सामग्री की तालिका
5 संबंधों: शेरलॉक होम्स, साहित्य दर्पण, सिनेकडकी, अलंकार शास्त्र, उपलक्षण।
शेरलॉक होम्स
शेरलॉक होम्स उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध और बीसवीं सदी के पूर्वार्ध का एक काल्पनिक चरित्र है, जो पहली बार 1887 में प्रकाशन में उभरा। वह ब्रिटिश लेखक और चिकित्सक सर आर्थर कॉनन डॉयल की उपज है। लंदन का एक प्रतिभावान 'परामर्शदाता जासूस ", होम्स अपनी बौद्धिक कुशलता के लिए मशहूर है और मुश्किल मामलों को सुलझाने के लिए अपने चतुर अवलोकन, अनुमिति तर्क और निष्कर्ष के कुशल उपयोग के लिए प्रसिद्ध है। कोनन डॉयल ने चार उपन्यास और छप्पन लघु कथाएं लिखी हैं जिसमें होम्स को चित्रित किया गया है। पहली दो कथाएं (लघु उपन्यास) क्रमशः 1887 में बीटन्स क्रिसमस ऐनुअल में और 1890 में लिपिनकॉट्स मंथली मैग्जीन में आईं.
देखें अलंकार (साहित्य) और शेरलॉक होम्स
साहित्य दर्पण
साहित्य दर्पण संस्कृत भाषा में लिखा गया साहित्य विषयक ग्रन्थ है जिसके लेखक पण्डित विश्वनाथ हैं। विश्वनाथ का समय 14वीं शताब्दी ठहराया जाता है। मम्मट के काव्यप्रकाश के समान ही साहित्यदर्पण भी साहित्यालोचना का एक प्रमुख ग्रन्थ है। काव्य के श्रव्य एवं दृश्य दोनों प्रभेदों के संबंध में इस ग्रन्थ में विचारों की विस्तृत अभिव्यक्ति हुई है। इसक विभाजन 10 परिच्छेदों में है। .
देखें अलंकार (साहित्य) और साहित्य दर्पण
सिनेकडकी
सिनेकडकी (Synecdoche) भाषा-प्रयोग में एक विशेष प्रकार का मेटोनमी अलंकार (किसी चीज़ को किसी अन्य चीज़ के नाम से बुलाना) होता है जिसमें किसी वस्तु के एक भाग या अंग के नाम को पूरी वस्तु के लिए प्रयोग किया जाता है। मसलन अगर किसी गाने में अपनी प्रेमिका की प्रतीक्षा कर रहा प्रेमी कहे कि 'तरसती निगाहें इंतज़ार कर रहीं हैं' तो यह सिनेकडकी है। वास्तव में पूरा व्यक्ति (प्रेमी) ही तरस रहा है लेकिन क्योंकि वह प्रेमिका के आने की सूचना अपनी आँखों से पाएगा इसलिए केवल उन्हें 'तरसती निगाहें' कहता है। इसी तरह अगर किसी को अपने घर में चार लोगों के लिए कमाना हो तो वह कह सकता है कि उसे 'चार पेट' पालने हैं। एक और उदाहरण किसी कमरे में खिड़की खुलवाने के लिए 'शीशा खोल दो' कहना है, हालांकि खिड़की के खोले जाने वाले भाग में शीशे के साथ-साथ अक्सर लोहा या लकड़ी भी लगी होती है। .
देखें अलंकार (साहित्य) और सिनेकडकी
अलंकार शास्त्र
संस्कृत आलोचना के अनेक अभिधानों में अलंकारशास्त्र ही नितांत लोकप्रिय अभिधान है। इसके प्राचीन नामों में क्रियाकलाप (क्रिया काव्यग्रंथ; कल्प विधान) वात्स्यायन द्वारा निर्दिष्ट 64 कलाओं में से अन्यतम है। राजशेखर द्वारा उल्लिखित "साहित्य विद्या" नामकरण काव्य की भारतीय कल्पना के ऊपर आश्रित है, परंतु ये नामकरण प्रसिद्ध नहीं हो सके। "अलंकारशास्त्र" में अलंकार शब्द का प्रयोग व्यापक तथा संकीर्ण दोनों अर्थों में समझना चाहिए। अलंकार के दो अर्थ मान्य हैं -.
देखें अलंकार (साहित्य) और अलंकार शास्त्र
उपलक्षण
उपलक्षण, व्याकरणशास्त्र में ऐसे अलंकार को कहते हैं जिसमें किसी चीज़ को उसके अपने नाम से बुलाया जाने कि बजाय उस से सम्बंधित किसी लक्षण या अन्य चीज़ के नाम से बुलाया जाय। उदाहरण के लिए हिन्दी में 'रामपुर' या 'रामपुरी' का मतलब एक लम्बे प्रकार का चाक़ू को कहा जाता है, क्योंकि इस क़िस्म के छुरे अक्सर उत्तर प्रदेश के रामपुर शहर से आया करते हैं। इसी तरह कभी-कभी भारत की केन्द्रीय सरकार को समाचारों में 'दिल्ली' कह दिया जाता है क्योंकि उसका मुख्यालय उस शहर में है, मसलन 'बंगाल सरकार यह क़दम उठाना चाहती है पर दिल्ली ने इसपर आपत्ति जतलाई है'।, Julie Singer, pp.