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अनुर्वरता

सूची अनुर्वरता

अनुर्वरता, नपुंसकता या बाँझपन (Infertility) मूलरूप में संतानोत्पत्ति की स्थायी अक्षमता की अवस्था है। मनुष्यों में एक वर्ष तक प्रयास करते रहने के बाद अगर गर्भधारण नहीं होता तो उसे बन्ध्यता या अनुर्वरता कहते हैं। यह केवल स्त्री के कारण नहीं होती। केवल एक तिहाई मामलों में अनुर्वरता स्त्री के कारण होती है। दूसरे एक तिहाई में पुरूष के कारण होती है। शेष एक तिहाई में स्त्री और पुरुष के मिले जुले कारणों से या अज्ञात कारणों से होती है। .

8 संबंधों: दवा कंपनियों की सूची, परखनली शिशु, रेकी चिकित्सा, शतावर, शीघ्रपतन, सिस्टोसोमियासिस, कभी अलविदा ना कहना, कृत्रिम वीर्यसेचन

दवा कंपनियों की सूची

स्वास्थ्य सेवा राजस्व द्वारा श्रेणित 50 सबसे बड़ी दवा और जैव प्रौद्योगिकी कंपनियों की सूची निम्नलिखित है.

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परखनली शिशु

कोई विवरण नहीं।

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रेकी चिकित्सा

100px रेकी चिकित्सा प्रगति पर 2-ch'i4 |j.

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शतावर

शतावर (वानस्पतिक नाम: Asparagus officinalis / एस्पैरागस ऑफ़ीशिनैलिस) एक औषधीय पौधा है जिसका उपयोग सिद्धा तथा होम्योपैथिक दवाइयों में होता है। यह आकलन किया गया है कि भारत में विभिन्न औषधियों को बनाने के लिए प्रति वर्ष 500 टन सतावर की जड़ों की जरूरत पड़ती है। यह यूरोप एवं पश्चिमी एशिया का देशज है। इसकी खेती २००० वर्ष से भी पहले से की जाती रही है। भारत के ठण्डे प्रदेशों में इसकी खेती की जाती है। इसकी कंदिल जडें मधुर तथा रसयुक्त होती हैं। यह पादप बहुवर्षी होता है। इसकी जो शाखाएँ निकलतीं हैं वे बाद में पत्तियों का रूप धारण कर लेतीं हैं, इन्हें क्लैडोड (cladodes) कहते हैं। .

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शीघ्रपतन

शीघ्र गिर जाने को शीघ्रपतन कहते हैं। सेक्स के मामले में यह शब्द वीर्य के स्खलन के लिए प्रयोग किया जाता है। पुरुष की इच्छा के विरुद्ध उसका वीर्य अचानक स्खलित हो जाए, स्त्री सहवास करते हुए संभोग शुरू करते ही वीर्यपात हो जाए और पुरुष रोकना चाहकर भी वीर्यपात होना रोक न सके, अधबीच में अचानक ही स्त्री को संतुष्टि व तृप्ति प्राप्त होने से पहले ही पुरुष का वीर्य स्खलित हो जाना या निकल जाना, इसे शीघ्रपतन होना कहते हैं। इस व्याधि का संबंध स्त्री से नहीं होता, पुरुष से ही होता है और यह व्याधि सिर्फ पुरुष को ही होती है। शीघ्र पतन की सबसे खराब स्थिति यह होती है कि सम्भोग क्रिया शुरू होते ही या होने से पहले ही वीर्यपात हो जाता है। सम्भोग की समयावधि कितनी होनी चाहिए यानी कितनी देर तक वीर्यपात नहीं होना चाहिए, इसका कोई निश्चित मापदण्ड नहीं है। यह प्रत्येक व्यक्ति की मानसिक एवं शारीरिक स्थिति पर निर्भर होता है। समय से पहले वीर्य का स्खलित हो जाना शीघ्रपतन है। यह “समय” कोई निश्चित समय नहीं है पर जब “एंट्री” के साथ ही “एक्सिट” होने लगे या स्त्री-पुरुष अभी चरम पर न हो और स्खलन हो जाए तो यह शीघ्रपतन (Premature Ejaculation) है। ऐसे में असंतुष्टि, ग्लानी, हीन-भावना, नकारात्मक विचारो का आना एवं अपने साथी के साथ संबंधों में तनाव आना मुमकिन है। यहाँ यह समझ लेना जरूरी है कि जरूरी नहीं है कि हर वह व्यक्ति जिसका वीर्यस्खलन शीघ्र होता है शीघ्रपतन का शिकार है। हो सकता है व्यक्तिविशेष किसी शारीरिक विषमता का शिकार हो और यह समस्या स्थाई हो पर इस हेतु अच्छे विशेषग्य से परामर्श आवश्यक है। इंटरकोर्स शुरू होने से 60सैकंड के भीतर ही अगर किसी पुरूष का वीर्य-स्खलन हो जाता है तो इसे शीघ्र-पतन (premature ejaculation) कहा जायेगा। इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ सैक्सुयल मैडीकल के विशेषज्ञों ने पहली बार इस शीघ्र-पतन की पारिभाषित किया है….रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विश्व भर में 30 फीसदी पुरूष इस यौन-व्याधि (Sexual disorder) से परेशान हैं। शीघ्र पतन की सबसे खराब स्थिति यह होती है कि सम्भोग क्रिया शुरू होते ही या होने से पहले ही वीर्यपात हो जाता है। सम्भोग की समयावधि कितनी होनी चाहिए यानी कितनी देर तक वीर्यपात नहीं होना चाहिए, इसका कोई निश्चित मापदण्ड नहीं है। यह प्रत्येक व्यक्ति की मानसिक एवं शारीरिक स्थिति पर निर्भर होता है। सेक्‍स के दौरान कुछ देर तक लंबी सांस जरूर लें। यह प्रक्रिया शरीर को अतिरिक्‍त ऊर्जा प्रदान करती है। आपको मालूम होना चाहिए कि एक बार के सेक्स में करीब 400 से 500 कैलोरी तक ऊर्जा की खपत होती है। इसलिए अगर संभव हो सके तो बीच-बीच में त्‍वरित ऊर्जा देने वाले तरल पदार्थ जैसे ग्लूकोज, जूस, दूध आदि का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा आपसी बातचीत भी आपको स्थायित्व दे सकता है। ध्‍यान रखें, संभोग के दौरान इशारे में बात न करके सहज रूप से बात करें। डर, असुरक्षा, छुपकर सेक्स, शारीरिक व मानसिक परेशानी भी इस समस्या का एक कारण हो सकती है। इसलिए इससे बचने का प्रयत्‍न करें। इसके अलावे कंडोम का इस्तेमाल भी इस समस्या के निजात के लिए सहायक हो सकता है .

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सिस्टोसोमियासिस

सिस्टोसोमियासिस (जिसे बिलहर्ज़िया, स्नेल फीवर और कत्यामा फीवरभी कहते हैं) एक रोग है जो सिस्टोसोमा प्रकार के परजीवी कीड़ों के कारण होता है। --> यह मूत्र मार्ग या आंतोंको संक्रमित कर सकता है। --> लक्षणों में पेट दर्द, डायरिया, खूनी पेचिश या मूत्रमें रक्त जाना शामिल है। --> वे लोग जो लंबे समय से संक्रमित है उनमें लीवर की क्षति, किडनी की विफलता, बांझपन या ब्लैडर का कैंसर हो सकता है। --> बच्चों में इसके कारण वृद्धि व सीखने की क्षमता का हास हो सकता है। .

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कभी अलविदा ना कहना

कभी अलविदा ना कहना 2006 में बनी हिन्दी भाषा की नाटकीय प्रेमकहानी फ़िल्म है। इसका निर्देशन करण जौहर ने किया और धर्मा प्रोडक्शन्स बैनर के तहत इसे निर्मित किया गया। इसमें प्रमुख भूमिकाओं में शाहरुख खान, रानी मुखर्जी, अभिषेक बच्चन और प्रीति जिंटा हैं जबकि सहायक भूमिका को अमिताभ बच्चन और किरन खेर द्वारा निभाया गया है। कहानी अधिकतर न्यूयॉर्क शहर में गुजरती है और व्यभिचार के विषयों की पड़ताल करती है। यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका में सफलता थी। यह रिलीज के समय विदेशों में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्म बन गई। .

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कृत्रिम वीर्यसेचन

कृत्रिम वीर्यसेचन (English: Artificial insemination) Intrauterine insemination (IUI) गर्भधारण कराने के उद्देश्य से मैथुन के बजाय अन्य तरीके से मादा के गर्भाशय में नर का शुक्राणु पहुँचाना होता है। मानवों में यह कार्य मुख्यतः बाँझपन की चिकित्सा के रूप में प्रयोग किया जाता है जबकि गाय-भैस एवं अन्य पशुओं में प्रजनन के सामान्य विधि के रूप में प्रयुक्त होता है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

बाँझपन, बांझपन, बंध्यता

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