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न्याय (बौद्ध) और शान्तिदेव

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

न्याय (बौद्ध) और शान्तिदेव के बीच अंतर

न्याय (बौद्ध) vs. शान्तिदेव

बौद्धन्याय, अवैदिक भारतीय न्याय की श्रेणी में आता है। (जैनन्याय भी अवैदिक न्याय है।) बौद्धन्याय चार संप्रदायों में विभक्त है- वैभाषिक, सौत्रांतिक, योगाचार और माध्यमिक। इनमें प्रथम दो हीनयान के तथा अंतिम दो महायान के अंतर्गत हैं। हीनयान का संबंध स्थविरवादी संघ से और महायान का संबंध महासांघिक संघ से है। पहला संघ बुद्धविषयों को परिवर्तनार्ह तथा दूसरा संघ उसे अपरिर्वनार्ह मानता है। . शान्तिदेव एक बौद्ध नैयायिक थे। वे कर्म से उपासक, धर्म से साधक और मन से माध्यमिक-मत के सशक्त उपदेशक थे । बुद्ध के समान ये भी बचपन से ही एक विरक्त प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। तारादेवी नामक किसी सात्त्विक महिला की सत्प्रेरणा से इन्होंने बौद्ध धर्म स्वीकार किया था । मञ्जुश्री की सदनुकम्पा से इन्होंने बौद्ध-धर्म की दीक्षा ली । यही जयदेव धर्मपाल के पश्चात् नालन्दा के पीठस्थविर बने । (टी॰ आर॰ वी॰ मूर्ति विरचित सेन्ट्रल फिलोसॉफी ऑफ बुद्धिज्म, में) इनका समय 691 ई॰ से 743 ई॰ स्वीकार किया गया है । इनकी तीन रचनाएँ उपलब्ध हैं - (1) शिक्षा समुच्चय (2) सूत्रसमुच्चय (3) बोधिचर्यावतार । श्रेणी:बौद्ध दार्शनिक.

न्याय (बौद्ध) और शान्तिदेव के बीच समानता

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न्याय (बौद्ध) और शान्तिदेव के बीच तुलना

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संदर्भ

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