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बुनियादी शिक्षा

सूची बुनियादी शिक्षा

भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन के समय गांधीजी ने सबसे पहले बुनियादी शिक्षा की कल्पना की थी। आज जिसे विश्वविद्यालय स्तर पर "फाउंडेशन कोर्स" कहा जाता है, उसकी पृष्ठभूमि में गांधी की बुनियादी यानी बेसिक शिक्षा ही तो थी। इस बुनियादी प्रशिक्षण और प्राथमिक स्तर की शिक्षा के दो स्तर थे- स्कूली बच्चे कक्षा-एक से ही तकली से सूत कातते थे; रूई से पौनी बनाते थे और सूत की गुड़िया बनाकर या तो खादी भंडारों को देते थे या बैठने के आसन, रुमाल, चादर आदि बनाते थे। शिक्षा के बारे में गांधीजी का दृष्टिकोण वस्तुत: व्यावसायपरक था। उनका मत था कि भारत जैसे गरीब देश में शिक्षार्थियों को शिक्षा प्राप्त करने के साथ-साथ कुछ धनोपार्जन भी कर लेना चाहिए जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें। इसी उद्देश्य को लेकर उन्होंने ‘वर्धा शिक्षा योजना’ बनायी थी। शिक्षा को लाभदायक एवं अल्पव्ययी करने की दृष्टि से सन् १९३६ ई. में उन्होंने ‘भारतीय तालीम संघ’ की स्थापना की। .

6 संबंधों: भारत, महात्मा गांधी, सूत, वर्धा शिक्षा योजना, खादी, कपास

भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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महात्मा गांधी

मोहनदास करमचन्द गांधी (२ अक्टूबर १८६९ - ३० जनवरी १९४८) भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। वे सत्याग्रह (व्यापक सविनय अवज्ञा) के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की नींव सम्पूर्ण अहिंसा के सिद्धान्त पर रखी गयी थी जिसने भारत को आजादी दिलाकर पूरी दुनिया में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता के प्रति आन्दोलन के लिये प्रेरित किया। उन्हें दुनिया में आम जनता महात्मा गांधी के नाम से जानती है। संस्कृत भाषा में महात्मा अथवा महान आत्मा एक सम्मान सूचक शब्द है। गांधी को महात्मा के नाम से सबसे पहले १९१५ में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया था।। उन्हें बापू (गुजराती भाषा में બાપુ बापू यानी पिता) के नाम से भी याद किया जाता है। सुभाष चन्द्र बोस ने ६ जुलाई १९४४ को रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित करते हुए आज़ाद हिन्द फौज़ के सैनिकों के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ माँगीं थीं। प्रति वर्ष २ अक्टूबर को उनका जन्म दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में और पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाया जाता है। सबसे पहले गान्धी ने प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष हेतु सत्याग्रह करना शुरू किया। १९१५ में उनकी भारत वापसी हुई। उसके बाद उन्होंने यहाँ के किसानों, मजदूरों और शहरी श्रमिकों को अत्यधिक भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाने के लिये एकजुट किया। १९२१ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभालने के बाद उन्होंने देशभर में गरीबी से राहत दिलाने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार, धार्मिक एवं जातीय एकता का निर्माण व आत्मनिर्भरता के लिये अस्पृश्‍यता के विरोध में अनेकों कार्यक्रम चलाये। इन सबमें विदेशी राज से मुक्ति दिलाने वाला स्वराज की प्राप्ति वाला कार्यक्रम ही प्रमुख था। गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाये गये नमक कर के विरोध में १९३० में नमक सत्याग्रह और इसके बाद १९४२ में अंग्रेजो भारत छोड़ो आन्दोलन से खासी प्रसिद्धि प्राप्त की। दक्षिण अफ्रीका और भारत में विभिन्न अवसरों पर कई वर्षों तक उन्हें जेल में भी रहना पड़ा। गांधी जी ने सभी परिस्थितियों में अहिंसा और सत्य का पालन किया और सभी को इनका पालन करने के लिये वकालत भी की। उन्होंने साबरमती आश्रम में अपना जीवन गुजारा और परम्परागत भारतीय पोशाक धोती व सूत से बनी शाल पहनी जिसे वे स्वयं चरखे पर सूत कातकर हाथ से बनाते थे। उन्होंने सादा शाकाहारी भोजन खाया और आत्मशुद्धि के लिये लम्बे-लम्बे उपवास रखे। .

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सूत

सूत सुतों की रील सूत, परस्पर जुड़े रेशों की एक निरंतर लम्बाई है जो कपड़े (टेक्सटाइल्स) के उत्पादन, सिलाई, क्रोशिये से बुनाई (क्रोशेटिंग), सलाईयों से बुनाई (निटिंग), बुनाई (वीविंग), कढ़ाई और रस्सी बनाने के लिए उपयुक्त है। धागा एक प्रकार का सूत है जो हाथ या मशीन से होने वाली सिलाई में प्रयुक्त होता है। सिलाई प्रक्रिया के तनाव को सहने के लिए सिलाई के लिए निर्मित आधुनिक धागों पर मोम या दूसरे स्नेहकों की परत चढ़ी हुई हो सकती है। कढ़ाई में प्रयुक्त होने वाले धागे, हाथ या मशीन से होने वाली कढ़ाई के लिए विशेष रूप से डिज़ाईन किये गए सूत हैं। .

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वर्धा शिक्षा योजना

महात्मा गांधी की भारत को जो देन है उसमें बुनियादी शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण एवं बहुमूल्य है। इसे वर्धा योजना, नयी तालीम, 'बुनियादी तालीम' तथा 'बेसिक शिक्षा' के नामों से भी जाना जाता है। गांधीजी ने २३ अक्टूबर १९३७ को 'नयी तालीम' की योजना बनायी जिसे राष्ट्रव्यापी व्यावहारिक रूप दिया जाना था। उनके शैक्षिक विचार शिक्षाशास्त्रियों के तत्कालीन विचारों से मेल नहीं खाते, इसलिये प्रारम्भ में उनके विचारों का विरोध हुआ। गांधीजी ने कहा था कि नयी तालीम का विचार भारत के लिए उनका अन्तिम एवं सर्वश्रेष्ठ योगदान है। गांधीजी के जीनव-पर्यन्त चले सत्य के अन्वेषण एवं राष्ट्र के निर्माण हेतु सक्रिय प्रयोगों के माध्यम से लम्बे समय तक विचारों के गहन मंथन के परिणामस्वरूप नयी तालीम का दर्शन एवं प्रक्रिया का प्रादुर्भाव हुआ जो केवल भारतवर्ष ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण मानव समाज को एक नयी दिशा देने में सक्षम था। परन्तु दुर्भाग्यवश इस सर्वोत्तम कल्याणकारी शिक्षा-प्रणाली का राष्ट्रीय स्तर पर भी समुचित प्रयोग नहीं हो पाया जिसके फलस्वरूप आजतक यह देश गांधीजी के सपनों के अनुरूप सार्थक और सही स्वराज प्राप्त करने में असमर्थ रहा। बल्कि इसके विपरीत आज तो आलम यह है कि शैक्षणिक, सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टि से भारत पुनः पाश्चात्य साम्राज्यवाद के अधीन निरन्तर सरकता चला जा रहा है। आज भारत की अधिकांश शिक्षा-व्यवस्था राज्याश्रित अथवा पूंजीपतियों पर आश्रित है। अधिकांश राज्याश्रित शिक्षण-संस्थाएँ संसाधन एवं अनुशासन के अभाव में निष्क्रिय हैं। इसलिए गुणवत्ता से युक्त शिक्षा देने में असमर्थ हैं। इसी प्रकार पूजीपतियों पर आश्रित सभी शिक्षण-संस्थाएं व्यावसायिक रूप में सक्रिय हैं, जो गरीबों की पहुंच से बाहर हैं। उनमें सिर्फ सम्पन्न लोगों के बच्चे ही पढ़ सकते हैं। भारत की स्वाधीनता के ६० से अधिक वर्ष बीतने के पश्चात् भी ऐसे बच्चों की संख्या काफी अधिक है, जिन्होंने विद्यालय के द्वार तक नहीं देखे हैं। जो विद्यालय जाने का सामर्थ्य रखते हैं, उन्हें लॉर्ड मैकाले की परम्परा से चली आ रही अंग्रेजी शिक्षा के अतिरिक्त कुछ भी प्राप्त नहीं होता। कुल मिलाकर उनमें भारतीय मौलिक शिक्षा को ग्रहण करनेवाले शायद ही कोई मिले। यह बात नहीं कि भारतीय शिक्षा देनेवालों का अभाव है। परन्तु इसलिए कि सभी अभिभावकों में यह इच्छाशक्ति एवं साहस नहीं है कि अपने बच्चों को सरकारों अथवा पूंजीपतियों द्वारा निर्धारित अंग्रेजी शिक्षा को त्यागकर भारतीय शिक्षा दिलावें। जब तक जनसाधारण की इस कायरतापूर्ण मानसिकता में परिवर्तन न किया जायेगा, तबतक नयी तालीम सहित कोई भी भारतीय शिक्षण-प्रणाली इस देश में पनप नहीं सकती। .

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खादी

खादी या खद्दर भारत में हाँथ से बनने वाले वस्त्रों को कहते हैं। खादी वस्त्र सूती, रेशम, या ऊन हो सकते हैं। इनके लिये बनने वाला सूत चरखे की सहायता से बनाया जाता है। खादी वस्त्रों की विशेषता है कि ये शरीर को गर्मी में ठण्डे और सर्दी में गरम रखते हैं। भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में खादी का बहुत महत्व रहा। गांधीजी ने १९२० के दशक में गावों को आत्मनिर्भर बनाने के लिये खादी के प्रचार-प्रसार पर बहुत जोर दिया था। .

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कपास

कपास चुनती हुई स्त्री मशीन से संस्कारित करने के पहले हाथ से बीज निकालते हुए (२०१०) विश्व के कपास उत्पादक क्षेत्र कपास एक नकदी फसल हैं। इससे रुई तैयार की जाती हैं, जिसे "सफेद सोना" कहा जाता हैं | .

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