हम Google Play स्टोर पर Unionpedia ऐप को पुनर्स्थापित करने के लिए काम कर रहे हैं
निवर्तमानआने वाली
🌟हमने बेहतर नेविगेशन के लिए अपने डिज़ाइन को सरल बनाया!
Instagram Facebook X LinkedIn

साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी

सूची साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी

साहित्य अकादमी पुरस्कार एक साहित्यिक सम्मान है जो कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं और सिन्धी भाषा इन में से एक भाषा हैं। अकादमी ने १९५९ से इस भाषा के लिए पुरस्कारों को पेश किया। .

सामग्री की तालिका

  1. 105 संबंधों: चालीह–चोरासी, चीख़, टांडाणा (अंधेरी रात में), एच. आई. सदारंगाणी, एम. यू. मलकाणी, एम. कमल, ढोलण राही, तमस (उपन्यास), तहक़ीक़ एन तनक़ीद, तारा मीरचंदाणी, ताराशंकर बंद्योपाध्याय, तक तोर, तीर्थ वसंत, दामोदर माऊज़ो, धर्ती–अ–जो–साद, नामदेव ताराचंदाणी, नारायण श्याम, परम ए. अबीचंदाणी, पल पल जो परलाओ, प्यार जी प्यास, प्रेम प्रकाश, पोपटी आर. हीरानंदाणी, बर्फ जो ठहेयलु, बाहि जा वारिस, भारतीय साहित्य अकादमी, भगत, भीष्म साहनी, मँहगी मुर्क, माया राही, मिटीअ खां मिट्टीअ तार्इं, मंश-नगरी, मुहीजी हयाती–आ–जा सोना रोपा वर्क, मेरो सिज, मोती प्रकाश, मोहन राकेश, मोहन गेहाणी, मोहन कल्पना, याद हिक प्यार जी, राम पंजवाणी, रिश्तन जी सियासत, लाल पुष्प, लखमी खिलाणी, लक्ष्मण दुबे, लक्ष्मण भाटिया कोमल, लेखराज किशनचंद अज़ीज़, शाह जो रिसालो मुजामिल, श्याम जयसिंघाणी, शीशे–जा घर, सतीश रोहरा, साहित्य अकादमी पुरस्कार, ... सूचकांक विस्तार (55 अधिक) »

  2. सिंधी साहित्यकार

चालीह–चोरासी

चालीह–चोरासी सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हरीश वासवाणी द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 1987 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और चालीह–चोरासी

चीख़

चीख़ सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार एच. आई. सदारंगाणी द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1978 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और चीख़

टांडाणा (अंधेरी रात में)

टांडाणा (अंधेरी रात में) सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार ईश्वर आँचल द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1997 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और टांडाणा (अंधेरी रात में)

एच. आई. सदारंगाणी

एच.

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और एच. आई. सदारंगाणी

एम. यू. मलकाणी

एम.

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और एम. यू. मलकाणी

एम. कमल

एम.

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और एम. कमल

ढोलण राही

ढोलण राही सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह अँधेरो रोशन थिये के लिये उन्हें सन् 2005 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और ढोलण राही

तमस (उपन्यास)

तमस भीष्म साहनी का सबसे प्रसिद्ध उपन्यास है। वे इस उपन्यास से साहित्य जगत में बहुत लोकप्रिय हुए थे। तमस को १९७५ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। इस पर १९८६ में गोविंद निहलानी ने दूरदर्शन धारावाहिक तथा एक फ़िल्म भी बनाई थी। 'तमस' की कथा परिधि में अप्रैल १९४७ के समय में पंजाब के जिले को परिवेश के रूप में लिया गया है। 'तमस' कुल पांच दिनों की कहानी को लेकर बुना गया उपन्यास है। परंतु कथा में जो प्रसंग संदर्भ और निष्कर्ष उभरते हैं, उससे यह पांच दिवस की कथा न होकर बीसवीं सदी के हिंदुस्तान के अब तक के लगभग सौ वर्षो की कथा हो जाती है। यों संपूर्ण कथावस्तु दो खंडों में विभाजित है। पहले खंड में कुल तेरह प्रकरण हैं। दूसरा खंड गांव पर केंद्रित है। 'तमस' उपन्यास का रचनात्मक संगठन कलात्मक संधान की दृष्टि से प्रशंसनीय है। इसमें प्रयुक्त संवाद और नाटकीय तत्व प्रभावकारी हैं। भाषा हिन्दी, उर्दू, पंजाबी एवं अंग्रेजी के मिश्रित रूप वाली है। भाषायी अनुशासन कथ्य के प्रभाव को गहराता है। साथ ही कथ्य के अनुरूप वर्णनात्मक, मनोविशेषणात्मक एवं विशेषणात्मक शैली का प्रयोग सर्जक के शिल्प कौशल को उजागर करता है। आजादी के ठीक पहले सांप्रदायिकता की बैसाखियाँ लगाकर पाशविकता का जो नंगा नाच इस देश में नाचा गया था, उसका अंतरग चित्रण भीष्म साहनी ने इस उपन्यास में किया है। काल-विस्तार की दृष्टि से यह केवल पाँच दिनों की कहानी होने के बावजूद इसे लेखक ने इस खूबी के साथ चुना है कि सांप्रदायिकता का हर पहलू तार-तार उदघाटित हो जाता है और पाठक सारा उपन्यास एक साँस में पढ़ जाने के लिए विवश हो जाता है। भारत में साम्प्रदायिकता की समस्या एक युग पुरानी है और इसके दानवी पंजों से अभी तक इस देश की मुक्ति नहीं हुई है। आजादी से पहले विदेशी शासकों ने यहाँ की जमीन पर अपने पाँव मजबूत करने के लिए इस समस्या को हथकंडा बनाया था और आजादी के बाद हमारे देश के कुछ राजनीतिक दल इसका घृणित उपयोग कर रहे हैं। और इस सारी प्रक्रिया में जो तबाही हुई है उसका शिकार बनते रहे हैं वे निर्दोष और गरीब लोग जो न हिन्दू हैं, न मुसलमान बल्कि सिर्फ इन्सान हैं और हैं भारतीय नागरिक। भीष्म साहनी ने आजादी से पहले हुए साम्प्रदायिक दंगों को आधार बनाकर इस समस्या का सूक्ष्म विश्लेषण किया है और उन मनोवृत्तियों को उघाड़कर सामने रखा है जो अपनी विकृतियों का परिणाम जनसाधारण को भोगने के लिए विवश करती हैं। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और तमस (उपन्यास)

तहक़ीक़ एन तनक़ीद

तहक़ीक़ एन तनक़ीद सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हीरो ठाकुर द्वारा रचित एक निबंध है जिसके लिये उन्हें सन् 2003 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और तहक़ीक़ एन तनक़ीद

तारा मीरचंदाणी

तारा मीरचंदाणी सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास हठयोगी के लिये उन्हें सन् 1993 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और तारा मीरचंदाणी

ताराशंकर बंद्योपाध्याय

ताराशंकर बंद्योपाध्याय बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास आरोग्य निकेतन के लिये उन्हें सन् 1956 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और ताराशंकर बंद्योपाध्याय

तक तोर

तक तौर सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार परम ए. अबीचंदाणी द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 2000 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और तक तोर

तीर्थ वसंत

तीर्थ वसंत सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक जीवनी कँवर के लिये उन्हें सन् 1959 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और तीर्थ वसंत

दामोदर माऊज़ो

दामोदर माऊज़ो (जन्म: १ अगस्त १९४४) गोवा के उपन्यासकार, कथाकार, आलोचक और निबन्धकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास कार्मेलिन के लिये उन्हें सन् १९८३ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (कोंकणी) से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और दामोदर माऊज़ो

धर्ती–अ–जो–साद

धर्ती–अ–जो–साद सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार कीरत बाबाणी द्वारा रचित एक नाटक है जिसके लिये उन्हें सन् 2006 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और धर्ती–अ–जो–साद

नामदेव ताराचंदाणी

नामदेव ताराचंदाणी सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता-संग्रह मंश-नगरी के लिये उन्हें सन् 2013 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और नामदेव ताराचंदाणी

नारायण श्याम

नारायण श्याम सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह वारी–अ–भर्यो पलांदु के लिये उन्हें सन् 1970 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और नारायण श्याम

परम ए. अबीचंदाणी

परम ए. अबीचंदाणी सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक समालोचना तक तोर के लिये उन्हें सन् 2000 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और परम ए. अबीचंदाणी

पल पल जो परलाओ

पल पल जो परलाओ सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हरि दरयाणी ‘दिलगीर’ द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1979 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और पल पल जो परलाओ

प्यार जी प्यास

प्यार जी प्यास सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार गोविन्द माल्ही द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1973 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और प्यार जी प्यास

प्रेम प्रकाश

प्रेम प्रकाश पंजाबी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह कुझ अनकहा वी के लिये उन्हें सन् 1992 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और प्रेम प्रकाश

पोपटी आर. हीरानंदाणी

पोपटी आर.

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और पोपटी आर. हीरानंदाणी

बर्फ जो ठहेयलु

बर्फ जो ठहेयलु सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार वासदेव मोही द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1999 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और बर्फ जो ठहेयलु

बाहि जा वारिस

बाहि जा वारिस सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार एम. कमल द्वारा रचित एक ग़ज़ल–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1989 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और बाहि जा वारिस

भारतीय साहित्य अकादमी

भारत की साहित्य अकादमी भारतीय साहित्य के विकास के लिये सक्रिय कार्य करने वाली राष्ट्रीय संस्था है। इसका गठन १२ मार्च १९५४ को भारत सरकार द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य उच्च साहित्यिक मानदंड स्थापित करना, भारतीय भाषाओं और भारत में होनेवाली साहित्यिक गतिविधियों का पोषण और समन्वय करना है। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और भारतीय साहित्य अकादमी

भगत

भगत सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार प्रेम प्रकाश द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2001 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और भगत

भीष्म साहनी

रावलपिंडी पाकिस्तान में जन्मे भीष्म साहनी (८ अगस्त १९१५- ११ जुलाई २००३) आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख स्तंभों में से थे। १९३७ में लाहौर गवर्नमेन्ट कॉलेज, लाहौर से अंग्रेजी साहित्य में एम ए करने के बाद साहनी ने १९५८ में पंजाब विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि हासिल की। भारत पाकिस्तान विभाजन के पूर्व अवैतनिक शिक्षक होने के साथ-साथ ये व्यापार भी करते थे। विभाजन के बाद उन्होंने भारत आकर समाचारपत्रों में लिखने का काम किया। बाद में भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) से जा मिले। इसके पश्चात अंबाला और अमृतसर में भी अध्यापक रहने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में साहित्य के प्रोफेसर बने। १९५७ से १९६३ तक मास्को में विदेशी भाषा प्रकाशन गृह (फॉरेन लॅग्वेजेस पब्लिकेशन हाउस) में अनुवादक के काम में कार्यरत रहे। यहां उन्होंने करीब दो दर्जन रूसी किताबें जैसे टालस्टॉय आस्ट्रोवस्की इत्यादि लेखकों की किताबों का हिंदी में रूपांतर किया। १९६५ से १९६७ तक दो सालों में उन्होंने नयी कहानियां नामक पात्रिका का सम्पादन किया। वे प्रगतिशील लेखक संघ और अफ्रो-एशियायी लेखक संघ (एफ्रो एशियन राइटर्स असोसिएशन) से भी जुड़े रहे। १९९३ से ९७ तक वे साहित्य अकादमी के कार्यकारी समीति के सदस्य रहे। भीष्म साहनी को हिन्दी साहित्य में प्रेमचंद की परंपरा का अग्रणी लेखक माना जाता है। वे मानवीय मूल्यों के लिए हिमायती रहे और उन्होंने विचारधारा को अपने ऊपर कभी हावी नहीं होने दिया। वामपंथी विचारधारा के साथ जुड़े होने के साथ-साथ वे मानवीय मूल्यों को कभी आंखो से ओझल नहीं करते थे। आपाधापी और उठापटक के युग में भीष्म साहनी का व्यक्तित्व बिल्कुल अलग था। उन्हें उनके लेखन के लिए तो स्मरण किया ही जाएगा लेकिन अपनी सहृदयता के लिए वे चिरस्मरणीय रहेंगे। भीष्म साहनी हिन्दी फ़िल्मों के जाने माने अभिनेता बलराज साहनी के छोटे भाई थे। उन्हें १९७५ में तमस के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, १९७५ में शिरोमणि लेखक अवार्ड (पंजाब सरकार), १९८० में एफ्रो एशियन राइटर्स असोसिएशन का लोटस अवार्ड, १९८३ में सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड तथा १९९८ में भारत सरकार के पद्मभूषण अलंकरण से विभूषित किया गया। उनके उपन्यास तमस पर १९८६ में एक फिल्म का निर्माण भी किया गया था। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और भीष्म साहनी

मँहगी मुर्क

मँहगी मुर्क सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार माया राही द्वारा रचित एक कहानी है जिसके लिये उन्हें सन् 2015 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और मँहगी मुर्क

माया राही

माया राही सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी मँहगी मुर्क के लिये उन्हें सन् 2015 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और माया राही

मिटीअ खां मिट्टीअ तार्इं

मिटीअ खां मिट्टीअ तार्इं सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार इंदरा वासवाणी द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2012 में सिन्धी भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और मिटीअ खां मिट्टीअ तार्इं

मंश-नगरी

मंश-नगरी सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार नामदेव ताराचंदाणी द्वारा रचित एक कविता-संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2013 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और मंश-नगरी

मुहीजी हयाती–आ–जा सोना रोपा वर्क

मुहीजी हयाती–आ–जा सोना रोपा वर्क सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार पोपटी आर. हीरानंदाणी द्वारा रचित एक आत्मकथा है जिसके लिये उन्हें सन् 1982 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और मुहीजी हयाती–आ–जा सोना रोपा वर्क

मेरो सिज

मेरो सिज सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार अर्जन ‘हासिद’ द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1985 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और मेरो सिज

मोती प्रकाश

मोती प्रकाश सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक यात्रा–वृत्तांत से सभ सांध्यम साह सें के लिये उन्हें सन् 1988 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और मोती प्रकाश

मोहन राकेश

मोहन राकेश(८ जनवरी १९२५ - ३ जनवरी, १९७२) नई कहानी आन्दोलन के सशक्त हस्ताक्षर थे। पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए किया। जीविकोपार्जन के लिये अध्यापन। कुछ वर्षो तक 'सारिका' के संपादक। 'आषाढ़ का एक दिन','आधे अधूरे' और लहरों के राजहंस के रचनाकार। 'संगीत नाटक अकादमी' से सम्मानित। ३ जनवरी १९७२ को नयी दिल्ली में आकस्मिक निधन। मोहन राकेश हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और उपन्यासकार हैं। समाज के संवेदनशील व्यक्ति और समय के प्रवाह से एक अनुभूति क्षण चुनकर उन दोनों के सार्थक सम्बन्ध को खोज निकालना, राकेश की कहानियों की विषय-वस्तु है। मोहन राकेश की डायरी हिंदी में इस विधा की सबसे सुंदर कृतियों में एक मानी जाती है। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और मोहन राकेश

मोहन गेहाणी

मोहन गेहाणी सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक नाट्य–संकलन...त ख्वाबनि जो छा थींदो के लिये उन्हें सन् 2011 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और मोहन गेहाणी

मोहन कल्पना

मोहन कल्पना सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह उहा शाम के लिये उन्हें सन् 1984 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और मोहन कल्पना

याद हिक प्यार जी

याद हिक प्यार जी सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार कृशिन खटवाणी द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1980 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और याद हिक प्यार जी

राम पंजवाणी

राम पंजवाणी सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक संस्मरण अनोखा अज़मूदा के लिये उन्हें सन् 1964 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और राम पंजवाणी

रिश्तन जी सियासत

रिश्तन जी सियासत सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार आनंद खेमानी द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2009 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और रिश्तन जी सियासत

लाल पुष्प

लाल पुष्प सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास हुनजे आतम जो मौत के लिये उन्हें सन् 1974 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और लाल पुष्प

लखमी खिलाणी

लखमी खिलाणी सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह गुफ़ा जे हुन पार के लिये उन्हें सन् 1996 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और लखमी खिलाणी

लक्ष्मण दुबे

लक्ष्मण दुबे सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक ग़ज़ल–संग्रह अञा याद आहे के लिये उन्हें सन् 2010 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और लक्ष्मण दुबे

लक्ष्मण भाटिया कोमल

लक्ष्मण भाटिया कोमल सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह जी–आ–झरोको के लिये उन्हें सन् 1976 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और लक्ष्मण भाटिया कोमल

लेखराज किशनचंद अज़ीज़

लेखराज किशनचंद अज़ीज़ सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह सुराही के लिये उन्हें सन् 1966 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और लेखराज किशनचंद अज़ीज़

शाह जो रिसालो मुजामिल

शाह जो रिसालो मुजामिल सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार कल्याण बी– आडवाणी द्वारा रचित एक मूल्यांकन है जिसके लिये उन्हें सन् 1968 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और शाह जो रिसालो मुजामिल

श्याम जयसिंघाणी

श्याम जयसिंघाणी सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक नाटक ज़लज़लों के लिये उन्हें सन् 1998 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और श्याम जयसिंघाणी

शीशे–जा घर

शीशे–जा घर सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार गोवर्धन महबूबाणी ‘भारती’ द्वारा रचित एक कविता–संकलन है जिसके लिये उन्हें सन् 1990 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और शीशे–जा घर

सतीश रोहरा

सतीश रोहरा सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक समालोचना कविता खाँ कविता तार्इं के लिये उन्हें सन् 2004 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और सतीश रोहरा

साहित्य अकादमी पुरस्कार

साहित्य अकादमी पुरस्कार भारत में एक साहित्यिक सम्मान है, जो साहित्य अकादमी प्रतिवर्ष भारत की अपने द्वारा मान्यता प्रदत्त प्रमुख भाषाओं में से प्रत्येक में प्रकाशित सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक कृति को पुरस्कार प्रदान करती है। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल २२ भारतीय भाषाओं के अलावा ये राजस्थानी और अंग्रेज़ी भाषा; याने कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं। पहली बार ये पुरस्कार सन् 1955 में दिए गए। पुरस्कार की स्थापना के समय पुरस्कार राशि 5,000/- रुपए थी, जो सन् 1983 में ब़ढा कर 10,000/- रुपए कर दी गई और सन् 1988 में ब़ढा कर इसे 25,000/- रुपए कर दिया गया। सन् 2001 से यह राशि 40,000/- रुपए की गई थी। सन् 2003 से यह राशि 50,000/- रुपए कर दी गई है। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और साहित्य अकादमी पुरस्कार

सिन्धी नस्र जी तारीख़

सिन्धी नस्र जी तारीख़ सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार एम. यू. मलकाणी द्वारा रचित एक सिन्धी गद्य का इतिहास है जिसके लिये उन्हें सन् 1969 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और सिन्धी नस्र जी तारीख़

सिन्धी भाषा

सिंधी भारत के पश्चिमी हिस्से और मुख्य रूप से गुजरात और पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है। इसका संबंध भाषाई परिवार के स्तर पर आर्य भाषा परिवार से है जिसमें संस्कृत समेत हिन्दी, पंजाबी और गुजराती भाषाएँ शामिल हैं। अनेक मान्य विद्वानों के मतानुसार, आधुनिक भारतीय भाषाओं में, सिन्धी, बोली के रूप में संस्कृत के सर्वाधिक निकट है। सिन्धी के लगभग ७० प्रतिशत शब्द संस्कृत मूल के हैं। सिंधी भाषा सिंध प्रदेश की आधुनिक भारतीय-आर्य भाषा जिसका संबंध पैशाची नाम की प्राकृत और व्राचड नाम की अपभ्रंश से जोड़ा जाता है। इन दोनों नामों से विदित होता है कि सिंधी के मूल में अनार्य तत्व पहले से विद्यमान थे, भले ही वे आर्य प्रभावों के कारण गौण हो गए हों। सिंधी के पश्चिम में बलोची, उत्तर में लहँदी, पूर्व में मारवाड़ी और दक्षिण में गुजराती का क्षेत्र है। यह बात उल्लेखनीय है कि इस्लामी शासनकाल में सिंध और मुलतान (लहँदीभाषी) एक प्रांत रहा है और 1843 से 1936 ई.

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और सिन्धी भाषा

सिजा अज्ञान बुकु

सिजा अज्ञान बुकु सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार गोपे कमल द्वारा रचित एक कविता है जिसके लिये उन्हें सन् 2014 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और सिजा अज्ञान बुकु

सुराही

सुराही सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार लेखराज किशनचंद ‘अज़ीज़’ द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1966 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और सुराही

सुंदरी ए. उत्तमचंदाणी

सुंदरी ए. उत्तमचंदाणी सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह विछोरो के लिये उन्हें सन् 1986 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और सुंदरी ए. उत्तमचंदाणी

सृजन जो संकट ऐं सिन्धी कहाणी

सृजन जो संकट ऐं सिन्धी कहाणी सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हीरो शेवकाणी द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 2008 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और सृजन जो संकट ऐं सिन्धी कहाणी

से सभ सांध्यम साह सें

से सभ सांध्यम साह सें सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार मोती प्रकाश द्वारा रचित एक यात्रा–वृत्तांत है जिसके लिये उन्हें सन् 1988 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और से सभ सांध्यम साह सें

सोच जूं सूरतूं

सोच जूं सूरतूं सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हरिकान्त जेठवाणी द्वारा रचित एक कविता–संकलन है जिसके लिये उन्हें सन् 1991 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और सोच जूं सूरतूं

हठयोगी

हठयोगी सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार तारा मीरचंदाणी द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1993 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और हठयोगी

हरि दरयाणी दिलगीर

हरि दरयाणी दिलगीर सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह पल पल जो परलाओ के लिये उन्हें सन् 1979 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और हरि दरयाणी दिलगीर

हरि मोटवाणी

हरि मोटवाणी सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास आझो के लिये उन्हें सन् 1995 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और हरि मोटवाणी

हरिकान्त जेठवाणी

हरिकान्त जेठवाणी सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संकलन सोच जूं सूरतूं के लिये उन्हें सन् 1991 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और हरिकान्त जेठवाणी

हरीश वासवाणी

हरीश वासवाणी सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक समालोचना चालीह–चोरासी के लिये उन्हें सन् 1987 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और हरीश वासवाणी

हुनजे आतम जो मौत

हुनजे आतम जो मौत सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार लाल पुष्प द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1974 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और हुनजे आतम जो मौत

हीरो ठाकुर

हीरो ठाकुर सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक निबंध तहक़ीक़ एन तनक़ीद के लिये उन्हें सन् 2003 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और हीरो ठाकुर

हीरो शेवकाणी

हीरो शेवकाणी सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक समालोचना सृजन जो संकट ऐं सिन्धी कहाणी के लिये उन्हें सन् 2008 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और हीरो शेवकाणी

ज़लज़लों

ज़लज़लों सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार श्याम जयसिंघाणी द्वारा रचित एक नाटक है जिसके लिये उन्हें सन् 1998 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और ज़लज़लों

जी–आ–झरोको

जी–आ–झरोको सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार लक्ष्मण भाटिया ‘कोमल’ द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1976 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और जी–आ–झरोको

ईश्वर आँचल

ईश्वर आँचल सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह टांडाणा (अंधेरी रात में) के लिये उन्हें सन् 1997 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और ईश्वर आँचल

वारी–अ–भर्यो पलांदु

वारी–अ–भर्यो पलांदु सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार नारायण श्याम द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1970 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और वारी–अ–भर्यो पलांदु

वासदेव मोही

वासदेव मोही सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह बर्फ जो ठहेयलु के लिये उन्हें सन् 1999 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और वासदेव मोही

वासुदेव निर्मल

वासुदेव निर्मल सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक एकांकी–संग्रह विजूं वसण आयूं के लिये उन्हें सन् 2007 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और वासुदेव निर्मल

विजूं वसण आयूं

विजूं वसण आयूं सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार वासुदेव ‘निर्मल’ द्वारा रचित एक एकांकी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2007 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और विजूं वसण आयूं

विछोरो

विछोरो सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार सुंदरी ए. उत्तमचंदाणी द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1986 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और विछोरो

वेद राही

वेद राही (जन्म १९३३) हिन्दी और डोगरी के साहित्यकार तथा फिल्म निर्देशक हैं, जिन्होंने स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी विनायक दामोदर सावरकर के जीवन पर आधारित फिल्म वीर-सावरकर बनाई। वेद राही ने दूरदर्शन धारावाहिक गुल गुलशन गुलफाम का भी निर्देशन किया। वेद राही का जन्म 22 मई 1933 को जम्मू कश्मीर में हुआ था। इनके पिता का नाम लाला मुल्कराज सराफ था जो जम्मू से “रणबीर” नाम का समाचार-पत्र निकलते थे। राही जी को बचपन से ही लिखने का शौक था। उन्होंने पहले उर्दू में लिखना आरम्भ किया और फिर हिंदी और डोगरी भाषा में भी लिखने लगे। उनकी अब तक की कुछ मशहूर कहानियां है - काले हत्थे (1958), आले (1982), क्रॉस फायरिंग। उनके प्रमुख उपन्यासों में झाड़ू बेदी ते पत्तन (1960), परेड (1982), टूटी हुई डोर (1980), गर्म जून आदि। वेद राही ने फिल्मी संसार में कदम रामानंद सागर के कारण रखा जिनके साथ जुड़ रहकर उन्होंने लगभग 25 हिंदी फिल्मों के लिए कहानिया, डायलॉग और स्क्रीन राइटिंग की। इन्होने कई फिल्में की जैसे वीर सावरकर (1982), बेज़ुबान (1976), चरस (1975), संन्यासी (1972), बे-ईमान (1972), मोम की गुड़िया (1971), आप आये बहार आई (1971), पराया धन (1970), पवित्र पापी (1966), 'यह रात फिर न आएगी' आदि। इसके अलावा उन्होंने 9 फिल्मे और सीरियल का निर्देशन किया एहसास (टीवी सीरीज) (1994), रिश्ते (टीवी सीरीज) (1987), ज़िन्दगी (टीवी सीरीज)(1987), गुल गुलशन गुलफाम (टीवी सीरीज) (1984), नादानियाँ (1980), काली घटा (1973), प्रेम पर्वत (1972), दरार आदि। इसके अलावा इन्होने काली घटा नामक फिल्म निर्मित भी की। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और वेद राही

गुणो सामताणी

गुणो सामताणी सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह अपराजित के लिये उन्हें सन् 1972 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और गुणो सामताणी

गुफ़ा जे हुन पार

गुफ़ा जे हुन पार सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार लखमी खिलाणी द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1996 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और गुफ़ा जे हुन पार

गोपे कमल

गोपे कमल सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता सिजा अज्ञान बुकु के लिये उन्हें सन् 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और गोपे कमल

गोवर्धन महबूबाणी भारती

गोवर्धन महबूबाणी भारती सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संकलन शीशे–जा घर के लिये उन्हें सन् 1990 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और गोवर्धन महबूबाणी भारती

गोविन्द माल्ही

गोविन्द माल्ही सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास प्यार जी प्यास के लिये उन्हें सन् 1973 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और गोविन्द माल्ही

आझो

आझो सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हरि मोटवाणी द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1995 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और आझो

आनंद खेमानी

आनंद खेमानी सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह रिश्तन जी सियासत के लिये उन्हें सन् 2009 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और आनंद खेमानी

आरसी–आ–आडो

आरसी–आ–आडो सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार कला प्रकाश द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1994 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और आरसी–आ–आडो

आषाढ़ का एक दिन

नाटककार मोहन राकेश ने ''आषाढ़ का एक दिन'' १९५८ में प्रकाशित किया आषाढ़ का एक दिन सन १९५८ में प्रकाशित और नाटककार मोहन राकेश द्वारा रचित एक हिंदी नाटक है। इसे कभी-कभी हिंदी नाटक के आधुनिक युग का प्रथम नाटक कहा जाता है। १९५९ में इसे वर्ष का सर्वश्रेष्ठ नाटक होने के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया और कईं प्रसिद्ध निर्देशक इसे मंच पर ला चुकें हैं। १९७१ में निर्देशक मणि कौल ने इस पर आधारित एक फ़िल्म बनाई जिसने आगे जाकर साल की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीत लिया। आषाढ़ का एक दिन महाकवि कालिदास के निजी जीवन पर केन्द्रित है, जो १०० ई॰पू॰ से ५०० ईसवी के अनुमानित काल में व्यतीत हुआ। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और आषाढ़ का एक दिन

इरावती कर्वे

इरावती कर्वे (15 दिसम्बर 1905 - 11 अगस्त 1970) भारत की शिक्षाशास्त्री, लेखिका एवं नृवैज्ञानिक (एंथ्रोपोलोजिस्ट) थीं। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और इरावती कर्वे

इंदरा वासवाणी

इंदरा वासवाणी सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह मिटीअ खां मिट्टीअ तार्इं के लिये उन्हें सन् 2012 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित(मरणोपरांत) किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और इंदरा वासवाणी

कँवर

कँवर सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार तीर्थ वसंत द्वारा रचित एक जीवनी है जिसके लिये उन्हें सन् 1959 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और कँवर

कला प्रकाश

कला प्रकाश सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास आरसी–आ–आडो के लिये उन्हें सन् 1994 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और कला प्रकाश

कल्याण बी– आडवाणी

कल्याण बी– आडवाणी सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक मूल्यांकन शाह जो रिसालो मुजामिल के लिये उन्हें सन् 1968 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और कल्याण बी– आडवाणी

कार्मेलिन

कार्मेलिन कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार दामोदर मावज़ो द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1983 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और कार्मेलिन

कविता खाँ कविता तार्इं

कविता खाँ कविता तार्इं सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार सतीश रोहरा द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 2004 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और कविता खाँ कविता तार्इं

कुमाच

कुमाच सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार कृशिन राही द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1971 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और कुमाच

कुर्अतुल ऐन हैदर

ऐनी आपा के नाम से जानी जानी वाली क़ुर्रतुल ऐन हैदर (२० जनवरी १९२७ - २१ अगस्त २००७) प्रसिद्ध उपन्यासकार और लेखिका थीं। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और कुर्अतुल ऐन हैदर

कृशिन राही

कृशिन राही सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह कुमाच के लिये उन्हें सन् 1971 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और कृशिन राही

कृशिन खटवाणी

कृशिन खटवाणी सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास याद हिक प्यार जी के लिये उन्हें सन् 1980 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और कृशिन खटवाणी

कीरत बाबाणी

कीरत बाबाणी सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक नाटक धर्ती–अ–जो–साद के लिये उन्हें सन् 2006 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और कीरत बाबाणी

अञा याद आहे

अञा याद आहे सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार लक्ष्मण दुबे द्वारा रचित एक ग़ज़ल–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2010 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और अञा याद आहे

अँधेरो रोशन थिये

अँधेरो रोशन थिये सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार ढोलण ‘राही’ द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2005 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और अँधेरो रोशन थिये

अनोखा अज़मूदा

अनोखा अज़मूदा सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार राम पंजवाणी द्वारा रचित एक संस्मरण है जिसके लिये उन्हें सन् 1964 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और अनोखा अज़मूदा

अपराजित

अपराजिता था एक आठवीं सदी दिगम्बर साधु है। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और अपराजित

अर्जन मीरचंदाणी शाद

अर्जन मीरचंदाणी शाद सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह अंधो दूहों के लिये उन्हें सन् 1983 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और अर्जन मीरचंदाणी शाद

अर्जन हासिद

अर्जन हासिद सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह मेरो सिज के लिये उन्हें सन् 1985 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और अर्जन हासिद

अंधो दूहों

अंधो दूहों सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार अर्जन मीरचंदाणी ‘शाद’ द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1983 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और अंधो दूहों

उहा शाम

उहा शाम सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार मोहन कल्पना द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1984 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और उहा शाम

...त ख्वाबनि जो छा थींदो

...त ख्वाबनि जो छा थींदो सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार मोहन गेहाणी द्वारा रचित एक नाट्य–संकलन है जिसके लिये उन्हें सन् 2011 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार सिन्धी और ...त ख्वाबनि जो छा थींदो

यह भी देखें

सिंधी साहित्यकार

, सिन्धी नस्र जी तारीख़, सिन्धी भाषा, सिजा अज्ञान बुकु, सुराही, सुंदरी ए. उत्तमचंदाणी, सृजन जो संकट ऐं सिन्धी कहाणी, से सभ सांध्यम साह सें, सोच जूं सूरतूं, हठयोगी, हरि दरयाणी दिलगीर, हरि मोटवाणी, हरिकान्त जेठवाणी, हरीश वासवाणी, हुनजे आतम जो मौत, हीरो ठाकुर, हीरो शेवकाणी, ज़लज़लों, जी–आ–झरोको, ईश्वर आँचल, वारी–अ–भर्यो पलांदु, वासदेव मोही, वासुदेव निर्मल, विजूं वसण आयूं, विछोरो, वेद राही, गुणो सामताणी, गुफ़ा जे हुन पार, गोपे कमल, गोवर्धन महबूबाणी भारती, गोविन्द माल्ही, आझो, आनंद खेमानी, आरसी–आ–आडो, आषाढ़ का एक दिन, इरावती कर्वे, इंदरा वासवाणी, कँवर, कला प्रकाश, कल्याण बी– आडवाणी, कार्मेलिन, कविता खाँ कविता तार्इं, कुमाच, कुर्अतुल ऐन हैदर, कृशिन राही, कृशिन खटवाणी, कीरत बाबाणी, अञा याद आहे, अँधेरो रोशन थिये, अनोखा अज़मूदा, अपराजित, अर्जन मीरचंदाणी शाद, अर्जन हासिद, अंधो दूहों, उहा शाम, ...त ख्वाबनि जो छा थींदो