भृङ्गदूतम् और संध्या
शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
भृङ्गदूतम् और संध्या के बीच अंतर
भृङ्गदूतम् vs. संध्या
भृंगदूतम् (२००४), (शब्दार्थ:भ्रमर दूत)) जगद्गुरु रामभद्राचार्य (१९५०-) द्वारा दूतकाव्य शैली में रचित एक संस्कृत खण्डकाव्य है। काव्य दो भागों में विभक्त है और इसमें मन्दाक्रान्ता छंद में रचित ५०१ श्लोक हैं। काव्य की कथा रामायण के किष्किन्धाकाण्ड की पृष्ठभूमि पर आधारित है, जिसमें भगवान राम वर्षा ऋतु के चार महीने किष्किन्धा में स्थित प्रवर्षण पर्वत पर सीता के विरह में व्यतीत करते हैं। प्रस्तुत खण्डकाव्य में राम इस अवधि में अपनी पत्नी, सीता, जो की रावण द्वारा लंका में बंदी बना ली गई हैं, को स्मरण करते हुए एक भ्रमर (भौंरा) को दूत बनाकर सीता के लिए संदेश प्रेषित करते हैं। काव्य की एक प्रति स्वयं कवि द्वारा रचित "गुंजन" नामक हिन्दी टीका के साथ, जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश द्वारा प्रकाशित की गई थी। पुस्तक का विमोचन ३० अगस्त २००४ को किया गया था। . संध्या का अर्थ शाम है। संध्या एक हिन्दी शब्द है। .
भृङ्गदूतम् और संध्या के बीच समानता
भृङ्गदूतम् और संध्या आम में 0 बातें हैं (यूनियनपीडिया में)।
सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब
- क्या भृङ्गदूतम् और संध्या लगती में
- यह आम भृङ्गदूतम् और संध्या में है क्या
- भृङ्गदूतम् और संध्या के बीच समानता
भृङ्गदूतम् और संध्या के बीच तुलना
भृङ्गदूतम् 57 संबंध है और संध्या 0 है। वे आम 0 में है, समानता सूचकांक 0.00% है = 0 / (57 + 0)।
संदर्भ
यह लेख भृङ्गदूतम् और संध्या के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: