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पृथ्वीराज तोमर और विग्रहराज चौहान

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

पृथ्वीराज तोमर और विग्रहराज चौहान के बीच अंतर

पृथ्वीराज तोमर vs. विग्रहराज चौहान

पृथ्वीराज तोमर (1167-1189 ई.) दिल्ली का तोमर शासक था। पृथ्वीराज तोमर अजमेर के राजा सोमेश्वर और पृथ्वीराज चौहान के समकालीन राजा था, नाम में समानताएं होने के कारण जनता समझने लगी की चौहानो का राज्य दिल्ली पर भी है। मदनपाल तोमर के पश्चात दिल्ली के राजसिंहासन पर पृथ्वीराज तोमर बैढे।महेन्द्र सिंह तंवर खेतासर, तंवर (तोमर) राजवंश का राजनीतिक एवम सांस्कृतिक इतिहास, पृष्ठ-74 अबुल फजल द्वारा दी गई वंशावली के अनुसार पृथ्वीराज तोमर का राज्य 1189 ई. तक रहा और उसने 22 वर्ष 2 माह 16 दिन तक शासन किया। इसके विपरीत इन्द्रप्रस्थ प्रबंध का लेखक उसे 24 वर्ष 3 माह 6 दिन 17 घडी शासन करना बतलाता है। इन्द्रप्रस्थ प्रबंध के अनुसार पृथ्वीराज तोमर का राज्य 1191 तक होता है परन्तु उसका उत्तराअधिकार चाहड़पाल जिसकी मुद्रायें प्राप्त होती है उसका केवल 1 वर्ष का राज्यकाल मिलता है जो ठिक प्रतित नहीं होता। द्विवेदी के अनुसार पृथ्वीराज तोमर ने 1167 ई. में दिल्ली का शासन ग्रहण किया तथा 1189 ई. तक वे शासन करते रहे। पृथ्वीराज तोमर की मुद्राए प्राप्त होती है जिनके एक ओर भाले सहित अश्वारोही के साथ 'पृथ्वीराज देव ' और दुसरी तरफ नन्दी के ऊपर 'असावरी सामन्तदेव' लिखा प्राप्त होता है। इसका उल्लेख ढक्कर फेरू की द्रव्य परीक्षा और कनिंगम ने भी किया है। यह तो सर्वविदित है कि मदनपाल के पश्चात दिल्ली के राजा पृथ्वीराज तोमर थे जो कि अजमेर के राजा सोमेश्वर और पृथ्वीराज चौहान के समकालीन थे। पृथ्वीराज के राज्य रोहण के समय शाकम्भरी पर उसका भांजा अपरगांगेय शासन कर रहा था। इसी बीच विग्रहराज के भाई जगदेव का पुत्र पृथ्वीभट्ट जिसने अपने मामा चित्तोड के राजा गुहिलोत किल्लण के सहयोग से हांसी पे हमला कर दिया और 1167 ई. में उस पे अधिकार कर लिया और उस गढ पर अपने मामा किल्लण को छोडकर स्वयं शाकम्भरी पर आक्रमण कर दिया। उस समय दिल्ली के तोमर राजा पृथ्वीराज ने उसे रोकने का प्रयास किया और पृथ्वीराज तोमर के सामंत हांसी के राजा वास्तुपाल से पृथ्वीभट्ट का युद्ध हुआ था। वास्तुपाल पराजित हुआ और पृथ्वीभट्ट ने शाकम्भरी पे हमला कर अपरगांगेय को मार डाला और 1168 ई. में शाकम्भरी का राजा बना।महेन्द्र सिंह तंवर खेतासर, तंवर (तोमर) राजवंश का राजनीतिक एवम सांस्कृतिक इतिहास, पृष्ठ-75 अपरगांगेय का छोटा भाई नागार्जुन भागकर दिल्ली आ गया। पृथ्वीभट्ट की मृत्यु के बाद सोमेश्वर शाकम्भरी का राजा बना और उसकी मृत्यु के बाद अबुल फजल के अनुसार दिल्ली के राजा पृथ्वीराज तोमर का भांजा नागार्जुन कुछ समय के लिए शाकम्भरी के राज सिंहासन बैढा था, इसलिए 1177 ई. में पृथ्वीराज चौहान और नागार्जुन के बीच संघर्ष हुआ। इस संघर्ष में पृथ्वीराज तोमर ने नागार्जुन की सहायता के लिए अपने सामन्त देव भट्ट को भेजा। नागार्जुन ने गुडपुर के गढ में अपनी सेना एकत्र की और वहाँ से अभयगढ पर आक्रमण किया। राय पिथोरा की माता कर्पुरीदेवी के नेतृत्व में भुवनैकमल्ल ओर कैमास सहित चौहान सेना ने गुडपुर (गुडगाँव) को घेर लिया और नागार्जुन किसी तरह बचकर दिल्ली भाग गये और तोमर सामंत देवभट्ट और उसके समस्त सैनिक युद्ध में मारे गए। सन् 1189 ई. में पृथ्वीराज तोमर की मृत्यु हो गई। उन्होंने जीवन पर्यन्त अपरगांगेय और नागार्जुन के उत्तराअधिकारी के प्रश्न को लेकर पृथ्वीभट्ट, सोमेश्वर, कर्पुरीदेवी, कैमास और भुवनैकमल्ल से अनेक वर्षों तक संघर्ष किया। संभवत: वे इसमें असफल रहे। उनकी इस असफलता का प्रभाव तोमर साम्राज्य की दृढता पर पढा। इससे पूर्व 1177 ई. के पश्चात उत्तर-पश्चिम भारत विश्रृंखल राजाओं का संघ रह गया था, जो दिल्ली के तोमर राजा को अपना मुखिया मानता था। पृथ्वीराज तोमर के चौहानो के साथ लम्बे संघर्ष के परीणाम स्वरुप यह नियन्त्रण शिथिल अवश्य दिखाई देता है। पृथ्वीराज तोमर की मृत्यु के पश्चात 1189 ई. में दिल्ली के राजसिंहासन पर उनका पुत्र चहाडपाल तोमर बैठा। . वीसलदेव द्वारा निर्मित सरस्वतीकण्ठाभरण विद्यापीठ जिसे बदलकर 'ढाई दिन का झोपड़ा' बना दिया गया। वीसलदेव विग्रहराज (r. c. 1150-1164 ई) चहमान वंश के एक हिन्दू राजा थे जिन्होने भारत के उत्तर-पश्चिम भाग में शासन किया। उन्होने अपने पड़ोसी राजाओं को जीतकर चहमान राज्य को एक साम्राज्य में परिवर्तित कर दिया। उनके राज्य में वर्तमान राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के क्षेत्र सम्मिलित थे। उनकी राजधानी अजयमेरु (वर्तमान अजमेर) थी जहाँ उन्होने अनेकों भवनों का निर्माण कराया। जब अजमेर पर मुसलमान शासकों का आधिपत्य हो गया तो उनमें से अधिकांश भवनों को या तो नष्ट कर दिया गया या उन्हें 'इस्लामी भवनों' में परिवर्तित कर दिया गया। इन्हीं में से वीसलदेव द्वारा निर्मित सरस्वतीकण्ठाभरणविद्यापीठ था जो संस्कृत अध्ययन का केन्द्र था। इसे बदलकर 'आढाई दिन का झोपड़ा' नामक मसजिद बना दी गयी। .

पृथ्वीराज तोमर और विग्रहराज चौहान के बीच समानता

पृथ्वीराज तोमर और विग्रहराज चौहान आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): दिल्ली, अजमेर

दिल्ली

दिल्ली (IPA), आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (अंग्रेज़ी: National Capital Territory of Delhi) भारत का एक केंद्र-शासित प्रदेश और महानगर है। इसमें नई दिल्ली सम्मिलित है जो भारत की राजधानी है। दिल्ली राजधानी होने के नाते केंद्र सरकार की तीनों इकाइयों - कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका के मुख्यालय नई दिल्ली और दिल्ली में स्थापित हैं १४८३ वर्ग किलोमीटर में फैला दिल्ली जनसंख्या के तौर पर भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर है। यहाँ की जनसंख्या लगभग १ करोड़ ७० लाख है। यहाँ बोली जाने वाली मुख्य भाषाएँ हैं: हिन्दी, पंजाबी, उर्दू और अंग्रेज़ी। भारत में दिल्ली का ऐतिहासिक महत्त्व है। इसके दक्षिण पश्चिम में अरावली पहाड़ियां और पूर्व में यमुना नदी है, जिसके किनारे यह बसा है। यह प्राचीन समय में गंगा के मैदान से होकर जाने वाले वाणिज्य पथों के रास्ते में पड़ने वाला मुख्य पड़ाव था। यमुना नदी के किनारे स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है। यह भारत का अति प्राचीन नगर है। इसके इतिहास का प्रारम्भ सिन्धु घाटी सभ्यता से जुड़ा हुआ है। हरियाणा के आसपास के क्षेत्रों में हुई खुदाई से इस बात के प्रमाण मिले हैं। महाभारत काल में इसका नाम इन्द्रप्रस्थ था। दिल्ली सल्तनत के उत्थान के साथ ही दिल्ली एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक शहर के रूप में उभरी। यहाँ कई प्राचीन एवं मध्यकालीन इमारतों तथा उनके अवशेषों को देखा जा सकता हैं। १६३९ में मुगल बादशाह शाहजहाँ ने दिल्ली में ही एक चारदीवारी से घिरे शहर का निर्माण करवाया जो १६७९ से १८५७ तक मुगल साम्राज्य की राजधानी रही। १८वीं एवं १९वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने लगभग पूरे भारत को अपने कब्जे में ले लिया। इन लोगों ने कोलकाता को अपनी राजधानी बनाया। १९११ में अंग्रेजी सरकार ने फैसला किया कि राजधानी को वापस दिल्ली लाया जाए। इसके लिए पुरानी दिल्ली के दक्षिण में एक नए नगर नई दिल्ली का निर्माण प्रारम्भ हुआ। अंग्रेजों से १९४७ में स्वतंत्रता प्राप्त कर नई दिल्ली को भारत की राजधानी घोषित किया गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् दिल्ली में विभिन्न क्षेत्रों से लोगों का प्रवासन हुआ, इससे दिल्ली के स्वरूप में आमूल परिवर्तन हुआ। विभिन्न प्रान्तो, धर्मों एवं जातियों के लोगों के दिल्ली में बसने के कारण दिल्ली का शहरीकरण तो हुआ ही साथ ही यहाँ एक मिश्रित संस्कृति ने भी जन्म लिया। आज दिल्ली भारत का एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक केन्द्र है। .

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अजमेर

अजमेर राजस्थान प्रान्त में अजमेर जिले का मुख्यालय एवं मुख्य नगर है। यह अरावली पर्वत श्रेणी की तारागढ़ पहाड़ी की ढाल पर स्थित है। यह नगर सातवीं शताब्दी में अजयराज सिंह नामक एक चौहान राजा द्वारा बसाया गया था। इस नगर का मूल नाम 'अजयमेरु' था। सन् १३६५ में मेवाड़ के शासक, १५५६ में अकबर और १७७० से १८८० तक मेवाड़ तथा मारवाड़ के अनेक शासकों द्वारा शासित होकर अंत में १८८१ में यह अंग्रेजों के आधिपत्य में चला गया। अजमेर में मेघवंशी, जाट, गुर्जर, रावत ब्राह्मण, गर्ग, भील व जैन समुदाय का बहुमत है नगर के उत्तर में अनासागर तथा कुछ आगे फ्वायसागर नामक कृत्रिम झीलें हैं। यहाँ का प्रसिद्ध मुसलमान फकीर मुइनुद्दीन चिश्ती का मकबरा प्रसिद्ध है। ढाई दिन के झोपड़े में कुल ४० स्तंभ हैं और सब में नए-नए प्रकार की नक्काशी है; कोई भी दो स्तंभ नक्काशी में समान नहीं हैं। तारागढ़ पहाड़ी की चोटी पर एक दुर्ग भी है। इसका आधुनिक नगर एक प्रसिद्ध रेलवे केन्द्र भी है। यहाँ पर नमक का व्यापार होता है जो साँभर झील से लाया जाता है। यहाँ खाद्य, वस्त्र तथा रेलवे के कारखाने हैं। तेल तैयार करना भी यहाँ का एक प्रमुख व्यापार है। .

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पृथ्वीराज तोमर और विग्रहराज चौहान के बीच तुलना

पृथ्वीराज तोमर 13 संबंध है और विग्रहराज चौहान 6 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 10.53% है = 2 / (13 + 6)।

संदर्भ

यह लेख पृथ्वीराज तोमर और विग्रहराज चौहान के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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