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सवाई माधोपुर

सूची सवाई माधोपुर

सवाई माधोपुर भारत के राजस्थान का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। यह जिला रणथम्‍भौर राष्‍ट्रीय उद्यान के लिए जाना जाता है, जो बाघों के लिए प्रसिद्ध है। सवाई माधोपुर जिले में निम्‍न तहसीलें हैं- गंगापुर सिटी, सवाई माधोपुर, चौथ का बरवाड़ा, बौंली, मलारना डूंगर, वजीरपुर, बामनवास और खण्डार.

55 संबंधों: चिंकारा, चंबल नदी, चौथ माता, चौथ का बरवाड़ा, चीतल, झील, तालाब, त्रिनेत्र गणेश, रणथम्भौर, दिल्ली, पिलोदा, पक्षी, बनास नदी, बामनवास, बाघ, बिल्ली, बौंली, बूँदी जिला, भारत, भारत के राष्ट्रीय उद्यान, भगवतगढ़, भीमसिंह चौहान, मलारना डूंगर, महादेव, महापौर, माधो सिंह प्रथम, मीन भगवान का मन्दिर, राजस्थान, रणथम्भोर दुर्ग, रणथम्भोर राष्ट्रीय उद्यान, रामेश्वर त्रिवेणी संगम, राष्ट्रीय चम्बल वन्य जीव अभयारण्य, राजस्थान, लोमड़ी, लोक सभा, शियार, शिवाड़, सांभर, सांसद, सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन व जंक्शन, सवाई मानसिंह अभयारण्य, संगमर्मर, सूअर, हम्मीर चौहान, हिरण, घुश्मेश्वर मन्दिर, राजस्थान, खण्डार, खण्डार का अजय दुर्ग, गणेश, गंगापुर सिटी, गंगापुर सिटी रेलवे स्टेशन, आगरा, ..., कँवालजी आखेट निषिद्द क्षेत्र, काला-गौरा भैरव मंदिर, कैला देवी वन्य जीव अभयारण्य, अरणेश्वर महादेव सप्त कुंड, अरावली सूचकांक विस्तार (5 अधिक) »

चिंकारा

चिंकारा दक्षिण एशिया में पाया जाने वाला एक प्रकार का गज़ॅल है। यह भारत, बांग्लादेश के घास के मैदानों और मरुभूमि में तथा ईरान और पाकिस्तान के कुछ इलाकों में पाया जाता है। इसकी ऊँचाई कन्धे तक ६५ से.मी.

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चंबल नदी

चंबल नदी (हिन्दी-चम्बल) मध्य भारत में यमुना नदी की सहायक नदी है| यह नदी भारत में उत्तर तथा उत्तर-मध्य भाग में राजस्थान तथा मध्य प्रदेश से होकर बहती है| यह नदी दक्षिण मोड़ को उत्तर प्रदेश राज्य में यमुना में शामिल होने के पहले राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच सीमा बनाती है | यह एक बारहमासी नदी है| इसका उद्गम स्थल मानपुर इंदौर मध्यप्रदेश है | यह दक्षिण महू शहर के, इंदौर के पास, विंध्य रेंज के मध्य प्रदेश में दक्षिण ढलान से होकर गुजरती है | चंबल और उसकी सहायक नदियां उत्तर पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र के नाले, जबकि इसकी सहायक नदी, बनास, जो अरावली पर्वतों से शुरू होती है इसमें मिल जाती है| चंबल, कावेरी, यमुना, सिन्धु, पहुज भरेह के पास पचनदा में, उत्तर प्रदेश राज्य में भिंड और इटावा जिले की सीमा पर शामिल पांच नदियों के संगम समाप्त होता है| श्रेणी:भारत की नदियाँ.

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चौथ माता

, चौथ का बरवाड़ा राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के अंतर्गत आने वाला एक छोटा सा शहर है, माता जी का भव्य मंदिर इसी छोटे से शहर के शक्तिगिरी पर्वत पर बना हुआ है। चौथ माता हिन्दू धर्म की प्रमुख देवी मानी जाती है जो स्वयं माता पार्वती का ही एक रूप है। भारत का सबसे प्राचीन व सबसे सुप्रसिद्ध चौथ माता का मंदिर चौथ का बरवाड़ा शहर में स्थापित है जहाँ पर हर महीने की चतुर्थी पर लाखों दर्शनार्थी माता जी के दर्शन हेतु आते हैं। चौथ का बरवाड़ा शहर में हर चतुर्थी को स्त्रियाँ माता जी के मंदिर में माँ के दर्शन करने के बाद व्रत खोलती है एवं सदा सुहागन रहने आशीष प्राप्त करती है। करवा चौथ एवं माही चौथ पर माता जी के दरबार में लाखों की तादाद में दर्शनार्थी पहुँचते है जिससे छोटा सा चौथ का बरवाड़ा शहर माता जी के जयकारों से गुंजायमान रहता है। चौथ माता के स्त्रियों की भीड़ पुरुषों की अपेक्षा अधिक रहती है क्योंकि सुहाग के लिए सबसे उपयुक्त जगह माँ का दरबार जो जन जन की आस्था का केंद्र है। .

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चौथ का बरवाड़ा

चौथ का बरवाड़ा राजस्थान राज्य में सवाई माधोपुर जिले का एक छोटा सा शहर है और इसी नाम से तहसील मुख्यालय है। यह शहर राजस्थान के टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है एवं इस शहर का विधान सभा क्षेत्र खण्डार लगता है। यहाँ का चौथ माता का मंदिर पूरे राजस्थान में प्रसिद्ध है ! चौथ का बरवाड़ा शहर अरावली पर्वत श़ृंखला की गोद में बसा हुआ मीणा व गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र है ! बरवाड़ा के नाम से मशहूर यह छोटा सा शहर संवत 1451 में चौथ माता के नाम पर चौथ का बरवाड़ा के नाम से प्रसिद्ध हो गया जो वर्तमान तक बना हुआ है ! चौथ माता मंदिर के अलावा इस शहर में मीन भगवान का भव्य मंदिर है ! वहीं चौथ माता ट्रस्ट धर्मशाला सभी धर्मावलंबियों के लिए ठहरने का महत्वपूर्ण स्थान है ! चौथ का बरवाड़ा तहसील में पड़ने वाले बड़े गाँव इस प्रकार है:- चौथ का बरवाड़ा भगवतगढ़ शिवाड़ झोंपड़ा ईसरदा सारसोपआदि.

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चीतल

चीतल, या चीतल मृग, या चित्तिदार हिरन हिरन के कुल का एक प्राणी है, जो कि श्री लंका, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, भारत में पाया जाता है। पाकिस्तान के भी कुछ इलाकों में भी बहुत कम पाया जाता है। अपनी प्रजाति का यह एकमात्र जीवित प्राणी है। .

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झील

एक अनूप झील बैकाल झील झील जल का वह स्थिर भाग है जो चारो तरफ से स्थलखंडों से घिरा होता है। झील की दूसरी विशेषता उसका स्थायित्व है। सामान्य रूप से झील भूतल के वे विस्तृत गड्ढे हैं जिनमें जल भरा होता है। झीलों का जल प्रायः स्थिर होता है। झीलों की एक महत्वपूर्ण विशेषता उनका खारापन होता है लेकिन अनेक झीलें मीठे पानी की भी होती हैं। झीलें भूपटल के किसी भी भाग पर हो सकती हैं। ये उच्च पर्वतों पर मिलती हैं, पठारों और मैदानों पर भी मिलती हैं तथा स्थल पर सागर तल से नीचे भी पाई जाती हैं। किसी अंतर्देशीय गर्त में पाई जानेवाली ऐसी प्रशांत जलराशि को झील कहते हैं जिसका समुद्र से किसी प्रकार का संबंध नहीं रहता। कभी-कभी इस शब्द का प्रयोग नदियों के चौड़े और विस्तृत भाग के लिए तथा उन समुद्र तटीय जलराशियों के लिए भी किया जाता है, जिनका समुद्र से अप्रत्यक्ष संबंध रहता है। इनके विस्तार में भिन्नता पाई जाती है; छोटे छोटे तालाबों और सरोवर से लेकर मीठे पानीवाली विशाल सुपीरियर झील और लवणजलीय कैस्पियन सागर तक के भी झील के ही संज्ञा दी गई है। अधिकांशत: झीलें समुद्र की सतह से ऊपर पर्वतीय प्रदेशों में पाई जाती हैं, जिनमें मृत सागर, (डेड सी) जो समुद्र की सतह से नीचे स्थित है, अपवाद है। मैदानी भागों में सामान्यत: झीलें उन नदियों के समीप पाई जाती हैं जिनकी ढाल कम हो गई हो। झीलें मीठे पानीवाली तथा खारे पानीवाली, दोनों होती हैं। झीलों में पाया जानेवाला जल मुख्यत: वर्ष से, हिम के पिघलने से अथवा झरनों तथा नदियों से प्राप्त होता है। झीले बनती हैं, विकसित होती हैं, धीरे-धीरे तलछट से भरकर दलदल में बदल जाती हैं तथा उत्थान होंने पर समीपी स्थल के बराबर हो जाती हैं। ऐसी आशंका है कि संयुक्त राज्य अमेरिका की बृहत झीलें ४५,००० वर्षों में समाप्त हो जाएंगी। भू-तल पर अधिकांश झीलें उत्तरी गोलार्ध में स्थित हैं। फिनलैंड में तो इतनी अधिक झीलें हैं कि इसे झीलों का देश ही कहा जाता है। यहाँ पर १,८७,८८८ झीलें हैं जिसमें से ६०,००० झीलें बेहद बड़ी हैं। पृथ्वी पर अनेक झीलें कृत्रिम हैं जिन्हें मानव ने विद्युत उत्पादन के लिए, कृषि-कार्यों के लिए या अपने आमोद-प्रमोद के लिए बनाया है। झीलें उपयोगी भी होती हैं। स्थानीय जलवायु को वे सुहावना बना देती हैं। ये विपुल जलराशि को रोक लेती हैं, जिससे बाढ़ की संभावना घट जाती है। झीलों से मछलियाँ भी प्राप्त होती हैं। .

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तालाब

नियाग्रा जल प्रपात के निकट एक पोखर मध्य यूरोप का एक पोखर उदयपुर में एक छोटा सा कृत्रिम तालाब, जो कि जल महल के निकट बना है। एक औपचारिक रॉक गार्डन जिसमें सरोवर और झरना है। तालाब या पोखर ऐसे जल-भरे गड्ढे को कहते हैं जो झील से छोटा हो, हालाँकि झील और तालाब के आकारों में अंतर बताने के लिये कोई औपचारिक मापदंड नहीं है। इनका मोटा-मोटा नाप लगभग २ हेक्टेयर से ८ हेक्टेयर तक का होता है। संयुक्त राजशाही में चैरिटी पॉण्ड कन्ज़र्वेशन नामक संस्था की परिभाषा के अनुसार 'तालाब एक कृत्रिम या प्राकृतिक जलाशय है जिसका सतही माप १ वर्ग मी.

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त्रिनेत्र गणेश, रणथम्भौर

यह मंदिर भारत के राजस्थान प्रांत में सवाई माधोपुर जिले में स्थित है, जो कि विश्व धरोहर में शामिल रणथंभोर दुर्ग के भीतर बना हुआ है। अरावली और विन्ध्याचल पहाड़ियों के बीच स्थित रणथम्भौर दुर्ग में विराजे रणतभंवर के लाड़ले त्रिनेत्र गणेश के मेले की बात ही कुछ निराली है। यह मंदिर प्रकृति व आस्था का अनूठा संगम है। भारत के कोने-कोने से लाखों की तादाद में दर्शनार्थी यहाँ पर भगवान त्रिनेत्र गणेश जी के दर्शन हेतु आते हैं और कई मनौतियां माँगते हैं, जिन्हें भगवान त्रिनेत्र गणेश पूरी करते हैं। इस गणेश मंदिर का निर्माण महाराजा हम्मीरदेव चौहान ने करवाया था लेकिन मंदिर के अंदर भगवान गणेश की प्रतिमा स्वयंभू है। इस मंदिर में भगवान गणेश त्रिनेत्र रूप में विराजमान है जिसमें तीसरा नेत्र ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। पूरी दुनिया में यह एक ही मंदिर है जहाँ भगवान गणेश जी अपने पूर्ण परिवार, दो पत्नी- रिद्दि और सिद्दि एवं दो पुत्र- शुभ और लाभ, के साथ विराजमान है। भारत में चार स्वयंभू गणेश मंदिर माने जाते है, जिनमें रणथम्भौर स्थित त्रिनेत्र गणेश जी प्रथम है। इस मंदिर के अलावा सिद्दपुर गणेश मंदिर गुजरात, अवंतिका गणेश मंदिर उज्जैन एवं सिद्दपुर सिहोर मंदिर मध्यप्रदेश में स्थित है। कहाँ जाता है कि महाराजा विक्रमादित्य जिन्होंने विक्रम संवत् की गणना शुरू की प्रत्येक बुधवार उज्जैन से चलकर रणथम्भौर स्थित त्रिनेत्र गणेश जी के दर्शन हेतु नियमित जाते थे, उन्होंने ही उन्हें स्वप्न दर्शन दे सिद्दपुर सीहोर के गणेश जी की स्थापना करवायी थी। .

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दिल्ली

दिल्ली (IPA), आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (अंग्रेज़ी: National Capital Territory of Delhi) भारत का एक केंद्र-शासित प्रदेश और महानगर है। इसमें नई दिल्ली सम्मिलित है जो भारत की राजधानी है। दिल्ली राजधानी होने के नाते केंद्र सरकार की तीनों इकाइयों - कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका के मुख्यालय नई दिल्ली और दिल्ली में स्थापित हैं १४८३ वर्ग किलोमीटर में फैला दिल्ली जनसंख्या के तौर पर भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर है। यहाँ की जनसंख्या लगभग १ करोड़ ७० लाख है। यहाँ बोली जाने वाली मुख्य भाषाएँ हैं: हिन्दी, पंजाबी, उर्दू और अंग्रेज़ी। भारत में दिल्ली का ऐतिहासिक महत्त्व है। इसके दक्षिण पश्चिम में अरावली पहाड़ियां और पूर्व में यमुना नदी है, जिसके किनारे यह बसा है। यह प्राचीन समय में गंगा के मैदान से होकर जाने वाले वाणिज्य पथों के रास्ते में पड़ने वाला मुख्य पड़ाव था। यमुना नदी के किनारे स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है। यह भारत का अति प्राचीन नगर है। इसके इतिहास का प्रारम्भ सिन्धु घाटी सभ्यता से जुड़ा हुआ है। हरियाणा के आसपास के क्षेत्रों में हुई खुदाई से इस बात के प्रमाण मिले हैं। महाभारत काल में इसका नाम इन्द्रप्रस्थ था। दिल्ली सल्तनत के उत्थान के साथ ही दिल्ली एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक शहर के रूप में उभरी। यहाँ कई प्राचीन एवं मध्यकालीन इमारतों तथा उनके अवशेषों को देखा जा सकता हैं। १६३९ में मुगल बादशाह शाहजहाँ ने दिल्ली में ही एक चारदीवारी से घिरे शहर का निर्माण करवाया जो १६७९ से १८५७ तक मुगल साम्राज्य की राजधानी रही। १८वीं एवं १९वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने लगभग पूरे भारत को अपने कब्जे में ले लिया। इन लोगों ने कोलकाता को अपनी राजधानी बनाया। १९११ में अंग्रेजी सरकार ने फैसला किया कि राजधानी को वापस दिल्ली लाया जाए। इसके लिए पुरानी दिल्ली के दक्षिण में एक नए नगर नई दिल्ली का निर्माण प्रारम्भ हुआ। अंग्रेजों से १९४७ में स्वतंत्रता प्राप्त कर नई दिल्ली को भारत की राजधानी घोषित किया गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् दिल्ली में विभिन्न क्षेत्रों से लोगों का प्रवासन हुआ, इससे दिल्ली के स्वरूप में आमूल परिवर्तन हुआ। विभिन्न प्रान्तो, धर्मों एवं जातियों के लोगों के दिल्ली में बसने के कारण दिल्ली का शहरीकरण तो हुआ ही साथ ही यहाँ एक मिश्रित संस्कृति ने भी जन्म लिया। आज दिल्ली भारत का एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक केन्द्र है। .

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पिलोदा

पिलोदा अथवा पिलौदा भारतीय राज्य राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले की गंगापुर सिटी तहसिल का एक गाँव है। यह गाँव जिले एक बड़े गाँवों में से एक है। गाँव की कुल जनसंख्या  6,038 से अधिक है जिसमें अधिकतर जनजातियाँ हैं। गाँव में  2,000 से अधिक घर हैं। लहकोड़ देवी यह गाँव भी राजस्थान के अन्य आदिवासी गाँवों के समान है। यह गाँव सड़क मार्ग एवं रेलमार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इस गाँव का ब्रोडगेज रेलवे स्टेशन श्री महावीरजी और गंगापुर रेलवे स्टेशन के मध्य स्थित है। गाँव श्री लहकोड़ देवी के तीर्थस्थल के रूप में प्रसिद्ध है। इसके पास का पवित्र तालाब, मुख्यतः अप्रैल माह में दुर्गाष्टमी और श्री राम नवमी के दिन श्रद्धालुओं की भीड़ के साथ देखा जा सकता है। इस दिन यहाँ स्थानीय मेला लगता है जिसका आयोजन अन्तर-ग्रामीण रेस्लिंग, कुश्ती, ऊँट दौड़, घुड़ दौड़, बैल दौड़, तैराकी और साइकलिंग के रूप में किया जाता है। .

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पक्षी

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बनास नदी

thumb कोटा के निकट बनास नदी का दृष्य बनास एक मात्र ऐसी नदी है जो संपूर्ण चक्र राजस्थान में ही पूरा करती है। बन + आस अर्थात बनास अर्थात (वन की आशा) के रूप में जानी जाने वाली यह नदी राजसमंद जिले के अरावली पर्वत श्रेणियों में कुंभलगढ़ के पास 'वीरों का मठ' से निकलती है। यह नाथद्वारा, कंकरोली, राजसमंद और भीलवाड़ा जिले में बहती हुई टौंक, सवाई माधोपुर के पश्चात रामेश्वरम (त्रिवेणी) के नजदीक सवाई माधोपुर चंबल में गिर जाती है। इसकी लंबाई लगभग 512 किलोमीटर है। इसकी सहायक नदियों में बेडच, कोठरी, मांसी, खारी, मुरेल व धुन्ध है। बेडच नदी १९० किलोमीटर लंबी है तथा गोगु्न्दा पहाड़ियों (उदयपुर) से निकलती है। कोठारी नदी उत्तरी राजसमंद जिले के दिवेर पहाड़ियों से निकलती है। यह १४५ किलोमीटर लंबी है तथा यह उदयपुर, भीलवाड़ा में बहती हुई बनास में मिल जाती है। .

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बामनवास

बामनवास नामक छोटा सा कस्बा सवाई माधोपुर जिले के अंतर्गत आता है। यह इसी नाम की तहसील का मुख्यालय भी है। बामनवास राजस्थान राज्य का विधानसभा क्षेत्र पड़ता है वही टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है। .

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बाघ

बाघ जंगल में रहने वाला मांसाहारी स्तनपायी पशु है। यह अपनी प्रजाति में सबसे बड़ा और ताकतवर पशु है। यह तिब्बत, श्रीलंका और अंडमान निकोबार द्वीप-समूह को छोड़कर एशिया के अन्य सभी भागों में पाया जाता है। यह भारत, नेपाल, भूटान, कोरिया, अफगानिस्तान और इंडोनेशिया में अधिक संख्या में पाया जाता है। इसके शरीर का रंग लाल और पीला का मिश्रण है। इस पर काले रंग की पट्टी पायी जाती है। वक्ष के भीतरी भाग और पाँव का रंग सफेद होता है। बाघ १३ फीट लम्बा और ३०० किलो वजनी हो सकता है। बाघ का वैज्ञानिक नाम पेंथेरा टिग्रिस है। यह भारत का राष्ट्रीय पशु भी है। बाघ शब्द संस्कृत के व्याघ्र का तदभव रूप है। .

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बिल्ली

बिल्ली एक मांसाहारी स्तनधारी जानवर है। इसकी सुनने और सुँघने की शक्ति प्रखर है और यह कम रोशनी, यहाँ तक कि रात में भी देख सकती हैं। लगभग 9500 वर्षों से बिल्ली मनुष्य के साथी के रूप में है। प्राकृतिक रूप से इनका जीवनकाल लगभग 15 वर्षों का होता है।, Louise A. Spilsbury, Louise Spilsbury, Richard Spilsbury, pp.

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बौंली

बौंली कस्बा (Bonli Town) राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के अंतर्गत पड़ता है, यह कस्बा सवाई माधोपुर जिले के बामनवास विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। बौंली कस्बे में तहसील मुख्यालय एवं पंचायत समिति मुख्यालय भी कार्यरत है। .

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बूँदी जिला

शहर के बारे में पढ़ने के लिए बूँदी पर जाएँ | बूंदी भारतीय राज्य राजस्थान का एक जिला है। जिले का मुख्यालय बूंदी है। .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भारत के राष्ट्रीय उद्यान

नीचे दी गयी सूची भारत के राष्ट्रीय उद्यानों की है। 1936 में भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान था- हेली नेशनल पार्क, जिसे अब जिम कोर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के रूप में जाना जाता है। १९७० तक भारत में केवल ५ राष्ट्रीय उद्यान थे। १९८० के दशक में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और प्रोजेक्ट टाइगर योजना के अलावा वन्य जीवों की सुरक्षार्थ कई अन्य वैधानिक प्रावधान लागू हुए.

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भगवतगढ़

यह शहर राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले से 25 किलोमीटर दूर स्थित है, जो कि खण्डार विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। चौथ का बरवाड़ा के बाद खण्डार विधानसभा क्षेत्र का द्वितीय सबसे बड़ा कस्बा भगवतगढ़ है। यहाँ के अरणेश्वर महादेव के सप्त कुंड पिकनिक मनाने के लिए बहुत खूबसूरत जगह है, यहाँ पर श्री केशवराय जी भगवान का भी प्रसिद्ध मंदिर है। भगवतगढ़ कसबे के चारो कोनो पर चार बावड़ियां व् चार ही बालाजी के मंदिर स्थित हैं, जो कि अपने आप में अनूठा है। भगवतगढ़ शहर सवाई माधोपुर जिले का प्राचीन काल से सैठाना क्षेत्र रहा है, यहाँ पर भगवतगढ़ का किला है, जिसके कारण ही इस शहर का नाम भगवतगढ़ पड़ा है। यह कस्बा टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। भगवतगढ़ शहर सवाई माधोपुर जिले की चौथ का बरवाड़ा पंचायत समिति व तहसील का दूसरा सबसे बड़ा शहर तो है ही साथ में सबसे प्राचीन शहर भी यही है। भगवतगढ़ क्षेत्र के आसपास के गाँवों में झोंपड़ा, लोरवाड़ा, बंधा, जटवाड़ा, जौंला आदि मुख्य गाँव है। भगवतगढ़ शहर से सबसे अधिक जरूरते पूरी करने वाले गाँवों में झोंपड़ा गाँव मुख्य है, झोंपड़ा गाँव के अलावा सिरोही, बंधा, लोरवाड़ा, जटवाड़ा, जौंला, क्यावड़, आदलवाड़ा, गिरधरपुरा, त्रिलोकपुरा, सहरावता, राठौद, कराड़ी, दोबड़ा आदि गाँव आते हैं। .

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भीमसिंह चौहान

भीमसिंह चौहान राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर जिले की चौथ का बरवाड़ा तहसील में स्थित चौथ माता मंदिर की स्थापना करने वाले शासक थे। चौथ माता भीमसिंह चौहान की आराध्य देवी थी। .

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मलारना डूंगर

मलारना डूंगर नामक कस्बा राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले की प्रमुख तहसील है, यह मलारना स्टेशन कस्बे से 11 किमी दुरी पर स्थित है, यह कस्बा टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा क्षेत्र व राजस्थान के सवाई माधोपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। .

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महादेव

* महादेव जो शिव का एक नाम है।.

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महापौर

महापौर किसी नगर के प्रशासक को कहते हैं। कई बार महापौर का चुनाव उस नगर में रहने वाले लोगों द्वारा किया जाता है और अन्य कई बार, एक केंद्रीय सरकारी समिति यह निर्णय लेती है की किसी नगर का महापौर कौन होगा। बहुत से संघीय देशों जैसे जर्मनी और संयुक्त राज्य अमेरिका में महापौर नगर-राज्य की सरकार का प्रमुख भी होता है। In श्रेणी:समाजशास्त्र.

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माधो सिंह प्रथम

जयपुर राज्य के महाराजा सवाई माधोसिंह प्रथम प्रमुख महाराजा थे। राजस्थान के सवाई माधोपुर शहर की स्थापना जयपुर के पूर्व महाराजा सवाई माधोसिंह ने 1765 ईस्वी के लगभग की थीं। सवाई माधोसिंह प्रथम की वजह से सवाई माधोपुर शहर 17वीं व 18वीं शताब्दी के आसपास एक ख्याति प्राप्त शहर माना जाने लगा था। राजस्थान सरकार ने 15 मई 1949 में सवाई माधोपुर शहर को सवाई माधोसिंह के नाम पर जिला बनाकर उनके द्वारा स्थापित शहर का सम्मान बढ़ा दिया। तब से लेकर आज तक जिले का नाम सवाई माधोपुर के रूप में भारत स्तर पर जाना जाता है। श्रेणी:जयपुर के लोग श्रेणी:सवाई माधोपुर जिला श्रेणी:जयपुर के महाराजा.

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मीन भगवान का मन्दिर, राजस्थान

भारत के राजस्थान प्रांत में भगवान मीनेष अर्थात मत्स्यावतार को समर्पित यह मंदिर सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा कस्बें में स्थित है। चौथ का बरवाड़ा क्षेत्र के मीणा समाज के सहयोग से बना यह भव्य मंदिर साधारण नहीं बल्कि तमाम आधुनिक सुविधाओं से लैस है। भगवान मीनेष के इस मंदिर का 108 फीट ऊँचा गुम्बद लोगों का मुख्य आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। आम-तौर पर सरसों की तूड़ी को अनुपयोगी समझकर जला दिया जाता है, लेकिन सवाई माधोपुर जिले में चौथ का बरवाड़ा क्षेत्र के मीणा समाज ने इस सरसों की तूड़ी को बेचकर इसका उपयोग मंदिर निर्माण कार्य में किया।  मीन भगवान मन्दिर सवाई माधोपुर  प्रथम बार इस क्षेत्र के मीणा समाज के लोगों ने सरसों की तूड़ी बेचकर 7 करोड़ रुपये इकट्ठे किये और मीणा समाज के ग्रामीणों की मुहिम रंग लाई और मंदिर का निर्माण शुरू हो गया। चौथ का बरवाड़ा क्षेत्र के मीणों ने धीरे धीरे मंदिर को बनाना शुरू किया और आज यह मंदिर इतना आलीशान बन गया कि मंदिर को देखकर हर कोई आश्चर्यचकित हो जाता है। यह मंदिर पूरी तरह से कम्प्यूटराइज्ड तो है ही साथ ही साथ सीसीटीवी कैमरों से लैस ये मंदिर लोगों का प्रमुख आस्था केन्द्र भी बन गया है। यह मंदिर मीणा जनजाति का राजस्थान में सबसे सुंदर, सबसे बड़ा एवं आधुनिक सुविधाओं से लैस भगवान मीनेष का प्रमुख मंदिर है, जो अब तक का सबसे विशाल मीन मंदिर माना जाता है, चौथ का बरवाड़ा में स्थित ये मंदिर मीणा जनजाति की एकता व अखंडता का जीता-जागता उदाहरण है। सवाई माधोपुर जिले में मीणा महापंचायतों की रूपरेखा इसी मंदिर से तय की जाती है। .

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रणथम्भोर दुर्ग

रणथंभोर दुर्ग दिल्ली-मुंबई रेल मार्ग के सवाई माधोपुर रेल्वे स्टेशन से १३ कि॰मी॰ दूर रन और थंभ नाम की पहाडियों के बीच समुद्रतल से ४८१ मीटर ऊंचाई पर १२ कि॰मी॰ की परिधि में बना एक दुर्ग है। दुर्ग के तीनो और पहाडों में प्राकृतिक खाई बनी है जो इस किले की सुरक्षा को मजबूत कर अजेय बनाती है। यूनेस्को की विरासत संबंधी वैश्विक समिति की 36वीं बैठक में 21 जून 2013 को रणथंभोर को विश्व धरोहर घोषित किया गया। यह राजस्थान का एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। .

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रणथम्भोर राष्ट्रीय उद्यान

रणथंबोर राष्ट्रीय उद्यान उत्तर भारत के बड़े उद्यानों में से एक है। यह जयपुर से १३० किलोमीटर दक्षिण और कोटा से ११० किलोमीटर उत्तर-पूर्व में राजस्थान के दक्षिणी जिले सवाई माधोपुर में स्थित है। इसका निकटतम रेलवे स्टेशन और कस्बा सवाई माधोपुर यहाँ से ११ किलोमीटर दूरी पर स्थित है। .

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रामेश्वर त्रिवेणी संगम

राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में स्थित तीन नदियों के संगम पर बना भगवान शिव का पवित्र स्थल राजस्थान का त्रिवेणी संगम नाम से प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। .

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राष्ट्रीय चम्बल वन्य जीव अभयारण्य

चंबल वन्य जीव अभयारण्य भारत देश में राजस्थान प्रान्त में सवाई माधोपुर, कोटा, बूँदी, धौलपुर एवं करौली जिलों के अंतर्गत आता है। इसका क्षेत्रफल २८० वर्ग किमी है। इसे राजस्थान राज्य सरकार ने 1983 ईस्वी में वन्य जीव अभयारण्य घोषित किया था। यह घड़ियालों के लिए मुख्य रूप से जाना जाता है। इसका वानिक मुख्यालय रणथम्भौर से संचालित होता है। इसकी प्रसाशन व्यवस्था तीन राज्य उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान के हाथों में है। १९७९ में स्थापित इस अभयारण्य के कोर क्षेत्र में ४०० किमी लंबी चंबल नदी आती है। .

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राजस्थान

राजस्थान भारत गणराज्य का क्षेत्रफल के आधार पर सबसे बड़ा राज्य है। इसके पश्चिम में पाकिस्तान, दक्षिण-पश्चिम में गुजरात, दक्षिण-पूर्व में मध्यप्रदेश, उत्तर में पंजाब (भारत), उत्तर-पूर्व में उत्तरप्रदेश और हरियाणा है। राज्य का क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग कि॰मी॰ (132139 वर्ग मील) है। 2011 की गणना के अनुसार राजस्थान की साक्षरता दर 66.11% हैं। जयपुर राज्य की राजधानी है। भौगोलिक विशेषताओं में पश्चिम में थार मरुस्थल और घग्गर नदी का अंतिम छोर है। विश्व की पुरातन श्रेणियों में प्रमुख अरावली श्रेणी राजस्थान की एक मात्र पर्वत श्रेणी है, जो कि पर्यटन का केन्द्र है, माउंट आबू और विश्वविख्यात दिलवाड़ा मंदिर सम्मिलित करती है। पूर्वी राजस्थान में दो बाघ अभयारण्य, रणथम्भौर एवं सरिस्का हैं और भरतपुर के समीप केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान है, जो सुदूर साइबेरिया से आने वाले सारसों और बड़ी संख्या में स्थानीय प्रजाति के अनेकानेक पक्षियों के संरक्षित-आवास के रूप में विकसित किया गया है। .

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लोमड़ी

लोमड़ी लोमड़ी (fox) एक जन्तु है। Phylum: Chordata Class: Mammalia Order: Carnivora Family: Canidae लोमडी सामान्यतः 2 से 3 वर्ष तक जीवित रहती है आहार लोमडी के आहार में रोडेन्ट, कीड़ों, कृमि, फल, मछली, पक्षी, अंडे और अन्य सभी प्रकार के छोटे जानवर है। लोमड़ी की जरुरत आम तौर पर हर दिन 1 किलोग्राम खाद्यान्न की है। श्रेणी:स्तनधारी.

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लोक सभा

लोक सभा, भारतीय संसद का निचला सदन है। भारतीय संसद का ऊपरी सदन राज्य सभा है। लोक सभा सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर लोगों द्वारा प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों से गठित होती है। भारतीय संविधान के अनुसार सदन में सदस्यों की अधिकतम संख्या 552 तक हो सकती है, जिसमें से 530 सदस्य विभिन्न राज्यों का और 20 सदस्य तक केन्द्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। सदन में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं होने की स्थिति में भारत का राष्ट्रपति यदि चाहे तो आंग्ल-भारतीय समुदाय के दो प्रतिनिधियों को लोकसभा के लिए मनोनीत कर सकता है। लोकसभा की कार्यावधि 5 वर्ष है परंतु इसे समय से पूर्व भंग किया जा सकता है .

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शियार

शियार शियार(मलयालम:കുറുനരി कुरुनरि) या शृंगाल या सियार एक जानवर है। यह भारत के जंगलों और गन्ने आदि के खेतों में आमतौर से पाया जाने वाला मध्यम आकार का पशु जो लगभग लोमड़ी के तरह का होता है। प्रायर सामान्य तौर पर सियार या जिसे घरेलू भाषा में हम छोटा सियार कहते हैं वह गांव के निकट पाया जाता है सियार भोजन के लिए गांव की भेड़ बकरियों पर भी हमला करते हैं ये कुत्ते के बच्चे को भी खा जाते हैं सामान्य तौर पर सियार इंसानों पर हमला नहीं करते लेकिन कभी-कभी ऐसी घटनाएं देखी गई हैं। सियार झुंडों में रहते हैं और एक झुंड में 5 से अधिक सदस्य होते हैं यह झुंड में हमला भी करते हैं ठंडी की रातों में सियार एक साथ मिलकर पुकार या आवाज़ लगाते हैं यह बहुत ही डरावना लगता है कुछ दंतकथाओं में ऐसा प्रचलित है कि सियार गांव में प्रवेश करने से पहले गांव में उपस्थित धार्मिक स्थल से पुकार लगाकर प्रवेश की इजाजत मांगते हैं श्रेणी:पशु श्रेणी:कैनिडाए श्रेणी:एशिया के स्तनधारी श्रेणी:अफ़्रीका के स्तनधारी.

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शिवाड़

शिवाड़ राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर जिले की चौथ का बरवाड़ा तहसील में स्थित एक छोटा सा कस्बा है। इसी कस्बे में आस्थाधाम घुश्मेश्वर मंदिर स्थित है। .

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सांभर

दक्षिण भारतीय उपाहार व्यंजन इडली, सांबार और वड़ा, परंपरागत केले के पत्ते पर परोसा हुआ। स्टेनलैस स्टील के चमकते प्याले, तश्तरियां दक्षिण भारतीय डाइनिंग टेबल की खास शोभा हैं सांबार (तमिल: சாம்பார, कन्नड़: ಸಾಂಬಾರು, मलयालम: സാമ്പാർ, तेलुगु: సాంబారు), दक्षिण भारतीय खाने का एक मूल व्यंजन है, जो पूरे द्रविड़ क्षेत्र में एक है। इसके अलावा श्रीलंका के खाने में भी खूब प्रचलित है। यह अरहर की दाल से बनता है। सांबार मूलत: अरहर (तुवर) दाल से बनता है, जिसमें विभिन्न सब्जियां भी पड़ी होती हैं और साथ ही इमली भी होती है। इनके ऊपर से सांबार मसाले का छौंक इसकी खास खुश्बू की पहचान है, जिसमें कड़ी पत्ती भी पड़ती है। यह आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल और तमिल नाडु सभी स्थानों में समान रूप से प्रचलित है। सांभर दक्षिण भारत की अभिन्न पहचान है। वहां का सामान्य खाना ही सांबार-चावल होता है। इसके अलावा सांबार इडली, सांबार दोसा, सांबार उत्तपम, इत्यादि हरेक व्यंजन का साथी है। .

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सांसद

सांसद, संसद में मतदाताओं का प्रतिनिधि होता है। अनेक देशों में इस शब्द का प्रयोग विशेष रूप से निम्न सदन के सदस्यों के लिए किया जाता है। क्योंकि अक्सर उच्च सदन के लिए एक अलग उपाधि जैसे कि सीनेट एवं इसके सदस्यों के लिये सीनेटर का प्रयोग किया जाता है सांसद अपनी राजनीतिक पार्टी के सदस्यों के साथ मिलकर संसदीय दल का गठन करते हैं। रोजमर्रा के व्यवहार में अक्सरसांसद शब्द के स्थान पर मीडिया में इसके लघु रूप "MP"का प्रयोग किया जाता है। .

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सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन व जंक्शन

राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले का सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन भारत का पहला हेरिटेज रेलवे स्टेशन है। इस रेलवे स्टेशन को रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान की विशेष झलक पाने हेतु "डब्ल्यू डब्ल्यू एफ" और "भारतीय रेल मंत्रालय" के सहयोग बाघ बचाओं, जंगल बचाओं एवं जल बचाओ के के उपक्रम में बनाया गया है। जो कि वास्तव में रेलवे की महत्वपूर्ण योजना थी। पर्यटन को बढ़ावा देने और आमजन को वन्य जीवों के प्रति जागरूक करने के लिए सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन को वन्यजीवों और पेड़-पौधों सहित प्राकृतिक छटाओं की खूबसूरत चित्रकारी से सजाया गया, जिसके चलते सवाई माधोपुर देश का पहला हेरिटेज रेलवे स्टेशन बन चुका है। यह काम भारतीय रेल मंत्रालय और विश्व प्रकृति निधि भारत एवं डब्ल्यू डब्ल्यू एफ के संयुक्त प्रयास से रेलवे स्टेशन की दीवारों पर वन्य जीवों सहित प्राकृतिक छटाओं की चित्रकारी करने का काम किया गया। अब सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन से निकलने वाले यात्रियों को रणथंभोर राष्ट्रीय उद्यान की झलक रेलवे स्टेशन पर ही देखने को मिल जाती है, जो लोगों को बरबस ही अपनी और आकर्षित करती है। .

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सवाई मानसिंह अभयारण्य

सवाई मानसिंह अभयारण्य राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में स्थित एक प्रमुख अभयारण्य है। यह अभयारण्य सवाई माधोपुर जिले के अंतर्गत लगभग 113 वर्गकिलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत है। राजस्थान सरकार ने इस अभयारण्य को 1984 ईस्वी में वन्य जीव अभयारण्य घोषित किया। सवाई माधोपुर जिले के रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान से सटा हुआ यह वन्य जीव अभयारण्य मुख्य रूप से बघेरा, जंगली खरगोश, जंगली रीछ व भालू, जंगली सुअर, चिंकारा, सांभर, चीतल आदि वन्य जीवों के लिए प्रसिद्ध है। .

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संगमर्मर

ताजमहल, एक विश्व प्रसिद्ध स्मारक, जो कि प्रेम हेतु सृजित है, एक संगमरमर में तराशी कलाकृति रोमन देवी, वीनस की मूर्ती संगमरमर या सिर्फ मरमर (फारसी:سنگ مرمر) एक कायांतरित शैल है, जो कि चूना पत्थर के कायांतरण का परिणाम है। यह अधिकतर कैलसाइट का बना होता है, जो कि कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO3) का स्फटिकीय रूप है। यह शिल्पकला के लिये निर्माण अवयव हेतु प्रयुक्त होता है। इसका नाम फारसी से निकला है, जिसका अर्थ है मुलायम पत्थर। संग-पत्थर, ए-का, मर्मर-मुलायम .

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सूअर

सूकरी और उसका एक बच्चा सूअर (Pig) आर्टियोडेक्टिला गण (Order Artiodactyla) के सुइडी कुल (family Suidae) के जीव, जिनमें संसार के सभी जंगली और पालतू सूअर सम्मिलित हैं, इसके अंतर्गत आते हैं। इन खुर वाले प्राणियों की खाल बहुत मोटी होती है और इनके शरीर जो थोड़े बहुत बाल रहते हैं वे बहुत कड़े होते हैं। इनका थूथन आगे की ओऱ चपटा रहता है जिसके भीतर मुलायम हड्डी का एक चक्र सा रहता है जो थूथन को कड़ा बनाए रखता है। इसी थूथन के सहारे ये जमीन खोद डालते हैं और भारी-भारी पत्थरों को आसानी से उलट देते हैं। .

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हम्मीर चौहान

हम्मीर देव चौहान, पृथ्वीराज चौहान के वंशज थे। उन्होने रणथंभोर पर १२८२ से १३०१ तक राज्य किया। वे रणथम्भौर के सबसे महान शासकों में सम्मिलित हैं। हम्मीर देव का कालजयी शासन चौहान काल का अमर वीरगाथा इतिहास माना जाता है। हम्मीर देव चौहान को चौहान काल का 'कर्ण' भी कहा जाता है। पृथ्वीराज चौहान के बाद इनका ही नाम भारतीय इतिहास में अपने हठ के कारण अत्यंत महत्व रखता है। राजस्थान के रणथम्भौर साम्राज्य का सर्वाधिक शक्तिशाली एवं प्रतिभा सम्पन शासक हम्मीर देव को ही माना जाता है। इस शासक को चौहान वंश का उदित नक्षत्र कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा। डॉ॰ हरविलास शारदा के अनुसार हम्मीर देव जैत्रसिंह का प्रथम पुत्र था और इनके दो भाई थे जिनके नाम सूरताना देव व बीरमा देव थे। डॉक्टर दशरथ शर्मा के अनुसार हम्मीर देव जैत्रसिंह का तीसरा पुत्र था वहीं गोपीनाथ शर्मा के अनुसार सभी पुत्रों में योग्यतम होने के कारण जैत्रसिंह को हम्मीर देव अत्यंत प्रिय था। हम्मीर देव के पिता का नाम जैत्रसिंह चौहान एवं माता का नाम हीरा देवी था। यह महाराजा जैत्रसिंह चौहान के लाडले एवं वीर बेटे थे। .

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हिरण

right एक हिरण एक सर्विडे परिवार का रूमिनंट स्तनपायी जन्तु है। हिरण Cervidae परिवार के सदस्य हैं। एक मादा हिरण एक हरिणी कहा जाता है। एक पुरुष एक हिरन कहा जाता है। हिरण की प्रजातियों में से कई किस्में हैं। हिरण दुनिया भर के कई महाद्वीपों पर पाए जाते हैं। यह स्तनधारी प्रजातियों आमतौर पर वन निवास में रह पाया है। बक्स करने के लिए सींग है करते हैं। डो सींग का अधिकारी नहीं करते हैं। हिरण भी खुरों के अधिकारी। Animals of Hindustan small deer and cows called gīnī, from Illuminated manuscript Baburnama (Memoirs of Babur) श्रेणी:हिरण श्रेणी:स्तनधारी.

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घुश्मेश्वर मन्दिर, राजस्थान

घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग राजस्थान के सवाई माधोपुर ज़िले के शिवर गांव में स्थित है। .

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खण्डार

खंडार कस्बा सवाई माधोपुर जिले के अंतर्गत आता है, यह राजस्थान का एक विधानसभा क्षेत्र है वही टोंक सवाई माधोपुर लोकसभा क्षेत्र में पड़ता है। यह कस्बा सवाई माधोपुर जिले से 47 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है एव यहां से 18 किलोमीटर की दूरी पर रामेश्वर धाम नामक धार्मिक स्थल स्थित है रामेश्वर धाम में तीन नदियो का संगम होता है इस क्षेत्र की प्रमुख नदियों में चंबल नदी एव बनास नदी है क्षेत्र में एक अत्यंत प्राचीन दुर्ग तारागढ़ स्थित है इस कस्बे को छोटे वृंदावन के नाम से भी जाना जाता है .

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खण्डार का अजय दुर्ग

राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में स्थित यह दुर्ग 'अजय दुर्ग' या 'तारागढ़' के नाम से जाना जाता है। यह दुर्ग खण्डार कस्बे में स्थित है, सवाई माधोपुर से इस दुर्ग की दूरी करीब ४० किलोमीटर है। राजस्थान में इस किले का अपना अलग ही महत्व है। एक खड़ी पहाड़ी पर स्थित किले के प्रवेश द्वार पर तीन बड़े दरवाजे है। खतरनाक स्थान पर स्थित होने के कारण किले पर हमलावरों की सेनाओं द्वारा आसानी से विजय प्राप्त करना बेहद कठिन था। कहा जाता है कि खण्डार किले के सतारूड़ राजाओं में से एक राजा जिसने जो भी लड़ाई लड़ी उसमें कभी हार नहीं हुई, इसी कारण इस दुर्ग का नाम पड़ा अजय दुर्ग.

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गणेश

गणेश शिवजी और पार्वती के पुत्र हैं। उनका वाहन डिंक नामक मूषक है। गणों के स्वामी होने के कारण उनका एक नाम गणपति भी है। ज्योतिष में इनको केतु का देवता माना जाता है और जो भी संसार के साधन हैं, उनके स्वामी श्री गणेशजी हैं। हाथी जैसा सिर होने के कारण उन्हें गजानन भी कहते हैं। गणेश जी का नाम हिन्दू शास्त्रो के अनुसार किसी भी कार्य के लिये पहले पूज्य है। इसलिए इन्हें आदिपूज्य भी कहते है। गणेश कि उपसना करने वाला सम्प्रदाय गाणपतेय कहलाते है। .

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गंगापुर सिटी

गंगापुर सिटी (अंग्रेजी:Gangapur City), राजस्‍थान के सवाई माधोपुर जिले की सबसे बडी तहसील व उपकेन्‍द्र है। यह दिल्‍ली-मुंबई रेलमार्ग पर स्थित है। यहां राजस्‍थान की बडी अनाज मंडी है। शिक्षा का अच्‍छा माहौल है। यह एक स्‍वतंत्र विधानसभा क्षेत्र है तथा सवाई माधोपुर-टोंक लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। जनसंख्या के मामले में, यह राजस्थान में 18वा सबसे बड़ा शहर है। श्रेणी:सवाई माधोपुर जिले के शहर श्रेणी:सवाई माधोपुर जिले की तहसीलें.

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गंगापुर सिटी रेलवे स्टेशन

गंगापुर सिटी रेलवे स्टेशन दिल्ली मुंबई रेल मार्ग का महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन है। ये स्टेशन कोटा रेलवे मंडल के अंतर्गत आता है। सवाई माधोपुर जिले में सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन के बाद सबसे महत्वपूर्ण स्टेशन है। इस स्टेशन से के आसपास कैलादेवी मंदिर, लहकोड़ माता मंदिर व महावीरजी का मंदिर राजस्थान के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में से एक है। श्रेणी:सवाई माधोपुर जिला.

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आगरा

आगरा उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक महानगर, ज़िला शहर व तहसील है। विश्व का अजूबा ताजमहल आगरा की पहचान है और यह यमुना नदी के किनारे बसा है। आगरा २७.१८° उत्तर ७८.०२° पूर्व में यमुना नदी के तट पर स्थित है। समुद्र-तल से इसकी औसत ऊँचाई क़रीब १७१ मीटर (५६१ फ़ीट) है। आगरा उत्तर प्रदेश का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। .

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कँवालजी आखेट निषिद्द क्षेत्र

कँवालजी आखेट निषिद्द क्षेत्र भारत के राजस्थान प्रान्त में सवाई माधोपुर के सवाई मानसिंह अभयारण्य से सटा हुआ है, यहाँ पर शिकार करना प्रतिबंधित है। इस क्षेत्र के अंतर्गत भगवान शिव का पवित्र मंदिर स्थित है जो कि 'कमलेश्वर' या कँवालजी के नाम से जाना जाता है। कँवालजी आखेट निषिद्ध क्षेत्र का वानिक मुख्यालय सवाई माधोपुर जिले के रणथम्भौर नेशनल पार्क से संचालित होता है। .

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काला-गौरा भैरव मंदिर

काला-गौरा भैरव मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के पूर्वी भाग में आकाश को छूता हुआ सा प्रतीत होता है। यह मंदिर बहु मंजिला रूद्र भैरव का तांत्रिक मंदिर है, जो कि प्राचीन काल से विद्यमान है। इस मंदिर के लिए कहाँ जाता है कि प्राचीन काल में यह मंदिर राजस्थान में जादू-टौनो, तंत्र-मंत्र एवं वशीकरण के लिए विख्यात था। मंदिर के प्रवेश द्वार पर दो हाथी सुंड उठाकर खड़े हुए बने हुए हैं। यहाँ दो भैरव मंदिर है जिन्हें काला-गौरा भैरव के नाम से जाना जाता है, दोनों ही मंदिरों पर सुंड उठाये गजराज चित्रित है। इन मंदिरों को तामसी व राजसी शैली में निरूपित किया गया है। यह मंदिर प्राचीन सवाई माधोपुर शहर के मुख्य द्वार पर बने हुए हैं। .

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कैला देवी वन्य जीव अभयारण्य

कैला देवी वन्य जीव अभयारण्य भारत देश में राजस्थान राज्य में सवाई माधोपुर एवं करौली जिले के अंतर्गत ३७६ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में स्थित है। इसे ईस्वी सन १९८३ में वन्य जीव अभयारण्य का दर्जा दिया गया था। इसमें मुख्य रूप से बघेरा,गोश, रीछ, सुअर, चिंकारा, सांभर, चीतल एवं लोमड़ी आदि वन्य जीव पाये जाते हैं। अभयारण्य राजस्थान और मध्यप्रदेश की सीमा को जोड़ता है। अभयारण्य के पश्चिमी किनारे पर बनास नदी और दक्षिण-पूर्व दिशा में चम्बल नदी का प्रवाह है। कैला देवी वन्यजीव अभयारण्य का नाम कैला देवी मंदिर के नाम से पड़ा है। श्रेणी:भारत के अभयारण्य.

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अरणेश्वर महादेव सप्त कुंड

अरणेश्वर महादेव सप्त कुंड सवाई माधोपुर जिले के भगवतगढ़ शहर में स्थित है। यहाँ पर भगवान शिव का अरणेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। सवाई माधोपुर जिले का अरणेश्वर महादेव सप्त कुंड पिकनिक का बेहतरीन स्थल है। यह स्थान भगवतगढ़ शहर से महज एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। श्रेणी:सवाई माधोपुर जिला श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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अरावली

अरावली पर्वत श्रंखला की तुलना अमेरिका के अल्पेशियन पर्वतो से की जाती है अरावली भारत के पश्चिमी भाग राजस्थान में स्थित एक पर्वतमाला है। भारत की भौगोलिक संरचना में अरावली प्राचीनतम पर्वत है। यह संसार की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखला है जो राजस्थान को उत्तर से दक्षिण दो भागों में बांटती है। अरावली का सर्वोच्च पर्वत शिखर सिरोही जिले में गुरुशिखर (1722 /1727 मी.) है, जो माउंट आबू में है। अरावली पर्वत श्रंखला की कुल लम्बाई गुजरात से दिल्ली तक ६९२ किलीमीटर है, अरावली पर्वत श्रंखला का लगभग ८० % विस्तार राजस्थान में है, दिल्ली में स्थित राष्ट्रपति भवन रायशेला पहाड़ी पर बना हुआ है जो अरावली का की भाग है, अरावली की औसत ऊंचाई ९३० मीटर है तथा अरावली के दक्षिण की ऊंचाई व चौड़ाई सर्वाधिक है, अरावली या अर्वली उत्तर भारतीय पर्वतमाला है। राजस्थान राज्य के पूर्वोत्तर क्षेत्र से गुज़रती 550 किलोमीटर लम्बी इस पर्वतमाला की कुछ चट्टानी पहाड़ियाँ दिल्ली के दक्षिण हिस्से तक चली गई हैं। शिखरों एवं कटकों की श्रृखलाएँ, जिनका फैलाव 10 से 100 किलोमीटर है, सामान्यत: 300 से 900 मीटर ऊँची हैं। यह पर्वतमाला, दो भागों में विभाजित है- सांभर-सिरोही पर्वतमाला- जिसमें माउण्ट आबू के गुरु शिखर (अरावली पर्वतमाला का शिखर, ऊँचाई 1,722 मीटर) सहित अधिकतर ऊँचे पर्वत हैं। सांभर-खेतरी पर्वतमाला- जिसमें तीन विच्छिन्न कटकीय क्षेत्र आते हैं। अरावली पर्वतमाला प्राकृतिक संसाधनों (एवं खनिज़) से परिपूर्ण है और पश्चिमी मरुस्थल के विस्तार को रोकने का कार्य करती है। यह अनेक प्रमुख नदियों- बाना, लूनी, साखी एवं साबरमती का उदगम स्थल है। इस पर्वतमाला में केवल दक्षिणी क्षेत्र में सघन वन हैं, अन्यथा अधिकांश क्षेत्रों में यह विरल, रेतीली एवं पथरीली (गुलाबी रंग के स्फ़टिक) है। अरावली की अन्य उच्च चोटियां:- १ गुरु शिखर - सिरोही (1722 m) २ सेर - सिरोही (1597m) ३ दिलवाडा - सिरोही(इसे हाल ही में जोड़ा गया है, इसी पर्वत पर प्रसिद्ध जैन मंदिर स्थित हैं).

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