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मीनार-ए-पाकिस्तान और राष्ट्रीय स्मारक

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

मीनार-ए-पाकिस्तान और राष्ट्रीय स्मारक के बीच अंतर

मीनार-ए-पाकिस्तान vs. राष्ट्रीय स्मारक

मीनार-ए पाकिस्तान (مینارِ پاکستان)(या मीनार पाकिस्तान)लाहौर में स्थित, पाकिस्तान की एक राष्ट्रीय स्मारक है, सन 1968 में इसे पाकिस्तान की सार्वभौमिकता तथा स्वतंत्रता के बतौर प्रतीक बनाया गया था। इसे लाहौर में ठीक उसी जगह पर बनाया गया है जहां 23 मार्च 1940 में क़ायदे आज़म मुहम्मद अली जिन्ना की अध्यक्षता में आयोजित ऑल इंडिया मुस्लिम लीग की बैठक में ऐतिहासिक क़रारदाद-ए पाकिस्तान पारित हुआ था। इसे पाकिस्तान में यादगार पाकिस्तान भी कहा जाता है। यह लाहौर के इक़बाल पार्क में स्थित है। जब यह क़रारदाद पारित हुआ था, उस समय, इस पार्क को मिंटो पार्क कहते थे, जब लाहौर ब्रिटिश सल्तनत का हिस्सा था। आजकल इस पार्क को इकबाल पार्क के नाम पर किया जाता है। . किसी देश का राष्ट्रीय स्मारक एक एसा स्मारक होता है जिसे उस देश के इतिहास, राजनीती या उस्के लोगों के अनुकूल किसी अती महत्वपूर्ण घटना(जैसे: किसी युद्ध या देश की संस्थापना) की स्मृती में निर्मित किया गया हो, ऐसे स्मारक को उस देश में प्रायः संपूर्ण राष्ट्र, उसके लोग, उसकी संस्कृती एवं उसकी राष्ट्रीय विचारधारा के स्मारकीय प्रतीक के रूप में भी दर्शा जाता है। इस शब्दावली का उपयोग कई देशों में स्मारकों एवं राष्ट्रीय धरोहरों को दिये जाने वाले विशिश्ठ दर्जे (या उनके वर्गीकरण) के लिये भी किया जाता है; कई देशों में, उनकी सांस्कृतिक महत्ता के मद्देनज़र कई राष्ट्रीय धरोहरों को भी राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा दिया जाता है। अतः अस्थायतः "राष्ट्रीय स्मारक" एक विशिश्ठ स्मारक भी हो सकता है, एवं कुछ विशेश स्मारकों का समूह भी हो सकता है, जिन्हें राष्ट्रीय गौरव एवं संस्कृती का अभिन्न अंग माना जाता हो। हर परिस्थिती में, राष्ट्रीय स्मारक उस देश के संस्कृती, सम्मान एवं विचारधारा का प्रतीक एवं राष्ट्रीय-पहचान का अभिन्न अंग माना जाता है। .

मीनार-ए-पाकिस्तान और राष्ट्रीय स्मारक के बीच समानता

मीनार-ए-पाकिस्तान और राष्ट्रीय स्मारक आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): पाकिस्तान यादगार, बाब-ए-पाकिस्तान, लाहौर

पाकिस्तान यादगार

पाकिस्तान यादगार(پاکستان یادگار) या पाकिस्तान माॅन्युमेन्ट(پاکستان مونومنٹ) (अर्थात पाकिस्तान स्मारक) पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में स्थित, पाकिस्तान का राष्ट्रीय स्मारक एवं पाकिस्तानी क़ौम का स्मारकीय प्रतीक है। इसे मई २००४ से मार्च २००७ के बीच इस्लामाबाद के शकरपारियां पहाड़ी के पश्चिमी सिरे पर बनाया गया था। पुष्पाकार बनावट वाले इस स्मारक की बनावट को आरिफ़ मसूद नामक एक पाकिस्तानी विस्तुकार ने तईयार किया था। इसकी बनावट को पाकिस्तान की सभ्यत, संस्कृती, वैचारिक नीव एवं पाकिस्तान आन्दोलन की कहानी को बयां करती है। इसकी चार बडी पंखुड़ियां, पाकिस्तान के प्रांतों का, व छोटी पंखुड़ियां प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करती हैं। यह मूलतः पाकिस्तान आनंदोलन के शहीदों को समर्पित है। File:Pakistan Monument at night, Islamabad (HDR).jpg| File:Ali Mujtaba WLM2015 PAKISTAN MONUMENT 01.jpg| .

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बाब-ए-पाकिस्तान

बाब ए-पाकिस्तान (अर्थात् पाकिस्तान का द्वारगाह) पाकिस्तान का एक भावी राष्ट्रीय स्मारक है जो फिलहाल निर्माणाधीन है। इस स्मारक को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के लाहौर शहर के उसी स्थल पर निर्मित किया जा रहा है जहां पर पाकिस्तान की आज़ादी के बाद, भारत से आए मुसलमान शरणार्थियों के सबसे बड़े शीविरों में से एक हुआ करता था। इस प्रकार के स्मारक का भाव, सर्वप्रथम 1985 में पंजाब के राज्यपाल ग़ुलाम जिलानी ख़ान ने प्रस्तावित किया था एवं इसे फ़ौरन ततकालीन राष्ट्रपति मुहम्मद ज़ियाउलहक़ द्वारा स्वीकृती दे दी गई। इस स्मारक की बनावट को लाहौर-स्थित अर्क़िटेक्ट(वासूतशास्त्री) अम्ज़द मुख़तार ने तईयार किया है, जो की लाहौर के नैश्नल काॅलेज औफ़ आर्ट्स्(रष्ट्रिय कला महाविद्यालय) के ग्रैजुएट हैं। इस परियोजने को प्रारंभन के दौरान, 1988 में रार्ष्ट्रपती ज़ियाउलहक़की मृत्यू के बाद आई अस्थिर राजनैतिक स्थिती के कारण कुछ कठिनाईयों का अनुभव करना पड़ा। इस परियोजना को पुनरआरंभित करने का प्रयास 1991 में प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ द्वारा किया गया था। तृतीय प्रयास राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ के शासन द्वारा किया गया था। वर्ष 2007 के स्थितीनुसार निर्माण जारी है और वर्ष 2014 तक पूर्ण होने को निर्धारित है। .

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लाहौर

लाहौर (لہور / ਲਹੌਰ, لاہور) पाकिस्तान के प्रांत पंजाब की राजधानी है एवं कराची के बाद पाकिस्तान में दूसरा सबसे बडा आबादी वाला शहर है। इसे पाकिस्तान का दिल नाम से भी संबोधित किया जाता है क्योंकि इस शहर का पाकिस्तानी इतिहास, संस्कृति एवं शिक्षा में अत्यंत विशिष्ट योगदान रहा है। इसे अक्सर पाकिस्तान बागों के शहर के रूप में भी जाना जाता है। लाहौर शहर रावी एवं वाघा नदी के तट पर भारत पाकिस्तान सीमा पर स्थित है। लाहौर का ज्यादातर स्थापत्य मुगल कालीन एवं औपनिवेशिक ब्रिटिश काल का है जिसका अधिकांश आज भी सुरक्षित है। आज भी बादशाही मस्जिद, अली हुजविरी शालीमार बाग एवं नूरजहां तथा जहांगीर के मकबरे मुगलकालीन स्थापत्य की उपस्थिती एवं उसकी अहमियत का आभास करवाता है। महत्वपूर्ण ब्रिटिश कालीन भवनों में लाहौर उच्च न्यायलय जनरल पोस्ट ऑफिस, इत्यादि मुगल एवं ब्रिटिश स्थापत्य का मिलाजुला नमूना बनकर लाहौर में शान से उपस्थित है एवं ये सभी महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल के रूप में लोकप्रिय हैं। मुख्य तौर पर लाहौर में पंजाबी को मातृ भाषा के तौर पर इस्तेमाल की जाती है हलाकि उर्दू एवं अंग्रेजी भाषा भी यहां काफी प्रचलन में है एवं नौजवानों में काफी लोकप्रिय है। लाहौर की पंजाबी शैली को लाहौरी पंजाबी के नाम से भी जाना जाता है जिसमे पंजाबी एवं उर्दू का काफी सुंदर मिश्रण होता है। १९९८ की जनगणना के अनुसार शहर की आबादी लगभग ७ लाख आंकी गयी थी जिसके जून २००६ में १० लाख होने की उम्मीद जतायी गयी थी। इस अनुमान के मुताबिक लाहौर दक्षिण एशिया में पांचवी सबसे बडी आबादी वाला एवं दुनिया में २३वीं सबसे बडी आबादी वाला शहर है।.

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मीनार-ए-पाकिस्तान और राष्ट्रीय स्मारक के बीच तुलना

मीनार-ए-पाकिस्तान 21 संबंध है और राष्ट्रीय स्मारक 32 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 5.66% है = 3 / (21 + 32)।

संदर्भ

यह लेख मीनार-ए-पाकिस्तान और राष्ट्रीय स्मारक के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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