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पान

सूची पान

पान भारत के इतिहास एवं परंपराओं से गहरे से जुड़ा है। इसका उद्भव स्थल मलाया द्वीप है। पान विभिन्न भारतीय भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे ताम्बूल (संस्कृत), पक्कू (तेलुगू), वेटिलाई (तमिल और मलयालम) और नागुरवेल (गुजराती) आदि। पान का प्रयोग हिन्दू संस्कार से जुड़ा है, जैसे नामकरण, यज्ञोपवीत आदि। वेदों में भी पान के सेवन की पवित्रता का वर्णन है। यह तांबूली या नागवल्ली नामक लता का पत्ता है। खैर, चूना, सुपारी के योग से इसका बीड़ा लगाया जाता है और मुख की सुंदरता, सुगंधि, शुद्धि, श्रृंगार आदि के लिये चबा चबाकर उसे खाया जाता है। इसके साथ विभिन्न प्रकार के सुगंधित, असुगंधित तमाखू, तरह तरह के पान के मसाले, लवंग, कपूर, सुगंधद्रव्य आदि का भी प्रयोग किया जाता है। मद्रास में बिना खैर का भी पान खाया जाता है। विभिन्न प्रदेशों में अपने अपने स्वाद के अनुसार इसके प्रयोग में तरह तरह के मसालों के साथ पान खाने का रिवाज है। जहाँ भोजन आदि के बाद, तथा उत्सवादि में पान बीड़ा लाभकर और शोभाकर होता है वहीं यह एक दुर्व्यसन भी हो जाता है। तम्बाकू के साथ अधिक पान खानेवाले लोग प्राय: इसके व्यसनी हो जाते हैं। अधिक पान खाने के कारण बहुतों के दाँत खराब हो जाते हैं- उनमें तरह तरह के रोग लग जाते हैं और मुँह से दुर्गंध आने लगती है। इस लता के पत्ते छोटे, बड़े अनेक आकार प्रकार के होते हैं। बीच में एक मोटी नस होती है और प्राय: इस पत्ते की आकृति मानव के हृदय (हार्ट) से मिलती जुलती होती है। भारत के विभिन्न भागों में होनेवाले पान के पत्तों की सैकड़ों किस्में हैं - कड़े, मुलायम, छोटे, बड़े, लचीले, रूखे आदि। उनके स्वाद में भी बड़ा अंतर होता है। कटु, कषाय, तिक्त और मधुर-पान के पत्ते प्राय: चार स्वाद के होते हैं। उनमें औषधीय गुण भी भिन्न भिन्न प्रकार के होते हैं। देश, गंध आदि के अनुसार पानों के भी गुणर्धममूलक सैकड़ों जातिनाम हैं जैसे- जगन्नाथी, बँगाली, साँची, मगही, सौंफिया, कपुरी (कपूरी) कशकाठी, महोबाई आदि। गर्म देशों में, नमीवाली भूमि में ज्यादातर इसकी उपज होती है। भारत, बर्मा, सिलोन आदि में पान की अघिक पैदायश होती है। इसकी खेती कि लिये बड़ा परिश्रम अपेक्षित है। एक ओर जितनी उष्णता आवश्यक है, दूसरी ओर उतना ही रस और नमी भी अपेक्षित है। देशभेद से इसकी लता की खेती और सुरक्षा में भेद होता है। पर सर्वत्र यह अत्यंत श्रमसाध्य है। इसकी खेती के स्थान को कहीं बरै, कहीं बरज, कहीं बरेजा और कहीं भीटा आदि भी कहते हैं। खेती आदि कतरनेवालों को बरे, बरज, बरई भी कहते हैं। सिंचाई, खाद, सेवा, उष्णता सौर छाया आदि के कारण इसमें बराबर सालभर तक देखभाल करते रहना पड़ता है और सालों बाद पत्तियाँ मिल पानी हैं और ये भी प्राय: दो तीन साल ही मिलती हैं। कहीं कहीं 7-8 साल तक भी प्राप्त होती हैं। कहीं तो इस लता को विभिन्न पेड़ों-मौलसिरी, जयंत आदि पर भी चढ़ाया जाता है। इसके भीटों और छाया में इतनी ठंढक रहती है कि वहाँ साँप, बिच्छू आदि भी आ जाते हैं। इन हरे पत्तों को सेवा द्वारा सफेद बनाया जाता है। तब इन्हें बहुधा पका या सफेद पान कहते हैं। बनारस में पान की सेवा बड़े श्रम से की जाती है। मगह के एक किस्म के पान को कई मास तक बड़े यत्न से सुरक्षित रखकर पकाते हैं जिसे "मगही पान" कहा जाता है और जो अत्यंत सुस्वादु एवं मूल्यवान् जाता है। समस्त भारत में (विशेषत: पश्चिमी भाग को छोड़कर) सर्वत्र पान खाने की प्रथा अत्यधिक है। मुगल काल से यह मुसलमानों में भी खूब प्रचलित है। संक्षेप में, लगे पान को भारत का एक सांस्कृतिक अंग कह सकते हैं। पान के पौधे वैज्ञानिक दृष्टि से पान एक महत्वपूर्ण वनस्पति है। पान दक्षिण भारत और उत्तर पूर्वी भारत में खुली जगह उगाया जाता है, क्योंकि पान के लिए अधिक नमी व कम धूप की आवश्यकता होती है। उत्तर और पूर्वी प्रांतों में पान विशेष प्रकार की संरक्षणशालाओं में उगाया जाता है। इन्हें भीट या बरोज कहते हैं। पान की विभिन्न किस्मों को वैज्ञानिक आधार पर पांच प्रमुख प्रजातियों बंगला, मगही, सांची, देशावरी, कपूरी और मीठी पत्ती के नाम से जाना जाता है। यह वर्गीकरण पत्तों की संरचना तथा रासायनिक गुणों के आधार पर किया गया है। रासायनिक गुणों में वाष्पशील तेल का मुख्य योगदान रहता है। ये सेहत के लिये भी लाभकारी है। खाना खाने के बाद पान का सेवन पाचन में सहायक होता है। पान की दुकान पर बिकते पान पान में वाष्पशील तेलों के अतिरिक्त अमीनो अम्ल, कार्बोहाइड्रेट और कुछ विटामिन प्रचुर मात्रा में होते हैं। पान के औषधीय गुणों का वर्णन चरक संहिता में भी किया गया है। ग्रामीण अंचलों में पान के पत्तों का प्रयोग लोग फोड़े-फुंसी उपचार में पुल्टिस के रूप में करते हैं। हितोपदेश के अनुसार पान के औषधीय गुण हैं बलगम हटाना, मुख शुद्धि, अपच, श्वांस संबंधी बीमारियों का निदान। पान की पत्तियों में विटामिन ए प्रचुर मात्रा में होता है। प्रात:काल नाश्ते के उपरांत काली मिर्च के साथ पान के सेवन से भूख ठीक से लगती है। ऐसा यूजीनॉल अवयव के कारण होता है। सोने से थोड़ा पहले पान को नमक और अजवायन के साथ मुंह में रखने से नींद अच्छी आती है। यही नहीं पान सूखी खांसी में भी लाभकारी होता है।। वेब दुनिया .

35 संबंधों: चरक संहिता, चूना, चेन्नई, तमिल, तेलुगू भाषा, दक्षिण भारत, नामकरण, पादप, पूर्वोत्तर भारत, भारत, मलय प्रायद्वीप, मलयालम भाषा, यज्ञोपवीत, सपुष्पक पौधा, साधारण नमक, संस्कृत भाषा, सुपारी, सुश्रुत संहिता, हितोपदेश, हिन्दू संस्कार, जायफल, वनस्पति, वाराणसी, विटामिन, विटामिन ए, वेद, गुजराती भाषा, आयुर्वेद, इब्न-बतूता, कार्बोहाइड्रेट, कार्ल लीनियस, काली मिर्च, कुक्कुर खाँसी, अमीनो अम्ल, अजवायन

चरक संहिता

चरक संहिता आयुर्वेद का एक प्रसिद्ध ग्रन्थ है। यह संस्कृत भाषा में है। इसके उपदेशक अत्रिपुत्र पुनर्वसु, ग्रंथकर्ता अग्निवेश और प्रतिसंस्कारक चरक हैं। प्राचीन वाङ्मय के परिशीलन से ज्ञात होता है कि उन दिनों ग्रंथ या तंत्र की रचना शाखा के नाम से होती थी। जैसे कठ शाखा में कठोपनिषद् बनी। शाखाएँ या चरण उन दिनों के विद्यापीठ थे, जहाँ अनेक विषयों का अध्ययन होता था। अत: संभव है, चरकसंहिता का प्रतिसंस्कार चरक शाखा में हुआ हो। भारतीय चिकित्साविज्ञान के तीन बड़े नाम हैं - चरक, सुश्रुत और वाग्भट। चरक संहिता, सुश्रुतसंहिता तथा वाग्भट का अष्टांगसंग्रह आज भी भारतीय चिकित्सा विज्ञान (आयुर्वेद) के मानक ग्रन्थ हैं। चिकित्सा विज्ञान जब शैशवावस्था में ही था उस समय चरकसंहिता में प्रतिपादित आयुर्वेदीय सिद्धान्त अत्यन्त श्रेष्ठ तथा गंभीर थे। इसके दर्शन से अत्यन्त प्रभावित आधुनिक चिकित्साविज्ञान के आचार्य प्राध्यापक आसलर ने चरक के नाम से अमेरिका के न्यूयार्क नगर में १८९८ में 'चरक-क्लब्' संस्थापित किया जहाँ चरक का एक चित्र भी लगा है। आचार्य चरक और आयुर्वेद का इतना घनिष्ठ सम्बन्ध है कि एक का स्मरण होने पर दूसरे का अपने आप स्मरण हो जाता है। आचार्य चरक केवल आयुर्वेद के ज्ञाता ही नहीं थे परन्तु सभी शास्त्रों के ज्ञाता थे। उनका दर्शन एवं विचार सांख्य दर्शन एवं वैशेषिक दर्शन का प्रतिनिधीत्व करता है। आचार्य चरक ने शरीर को वेदना, व्याधि का आश्रय माना है, और आयुर्वेक शास्त्र को मुक्तिदाता कहा है। आरोग्यता को महान् सुख की संज्ञा दी है, कहा है कि आरोग्यता से बल, आयु, सुख, अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है। आचार्य चरक, संहिता निर्माण के साथ-साथ जंगल-जंगल स्थान-स्थान घुम-घुमकर रोगी व्यक्ति की, चिकित्सा सेवा किया करते थे तथा इसी कल्याणकारी कार्य तथा विचरण क्रिया के कारण उनका नाम 'चरक' प्रसिद्ध हुआ। उनकी कृति चरक संहिता चिकित्सा जगत का प्रमाणिक प्रौढ़ और महान् सैद्धान्तिक ग्रन्थ है।;चरकसंहिता का आयुर्वेद को मौलिक योगदान चरकसंहिता का आयुर्वेद के क्षेत्र में अनेक मौलिक योगदान हैं जिनमें से मुख्य हैं-.

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चूना

चूना पत्थर की खादान चूना (Lime) कैल्सियमयुक्त एक अकार्बनिक पदार्थ है जिसमें कार्बोनेट, आक्साइड, और हाइड्राक्साइड प्रमुख हैं। किन्तु सही तौर पर (Strictly speaking) कैल्सियम आक्साइड या कैल्सियम हाइड्राक्साइड को ही चूना मानते हैं। चूना एक खनिज भी है। गृहनिर्माण में जोड़ाई के लिये प्रयुक्त होनेवली वस्तुओं में चूना, सबसे प्राचीन पदार्थ है, किंतु अब इसका स्थान पोर्टलैंड सीमेंट ने लिया है। चूने का निम्नलिखित दो प्रमुख भागों में विभक्त किया गया है.

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चेन्नई

चेन्नई (पूर्व नाम मद्रास) भारतीय राज्य तमिलनाडु की राजधानी है। बंगाल की खाड़ी से कोरोमंडल तट पर स्थित यह दक्षिण भारत के सबसे बड़े सांस्कृतिक, आर्थिक और शैक्षिक केंद्रों में से एक है। 2011 की भारतीय जनगणना (चेन्नई शहर की नई सीमाओं के लिए समायोजित) के अनुसार, यह चौथा सबसे बड़ा शहर है और भारत में चौथा सबसे अधिक आबादी वाला शहरी ढांचा है। आस-पास के क्षेत्रों के साथ शहर चेन्नई मेट्रोपॉलिटन एरिया है, जो दुनिया की जनसंख्या के अनुसार 36 वां सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र है। चेन्नई विदेशी पर्यटकों द्वारा सबसे ज्यादा जाने-माने भारतीय शहरों में से एक है यह वर्ष 2015 के लिए दुनिया में 43 वें सबसे अधिक का दौरा किया गया था। लिविंग सर्वेक्षण की गुणवत्ता ने चेन्नई को भारत में सबसे सुरक्षित शहर के रूप में दर्जा दिया। चेन्नई भारत में आने वाले 45 प्रतिशत स्वास्थ्य पर्यटकों और 30 से 40 प्रतिशत घरेलू स्वास्थ्य पर्यटकों को आकर्षित करती है। जैसे, इसे "भारत का स्वास्थ्य पूंजी" कहा जाता है एक विकासशील देश में बढ़ते महानगरीय शहर के रूप में, चेन्नई पर्याप्त प्रदूषण और अन्य सैन्य और सामाजिक-आर्थिक समस्याओं का सामना करता है। चेन्नई में भारत में तीसरी सबसे बड़ी प्रवासी जनसंख्या 2009 में 35,000 थी, 2011 में 82,7 9 0 थी और 2016 तक 100,000 से अधिक का अनुमान है। 2015 में यात्रा करने के लिए पर्यटन गाइड प्रकाशक लोनली प्लैनेट ने चेन्नई को दुनिया के शीर्ष दस शहरों में से एक का नाम दिया है। चेन्नई को ग्लोबल सिटीज इंडेक्स में एक बीटा स्तरीय शहर के रूप में स्थान दिया गया है और भारत का 2014 का वार्षिक भारतीय सर्वेक्षण में भारत टुडे द्वारा भारत का सबसे अच्छा शहर रहा। 2015 में, चेन्नई को आधुनिक और पारंपरिक दोनों मूल्यों के मिश्रण का हवाला देते हुए, बीबीसी द्वारा "सबसे गर्म" शहर (मूल्य का दौरा किया, और दीर्घकालिक रहने के लिए) का नाम दिया गया। नेशनल ज्योग्राफिक ने चेन्नई के भोजन को दुनिया में दूसरा सबसे अच्छा स्थान दिया है; यह सूची में शामिल होने वाला एकमात्र भारतीय शहर था। लोनाली प्लैनेट द्वारा चेन्नई को दुनिया का नौवां सबसे अच्छा महानगरीय शहर भी नामित किया गया था। चेन्नई मेट्रोपॉलिटन एरिया भारत की सबसे बड़ी शहर अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। चेन्नई को "भारत का डेट्रोइट" नाम दिया गया है, जो शहर में स्थित भारत के ऑटोमोबाइल उद्योग का एक-तिहाई से भी अधिक है। जनवरी 2015 में, प्रति व्यक्ति जीडीपी के संदर्भ में यह तीसरा स्थान था। चेन्नई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्मार्ट सिटीज मिशन के तहत एक स्मार्ट शहर के रूप में विकसित किए जाने वाले 100 भारतीय शहरों में से एक के रूप में चुना गया है। विषय वस्तु 1 व्युत्पत्ति 2 इतिहास 3 पर्यावरण 3.1 भूगोल 3.2 भूविज्ञान 3.3 वनस्पति और जीव 3.4 पर्यावरण संरक्षण 3.5 जलवायु 4 प्रशासन 4.1 कानून और व्यवस्था 4.2 राजनीति 4.3 उपयोगिता सेवाएं 5 वास्तुकला 6 जनसांख्यिकी 7 आवास 8 कला और संस्कृति 8.1 संग्रहालय और कला दीर्घाओं 8.2 संगीत और कला प्रदर्शन 9 सिटीस्केप 9.1 पर्यटन और आतिथ्य 9.2 मनोरंजन 9.3 मनोरंजन 9.4 शॉपिंग 10 अर्थव्यवस्था 10.1 संचार 10.2 पावर 10.3 बैंकिंग 10.4 स्वास्थ्य देखभाल 10.5 अपशिष्ट प्रबंधन 11 परिवहन 11.1 एयर 11.2 रेल 11.3 मेट्रो रेल 11.4 रोड 11.5 सागर 12 मीडिया 13 शिक्षा 14 खेल और मनोरंजन 14.1 शहर आधारित टीम 15 अंतर्राष्ट्रीय संबंध 15.1 विदेशी मिशन 15.2 जुड़वां कस्बों - बहन शहरों 16 भी देखें 17 सन्दर्भ 18 बाहरी लिंक व्युत्पत्ति इन्हें भी देखें: विभिन्न भाषाओं में चेन्नई के नाम भारत में ब्रिटिश उपस्थिति स्थापित होने से पहले ही मद्रास का जन्म हुआ। माना जाता है कि मद्रास नामक पुर्तगाली वाक्यांश "मैए डी डीस" से उत्पन्न हुआ है, जिसका अर्थ है "भगवान की मां", बंदरगाह शहर पर पुर्तगाली प्रभाव के कारण। कुछ स्रोतों के अनुसार, मद्रास को फोर्ट सेंट जॉर्ज के उत्तर में एक मछली पकड़ने वाले गांव मद्रासपट्टिनम से लिया गया था। हालांकि, यह अनिश्चित है कि क्या नाम यूरोपियों के आने से पहले उपयोग में था। ब्रिटिश सैन्य मानचित्रकों का मानना ​​था कि मद्रास मूल रूप से मुंदिर-राज या मुंदिरराज थे। वर्ष 1367 में एक विजयनगर युग शिलालेख जो कि मादरसन पट्टणम बंदरगाह का उल्लेख करता है, पूर्व तट पर अन्य छोटे बंदरगाहों के साथ 2015 में खोजा गया था और यह अनुमान लगाया गया था कि उपरोक्त बंदरगाह रोयापुरम का मछली पकड़ने का बंदरगाह है। चेन्नई नाम की जन्मजात, तेलुगू मूल का होना स्पष्ट रूप से इतिहासकारों द्वारा साबित हुई है। यह एक तेलुगू शासक दमारला चेन्नाप्पा नायकुडू के नाम से प्राप्त हुआ था, जो कि नायक शासक एक दमनदार वेंकटपति नायक था, जो विजयनगर साम्राज्य के वेंकट III के तहत सामान्य रूप में काम करता था, जहां से ब्रिटिश ने शहर को 1639 में हासिल किया था। चेन्नई नाम का पहला आधिकारिक उपयोग, 8 अगस्त 1639 को, ईस्ट इंडिया कंपनी के फ्रांसिस डे से पहले, सेन्नेकेसु पेरुमल मंदिर 1646 में बनाया गया था। 1 99 6 में, तमिलनाडु सरकार ने आधिकारिक तौर पर मद्रास से चेन्नई का नाम बदल दिया। उस समय कई भारतीय शहरों में नाम बदल गया था। हालांकि, मद्रास का नाम शहर के लिए कभी-कभी उपयोग में जारी है, साथ ही साथ शहर के नाम पर स्थानों जैसे मद्रास विश्वविद्यालय, आईआईटी मद्रास, मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मद्रास मेडिकल कॉलेज, मद्रास पशु चिकित्सा कॉलेज, मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज। चेन्नई (तमिल: சென்னை), भारत में बंगाल की खाड़ी के कोरोमंडल तट पर स्थित तमिलनाडु की राजधानी, भारत का पाँचवा बड़ा नगर तथा तीसरा सबसे बड़ा बन्दरगाह है। इसकी जनसंख्या ४३ लाख ४० हजार है। यह शहर अपनी संस्कृति एवं परंपरा के लिए प्रसिद्ध है। ब्रिटिश लोगों ने १७वीं शताब्दी में एक छोटी-सी बस्ती मद्रासपट्ट्नम का विस्तार करके इस शहर का निर्माण किया था। उन्होंने इसे एक प्रधान शहर एवं नौसैनिक अड्डे के रूप में विकसित किया। बीसवीं शताब्दी तक यह मद्रास प्रेसिडेंसी की राजधानी एवं एक प्रमुख प्रशासनिक केन्द्र बन चुका था। चेन्नई में ऑटोमोबाइल, प्रौद्योगिकी, हार्डवेयर उत्पादन और स्वास्थ्य सम्बंधी उद्योग हैं। यह नगर सॉफ्टवेयर, सूचना प्रौद्योगिकी सम्बंधी उत्पादों में भारत का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक शहर है। चेन्नई एवं इसके उपनगरीय क्षेत्र में ऑटोमोबाइल उद्योग विकसित है। चेन्नई मंडल तमिलानाडु के जीडीपी का ३९% का और देश के ऑटोमोटिव निर्यात में ६०% का भागीदार है। इसी कारण इसे दक्षिण एशिया का डेट्रॉएट भी कहा जाता है। चेन्नई सांस्कृतिक रूप से समृद्ध है, यहाँ वार्षिक मद्रास म्यूज़िक सीज़न में सैंकड़ॊ कलाकार भाग लेते हैं। चेन्नई में रंगशाला संस्कृति भी अच्छे स्तर पर है और यह भरतनाट्यम का एक महत्त्वपूर्ण केन्द्र है। यहाँ का तमिल चलचित्र उद्योग, जिसे कॉलीवुड भी कहते हैं, भारत का द्वितीय सबसे बड़ा फिल्म उद्योग केन्द्र है। .

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तमिल

एक तमिल परिवार श्रीलंका में तमिल बच्चे भरतनाट्यम तमिल एक मानमूल है, जिनका मुख्य निवास भारत के तमिलनाडु तथा उत्तरी श्री लंका में है। तमिल समुदाय से जुड़ी चीजों को भी तमिल कहते हैं जैसे, तमिल तथा तमिलनाडु के वासियों को भी तमिल कहा जाता है। तामिल, द्रविड़ जाति की ही एक शाखा है। बहुत से विद्वानों की राय है कि 'तामिल' शब्द संस्कृत 'द्राविड' से निकला है। मनुसंहिता, महाभारत आदि प्राचीन ग्रंथों में द्रविड देश और द्रविड जाति का उल्लेख है। मागधी प्राकृत या पाली में इसी 'द्राविड' शब्द का रूप 'दामिलो' हो गया। तामिल वर्णमाला में त, ष, द आदि के एक ही उच्चारण के कारण 'दामिलो' का 'तामिलो' या 'तामिल' हो गया। शंकराचार्य के शारीरक भाष्य में 'द्रमिल' शब्द आया है। हुएनसांग नामक चीनी यात्री ने भी द्रविड देश को 'चि—मो—लो' करके लिखा है। तमिल व्याकरण के अनुसार द्रमिल शब्द का रूप 'तिरमिड़' होता है। आजकल कुछ विद्वानों की राय हो रही है कि यह 'तिरमिड़' शब्द ही प्राचीन है जिससे संस्कृतवालों ने 'द्रविड' शब्द बना लिया। जैनों के 'शत्रुंजय माहात्म्य' नामक एक ग्रंथ में 'द्रविड' शब्द पर एक विलक्षण कल्पना की गई है। उक्त पुस्तक के मत से आदि तीर्थकर ऋषभदेव को 'द्रविड' नामक एक पुत्र जिस भूभाग में हुआ, उसका नाम 'द्रविड' पड़ गया। पर भारत, मनुसंहिता आदि प्राचीन ग्रंथों से विदित होता है कि द्रविड जाति के निवास के ही कारण देश का नाम द्रविड पड़ा। तामिल जाति अत्यंत प्राचीन हे। पुरातत्वविदों का मत है कि यह जाति अनार्य है और आर्यों के आगमन से पूर्व ही भारत के अनेक भागों में निवास करती थी। रामचंद्र ने दक्षिण में जाकर जिन लोगों की सहायता से लंका पर चढ़ाई की थी और जिन्हें वाल्मीकि ने बंदर लिखा है, वे इसी जाति के थे। उनके काले वर्ण, भिन्न आकृति तथा विकट भाषा आदि के कारण ही आर्यों ने उन्हें बंदर कहा होगा। पुरातत्ववेत्ताओं का अनुमान है कि तामिल जाति आर्यों के संसर्ग के पूर्व ही बहुत कुछ सभ्यता प्राप्त कर चुकी थी। तामिल लोगों के राजा होते थे जो किले बनाकर रहते थे। वे हजार तक गिन लेते थे। वे नाव, छोटे मोटे जहाज, धनुष, बाण, तलवार इत्यादि बना लेते थे और एक प्रकार का कपड़ा बुनना भी जानते थे। राँगे, सीसे और जस्ते को छोड़ और सब धातुओं का ज्ञान भी उन्हें था। आर्यों के संसर्ग के उपरांत उन्होंने आर्यों की सभ्यता पूर्ण रूप से ग्रहण की। दक्षिण देश में ऐसी जनश्रुति है कि अगस्त्य ऋषि ने दक्षिण में जाकर वहाँ के निवासियों को बहुत सी विद्याएँ सिखाई। बारह-तेरह सौ वर्ष पहले दक्षिण में जैन धर्म का बड़ा प्रचार था। चीनी यात्री हुएनसांग जिस समय दक्षिण में गया था, उसने वहाँ दिगंबर जैनों की प्रधानता देखी थी। तमिल भाषा का साहित्य भी अत्यंत प्राचीन है। दो हजार वर्ष पूर्व तक के काव्य तामिल भाषा में विद्यमान हैं। पर वर्णमाला नागरी लिपि की तुलना में अपूर्ण है। अनुनासिक पंचम वर्ण को छोड़ व्यंजन के एक एक वर्ग का उच्चारण एक ही सा है। क, ख, ग, घ, चारों का उच्चारण एक ही है। व्यंजनों के इस अभाव के कारण जो संस्कृत शब्द प्रयुक्त होते हैं, वे विकृत्त हो जाते हैं; जैसे, 'कृष्ण' शब्द तामिल में 'किट्टिनन' हो जाता है। तामिल भाषा का प्रधान ग्रंथ कवि तिरुवल्लुवर रचित कुराल काव्य है। .

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तेलुगू भाषा

तेलुगु भाषा (तेलुगू:తెలుగు భాష) भारत के आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों की मुख्यभाषा और राजभाषा है। ये द्रविड़ भाषा-परिवार के अन्तर्गत आती है। यह भाषा आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना के अलावा तमिलनाडु, कर्णाटक, ओडिशा और छत्तीसगढ़ राज्यों में भी बोली जाती है। तेलुगु के तीन नाम प्रचलित हैं -- "तेलुगु", "तेनुगु" और "आंध्र"। .

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दक्षिण भारत

भारत के दक्षिणी भाग को दक्षिण भारत भी कहते हैं। अपनी संस्कृति, इतिहास तथा प्रजातीय मूल की भिन्नता के कारण यह शेष भारत से अलग पहचान बना चुका है। हलांकि इतना भिन्न होकर भी यह भारत की विविधता का एक अंगमात्र है। दक्षिण भारतीय लोग मुख्यतः द्रविड़ भाषा जैसे तेलुगू,तमिल, कन्नड़ और मलयालम बोलते हैं और मुख्यतः द्रविड़ मूल के हैं। .

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नामकरण

यह लेख आधुनिक विज्ञानों, प्रद्योगिकी एवं अन्य विषयों के विचारों एवं कांसेप्ट को व्यक्त करने के लिये प्रयुक्त तकनीकी शब्दों को समुचित नये नाम देने से संबन्धित है। हिंदू धर्म में नामकरण संस्कार के लिये संबन्धित लेख देखें। ---- किसी वस्तु, गुण, प्रक्रिया, परिघटना आदि को समझने-समझाने के लिये समुचित नाम देना आवश्यक है। इसे ही नामकरण (Nomenclature) कहते हैं। इसमें तकनीकी शब्दों की सूची, नामकरण से संबन्धित सिद्धान्त, प्रक्रियाएं आदि शामिल हैं। .

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पादप

पादप या उद्भिद (plant) जीवजगत का एक बड़ी श्रेणी है जिसके अधिकांश सदस्य प्रकाश संश्लेषण द्वारा शर्कराजातीय खाद्य बनाने में समर्थ होते हैं। ये गमनागम (locomotion) नहीं कर सकते। वृक्ष, फर्न (Fern), मॉस (mosses) आदि पादप हैं। हरा शैवाल (green algae) भी पादप है जबकि लाल/भूरे सीवीड (seaweeds), कवक (fungi) और जीवाणु (bacteria) पादप के अन्तर्गत नहीं आते। पादपों के सभी प्रजातियों की कुल संख्या की गणना करना कठिन है किन्तु प्रायः माना जाता है कि सन् २०१० में ३ लाख से अधिक प्रजाति के पादप ज्ञात हैं जिनमें से 2.7 लाख से अधिक बीज वाले पादप हैं। पादप जगत में विविध प्रकार के रंग बिरंगे पौधे हैं। कुछ एक को छोड़कर प्रायः सभी पौधे अपना भोजन स्वयं बना लेते हैं। इनके भोजन बनाने की क्रिया को प्रकाश-संश्लेषण कहते हैं। पादपों में सुकेन्द्रिक प्रकार की कोशिका पाई जाती है। पादप जगत इतना विविध है कि इसमें एक कोशिकीय शैवाल से लेकर विशाल बरगद के वृक्ष शामिल हैं। ध्यातव्य है कि जो जीव अपना भोजन खुद बनाते हैं वे पौधे होते हैं, यह जरूरी नहीं है कि उनकी जड़ें हों ही। इसी कारण कुछ बैक्टीरिया भी, जो कि अपना भोजन खुद बनाते हैं, पौधे की श्रेणी में आते हैं। पौधों को स्वपोषित या प्राथमिक उत्पादक भी कहा जाता है। 'पादपों में भी प्राण है' यह सबसे पहले जगदीश चन्द्र बसु ने कहा था। पादपों का वैज्ञानिक अध्ययन वनस्पति विज्ञान कहलाता है। .

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पूर्वोत्तर भारत

पूर्वोत्तर भारत से आशय भारत के सर्वाधिक पूर्वी क्षेत्रों से है जिसमें एक साथ जुड़े 'सात बहनों' के नाम से प्रसिद्ध राज्य, सिक्किम तथा उत्तरी बंगाल के कुछ भाग (दार्जीलिंग, जलपाईगुड़ी और कूच बिहार के जिले) शामिल हैं। पूर्वोत्तर भारत सांस्कृतिक दृष्टि से भारत के अन्य राज्यों से कुछ भिन्न है। भाषा की दृष्टि से यह क्षेत्र तिब्बती-बर्मी भाषाओँ के अधिक प्रचलन के कारण अलग से पहचाना जाता है। इस क्षेत्र में वह दृढ़ जातीय संस्कृति व्याप्त है जो संस्कृतीकरण के प्रभाव से बची रह गई थी। इसमें विशिष्ट श्रेणी के मान्यता प्राप्त आठ राज्य भी हैं। इन आठ राज्यों के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए 1971 में पूर्वोतर परिषद (नॉर्थ ईस्टर्न काउंसिल / NEC) का गठन एक केन्द्रीय संस्था के रूप में किया गया था। नॉर्थ ईस्टर्न डेवेलपमेंट फाइनेंस कारपोरेशन लिमिटेड (NEDFi) का गठन 9 अगस्त 1995 को किया गया था और उत्तरपूर्वीय क्षेत्र विकास मंत्रालय (DoNER) का गठन सितम्बर 2001 में किया गया था। उत्तरपूर्वीय राज्यों में सिक्किम 1947 में एक भारतीय संरक्षित राज्य और उसके बाद 1975 में एक पूर्ण राज्य बन गया। पश्चिम बंगाल में स्थित सिलीगुड़ी कॉरिडोर जिसकी औसत चौड़ाई 21 किलोमीटर से 40 किलोमीटर के बीच है, उत्तरपूर्वीय क्षेत्र को मुख्य भारतीय भू-भाग से जोड़ता है। इसकी सीमा का 2000 किलोमीटर से भी अधिक क्षेत्र अन्य देशों: नेपाल, चाइना, भूटान, बर्मा और बांग्लादेश के साथ लगती है। .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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मलय प्रायद्वीप

स्थिति मानचित्र मलय प्रायद्वीप या थाई-मलय प्रायद्वीप (सेमेनान्जुंग तनह मेलयु, คาบสมุทรมลายู) दक्षीन पूर्वी एशिया में एक प्रायद्वीप है। यह भूमिखंड उत्तर-दक्षिण दिशा में स्थित है व टेमिनस एशियाई मुख्यभूमि के दक्षिणतम बिन्दु पर है। इस क्षेत्र में बर्मा, मलेशिया, सिंगापुर एवं थाईलैंड देश हैं। .

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मलयालम भाषा

मलयालं (മലയാളം, मलयालम्‌) या कैरली (കൈരളി, कैरलि) भारत के केरल प्रान्त में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है। ये द्रविड़ भाषा-परिवार में आती है। केरल के अलावा ये तमिलनाडु के कन्याकुमारी तथा उत्तर में कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिला, लक्षद्वीप तथा अन्य कई देशों में बसे मलयालियों द्वारा बोली जाती है। मलयालं, भाषा और लिपि के विचार से तमिल भाषा के काफी निकट है। इस पर संस्कृत का प्रभाव ईसा के पूर्व पहली सदी से हुआ है। संस्कृत शब्दों को मलयालम शैली के अनुकूल बनाने के लिए संस्कृत से अवतरित शब्दों को संशोधित किया गया है। अरबों के साथ सदियों से व्यापार संबंध अंग्रेजी तथा पुर्तगाली उपनिवेशवाद का असर भी भाषा पर पड़ा है। .

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यज्ञोपवीत

यज्ञोपवीत यज्ञोपवीत (संस्कृत संधि विच्छेद.

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सपुष्पक पौधा

कमल बीज पैदा करनेवाले पौधे दो प्रकार के होते हैं: नग्न या विवृतबीजी तथा बंद या संवृतबीजी। सपुष्पक, संवृतबीजी, या आवृतबीजी (flowering plants या angiosperms या Angiospermae या Magnoliophyta, Magnoliophyta, मैग्नोलिओफाइटा) एक बहुत ही बृहत् और सर्वयापी उपवर्ग है। इस उपवर्ग के पौधों के सभी सदस्यों में पुष्प लगते हैं, जिनसे बीज फल के अंदर ढकी हुई अवस्था में बनते हैं। ये वनस्पति जगत् के सबसे विकसित पौधे हैं। मनुष्यों के लिये यह उपवर्ग अत्यंत उपयोगी है। बीज के अंदर एक या दो दल होते हैं। इस आधार पर इन्हें एकबीजपत्री और द्विबीजपत्री वर्गों में विभाजित करते हैं। सपुष्पक पौधे में जड़, तना, पत्ती, फूल, फल निश्चित रूप से पाए जाते हैं। .

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साधारण नमक

नमक (Common Salt) से साधारणतया भोजन में प्रयुक्त होने वाले नमक का बोध होता है। रासायनिक दृष्टि से यह सोडियम क्लोराइड (NaCl) है जिसका क्रिस्टल पारदर्शक एवं घनाकार होता है। शुद्ध नमक रंगहीन होता है, किंतु लोहमय अपद्रव्यों के कारण इसका रंग पीला या लाल हो जाता है। समुद्र के खारापन के लिये उसमें मुख्यत: सोडियम क्लोराइड की उपस्थिति कारण होती है। भौमिकी में लवण को हैलाइट (Halite) कहते हैं। .

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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सुपारी

सुपारी के फल सुपारी (areca nut), 'अरेका कटेचु' (Areca catechu) नामक पौधे के फल का बीज है जो दक्षिणी एशिया, दक्षिण-पूर्व एशिया तथा अफ्रीका के अनेक भागों में पैदा होता है। श्रेणी:बीज.

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सुश्रुत संहिता

सुश्रुतसंहिता आयुर्वेद एवं शल्यचिकित्सा का प्राचीन संस्कृत ग्रन्थ है। सुश्रुतसंहिता आयुर्वेद के तीन मूलभूत ग्रन्थों में से एक है। आठवीं शताब्दी में इस ग्रन्थ का अरबी भाषा में 'किताब-ए-सुस्रुद' नाम से अनुवाद हुआ था। सुश्रुतसंहिता में १८४ अध्याय हैं जिनमें ११२० रोगों, ७०० औषधीय पौधों, खनिज-स्रोतों पर आधारित ६४ प्रक्रियाओं, जन्तु-स्रोतों पर आधारित ५७ प्रक्रियाओं, तथा आठ प्रकार की शल्य क्रियाओं का उल्लेख है। इसके रचयिता सुश्रुत हैं जो छठी शताब्दी ईसापूर्व काशी में जन्मे थे। सुश्रुतसंहिता बृहद्त्रयी का एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। यह संहिता आयुर्वेद साहित्य में शल्यतन्त्र की वृहद साहित्य मानी जाती है। सुश्रुतसंहिता के उपदेशक काशिराज धन्वन्तरि हैं, एवं श्रोता रूप में उनके शिष्य आचार्य सुश्रुत सम्पूर्ण संहिता की रचना की है। इस सम्पूर्ण ग्रंथ में रोगों की शल्यचिकित्सा एवं शालाक्य चिकित्सा ही मुख्य उद्देश्य है। शल्यशास्त्र को आचार्य धन्वन्तरि पृथ्वी पर लाने वाले पहले व्यक्ति थे। बाद में आचार्य सुश्रुत ने गुरू उपदेश को तंत्र रूप में लिपिबद्ध किया, एवं वृहद ग्रन्थ लिखा जो सुश्रुत संहिता के नाम से वर्तमान जगत में रवि की तरह प्रकाशमान है। आचार्य सुश्रुत त्वचा रोपण तन्त्र (Plastic-Surgery) में भी पारंगत थे। आंखों के मोतियाबिन्दु निकालने की सरल कला के विशेषज्ञ थे। सुश्रुत संहिता शल्यतंत्र का आदि ग्रंथ है। .

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हितोपदेश

हितोपदेश भारतीय जन-मानस तथा परिवेश से प्रभावित उपदेशात्मक कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यन्त सरल व सुग्राह्य हैं। विभिन्न पशु-पक्षियों पर आधारित कहानियाँ इसकी खास विशेषता हैं। रचयिता ने इन पशु-पक्षियों के माध्यम से कथाशिल्प की रचना की है जिसकी समाप्ति किसी शिक्षापद बात से ही हुई है। पशुओं को नीति की बातें करते हुए दिखाया गया है। सभी कथाएँ एक-दूसरे से जुड़ी हुई प्रतीत होती हैं। .

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हिन्दू संस्कार

यह लेख सनातन धर्म के संस्कार में जोड़ा या पुनर्निर्देशित किया जा सकता है। हिन्दू धर्म की महान आध्यात्मिक विरासत सफल और सार्थक यात्रा के लिए जहाँ यात्रा के काम आने वाले उपकरण-अटैची, बिस्तर, पानी पीने के बर्तन आदि आवश्यक होते हैं, वही यह जानना भी, कि यात्रा किस उद्देश्य से की जा रही है? रास्ता क्या है? मार्ग में कहाँ-किस तरह की भौगोलिक समस्याएँ आयेंगी तथा किन लोगों को मार्गदर्शन उपयोग रहेगा? इन जानकारियों के अभाव में सुविधा-सम्पन्न यात्रा तो दूर अनेक अवरोध और संकट उठ खड़े हो सकते हैं। मनुष्य का जीवन भी विराट यात्रा का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। उसमें मात्र सुख-सुविधा संवर्धन तक ही सीमित रह जाने वाले मार्ग में भटकते दुःख भोगते और पश्चात्ताप की आग में जलते हुए संसार से विदा होते हैं। .

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जायफल

गोवा में मिरिस्टिका फ्रेग्रंस वृक्ष वृक्ष पर जायफल (केरल) जायफल (वानस्पतिक नाम: Myristica fragrans; संस्कृत: जातीफल) एक सदाबहार वृक्ष है जो इण्डोनेशिया के मोलुकास द्वीप (Moluccas) का देशज है। इससे दो मसाले प्राप्त होते हैं - जायफल (nutmeg) तथा जावित्री (mace)। यह चीन, ताइवान, मलेशिया, ग्रेनाडा, केरल, श्रीलंका, और दक्षिणी अमेरिका में खूब पैदा होता है। मिरिस्टिका नामक वृक्ष से जायफल तथा जावित्री प्राप्त होती है। मिरिस्टका की अनेक जातियाँ हैं परंतु व्यापारिक जायफल अधिकांश मिरिस्टिका फ्रैग्रैंस से ही प्राप्त होता है। मिरिस्टिका प्रजाति की लगभग ८० जातियाँ हैं, जो भारत, आस्ट्रेलिया तथा प्रशंत महासागर के द्वीपों में उपलब्ध हैं। यह पृथग्लिंगी (डायोशियस, dioecious) वृक्ष है। इसके पुष्प छोटे, गुच्छेदार तथा कक्षस्थ (एक्सिलरी, axillary) होते हैं। मिरिस्टिका वृक्ष के बीज को जायफल कहते हैं। यह बीज चारों ओर से बीजोपांग (aril) द्वारा ढँका रहता है। यही बीजोपांग व्यापारिक महत्व का पदार्थ जावित्री है। इस वृक्ष का फल छोटी नाशपाती के रूप का १ इंच से डेढ़ इंच तक लंबा, हल्के लाल या पीले रंग का गूदेदा होता है। परिपक्व होने पर फल दो खंडों में फट जाता है और भीतर सिंदूरी रंग का बीजोपांग या जावित्री दिखाई देने लगती है। जावित्री के भीतर गुठली होती है, जिसके काष्ठवत् खोल को तोड़ने पर भीतर जायफल (nutmeg) प्राप्त होता है। जायफल तथा जावित्री व्यापार के लिये मुख्यत: पूर्वी ईस्ट इंडीज से प्राप्त होता हैं। जायफल का वृक्ष समुद्रतट से ४००-५०० फुट तक की ऊँचाई पर उष्णकटिबंध की गरम तथा नम घाटियों में पैदा होता है। इसकी सफलता के लिये जल-निकास-युक्त गहरी तथा उर्वरा दूमट मिट्टी उपयुक्त है। इसके वृक्ष ६-७ वर्ष की आयु प्राप्त होने पर फूलते-फलते हैं। फूल लगने के पहले नर या मादा वृक्ष का पहचाना कठिन होता है। ग्रैनाडा (वेस्ट इंडीज) में साधारणत: नर तथा मादावृक्ष ३: १ के अनुपात में पाए जाते हैं जमैका के वनस्पति उद्यान में जायफल के छोटे पौधों पर मादावृक्ष की टहनी कलम करके मादा वृक्ष की संख्यावृद्धि में सफलता प्राप्त की गई है। .

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वनस्पति

पेड़-पौधों या वनस्पतिलोक का अर्थ है, किसी क्षेत्र का वनस्पति जीवन या भूमि पर मौजूद पेड़-पौधे और इसका संबंध किसी विशिष्ट जाति, जीवन के ऱूप, रचना, स्थानिक प्रसार, या अन्य वानस्पतिक या भौगोलिक गुणों से नहीं है। यह शब्द फ्लोरा शब्द से कहीं अधिक बड़ा है जो विशेष रूप से जाति की संरचना से संबधित होता है। शायद सबसे करीबी पर्याय ''वनस्पति'' समाज है, लेकिन पेड़-पौधे शब्द स्थानिक पैमानों की विस्तृत श्रेणी से संबध रख सकता है, जिनमें समस्त विश्व की वनस्पति-संपदा समाविष्ट है। प्राचीन लाल लकड़ी के वन, तटीय सदाबहार वन, दलदल में जमने वाली काई, रेगिस्तानी मिट्टी की पर्तें, सड़क के किनारे उगने वाली घास, गेहूं के खेत, बाग-बगीचे-ये सभी पेड़-पौधों की परिभाषा में शामिल हैं। .

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वाराणसी

वाराणसी (अंग्रेज़ी: Vārāṇasī) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का प्रसिद्ध नगर है। इसे 'बनारस' और 'काशी' भी कहते हैं। इसे हिन्दू धर्म में सर्वाधिक पवित्र नगरों में से एक माना जाता है और इसे अविमुक्त क्षेत्र कहा जाता है। इसके अलावा बौद्ध एवं जैन धर्म में भी इसे पवित्र माना जाता है। यह संसार के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक और भारत का प्राचीनतम बसा शहर है। काशी नरेश (काशी के महाराजा) वाराणसी शहर के मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी धार्मिक क्रिया-कलापों के अभिन्न अंग हैं। वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें कबीर, वल्लभाचार्य, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, शिवानन्द गोस्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां आदि कुछ हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का परम-पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन यहीं निकट ही सारनाथ में दिया था। वाराणसी में चार बड़े विश्वविद्यालय स्थित हैं: बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज़ और संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय। यहां के निवासी मुख्यतः काशिका भोजपुरी बोलते हैं, जो हिन्दी की ही एक बोली है। वाराणसी को प्रायः 'मंदिरों का शहर', 'भारत की धार्मिक राजधानी', 'भगवान शिव की नगरी', 'दीपों का शहर', 'ज्ञान नगरी' आदि विशेषणों से संबोधित किया जाता है। प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं: "बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों (लीजेन्ड्स) से भी प्राचीन है और जब इन सबको एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।" .

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विटामिन

फल एवं शब्जियाँ विटामिन के अच्छे स्रोत हैं। विटामिन (vitamin) या जीवन सत्व भोजन के अवयव हैं जिनकी सभी जीवों को अल्प मात्रा में आवश्यकता होती है। रासायनिक रूप से ये कार्बनिक यौगिक होते हैं। उस यौगिक को विटामिन कहा जाता है जो शरीर द्वारा पर्याप्त मात्रा में स्वयं उत्पन्न नहीं किया जा सकता बल्कि भोजन के रूप में लेना आवश्यक हो।विटामिन और उनकी कमी से होने वाले रोग – Vitamins and Their Deficiency Diseases |Sr No |विटामिन |कमी से होन वाले रोग |- |1 |विटामिन – ए |रतौंधी, संक्रमणों का खतरा, जीरोप्‍थैलमिया |- |2 |विटामिन – बी 1 |बेरी-बेरी |- |3 |विटामिन – बी 2 |त्‍वचा का फटना, आखों का लाल होना |- |4 |विटामिन – बी 3 |त्‍वचा पर दाद होना |- |5 |विटामिन – बी 5 |बाल सफेद होना, मंदबुद्धि होना |- |6 |विटामिन – बी 6 |एनिमिया, त्‍वचा रोग |- |7 |विटा‍मिन – बी 7 |लकवा, शरीर में दर्द, बालों का गिरना |- |8 |विटामिन – बी 11 |एनिमिया, पेचिश रोग |- |9 |विटामिन – सी |एनिमिया, पांडुरोग |- |10 |विटामिन – डी |रिकेट्स, ऑस्टियोमलेशिया |- |11 |विटामिन – ई |जनन शक्ति का कम होना |- |12 |विटामिन – के |रक्‍त का थक्‍का न जमना | .

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विटामिन ए

पोषक ए आंखों से देखने के लिए अत्यंत आवश्यक होता है। साथ ही यह बीमारी से बचने के काम आता है। यह पोषक शरीर में अनेक अंगों को सामान्य रूप में बनाये रखने में मदद करता है जैसे कि त्वचा, बाल, नाखून, ग्रन्थि, दांत, मसूडा और हड्डी। सबसे महत्वपूर्ण स्थिती जो कि सिर्फ पोषक ए के अभाव में होता है, वह है अंधेरे में कम दिखाई देना, जिसे रतौंधी भी कहते हैं। इसके साथ आंखों में आंसू के कमी से आंख सूख जाते हैं और उसमें घाव भी हो सकता है। बच्चों में पोषक ए के अभाव में विकास की गति धीमि हो जाती है, जिससे कि उनके कद पर असर कर सकता है। त्वचा और बालों में भी सूखापन हो जाता है और उनमें से चमक चला जाता है। संक्रमित बीमारी होने का संभावना बढ जाता है। अत्याधिक पोषक ए लेने से शरीर पर अनेक दुर्प्रभाव हो सकते हैं जैसे कि सिरदर्द, देखने में दिक्कत, थकावट, दस्त, बाल गिरना, त्वचा खराब हो जाना, हड्डी और जोडों में दर्द, कलेजा को नुकसान पहुँचना और लडकियों में असमय मासिक धर्म। गर्भ के दौरान खास सावधानी – अत्याधिक पोषक ए, पेट में पलते बच्चे को नुकसान पहुँचा सकता है। .

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वेद

वेद प्राचीन भारत के पवितत्रतम साहित्य हैं जो हिन्दुओं के प्राचीनतम और आधारभूत धर्मग्रन्थ भी हैं। भारतीय संस्कृति में वेद सनातन वर्णाश्रम धर्म के, मूल और सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं, जो ईश्वर की वाणी है। ये विश्व के उन प्राचीनतम धार्मिक ग्रंथों में हैं जिनके पवित्र मन्त्र आज भी बड़ी आस्था और श्रद्धा से पढ़े और सुने जाते हैं। 'वेद' शब्द संस्कृत भाषा के विद् शब्द से बना है। इस तरह वेद का शाब्दिक अर्थ 'ज्ञान के ग्रंथ' है। इसी धातु से 'विदित' (जाना हुआ), 'विद्या' (ज्ञान), 'विद्वान' (ज्ञानी) जैसे शब्द आए हैं। आज 'चतुर्वेद' के रूप में ज्ञात इन ग्रंथों का विवरण इस प्रकार है -.

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गुजराती भाषा

गुजराती भारत की एक भाषा है जो गुजरात राज्य, दीव और मुंबई में बोली जाती है। गुजराती साहित्य भारतीय भाषाओं के सबसे अधिक समृद्ध साहित्य में से है। भारत की दूसरी भाषाओं की तरह गुजराती भाषा का जन्म संस्कृत भाषा से हुआ है। वहीं इसके कई शब्द ब्रजभाषा के हैं ऐसा भी माना जाता है की इसका जन्म ब्रजभाषा में से भी हुआ अर्थात संस्कृत और ब्रजभाषा के मिले जुले शब्दों से गुजरातीे भाषा का जन्म हुआ। दूसरे राज्य एवं विदेशों में भी गुजराती बोलने वाले लोग निवास करते हैं। जिन में पाकिस्तान, अमेरिका, यु.के., केन्या, सिंगापुर, अफ्रिका, ऑस्ट्रेलीया मुख्य है। भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की मातृभाषा गुजराती थी। गुजराती बोलने वाले भारत के दूसरे महानुभावों में पाकिस्तान के राष्ट्रपिता मुहम्मद अली जिन्ना, महर्षि दयानंद सरस्वती, मोरारजी देसाई, नरेन्द्र मोदी, धीरु भाई अंबानी भी सम्मिलित है। .

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आयुर्वेद

आयुर्वेद के देवता '''भगवान धन्वन्तरि''' आयुर्वेद (आयुः + वेद .

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इब्न-बतूता

model मध्यकालीन मुसलमान अन्वेषी इब्न बत्तूता अरब यात्री, विद्धान् तथा लेखक। उत्तर अफ्रीका के मोरक्को प्रदेश के प्रसिद्ध नगर तांजियर में १४ रजब, ७०३ हि.

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कार्बोहाइड्रेट

रासायनिक रुप से ‘‘कार्बोहाइड्रेट्स पालिहाइड्राक्सी एल्डिहाइड या पालिहाइड्राक्सी कीटोन्स होते हैं तथा स्वयं के जलीय अपघटन के फलस्वरुप पालिहाइड्राक्सी एल्डिहाइड या पालिहाइड्राक्सी कीटोन्स देते हैं।’’ कार्बोहाइड्रेट्स, कार्बनिक पदार्थ हैं जिसमें कार्बन, हाइड्रोजन व आक्सीजन होते है। इसमें हाइड्रोजन व आक्सीजन का अनुपात जल के समान होता है। कुछ कार्बोहाइड्रेट्स सजीवों के शरीर के रचनात्मक तत्वों का निर्माण करते हैं जैसे कि सेल्यूलोज, हेमीसेल्यूलोज, काइटिन तथा पेक्टिन। जबकि कुछ कार्बोहाइड्रेट्स उर्जा प्रदान करते हैं, जैसे कि मण्ड, शर्करा, ग्लूकोज़, ग्लाइकोजेन.

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कार्ल लीनियस

कार्ल लीनियस (लैटिन: Carolus Linnaeus) या कार्ल वॉन लिने (२३ मई १७०७ - १० जनवरी १७७८) एक स्वीडिश वनस्पतिशास्त्री, चिकित्सक और जीव विज्ञानी थे, जिन्होने द्विपद नामकरण की आधुनिक अवधारणा की नींव रखी थी। इन्हें आधुनिक वर्गिकी (वर्गीकरण) के पिता के रूप में जाना जाता है साथ ही यह आधुनिक पारिस्थितिकी के प्रणेताओं मे से भी एक हैं। .

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काली मिर्च

thumb 'काली मिर्च' के काले तथा सफेद दाने वनस्पति जगत्‌ में पिप्पली कुल (Piperaceae) के मरिचपिप्पली (Piper nigrum) नामक लता सदृश बारहमासी पौधे के अधपके और सूखे फलों का नाम काली मिर्च (Pepper) है। पके हुए सूखे फलों को छिलकों से बिलगाकर सफेद गोल मिर्च बनाई जाती है जिसका व्यास लगभग ५ मिमी होता है। यह मसाले के रूप में प्रयुक्त होती है। .

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कुक्कुर खाँसी

कूकर कास या कूकर खांसी या काली खांसी (अंग्रेज़ी:पर्टसिस, व्हूपिंग कफ़) जीवाणु का संक्रमण होता है जो कि आरंभ में नाक और गला को प्रभावित करता है। यह प्रायः २ वर्ष से कम आयु के बच्चों की श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है। इस बीमारी का नामकरण इस आधार पर किया गया है कि इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति सांस लेते समय भौंकने जैसी आवाज करता है। यह बोर्डेटेल्ला परट्यूसिया कहलाने वाले जीवाणु के कारण होता है। यह जीवाणु व्यक्तियों के बीच श्वसन क्रिया से निष्कासित जीवाणु से फैलती है। यह तब होता है जब संक्रमण युक्त व्यक्ति खांसते या छींकते हैं। यह संक्रमण युक्त व्यक्तियों के शारीरिक द्रवों से संपर्क होने से भी फैलता है जैसे नाक का पानी गिरना। .

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अमीनो अम्ल

फिनाइल एलानिन, एक सामान्य अमीनो अम्ल अमीनो अम्ल, वे अणु हैं जिनमें अमाइन तथा कार्बोक्सिल दोनों ही ग्रुप पाएं जाते हैं। इनका साधारण सुत्र H2NCHROOH है। इसमें R एक पार्श्व कड़ी है। जो परिवर्तनशील विभिन्न अणुओं का ग्रूप होता है। कार्बोक्सिल (-COOH) तथा अमाइन (-NH2) ग्रूप कार्बन परमाणु से लगा रहता है। अमीनो अम्ल प्रोभूजिन के गठनकर्ता अणु हैं। बहुत सारे अमीनो अम्ल पेप्टाइड बंधन द्वारा युक्त होकर प्रोभूजिन बनाते हैं। प्रोभूजिन बनाने में 20 अमीनो अम्ल भाग लेते हैं। यह प्रोभूजिन निर्माण के कर्णधार होते हैं। प्रकृति में लगभग बीस अमीनों अम्लों का अस्तित्व है। प्रोभूजिन अणुओं में सैंकड़ों या हजारों अमीनो अम्ल एक दूसरे से जुड़े रहते हैं। प्रत्येक प्रोभूजिन में प्रायः सभी अमीनो अम्ल एक विशेष अनुक्रम से जुड़े रहते हैं। विभिन्न अमीनो अम्लों का यही अनुक्रम प्रत्येक प्रोभूजिन को उसकी विशेषताएं प्रदान करता है। अमीनो अम्लों का यही विशिष्ट अनुक्रम डी एन ए के न्यूक्लोटाइडस के क्रम से निर्धारित होता है। श्रेणी:जैवरसायनिकी श्रेणी:शब्दावली श्रेणी:सूक्ष्मजैविकी श्रेणी:जैव प्रौद्योगिकी श्रेणी:आण्विक जैविकी श्रेणी:अनुवांशिकी *.

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अजवायन

अजवाइन अजवायन (Thyme) एक झाड़ीनुमा वनस्पति है जो मसाला एवं औषधि के रूप में प्रयुक्त होती है। छोटे पैमाने पर इसकी खेती की जाती है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

ताम्बूल, लखनवी पान

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