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निर्भरता का सिद्धान्त और पूंजीवाद

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

निर्भरता का सिद्धान्त और पूंजीवाद के बीच अंतर

निर्भरता का सिद्धान्त vs. पूंजीवाद

अंतरराष्ट्रीय राजनीति में निर्भरता का सिद्धान्त (Dependency theory) यह है कि संसाधन, निर्धन एवं अल्पविकसित देशों (periphery/'परिधि') से धनी देशों (Core/केन्द्र या कोर) की ओर प्रवाहित होते हैं और निर्धन देशों को और गरीब करते हुए धनी देशों को और धनी बनाते हैं। निर्भरता का सिद्धान्त इस मूल मान्यता पर आधारित है कि राजनैतिक एवं आर्थिक कारकों के बीच एक गहन संबंध होता है। ये दोनों कारक परस्पर प्रभावित करते हैं तथा काफी हद तक आर्थिक कारकों के आधार पर राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिलते हैं। निर्भरता का सिद्धान्त मूल रूप से मार्क्सवाद से प्रभावित रहा है। मार्क्सवाद के साथ-साथ होबसन व लेनिन के साम्राज्यवाद की अवधारणा ने इसे और मजबूत बना दिया है। परन्तु चुंकी मार्क्सवादी 'राज्य' के अस्तित्व को नहीं मानते इसीलिए इसे 'नव-मार्क्सवादी' अवधारणा मानना ज्यादा तर्कसंगत होगा। वैसे तो यह अवधारणा अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में 1950 के दशक से विद्यमान है, परन्तु 1970 के दशक से ज्यादा महत्वपूर्ण बन गई है। इस काल के अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के अध्ययन हेतु राजनीतिक-आर्थिक तत्वों में संबंध पर अधिक बल दिया जाने लगा है। इस सिद्धान्त के मुख्य समर्थकों में पॉल बरान, पॉल स्वीजी, हेरी मैडगाफ, एंड्रि गुंडर फैंक, अग्रहीरी इमेनुअल, समीर अमीन, इमेनुअल वालरस्टेन आदि प्रमुख हैं। . पूंजीवाद (Capitalism) सामन्यत: उस आर्थिक प्रणाली या तंत्र को कहते हैं जिसमें उत्पादन के साधन पर निजी स्वामित्व होता है। इसे कभी कभी "व्यक्तिगत स्वामित्व" के पर्यायवाची के तौर पर भी प्रयुक्त किया जाता है यद्यपि यहाँ "व्यक्तिगत" का अर्थ किसी एक व्यक्ति से भी हो सकता है और व्यक्तियों के समूह से भी। मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि सरकारी प्रणाली के अतिरिक्त निजी तौर पर स्वामित्व वाले किसी भी आर्थिक तंत्र को पूंजीवादी तंत्र के नाम से जाना जा सकता है। दूसरे रूप में ये कहा जा सकता है कि पूंजीवादी तंत्र लाभ के लिए चलाया जाता है, जिसमें निवेश, वितरण, आय उत्पादन मूल्य, बाजार मूल्य इत्यादि का निर्धारण मुक्त बाजार में प्रतिस्पर्धा द्वारा निर्धारित होता है। पूँजीवाद एक आर्थिक पद्धति है जिसमें पूँजी के निजी स्वामित्व, उत्पादन के साधनों पर व्यक्तिगत नियंत्रण, स्वतंत्र औद्योगिक प्रतियोगिता और उपभोक्ता द्रव्यों के अनियंत्रित वितरण की व्यवस्था होती है। पूँजीवाद की कभी कोई निश्चित परिभाषा स्थिर नहीं हुई; देश, काल और नैतिक मूल्यों के अनुसार इसके भिन्न-भिन्न रूप बनते रहे हैं। .

निर्भरता का सिद्धान्त और पूंजीवाद के बीच समानता

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निर्भरता का सिद्धान्त और पूंजीवाद के बीच तुलना

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संदर्भ

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