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मुद्रा (भाव भंगिमा) और मुद्रा वायदा

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

मुद्रा (भाव भंगिमा) और मुद्रा वायदा के बीच अंतर

मुद्रा (भाव भंगिमा) vs. मुद्रा वायदा

---- एक मुद्रा (संस्कृत: मुद्रा, (अंग्रेजी में: "seal", "mark," या "gesture")) हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म में एक प्रतीकात्मक या आनुष्ठानिक भाव या भाव-भंगिमा है। जबकि कुछ मुद्राओं में पूरा शरीर शामिल रहता है, लेकिन ज्यादातर मुद्राएं हाथों और उंगलियों से की जाती हैं। एक मुद्रा एक आध्यात्मिक भाव-भंगिमा है और भारतीय धर्म तथा धर्म और ताओवाद की परंपराओं के प्रतिमा शास्त्र व आध्यात्मिक कर्म में नियोजित प्रामाणिकता की एक ऊर्जावान छाप है। नियमित तांत्रिक अनुष्ठानों में एक सौ आठ मुद्राओं का प्रयोग होता है। योग में, आम तौर पर जब वज्रासन की मुद्रा में बैठा जाता है, तब सांस के साथ शामिल शरीर के विभिन्न भागों को संतुलित रखने के लिए और शरीर में प्राण के प्रवाह को प्रभावित करने के लिए मुद्राओं का प्रयोग प्राणायाम (सांस लेने के योगिक व्यायाम) के संयोजन के साथ किया जाता है। नवंबर 2009 में राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी में प्रकाशित एक शोध आलेख में दिखाया गया है कि हाथ की मुद्राएं मस्तिष्क के उसी क्षेत्र को उत्तेजित या प्रोत्साहित करती हैं जो भाषा की हैं। . मुद्रा वायदा, जिसे एफएक्स फ़्यूचर (FX future) या विदेशी विनिमय (एक्सचेंज) भी कहते हैं, भविष्य में होनेवाले एक-दूसरे के साथ मुद्रा के विनिमय का एक ऐसा अनुबंध है, जो खरीदारी करने की तारीख़ पर, किसी निर्धारित तारीख़ और निर्धारित विनिमय दर (एक्सचेंज रेट) पर तय किया गया हो; विदेशी मुद्रा विनिमय व्युत्पन्न देखें.

मुद्रा (भाव भंगिमा) और मुद्रा वायदा के बीच समानता

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मुद्रा (भाव भंगिमा) और मुद्रा वायदा के बीच तुलना

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संदर्भ

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