहने वाले सवर्ण हिन्दू समुदाय की एक जाति है। गुप्तकाल के दौरान कायस्थ नाम की एक उपजाति का उद्भव हुआ। पुराणों के अनुसार कायस्थ प्रशासनिक कार्यों का निर्वहन करते हैं। हिंदू धर्म की मान्यता है कि कायस्थ धर्मराज श्री चित्रगुप्त जी की संतान हैं तथा देवता कुल में जन्म लेने के कारण इन्हें ब्राह्मण और क्षत्रिय दोनों धर्मों को धारण करने का अधिकार प्राप्त है। वर्तमान में कायस्थ मुख्य रूप से बिसारिया, श्रीवास्तव, सक्सेना,निगम, माथुर, भटनागर, लाभ, लाल, कुलश्रेष्ठ, अस्थाना, कर्ण, वर्मा, खरे, राय, सुरजध्वज, विश्वास, सरकार, बोस, दत्त, चक्रवर्ती, श्रेष्ठ, प्रभु, ठाकरे, आडवाणी, नाग, गुप्त, रक्षित, बक्शी, मुंशी, दत्ता, देशमुख, पटनायक, नायडू, सोम, पाल, राव, रेड्डी, दास, मेहता आदि उपनामों से जाने जाते हैं। वर्तमान में कायस्थों ने राजनीति और कला के साथ विभिन्न व्यावसायिक क्षेत्रों में सफलतापूर्वक विद्यमान हैं। वेदों के अनुसार कायस्थ का उद्गम ब्रह्मा ही हैं। उन्हें ब्रह्मा जी ने अपनी काया की सम्पूर्ण अस्थियों से बनाया था, तभी इनका नाम काया+अस्थि .

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कायाकल्प (लक्ष्मीनंदन बोरा)

कायाकल्प एक लक्ष्मीनंदन बोरा द्वारा रचित असमिया उपन्यास है। इसको बिड़ला फाउंडेशन द्वारा २००८ के सरस्वती सम्मान से सम्मानित किया गया था। श्रेणी:सरस्वती सम्मान से सम्मानित कृति श्रेणी:असमिया साहित्य श्रेणी:उपन्यास.

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कार्बी भाषा

कार्बी भाषा (असमिया: কাৰ্বি, अंग्रेज़ी: Karbi), जो मिकिर भाषा और आरलेंग भाषा भी कहलाया करती थी, पूर्वोत्तर भारत में असम, मेघालय व अरुणाचल प्रदेश राज्यों में कार्बी समुदाय द्वारा बोली जाने वाली एक भाषा है। यह तिब्बती-बर्मी भाषा-परिवार की सदस्या है लेकिन इस विशाल परिवार के अंदर इसका आगे का वर्गीकरण अस्पष्ट है। इसे अधिकतर असमिया लिपि में लिखा जाता है, हालांकि कुछ हद तक रोमन लिपि भी प्रयोगित है। इसकी एक प्रमुख उपभाषा है, आम्री, जो साधारण कार्बी बोली से काफ़ी अलग है और कभी-कभी एक भिन्न भाषा भी मानी जाती है। .

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कार्बी लोग

कार्बी (असमिया: কাৰ্বি, अंग्रेज़ी: Karbi) पूर्वोत्तरी भारत के असम राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में बसने वाला एक समुदाय है। इन्हें कुछ सरकारी दस्तावेज़ों में "मिकिर" कहा जाता था लेकिन यह शब्द अब प्रयोग नहीं होता और कई कार्बियों द्वारा अपमानजनक माना जाता है। कार्बी लोग तिब्बती-बर्मी भाषा परिवार की कार्बी भाषा बोलते हैं और अधिकतर हिन्दू हैं, जिसमें सर्वात्मवाद के तत्व सम्मिलित हैं। .

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कांग्रचर कांचियालिरदात

कांग्रचर कांचियालिरदात असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार वेणुधर शर्मा द्वारा रचित एक संस्मरण है जिसके लिये उन्हें सन् 1960 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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काका देउतार हार

काका देउतार हार असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार नवकांत बरुआ द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1975 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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किरण बाला बोरा

किरण बाला बोरा (असमिया: কিৰণ বালা বড়া; 1904 - 8 जनवरी, 1993) असम, भारत से एक स्वतंत्रता सेनानी और सामाजिक कार्यकर्ता थी। उसे 1930 और 1940 के भारत की स्वतंत्रता में योगदान करने वाले नागरिक अवज्ञा आंदोलनों में उस की भागीदारी के लिए जाना जाता है, जो  करती थी। .

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कछारी भाषा

कछारी (असमिया: কছাৰী, अंग्रेज़ी: Kachari या Cachari) भारत के असम राज्य के कुछ भागों में बोली जाने वाली एक ब्रह्मपुत्री भाषा है। मूल रूप से यह कछारी लोगों की मातृभाषा है लेकिन वर्तमानकाल में ३०% से कम कछारी लोग इसका दैनिक प्रयोग करते हैं, जबकि उनमें आजकल असमिया भाषा प्रचलित है। माना जाता है कि आधुनिक असमिया भाषा पर भी कछारी भाषा का गहरा प्रभाव रहा है।, pp.

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कछारी राज्य

कछारी (असमिया: কছাৰী) मध्यकालीन असम का एक शक्तिशाली राज्य था। असम राज्य के उत्तरी असम-भूटान-सीमावर्ती कामरूप और दरंग जिले वर्तमान कछारी या 'बोड़ो' कबीले का मुख्य निवास स्थान हैं। .

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कुरमाली भाषा

कुरमाली भाषा झारखण्ड की एक प्रमुख भाषा है। यह एक अंतर-प्रांतीय भाषा है। इसका विस्तार क्षेत्र "उडीष्य शिखर, नागपुर, आधा-आधी खड़गपुर" लोकोक्ति से ज्ञात होता है। कुरमाली के क्षेत्र राजनितिक मानचित्र द्वारा परिसीमित नहीं किया जा सकता.

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कुल सेइकिया

कुल सेइकिया असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी आकाशर छबि आरु अन्‍यान्‍य गल्‍प के लिये उन्हें सन् 2015 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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कृष्णकांत हांदिकी

कृष्णकांत हांदिकी असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक समालोचना कृष्णकांत हांदिकी रचना संभार के लिये उन्हें सन् 1985 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित(मरणोपरांत) किया गया। .

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कृष्णकांत हांदिकी रचना संभार

कृष्णकांत हांदिकी रचना संभार असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार कृष्णकांत हांदिकी द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 1985 में असमिया भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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केशदा महंत

केशदा महंत असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक समालोचना असमीया रामायणी साहित्य के लिये उन्हें सन् 2010 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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केशव महंत

केशव महंत असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक गीत–संग्रह मोर जे किमान हेपाह के लिये उन्हें सन् 1993 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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के॰एस॰ चित्रा

कृष्णन नायर शान्तिकुमारी चित्रा (प्रचलित नाम: के॰एस॰ चित्रा या चित्रा, जन्म: २७ जुलाई १९६३) एक भारतीय पार्श्व गायिका है। वे भारतीय शास्त्रीय संगीत, भक्ति और लोकप्रिय संगीत भी गाती है। उन्होंने मलयालम, कन्नड़, तमिल, तेलुगू, उड़िया, हिंदी, असमिया, बंगाली, बड़गा, संस्कृत, तुलु, उर्दू और पंजाबी गीतों के लिए आवाज दी है। वे छह राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (महिला गायिकाओं में से सबसे अधिक), पाँच फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार-दक्षिण और ३१ अलग -अलग राज्य फिल्म पुरस्कारों के  प्राप्तकर्ता है। वे सभी दक्षिण भारतीय राज्य फिल्म पुरस्कार जीत चुकी है। उनको दक्षिण भारत की छोटी बुलबुल एवम केरल की बुलबुल कहा जाता है। .

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अतुलचंद्र हज़ारिका

अतुलचंद्र हज़ारिका असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक असमिया रंगमंच का अध्ययन मंचलेखा के लिये उन्हें सन् 1969 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अतुलानंद गोस्वामी

अतुलानंद गोस्वामी असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह चिनेह जोरिर गांथी के लिये उन्हें सन् 2006 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अनुस्वार

अनुस्वार एक उच्चारण की मात्रा है जो अधिकांश भारतीय लिपियों में प्रयुक्त होती है। इससे अक्सर ं जैसी ध्वनि नाक के द्वारा निकाली जाती है, अतः इसे नसिक या अनुनासिक कहते हैं। इसको कभी-कभी म (और अन्य) अक्षरों द्वारा भी लिखते हैं। जैसे: कंबल ~ कम्बल; इंफाल ~ इम्फाल इत्यादि। देवनागरी में इसे, उदाहरण-स्वरूप क पर लगाने से कं लिखा जाता है। .

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अनुवाद

किसी भाषा में कही या लिखी गयी बात का किसी दूसरी भाषा में सार्थक परिवर्तन अनुवाद (Translation) कहलाता है। अनुवाद का कार्य बहुत पुराने समय से होता आया है। संस्कृत में 'अनुवाद' शब्द का उपयोग शिष्य द्वारा गुरु की बात के दुहराए जाने, पुनः कथन, समर्थन के लिए प्रयुक्त कथन, आवृत्ति जैसे कई संदर्भों में किया गया है। संस्कृत के ’वद्‘ धातु से ’अनुवाद‘ शब्द का निर्माण हुआ है। ’वद्‘ का अर्थ है बोलना। ’वद्‘ धातु में 'अ' प्रत्यय जोड़ देने पर भाववाचक संज्ञा में इसका परिवर्तित रूप है 'वाद' जिसका अर्थ है- 'कहने की क्रिया' या 'कही हुई बात'। 'वाद' में 'अनु' उपसर्ग उपसर्ग जोड़कर 'अनुवाद' शब्द बना है, जिसका अर्थ है, प्राप्त कथन को पुनः कहना। इसका प्रयोग पहली बार मोनियर विलियम्स ने अँग्रेजी शब्द टांंसलेशन (translation) के पर्याय के रूप में किया। इसके बाद ही 'अनुवाद' शब्द का प्रयोग एक भाषा में किसी के द्वारा प्रस्तुत की गई सामग्री की दूसरी भाषा में पुनः प्रस्तुति के संदर्भ में किया गया। वास्तव में अनुवाद भाषा के इन्द्रधनुषी रूप की पहचान का समर्थतम मार्ग है। अनुवाद की अनिवार्यता को किसी भाषा की समृद्धि का शोर मचा कर टाला नहीं जा सकता और न अनुवाद की बहुकोणीय उपयोगिता से इन्कार किया जा सकता है। ज्त्।छैस्।ज्प्व्छ के पर्यायस्वरूप ’अनुवाद‘ शब्द का स्वीकृत अर्थ है, एक भाषा की विचार सामग्री को दूसरी भाषा में पहुँचना। अनुवाद के लिए हिंदी में 'उल्था' का प्रचलन भी है।अँग्रेजी में TRANSLATION के साथ ही TRANSCRIPTION का प्रचलन भी है, जिसे हिंदी में 'लिप्यन्तरण' कहा जाता है। अनुवाद और लिप्यंतरण का अंतर इस उदाहरण से स्पष्ट है- इससे स्पष्ट है कि 'अनुवाद' में हिंदी वाक्य को अँग्रेजी में प्रस्तुत किया गया है जबकि लिप्यंतरण में नागरी लिपि में लिखी गयी बात को मात्र रोमन लिपि में रख दिया गया है। अनुवाद के लिए 'भाषांतर' और 'रूपांतर' का प्रयोग भी किया जाता रहा है। लेकिन अब इन दोनों ही शब्दों के नए अर्थ और उपयोग प्रचलित हैं। 'भाषांतर' और 'रूपांतर' का प्रयोग अँग्रेजी के INTERPRETATION शब्द के पर्याय-स्वरूप होता है, जिसका अर्थ है दो व्यक्तियों के बीच भाषिक संपर्क स्थापित करना। कन्नडभाषी व्यक्ति और असमियाभाषी व्यक्ति के बीच की भाषिक दूरी को भाषांतरण के द्वारा ही दूर किया जाता है। 'रूपांतर' शब्द इन दिनों प्रायः किसी एक विधा की रचना की अन्य विधा में प्रस्तुति के लिए प्रयुक्त है। जैस, प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' का रूपांतरण 'होरी' नाटक के रूप में किया गया है। किसी भाषा में अभिव्यक्त विचारों को दूसरी भाषा में यथावत् प्रस्तुत करना अनुवाद है। इस विशेष अर्थ में ही 'अनुवाद' शब्द का अभिप्राय सुनिश्चित है। जिस भाषा से अनुवाद किया जाता है, वह मूलभाषा या स्रोतभाषा है। उससे जिस नई भाषा में अनुवाद करना है, वह 'प्रस्तुत भाषा' या 'लक्ष्य भाषा' है। इस तरह, स्रोत भाषा में प्रस्तुत भाव या विचार को बिना किसी परिवर्तन के लक्ष्यभाषा में प्रस्तुत करना ही अनुवाद है।ज .

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अनेक मानुह अनेक ठाई आरु निर्जनता

अनेक मानुह अनेक ठाई आरु निर्जनता असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार बीरेश्वर बरुआ द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2003 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अपूर्व शर्मा

अपूर्व शर्मा असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह बाघे टापुर राति के लिये उन्हें सन् 2000 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अबोर की पहाड़ियाँ

अबोर की पहाड़ियाँ हिमालय पर्वत के अंश हैं जो असम की उत्तरी सीमा पर पश्चिम में सिओम नदी तथा पूर्व में डिबंग के बीच फैली हुई हैं। यहाँ पर अबोर (जिसका अर्थ आसमी भाषा में 'असभ्य' होता है) जाति निवास करती है। भूमि प्राय: घने जंगलों से ढकी है जिनके बीच से होकर नदियाँ बहती हैं। अबोर लोग दो समूहों में विभाजित किए जा सकते हैं-.

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अभिजात्री

अभिजात्री असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार निरुपमा बरगोहाइँ द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1996 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अरण्डी

अरंडी (अंग्रेज़ी:कैस्टर) तेल का पेड़ एक पुष्पीय पौधे की बारहमासी झाड़ी होती है, जो एक छोटे आकार से लगभग १२ मी के आकार तक तेजी से पहुँच सकती है, पर यह कमजोर होती है। इसकी चमकदार पत्तियॉ १५-४५ सेमी तक लंबी, हथेली के आकार की, ५-१२ सेमी गहरी पालि और दांतेदार हाशिए की तरह होती हैं। उनके रंग कभी कभी, गहरे हरे रंग से लेकर लाल रंग या गहरे बैंगनी या पीतल लाल रंग तक के हो सकते है।। वेब ग्रीन तना और जड़ के खोल भिन्न भिन्न रंग लिये होते है। इसके उद्गम व विकास की कथा अभी तक अध्ययन अधीन है। यह पेड़ मूलतः दक्षिण-पूर्वी भूमध्य सागर, पूर्वी अफ़्रीका एवं भारत की उपज है, किन्तु अब उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में खूब पनपा और फैला हुआ है। .

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अरहर दाल

अरहर की दाल को तुवर भी कहा जाता है। इसमें खनिज, कार्बोहाइड्रेट, लोहा, कैल्शियम आदि पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। यह सुगमता से पचने वाली दाल है, अतः रोगी को भी दी जा सकती है, परंतु गैस, कब्ज एवं साँस के रोगियों को इसका सेवन कम ही करना चाहिए। भारत में अरहर की खेती तीन हजार वर्ष पूर्व से होती आ रही है किन्तु भारत के जंगलों में इसके पौधे नहीं पाये जाते है। अफ्रीका के जंगलों में इसके जंगली पौधे पाये जाते है। इस आधार पर इसका उत्पत्ति स्थल अफ्रीका को माना जाता है। सम्भवतया इस पौधें को अफ्रीका से ही एशिया में लाया गया है। दलहन प्रोटीन का एक सस्ता स्रोत है जिसको आम जनता भी खाने में प्रयोग कर सकती है, लेकिन भारत में इसका उत्पादन आवश्यकता के अनुरूप नहीं है। यदि प्रोटीन की उपलब्धता बढ़ानी है तो दलहनों का उत्पादन बढ़ाना होगा। इसके लिए उन्नतशील प्रजातियां और उनकी उन्नतशील कृषि विधियों का विकास करना होगा। अरहर एक विलक्षण गुण सम्पन्न फसल है। इसका उपयोग अन्य दलहनी फसलों की तुलना में दाल के रूप में सर्वाधिक किया जाता है। इसके अतिरिक्त इसकी हरी फलियां सब्जी के लिये, खली चूरी पशुओं के लिए रातव, हरी पत्ती चारा के लिये तथा तना ईंधन, झोपड़ी और टोकरी बनाने के काम लाया जाता है। इसके पौधों पर लाख के कीट का पालन करके लाख भी बनाई जाती है। मांस की तुलना में इसमें प्रोटीन भी अधिक (21-26 प्रतिशत) पाई जाती है। .

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अरुण शर्मा (असमिया साहित्यकार)

अरुण शर्मा (३ नवम्बर, १९३१) असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास आशीर्वादर रंग के लिये उन्हें सन् 1998 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। असमिया साहित्य में उनके योगदान की मान्यता में उन्हें 2010 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया। .

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अरुणाचल प्रदेश

अरुणाचल प्रदेश ('अरुणांचल' नहीं) भारत का एक उत्तर पूर्वी राज्य है। अरुणाचल का अर्थ हिन्दी मे "उगते सूर्य का पर्वत" है (अरूण + अचल; 'अचल' का अर्थ 'न चलने वाला' .

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अर्णव गोस्वामी

अर्णव गोस्वामी एक भारतीय पत्रकार हैं। वह "टाइम्स नाउ" नामक समाचार चैनल के एन्कर और मुख्य सम्पादक हैं। द न्यूज़ आवर, नामक सीधा प्रसारण होने वाले वाद-विवाद को वह एंकरिंग करते हैं, जो रविवार और शनिवार को छोड़कर प्रतिदिन रात ९ बजे आता है। वह एक विशेष टीवी कार्यक्रम की मेजबानी करते हैं जिस का नाम है 'फ्रेन्क्ली स्पीकिंग विद अरनब', जिस में प्रख्यात लोग शामिल होते हैं। उनको बहुत सारे पुरस्कार मिले हैं। अपनी पत्रकार क्षमताओं के लिये उन्होने बहुत सारी पुस्तकें भी लिखी हैं जैसे: कोमपेटीबल टेरिरिज़म, द लीगल चेलेनज आदि। .

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अरूपा पतंगीया कलिता

अरूपा पतंगीया कलिता असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी मरियम आस्टिन अथबा हीरा बरुआ के लिये उन्हें सन् 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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असम

असम या आसाम उत्तर पूर्वी भारत में एक राज्य है। असम अन्य उत्तर पूर्वी भारतीय राज्यों से घिरा हुआ है। असम भारत का एक सीमांत राज्य है जो चतुर्दिक, सुरम्य पर्वतश्रेणियों से घिरा है। यह भारत की पूर्वोत्तर सीमा २४° १' उ॰अ॰-२७° ५५' उ॰अ॰ तथा ८९° ४४' पू॰दे॰-९६° २' पू॰दे॰) पर स्थित है। संपूर्ण राज्य का क्षेत्रफल ७८,४६६ वर्ग कि॰मी॰ है। भारत - भूटान तथा भारत - बांग्लादेश सीमा कुछ भागो में असम से जुडी है। इस राज्य के उत्तर में अरुणाचल प्रदेश, पूर्व में नागालैंड तथा मणिपुर, दक्षिण में मिजोरम तथा मेघालय एवं पश्चिम में बंग्लादेश स्थित है। .

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असम बानी

असम बानी भारत में प्रकाशित होने वाला असमीया भाषा का एक समाचार पत्र (अखबार) है। .

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असम साहित्य सभा

'''असम साहित्य सभा''' का प्रतीक-चिह्न असम साहित्य सभा की स्थापना भारत के असम में सन् १९१७ में असमिया साहित्य एवं संस्कृति के अन्नयन के लिये की गयी थी। इस समय इसकी असम तथा अन्य राज्यों में एक हजार से भी अधिक शाखाएँ हैं। इसका मुख्यालय जोरहाट में है जो असम का ऐतिहासिक महत्व का नगर है। .

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असम के सूत्रधर

सूत्रधर (असमिया:সূত্ৰধৰ) या सुथार एक जातिगत समूह है जो मुख्यतः लकड़ी का कार्य (जैसे- लकड़ी काटना, घर और नाव आदि बनाना, लकड़ी के घरेलू सामान और कृषि उपकरण आदि बनाना) करते हैं। .

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असमर लोक–संस्कृति

असमर लोक–संस्कृति असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार बिरंचिकुमार बरुआ द्वारा रचित एक लोक–संस्कृति का अध्ययन है जिसके लिये उन्हें सन् 1964 में असमिया भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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असमिया चलचित्र

असमिया चलचित्र असमिया चलचित्र या असमिया सिनेमा, असमिया भाषा में बनाया गया चलचित्र है, जो मुख्य तौर पर असम (भारत) में देखा जाता है। इसकी शुरुआत १९३५ में ज्योतिप्रसाद आगरवाला द्वारा बनाई गई फिल्म जॉयमोती के साथ हुई।, IMDb.com.

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असमिया भाषा के कवियों की सूची

यहाँ असमिया भाषा के उल्लेखनीय कवियों की सूची दी गयी है। .

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असमिया भाषा की रोमियकरण

असमिया भाषा की रोमियकरण या आसामी भाषा की रोमियकरण है असमिया भाषा को रोमन लिपि में लिप्यांतरण करना। आसामी भाषा के लिए बहुत सी रोमियकरणों का उपयोग किया जाता है। .

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असमिया भाषा उन्नति साधिनी सभा

असमिया भाषा उन्नति साधिनी सभा (असमिया: অসমীয়া ভাষা উন্নতি সাধিনী সভা) असमी भाषा की एक संस्था थी जिसकी स्थापना २५ अगस्त १८८८ को हुई थी। यह असम साहित्य सभा की पूर्ववर्ती संस्था थी। इसके प्रथम महासचिव श्रीराम शर्मा बोरदोलोई थे। इस संस्था के निर्माण का उद्देश्य असमिया भाषा एवं साहित्य की उन्नति के लिए प्रयत्न करना था। इसी संस्था के प्रयासों के फलस्वरूप उस समय की असमिया बोली अपने वर्तमान स्वरूप को प्राप्त हो पायी। श्रेणी:असमिया भाषा.

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असमिया भाषियों की संख्या के आधार पर भारत के राज्यों की सूची

असमिया भाषियों की संख्या के आधार पर भारत के राज्यो की सूची जनसंख्या और प्रतिशत दोनों आधारित है। इसका संदर्भ भारत की २००१ के आधार पर है। इस सूची में वे राज्य है जहाँ पर असमिया भाषी लोग जनसंख्या का १% से अधिक हैं। सूची, असमिया भाषियों की संख्या के आधार पर भारत के राज्यों की सूची, असमिया भाषियों की संख्या के आधार पर भारत के राज्यों की.

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असमिया साहित्य

यद्यपि असमिया भाषा की उत्पत्ति १७वीं शताब्दी से मानी जाती है किंतु साहित्यिक अभिरुचियों का प्रदर्शन १३वीं शताब्दी में कंदलि के द्रोण पर्व (महाभारत) तथा कंदलि के रामायण से प्रारंभ हुआ। वैष्णवी आंदोलन ने प्रांतीय साहित्य को बल दिया। शंकर देव (१४४९-१५६८) ने अपनी लंबी जीवन-यात्रा में इस आंदोलन को स्वरचित काव्य, नाट्य व गीतों से जीवित रखा। असमिया के शिष्ट और लिखित साहित्य का इतिहास पाँच कालों में विभक्त किया जाता है.

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असमिया संस्कृति

असमिया संस्कृति अथवा असमिया लोक-संस्कृति एक मिली-जुली संस्कृति है। .

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असमिया जातीय जीवंत महापुरुषीय परंपरा

असमिया जातीय जीवंत महापुरुषीय परंपरा असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हीरेन गोहार्इं द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 1989 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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असमिया विकिपीडिया

असमिया विकिपीडिया विकिपीडिया का असमिया भाषा का संस्करण है। २८ मई, २००९ तक इस विकिपीडिया पर लेखों की संख्या १९९ है और यह विकिपीडिया का २२०वां सबसे बड़ा संस्करण है।.

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असमीया प्रतिदिन

असमीया प्रतिदिन भारत में प्रकाशित होने वाला असमीया भाषा का एक समाचार पत्र (अखबार) है। .

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असमीया रामायणी साहित्य

असमीया रामायणी साहित्य असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार केशदा महंत द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 2010 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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असमीया खबर

असमीया खबर भारत में प्रकाशित होने वाला असमीया भाषा का एक समाचार पत्र (अखबार) है। .

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अहोम

अहोम (Pron:, असमिया আহোম, Tai/Thai อาหม) लोग असम, भारत के वाशिंदे हैं। वे ताई जाति के वंशज हैं जो १२२० में अपने ताई राजकुमार चुकाफ़ा के साथ ब्रह्मपुत्र घाटी आये और छह सदियों तक इस क्षेत्र में अधिपत्य जमाया। चुकाफ़ा और उनके अनुयायियों ने असम में अहोम वंश की स्थापना की। चुकाफ़ा और उसे उत्तराधिकारियों ने अहोम साम्राज्य को ६ शताब्दी (१२२८-१८२६) तक चलाया और विस्तार किया। १८२६ में प्रथम एंग्लो-बर्मी युद्ध जीतने के बाद ब्रिटिश लोगों ने अहोम राजाओं के साथ यांडूबु संधि की और इस क्षेत्र में नियंत्रण स्थापित किया। आधुनिक अहोम लोग और उनकी संस्कृति मूलत: ताई संस्कृति, स्थानीय तिब्बती-बर्मी और हिंदू धर्म के एक समधर्मी मिश्रण हैं। चुकाफ़ा के ताई अनुयायियों जो अविवाहित थे, उनमे से अधिकतरों ने बाद में स्थानीय समुदायों में शादी की। कालक्रम में तिब्बती-बर्मी बोलने वाले बोराही सहित कई जातीय समूह पूरी तरह से अहोम समुदाय में सम्मिलित हो गए। अहोम साम्राज्य ने अन्य समुदायों के लोगों को भी उनकी प्रतिभा की उपयोगिता के लिए तथा उनकी निष्ठा के आधार पर अहोम सदस्य के रूप में स्वीकार किया। समय के साथ साथ अहोम लोगों ने हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति के अन्य पहलुओं को अपना लिया। साथ ही उन्होंने अहोम भाषा के बदले असमिया भाषा को अपनी बोल चाल की भाषा के रूप में अपना लिया। हालांकि अहोम आबादी के एक तिहाई लोग अभी भी प्राचीन ताई धर्म फुरलांग का पालन करते हैं। २०वीं शताब्दी के मध्य तक अहोम लोगों के पुरोहित और उच्च वर्ग के लगभग ४००-५०० लोग अहोम भाषा ही बोलते थे। परन्तु अब अहोम भाषा बोलने वाले नहीं या नाममात्र को रह गए हैं। अहोम जनगोष्ठी के लिए यह एक चिंतनीय विषय है। अब फिर से आम जनता के बीच फिर से ताई अहोम भाषा को पुनर्जीवित करने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए विभिन्न ताई अहोम संगठनों द्वारा ऊपरी असम में ताई स्कूलों की स्थापना की जा रही है और बच्चों को ताई भाषा पढने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। अनेकों ताई भाषा संस्थान जैसे- पी.

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अजित बरुवा

अजित बरुवा (অজিৎ বৰুৱা; १९ अगस्त १९२६ से ३ एप्रिल २०१५) एक कवि-सहित्यिक, अनुवादक और प्रशाशनिक विषया थे। ब्रह्मपुत्र इत्यादि कविता ग्रन्थ के लिए उन्हे सन १९८९ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (असमिया) मिला। १९६३ के जेंराइ कविता के लिए वे जनप्रिय हुए। इलियत की शैली असमीया कविताओ में लाकर वे एक प्रकार से असमीया कविता की बौद्धिकता वापस लाए। ३ एप्रिल २०१५ को ८९ साल की उम्र में वे परलोक सिधारे। .

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अघरी आत्मार काहिनी

अघरी आत्मार काहिनी असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार सैयद अब्दुल मलिक द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1972 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अगर (वृक्ष)

अगर (वानस्पतिक नाम: Aquilaria malaccensis) एक वृक्ष है। कागज के विकास के पहले इसके छाल का उपयोग ग्रन्थ लिखने के लिये होता था। भारत की विभिन्न भाषाओं में इसके नाम ये हैं-.

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अंबिकागिरि रायचौधुरी

अंबिकागिरि रायचौधुरी असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह बेदनार उल्का के लिये उन्हें सन् 1966 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अंगिका भाषा

अंगिका लगभग तीन करोड़लोगों की भाषा है जो बिहार के पूर्वी, उत्तरी व दक्षिणी भागों,झारखण्ड के उत्तर पूर्वी भागों और पं.

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अंगूरलता डेका

अंगूरलता डेका असमिया अभिनेत्री हैं जिन्हें मई २०१६ में विधायक के रूप में चुना गया है। .

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उत्तरी लखीमपुर

यह लेख उत्तरी लखीमपुर नगर के बारे में है, बहुविकल्पी अथवा अन्य उपयोग हेतु लखीमपुर देखें। उत्तरी लखीमपुर उत्तर-पूर्वी भारतीय राज्य असम के लखीमपुर ज़िले का एक नगर एवं नगरपालिका मण्डल है जो गुहाटी से लगभग उत्तर-पूर्व में स्थिति है। यह लखीमपुर ज़िले का मुख्यालय भी है। उत्तरी लखीमपुर लखीमपुर ज़िले का एक उप-प्रभाग भी है जहाँ उत्तरी लखीमपुर स्थित है। .

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65वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार

65वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार समारोह एक आगामी घटना है, जिसमें फ़िल्म समारोह निदेशालय द्वारा भारतीय सिनेमा में 2017 की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों का सम्मान करने के लिए वार्षिक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्रस्तुत किये जायेंगे। 13 अप्रैल 2018 को इन पुरस्कारों की घोषणा हुई, और पुरस्कार समारोह 3 मई 2018 को आयोजित किया जाएगा। .

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