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महाकाव्य और सुशर्मा

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

महाकाव्य और सुशर्मा के बीच अंतर

महाकाव्य vs. सुशर्मा

संस्कृत काव्यशास्त्र में महाकाव्य (एपिक) का प्रथम सूत्रबद्ध लक्षण आचार्य भामह ने प्रस्तुत किया है और परवर्ती आचार्यों में दंडी, रुद्रट तथा विश्वनाथ ने अपने अपने ढंग से इस महाकाव्य(एपिक)सूत्रबद्ध के लक्षण का विस्तार किया है। आचार्य विश्वनाथ का लक्षण निरूपण इस परंपरा में अंतिम होने के कारण सभी पूर्ववर्ती मतों के सारसंकलन के रूप में उपलब्ध है।महाकाव्य में भारत को भारतवर्ष अथवा भरत का देश कहा गया है तथा भारत निवासियों को भारती अथवा भरत की संतान कहा गया है . हिन्दू धर्म के महाकाव्य महाभारत के अनुसार सुशर्मा त्रिगर्त देश का राजा था। वह एक महान योद्धा था और अर्जुन के कट्टर प्रतिद्वंदी था। उसने कुरुक्षेत्र के युद्ध में अर्जुन के विरुद्ध संसप्तक शक्ति का प्रयोग किया। तेरहवें दिन के युद्ध में उसने अर्जुन को चक्रव्यूह से दुर रखने का कार्य किया, यद्यपि वह ये जानता था, कि वह अर्जुन को परास्त नहीं कर सकता। उसे ये कार्य इसलिए सौंपा गया था, क्योंकि कौरव सेनापति द्रोणाचार्य ने युधिष्ठिर को बंदी बनाने के लिए चक्रव्यूह की रचना की हुई थी और पाण्डव सेना में अर्जुन के अतिरिक्त कोई भी चक्रव्यूह भेदन नहीं जानता था। वीर सुशर्मा अपने भाइयों समेत अर्जुन द्वारा उसी दिन के युद्ध मे मारा गया। .

महाकाव्य और सुशर्मा के बीच समानता

महाकाव्य और सुशर्मा आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): महाभारत

महाभारत

महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति वर्ग में आता है। कभी कभी केवल "भारत" कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद माना जाता है। यद्यपि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह ग्रंथ प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। .

महाकाव्य और महाभारत · महाभारत और सुशर्मा · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

महाकाव्य और सुशर्मा के बीच तुलना

महाकाव्य 66 संबंध है और सुशर्मा 6 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 1.39% है = 1 / (66 + 6)।

संदर्भ

यह लेख महाकाव्य और सुशर्मा के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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