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विदिशा और विदिशा के दर्शनीय स्थल

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

विदिशा और विदिशा के दर्शनीय स्थल के बीच अंतर

विदिशा vs. विदिशा के दर्शनीय स्थल

विदिशा जिला विदिशा भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है। यह मालवा के उपजाऊ पठारी क्षेत्र के उत्तर- पूर्व हिस्से में अवस्थित है तथा पश्चिम में मुख्य पठार से जुड़ा हुआ है। ऐतिहासिक व पुरातात्विक दृष्टिकोण से यह क्षेत्र मध्यभारत का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जा सकता है। नगर से दो मील उत्तर में जहाँ इस समय बेसनगर नामक एक छोटा-सा गाँव है, प्राचीन विदिशा बसी हुई है। यह नगर पहले दो नदियों के संगम पर बसा हुआ था, जो कालांतर में दक्षिण की ओर बढ़ता जा रहा है। इन प्राचीन नदियों में एक छोटी-सी नदी का नाम वैस है। इसे विदिशा नदी के रूप में भी जाना जाता है। विदिशा में जन्में श्री कैलाश सत्यार्थी को 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला। . विदिशा मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक नगरी है। ऐतिहासिक नगरी होने के कारण विदिशा की प्राचीन इमारते और स्थापत्य दर्शनीय हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ प्राकृतिक स्थल और धार्मिक महत्व के स्थान भी देखने के योग्य हैं। विदिशा के निकटवर्ती छोटे छोटे नगर अपने में महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर समेटे हुए हैं। अतः इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए इनको देखना भी रुचिकर है। .

विदिशा और विदिशा के दर्शनीय स्थल के बीच समानता

विदिशा और विदिशा के दर्शनीय स्थल आम में 9 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): बढ़ोह, बासौदा, बेसनगर, भद्दिलपुर, भारत, मध्य प्रदेश, मरखेड़ा, साँची का स्तूप, सिरोंज

बढ़ोह

बढ़ोह पठारी वास्तव में पास- पास लगे दो गाँव है। यह कुल्हार रेलवे स्टेशन से १२ मील की दूरी पर पुरब की तरफ एक छोटी- सी पहाड़ी की तलहटी में बसा है। दोनों गाँवों के मध्य में एक रमणीय सरोवर है। बढ़ोह के दक्षिण में एक दूसरा सरोवर है। इस सरोवर के चारों तरफ मिले कई मंदिरों के अवशेष यह प्रमाणित करते हैं कि मध्यकाल में यह एक समृद्ध नगर हुआ करता था तथा निकट स्थित पठारी, जहाँ कई अन्य स्मारक मिले हैं, इसी नगर का एक हिस्सा था। स्थानीय लोगों की मान्यता के अनुसार इस नगर का प्राचीन नाम बटनगर था। लेकिन इस बात का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिला है। यहाँ के मध्यकालीन के स्थानीय राजा तथा पुराने स्मारकों के निर्माता के बारे में भी हमारी जानकारी कम है। बढ़ोह के महत्वपूर्ण प्राचीन स्मारकों का विवरण इस प्रकार है:-.

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बासौदा

विदिशा जिले का बासौदा नगर रंगाई- छपाई कार्य के लिए प्रसिद्ध रहा है। कहा जाता है कि इस नगर का पुराना नाम "वासुदेव नगर' था। अब यह "गंज बासौदा' कहलाता है। पुराने ऐतिहासिक साक्ष्यों में इसे "शहजादपुरा' के नाम से जाना जाता था। हो सकता है कि इसे किसी शाहजादे के नाम पर बसाया गया होगा। इसी काल में यहाँ एक शेख करी मुल्ला की कब्र पर मकबरा बना हुआ है। बाद में बासौदा अगरा वरखेड़ा के शासकों के अधिपत्य में आ गया। उन्होंने यहाँ एक हवेली बनवाई तथा कुछ दूरी पर एक बाग लगवाया, जो अभी तक विद्यमान है। उनके बाद यह सिंधिया के अधिपत्य में आ गया। वर्तमान में बासौदा में जिले की सबसे बड़ी कृषि मंडी है। पत्थर का व्यवसाय यहाँ खूब होता है यहाँ का पत्थर विदेशों में जाता है गंज बासौदा में जिले का सबसे बड़ा मंदिर है। जो नौलखी आश्रम के नाम से प्रसिद्ध है। जिसके महंत श्री नरहरि दास जी महाराज जी है। श्रेणी:विदिशा.

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बेसनगर

बेसनगर मध्य भारत का एक प्राचीन नगर है, जिसे पाली बौद्ध ग्रंथों में वेस्सागर तथा संस्कृत साहित्य में विदिशा के नाम से पुकारा गया है। भिलसा रेलवे स्टेशन से पश्चिम की तरफ करीब २ मील की दूरी पर स्थित, यह स्थान पुरातत्वेत्ताओं की सांस्कृतिक भूमि कही जा सकती है। यह वेत्रवती और बेस नदी से घिरा हुआ है तथा शेष दो तरफ की भूमि पर प्राचीर बनाकर नगर को एक किले का रूप दे दिया था। प्राचीन काल का वैभव संपन्न यह नगर, अब टूटी- फूटी मूर्तियाँ व कलायुक्त भवनों का खंडहर मात्र रह गया है। यहाँ पाये जाने वाले भग्नावशेष ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी से ११ वीं शताब्दी तक की कहानी कहते हैं। अब भी इस स्थान पर ही एक तरफ "बेस' नामक ग्राम बचा हुआ है। .

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भद्दिलपुर

विदिशा स्थित भद्दिलपुर, जैनियों के दसवें तीर्थंकर भगवान शीतलनाथ की जन्मभूमि होने के कारण जैनियों के लिए विशेष महत्व का है। यहाँ कई प्राचीन जैन मंदिर है। लेकिन किसी स्थान विशेष पर शीतलनाथ के जन्मभूमि के बारे में कोई साहित्यिक प्रमाण नहीं मिलता, लेकिन विजय मंदिर के निकट स्थित हवेली के नीचे से मिले कई जैन प्रतिमाएँ, यहाँ के प्राचीनतम मंदिर का साक्ष्य देती है। इससे इसी स्थान पर तीथर्ंकर शीतलनाथ का जन्म होने की संभावना बढ़ जाती है। श्रेणी:विदिशा.

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश भारत का एक राज्य है, इसकी राजधानी भोपाल है। मध्य प्रदेश १ नवंबर, २००० तक क्षेत्रफल के आधार पर भारत का सबसे बड़ा राज्य था। इस दिन एवं मध्यप्रदेश के कई नगर उस से हटा कर छत्तीसगढ़ की स्थापना हुई थी। मध्य प्रदेश की सीमाऐं पांच राज्यों की सीमाओं से मिलती है। इसके उत्तर में उत्तर प्रदेश, पूर्व में छत्तीसगढ़, दक्षिण में महाराष्ट्र, पश्चिम में गुजरात, तथा उत्तर-पश्चिम में राजस्थान है। हाल के वर्षों में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर राष्ट्रीय औसत से ऊपर हो गया है। खनिज संसाधनों से समृद्ध, मध्य प्रदेश हीरे और तांबे का सबसे बड़ा भंडार है। अपने क्षेत्र की 30% से अधिक वन क्षेत्र के अधीन है। इसके पर्यटन उद्योग में काफी वृद्धि हुई है। राज्य में वर्ष 2010-11 राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार जीत लिया। .

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मरखेड़ा

मरखेड़ा विदिशा जिले में बासौदा से कुछ दूरी पर स्थित है। यह गाँव अपने कप्नू नगों के लिए प्रसिद्ध रहा है। यहाँ स्थित सातखनी हवेली प्रसिद्ध है। हवेली के दूसरे द्वार पर कानूनगो परिवार के घोड़े बाँधने की व्यवस्था थी। इससे इनकी वैभवता का पता चलता है। यह गाँव लेटीरी से ६-७ कोस दक्षिण की तरफ ऊँचाई पर यह एक पहाड़ी नदी सांपन के किनारे बसा है। इस स्थान को मध्य भारत एवं गुजरात की सीमा पर बसे गिरासियों ने बसाया था। उनकी "गढ़ी' का प्रमाण अभी भी मिलता है। श्रेणी:विदिशा.

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साँची का स्तूप

सांची भारत के मध्य प्रदेश राज्य के रायसेन जिले, में बेतवा नदी के तट स्थित एक छोटा सा गांव है। यह भोपाल से ४६ कि॰मी॰ पूर्वोत्तर में, तथा बेसनगर और विदिशा से १० कि॰मी॰ की दूरी पर मध्य प्रदेश के मध्य भाग में स्थित है। यहां कई बौद्ध स्मारक हैं, जो तीसरी शताब्दी ई.पू.

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सिरोंज

यह स्थान विदिशा से ५० मील की दूरी पर एक तहसील है। मध्यकाल में इस स्थान का विशेष महत्व था। कई इमारतें व उनसे जुड़ी ऐतिहासिक घटनाएँ इस बात का प्रमाण है। सिरोंज के दक्षिण में स्थित पहाड़ी पर एक प्राचीन मंदिर है। इसे उषा का मंदिर कहा जाता है। इसी नाम के कारण कुछ लोग इसे बाणासुर की राजधानी श्रोणित नगर के नाम से जानते थे। संभवतः यही शब्द बिगड़कर कालांतर में "सिरोंज' हो गया। नगर के बीच में पहले एक बड़ी हवेली हुआ करती थी, जो अब ध्वस्त हो चुकी है, इसे रावजी की हवेली के नाम से जाना जाता है। इसका निर्माण संभवतः मराठा- अधिपत्य के बाद ही हुआ होगा। ऐसी मान्यता है कि यह मल्हाराव होल्कर के प्रतिनिधि का आवास था। सिरोंज के दक्षिण में स्थित पहाड़ी पर काले पत्थरों के ऐसे सहस्रों उद्गम है, जो जलहरी सहित शिवलिंग की भाँति दिखाई देते हैं। ऐसा संभवतः भुकंप के कारण हुआ है। आल्हखण्ड के रचयिता जगनक भाट भी इसी स्थान से जुड़े हैं। वैसे तो उनसे संबद्ध निश्चित स्थान का पता नहीं है, परंतु यह स्थान बाजार में स्थित एक प्राचीन मंदिर के आस- पास ही कहीं होने की संभावना है, जहाँ राजमहलों के होने का भी अनुमान है। सिरोंज कभी राजस्थान के कोटा जिला के एक शहर(तहसील) हुआ करती थी इसके बाद इसे मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में जगह मिली फिलहार सिरोंज विदिशा जिले की एक तहसील हैं। .

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विदिशा और विदिशा के दर्शनीय स्थल के बीच तुलना

विदिशा 23 संबंध है और विदिशा के दर्शनीय स्थल 16 है। वे आम 9 में है, समानता सूचकांक 23.08% है = 9 / (23 + 16)।

संदर्भ

यह लेख विदिशा और विदिशा के दर्शनीय स्थल के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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