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अभयारण्य

सूची अभयारण्य

अभयारण्य का अर्थ है अभय + अरण्य। अर्थात अभय घूम सकें जानवर, ऐसा अरण्य या वन। सरकार अथवा किसी अन्य संस्था द्वारा संरक्षित वन, पशु-विहार या पक्षी विहार को अभयारण्य कहते हैं। इनका उद्देश्य पशु, पक्षी या वन संपदा को संरक्षित करना, उसका विकास करना व शिक्षा तथा अनुसंधान के क्षेत्र में उसकी मदद लेना होता है। .

32 संबंधों: चण्डीगढ़, झारखण्ड, देहरादून जिला, नेतरहाट, नोंगखाइलेम वन्य जीवन अभयारण्य, पलामू, प्रतापगढ़, राजस्थान, बिनसर, बिलगिरि रंगन पर्वतमाला, ब्रह्मगिरि, भारत के अभयारण्य, भोपाल, महाराणा प्रताप सागर, मानस राष्ट्रीय उद्यान, रातापानी बाघ अभयारण्य, लखनऊ, सिपाहीजोला वन्य जीवन अभयारण्य, स्टर्लिंग किला, सीता माता वन्यजीव अभयारण्य, जलदापाड़ा राष्ट्रीय उद्यान, घुड़खर, घुड़खर अभयारण्य, विलियम लॉंगचैम्प, खरमोर, गोडावण, कर्नाटक, कर्नाटक में पर्यटन, कावर झील, कुकरैल संरक्षित वन, कोयना वन्यजीव अभयारण्य, उत्तर प्रदेश, छोटा नागपुर पठार

चण्डीगढ़

चण्डीगढ़, (पंजाबी: ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ), भारत का एक केन्द्र शासित प्रदेश है, जो दो भारतीय राज्यों, पंजाब और हरियाणा की राजधानी भी है। इसके नाम का अर्थ है चण्डी का किला। यह हिन्दू देवी दुर्गा के एक रूप चण्डिका या चण्डी के एक मंदिर के कारण पड़ा है। यह मंदिर आज भी शहर में स्थित है। इसे सिटी ब्यूटीफुल भी कहा जाता है। चंडीगढ़ राजधानी क्षेत्र में मोहाली, पंचकुला और ज़ीरकपुर आते हैं, जिनकी २००१ की जनगणना के अनुसार जनसंख्या ११६५१११ (१ करोड़ १६ लाख) है। भारत की लोकसभा में प्रतिनिधित्व हेतु चण्डीगढ़ के लिए एक सीट आवण्टित है। वर्तमान सोलहवीं लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी की श्रीमति किरण खेर यहाँ से साँसद हैं। इस शहर का नामकरण दुर्गा के एक रूप ‘चंडिका’ के कारण हुआ है और चंडी का मंदिर आज भी इस शहर की धार्मिक पहचान है। नवोदय टाइम्स इस शहर के निर्माण में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की भी निजी रुचि रही है, जिन्होंने नए राष्ट्र के आधुनिक प्रगतिशील दृष्टिकोण के रूप में चंडीगढ़ को देखते हुए इसे राष्ट्र के भविष्य में विश्वास का प्रतीक बताया था। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शहरी योजनाबद्धता और वास्तु-स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध यह शहर आधुनिक भारत का प्रथम योजनाबद्ध शहर है।, चंडीगढ़ के मुख्य वास्तुकार फ्रांसीसी वास्तुकार ली कार्बूजियर हैं, लेकिन शहर में पियरे जिएन्नरेट, मैथ्यु नोविकी एवं अल्बर्ट मेयर के बहुत से अद्भुत वास्तु नमूने देखे जा सकते हैं। शहर का भारत के समृद्ध राज्यों और संघ शसित प्रदेशों की सूची में अग्रणी नाम आता है, जिसकी प्रति व्यक्ति आय ९९,२६२ रु (वर्तमान मूल्य अनुसार) एवं स्थिर मूल्य अनुसार ७०,३६१ (२००६-०७) रु है। .

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झारखण्ड

झारखण्ड यानी 'झार' या 'झाड़' जो स्थानीय रूप में वन का पर्याय है और 'खण्ड' यानी टुकड़े से मिलकर बना है। अपने नाम के अनुरुप यह मूलतः एक वन प्रदेश है जो झारखंड आंदोलन के फलस्वरूप सृजित हुआ। प्रचुर मात्रा में खनिज की उपलबध्ता के कारण इसे भारत का 'रूर' भी कहा जाता है जो जर्मनी में खनिज-प्रदेश के नाम से विख्यात है। 1930 के आसपास गठित आदिवासी महासभा ने जयपाल सिंह मुंडा की अगुआई में अलग ‘झारखंड’ का सपना देखा.

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देहरादून जिला

यह लेख देहरादून जिले के विषय में है। नगर हेतु देखें देहरादून। देहरादून, भारत के उत्तराखंड राज्य की राजधानी है इसका मुख्यालय देहरादून नगर में है। इस जिले में ६ तहसीलें, ६ सामुदायिक विकास खंड, १७ शहर और ७६४ आबाद गाँव हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ १८ गाँव ऐसे भी हैं जहाँ कोई नहीं रहता। देश की राजधानी से २३० किलोमीटर दूर स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर यह नगर अनेक प्रसिद्ध शिक्षा संस्थानों के कारण भी जाना जाता है। यहाँ तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग, सर्वे ऑफ इंडिया, भारतीय पेट्रोलियम संस्थान आदि जैसे कई राष्ट्रीय संस्थान स्थित हैं। देहरादून में वन अनुसंधान संस्थान, भारतीय राष्ट्रीय मिलिटरी कालेज और इंडियन मिलिटरी एकेडमी जैसे कई शिक्षण संस्थान हैं। यह एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। अपनी सुंदर दृश्यवाली के कारण देहरादून पर्यटकों, तीर्थयात्रियों और विभिन्न क्षेत्र के उत्साही व्यक्तियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। विशिष्ट बासमती चावल, चाय और लीची के बाग इसकी प्रसिद्धि को और बढ़ाते हैं तथा शहर को सुंदरता प्रदान करते हैं। देहरादून दो शब्दों देहरा और दून से मिलकर बना है। इसमें देहरा शब्द को डेरा का अपभ्रंश माना गया है। जब सिख गुरु हर राय के पुत्र रामराय इस क्षेत्र में आए तो अपने तथा अनुयायियों के रहने के लिए उन्होंने यहाँ अपना डेरा स्थापित किया। www.sikhiwiki.org.

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नेतरहाट

नेतरहाट झारखंड राज्य में स्थित एक पहाड़ी पर्यटन-स्थल है। यह लातेहार जिला में आता है। यह समुद्र सतह से 3622 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। रांची से यह करीब १५० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। प्रकृति ने इसे बहुत ही खूबसूरती से संवारा है। यहाँ पर लोग सूर्योदय व सूर्यास्त देखने आते हैं। यह नजारा नेतरहाट से करीब १० किमी की दूरी पर आकर्षक ढंग से देखा जा सकता है। इसके अलावा यहाँ घाघरी एवं लोअर घाघरी नमक दो छोटे-छोटे जलप्रपात भी हैं, जो प्रसिद्ध स्थल हैं। 'छोटा नागपुर की रानी' के नाम से प्रसिद्ध नेतरहाट झारखंड की राजधानी रांची से 156 किमी पश्चिम में लातेहार जिले में स्थित है। समुद तल से 3700 फीट की उंचाई पर स्थित नेतरहाट में गर्मी के मौसम में पर्यटकों की भारी भीड़ रहती है। वैसे तो सालो भर यहां ढंड का मौसम बना रहता है। यहां का सूर्योदय और सूर्यास्‍त देखने के लिए भी लोग आते है। घने जंगल के बीच बसे इस जगह की प्राकृतिक सुन्‍दरता देखते ही बनती है। पर्यटक यहां आने पर प्रसिद्व नेतरहाट विद्यालय, लोध झरना, उपरी घाघरी झरना तथा निचली घाघरी झरना देखना नही भूलते है। झारखंड का दूसरा सबसे बड़ा फाल बरहा घाघ (466 फुट) नेतरहाट के पास ही है। नेतरहाट में वन विभाग की अनुमति के साथ शूटिंग भी किया जाता है। यहाँ कुछ भागों में बाघ बहुतों की संख्या में है। नेतरहाट के विकास के साथ यहाँ पर्यटक, शिकारी काफी आकर्षित हो रहे हैं। नेतरहाट एक बहुत महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। .

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नोंगखाइलेम वन्य जीवन अभयारण्य

नोंगखाईलेम वन्य जीवन अभयारण्य मेघालय राज्य के री भोई जिले में लाईलाड ग्राम के निकट स्थित एक अभयारण्य है। यह पूर्वोत्तर भारत के सबसे सुन्दर एवं लोकप्रिय अभयारण्यों में से एक है। इसका विस्तार २९ किमी के क्षेत्र में है और यह यहां के पर्यटक गंतव्यों में अत्यन्त प्रसिद्ध स्थान है। यहां के वन्य जीवन में विविध प्रकार के पशु एवं पक्षी हैं जिनमें स्तनधारियों, एवियन, कृंतक, सरीसृप और कई अन्य प्रजातियां दिखाई देती हैं। वन्य जीवन के अलावा यहां का वन प्रदेश हरियाली एवं पादपों की ढेरों प्रजातियों से भी परिपूर्ण है। क्षेत्र के सबसे नीचे भूभाग लाइलाड ग्राम के निकट हैं जो सागर सतह से मात्र २०० मी पर स्थित हैं जबकि सबसे ऊंचे भाग पूर्वी एवं दक्षिणी हैं जिनकी अधिकतम ऊंचाई ९५० मी तक भी है। इस क्षेत्र को १९८१ मेंअभयारण्य घोषित किया गया था। .

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पलामू

पलामू भारत में झारखंड प्रान्त का एक जिला है। इसका ज़िला मुख्यालय मेदनीनगर है। पहले यह डाल्टनगंज के नाम से जाना जाता था लेकिन आनंदमार्ग के लक्ष्मण सिंह, बैद्यनाछ साहू, युगलकिशोर सिंह, विश्वनाथ सिंह जैसे लोगों ने लंबे समय तक आंदोलन किया और शहर का नाम मेदनीनगर किया गया। यहां के राजनीतिज्ञों में इंदर सिंह नामधारी, ज्ञानचंद पांडेय, शैलेंद्र, केडी सिंह आदि मुख्य हैं। पत्रकारों में आलोक प्रकाश पुतुल ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता हासिल की है। अन्य पत्रकारों में रामेश्वरम, गोकुल बंसंत, फैयाज अहमद, उपेन्द्र नाथ पान्देय आदि शामिल हैं। .

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प्रतापगढ़, राजस्थान

प्रतापगढ़, क्षेत्रफल में भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान के ३३वें जिले प्रतापगढ़ जिले का मुख्यालय है। प्राकृतिक संपदा का धनी कभी इसे 'कान्ठल प्रदेश' कहा गया। यह नया जिला अपने कुछ प्राचीन और पौराणिक सन्दर्भों से जुड़े स्थानों के लिए दर्शनीय है, यद्यपि इसके सुविचारित विकास के लिए वन विभाग और पर्यटन विभाग ने कोई बहुत उल्लेखनीय योगदान अब तक नहीं किया है। .

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बिनसर

बिनसर उत्तरांचल में अल्मोड़ा से लगभग ३४ किलोमीटर दूर है। यह समुद्र तल से लगभग २४१२ मीटर की उंचाई पर बसा है। लगभग ११वीं से १८वीं शताब्दी तक ये चन्द राजाओं की राजधानी रहा था। अब इसे वन्य जीव अभयारण्य बना दिया गया है। बिनसर झांडी ढार नाम की पहाडी पर है। यहां की पहाड़ियां झांदी धार के रूप में जानी जाती हैं। बिनसर गढ़वाली बोली का एक शब्द है -जिसका अर्थ नव प्रभात है। यहां से अल्मोड़ा शहर का उत्कृष्ट दृश्य, कुमाऊं की पहाडियां और ग्रेटर हिमालय भी दिखाई देते हैं। घने देवदार के जंगलों से निकलते हुए शिखर की ओर रास्ता जाता है, जहां से हिमालय पर्वत श्रृंखला का अकाट्य दृश्‍य और चारों ओर की घाटी देखी जा सकती है। बिनसर से हिमालय की केदारनाथ, चौखंबा, त्रिशूल, नंदा देवी, नंदाकोट और पंचोली चोटियों की ३०० किलोमीटर लंबी शृंखला दिखाई देती है, जो अपने आप में अद्भुत है और ये बिनसर का सबसे बड़ा आकर्षण भी हैं। .

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बिलगिरि रंगन पर्वतमाला

बिलगिरि रंगास्वामि पर्वतमाला अभयारण्य (ಬಿಳಿಗಿರಿರಂಗನ ಬೆಟ್ಟ) जिसे बी.आर.हिल्स भी कहा जाता है, दक्षिणभारत के कर्नाटक राज्य के दक्षिण भाग में स्थित है। बिलगिरि रंगन पर्वतमाला भारत के पश्चिमी घाट की पर्वतमाला का एक पर्वत है। पहाड़ों की सुंदरता और वन्य जीवों की अनूठी संगम स्थली है बी.आर.

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ब्रह्मगिरि

ब्रह्मगिरि वन्यजीव अभयारण्य के भीतर एक पर्वत-घाटी का दृष्य ब्रह्मगिरि वन्यजीव अभयारण्य, कर्नाटक के कोडगु जिले में स्थित अभयारण्य है जो पश्चिमी घाट का भाग है। यह 181 वर्ग किलोमीटर में फैला है और कुट्टा से माकुट्टा के बीच बना हुआ है। यह अभयारण्य केरल के अरलम वन्यजीव अभयारण्य के निकट है। ये जंगल गौर, भालू, हाथी, हिरन, चीते, जंगली बिल्ली, शेर जैसी पूंछ वाला बंदर और नीलगिरी लंगूर का घर है। ब्रह्मगिरि अभरारण्य विभिन्न प्रकार के पक्षी देखने के लिए भी उचित जगह है। इस अभयारण्य में आने का सही समय अक्टूबर से मई है। यहाँ आने से पहले अनुमति लेना आवश्यक है। .

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भारत के अभयारण्य

भारत में 500 से अधिक प्राणी अभयारण्य हैं, जिन्हें वन्य जीवन अभयारण्य (IUCN श्रेणी IV सुरक्षित क्षेत्र) कहा जाता है। इनमें से 28 बाघ अभयारण्य बाघ परियोजना द्वारा संचालित हैं, जो बाघ-संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण हैं। कुछ वन्य अभयारण्यों को पक्षी-अभयारण्य कहा जाता रहा है, (जैसे केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान) जब तक कि उन्हें राष्ट्रीय उद्यान का दर्ज़ा नहीं मिल गया। कई राष्ट्रीय उद्यान पहले वन्य जीवन अभयारण्य ही थे। कुछ वन्य जीवन अभयारण्य संरक्षण हेतु राष्ट्रीय महत्व रखते हैं, अपनी कुछ मुख्य प्राणी प्रजातियों के कारण। अतः उन्हें राष्ट्रीय वन्य जीवन अभयारण्य कहा जाता है, जैसे.

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भोपाल

भोपाल भारत देश में मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी है और भोपाल ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। भोपाल को झीलों की नगरी भी कहा जाता है,क्योंकि यहाँ कई छोटे-बड़े ताल हैं। यह शहर अचानक सुर्ख़ियों में तब आ गया जब १९८४ में अमरीकी कंपनी, यूनियन कार्बाइड से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के रिसाव से लगभग बीस हजार लोग मारे गये थे। भोपाल गैस कांड का कुप्रभाव आज तक वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, जल प्रदूषण के अलावा जैविक विकलांगता एवं अन्य रूपों में आज भी जारी है। इस वजह से भोपाल शहर कई आंदोलनों का केंद्र है। भोपाल में भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) का एक कारखाना है। हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र ने अपना दूसरा 'मास्टर कंट्रोल फ़ैसिलटी' स्थापित की है। भोपाल में ही भारतीय वन प्रबंधन संस्थान भी है जो भारत में वन प्रबंधन का एकमात्र संस्थान है। साथ ही भोपाल उन छह नगरों में से एक है जिनमे २००३ में भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान खोलने का निर्णय लिया गया था तथा वर्ष २०१५ से यह कार्यशील है। इसके अतिरिक्त यहाँ अनेक विश्वविद्यालय जैसे राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय,बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय,अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय,मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय,माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय,भारतीय राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय। इसके अतिरिक्त अनेक राष्ट्रीय संस्थान जैसे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान,भारतीय वन प्रबंधन संस्थान,भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान,राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान मानित विश्वविद्यालय भोपाल इंजीनियरिंग महाविद्यालय,गाँधी चिकित्सा महाविद्यालय तथा अनेक शासकीय एवं पब्लिक स्कूल हैं। .

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महाराणा प्रताप सागर

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के शिवालिक पहाड़ियों के आर्द्र भूमि पर ब्यास नदी पर बाँध बनाकर एक जलाशय का निर्माण किया गया है जिसे महाराणा प्रताप सागर नाम दिया गया है। इसे पौंग जलाशय या पौंग बांध के नाम से भी जाना जाता है। यह बाँध 1975 में बनाया गया था। महाराणा प्रताप के सम्मान में नामित यह जलाशय या झील (1572–1597) एक प्रसिद्ध वन्यजीव अभयारण्य है और रामसर सम्मेलन द्वारा भारत में घोषित 25 अंतरराष्ट्रीय आर्द्रभूमि साइटों में से एक है।"Salient Features of some prominent wetlands of India", pib.nic.in, Release ID 29706, web: सूर्योदय पौंग जलाशय और गोविन्दसागर जलाशय हिमाचल प्रदेश में हिमालय की तलहटी में दो सबसे महत्वपूर्ण मछली वाले जलाशय हैं।, इन जलाशयों में हिमालय राज्यों के भीतर मछली के प्रमुख स्रोत हैं। .

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मानस राष्ट्रीय उद्यान

मानस राष्ट्रीय उद्यान या मानस वन्यजीव अभयारण्य, असम, भारत में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान हैं। यह अभयारण्य यूनेस्को द्वारा घोषित एक प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थल, बाघ के आरक्षित परियोजना, हाथियों के आरक्षित क्षेत्र एक आरक्षित जीवमंडल हैं। हिमालय की तलहटी में स्थित यह अभयारण्य भूटान के रॉयल मानस नेशनल पार्क के निकट है। यह पार्क अपने दुर्लभ और लुप्तप्राय स्थानिक वन्यजीव के लिए जाना जाता है जैसे असम छत वाले कछुए, हेपीड खरगोश, गोल्डन लंगुर और पैगी हॉग। मानस जंगली भैंसों की आबादी के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ एक सींग का गैंडा (भारतीय गेंडा) और बारहसिंघा के लिए विशेष रूप से पाये जाते है। यह भूटान की तराई में बोडो क्षेत्रीय परिषद की देखरेख में ९५० वर्ग किलोमीटर से भी बड़े इलाके में फैला हुआ है, जिसके अंतर्गत १९७३ में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत स्थापित ८४०.०४ वर्ग किलोमीटर का इलाका मानस व्याघ्र संरक्षित क्षेत्र भी आता है। इसे १९८५ में विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया गया था लेकिन अस्सी के दशक के अंत और नब्बे के दशक के शुरू में बोडो विद्रोही गतिविधियों के कारण इस उद्यान को १९९२ में विश्व धरोहर स्थल सूची से हटा लिया गया था। जून २०११ से यह पुनः यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल कर लिया गया है। .

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रातापानी बाघ अभयारण्य

भीमबेटका के आसपास के वन रातापानी बाघ अभयारण्य भारत के मध्य प्रदेश राज्य के रायसेन जिले में स्थित है। यह राजधानी भोपाल से बहुत कम दूरीपर स्थित है। यह अपने सुन्दर सागौन (टीक) वनों के लिये प्रसिद्ध है। यह अभयारण्य तरह-तरक के जीव-जन्तुओं एवं पेड़-पौधों से भरा है। यहाँ बाघ, लियोपार्ड (leopards), जंगली कुत्ते, स्लॉथ बीय, striped hyenas, शियार, लोमड़ी, चीतल, सांभर, नीलगाय, चिंकारा, चौसिंघा, हनुमान लंगूर, rhesus macaque तथा भारतीय शैल अजगर (Indian rock python) प्रमुखता से पाये जाते हैं। कुछ दशक पहले यहाँ बारहसिंघा भी पाया जाता था। भीम बैठका इसी अभयारण्य के अन्दर है। .

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लखनऊ

लखनऊ (भारत के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी है। इस शहर में लखनऊ जिले और लखनऊ मंडल के प्रशासनिक मुख्यालय भी स्थित हैं। लखनऊ शहर अपनी खास नज़ाकत और तहजीब वाली बहुसांस्कृतिक खूबी, दशहरी आम के बाग़ों तथा चिकन की कढ़ाई के काम के लिये जाना जाता है। २००६ मे इसकी जनसंख्या २,५४१,१०१ तथा साक्षरता दर ६८.६३% थी। भारत सरकार की २००१ की जनगणना, सामाजिक आर्थिक सूचकांक और बुनियादी सुविधा सूचकांक संबंधी आंकड़ों के अनुसार, लखनऊ जिला अल्पसंख्यकों की घनी आबादी वाला जिला है। कानपुर के बाद यह शहर उत्तर-प्रदेश का सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र है। शहर के बीच से गोमती नदी बहती है, जो लखनऊ की संस्कृति का हिस्सा है। लखनऊ उस क्ष्रेत्र मे स्थित है जिसे ऐतिहासिक रूप से अवध क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। लखनऊ हमेशा से एक बहुसांस्कृतिक शहर रहा है। यहाँ के शिया नवाबों द्वारा शिष्टाचार, खूबसूरत उद्यानों, कविता, संगीत और बढ़िया व्यंजनों को हमेशा संरक्षण दिया गया। लखनऊ को नवाबों के शहर के रूप में भी जाना जाता है। इसे पूर्व की स्वर्ण नगर (गोल्डन सिटी) और शिराज-ए-हिंद के रूप में जाना जाता है। आज का लखनऊ एक जीवंत शहर है जिसमे एक आर्थिक विकास दिखता है और यह भारत के तेजी से बढ़ रहे गैर-महानगरों के शीर्ष पंद्रह में से एक है। यह हिंदी और उर्दू साहित्य के केंद्रों में से एक है। यहां अधिकांश लोग हिन्दी बोलते हैं। यहां की हिन्दी में लखनवी अंदाज़ है, जो विश्वप्रसिद्ध है। इसके अलावा यहाँ उर्दू और अंग्रेज़ी भी बोली जाती हैं। .

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सिपाहीजोला वन्य जीवन अभयारण्य

सिपाहीजोला वन्य जीवन अभयारण्य भारत के पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में स्थित एक अभयारण्य है। यह अभयारण्य में विस्तृत है और बिशालगढ़ में नगर केन्द्र से लगभग दूर स्थित है। .

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स्टर्लिंग किला

स्टर्लिंग क़िला, स्टर्लिंग में स्थित स्कॉटलैंड के सबसे महत्वपूर्ण व ऐतिहासिक इमारतों में से है। क़िला स्टर्लिंग सिल नामक भौगोलिक संरचना के हिस्से कैसल हिल यानी पहाडी किले के उपर स्थित है। इसके तीन तरफ खडी चट्टानें व खाईयाँ हैं जो इसे बेहद मजबूत सुरक्षा प्रदान करती हैं। इसकी सामरिक स्थिति जिसकी सुरक्षा १८९० तक फोर्थ नदी के नीचे की ओर बहने वाले तेज बहाव करते थे ने इसे १२वीं सदी से ही एक महत्वपूर्ण किलेनुमा शाही महल बना रखा था। इस क़िले की अधिकांश महत्वपूर्ण भवन १५वीं व १६वीं शताब्दी में निर्मित हैं। चौदहवीं शताब्दी के भी कुछ भवन बचे हैं जबकि नगर की दिशा वाले बाहरी दीवारें अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध की हैं। १५४२ में मैरी सहित स्कॉटलैंड के तमाम शासकों का यहाँ राज्याभिषेक हुआ।स्टर्लिंग क़िले को कम से कम ८ बार आक्रमण करके कब्जाया गया जिनमें से अधिकतर स्कॉटिश स्वतंत्रता संग्राम के समय हुए। अंतिम बार इसपर १७४६ में आक्रमण हुआ जब चार्ल्स एडवर्ड स्टुअर्ट ने इस पर कब्ज़ा करने का असफल प्रयास किया। स्टर्लिंग क़िला अब एक ऐतिहासिक धरोहर है और ऐतिहासिक स्कॉटलैंड नामक सरकारी संस्था द्वारा प्रबंधित पर्यटन स्थल है। .

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सीता माता वन्यजीव अभयारण्य

सीता माता वन्यजीव अभयारण्य एक वन्यजीव अभयारण्य है जो दक्षिण पूर्वी भाग में स्थित प्रतापगढ़ जिला,राजस्थान,भारत में स्थित है। 2 नवम्बर 1979 को राजस्थान अधिसूचना संख्या एफ सरकार द्वारा एक संरक्षित वन क्षेत्र के रूप में घोषित कर दिया गया। यहाँ बहुत घने जंगल है इस विकासशील ज़िले की कुल भूमि क्षेत्र लगभग 40% है, जो 422.95 वर्ग किलोमीटर है। यह प्रतापगढ़ ज़िले का मुख्य आकर्षण है। यहाँ की भूमि क्योंकि तीन अलग अलग संरचनाओं के संगम की लहरदार है - मालवा पठार,विंध्याचल हिल्स और अरावली श्रृखला। .

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जलदापाड़ा राष्ट्रीय उद्यान

जलदापाड़ा राष्ट्रीय उद्यान जिसे पहले जलदापाड़ा वन्यजीव अभयारण्य भी कहते थे, पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार उप-मण्डल के अंतर्गत जलपाईगुड़ी ज़िले में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है, जो कि टोरसा नदी के किनारे है। यह इलाका वस्तुतः पूर्वी हिमालय का तराई क्षेत्र है। इस उद्यान की समुद्र सतह से औसतन ऊँचाई ६१ मी.

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घुड़खर

घुड़खर (Indian wild ass; वैज्ञानिक नाम: Equus hemionus khur) एक वन्य पशु है जो दक्षिण एशिया का देशज है। घुड़खर यानी घोड़ा और गधा (खर)। इसे 'गुजरात का जंगली गधा' या 'बलूची जंगली गदहा' भी कहते हैं। वर्ष २०१६ के आंकड़ों के अनुसार इस गधे के लुप्त होने का खतरा कुछ सीमा तक है। गुजरात में कच्छ के रण में पाया जाने वाला एक अनोखा प्राणी, जो न गधा है, न घोड़ा है, न दोनों के मेल से बनने वाला खच्चर है। घुड़खर अभयारण्य, गुजरात के लघु कच्छ रण में स्थित है। यह ४९५४ वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है और भारत का सबसे बड़ा अभयारण्य है। यह अभयारण्य 'खर', 'गधेरा' या 'घुड़खर' (जंगली गधा) के लिये प्रसिद्ध है। इसकी देहदशा मज़बूत होती है; वज़न लगभग ढाई सौ किग्रा, अधिकतम रफ़्तार लगभग 70-80 किमी तक। यह प्राणी उन प्राणियों की सूची में है, जो लुप्तप्राय हैं। यही कारण है कि घुड़खर को वन्य पशु सुरक्षा अधिनियम 1972 के अंतर्गत पहली सूची में रखा गया है। अमिताभ बच्चन ने इसी घुड़खर का कैंपेन विज्ञापन किया था, ताकि लोगों की नज़र में घुड़खर आये और उसकी सुरक्षा की गंभीरता को स्वीकार किया जाये, उसपर विचार किया जाये। इसी गंभीरता और संवेदनशीलता को देखते हुए भारत सरकार ने 2013 में इस घुड़खर पर डाक टिकट भी जारी किया गया था। .

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घुड़खर अभयारण्य

घुड़खर अभयारण्य में घुड़खर घुड़खर अभयारण्य (Indian Wild Ass Sanctuary) गुजरात के लघु कच्छ रण में स्थित है। यह ४९५४ वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है और भारत का सबसे बड़ा अभयारण्य है। यह 'खर', 'गधेरा' या 'घुड़खर' (जंगली गधा) के लिये प्रसिद्ध है। .

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विलियम लॉंगचैम्प

विलियम Longchamp (११९७ मर गया), कभी कभी के रूप में था विलियम डे Longchamp या विलियम de Longchamps, एक मध्ययुगीन लॉर्ड चांसलर, चीफ Justiciar और बिशप के Ely इंग्लैंड में जाना। Normandy में एक विनम्र परिवार में जन्मे, वह उसकी प्रगति के रॉयल पक्ष के लिए होता था। हालांकि समकालीन लेखकों Longchamp एक किसान का बेटा होने का आरोप लगाया है, अपने पिता के रूप में एक नाइट जमीन आयोजित किया। Longchamp पहले एक नाजायज बेटे के इंग्लैंड की हेनरी द्वितीय की सेवा की है, लेकिन जल्दी से सेवा के लिए हस्तांतरित किया रिचर्ड मैं, राजा हेनरी की सबसे बड़े जीवित पुत्र। रिचर्ड 1189 में इंग्लैंड के राजा बन गया जब, Longchamp £ 3000 चांसलर के कार्यालय के लिए भुगतान किया और जल्द ही देखते हैं, या bishopric, के लिए नामित किया गया था Ely और पोप ने legate की नियुक्ति की। Longchamp इंग्लैंड नियंत्रित जबकि रिचर्ड तीसरे अभियान पर गया था, लेकिन उनकी शक्ति है रिचर्ड भाई, जो अंततः शक्ति और इंग्लैंड से Longchamp ड्राइविंग में सफल रहा जॉन, द्वारा चुनौती दी थी। अन्य प्रमुख अंग्रेजी रईसों के साथ Longchamp के संबंध भी तनावपूर्ण थे, जो अपने निर्वासन के लिए मांग के लिए योगदान दिया। इंग्लैंड से Longchamp के प्रस्थान के बाद जल्दी ही, रिचर्ड क्रूसेड से इंग्लैंड को वापस अपनी यात्रा पर कब्जा कर लिया था और फिरौती के लिए पवित्र रोमन सम्राट द्वारा आयोजित की जाती है। Longchamp जर्मनी रिचर्ड रिलीज बातचीत की मदद करने के लिए यात्रा की। हालांकि Longchamp इंग्लैंड के लिए रिचर्ड की वापसी के बाद चांसलर के कार्यालय वापस पा ली है, वह अपने पूर्व सत्ता के बहुत खो दिया है। वे बहरहाल, रिचर्ड ट्रस्ट, बनाए रखने किया था और राजा द्वारा ११९७ में bishop's मृत्यु तक कार्यरत थे। Longchamp लॉ, जो अच्छी तरह से बाद में मध्य युग के दौरान जाना बना रहा, पर एक निबंध लिखा था, लेकिन वह उनके समकालीनों के बीच ज्यादा दुश्मनी जगाया। .

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खरमोर

खरमोर खरमोर (वैज्ञानिक नाम: Sypheotides indicus; अंग्रेजी: Lesser Florican) एक बड़े आकार का लम्बी टाँगों वाला भारतीय पक्षी है। इसे 'चीनीमोर' या 'केरमोर' भी कहते हैं। यह मुख्यतः उत्तर-पश्चिमी महाराष्ट्र, नासिक, अहमदनगर से लेकर पश्चिमी घाट तक के भारतीय क्षेत्र में पाया जाता है किन्तु वर्षा ऋतु में यह मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात तक फैल जाता है। कभी कभार यह दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कुछ पश्चिमी भागों तक भी पहुँच जाता है। पर भारत के बाहर यह पक्षी अनजाना है। भारत में रतलाम, सरदारपुर सहित कई स्थानों पर खरमोर के अभयारण्य हैं। नर और मादा बहुत कुछ एक से ही होते हैं। इसके सिर, गर्दन और नीचे का भाग काला और ऊपरी हिस्सा हलका सफेद और तीर सदृश काले चित्तियों से भरा रहता है। कान के पीछे कुछ पंख बढ़े हुए रहते हैं। प्रणय ऋतु में नर बहुत चमकीला काले रंग का हो जाता है और सिर पर एक सुंदर कलँगी निकल आती है। मादा नर से कुछ बड़ी होती है। नर का जाड़ों में और मादा का पूरे वर्ष ऊपरी और बगल का भाग काले चिह्नों युक्त हलका बादामी रहता है। इस पक्षी को ऊबड़ खाबड़ और झाड़ियों से भरे मैदान बहुत पसंद हैं; जाड़ों में इसे खेतों में भी देखा जा सकता है। इसका मुख्य भोजन घासपात, जंगली फल, पौधों की जड़ें, नए कल्ले एवं कीड़े मकोड़े हैं। अन्य क्षेत्रीय नाम: .

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गोडावण

राजस्थान का राज्य-पक्षी: गोडावण गोडावण (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड; वैज्ञानिक नाम: Ardeotis nigriceps) एक बड़े आकार का पक्षी है जो भारत के राजस्थान तथा सीमावर्ती पाकिस्तान में पाया जाता है। उड़ने वाली पक्षियों में यह सबसे अधिक वजनी पक्षियों में है। बड़े आकार के कारण यह शुतुरमुर्ग जैसा प्रतीत होता है। यह राजस्थान का राज्य पक्षी है। सोहन चिड़िया, हुकना, गुरायिन आदि इसके अन्य नाम हैं। यह पक्षी भारत और पाकिस्तान के शुष्क एवं अर्ध-शुष्क घास के मैदानों में पाया जाता है। पहले यह पक्षी भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा एवं तमिलनाडु राज्यों के घास के मैदानों में व्यापक रूप से पाया जाता था। किंतु अब यह पक्षी कम जनसंख्या के साथ राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और संभवतः मध्य प्रदेश राज्यों में पाया जाता है। IUCN की संकटग्रस्त प्रजातियों पर प्रकाशित होने वाली लाल डाटा पुस्तिका में इसे 'गंभीर रूप से संकटग्रस्त' श्रेणी में तथा भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 1 में रखा गया है। इस विशाल पक्षी को बचाने के लिए राजस्थान सरकार ने एक प्रोजेक्ट शुरू किया था। इस प्रोजेक्ट का विज्ञापन "मेरी उड़ान न रोकें" जैसे मार्मिक वाक्यांश से किया गया है। भारत सरकार के वन्यजीव निवास के समन्वित विकास के तहत किये जा रहे 'प्रजाति रिकवरी कार्यक्रम (Species Recovery Programme)' के अंतर्गत चयनित 17 प्रजातियों में गोडावण भी सम्मिलित है। यह जैसलमेर के मरू उद्यान, सोरसन (बारां) व अजमेर के शोकलिया क्षेत्र में पाया जाता है। यह पक्षी अत्यंत ही शर्मिला है और सघन घास में रहना इसका स्वभाव है। यह पक्षी 'सोन चिरैया', 'सोहन चिडिया' तथा 'शर्मिला पक्षी' के उपनामों से भी प्रसिद्ध है। गोडावण का अस्तित्व वर्तमान में खतरे में है तथा इनकी बहुत कम संख्या ही बची हुई है अर्थात यह प्रजाति विलुप्ति की कगार पर है। यह सर्वाहारी पक्षी है। इसकी खाद्य आदतों में गेहूँ, ज्वार, बाजरा आदि अनाजों का भक्षण करना शामिल है किंतु इसका प्रमुख खाद्य टिड्डे आदि कीट है। यह साँप, छिपकली, बिच्छू आदि भी खाता है। यह पक्षी बेर के फल भी पसंद करता है। राजस्थान में अवस्थित राष्ट्रीय मरु उद्यान में गोडावण की घटती संख्या को बढ़ाने के लिये आगामी प्रजनन काल में सुरक्षा के समुचित प्रबंध किए गए हैं।; राष्ट्रीय मरु उद्यान (डेज़र्ट नेशनल पार्क) 3162 वर्ग किमी.

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कर्नाटक

कर्नाटक, जिसे कर्णाटक भी कहते हैं, दक्षिण भारत का एक राज्य है। इस राज्य का गठन १ नवंबर, १९५६ को राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अधीन किया गया था। पहले यह मैसूर राज्य कहलाता था। १९७३ में पुनर्नामकरण कर इसका नाम कर्नाटक कर दिया गया। इसकी सीमाएं पश्चिम में अरब सागर, उत्तर पश्चिम में गोआ, उत्तर में महाराष्ट्र, पूर्व में आंध्र प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में तमिल नाडु एवं दक्षिण में केरल से लगती हैं। इसका कुल क्षेत्रफल ७४,१२२ वर्ग मील (१,९१,९७६ कि॰मी॰²) है, जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का ५.८३% है। २९ जिलों के साथ यह राज्य आठवां सबसे बड़ा राज्य है। राज्य की आधिकारिक और सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है कन्नड़। कर्नाटक शब्द के उद्गम के कई व्याख्याओं में से सर्वाधिक स्वीकृत व्याख्या यह है कि कर्नाटक शब्द का उद्गम कन्नड़ शब्द करु, अर्थात काली या ऊंची और नाडु अर्थात भूमि या प्रदेश या क्षेत्र से आया है, जिसके संयोजन करुनाडु का पूरा अर्थ हुआ काली भूमि या ऊंचा प्रदेश। काला शब्द यहां के बयालुसीम क्षेत्र की काली मिट्टी से आया है और ऊंचा यानि दक्कन के पठारी भूमि से आया है। ब्रिटिश राज में यहां के लिये कार्नेटिक शब्द का प्रयोग किया जाता था, जो कृष्णा नदी के दक्षिणी ओर की प्रायद्वीपीय भूमि के लिये प्रयुक्त है और मूलतः कर्नाटक शब्द का अपभ्रंश है। प्राचीन एवं मध्यकालीन इतिहास देखें तो कर्नाटक क्षेत्र कई बड़े शक्तिशाली साम्राज्यों का क्षेत्र रहा है। इन साम्राज्यों के दरबारों के विचारक, दार्शनिक और भाट व कवियों के सामाजिक, साहित्यिक व धार्मिक संरक्षण में आज का कर्नाटक उपजा है। भारतीय शास्त्रीय संगीत के दोनों ही रूपों, कर्नाटक संगीत और हिन्दुस्तानी संगीत को इस राज्य का महत्त्वपूर्ण योगदान मिला है। आधुनिक युग के कन्नड़ लेखकों को सर्वाधिक ज्ञानपीठ सम्मान मिले हैं। राज्य की राजधानी बंगलुरु शहर है, जो भारत में हो रही त्वरित आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी का अग्रणी योगदानकर्त्ता है। .

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कर्नाटक में पर्यटन

केशव मंदिर, सोमनाथपुर अपने विस्तृत भूगोल एवं लम्बे इतिहास के कारण कर्नाटक में बड़ी संख्या में पर्यटन आकर्षण भरे हुए हैं। राज्य में जहां एक ओर प्राचीन शिल्पकला से परिपूर्ण मंदिर हैं तो वहीं आधुनिक नगर भी हैं, जहां एक ओर नैसर्गिक पर्वतमालाएं हैं तो वहीं अनान्वेषित वन संपदा भी है और जहां व्यस्त व्यावसायिक कार्यकलापों में उलझे शहरी मार्ग हैं, वहीम दूसरी ओर लम्बे सुनहरे रेतीले एवं शांत सागरतट भी हैं। कर्नाटक राज्य को भारत के राज्यों में सबसे प्रचलित पर्यटन गंतव्यों की सूची में चौथा स्थान मिला है। राज्य में उत्तर प्रदेश के बाद सबसे अधिक राष्ट्रीय संरक्षित उद्यान एवं वन हैं, जिनके साथ ही यहां राज्य पुरातत्त्व एवं संग्रहालय निदेशलय द्वारा संरक्षित ७५२ स्मारक भी हैं। इनके अलावा अन्य २५,००० स्मारक भी संरक्षण प्राप्त करने की सूची में हैं। बीजापुर का गोल गुम्बज, बाईज़ैन्टाइन साम्राज्य के हैगिया सिफिया के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा गुम्बद है। पारिस्थितिकी पर्यटन स्थल हैं जिनमें कुद्रेमुख, मडिकेरी तथा अगुम्बे आते हैं। राज्य में २५ वन्य जीवन अभयारण्य एवं ५ राष्ट्रीय उद्यान हैं। इनमें से कुछ प्रसिद्ध हैं: बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान, बनेरघाटा राष्ट्रीय उद्यान एवं नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान। हम्पी में विजयनगर साम्राज्य के अवशेष तथा पत्तदकल में प्राचीन पुरातात्त्विक अवशेष युनेस्को विश्व धरोहर चुने जा चुके हैं। इनके साथ ही बादामी के गुफा मंदिर तथा ऐहोल के पाषाण मंदिर बादामी चालुक्य स्थापात्य के अद्भुत नमूने हैं तथा प्रमुख पर्यटक आकर्षण बने हुए हैं। बेलूर तथा हैलेबिडु में होयसाल मंदिर क्लोरिटिक शीस्ट (एक प्रकार के सोपस्टोन) से बने हुए हैं एवं युनेस्को विश्व धरोहर स्थल बनने हेतु प्रस्तावित हैं। यहाम बने गोल गुम्बज तथा इब्राहिम रौज़ा दक्खन सल्तनत स्थापत्य शैली के अद्भुत उदाहरण हैं। श्रवणबेलगोला स्थित गोमतेश्वर की १७ मीटर ऊंची मूर्ति जो विश्व की सर्वोच्च एकाश्म प्रतिमा है, वार्षिक महामस्तकाभिषेक उत्सव में सहस्रों श्रद्धालु तीर्थायात्रियों का आकर्षण केन्द्र बनती है।कीएय (२०००), पृ.

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कावर झील

कावर झील एशिया का सबसे बड़ी शुद्ध जल की झील है और यह पक्षी अभयारण्य (बर्ड संचुरी) भी है। इस बर्ड संचुरी मे ५९ तरह के विदेशी पक्षी और १०७ तरह के देसी पक्षी ठंडे के मौसम मे देखे जा सकते है। यह बिहार राज्य के बेगूसराय में है। पुरातत्वीय महत्व का बौद्धकालीन हरसाइन स्तूप इसी क्षेत्र में स्थित है। .

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कुकरैल संरक्षित वन

कुकरैल संरक्षित वन, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित एक मगरमच्छ, घड़ियाल और कछुयों का अभयारण्य है। यह इंदिरा नगर, लखनऊ के, रिंग रोड पर स्थित है। कुकरैल संरक्षित वन की स्थापना 1978 में उत्तर प्रदेश वन विभाग और भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के सहयोग से की गई थी। इस केंद्र की स्थापना के विचार 1975 में संयुक्त राष्ट्र संघ के संस्थान प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण हेतु अंतर्राष्ट्रीय संघ की उस रिपोर्ट के बाद आया, जिसमें कहा गया था कि उत्तर प्रदेश की नदियों में मात्र 300 मगरमच्छ ही जीवित बचे हैं। मगरमच्छों के संरक्षण के लिए कुकरैल संरक्षित वन को विकसित किया गया है। आजकल यह एक पिकनिक स्थल के रूप में लोकप्रिय हो रहा है। .

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कोयना वन्यजीव अभयारण्य

कोयना वन्यजीव अभयारण्य एक वन्यजीव अभ्यारण्य एवं विश्व के प्राकृतिक धरोहर स्थल में से एक है। भारत के महाराष्ट्र राज्य के सातारा जिले में स्थित यह अभयारण्य पश्चिमी घाट में स्थित है, यह लगभग 423.55 वर्ग किमी (163.53 वर्ग मील) में फैला हुआ हैं एवं इसकी ऊंचाई 600 से 1,100 मीटर (2,000 से 3,600 फीट) तक की है। इसे 1985 में महाराष्ट्र में वन्यजीव अभ्यारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया था। यह सह्याद्री टाइगर रिजर्व के उत्तरी भाग का निर्माण करता है एवं चंदोली राष्ट्रीय उद्यान इसके दक्षिणी भाग के चारदीवारी का निर्माण करता है। .

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उत्तर प्रदेश

आगरा और अवध संयुक्त प्रांत 1903 उत्तर प्रदेश सरकार का राजचिन्ह उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा (जनसंख्या के आधार पर) राज्य है। लखनऊ प्रदेश की प्रशासनिक व विधायिक राजधानी है और इलाहाबाद न्यायिक राजधानी है। आगरा, अयोध्या, कानपुर, झाँसी, बरेली, मेरठ, वाराणसी, गोरखपुर, मथुरा, मुरादाबाद तथा आज़मगढ़ प्रदेश के अन्य महत्त्वपूर्ण शहर हैं। राज्य के उत्तर में उत्तराखण्ड तथा हिमाचल प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली तथा राजस्थान, दक्षिण में मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ और पूर्व में बिहार तथा झारखंड राज्य स्थित हैं। इनके अतिरिक्त राज्य की की पूर्वोत्तर दिशा में नेपाल देश है। सन २००० में भारतीय संसद ने उत्तर प्रदेश के उत्तर पश्चिमी (मुख्यतः पहाड़ी) भाग से उत्तरांचल (वर्तमान में उत्तराखंड) राज्य का निर्माण किया। उत्तर प्रदेश का अधिकतर हिस्सा सघन आबादी वाले गंगा और यमुना। विश्व में केवल पाँच राष्ट्र चीन, स्वयं भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनिशिया और ब्राज़ील की जनसंख्या उत्तर प्रदेश की जनसंख्या से अधिक है। उत्तर प्रदेश भारत के उत्तर में स्थित है। यह राज्य उत्तर में नेपाल व उत्तराखण्ड, दक्षिण में मध्य प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान तथा पूर्व में बिहार तथा दक्षिण-पूर्व में झारखण्ड व छत्तीसगढ़ से घिरा हुआ है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ है। यह राज्य २,३८,५६६ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यहाँ का मुख्य न्यायालय इलाहाबाद में है। कानपुर, झाँसी, बाँदा, हमीरपुर, चित्रकूट, जालौन, महोबा, ललितपुर, लखीमपुर खीरी, वाराणसी, इलाहाबाद, मेरठ, गोरखपुर, नोएडा, मथुरा, मुरादाबाद, गाजियाबाद, अलीगढ़, सुल्तानपुर, फैजाबाद, बरेली, आज़मगढ़, मुज़फ्फरनगर, सहारनपुर यहाँ के मुख्य शहर हैं। .

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छोटा नागपुर पठार

राँची स्थित हुँडरु जलप्रपात छोटा नागपुर पठार पूर्वी भारत में स्थित एक पठार है। झारखंड राज्य का अधिकतर हिस्सा एवं उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, बिहार व छत्तीसगढ़ के कुछ भाग इस पठार में आते हैं। इसके पूर्व में सिन्धु-गंगा का मैदान और दक्षिण में महानदी हैं। इसका कुल क्षेत्रफल 65,000 वर्ग किमी है।, mapsofindia, Accessed 2010-05-02 .

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वन्य जीवन अभयारण्य, अभ्यारण्य, अभ्यारण्य‍

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