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भौतिक विज्ञानी और विशिष्ट आपेक्षिकता

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

भौतिक विज्ञानी और विशिष्ट आपेक्षिकता के बीच अंतर

भौतिक विज्ञानी vs. विशिष्ट आपेक्षिकता

अल्बर्ट आइंस्टीन, जिन्होने सामान्य आपेक्षिकता का सिद्धान्त दिया भौतिक विज्ञानी अथवा भौतिक शास्त्री अथवा भौतिकीविद् वो वैज्ञानिक कहलाते हैं जो अपना शोध कार्य भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में करते हैं। उप-परवमाणविक कणों (कण भौतिकी) से लेकर सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड तक सभी परिघटनाओं का अध्ययन करने वाले लोग इस श्रेणी में माने जाते हैं। . विशिष्ट आपेक्षिकता सिद्धांत अथवा आपेक्षिकता का विशिष्ट सिद्धांत (Spezielle Relativitätstheorie, special theory of relativity or STR) गतिशील वस्तुओं में वैद्युतस्थितिकी पर अपने शोध-पत्र में अल्बर्ट आइंस्टीन ने १९०५ में प्रस्तावित जड़त्वीय निर्देश तंत्र में मापन का एक भौतिक सिद्धांत दिया।अल्बर्ट आइंस्टीन (1905) "", Annalen der Physik 17: 891; अंग्रेजी अनुवाद का जॉर्ज बार्कर जेफ़री और विल्फ्रिड पेर्रेट्ट ने 1923 में किया; मेघनाद साहा द्वारा (1920) में अन्य अंग्रेजी अनुवाद गतिशील वस्तुओं की वैद्युतगतिकी गैलीलियो गैलिली ने अभिगृहीत किया था कि सभी समान गतियाँ सापेक्षिक हैं और यहाँ कुछ भी निरपेक्ष नहीं है तथा कुछ भी विराम अवस्था में भी नहीं है, जिसे अब गैलीलियो का आपेक्षिकता सिद्धांत कहा जाता है। आइंस्टीन ने इस सिद्धांत को विस्तारित किया, जिसके अनुसार प्रकाश का वेग निरपेक्ष व नियत है, यह एक ऐसी घटना है जो माइकलसन-मोरले के प्रयोग में हाल ही में दृष्टिगोचर हुई थी। उन्होने एक अभिगृहीत यह भी दिया कि यह सभी भौतिक नियम, यांत्रिकी व स्थिरवैद्युतिकी के सभी नियमों, वो जो भी हों, समान रहते हैं। इस सिद्धांत के परिणामों की संख्या वृहत है जो प्रायोगिक रूप से प्रेक्षित हो चुके हैं, जैसे- समय विस्तारण, लम्बाई संकुचन और समक्षणिकता। इस सिद्धांत ने निश्चर समय अन्तराल जैसी अवधारणा को बदलकर निश्चर दिक्-काल अन्तराल जैसी नई अवधारणा को जन्म दिया है। इस सिद्धांत ने क्रन्तिकारी द्रव्यमान-ऊर्जा सम्बन्ध E.

भौतिक विज्ञानी और विशिष्ट आपेक्षिकता के बीच समानता

भौतिक विज्ञानी और विशिष्ट आपेक्षिकता आम में 14 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): चिरसम्मत यांत्रिकी, चुम्बकीय क्षेत्र, डॉप्लर प्रभाव, प्रमात्रा क्षेत्र सिद्धान्त, पॉल डिरॅक, ब्लैक होल (काला छिद्र), मैक्स प्लांक, मैक्सवेल के समीकरण, सामान्य आपेक्षिकता, स्ट्रिंग सिद्धांत, हेंड्रिक लारेंज़, ज्यामिति, गैलीलियो गैलिली, अल्बर्ट आइंस्टीन

चिरसम्मत यांत्रिकी

भौतिक विज्ञान में चिरसम्मत यांत्रिकी, यांत्रिकी के दो विशाल क्षेत्रों में से एक है, जो बलों के प्रभाव में वस्तुओं की गति से सम्बंधित भौतिकी के नियमो के समुच्चय की विवेचना करता है। वस्तुओं की गति का अध्ययन बहुत प्राचीन है, जो चिरसम्मत यांत्रिकी को विज्ञान, अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी सबसे प्राचीन विषयों में से एक और विशाल विषय बनाता है। .

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चुम्बकीय क्षेत्र

किसी चालक में प्रवाहित विद्युत धारा '''I''', उस चालक के चारों ओर एक चुम्बकीय क्षेत्र '''B''' उत्पन्न करती है। चुंबकीय क्षेत्र विद्युत धाराओं और चुंबकीय सामग्री का चुंबकीय प्रभाव है। किसी भी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र दोनों, दिशा और परिमाण (या शक्ति) द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है; इसलिये यह एक सदिश क्षेत्र है। चुंबकीय क्षेत्र घूमते विद्युत आवेश और मूलकण के आंतरिक चुंबकीय क्षणों द्वारा उत्पादित होता हैं जो एक प्रमात्रा गुण के साथ जुड़ा होता है। 'चुम्बकीय क्षेत्र' शब्द का प्रयोग दो क्षेत्रों के लिये किया जाता है जिनका आपस में निकट सम्बन्ध है, किन्तु दोनों अलग-अलग हैं। इन दो क्षेत्रों को तथा, द्वारा निरूपित किया जाता है। की ईकाई अम्पीयर प्रति मीटर (संकेत: A·m−1 or A/m) है और की ईकाई टेस्ला (प्रतीक: T) है। चुम्बकीय क्षेत्र दो प्रकार से उत्पन्न (स्थापित) किया जा सकता है- (१) गतिमान आवेशों के द्वारा (अर्थात, विद्युत धारा के द्वारा) तथा (२) मूलभूत कणों में निहित चुम्बकीय आघूर्ण के द्वारा विशिष्ट आपेक्षिकता में, विद्युत क्षेत्र और चुम्बकीय क्षेत्र, एक ही वस्तु के दो पक्ष हैं जो परस्पर सम्बन्धित होते हैं। चुम्बकीय क्षेत्र दो रूपों में देखने को मिलता है, (१) स्थायी चुम्बकों द्वारा लोहा, कोबाल्ट आदि से निर्मित वस्तुओं पर लगने वाला बल, तथा (२) मोटर आदि में उत्पन्न बलाघूर्ण जिससे मोटर घूमती है। आधुनिक प्रौद्योगिकी में चुम्बकीय क्षेत्रों का बहुतायत में उपयोग होता है (विशेषतः वैद्युत इंजीनियरी तथा विद्युतचुम्बकत्व में)। धरती का चुम्बकीय क्षेत्र, चुम्बकीय सुई के माध्यम से दिशा ज्ञान कराने में उपयोगी है। विद्युत मोटर और विद्युत जनित्र में चुम्बकीय क्षेत्र का उपयोग होता है। .

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डॉप्लर प्रभाव

जब किसी ध्वनि स्रोत और श्रोता के बीच आपेक्षिक गति होती है तो श्रोता को जो ध्वनि सुनाई पड़ती है उसकी आवृत्ति मूल आवृति से कम या अधिक होती है। इसी को डॉप्लर प्रभाव (Doppler effect) कहते हैं। श्रेणी:भौतिकी श्रेणी:भौतिक शब्दावली श्रेणी:तरंग यान्त्रिकी.

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प्रमात्रा क्षेत्र सिद्धान्त

क्वांटम क्षेत्र सिद्धान्त (QFT) या प्रमात्रा क्षेत्र सिद्धांत, क्वांटम यांत्रिकी के निर्माण के लिए एक सैद्धांतिक ढांचा प्रदान करता है जिसमें क्वांटम यांत्रिक प्रणालियों को अनंत स्वतंत्रता की डिग्री प्रदर्शित किया जाता है। प्रमात्रा क्षेत्र सिद्धान्त में कणों को आधारभूत भौतिक क्षेत्र की उत्तेजित अवस्था के रूप में काम में लिया जाता है अतः इसे क्षेत्र क्वांटा कहते हैं। उदाहरण के लिए प्रमात्रा विद्युतगतिकी में एक इलेक्ट्रॉन क्षेत्र एवं एक फोटोन क्षेत्र होते हैं; प्रमात्रा क्रोमोगतिकी में प्रत्येक क्वार्क के लिए एक क्षेत्र निर्धारित होता है और संघनित पदार्थ में परमाणवीय विस्थापन क्षेत्र से फोटोन कण की उत्पति होती है। एडवर्ड विटेन प्रमात्रा क्षेत्र सिद्धान्त को भौतिकी के "अब तक" के सबसे कठिन सिद्धान्तों में से एक मानते हैं। .

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पॉल डिरॅक

पॉल एड्रियन मौरिस डिरॅक (8 अगस्त 1902 – 20 अक्टूबर 1984) अंग्रेज़ सैद्धांतिक भौतिकशास्त्री थे जिन्होंने क्वांटम यांत्रिकी और क्वांटम विद्युत गतिकी दोनों के प्रारंभिक विकास के लिए मौलिक योगदान दिया था। यह कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में गणित के ल्युकेज़ियन प्रोफेसर तथा सैंटर फॉर थियोरेटिकल स्टडीज़, युनिवर्सिटी ऑफ़ मियामी (हिन्दी: सैद्धांतिक अध्ययन के लिए केंद्र, मियामी विश्वविद्यालय) के सदस्य थे, व अपने जीवन का अंतिम दशक इन्होंने फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी में व्यतीत किया। .

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ब्लैक होल (काला छिद्र)

बड़े मैग्लेनिक बादल के सामने में एक ब्लैक होल का बनावटी दृश्य। ब्लैक होल स्च्वार्ज़स्चिल्ड त्रिज्या और प्रेक्षक दूरी के बीच का अनुपात 1:9 है। आइंस्टाइन छल्ला नामक गुरुत्वीय लेंसिंग प्रभाव उल्लेखनीय है, जो बादल के दो चमकीले और बड़े परंतु अति विकृत प्रतिबिंबों का निर्माण करता है, अपने कोणीय आकार की तुलना में. सामान्य सापेक्षता (जॅनॅरल रॅलॅटिविटि) में, एक ब्लैक होल ऐसी खगोलीय वस्तु होती है जिसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र इतना शक्तिशाली होता है कि प्रकाश सहित कुछ भी इसके खिंचाव से बच नहीं सकता है। ब्लैक होल के चारों ओर एक सीमा होती है जिसे घटना क्षितिज कहा जाता है, जिसमें वस्तुएं गिर तो सकती हैं परन्तु बाहर कुछ भी नहीं आ सकता। इसे "ब्लैक (काला)" इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह अपने ऊपर पड़ने वाले सारे प्रकाश को अवशोषित कर लेता है और कुछ भी परावर्तित नहीं करता, थर्मोडाइनामिक्स (ऊष्मप्रवैगिकी) में ठीक एक आदर्श ब्लैक-बॉडी की तरह। ब्लैक होल का क्वांटम विश्लेषण यह दर्शाता है कि उनमें तापमान और हॉकिंग विकिरण होता है। अपने अदृश्य भीतरी भाग के बावजूद, एक ब्लैक होल अन्य पदार्थों के साथ अन्तः-क्रिया के माध्यम से अपनी उपस्थिति प्रकट कर सकता है। एक ब्लैक होल का पता तारों के उस समूह की गति पर नजर रख कर लगाया जा सकता है जो अन्तरिक्ष के खाली दिखाई देने वाले एक हिस्से का चक्कर लगाते हैं। वैकल्पिक रूप से, एक साथी तारे से आप एक अपेक्षाकृत छोटे ब्लैक होल में गैस को गिरते हुए देख सकते हैं। यह गैस सर्पिल आकार में अन्दर की तरफ आती है, बहुत उच्च तापमान तक गर्म हो कर बड़ी मात्रा में विकिरण छोड़ती है जिसका पता पृथ्वी पर स्थित या पृथ्वी की कक्षा में घूमती दूरबीनों से लगाया जा सकता है। इस तरह के अवलोकनों के परिणाम स्वरूप यह वैज्ञानिक सर्व-सम्मति उभर कर सामने आई है कि, यदि प्रकृति की हमारी समझ पूर्णतया गलत साबित न हो जाये तो, हमारे ब्रह्मांड में ब्लैक होल का अस्तित्व मौजूद है। सैद्धांतिक रूप से, कोई भी मात्रा में तत्त्व (matter) एक ब्लैक होल बन सकता है यदि वह इतनी जगह के भीतर संकुचित हो जाय जिसकी त्रिज्या अपनी समतुल्य स्च्वार्ज्स्चिल्ड त्रिज्या के बराबर हो। इसके अनुसार हमारे सूर्य का द्रव्यमान ३ कि.

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मैक्स प्लांक

युवा मैक्स प्लांक (१८७८) जर्मन वैज्ञानिक मैक्स प्लांक (Max Planck) का जन्म 23 अप्रैल 1858 को हुआ था। ग्रेजुएशन के बाद जब उसने भौतिकी का क्षेत्र चुना तो एक अध्यापक ने राय दी कि इस क्षेत्र में लगभग सभी कुछ खोजा जा चुका है अतः इसमें कार्य करना निरर्थक है। प्लांक ने जवाब दिया कि मैं पुरानी चीज़ें ही सीखना चाहता हूँ.

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मैक्सवेल के समीकरण

जेम्स क्लार्क मैक्सवेल्ल् विद्युत्चुम्बकत्व के क्षेत्र में मैक्सवेल के समीकरण चार समीकरणों का एक समूह है जो वैद्युत क्षेत्र, चुम्बकीय क्षेत्र, वैद्युत आवेश, एवं विद्युत धारा के अन्तर्सम्बधों की गणितीय व्याख्या करते हैं। ये समीकरण सन १८६१ में जेम्स क्लार्क मैक्सवेल के शोधपत्र में छपे थे, जिसका शीर्षक था - ऑन फिजिकल लाइन्स ऑफ फोर्स। मैक्सवेल के समीकरणों का आधुनिक स्वरूप निम्नवत है: उपरोक्त समीकरणों में लारेंज बल का नियम भी सम्मिलित कर लेने पर शास्त्रीय विद्युतचुम्बकत्व की सम्पूर्ण व्याख्या हो पाती है। .

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सामान्य आपेक्षिकता

सामान्य आपेक्षिकता सिद्धांत या सामान्य सापेक्षता सिद्धांत, जिसे अंग्रेजी में "जॅनॅरल थिओरी ऑफ़ रॅलॅटिविटि" कहते हैं, एक वैज्ञानिक सिद्धांत है जो कहता है कि ब्रह्माण्ड में किसी भी वस्तु की तरफ़ जो गुरुत्वाकर्षण का खिंचाव देखा जाता है उसका असली कारण है कि हर वस्तु अपने मान और आकार के अनुसार अपने इर्द-गिर्द के दिक्-काल (स्पेस-टाइम) में मरोड़ पैदा कर देती है। बरसों के अध्ययन के बाद जब १९१६ में अल्बर्ट आइंस्टीन ने इस सिद्धांत की घोषणा की तो विज्ञान की दुनिया में तहलका मच गया और ढाई-सौ साल से क़ायम आइज़क न्यूटन द्वारा १६८७ में घोषित ब्रह्माण्ड का नज़रिया हमेशा के लिए उलट दिया गया। भौतिक शास्त्र पर इसका इतना गहरा प्रभाव पड़ा कि लोग आधुनिक भौतिकी (माडर्न फ़िज़िक्स) को शास्त्रीय भौतिकी (क्लासिकल फ़िज़िक्स) से अलग विषय बताने लगे और अल्बर्ट आइंस्टीन को आधुनिक भौतिकी का पिता माना जाने लगा। .

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स्ट्रिंग सिद्धांत

स्ट्रिंग सिध्दांत कण भौतिकी का एक सक्रीय शोध क्षेत्र है जो प्रमात्रा यान्त्रिकी और सामान्य सापेक्षता में सामजस्य स्थपित करने का प्रयास करता है। इसे सर्वतत्व सिद्धांत का प्रतियोगी सिद्धान्त भी कहा जाता है, एक आत्मनिर्भर गणितीय प्रतिमान जो द्रव्य के रूप व सभी मूलभूत अन्योन्य क्रियाओं को समझाने में सक्षम है। स्ट्रिंग सिद्धांत के अनुसार परमाणु में स्थित मूलभूत कण (इलेक्ट्रॉन, क्वार्क आदि) बिन्दु कण नहीं हैं अर्थात इनकी विमा शून्य नहीं है बल्कि एक विमिय दोलक रेखाएं हैं (स्ट्रिंग अथवा रजु)। .

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हेंड्रिक लारेंज़

हेंड्रिक ऐंतूँ लारेंज़ (Hendrik Antoon Lorentz, सन् १८५३-१९२८) प्रसिद्ध डच भौतिकीविद् थे जिन्हें १९०२ का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिया गया। .

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ज्यामिति

ब्रह्मगुप्त ब्रह्मगुप्त का प्रमेय, इसके अनुसार ''AF'' .

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गैलीलियो गैलिली

गैलीलियो गैलिली (१५ फरवरी, १५६५ - ८ जनवरी, १६४२) इटली के वैज्ञानिक थे। वे एक महान आविष्कारक थे तथा दूरदर्शी के विकास में उनका अतुलनीय सहयोग था। .

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अल्बर्ट आइंस्टीन

अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein; १४ मार्च १८७९ - १८ अप्रैल १९५५) एक विश्वप्रसिद्ध सैद्धांतिक भौतिकविद् थे जो सापेक्षता के सिद्धांत और द्रव्यमान-ऊर्जा समीकरण E .

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भौतिक विज्ञानी और विशिष्ट आपेक्षिकता के बीच तुलना

भौतिक विज्ञानी 180 संबंध है और विशिष्ट आपेक्षिकता 49 है। वे आम 14 में है, समानता सूचकांक 6.11% है = 14 / (180 + 49)।

संदर्भ

यह लेख भौतिक विज्ञानी और विशिष्ट आपेक्षिकता के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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