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नीलकंठ चतुर्धर और बलदेव उपाध्याय

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

नीलकंठ चतुर्धर और बलदेव उपाध्याय के बीच अंतर

नीलकंठ चतुर्धर vs. बलदेव उपाध्याय

नीलकण्ठ चतुर्धर (सत्रहवीं सदी ईस्वी) संस्कृत साहित्य के सुप्रसिद्ध टीकाकार। सम्पूर्ण महाभारत की टीका के लिए विशेष प्रख्यात। . आचार्य बलदेव उपाध्याय (१० अक्टूबर १८९९ - १० अगस्त १९९९) हिन्दी और संस्कृत के सुप्रसिद्ध विद्वान, साहित्येतिहासकार, निबन्धकार तथा समालोचक थे। उन्होने अनेकों ग्रन्थों की रचना की, निबन्धों का संग्रह प्रकाशित किया तथा संस्कृत वाङ्मय का इतिहास लिखा। वे संस्कृत साहित्य की हिन्दी में चर्चा के लिए जाने जाते हैं। उनके पूर्व संस्कृत साहित्य से सम्बन्धित अधिकांश पुस्तकें संस्कृत में हैं या अंग्रेजी में। आचार्य बलदेव उपाध्याय को भारत सरकार द्वारा सन १९८४ में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। .

नीलकंठ चतुर्धर और बलदेव उपाध्याय के बीच समानता

नीलकंठ चतुर्धर और बलदेव उपाध्याय आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): संस्कृत भाषा, संस्कृत साहित्य

संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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संस्कृत साहित्य

बिहार या नेपाल से प्राप्त देवीमाहात्म्य की यह पाण्डुलिपि संस्कृत की सबसे प्राचीन सुरक्षित बची पाण्डुलिपि है। (११वीं शताब्दी की) ऋग्वेदकाल से लेकर आज तक संस्कृत भाषा के माध्यम से सभी प्रकार के वाङ्मय का निर्माण होता आ रहा है। हिमालय से लेकर कन्याकुमारी के छोर तक किसी न किसी रूप में संस्कृत का अध्ययन अध्यापन अब तक होता चल रहा है। भारतीय संस्कृति और विचारधारा का माध्यम होकर भी यह भाषा अनेक दृष्टियों से धर्मनिरपेक्ष (सेक्यूलर) रही है। इस भाषा में धार्मिक, साहित्यिक, आध्यात्मिक, दार्शनिक, वैज्ञानिक और मानविकी (ह्यूमैनिटी) आदि प्राय: समस्त प्रकार के वाङ्मय की रचना हुई। संस्कृत भाषा का साहित्य अनेक अमूल्य ग्रंथरत्नों का सागर है, इतना समृद्ध साहित्य किसी भी दूसरी प्राचीन भाषा का नहीं है और न ही किसी अन्य भाषा की परम्परा अविच्छिन्न प्रवाह के रूप में इतने दीर्घ काल तक रहने पाई है। अति प्राचीन होने पर भी इस भाषा की सृजन-शक्ति कुण्ठित नहीं हुई, इसका धातुपाठ नित्य नये शब्दों को गढ़ने में समर्थ रहा है। संस्कृत साहित्य इतना विशाल और scientific है तो भारत से संस्कृत भाषा विलुप्तप्राय कैसे हो गया? .

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नीलकंठ चतुर्धर और बलदेव उपाध्याय के बीच तुलना

नीलकंठ चतुर्धर 9 संबंध है और बलदेव उपाध्याय 12 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 9.52% है = 2 / (9 + 12)।

संदर्भ

यह लेख नीलकंठ चतुर्धर और बलदेव उपाध्याय के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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