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प्रतापगढ़, राजस्थान और मालवा

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

प्रतापगढ़, राजस्थान और मालवा के बीच अंतर

प्रतापगढ़, राजस्थान vs. मालवा

प्रतापगढ़, क्षेत्रफल में भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान के ३३वें जिले प्रतापगढ़ जिले का मुख्यालय है। प्राकृतिक संपदा का धनी कभी इसे 'कान्ठल प्रदेश' कहा गया। यह नया जिला अपने कुछ प्राचीन और पौराणिक सन्दर्भों से जुड़े स्थानों के लिए दर्शनीय है, यद्यपि इसके सुविचारित विकास के लिए वन विभाग और पर्यटन विभाग ने कोई बहुत उल्लेखनीय योगदान अब तक नहीं किया है। . 1823 में बने एक एक ऐतिहासिक मानचित्र में मालवा को दिखाया गया है। विंध्याचल का दृश्य, यह मालवा की दक्षिणी सीमा को निर्धारित करता है। इससे इस क्षेत्र की कई नदियां निकली हैं। मालवा, ज्वालामुखी के उद्गार से बना पश्चिमी भारत का एक अंचल है। मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग तथा राजस्थान के दक्षिणी-पूर्वी भाग से गठित यह क्षेत्र प्राचीन काल से ही एक स्वतंत्र राजनीतिक इकाई रहा है। मालवा का अधिकांश भाग चंबल नदी तथा इसकी शाखाओं द्वारा संचित है, पश्चिमी भाग माही नदी द्वारा संचित है। यद्यपि इसकी राजनीतिक सीमायें समय समय पर थोड़ी परिवर्तित होती रही तथापि इस छेत्र में अपनी विशिष्ट सभ्यता, संस्कृति एंव भाषा का विकास हुआ है। मालवा के अधिकांश भाग का गठन जिस पठार द्वारा हुआ है उसका नाम भी इसी अंचल के नाम से मालवा का पठार है। इसे प्राचीनकाल में 'मालवा' या 'मालव' के नाम से जाना जाता था। वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी.

प्रतापगढ़, राजस्थान और मालवा के बीच समानता

प्रतापगढ़, राजस्थान और मालवा आम में 10 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): पठार, मध्य प्रदेश, मालवी, माही नदी, मेवाड़, रतलाम, राजस्थान, ज्वालामुखी, गंगा नदी, ग्वालियर

पठार

भूमि पर मिलने वाले द्वितीय श्रेणी के स्थल रुपों में पठार अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं और सम्पूर्ण धरातल के ३३% भाग पर इनका विस्तार पाया जाता हैं।अथवा धरातल का विशिष्ट स्थल रूप जो अपने आस पास की जमींन से प्रयाप्त ऊँचा होता है,और जिसका ऊपरी भाग चौड़ा और सपाट हो पठार कहलाता है। सागर तल से इनकी ऊचाई ३०० मीटर तक होती हैं लेकिन केवल ऊचाई के आधार पर ही पठार का वर्गिकरण नही किया जाता हैं। .

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मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश भारत का एक राज्य है, इसकी राजधानी भोपाल है। मध्य प्रदेश १ नवंबर, २००० तक क्षेत्रफल के आधार पर भारत का सबसे बड़ा राज्य था। इस दिन एवं मध्यप्रदेश के कई नगर उस से हटा कर छत्तीसगढ़ की स्थापना हुई थी। मध्य प्रदेश की सीमाऐं पांच राज्यों की सीमाओं से मिलती है। इसके उत्तर में उत्तर प्रदेश, पूर्व में छत्तीसगढ़, दक्षिण में महाराष्ट्र, पश्चिम में गुजरात, तथा उत्तर-पश्चिम में राजस्थान है। हाल के वर्षों में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर राष्ट्रीय औसत से ऊपर हो गया है। खनिज संसाधनों से समृद्ध, मध्य प्रदेश हीरे और तांबे का सबसे बड़ा भंडार है। अपने क्षेत्र की 30% से अधिक वन क्षेत्र के अधीन है। इसके पर्यटन उद्योग में काफी वृद्धि हुई है। राज्य में वर्ष 2010-11 राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार जीत लिया। .

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मालवी

मालवी भारत के मालवा क्षेत्र की भाषा है। मालवा भारत भूमि के हृदय स्थल के रूप में सुविख्यात है। मालवा क्षेत्र का भू-भाग अत्यंत विस्तृत है। पूर्व दिशा में बेतवा(वेत्रवती) नदी, उत्तर-पश्चिम में चम्बल (चर्मण्यवती) और दक्षिण में पुण्य सलिला नर्मदा नदी के बीच का प्रदेश मालवा है। मालवा क्षेत्र मध्यप्रदेश और राजस्थान के लगभग बीस जिलों में विस्तार लिए हुए हैं। इन क्षेत्रों के दो करोड़ से अधिक निवासी मालवी और उसकी विविध उपबोलियों का व्यवहार करते हैं। प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा की पुस्तक मालवी भाषा और साहित्य के अनुसार वर्तमान में मालवी भाषा का प्रयोग मध्यप्रदेश के उज्जैन संभाग के आगर मालवा, नीमच, मन्दसौर, रतलाम, उज्जैन, देवास एवं शाजापुर जिलों, इंदौर संभाग के धार, झाबुआ, अलीराजपुर, हरदा और इन्दौर जिलों, भोपाल संभाग के सीहोर, राजगढ़, भोपाल, रायसेन और विदिशा जिलों, ग्वालियर संभाग के गुना जिले, राजस्थान के झालावाड़, प्रतापगढ़, बाँसवाड़ा एवं चित्तौड़गढ़ जिलों के सीमावर्ती क्षेत्रों में होता है। मालवी की सहोदरा निमाड़ी भाषा का प्रयोग बड़वानी, खरगोन, खंडवा, हरदा और बुरहानपुर जिलों में होता है। मध्यप्रदेश के कुछ जिलों में मालवी तथा अन्य निकटवर्ती बोलियों जैसे निमाड़ी, बुंदेली आदि के मिश्रित रूप प्रचलित हैं। इन जिलों में हरदा, होशंगाबाद, बैतूल, छिन्दवाड़ा आदि उल्लेखनीय हैं। सातवीं शती में जब व्हेनसांग भारत आया था तो वह मालवा के पर्यावरण और लोकजीवन से गहरे प्रभावित हुआ था। तब उसने दर्ज भी किया,‘इनकी भाषा मनोहर और सुस्पष्ट है।’ मालवा समृद्धि एवं सुख से भरपूर क्षेत्र माना जाता है। ‘देश मालवा गहन गंभीर, डग-डग रोटी पग-पग नीर’जैसी उक्ति लोक-जीवन में प्रचलित है। जीवन की यही विशिष्टताएं मालवा के इतिहास, संस्कृति, साहित्य, कला आदि में प्रतिबिम्बित हुई हैं। लोककलाओं के रस से मालवांचल सराबोर है। सुदूर अतीत से यहाँ प्रवहमान नदियों, स्थानीय भौगोलिक एवं सांस्कृतिक विविधता के रहते मालवी की अलग-अलग छटाएँ लोकजीवन में दिखाई देती हैं। इन्हीं से मालवी के अलग-अलग क्षेत्रीय रूप या विविध उपबोलियाँ अस्तित्व में आई हैं। एक प्रसिद्ध उक्ति भी इसी तथ्य की ओर संकेत करती है, "बारा कोस पे वाणी बदले, पाँच कोस पे पाणी।" मालवी का केन्द्र उज्जैन, इंदौर, देवास और उसके आसपास का क्षेत्र है। इसी मध्यवर्ती मालवी को आदर्श या केन्द्रीय मालवी कहा जाता है, जो अन्य निकटवर्ती बोलियों के प्रभाव से प्रायः अछूती है। आगर मालवा जिला तो प्रसिद्ध ही मालवा उपनाम से है क्योंकि जानकारों के अनुसार बहुत ज्यादा हद तक केंद्रीय या आदर्श मालवी इस जिले में ही बोली जाती है। केन्द्रीय या आदर्श मालवी के अलावा मालवी के कई उपभेद या उपबोलियाँ भी अपनी विशिष्ट पहचान रखती हैं। मालवी के प्रमुख उपबोली रूप हैं-.

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माही नदी

माही नदी पश्चिमी भारत की एक प्रमुख नदी हैं। माही का उद्गम मध्यप्रदेश के धार जिला के समीप मिन्डा ग्राम की विंध्याचल पर्वत श्रेणी से हुआ है। यह दक्षिणी अरावली में जयसमन्द झील से प्रारम्भ होती है। यह मध्य प्रदेश के धार, झाबुआ और रतलाम जिलों तथा गुजरात राजस्थान राज्य से होती हुई खंभात की खाड़ी द्वारा अरब सागर में गिरती है। इसकी दक्षिणी-पूर्वी शाखा बांसवाड़ा जिले से विपरीत दिशा में आकर मिलती है। इस पर माही बजाज सागर एवं कडाणा बाँध बनाये गए हैं। यह खम्भात की खाड़ी में गिरती है। इसकी कुल लम्बाई लगभग 472 किलोमीटर है। यह भारत की एकमात्र ऐसी नदी है जो कर्क रेखा को दो बार काटती है। यह भारत की पवीत्र नदियो मे से एक हे। .

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मेवाड़

राजस्थान के अन्तर्गत मेवाड़ की स्थिति मेवाड़ राजस्थान के दक्षिण-मध्य में एक रियासत थी। इसे 'उदयपुर राज्य' के नाम से भी जाना जाता था। इसमें आधुनिक भारत के उदयपुर, भीलवाड़ा, राजसमंद, तथा चित्तौडगढ़ जिले थे। सैकड़ों सालों तक यहाँ रापपूतों का शासन रहा और इस पर गहलौत तथा सिसोदिया राजाओं ने १२०० साल तक राज किया। बाद में यह अंग्रेज़ों द्वारा शासित राज बना। १५५० के आसपास मेवाड़ की राजधानी थी चित्तौड़। राणा प्रताप सिंह यहीं का राजा था। अकबर की भारत विजय में केवल मेवाड़ का राणा प्रताप बाधक बना रहा। अकबर ने सन् 1576 से 1586 तक पूरी शक्ति के साथ मेवाड़ पर कई आक्रमण किए, पर उसका राणा प्रताप को अधीन करने का मनोरथ सिद्ध नहीं हुआ स्वयं अकबर, प्रताप की देश-भक्ति और दिलेरी से इतना प्रभावित हुआ कि प्रताप के मरने पर उसकी आँखों में आंसू भर आये। उसने स्वीकार किया कि विजय निश्चय ही राणा की हुई। यह एक ऐतिहासिक सत्य है कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में प्रताप जैसे महान देशप्रेमियों के जीवन से ही प्रेरणा प्राप्त कर अनेक देशभक्त हँसते-हँसते बलिवेदी पर चढ़ गए। महाराणा प्रताप की मृत्यु पर उसके उत्तराधिकारी अमर सिंह ने मुगल सम्राट जहांगीर से संधि कर ली। उसने अपने पाटवी पुत्र को मुगल दरबार में भेजना स्वीकार कर लिया। इस प्रकार १०० वर्ष बाद मेवाड़ की स्वतंत्रता का भी अन्त हुआ। .

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रतलाम

रतलाम भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त के मालवा क्षेत्र का एक जिला है। रतलाम शहर समुद्र सतह से १५७७ फीट कि ऊन्चाई पर स्थित है। रतलाम के पहले राजा महाराजा रतन सिंह थे। यह नगर सेव, सोना, सट्टा,मावा, साडी तथा समोसा कचौरी के लिये प्रसिद्ध है। महाराजा रतनसिंह और उनके पुत्र रामसिंह के नामों के संयोग से शहर का नाम रतनराम हुआ, जो बाद में अपभ्रंशों के रूप में बदलते हुए क्रमशः रतराम और फिर रतलाम के रूप में जाना जाने लगा। मुग़ल बादशाह शाहजहां ने रतलाम जागीर को रतन सिह को एक हाथी के खेल में, उनकी बहादुरी के उपलक्ष में प्रदान की थी। उसके बाद, जब शहजादा शुजा और औरंगजेब के मध्य उत्तराधिकारी की जों जंग शरू हुई थी, उसमे रतलाम के राजा रतन सिंह ने बादशाह शाहजहां का साथ दिया था। औरंगजेब के सत्ता पर असिन होने के बाद, जब अपने सभी विरोधियो को जागीर और सत्ता से बेदखल किया, उस समय, रतलाम के राजा रतन सिंह को भी हटा दिया था और उन्हें अपना अंतिम समय मंदसौर जिले के सीतामऊ में बिताना पड़ा था और उनकी मृत्यु भी सीतामऊ में भी हुई, जहाँ पर आज भी उनकी समाधी की छतरिया बनी हुई हैं। औरंगजेब द्वारा बाद में, रतलाम के एक सय्यद परिवार, जों की शाहजहां द्वारा रतलाम के क़ाज़ी और सरवनी जागीर के जागीरदार नियुक्त किये गए थे, द्वारा मध्यस्ता करने के बाद, रतन सिंह के बेटे को उत्तराधिकारी बना दिया गया। इसके आलावा रतलाम जिले का ग्राम सिमलावदा अपने ग्रामीण विकास के लिये पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध हे। यहाँ के ग्रामीणों द्वारा जनभागीदारी से गांव में ही कई विकास कार्य किये गए हे। रतलाम से 30 किलोमीटर दूर बदनावर इंदौर रोड पर कवलका माताजी का अति प्राचीन पांडवकालीन पहाड़ी पर स्थित मन्दिर हे। यहाँ पर दूर दूर से लोग अपनी मनोकामना पूरी करने और खासकर सन्तान प्राप्ति के लिए यहाँ पर मान लेते हे| madhya paradesh no.1 श्रेणी:मध्य प्रदेश के नगर.

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राजस्थान

राजस्थान भारत गणराज्य का क्षेत्रफल के आधार पर सबसे बड़ा राज्य है। इसके पश्चिम में पाकिस्तान, दक्षिण-पश्चिम में गुजरात, दक्षिण-पूर्व में मध्यप्रदेश, उत्तर में पंजाब (भारत), उत्तर-पूर्व में उत्तरप्रदेश और हरियाणा है। राज्य का क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग कि॰मी॰ (132139 वर्ग मील) है। 2011 की गणना के अनुसार राजस्थान की साक्षरता दर 66.11% हैं। जयपुर राज्य की राजधानी है। भौगोलिक विशेषताओं में पश्चिम में थार मरुस्थल और घग्गर नदी का अंतिम छोर है। विश्व की पुरातन श्रेणियों में प्रमुख अरावली श्रेणी राजस्थान की एक मात्र पर्वत श्रेणी है, जो कि पर्यटन का केन्द्र है, माउंट आबू और विश्वविख्यात दिलवाड़ा मंदिर सम्मिलित करती है। पूर्वी राजस्थान में दो बाघ अभयारण्य, रणथम्भौर एवं सरिस्का हैं और भरतपुर के समीप केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान है, जो सुदूर साइबेरिया से आने वाले सारसों और बड़ी संख्या में स्थानीय प्रजाति के अनेकानेक पक्षियों के संरक्षित-आवास के रूप में विकसित किया गया है। .

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ज्वालामुखी

तवुर्वुर का एक सक्रिय ज्वालामुखी फटते हुए, राबाउल, पापुआ न्यू गिनिया ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह पर उपस्थित ऐसी दरार या मुख होता है जिससे पृथ्वी के भीतर का गर्म लावा, गैस, राख आदि बाहर आते हैं। वस्तुतः यह पृथ्वी की ऊपरी परत में एक विभंग (rupture) होता है जिसके द्वारा अन्दर के पदार्थ बाहर निकलते हैं। ज्वालामुखी द्वारा निःसृत इन पदार्थों के जमा हो जाने से निर्मित शंक्वाकार स्थलरूप को ज्वालामुखी पर्वत कहा जाता है। ज्वालामुखी का सम्बंध प्लेट विवर्तनिकी से है क्योंकि यह पाया गया है कि बहुधा ये प्लेटों की सीमाओं के सहारे पाए जाते हैं क्योंकि प्लेट सीमाएँ पृथ्वी की ऊपरी परत में विभंग उत्पन्न होने हेतु कमजोर स्थल उपलब्ध करा देती हैं। इसके अलावा कुछ अन्य स्थलों पर भी ज्वालामुखी पाए जाते हैं जिनकी उत्पत्ति मैंटल प्लूम से मानी जाती है और ऐसे स्थलों को हॉटस्पॉट की संज्ञा दी जाती है। भू-आकृति विज्ञान में ज्वालामुखी को आकस्मिक घटना के रूप में देखा जाता है और पृथ्वी की सतह पर परिवर्तन लाने वाले बलों में इसे रचनात्मक बल के रूप में वर्गीकृत किया जाता है क्योंकि इनसे कई स्थलरूपों का निर्माण होता है। वहीं, दूसरी ओर पर्यावरण भूगोल इनका अध्ययन एक प्राकृतिक आपदा के रूप में करता है क्योंकि इससे पारितंत्र और जान-माल का नुकसान होता है। .

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गंगा नदी

गंगा (गङ्गा; গঙ্গা) भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी है। यह भारत और बांग्लादेश में कुल मिलाकर २,५१० किलोमीटर (कि॰मी॰) की दूरी तय करती हुई उत्तराखण्ड में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुन्दरवन तक विशाल भू-भाग को सींचती है। देश की प्राकृतिक सम्पदा ही नहीं, जन-जन की भावनात्मक आस्था का आधार भी है। २,०७१ कि॰मी॰ तक भारत तथा उसके बाद बांग्लादेश में अपनी लंबी यात्रा करते हुए यह सहायक नदियों के साथ दस लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के अति विशाल उपजाऊ मैदान की रचना करती है। सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण गंगा का यह मैदान अपनी घनी जनसंख्या के कारण भी जाना जाता है। १०० फीट (३१ मी॰) की अधिकतम गहराई वाली यह नदी भारत में पवित्र मानी जाती है तथा इसकी उपासना माँ तथा देवी के रूप में की जाती है। भारतीय पुराण और साहित्य में अपने सौन्दर्य और महत्त्व के कारण बार-बार आदर के साथ वंदित गंगा नदी के प्रति विदेशी साहित्य में भी प्रशंसा और भावुकतापूर्ण वर्णन किये गये हैं। इस नदी में मछलियों तथा सर्पों की अनेक प्रजातियाँ तो पायी ही जाती हैं, मीठे पानी वाले दुर्लभ डॉलफिन भी पाये जाते हैं। यह कृषि, पर्यटन, साहसिक खेलों तथा उद्योगों के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है तथा अपने तट पर बसे शहरों की जलापूर्ति भी करती है। इसके तट पर विकसित धार्मिक स्थल और तीर्थ भारतीय सामाजिक व्यवस्था के विशेष अंग हैं। इसके ऊपर बने पुल, बांध और नदी परियोजनाएँ भारत की बिजली, पानी और कृषि से सम्बन्धित ज़रूरतों को पूरा करती हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि इस नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओं व अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं। गंगा की इस अनुपम शुद्धीकरण क्षमता तथा सामाजिक श्रद्धा के बावजूद इसको प्रदूषित होने से रोका नहीं जा सका है। फिर भी इसके प्रयत्न जारी हैं और सफ़ाई की अनेक परियोजनाओं के क्रम में नवम्बर,२००८ में भारत सरकार द्वारा इसे भारत की राष्ट्रीय नदी तथा इलाहाबाद और हल्दिया के बीच (१६०० किलोमीटर) गंगा नदी जलमार्ग को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया है। .

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ग्वालियर

ग्वालियर भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त का एक प्रमुख शहर है। भौगोलिक दृष्टि से ग्वालियर म.प्र.

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

प्रतापगढ़, राजस्थान और मालवा के बीच तुलना

प्रतापगढ़, राजस्थान 317 संबंध है और मालवा 25 है। वे आम 10 में है, समानता सूचकांक 2.92% है = 10 / (317 + 25)।

संदर्भ

यह लेख प्रतापगढ़, राजस्थान और मालवा के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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