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अक्रिय गैस

सूची अक्रिय गैस

अक्रिय गैस (Inert gas) उन गैसों को कहते हैं जो साधारणतः रासायनिक अभिक्रियाओं में भाग नहीं लेतीं और सदा मुक्त अवस्था में प्राप्य हैं। इनमें हीलियम, निऑन, आर्गान, क्रिप्टॉन,जीनॉन और रेडॉन सम्मिलित हैं। इनमें से रेडॉन रेडियो-सक्रिय है। ये उत्कृष्ट गैसों (Noble gases) के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। समस्त अक्रिय गैसें रंगहीन, गंधहीन तथा स्वादहीन होती हैं। स्थिर दाब और स्थिर आयतन पर इन गैसों की विशिष्ट उष्माओं का अनुपात 1.67 के बराबर होता है जिससे पता चलता है कि ये सब एक-परमाणुक गैसें हैं। .

12 संबंधों: नाभिकीय उर्जा, प्लाज़्मा ग्लोब, बृहस्पति का वायुमंडल, बोराइड, मेसर, रासायनिक तत्वों की सूची, हिलियम, विलियम रामसे, आदर्श गैस, आवर्त सारणी, कार्बन नैनोट्यूब, अधातु

नाभिकीय उर्जा

एक दाबित जल परमाणु रिएक्टर नियंत्रित नाभिकीय अभिक्रियाओं के परिणामस्वरूप प्राप्त उर्जा नाभिकीय उर्जा या परमाणु उर्जा कहलाती है। दो प्रकार की नाभिकीय अभिक्रियाओं से नाभिकीय उर्जा प्राप्त हो सकती है - नाभिकीय संलयन एवं नाभिकीय विखंडन। किन्तु वर्तमान समय में सभी वाणिज्यिक परमाणु-उर्जा इकाइयाँ नाभिकीय विखंडन पर ही आधारित हैं। सन् २००९ में विश्व की संपूर्ण विद्युत शक्ति का १३-१४% भाग नाभिकीय उर्जा से प्राप्त हुआ। .

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प्लाज़्मा ग्लोब

प्लाज़्मा ग्लोब अथवा प्लाज़्मा दीप (प्लाज़्मा गेंद, गुम्बद, गोला, नली अथवा बिब इत्यादि, आकृति के अनुसार नाम) सामान्यतः विभिन्न उत्कृष्ट गैसों से भरा हुआ काँच का गोला है जिसके केद्र पर उच्च वोल्टता के इलेक्ट्रोड लगे हुये हैं। प्लाज़्मा तन्तु आन्तरिक इलेक्ट्रोड से बाहरी कुचालक काँच तक विस्तारित होता है जिससे विभिन्न रंगो के स्थायी प्रकाश पूँज देखने को मिलते हैं। प्लाज़्मा ग्लोब १९८० के दशक में विचित्र वस्तु के रूप में लोकप्रिय हुये थे। प्लाज़्मा दीप का आविष्कार निकोला टेस्ला ने किया था। उन्होंने उच्च वोल्टता से सम्बद्ध घटनाओं के अध्ययन के लिए काँच की खाली नली में उच्च आवृत्ति धारा के साथ प्रयोग आरम्भ किया था जिसमें इसका आविष्कार किया। लेकिन इसका आधुनिक संस्करण पहली बार बिल पार्कर ने बनाया। टेस्ला ने अपने इस आविष्कार को अक्रिय गैस अनावेशन नली नाम दिया। .

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बृहस्पति का वायुमंडल

बृहस्पति पर सन् २००० में बादल प्रतिमान. बृहस्पति का वायुमंडल सौरमंडल में सबसे बड़ा ग्रहीय वायुमंडल है। एक मोटे सौर अनुपात में यह मुख्य रूप से आणविक हाइड्रोजन और हीलियम से बना है; अन्य रासायनिक यौगिकों की केवल छोटी मात्रा मौजूद हैं, जिसमें मीथेन, अमोनिया, हाइड्रोजन सल्फाइड और जल शामिल हैं। हालांकि, ऐसा माना जाता है कि पानी वायुमंडल की गहराई में मौजूद है, इसके सीधे मापन की संभावना बहुत कम है। बृहस्पति के वायुमंडल में ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, सल्फर और अक्रिय गैस की प्रचुरता लगभग तीन कारक के सौर मूल्यों से अधिक है बृहस्पति के वायुमंडल में एक स्पष्ट न्यूनतम सीमा का अभाव है और ग्रह के अंदरूनी तरल पदार्थ में धीरे-धीरे परिवर्तन होता है। निम्नतम से लेकर उच्चत्तर, वायुमंडलीय परतें क्रमशः क्षोभ मंडल, समताप मंडल, तापमंडल और बहिर्मंडल हैं। प्रत्येक परत की विशेषता तापमान ढलान है। निम्नतम परत यानि क्षोभ मंडल, बादलों और कुंहरों की एक जटिल प्रणाली है, जो अमोनिया, अमोनियम हाइड्रोसल्फाइड और पानी की परतों से बना है। बृहस्पति के सतह पर दिखाई देने वाले अमोनिया के ऊपरी बादल भूमध्यरेखा के समानांतर एक दर्जन क्षेत्रीय धारीयों में एकीकृत हुए है और यह शक्तिशाली आंचलिक वायुमंडलीय प्रवाहों (वायु) से घिरे हुए है। रंग में एकांतर धारियाँ: गहरी धारीयों को पट्टियां कहा जाता है, जबकि हल्की धारीयों को क्षेत्र कहा जाता है। क्षेत्र, जो पट्टियों से ठन्डे होते है, उमड़ने के अनुरूप होते है, जबकि पट्टियाँ उतरती हवा की निशानी है | क्षेत्रों के हल्के रंग का परिणाम अमोनिया बर्फ से माना जाता है, जबकि पट्टियाँ स्वयं को गहरे से गहरा रंग किससे देती है यह निश्चितता के साथ नहीं ज्ञात हुआ है। धारीदार संरचना और प्रवाहों की उत्पत्तियों की अच्छी समझ नहीं हैं, हालांकि दो मॉडल मौजूद हैं: उथला मॉडल मानता है कि वे सतही घटना है जो एक स्थिर आंतरिक भाग ढंकती है, गहरे मॉडल में, धारियाँ और प्रवाहें बृहस्पति के आणविक हाइड्रोजन के आवरण में गहरी परिसंचरण की महज सतही अभिव्यक्तियां है, जो अनेकों लठ्ठों में एकत्रित हुए है। बृहस्पति वायुमंडल, एक विस्तृत श्रृंखला की सक्रिय घटना सहित धारी अस्थिरता, भेंवर (चक्रवात और प्रतिचक्रवात) तूफान और बिजली प्रदर्शित करता है। भेंवर बड़े लाल, सफेद या भूरे रंग के धब्बों (अंडो) के रूप में खुद को प्रकट करते हैं। सबसे बड़े दो लाल धब्बे ग्रेट रेड स्पॉट (GRS) और ओवल बीए हैं। ये दोनों और ​​अन्य अधिकतर बड़े धब्बे प्रतिचक्रवातीय है। छोटे चक्रवात सफेद हो जाते हैं। भेंवर गहराई के साथ अपेक्षाकृत उथले संरचनाओं के माने जाते है, कई सौ किलोमीटर से अधिक नहीं। दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित GRS, सौरमंडल में सबसे बड़ा ज्ञात भंवर है। यह कई पृथ्वीयों को निगल गया है और कम से कम तीन सौ सालों के लिए अस्तित्व में हो सकता है। GRS के दक्षिण में स्थित ओवल बीए, GRS की एक तिहाई आकार का एक लाल धब्बा है जो सन् २००० में तीन सफेद अंडो के विलय से बना था। बृहस्पति पर शक्तिशाली तूफान है और यह वायुमंडल में नम संवहन का एक परिणाम हैं जो पानी के वाष्पीकरण और संघनन से जुड़ा हुआ है। वे हवा के मजबूत उर्ध्व गति के स्थल रहे हैं, जो उज्ज्वल और घने बादलों की रचना का नेतृत्व करते है। तूफ़ान मुख्यतः पट्टी क्षेत्रों में बनते है। बृहस्पति पर बिजली की गरज, पृथ्वी पर की तुलना में अधिक शक्तिशाली हैं। हालांकि, बिजली की गतिविधि का औसत स्तर पृथ्वी पर की तुलना में कम होता है। .

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बोराइड

बोराइड (Borides), बोरॉन के धातु यौगिकों को कहते हैं। ये कठोर पदार्थ हैं जिनकी क्रिस्टलीय संरचना धातु जैसी होती है। इनके रासायनिक सूत्र संयोजकता के नियमों से बद्ध नहीं होते। शुद्ध धातु की अपेक्षा बोराइड अधिक कठोर, तथा निष्क्रिय होते हैं। इनके गलनांक तथा विद्युत् प्रतिरोधकता धातु की अपेक्षा ऊँची होती है। बोराइड की रचना अनेक प्रकार की होती है। कुछ बोराइडों में धातु के परमाणुओं के विन्यास (arrangement) के मध्य में बोरॉन के परमाणु स्थान स्थान पर जड़े रहते हैं, कुछ में इसके प्रतिकूल रचना रहती है और अन्य बोराइडों की संरचना इन दोनों संरचनाओं का मध्यमान होती है। अधिकतर बोराइड धातु और बोरॉन की पारस्परिक क्रिया के फलस्वरूप बनते हैं। कुछ बोरॉन ऑक्साइड और धातु के ऑक्साइड, अथवा लवण तथा किसी अपचायक पदार्थ के मिश्रण की क्रिया से भी बन सकते हैं। इन क्रियाओं के लिए १,००० डिग्री सेल्सियस से २,००० डिग्री सेल्सियस का ताप आवश्यक है। इस ताप के लिए विद्युत् भट्ठी ही उपयोगी होती है, जिसमें अक्रिय गैस का वातावरण रहना आवश्यक है, अन्यथा ऑक्साइड बनने का डर रहता है। कभी कभी अपचायक पदार्थ के स्थान पर फ्लोराइड प्रयोग करने पर सरलता से बोराइड बनता है। इन क्रियाओं के पश्चात् भट्ठी में चूर्ण के रूप में बोरॉन तत्व बच रहता है। इसे नाइट्रिक अम्ल द्वारा धुला लिया जाता है। एक्स-किरण द्वारा परीक्षण से धातु के बोराइडों को हम कई श्रेणियों में विभाजित कर सकते हैं: (१) M2B श्रेणी, जिसमें धातु और बोरॉन के परमाणुओं का अनुपात २:१ होता है। ऐसे बोराइड टैटेलम, टंग्स्टन, मोलिब्डेनम, मैंगनीज़, लौह, कोबाल्ट और निकल के हैं। (२) M3B2 श्रेणी, जिसमें धातु और बोरॉन का अनुपात ३:२ है। ऐस बोराइड मैग्नीशियम और बेरीलियम के हैं। (३) MB श्रेणी, जिसमें धातु और बोरॉन के परमाणुओं का अनुपात १:१ है। इसके अंतर्गत मैंगनीज़, लौह, कोबाल्ट, मोलिब्डेिनम, टंग्स्टन, नियोबियम, टैंटेलम और क्रोमियम के बोराइड हैं। (४) M3B4 श्रेणी, जिसमें धातु और बोरॉन के परमाणुओं का अनुपात ३:४ है। इसके अंतर्गत क्रोमियम, मैंगनीज, नियोबियम और टैंटेलम के बोराइड हैं। इस समूह में पहले की अपेक्षा अधिक कठोरता रहती है। (५) M2B2 श्रेणी, जिसमें धातु और बोरॉन के परमाणुओं का अनुपात १:२ है। इस श्रेणी में ऐल्यूमिनियम, मैग्नीशियम, वैनेडियम, नियोबियम, टैंटेलम, टाइटेनियम, ज़र्कोनियम, क्रोमियम और मोलिब्डेनम के बोराइड हैं। (६) M2B5 श्रेणी, जिसमें धातु और बोरॉन के परमाणुओं का अनुपात २:५ है। इस श्रेणी में मोलिब्डेनम और टंग्स्टन के बोराइड हैं। (७) MB6 श्रेणी, जिसमें धातु और बोरॉन का अनुपात १:६ है। इसके अंतर्गत कैल्सियम, बेरियम, स्ट्रांशियम, ईट्रियम तथा लैथेनम के बोराइड और अन्य विरल मृदा तत्व तथा थोरियम बोराइड हैं। ये बोराइड सबसे कठोर और कम धातुगुण के होते हैं। (८) MB12 श्रेणी, जिसके अंतर्गत यूरेनियम बोराइड है। बोराइड बड़े उपयोगी पदार्थ हैं। कैल्सियम बोराइड इस्पात उद्योग में काम आता है। बोराइड की कठोरता का उपयोग खराद उपकरणों में बहुत होता है। मैग्नीशियम बोराइड, बोरॉन हाइड्राइड या बोरॉन के निर्माण में उपयोगी सिद्ध हुआ है। इसके अतिरिक्त बेरीलियम, ऐल्यूमिनियम, सीरियम, लौह, निकल तथा मैंगनीज़ बोराइड भी तनु अम्लों से क्रिया कर बोरॉन मुक्त करते हैं। श्रेणी:बोराइड.

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मेसर

एक हाइड्रोजन रेडियो आवृति निरावेशन, हाइड्रोजन मेसर में प्रथम तन्तु (विवरण के लिए नीचे देखें) मेसर एक ऐसा यन्त्र है जो उद्दीप्त उत्सर्जन द्वारा प्रवर्धन के माध्यम से सम्बंद्ध् विद्युतचुम्बकीय तरंगे उत्पन्न करता है। ऐतिहासिक रूप से यह परिवर्णी (संक्षिप्त) नाम मेसर (MESAR) से व्युत्पन्न होता है जिसका अर्थ विकिरण के उद्दीप्त उत्सर्जन द्वारा सूक्ष्मतरंग प्रवर्धन (Microwave Amplification by Stimulated Emission of Radiation) है। .

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रासायनिक तत्वों की सूची

नीचे परमाणु क्रमांक के बढते हुए क्रम में रासायनिक तत्वों की सूची दी गयी है। अलग-अलग प्रकार के तत्वों को अलग-अलग रंगों से चिन्हित किया गया है। इस सूची में प्रत्येक तत्व का नाम, उसका रासायनिक प्रतीक, आवर्त सारणी में उसका समूह एवं पिरियड, रासायनिक श्रेणी, तथा परमाणु द्रब्यमान (सबसे स्थायी समस्थानिक का) दिये गये हैं। .

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हिलियम

तरलीकृत हीलियम शुद्ध हीलियम से भरी गैस डिस्चार्ज ट्यूब हिलियम (Helium) एक रासायनिक तत्त्व है जो प्रायः गैसीय अवस्था में रहता है। यह एक निष्क्रिय गैस या नोबेल गैस (Noble gas) है तथा रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन, विष-हीन (नॉन-टॉक्सिक) भी है। इसका परमाणु क्रमांक २ है। सभी तत्वों में इसका क्वथनांक (boiling point) एवं गलनांक (melting point) सबसे कम है। द्रव हिलियम का प्रयोग पदार्थों को अत्यन्त कम ताप तक ठण्डा करने के लिये किया जाता है; जैसे अतिचालक तारों को १.९ डिग्री केल्विन तक ठण्डा करने के लिये। हीलियम अक्रिय गैसों का एक प्रमुख सदस्य है। इसका संकेत He, परमाणुभार ४, परमाणुसंख्या २, घनत्व ०.१७८५, क्रांतिक ताप -२६७.९०० और क्रांतिक दबाव २ २६ वायुमंडल, क्वथनांक -२६८.९० सें.

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विलियम रामसे

सर विलियम रामसे (1852-1916) एक स्कॉटिश रसायन शास्त्री थे जिन्होंने अक्रिय गैसों की खोज की। 1904 में उन्हें इस खोज के लिए रसायन शास्त्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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आदर्श गैस

आदर्श गैस के नियत ताप पर pV आरेख आदर्श गैस एक काल्पनिक सैद्धान्तिक गैस है जिसके कण यादृच्छ गति करने वाले, परस्पर अन्योन्यक्रिया न करने वाले और 'बिन्दुवत' हैं। आदर्श गैस की संकल्पना उपयोगी है क्योंकि आदर्श गैस आदर्श गैस नियम का पालन करती है जो एक सरलीकृत एवं सुविधाजनक समीकरण है। सामान्य परिस्थितियों में (जैसे मानक ताप व दाब पर) अधिकांश वास्तविक गैसें गुणात्मक रूप से आदर्श गैस की भांति ही व्यवहार करतीं हैं। नाइट्रोजन, आक्सीजन, हाइड्रोजन, अक्रिय गैसें और कुछ भारी गैसें जैसे कार्बन डाई आक्साइड आदि को कुछ त्रुटि के साथ आदर्श गैस जैसा माना जा सकता है। प्रायः जितना ही अधिक ताप तथा जितना कम दाब हो, किसी गैस का व्यवहार 'आदर्श गैस' के उतना ही समीप होता हैं। .

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आवर्त सारणी

आवर्त सारणी (अथवा, तत्वों की आवर्त सारणी) रासायनिक तत्वों को उनकी संगत विशेषताओं के साथ एक सारणी के रूप में दर्शाने की एक व्यवस्था है। आवर्त सारणी में रासायनिक तत्त्व परमाणु क्रमांक के बढ़ते क्रम में सजाये गये हैं तथा आवर्त (पिरियड), प्राथमिक समूह, द्वितीयक समूह में वर्गीकृत किया गया है। वर्तमान आवर्त सारणी मैं ११८ ज्ञात तत्व सम्मिलित हैं। सबसे पहले रूसी रसायन-शास्त्री मेंडलीफ (सही उच्चारण- मेन्देलेयेव) ने सन १८६९ में आवर्त नियम प्रस्तुत किया और तत्वों को एक सारणी के रूप में प्रस्तुत किया। इसके कुछ महीनों बाद जर्मन वैज्ञानिक लोथर मेयर (1830-1895) ने भी स्वतन्त्र रूप से आवर्त सारणी का निर्माण किया। मेन्देलेयेव की सारणी से अल्फ्रेड वर्नर (Alfred Werner) ने आवर्त सारणी का वर्तमान स्वरूप निर्मित किया। सन १९५२ में कोस्टा रिका के वैज्ञानिक गिल चावेरी (scientist Gil Chaverri) ने आवर्त सारणी का एक नया रूप प्रस्तुत किया जो तत्वों के इलेक्ट्रानिक संरचना पर आधारित था। रसायन शास्त्रियों के लिये आवर्त सारणी अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं उपयोगी है। इसके कारण कम तत्वों के गुणधर्मों को ही याद रखने से काम चल जाता है क्योंकि आवर्त सारणी में किसी समूह (उर्ध्वाधर पंक्ति) या किसी आवर्त (क्षैतिज पंक्ति) में गुणधर्म एक निश्चित क्रम से एवं तर्कसम्मत तरीके से बदलते हैं। नीचे आवर्त सारणी का आधुनिक रूप दिखाया गया है जिसमें १८ वर्ग तथा ७ आवर्त हैं- .

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कार्बन नैनोट्यूब

कार्बन नैनोट्यूब का घूर्णन करता यह एनिमेशन उसकी 3 डी संरचना को दर्शाता है। कार्बन नैनोट्यूब (CNTs) एक बेलनाकार नैनोसंरचना वाले कार्बन के एलोट्रोप्स हैं। नैनोट्यूब को 28,000,000:1 तक के लंबाई से व्यास अनुपात के साथ निर्मित किया गया है, जो महत्वपूर्ण रूप से किसी भी अन्य द्रव्य से बड़ा है। इन बेलनाकार कार्बन अणुओं में नवीन गुण हैं जो उन्हें नैनोतकनीक, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्रकाशिकी और पदार्थ विज्ञान के अन्य क्षेत्रों के कई अनुप्रयोगों के साथ-साथ वास्तु क्षेत्र में संभावित रूप से उपयोगी बनाते हैं। वे असाधारण शक्ति और अद्वितीय विद्युत् गुण प्रदर्शित करते हैं और कुशल ताप परिचालक हैं। उनका अंतिम उपयोग, लेकिन, उनकी संभावित विषाक्तता और रासायनिक शोधन की प्रतिक्रिया में उनके गुण परिवर्तन को नियंत्रित करने के द्वारा सीमित हो सकता है। नैनोट्यूब फुलरीन संरचनात्मक परिवार के सदस्य हैं, जिसमें गोलाकार बकिबॉल भी शामिल हैं। एक नैनोट्यूब के छोर को बकिबॉल संरचना के एक गोलार्द्ध के साथ ढका जा सकता है। उनका नाम उनके आकार से लिया गया है, चूंकि एक नैनोट्यूब का व्यास कुछ नैनोमीटर के क्रम में है (एक मानव बाल की चौड़ाई का लगभग 1/50,000 वां हिस्सा), जबकि वे लंबाई में कई मिलीमीटर हो सकते हैं (यथा 2008).

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अधातु

अधातु (non-metals) रासायनिक वर्गीकरण में प्रयुक्त होने वाला एक शब्द है। आवर्त सारणी का प्रत्येक तत्व अपने रासायनिक और भौतिक गुणों के आधार पर धातु अथवा अधातु श्रेणी में वर्गीकृत किया जा सकता है। (कुछ तत्व जिनमें दोनों के गुण पाये जाते हैं उन्हें उपधातु (metaloid) की श्रेणी में रखा जाता है।) आवर्त सारणी में ये १४वें (XIV) से लेकर १८वें (XVIII) समूह में दाहिने-ऊपरी कोने में स्थित हैं। इसके अलावा प्रथम समूह में सबसे उपर स्थित उदजन भी अधातु है। हाइड्रोजन के अलावा जारक, प्रांगार, भूयाति, गंधक, भास्वर, हैलोजन, तथा अक्रिय गैसें अधातु मानी जाती हैं। प्रायः आवर्त सारणी के केवल 18 तत्व अधातु की श्रेणी में गिने जाते हैं जबकि धातु की श्रेणी में 80 से भी अधिक तत्व आते हैं। फिर भी पृथ्वी के गर्भ का, वायुमण्डल और जलमण्डल का अधिकांश भाग अधातुएँ ही हैं। जीवों की संरचना में भी अधातुओं का ही अधिकांशता है। .

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