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अवकल ज्यामिति

सूची अवकल ज्यामिति

एक अतिपरबलयाकार पैराबोल्वायड में स्थित एक त्रिभुज और दो अतिसमान्तर रेखाएँ अवकल ज्यामिति (Differential geometry) गणित की एक विधा (discipline) है जो कैलकुलस तथा रेखीय तथा बहुरेखीय बीजगणित (multilinear algebra) का उपयोग करके ज्यामितीय समस्याओं का अध्ययन करती है। इसमें उन तलों और बहुगुणों (मैनीफ़ोल्ड्स) के गुणों क अध्ययन किया जाता है जो अपने किसी अल्पांश (एलिमेंट) के समीप स्थित हों जैसे किसी वक्र अथवा तल के गुणों का अध्ययन, उसके किसी बिंदु के पड़ोस में। मापीय अवकल ज्यमिति का संबंध उन गुणों से है जिनमें नापने की क्रिया निहित हो। शास्त्रीय अवकल ज्यामिति में ऐसे वक्रों और तलों का अध्ययन किया जाता है जो त्रिविमीय यूक्लिडीय अवकाश (स्पेस) में स्थित हों। इसमें अवकल कलन (डिफ़रेंशियल कैल्क्युलस) और समाकलन (इनटेग्रल कैल्क्युलस) की विधियों का प्रयोग होता है; या यो कहिए कि इस विद्या में हम वक्रों और तलों के उन गुणों का अध्ययन करते हैं, जो त्रिविस्तारी गतियों में भी निश्चल (इनवैरियंट) रहते हैं। .

12 संबंधों: प्रदिश विश्लेषण, बर्नहार्ड रीमान, रीमानी ज्यामिति, साँचे:ज्यामिति, स्टोक्स प्रमेय, वर्णनात्मक ज्यामिति, विजय कुमार पटौदी, गणित, गॉस नामकरण, कलन, कार्ल फ्रेडरिक गाउस, अर्नेस्टो सिसैरा

प्रदिश विश्लेषण

आतानक विश्लेषण (टेंसर ऐनालिसिस) का मुख्य उद्देश्य ऐसे नियमों की रचना और अध्ययन है, जो साधारणतया सहचर (कोवैरिऐंट) रहते हैं, अर्थात् यदि हम नियामकों की एक संहति से दूसरी में जाएं तो ए नियम ज्यों के त्यों बने रहते हैं। इसीलिए अवकल ज्यामिति के लिए यह विषय महत्वपूर्ण है। इस विषय के पुराने विचारकों में गाउस, रीमान और क्रिस्टॉफ़ेल के नाम उल्लेखनीय हैं। किंतु इस विषय को व्यवस्थित रूप रिची और लेवी चिविता ने दिया। इन्होंने इस विषय का नाम बदलकर निरपेक्ष चलन कलन (ऐब्सोल्यूट डिफ़रेशियल कैल्कुलस) कर दिया। इस विषय का प्रयोग अनुप्रयक्त गणित की बहुत सी शाखाओं में होता है। .

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बर्नहार्ड रीमान

जॉर्ज फ्रेडरिक बर्नहार्ड रीमान (Georg Friedrich Bernhard Riemann; १७ सितम्बर १८२६ - २० जुलाई १८६६) एक प्रतिभाशाली जर्मन गणितज्ञ थे। उन्होंने विश्लेषण, संख्या सिद्धान्त और अवकल ज्यामिति के क्षेत्र में प्रभावी योगदान दिया जिसका उपयोग सामान्य आपेक्षिकता के विकास में भी किया गया। .

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रीमानी ज्यामिति

रीमानी ज्यामिति (Riemannian geometry) अवकल ज्यामिति की शाखा है जो रीमानी मैनिफोल्डों का अध्ययन करती है। .

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साँचे:ज्यामिति

श्रेणी:ज्यामिति साँचा.

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स्टोक्स प्रमेय

सदिश कैलकुलस और अवकल ज्यामिति में स्टोक्स का प्रमेय निम्नलिखित है- वास्तव में स्टोक्स प्रमेय, नीचे दिये गये केल्विन-स्टोक्स प्रमेय का विस्तृत सामान्यीकरण है- .

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वर्णनात्मक ज्यामिति

किसी त्रिविमीय वस्तु के चार अलग-अलग द्विविम निरूपण गैसपर्ड मांज ठोसों, तलों, रेखाओं और उनके प्रतिच्छेदों के परिमाण, आकार और स्थिति की दृष्टि से, यथार्थ रेखण को वर्णनात्मक ज्यामिति (Descriptive Geometry) कहते हैं। फ्रांसीसी गणितज्ञ और भौतिकविद्, गैसपर्ड मॉंज (Gaspard Monge), ने १८वीं शताब्दी के अंत में इस व्यावहारिक ज्यामिति का आविष्कार किया। सभी वास्तुनिर्माण और यांत्रिकी मानचित्रण का यह सैद्धांतिक आधार है और इसका उपयोग मशीनों, इमारतों, पुलों तथा जहाजों के नक्शे खींचने में, छाया के निरूपण में तथा गोलीय त्रिभुजों के आलेखीय हल में किया जाता है। इसके माध्यम से अभिकल्पी अपने विचार इस विद्या में निपुण राज और मिस्त्री को समझाता है। इसी लिये वर्णनात्मक ज्यामिति को इंजीनियर की सार्वदेशिक भाषा कहा गया है। वर्णात्मक ज्यामिति द्वारा पिंडों से संबंधित समस्या के हल में ये बातें आवश्यक हैं.

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विजय कुमार पटौदी

विजय कुमार पटौदी (12 मार्च, 1945 – 21 दिसम्बर, 1976) भारतीय गणितज्ञ थे जिन्होने अवकल ज्यामिति एवं संस्थितिविज्ञान (टोपोलोजी) के क्षेत्र में मूलभूत योगदान किया। वे टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान, मुम्बई में प्राध्यापक थे। एलिप्टिक ऑपरएटरों के लिये इण्डेक्स प्रमेय (Index Theorem) की सिद्धि के लिये ऊष्मा समीकरण की विधि का प्रयोग करने वाले वे प्रथम गणितज्ञ थे।.

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गणित

पुणे में आर्यभट की मूर्ति ४७६-५५० गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं। गणित एक अमूर्त या निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। गणित की कई शाखाएँ हैं: अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि। गणित में अभ्यस्त व्यक्ति या खोज करने वाले वैज्ञानिक को गणितज्ञ कहते हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ और दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार ‘‘गणित को एक ऐसे विषय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें हम जानते ही नहीं कि हम क्या कह रहे हैं, न ही हमें यह पता होता है कि जो हम कह रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं।’’ गणित कुछ अमूर्त धारणाओं एवं नियमों का संकलन मात्र ही नहीं है, बल्कि दैनंदिन जीवन का मूलाधार है। .

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गॉस नामकरण

कार्ल फ्रेडरिक गॉस (1777–1855) निम्नलिखित विषयों को नाम दिया अर्थात इनका नामकरण गॉस के नाम से किया गया। यहाँ 100 से भी अधिक विषय हैं जो जर्मन गणितज्ञ और वैज्ञानिक के नाम से नामित हैं, जो सभी गणित, भौतिक विज्ञान और खगोल शास्त्र के विषय हैं। .

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कलन

कलन (Calculus) गणित का प्रमुख क्षेत्र है जिसमें राशियों के परिवर्तन का गणितीय अध्ययन किया जाता है। इसकी दो मुख्य शाखाएँ हैं- अवकल गणित (डिफरेंशियल कैल्कुलस) तथा समाकलन गणित (इटीग्रल कैलकुलस)। कैलकुलस के ये दोनों शाखाएँ कलन के मूलभूत प्रमेय द्वारा परस्पर सम्बन्धित हैं। वर्तमान समय में विज्ञान, इंजीनियरी, अर्थशास्त्र आदि के क्षेत्र में कैल्कुलस का उपयोग किया जाता है। भारत में कैल्कुलस से सम्बन्धित कई कॉन्सेप्ट १४वीं शताब्दी में ही विकसित हो गये थे। किन्तु परम्परागत रूप से यही मान्यता है कि कैलकुलस का प्रयोग 17वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में आरंभ हुआ तथा आइजक न्यूटन तथा लैब्नीज इसके जनक थे। .

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कार्ल फ्रेडरिक गाउस

कार्ल फ्रेडरिक गॉस अथवा कार्ल फ्रेडरिक गाउस (Gauß,; Carolus Fridericus Gauss) (30 अप्रैल 177723 फ़रवरी 1855) एक जर्मन गणितज्ञ और भौतिक विज्ञानी थे जिन्होंने संख्या सिद्धान्त, बीजगणित, सांख्यिकी, गणितीय विश्लेषण, अवकल ज्यामिति, भूगणित, भूभौतिकी, वैद्युत स्थैतिकी, खगोल शास्त्र और प्रकाशिकी सहित कई क्षेत्रों में सार्थक रूप से योगदान दिया। गाउस को विद्युत के गणितीय सिद्धांत का संस्थापक कहा जाता है। विद्युत की चुंबकीय इकाई का 'गाउस' नाम उसी के नाम पर रखा गया है। कभी-कभी गाउस को गणित का राजकुमार भी कहा जाता है। गॉस का गणित और विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न क्षेत्रों में योगदान है और उनका योगदान इतिहास का सबसे प्रभावशाली योगदान रहा है। उन्होंने गणित को "विज्ञान की रानी" कहा है। जर्मनी के ब्रुंसविक नाम स्थान में एक ईंट चुननेवाले मेमार के घर उसका जन्म हुआ था। जन्म से ही उसमें गणति के प्रश्नों को तत्काल हल कर देने की क्षमता थी। उसकी इस प्रतिभा का पता जब ब्रुंसविक के ड्यूक को लगा तो उन्होंने उसे गटिंगन विश्वविद्यालय में अध्ययन करने की व्यवस्था कर दी। वहाँ विद्यार्थी जीवन में ही उसने अनेक गणितीय आविष्कार किए। जयामिति के माध्यम से उसने सिद्ध किया कि एक वृत्त सत्तरह समान आर्क में विभाजित हो सकता है। सिरेस नामक ग्रह के संबंध में उसने जो गणना की उसके कारण उसकी गणना खगोलशास्त्रियों में की जाती है। १८०७ ई० से मृत्यु पर्यंत वह गर्टिगन वेधशाला का निदेशक रहा। .

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अर्नेस्टो सिसैरा

अर्नेस्टो सिसैरा (Ernesto Cesàro; १२ मार्च १८५९ – १२ सितम्बर १९०६) इतालवी गणितज्ञ थे जिन्होंने अवकल ज्यामिति के क्षेत्र में कार्य किया। यह उनका सबसे महत्त्वपूर्ण योगदान था जिसका वर्णन उन्होंने ज्यामिति के बारिकियों पर १८९० में लिखी अपनी पुस्तक में किया था। इस कार्य में वक्रों का वर्णन भी समाहित जिन्हें आज सिसैरा के नाम से नामकरण किया जाता है। सिसैरा का जन्म नापोलि में हुआ। उन्हें अपसारी श्रेणी के संकलन के लिए अपनी औसत विधि के लिए जाना जाता है जिसे अब सिसैरा माध्य के नाम से भी जाना जाता है। .

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