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ब्रिटिश भारत में रियासतें और मृणालिनी देवी पुआर

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

ब्रिटिश भारत में रियासतें और मृणालिनी देवी पुआर के बीच अंतर

ब्रिटिश भारत में रियासतें vs. मृणालिनी देवी पुआर

15 अगस्त 1947 से पूर्व संयुक्त भारत का मानचित्र जिसमें देशी रियासतों के तत्कालीन नाम साफ दिख रहे हैं। ब्रिटिश भारत में रियासतें (अंग्रेजी:Princely states; उच्चारण:"प्रिंस्ली स्टेट्स्") ब्रिटिश राज के दौरान अविभाजित भारत में नाममात्र के स्वायत्त राज्य थे। इन्हें आम बोलचाल की भाषा में "रियासत", "रजवाड़े" या व्यापक अर्थ में देशी रियासत कहते थे। ये ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा सीधे शासित नहीं थे बल्कि भारतीय शासकों द्वारा शासित थे। परन्तु उन भारतीय शासकों पर परोक्ष रूप से ब्रिटिश शासन का ही नियन्त्रण रहता था। सन् 1947 में जब हिन्दुस्तान आज़ाद हुआ तब यहाँ 565 रियासतें थीं। इनमें से अधिकांश रियासतों ने ब्रिटिश सरकार से लोकसेवा प्रदान करने एवं कर (टैक्स) वसूलने का 'ठेका' ले लिया था। कुल 565 में से केवल 21 रियासतों में ही सरकार थी और मैसूर, हैदराबाद तथा कश्मीर नाम की सिर्फ़ 3 रियासतें ही क्षेत्रफल में बड़ी थीं। 15 अगस्त,1947 को ब्रितानियों से मुक्ति मिलने पर इन सभी रियासतों को विभाजित हिन्दुस्तान (भारत अधिराज्य) और विभाजन के बाद बने मुल्क पाकिस्तान में मिला लिया गया। 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश सार्वभौम सत्ता का अन्त हो जाने पर केन्द्रीय गृह मन्त्री सरदार वल्लभभाई पटेल के नीति कौशल के कारण हैदराबाद, कश्मीर तथा जूनागढ़ के अतिरिक्त सभी रियासतें शान्तिपूर्वक भारतीय संघ में मिल गयीं। 26 अक्टूबर को कश्मीर पर पाकिस्तान का आक्रमण हो जाने पर वहाँ के महाराजा हरी सिंह ने उसे भारतीय संघ में मिला दिया। पाकिस्तान में सम्मिलित होने की घोषणा से जूनागढ़ में विद्रोह हो गया जिसके कारण प्रजा के आवेदन पर राष्ट्रहित में उसे भारत में मिला लिया गया। वहाँ का नवाब पाकिस्तान भाग गया। 1948 में सैनिक कार्रवाई द्वारा हैदराबाद को भी भारत में मिला लिया गया। इस प्रकार हिन्दुस्तान से देशी रियासतों का अन्त हुआ। . मृणालिनी देवी पुआर (25 जून, 1931 – 2 जनवरी 2015) एक भारतीय शिक्षक और धार राज्य की नाममात्र महारानी हैं । वह गायकवाड़ वंश की सदस्य थीं जो कि बड़ौदा राज्य के पूर्व सत्तारूढ़ थे और वह धार के पुआर राजवंश की भी सदस्य हैं, यह दोनों पूर्व मराठा रियासतों है।  उनकी शादी धार के महाराजा आनंदराव चतुर्थ पुआर से हुई । वह महाराजा सायाजी राव यूनिवर्सिटी ऑफ बड़ौदा की चांसलर रह चुकी हैं। उनके भाई बड़ौदा के महाराजा फतहसिंहराव गायकवाड़, की 1988 में मृत्यु के बाद उन्होंने चांसलर का कार्यभार संभाला। प्रशिक्षण के द्वारा, एक आहार विशेषज्ञ, उनकी  पी.एच.डी. खाद्य और पोषण में विश्वविद्यालय से कीऔर फिर वहीँ की चांसलर बन गईं।  पुआर का निधन 2 जनवरी, 2015 को संक्षिप्त बीमारी के बाद हुआ। उनकी उम्र 83 वर्ष थी।  .

ब्रिटिश भारत में रियासतें और मृणालिनी देवी पुआर के बीच समानता

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संदर्भ

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