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महमूद मदनी और राज्य सभा

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

महमूद मदनी और राज्य सभा के बीच अंतर

महमूद मदनी vs. राज्य सभा

महमूद मदनी एक भारतीय राजनीतिज्ञ और इस्लामी विद्वान हैं। वे 2006 से 2012 तक राज्य सभा के सदस्य रहे। वे जमीयत उलेमा-ए-हिन्द नामक मुसलमान संगठन के महासचिव भी हैं। वे शब्द जिहाद के कट्टपंथी दुरुपयोग का सख़्त विरोध करते हैं। उनका मानना है कि इस्लाम में आतंकवाद का कोई स्थान नहीं है। . राज्य सभा भारतीय लोकतंत्र की ऊपरी प्रतिनिधि सभा है। लोकसभा निचली प्रतिनिधि सभा है। राज्यसभा में 250 सदस्य होते हैं। जिनमे 12 सदस्य भारत के राष्ट्रपति के द्वारा नामांकित होते हैं। इन्हें 'नामित सदस्य' कहा जाता है। अन्य सदस्यों का चुनाव होता है। राज्यसभा में सदस्य 6 साल के लिए चुने जाते हैं, जिनमे एक-तिहाई सदस्य हर 2 साल में सेवा-निवृत होते हैं। किसी भी संघीय शासन में संघीय विधायिका का ऊपरी भाग संवैधानिक बाध्यता के चलते राज्य हितों की संघीय स्तर पर रक्षा करने वाला बनाया जाता है। इसी सिद्धांत के चलते राज्य सभा का गठन हुआ है। इसी कारण राज्य सभा को सदनों की समानता के रूप में देखा जाता है जिसका गठन ही संसद के द्वितीय सदन के रूप में हुआ है। राज्यसभा का गठन एक पुनरीक्षण सदन के रूप में हुआ है जो लोकसभा द्वारा पास किये गये प्रस्तावों की पुनरीक्षा करे। यह मंत्रिपरिषद में विशेषज्ञों की कमी भी पूरी कर सकती है क्योंकि कम से कम 12 विशेषज्ञ तो इस में मनोनीत होते ही हैं। आपातकाल लगाने वाले सभी प्रस्ताव जो राष्ट्रपति के सामने जाते हैं, राज्य सभा द्वारा भी पास होने चाहिये। भारत के उपराष्ट्रपति (वर्तमान में वैकेया नायडू) राज्यसभा के सभापति होते हैं। राज्यसभा का पहला सत्र 13 मई 1952 को हुआ था। .

महमूद मदनी और राज्य सभा के बीच समानता

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महमूद मदनी और राज्य सभा के बीच तुलना

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संदर्भ

यह लेख महमूद मदनी और राज्य सभा के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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