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अनुप्रयुक्त यांत्रिकी

सूची अनुप्रयुक्त यांत्रिकी

अनुप्रयुक्त यांत्रिकी (Applied mechanics) भौतिक विज्ञानों की की वह शाखा है जिसमें यांत्रिकी के व्यावहारिक उपयोगों का अध्ययन किया जाता है। अनुप्रयुक्त यांत्रिकी भौतिक विज्ञान की शाखा यांत्रिकी का व्यावहारिक अनुप्रयोग है। अनुप्रयुक्त यांत्रिकी मे विष्लेषण मुल रूप से गतिज एवम स्थैतिज विष्लेषण का समागम है। अभियान्त्रिक यान्त्रिकी (अन्ग्रेजी में Engineering Mechanics) किसी पिण्ड पर बाहरी बल लगाये जाने पर दी जाने वाली प्रतिक्रिया का गणितीय समीकरणो के माध्यम से निरिक्षण करता है। अनुप्रयुक्त यान्त्रिकी निकायों के कुछ उदाहरण तरल के प्रवाह, बाहरी बल के आवेदन से एक ठोस का फ्रैक्चर, या ध्वनि के प्रतिक्रिया स्वरुप् कान का कंपन शामिल हैं। अनुप्रयुक्त यांत्रिकी के अध्यन्कर्ता को अन्ग्रेजी में mechanician कहा जाता है। जैसा की नाम प्रदर्शित करता है अनुप्रयुक्त यांत्रिकी, यांत्रिकी विज्ञान के सिद्धांतो का, प्रायोगिक तकनिकी क्षेत्र मे, के बीच की खायी को भरता है। अनुप्रयुक्त यांत्रिकी ईन्जिनियरिन्ग के कयी सारे शाखाओ मे मुलभुत रूप से प्रयुक्त होता है। सर आइसेक न्युटन को सिद्धान्तिक यन्त्रिकी का पिता माना जाता है उसी प्रकार टिमोशेन्को को अनुप्रयुक्त यांत्रिकी का पिता माना जाता है। .

6 संबंधों: बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान, मशीन सारावली, मृदा यांत्रिकी, यांत्रिकी, श्री गोविन्दराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान, खगोलीय यांत्रिकी

बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान

बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान मेसरा (अंग्रेज़ी: Birla Institute of Technology Mesra; जो बीआईटी मेसरा या बीआईटी राँची के नाम से भी प्रसिद्ध है) झारखंड के राँची में स्थित भारत का अग्रणी स्वायत्त अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी उन्मुख संस्थान है। इसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम १९५६ के अनुभाग ३ के तहत एक डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्ज़ा हासिल है। मुख्य परिसर के अतिरिक्त लालपुर (रांची), इलाहाबाद, कोलकाता, नोएडा, जयपुर, चेन्नई, पटना और देवघर में बीआईटी के भारतीय विस्तार पटल हैं। इनके अतिरिक्त बहरीन, मस्कट, संयुक्त अरब अमीरात और मॉरिशस में बीआईटी के अंतरराष्ट्रीय केंद्र हैं। जून २००५ में एसी निलसन एवं इंडिया टुडे द्वारा किये गये एक सर्वेक्षण के अनुसार इसे देश के दस श्रेष्ठ तकनीकी संस्थानों में शुमार किया गया था। .

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मशीन सारावली

उन युक्तियों को मशीन (Machine) कहते हैं जो कोई उपयोगी कार्य करती हैं या करने में मदद करतीं हैं। सभी मशीनें प्राय: उर्जा लेकर (निवेश) कार्य करतीं हैं। नीचे मशीनों की सारावली दी गयी है जो मशीनों एवं उनसे सम्बन्धित उपविषयों पर एक विहंगम दृष्टि प्रस्तुत करती है। .

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मृदा यांत्रिकी

'''पीसा की झुकी मीनार''' -- यह लोड पड़ने पर भूमि के अपरूपण का अच्छा उदाहरण है भूयांत्रिकी (Soil mechanics), इंजीनियरी यांत्रिकी (engineering mechanics) की एक शाखा है जो भूमि के गुणधर्मों का अध्ययन एवं वर्णन करती है। यह तरल यांत्रिकी एवं ठोस यांत्रिकी से इस अर्थ में अलग है कि भूमि गैस (हवा), द्रव (जल आदि) एवं ठोस (मिट्टी, रेत आदि) के विषमांग मिश्रण से बनी होती है। इसके अलावा भूमि में जैव ठोस, द्रव एवं गैसें भी हो सकतीं हैं। शैल यांत्रिकी (rock mechanics) और भूयांत्रिकी मिलकर भूतकनीकी इंजीनियरी का सैद्धान्तिक आधार तैयार करते हैं। भूतकनीकी इंजीनियरी, सिविल इंजीनियरी का उपविषय है। भूतकनीकी का उपयोग भवनों तथा पुलों की नींव, रिटेनिंग दीवार, तथा बांध के निर्माण में होता है। .

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यांत्रिकी

यांत्रिकी (Mechanics) भौतिकी की वह शाखा है जिसमें पिण्डों पर बल लगाने या विस्थापित करने पर उनके व्यवहार का अध्ययन करती है। यांत्रिकी की जड़ें कई प्राचीन सभ्यताओं से निकली हैं। .

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श्री गोविन्दराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान

श्री गोविन्दराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान (Shri Govindram Seksaria Institute of Technology and Science (SGSITS)), इन्दौर ही नहीं वरन् मध्य प्रदेश का प्रमुख अभियांत्रिकी महाविद्यालय है। इसकी स्थापना सन् १९५२ में हुई थी। यह स्वशासी संस्थान है और विश्वविद्यालय की उपाधि की प्राप्ति के लिये प्रयासरत है। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई), नई दिल्ली और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), नई दिल्ली ने १९८९ में एक स्वायत्त संस्थान का दर्जा दिया था। इस स्थिति के तहत, संस्थान यूजी और पीजी स्तर दोनों में अपनी परीक्षाएं आयोजित करता है तथा एसजीएसआईटीएस एक शासक मंडल के प्रशासन के तहत परिचालित हो गया। सम्प्रति इस संस्थान में ९ स्नातकस्तरीय एवं १७ परास्नातक-स्तरीय पाठ्यक्रम चल रहे हैं जिनमें क्रमश: ६५० एवं १५० छात्र लिये जाते हैं। इसके अतिरिक्त यह संस्थान अंशकालिक स्नातक पाठयक्रम भी चलाता है। .

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खगोलीय यांत्रिकी

खगोलीय यांत्रिकी (Celestial mechanics) में आकाशीय पिंडों (heavenly bodies) की गतियों के गणितीय सिद्धांतों का विवेचन किया जाता है। न्यूटन द्वारा प्रिंसिपिया में उपस्थापित गुरुत्वाकर्षण नियम तथा तीन गतिनियम खगोलीय यांत्रिकी के मूल आधार हैं। इस प्रकार इसमें विचारणीय समस्या द्वितीय वर्ण के सामान्य अवकल समीकरणों के एक वर्ग के हल करने तक सीमित हो जाती है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

इंजीनियरी की यांत्रिकी

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