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अर्धचालक युक्ति

सूची अर्धचालक युक्ति

अर्धचालक युक्तियाँ (Semiconductor devices) उन एलेक्ट्रानिक अवयवों को कहते हैं जो अर्धचालक पदार्थों के गुण-धर्मों का उपयोग करके बनाये जाते हैं। सिलिकॉन, जर्मेनियम और गैलिअम आर्सेनाइड मुख्य अर्धचालक पदार्थ हैं। अधिकांश अनुप्रयोगों में अब उन सभी स्थानों पर अर्धचालक युक्तियाँ प्रयोग की जाने लगी हैं जहाँ पहले उष्मायनिक युक्तियाँ (निर्वात ट्यूब) प्रयोग की जाती थीं। अर्धचालक युक्तियाँ, ठोस अवस्था में एलेक्ट्रानिक संचलन पर आधारित हैं जबकि ट्यूब युक्तियाँ उच्चा निर्वात या गैसीय अवस्था में उष्मायनों के चालन पर आधारित थीं। निर्माण के आधार पर अर्धचालक युक्तियाँ मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं - अकेली युक्तियाँ और एकीकृत परिपथ (IC) .

सामग्री की तालिका

  1. 14 संबंधों: ऊष्मातापी, ट्रांजिस्टर, धनात्मक पुनःभरण, निक्षारण, नैनोप्रौद्योगिकी, पदार्थ विज्ञान, सूचना प्रौद्योगिकी, सीमेंस एजी, जॉर्ज ई स्मिथ, आयन रोपण, इलेक्ट्रॉन किरण अश्मलेखन, अबाधित विद्युत आपूर्ति, अर्धचालक उत्पादन, अवलोकन टनलिंग सूक्ष्मदर्शी यंत्र

ऊष्मातापी

हनीवेल का स्तुत्य "द राउंड" मॉडल T87 थर्मोस्टैट, जिनमें से एक स्मिथसोनियन में है। लक्स उत्पाद का मॉडल TX900TS टच स्क्रीन थर्मोस्टैट.

देखें अर्धचालक युक्ति और ऊष्मातापी

ट्रांजिस्टर

अलग-अलग रेटिंग के कुछ प्रथनक ट्रान्जिस्टर (प्रथनक) एक अर्धचालक युक्ति है जिसे मुख्यतः प्रवर्धक (Amplifier) के रूप में प्रयोग किया जाता है। कुछ लोग इसे बीसवीं शताब्दी की सबसे महत्वपूर्ण खोज मानते हैं। ट्रान्जिस्टर का उपयोग अनेक प्रकार से होता है। इसे प्रवर्धक, स्विच, वोल्टेज नियामक (रेगुलेटर), संकेत न्यूनाधिक (सिग्नल माडुलेटर), थरथरानवाला (आसिलेटर) आदि के रूप में काम में लाया जाता है। पहले जो कार्य ट्रायोड या त्रयाग्र से किये जाते थे वे अधिकांशत: अब ट्रान्जिस्टर के द्वारा किये जाते हैं। .

देखें अर्धचालक युक्ति और ट्रांजिस्टर

धनात्मक पुनःभरण

यदि किसी प्रणाली में धनात्मक पुनःभरण (positive feedback) का गुण मौजूद होता है तो ऐसा तंत्र उसके इनपुट पर आने वाले ब्याघातों (डिस्टर्बैंसेस) के आयाम को और भी अधिक बड़ा बना देते हैं। दूसरे शब्दों में 'क' के कारण अधिक 'ख' उत्पन्न होता है जो और अधिक 'क' को उत्पन्न करता है और वृद्धि का यह क्रम तब तक जारी रहता है जब तक प्रणाली में किसी कारण 'तृप्ति' (सैचुरेशन) न आ जाय। धनात्मक पुनर्भरण का उल्टा 'ऋणात्मक पुनर्भरण' होता है। ऋणात्मक पुनर्भरण से युक्त प्रणाली के इन्पुट पर किसी कारण से कोई संकेत आ जाय तो यह प्रणाली इस तरह व्यवहार करती है कि इनपुट और भी कम हो जाता है। धनात्मक पुनर्भरण के परिणामस्वरूप प्रणाली के कम्पन (oscillations) की इक्सपोनेंशियल वृद्धि होती है। अन्त में प्रायः सभी प्रणालियाँ अरैखिक क्षेत्र (non-linear region) में पहुँच जाती हैं और 'गेन' की कमी के कारण प्रणाली अन्ततः स्थिर (स्टेबल) हो जाती है या इसके पहले ही प्रणाली नष्ट हो जाती है। धनात्मक पुनर्भरण युक्त प्रणाली अन्ततः किसी स्थिर अवस्था में पहुँचकर उसमें 'लैच' (तालाबन्द) हो सकती है। कई जगह धनात्मक पुनर्भरण का उपयोग से इष्ट परिणाम प्राप्त किये जाते हैं। डिजिटल इलेक्ट्रानिकी में धनात्मक पुनर्भरण के द्वारा लॉगिक परिपथों के आउटपुट को 'बीच के वोल्टेज' से दूर भगाकर '1' या '0' की ओर धकेल दिया जाता है। दूसरी तरफ अर्धचालक युक्तियों में 'थर्मल रन-अवे' की समस्या भी धनात्मक पुनर्भरण का ही एक रूप है जिसके कारण युक्तियाँ गरम होकर नष्ट हो जाती हैं। रासायनिक अभिक्रियाओं में धनात्मक पुनर्भरण की स्थिति आने पर अभिक्रिया बहुत तेज गति के बढ़ती है जिससे कुछ स्थितियों में विस्फोट भी हो सकता है। यांत्रिक डिजाइनों में धनात्मक पुनर्भरण के कारण 'टिपिंग प्वाइंट' की स्थिति निर्मित हो सकती है। किसी पुल के कम्पन में धनात्मक पुनर्भरण आ जाय तो वह ढह सकता है। आर्थिक प्रणाली में धनात्मक पुनर्भरण से 'तेजी' (बूम) के बाद 'मंदी' (बस्ट) और फिर 'तेजी' की स्थिति देखी जा सकती है। .

देखें अर्धचालक युक्ति और धनात्मक पुनःभरण

निक्षारण

सैनिक और उसकी पत्नी.डैनियल हूफर की एचिंग, जिनके बारे में माना जाता है कि मुद्रण में इस तकनीक का इस्तेमाल करने वाले वे पहले व्यक्ति थे धातु में बनी आकृति में एक डिजाइन तैयार करने के लिए किसी धातु की सतह के अरक्षित हिस्सों की कटाई के लिए तीव्र एसिड या मॉरडेंट का इस्तेमाल करने की प्रक्रिया को निक्षारण (etching/एचिंग) कहते हैं (यह मूल प्रक्रिया थी; आधुनिक निर्माण प्रक्रिया में अन्य प्रकार की सामग्रियों पर अन्य रसायनों का इस्तेमाल किया जा सकता है).

देखें अर्धचालक युक्ति और निक्षारण

नैनोप्रौद्योगिकी

नैनोतकनीक या नैनोप्रौद्योगिकी, व्यावहारिक विज्ञान के क्षेत्र में, १ से १०० नैनो (अर्थात 10−9 m) स्केल में प्रयुक्त और अध्ययन की जाने वाली सभी तकनीकों और सम्बन्धित विज्ञान का समूह है। नैनोतकनीक में इस सीमा के अन्दर जालसाजी के लिये विस्तृत रूप में अंतर-अनुशासनात्मक क्षेत्रों, जैसे व्यावहारिक भौतिकी, पदार्थ विज्ञान, अर्धचालक भौतिकी, विशाल अणुकणिका रसायन शास्त्र (जो रासायन शास्त्र के क्षेत्र में अणुओं के गैर कोवलेन्त प्रभाव पर केन्द्रित है), स्वयमानुलिपिक मशीनएं और रोबोटिक्स, रसायनिक अभियांत्रिकी, याँत्रिक अभियाँत्रिकी और वैद्युत अभियाँत्रिकी.

देखें अर्धचालक युक्ति और नैनोप्रौद्योगिकी

पदार्थ विज्ञान

पदार्थ विज्ञान एक बहुविषयक क्षेत्र है जिसमें पदार्थ के विभिन्न गुणों का अध्ययन, विज्ञान एवं तकनीकी के विभिन्न क्षेत्रों में इसके प्रयोग का अध्ययन किया जाता है। इसमें प्रायोगिक भौतिक विज्ञान और रसायनशास्त्र के साथ-साथ रासायनिक, वैद्युत, यांत्रिक और धातुकर्म अभियांत्रिकी जैसे विषयों का समावेश होता है। नैनोतकनीकी और नैनोसाइंस में उपयोजता के कारण, वर्तमान समय में विभिन्न विश्वविद्यालयों, प्रयोगशालाओं और संस्थानों में इसे काफी महत्व मिला है। .

देखें अर्धचालक युक्ति और पदार्थ विज्ञान

सूचना प्रौद्योगिकी

२००५ में विश्व के विभिन्न देशों में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी पर व्यय राशि (यूएसए की तुलना में) सूचना प्रौद्योगिकी (en:information technology) आंकड़ों की प्राप्ति, सूचना (इंफार्मेशन) संग्रह, सुरक्षा, परिवर्तन, आदान-प्रदान, अध्ययन, डिजाइन आदि कार्यों तथा इन कार्यों के निष्पादन के लिये आवश्यक कंप्यूटर हार्डवेयर एवं साफ्टवेयर अनुप्रयोगों से सम्बन्धित है। सूचना प्रौद्योगिकी कंप्यूटर पर आधारित सूचना-प्रणाली का आधार है। सूचना प्रौद्योगिकी, वर्तमान समय में वाणिज्य और व्यापार का अभिन्न अंग बन गयी है। संचार क्रान्ति के फलस्वरूप अब इलेक्ट्रानिक संचार को भी सूचना प्रौद्योगिकी का एक प्रमुख घटक माना जाने लगा है और इसे सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (Information and Communication Technology, ICT) भी कहा जाता है। एक उद्योग के तौर पर यह एक उभरता हुआ क्षेत्र है। .

देखें अर्धचालक युक्ति और सूचना प्रौद्योगिकी

सीमेंस एजी

बुल्गारिया के सारस्का बिस्त्रित्सा पैलेस में 1912 में निर्मित एवं स्थापित सीमेंस एजी (Siemens AG) का 170 किलोवाट कार्यशील पनबिजली जेनरेटर सीमेंस एजी (Siemens AG) यूरोप में सबसे बड़ा जर्मन इंजीनियरिंग समूह है। सीमेंस (Siemens) के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय बर्लिन, म्यूनिख और जर्मनी के अरलैंगेन में स्थित हैं। कंपनी का कारोबार कुल मिलाकर 15 प्रभागों सहित तीन मुख्य व्यावसायिक क्षेत्रों में फैला है: उद्योग, ऊर्जा और हेल्थकेयर.

देखें अर्धचालक युक्ति और सीमेंस एजी

जॉर्ज ई स्मिथ

जॉर्ज एल्वुड स्मिथ जॉर्ज एल्वुड स्मिथ (जन्म- 10 मई 1930) एक अमेरिकन वैज्ञानिक हैं। जो कि आवेश-युग्मित युक्ति (चार्ज कपल्ड डिवाइज़, या सीसीडी) के सह-आविष्कर्ता हैं। उन्हें 2009 के भौतिकी के नोबेल पुरस्कार के एक चतुर्थांश से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार उन्हें "एक छविकारी अर्धचालक परिपथ अर्थात् सीसीडी संवेदक के आविष्कार" के लिए दिया गया है। स्मिथ का जन्म व्हाइट प्लेन्स, न्यू यॉर्क में हुआ। उन्होंने सं.रा.

देखें अर्धचालक युक्ति और जॉर्ज ई स्मिथ

आयन रोपण

आयन रोपण का योजनामूलक चित्र आयन रोपण (Ion implantation), पदार्थ इंजीनियरी का एक प्रक्रम है जिसमें किसी पदार्थ के आयनों को विद्युत क्षेत्र की सहायता से त्वरित करते हुए किसी दूसरे ठोस पदार्थ पर टकराया जाता है। इस प्रकार के टक्कर के कारण उस पदार्थ के भौतिक, रासायनिक एवं वैद्युत गुण बदल जाते हैं। आयन रोपण का उपयोग अर्धचालक युक्तियों के निर्माण (जैसे आईसी निर्माण) में किया जाता है। इसके अलावा इसका उपयोग धातु परिष्करण (मेटल फिनिशिंग) एवं पदार्थ विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान में किया जाता है। श्रेणी:पदार्थ विज्ञान श्रेणी:अर्धचालक युक्ति निर्माण.

देखें अर्धचालक युक्ति और आयन रोपण

इलेक्ट्रॉन किरण अश्मलेखन

इलेक्ट्रॉन किरण अश्मलेखन (e-beam lithography) एक ऐसी पक्रिया है जिसमें इलेक्ट्रानों के किरण पुंज को रैसिस्ट से लिपे सतह पर एक सांचे (पैटर्न) के अनुसार क्रमवीक्षित (स्कैन) किया जाता है। इसका प्रमुख लाभ यह है कि इसकी सहायता से दृष्य प्रकाश के विवर्तन सीमा को लांघना सम्भव हो पाता है। जिससे नैनोमीटर स्तर तक के गुणादि (फीचर) देखे जा सकते हैं, अन्यथा यह सम्भव नहीं होता | प्रकाशिक अश्मलेखन में प्रयुक्त होने वाली मास्क के निर्माण में, कम मात्रा में अर्धचालक युक्तिओं के उत्पादन में तथा अनुसंधान और विकास में इसका प्रचुर मात्रा में उपयोग होने लगा है। .

देखें अर्धचालक युक्ति और इलेक्ट्रॉन किरण अश्मलेखन

अबाधित विद्युत आपूर्ति

अबाधित विद्युत आपूर्ति (अंग्रेज़ी:Uninterruptible power supply) या यूपीएस एक ऐसा उपकरण होता है जो विद्युत से चलने वाले किसी उपकरण को उस स्थिति में भी सीमित समय के लिये विद्युत की समुचित आपूर्ति सुनिश्चित करता है जब आपूर्ति के मुख्य स्रोत (मेन्स) से विद्युत आपूति उपलब्ध नहीं होती। यूपीएस कई प्रकार के बनाये जाते हैं और सीमित समय के लिये आपूर्ति उपलब्ध कराने के अलावा ये कुछ और भी काम कर सकते हैं - जैसे वोल्टता-नियंत्रण, आवृत्ति-नियंत्रण, शक्ति गुणांक वर्धन एवं उसकी गुणवत्ता को बेहतर करके उपकरण को देना, आदि। यूपीएस में उर्जा-संचय करने का कोई एक साधन होता है, जैसे बैटरी, तेज गति से चालित फ्लाईह्वील, आवेशित किया हुआ संधारित्र या एक अतिचालक कुण्डली में प्रवाहित अत्यधिक धारा। यूपीएस, सहायक ऊर्जा-स्रोत जैसे- स्टैण्ड-बाई जनरेटर आदि से इस मामले में भिन्न हैं कि विद्युत जाने पर वे सम्बन्धित उपकरण को मिलने वाली विद्युत में नगण्य समय के लिये व्यवधान करते हैं जिससे उस उपकरण के काम में बाधा या रूकावट नहीं आती।|हिन्दुस्तान लाइव। २७ जनवरी २०१०। पूनम जैन यूपीएस का उपयोग कम्प्यूटरों, आंकड़ा केन्द्र, संचार उपकरणों, आदि के साथ प्राय: किया जाता है जहाँ कि विद्युत जाने से कोई दुर्घटना हो सकती है; महत्त्वपूर्ण आंकड़े नष्ट होने का डर हो; व्यापार का नुकसान आदि हो सकता हो। .

देखें अर्धचालक युक्ति और अबाधित विद्युत आपूर्ति

अर्धचालक उत्पादन

सिलिकॉन का एकाकी क्रिस्टल (मोनोक्रिस्टल) जिससे विभिन्न प्रकार की अर्धचालक युक्तियों का निर्माण होता है। जटिल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में सभी जगह प्रयुक्त अर्धचालक युक्तियों (जैसे आईसी)को बनाने की प्रक्रिया को अर्धचालक उत्पादन या निर्माण कहते हैं। इसके अन्तर्गत सैकड़ों चरण (स्टेप) हैं जिनके द्वारा अर्धचालक पदार्थ के एक वेफर पर इलेक्ट्रानिक परिपथ निर्मित किया जाता है। वैसे तो इलेक्ट्रानिक युक्तियों के निर्माण के लिये अनेकों पदार्थ प्रयोग किये जाते हैं किन्तु अधिकांशतः सिलिकॉन ही इसके लिये प्रयुक्त होता है। आदि से अन्त तक सम्पूर्ण प्रक्रिया में ६ से ८ सप्ताह लगते हैं। .

देखें अर्धचालक युक्ति और अर्धचालक उत्पादन

अवलोकन टनलिंग सूक्ष्मदर्शी यंत्र

(100) आणुविक स्तर पर सतहों को देखने के लिये अवलोकन टनलिंग सूक्ष्मदर्शी यंत्र (अंगरेजी में.

देखें अर्धचालक युक्ति और अवलोकन टनलिंग सूक्ष्मदर्शी यंत्र